भारतीय राजव्यवस्था का महासंग्राम: आज ही अपनी पकड़ मज़बूत करें!
नमस्कार, भविष्य के लोक सेवकों! क्या आप भारतीय संविधान और राजव्यवस्था की अपनी समझ को परखने के लिए तैयार हैं? आज का यह मॉक टेस्ट आपके संवैधानिक ज्ञान की गहराई को नापने और आपकी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का एक सुनहरा अवसर है। आइए, अपने लोकतांत्रिक ढांचे की मजबूत नींव को समझने के इस सफर में शामिल हों और अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ के दौरान अनुच्छेद 20 और 21 के तहत प्राप्त मूल अधिकारों को निलंबित नहीं किया जा सकता है? (अनुच्छेद 20 और 21 के तहत मौलिक अधिकार)
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 38वां संशोधन अधिनियम, 1975
- 50वां संशोधन अधिनियम, 1984
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 ने स्पष्ट रूप से यह प्रावधान जोड़ा कि अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) के तहत अधिकारों को अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा होने पर भी निलंबित नहीं किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन 1975-77 के आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों के दुरुपयोग की चिंताओं को दूर करने के लिए लाया गया था। 42वें संशोधन ने वास्तव में राष्ट्रपति को आपातकाल के दौरान सभी मौलिक अधिकारों को निलंबित करने की शक्ति दी थी, जिसे 44वें संशोधन ने सीमित किया।
- गलत विकल्प: 42वां संशोधन मौलिक अधिकारों के निलंबन को और अधिक लचीला बनाता है। 38वां संशोधन आपातकाल से संबंधित था लेकिन अधिकारों के निलंबन पर यह विशिष्ट परिवर्तन नहीं किया। 50वां संशोधन अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित था।
प्रश्न 2: भारत के महान्यायवादी (Attorney General for India) की नियुक्ति कौन करता है और उनका कार्यकाल कितना होता है? (संघीय कार्यपालिका)
- भारत के राष्ट्रपति; 5 वर्ष
- भारत के राष्ट्रपति; 6 वर्ष
- भारत के राष्ट्रपति; राष्ट्रपति की इच्छा तक
- भारत के प्रधानमंत्री; 5 वर्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उनका कार्यकाल संविधान द्वारा निश्चित नहीं किया गया है; वे राष्ट्रपति की इच्छा तक पद धारण करते हैं (अनुच्छेद 76)।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं और उन्हें भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार प्राप्त है। वे सरकारी वकील के रूप में कार्य करते हैं और सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- गलत विकल्प: महान्यायवादी का कार्यकाल निश्चित नहीं है, इसलिए 5 या 6 वर्ष के विकल्प गलत हैं। प्रधानमंत्री नियुक्ति तो करते हैं, लेकिन अंतिम निर्णय और नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा ही की जाती है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘प्रस्तावना’ (Preamble) के बारे में सत्य नहीं है? (प्रस्तावना और संविधान की विशेषताएँ)
- यह संविधान का एक हिस्सा है।
- इसमें संसद द्वारा संशोधन किया जा सकता है।
- यह न्यायोचित (Justiciable) नहीं है।
- यह संविधान का स्रोत नहीं है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: प्रस्तावना को केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान का ‘हिस्सा’ माना गया है। इसमें संसद द्वारा संशोधन किया जा सकता है, लेकिन इसके ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) को प्रभावित किए बिना। इसलिए, यह कहना कि इसमें संशोधन नहीं किया जा सकता, गलत है, लेकिन ‘सत्य नहीं है’ के संदर्भ में, कथन (b) के अनुसार यह संशोधन योग्य है, यह बात सही है। हालाँकि, प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा कथन सत्य नहीं है। प्रस्तावना न्यायोचित नहीं है (अनुच्छेद 32 और 226 के तहत लागू नहीं होती)। यह संविधान का स्रोत भी नहीं है, बल्कि यह बताता है कि सत्ता का स्रोत ‘हम भारत के लोग’ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान के उद्देश्यों, आदर्शों और मूलभूत सिद्धांतों को दर्शाती है। यह संविधान निर्माताओं के विचारों को समझने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: कथन (a) सत्य है (केशवानंद भारती)। कथन (c) सत्य है (यह न्यायोचित नहीं है)। कथन (d) सत्य है (संविधान का स्रोत ‘हम भारत के लोग’ हैं, प्रस्तावना नहीं)। इसलिए, ‘संशोधन किया जा सकता है’ यह कथन सत्य है, लेकिन यह प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा कथन सत्य नहीं है। यदि हम बारीकी से देखें, तो प्रस्तावना को ‘संशोधित किया जा सकता है’ यह कथन सत्य है। प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा कथन सत्य नहीं है। इन विकल्पों में, यदि हम यह मानें कि प्रस्तावना के शब्दों को यथावत संशोधित किया जा सकता है (संशोधन 1976 द्वारा ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’, ‘अखंडता’ शब्द जोड़े गए), तो (b) सत्य है। लेकिन यदि प्रश्न का भाव यह है कि प्रस्तावना को उसी तरह से संशोधित नहीं किया जा सकता जैसे किसी अन्य अनुच्छेद को, तो यह जटिल हो जाता है। मानक व्याख्या के अनुसार, प्रस्तावना को संशोधित किया जा सकता है (42वां संशोधन)। इसलिए, प्रश्न की भाषा के अनुसार, ‘संशोधन किया जा सकता है’ सत्य है। अन्य सभी कथन भी सत्य हैं। यहाँ प्रश्न निर्माण में थोड़ी अस्पष्टता है। सबसे सटीक उत्तर के लिए, मान लीजिए प्रश्न का तात्पर्य यह है कि प्रस्तावना को “किसी भी अन्य भाग की तरह” संशोधित नहीं किया जा सकता। लेकिन यदि सीधा अर्थ लें, तो (b) सत्य है।
* **पुनः विचार:** प्रश्न पूछ रहा है ‘सत्य नहीं है’।
* (a) प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है – सत्य (केशवानंद भारती)।
* (b) इसमें संसद द्वारा संशोधन किया जा सकता है – सत्य (42वां संशोधन)।
* (c) यह न्यायोचित नहीं है – सत्य।
* (d) यह संविधान का स्रोत नहीं है – सत्य।
* **निष्कर्ष:** दिए गए विकल्पों में, कोई भी कथन प्रत्यक्ष रूप से असत्य नहीं है। यह प्रश्न त्रुटिपूर्ण हो सकता है। हालांकि, यदि हम ‘संशोधन’ के अर्थ को ‘मूल ढांचे को बदले बिना’ लें, तो यह अपने आप में एक सीमा है। सबसे आम गलतफहमी यह होती है कि इसे संशोधित नहीं किया जा सकता, जो कि असत्य है। यदि किसी एक को चुनना हो, तो यह प्रश्न के निर्माण पर निर्भर करता है।
* **मानक परीक्षा प्रश्न के संदर्भ में, अक्सर यह विकल्प सत्य माना जाता है कि प्रस्तावना में संशोधन हो सकता है।**
* **एक वैकल्पिक व्याख्या यह हो सकती है कि प्रस्तावना ‘स्रोत’ नहीं है, लेकिन यह ‘संविधान की आत्मा’ है।**
* **चलिए, मानते हैं कि प्रश्न का उद्देश्य यह जानना है कि क्या प्रस्तावना में कोई परिवर्तन संभव है। 42वें संशोधन ने परिवर्तन किया। इसलिए, (b) सत्य है।**
* **एक और विचार: प्रस्तावना ‘संविधान का स्रोत’ नहीं है, जबकि ‘हम भारत के लोग’ हैं। यह एक महत्वपूर्ण भेद है। इसलिए (d) भी सत्य है।**
* **सबसे मजबूत कथन जो अक्सर परीक्षा में असत्य माना जाता है, वह है कि प्रस्तावना “संविधान का अविभाज्य अंग नहीं है” (जो पहले माना जाता था)। अब यह अंग है।**
* **सबसे संभावित त्रुटिपूर्ण कथन (यदि कोई हो) वह है जो संशोधनीयता पर संदेह करता है। लेकिन 42वें संशोधन से यह सिद्ध है कि यह संशोधनीय है।**
* **सबसे सटीक उत्तर की ओर बढ़ते हुए, प्रस्तावना ‘संविधान का स्रोत’ नहीं है, बल्कि वह ‘जनता’ है। इसलिए (d) सत्य है।**
* **यदि प्रश्न का अर्थ है कि प्रस्तावना ‘संविधान का अंग नहीं है’, तब वह असत्य होता।**
* **पुनः, प्रश्न ‘सत्य नहीं है’ पूछ रहा है। सभी विकल्प सत्य प्रतीत हो रहे हैं। इस तरह के प्रश्न को आमतौर पर सबसे कम सत्य या सबसे अधिक विवादित माना जाता है।**
* **आइए, इस प्रश्न को छोड़ दें और सुनिश्चित करें कि अन्य सभी प्रश्न स्पष्ट हों।**
* **मैं एक नया प्रश्न बनाता हूं जो स्पष्ट हो।**प्रश्न 3 (पुनर्निर्मित): भारतीय संविधान की प्रस्तावना के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है? (प्रस्तावना और संविधान की विशेषताएँ)
- प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है।
- प्रस्तावना की न्यायिकता (Justiciability) शून्य है।
- प्रस्तावना में उल्लिखित आदर्शों को न्यायालयों द्वारा लागू कराया जा सकता है।
- प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’, ‘अखंडता’ शब्द 42वें संशोधन, 1976 द्वारा जोड़े गए।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: प्रस्तावना को केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान का एक ‘अभिन्न अंग’ माना है (a सत्य है)। प्रस्तावना को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता, अर्थात इसके आधार पर किसी भी न्यायालय में वाद दायर नहीं किया जा सकता (b सत्य है)। इसमें ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’, ‘अखंडता’ शब्द 42वें संशोधन, 1976 द्वारा जोड़े गए (d सत्य है)। हालांकि, प्रस्तावना में उल्लिखित आदर्शों को सीधे तौर पर न्यायालयों द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता, वे मार्गदर्शक सिद्धांत हैं, लेकिन उन्हें लागू करने के लिए कानून बनाना पड़ता है (c असत्य है)।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान के मूल उद्देश्यों को दर्शाती है और यह समझने में मदद करती है कि संविधान के अन्य प्रावधानों को कैसे समझा जाना चाहिए।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) भारतीय संविधान की प्रस्तावना के संबंध में सत्य कथन हैं। (c) असत्य है क्योंकि प्रस्तावना के आदर्शों को सीधे लागू नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 4: भारत के संविधान के किस अनुच्छेद में ‘राज्य’ (State) की परिभाषा दी गई है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ सभी स्थानीय प्राधिकारी और अन्य प्राधिकारी भी शामिल हैं? (संविधान की मूल बातें)
- अनुच्छेद 12
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 226
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12 में ‘राज्य’ (State) शब्द को परिभाषित किया गया है। इस परिभाषा में संसद और प्रत्येक राज्य की सरकारें तथा विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र के अधीन सभी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा विशेष रूप से मौलिक अधिकारों (भाग III) के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये अधिकार राज्य की क्रियाओं के विरुद्ध लागू होते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णयों में सार्वजनिक उपक्रमों और अन्य संस्थाओं को भी ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल किया है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 मौलिक अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियों को शून्य घोषित करता है। अनुच्छेद 32 और 226 क्रमशः मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों की रिट जारी करने की शक्ति से संबंधित हैं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा एक मौलिक अधिकार नहीं है? (मौलिक अधिकार)
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- आर्थिक समानता का अधिकार
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: भारतीय संविधान में ‘आर्थिक समानता का अधिकार’ एक अलग से सूचीबद्ध मौलिक अधिकार नहीं है। यद्यपि कुछ मौलिक अधिकार (जैसे समानता का अधिकार – अनुच्छेद 14, 15) अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक समानता को बढ़ावा देते हैं, और नीति निदेशक तत्वों (DPSP) में आर्थिक न्याय का प्रावधान है, यह सीधे तौर पर मौलिक अधिकार नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक अधिकार भारतीय संविधान के भाग III में अनुच्छेद 12 से 35 तक वर्णित हैं, जिनमें समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22), शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24) आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सीधे तौर पर मौलिक अधिकारों के रूप में संविधान में उल्लिखित हैं।
प्रश्न 6: भारतीय संविधान के किस भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का वर्णन किया गया है? (DPSP)
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV-A
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का वर्णन भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP आयरलैंड के संविधान से प्रेरित हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि राज्य एक कल्याणकारी समाज की स्थापना करे। ये तत्व न्यायोचित नहीं हैं, अर्थात इन्हें अदालतों के माध्यम से लागू नहीं कराया जा सकता, लेकिन ये देश के शासन में मूलभूत हैं।
- गलत विकल्प: भाग III में मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12-35) हैं। भाग IV-A में मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51A) हैं। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।
प्रश्न 7: संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है? (संसद और समितियाँ)
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- लोकसभा के अध्यक्ष (Speaker)
- राज्यसभा के सभापति (Chairman)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: लोक लेखा समिति (PAC) के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है। यद्यपि यह समिति संसद की एक समिति है, अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा अध्यक्ष द्वारा सत्ताधारी दल के सदस्यों में से (विपक्ष के नेता को छोड़कर) किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: PAC भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्टों की जांच करती है, जिसमें सरकारी व्यय की लेखा-परीक्षा शामिल है। यह समिति संसद की सबसे पुरानी समितियों में से एक है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या राज्यसभा के सभापति सीधे तौर पर PAC अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं करते हैं।
प्रश्न 8: भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई? (संवैधानिक संशोधन)
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: 61वें संशोधन अधिनियम, 1989 ने संविधान के अनुच्छेद 326 में संशोधन करके लोक सभा और राज्य विधान सभाओं के चुनावों के लिए मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य युवा मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया में अधिक भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना था।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन संपत्ति के अधिकार से संबंधित था। 42वां संशोधन मिनी-संविधान कहलाता है, जिसने कई महत्वपूर्ण बदलाव किए। 73वां संशोधन पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है।
प्रश्न 9: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से किसे ‘भारत का प्रथम नागरिक’ माना जाता है? (संघीय कार्यपालिका)
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति को ‘भारत का प्रथम नागरिक’ माना जाता है। वे राष्ट्र के प्रधान होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति देश के कार्यकारी प्रमुख होते हैं, हालांकि उनकी भूमिका काफी हद तक औपचारिक होती है। वे भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर भी होते हैं।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं, लेकिन राष्ट्र के प्रथम नागरिक नहीं। मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका के प्रमुख होते हैं। उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के बाद दूसरे क्रम पर आते हैं।
प्रश्न 10: संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ (Justice) का उल्लेख किन-किन रूपों में किया गया है? (प्रस्तावना)
- सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक
- केवल सामाजिक और राजनीतिक
- सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक
- राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना ‘सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक’ न्याय सुनिश्चित करने का संकल्प लेती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह न्याय के विभिन्न आयामों को दर्शाता है, जिसका अर्थ है कि सभी नागरिकों के साथ जाति, धर्म, लिंग या किसी भी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा, सभी को राजनीतिक भागीदारी का समान अवसर मिलेगा, और आर्थिक संसाधनों का उचित वितरण होगा।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना में ‘धार्मिक’, ‘सांस्कृतिक’ या केवल ‘सामाजिक और राजनीतिक’ न्याय का उल्लेख नहीं है, बल्कि इन तीनों का संयुक्त रूप से उल्लेख है।
प्रश्न 11: किस अनुच्छेद के तहत भारत के राष्ट्रपति को किसी भी मामले में सर्वोच्च न्यायालय की राय मांगने का अधिकार है? (राष्ट्रपति और न्यायपालिका)
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 142
- अनुच्छेद 132
- अनुच्छेद 72
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सार्वजनिक महत्व के किसी भी कानूनी या तथ्यात्मक प्रश्न पर, या किसी भी कानून के तहत उत्पन्न होने वाले प्रश्न पर, सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह राष्ट्रपति की ‘सलाहकारी क्षेत्राधिकार’ (Advisory Jurisdiction) कहलाती है। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई राय राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं होती।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए जाने वाले आदेशों से संबंधित है। अनुच्छेद 132 अपीलीय क्षेत्राधिकार से संबंधित है। अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 12: संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक (Joint Sitting) की अध्यक्षता कौन करता है? (संसद)
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- लोकसभा के अध्यक्ष (Speaker)
- राज्यसभा के सभापति (Chairman)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष (Speaker) करते हैं, जैसा कि अनुच्छेद 118(3) में प्रावधानित है।
- संदर्भ और विस्तार: संयुक्त बैठक का आह्वान राष्ट्रपति अनुच्छेद 108 के तहत करते हैं, आमतौर पर जब किसी विधेयक पर दोनों सदनों के बीच असहमति होती है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति संयुक्त बैठक बुलाते हैं, लेकिन उसकी अध्यक्षता नहीं करते। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं, लेकिन वे संयुक्त बैठक की अध्यक्षता नहीं करते।
प्रश्न 13: भारत में निम्नलिखित में से कौन सा निकाय ‘संवैधानिक’ (Constitutional) है? (संवैधानिक और गैर-संवैधानिक निकाय)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- चुनाव आयोग (Election Commission of India)
- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: चुनाव आयोग (ECI) एक संवैधानिक निकाय है, जिसका उल्लेख संविधान के भाग XV के अनुच्छेद 324 में किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनका उल्लेख सीधे संविधान में होता है और उनके गठन, शक्तियाँ व कार्य संविधान द्वारा परिभाषित होते हैं।
- गलत विकल्प: नीति आयोग (NITI Aayog) एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित एक गैर-संवैधानिक (सामविधिक से भी अलग, थिंक टैंक) निकाय है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक सांविधिक (Statutory) निकाय है, जिसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत हुआ है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) एक कार्यकारी निकाय है, जिसका कोई विशेष अधिनियम नहीं है, बल्कि यह दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के तहत कार्य करता है।
प्रश्न 14: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला संविधान संशोधन कौन सा है? (पंचायती राज)
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में भाग IX जोड़ा और अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायती राज को एक स्व-शासन की संस्था के रूप में स्थापित किया, जिसमें ग्राम सभा, त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली और चुनावों का प्रावधान है।
- गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएँ) से संबंधित है। 64वें और 65वें संशोधन विधेयक पंचायती राज से संबंधित थे लेकिन वे पारित नहीं हो सके।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘राज्य की परिभाषा’ में किसी भी ऐसे प्राधिकारी को शामिल करने की अनुमति देता है जो सरकार के कानून बनाने या कार्यान्वित करने के कार्य कर रहा है, भले ही वह सरकारी न हो? (मौलिक अधिकार और राज्य की परिभाषा)
- अनुच्छेद 12
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12 में ‘राज्य’ की परिभाषा व्यापक है और इसमें वे सभी संस्थाएँ शामिल हैं जो सरकारी शक्ति का प्रयोग करती हैं, भले ही वे प्रत्यक्ष रूप से सरकार का हिस्सा न हों। सर्वोच्च न्यायालय ने कई निर्णयों (जैसे आर.सी. कूपर बनाम भारत संघ) में इस परिभाषा का विस्तार किया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सुनिश्चित करने के लिए कि मौलिक अधिकार प्रभावी हों, ‘राज्य’ की परिभाषा को केवल सरकार या उसकी एजेंसियों तक सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि उन सभी संस्थाओं को शामिल किया गया है जो सार्वजनिक कार्यों का संचालन करती हैं या सरकारी प्राधिकरण का प्रयोग करती हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 मौलिक अधिकारों से असंगत विधियों को शून्य घोषित करता है। अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता का अधिकार देता है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है।
प्रश्न 16: भारत के उपराष्ट्रपति का निर्वाचन कौन करता है? (संघीय कार्यपालिका)
- केवल लोकसभा के सदस्य
- केवल राज्यसभा के सदस्य
- संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य
- संसद के दोनों सदनों के सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत दोनों)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्यों (निर्वाचित और मनोनीत दोनों) से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है, जैसा कि अनुच्छेद 66 में वर्णित है।
- संदर्भ और विस्तार: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति के विपरीत, उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में संसद सदस्यों के मनोनीत सदस्य भी भाग लेते हैं, और निर्वाचित सदस्यों की संख्या अधिक होती है। केवल लोकसभा या केवल राज्यसभा के सदस्य भाग नहीं लेते।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार ‘विदेशों में उपचार’ (Remedies for Enforcement of Fundamental Rights) के अधिकार के रूप में जाना जाता है? (मौलिक अधिकार)
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 19
- अनुच्छेद 21
- अनुच्छेद 14
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 भारतीय संविधान के तहत मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए उपचारों का अधिकार प्रदान करता है। इसे ‘संविधान की आत्मा और हृदय’ भी कहा गया है।
- संदर्भ और विस्तार: इस अनुच्छेद के तहत, कोई भी व्यक्ति अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर सीधे सर्वोच्च न्यायालय जा सकता है, जो हेबियस कॉर्पस, मेंडमस, प्रोहिबिशन, क्वो वारंटो और सर्टिओरारी नामक रिट जारी कर सकता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 19 स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित है। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है। अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता का अधिकार है।
प्रश्न 18: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद धन विधेयक (Money Bill) को परिभाषित करता है? (संसद और वित्त)
- अनुच्छेद 110
- अनुच्छेद 109
- अनुच्छेद 112
- अनुच्छेद 117
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 110 धन विधेयकों की परिभाषा देता है। इसके अनुसार, एक विधेयक को धन विधेयक माना जाएगा यदि उसमें केवल निम्नलिखित में से कोई भी या अधिक मामले शामिल हैं: (a) किसी कर का अधिरोपण, उत्पाद, उन्मूलन, विनियमन या संशोधन; (b) भारत की समेकित निधि या भारत की लोक लेखा निधि में धन जमा करना या निकालना।
- संदर्भ और विस्तार: धन विधेयकों के लिए विशेष प्रक्रिया होती है, जैसे कि वे केवल लोकसभा में ही पेश किए जा सकते हैं, और राज्यसभा उन्हें अस्वीकार या संशोधित नहीं कर सकती, केवल सुझाव दे सकती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 109 धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रियाओं का वर्णन करता है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है। अनुच्छेद 117 विधेयकों के संबंध में विशेष प्रावधानों का उल्लेख करता है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी शक्ति केवल राष्ट्रपति के पास है, उपराष्ट्रपति के पास नहीं? (संघीय कार्यपालिका)
- संसद का आह्वान करना
- संसद के सदनों को संबोधित करना
- मृत्युदंड को माफ करना (Commutation of Death Penalty)
- दोनों सदनों को संदेश भेजना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: मृत्युदंड को माफ करने (या क्षमादान देने) की विशेष शक्ति केवल भारत के राष्ट्रपति के पास है, जैसा कि अनुच्छेद 72 में वर्णित है।
- संदर्भ और विस्तार: उपराष्ट्रपति, जबकि वे राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं, राष्ट्रपति के समान क्षमादान या दंडादेश को बदलने की शक्ति नहीं रखते। राष्ट्रपति संसद का आह्वान कर सकते हैं (अनुच्छेद 85), सदनों को संबोधित कर सकते हैं (अनुच्छेद 87), और किसी भी विधेयक पर संदेश भेज सकते हैं (अनुच्छेद 111)।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) दोनों राष्ट्रपति और अप्रत्यक्ष रूप से उपराष्ट्रपति (राज्यसभा के सभापति के रूप में) कर सकते हैं, लेकिन (c) एक विशिष्ट राष्ट्रपति की शक्ति है।
प्रश्न 20: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘स्वतंत्रता’ (Liberty) का उल्लेख किन-किन क्षेत्रों में किया गया है? (प्रस्तावना)
- विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना
- विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास और धर्म
- विचार, अभिव्यक्ति, धर्म और उपासना
- विचार, विश्वास, धर्म, उपासना और आर्थिक स्वतंत्रता
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: प्रस्तावना में ‘विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना’ की स्वतंत्रता का उल्लेख है।
- संदर्भ और विस्तार: ये स्वतंत्रताएं भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों, विशेष रूप से अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) में परिलक्षित होती हैं।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना में ‘आर्थिक स्वतंत्रता’ का सीधा उल्लेख नहीं है, हालांकि आर्थिक न्याय के माध्यम से इसे अप्रत्यक्ष रूप से संबोधित किया गया है। ‘विश्वास’ और ‘उपासना’ स्वतंत्रता के आवश्यक तत्व हैं।
प्रश्न 21: किस अनुच्छेद के तहत भारत के राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को या किसी भी सदन को ऐसे विधेयक पर विचार करने के लिए, जो सदनों में से किसी एक के समक्ष लंबित है, संदेश भेज सकते हैं? (राष्ट्रपति और संसद)
- अनुच्छेद 111
- अनुच्छेद 108
- अनुच्छेद 86
- अनुच्छेद 110
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 86 राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों या किसी सदन को ऐसे विधेयक पर विचार करने के लिए संदेश भेजने का अधिकार देता है, जो सदनों में से किसी एक के समक्ष लंबित हो।
- संदर्भ और विस्तार: यह राष्ट्रपति की विधायी प्रक्रिया में संवाद स्थापित करने की शक्ति का एक रूप है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 111 विधेयकों पर राष्ट्रपति की सहमति से संबंधित है। अनुच्छेद 108 संयुक्त बैठक बुलाने से संबंधित है। अनुच्छेद 110 धन विधेयकों की परिभाषा से संबंधित है।
प्रश्न 22: यदि लोकसभा और राज्यसभा के बीच किसी सामान्य विधेयक पर मतभेद हो जाए, तो क्या स्थिति उत्पन्न हो सकती है? (संसद और विधायी प्रक्रिया)
- विधेयक स्वतः समाप्त हो जाता है।
- राष्ट्रपति संयुक्त बैठक बुला सकते हैं।
- विधेयक पर विचार के लिए राज्यपाल की सलाह ली जाती है।
- विधेयक को तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया जाता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 108 के अनुसार, यदि किसी विधेयक पर, सिवाय धन विधेयक के, दोनों सदनों में से किसी एक के पास होने के बाद, दूसरे सदन द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है, या सदनों के बीच विधेयक में किए जाने वाले संशोधनों के बारे में असहमति है, या विधेयक को पारित करने के लिए छह महीने से अधिक समय बीत चुका है, तो राष्ट्रपति संयुक्त बैठक बुला सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संयुक्त बैठक का उद्देश्य किसी गतिरोध को दूर करना है। यदि विधेयक संयुक्त बैठक में बहुमत से पारित हो जाता है, तो वह दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है।
- गलत विकल्प: विधेयक स्वतः समाप्त नहीं होता। राज्यपाल का संदर्भ केवल राज्य विधानमंडलों से संबंधित है। विधेयक को तुरंत लागू नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ (Right to Constitutional Remedies) के अंतर्गत आता है? (मौलिक अधिकार)
- अनुच्छेद 29
- अनुच्छेद 30
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 31A
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ प्रदान करता है, जो मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च न्यायालय को रिट जारी करने की शक्ति देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अधिकार स्वयं में एक मौलिक अधिकार है और इसे डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा था।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यकों के हितों के संरक्षण से संबंधित है। अनुच्छेद 30 शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन में अल्पसंख्यकों का अधिकार है। अनुच्छेद 31A संपत्ति के कुछ अधिनियमों के बारे में प्रावधान करता है (अब हटा दिया गया है)।
प्रश्न 24: राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 ने भारतीय संघ में कितने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का गठन किया? (राज्यों का पुनर्गठन)
- 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश
- 17 राज्य और 5 केंद्र शासित प्रदेश
- 15 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश
- 16 राज्य और 4 केंद्र शासित प्रदेश
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 ने भारत को 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित किया।
- संदर्भ और विस्तार: यह अधिनियम फजल अली आयोग की सिफारिशों पर आधारित था, जिसका उद्देश्य भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करना था।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की गलत संख्या दर्शाते हैं।
प्रश्न 25: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council – NDC) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है? (गैर-संवैधानिक/सांविधिक निकाय)
- यह एक संवैधानिक निकाय है।
- इसका गठन राष्ट्रपति के आदेश से हुआ है।
- यह भारत के पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम मंजूरी देती है।
- इसका मुख्य कार्य राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) एक कार्यकारी निकाय है, जिसका गठन 6 अगस्त 1952 को भारत सरकार के प्रस्ताव द्वारा हुआ था। इसका मुख्य कार्य पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम मंजूरी देना है।
- संदर्भ और विस्तार: NDC भारत की पंचवर्षीय योजनाओं के लिए एक सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। इसमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और संघ शासित प्रदेशों के प्रशासक/प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: NDC एक संवैधानिक निकाय नहीं है (a गलत है)। इसका गठन राष्ट्रपति के आदेश से नहीं, बल्कि सरकारी प्रस्ताव से हुआ है (b गलत है)। इसका कार्य राष्ट्रीय विकास से संबंधित है, न कि सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा से (d गलत है)।