भारतीय राजव्यवस्था का महा-मंथन: 25 प्रश्न, 25 खुलासे!
नमस्कार, भावी प्रशासकों! भारतीय लोकतंत्र की नींव को समझना हर प्रतिस्पर्धी परीक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा है। आज हम भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के महत्वपूर्ण पहलुओं पर आपकी पकड़ को परखने के लिए 25 विशेष प्रश्न लेकर आए हैं। अपनी वैचारिक स्पष्टता को निखारें और आज के इस गहन अभ्यास सत्र में विजयी बनें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सी रिट, किसी व्यक्ति को गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखने के विरुद्ध जारी की जाती है?
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
- निषेध (Prohibition)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus) वह रिट है जिसका अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। यह किसी भी व्यक्ति को, जिसे गैरकानूनी रूप से हिरासत में लिया गया है, अदालत के सामने पेश करने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय यह रिट अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालय अनुच्छेद 226 के तहत जारी कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से गिरफ्तार या कैद न किया जाए। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है।
- गलत विकल्प: ‘परमादेश’ किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसका कर्तव्य करने का आदेश देता है, ‘उत्प्रेषण’ किसी निचली अदालत के आदेश को रद्द करने के लिए जारी की जाती है, और ‘अधिकार पृच्छा’ किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक पद के अवैध दावे को रोकने के लिए होती है।
प्रश्न 2: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया था?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ – ये तीन शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारत के संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए थे।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन को ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है क्योंकि इसने प्रस्तावना और संविधान के कई अन्य महत्वपूर्ण हिस्सों में बदलाव किए। ‘समाजवादी’ शब्द भारतीय राज्य की कल्याणकारी प्रकृति को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन संपत्ति के अधिकार से संबंधित था, 52वां संशोधन दलबदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित था, और 73वां संशोधन पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित था।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के अंतर्गत नहीं आता है?
- मृत्युदंड का पूर्ण क्षमा (Pardoning a death sentence)
- मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलना (Commuting a death sentence to life imprisonment)
- दोषसिद्धि के दंड को कम करना (Reducing the punishment for an offence)
- सैनिक न्यायालय के आदेश का निलंबन (Suspending the sentence of a military court)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति अनुच्छेद 72 में निहित है। इसके तहत वे मृत्युदंड को क्षमा कर सकते हैं, उसे आजीवन कारावास में बदल सकते हैं, दंड को कम कर सकते हैं, या स्थगित कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: हालाँकि, राष्ट्रपति की यह शक्ति सैन्य न्यायालयों के ऐसे मामलों पर लागू नहीं होती जो केवल सैन्य कानूनों के तहत आते हों, जब तक कि वह मामला किसी अन्य सामान्य विधि के तहत भी दंडनीय न हो। यदि मामला सामान्य विधि के तहत भी आता है, तो राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति लागू हो सकती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा कर सकते हैं, उसे आजीवन कारावास में बदल सकते हैं, और किसी भी अपराध के दंड को कम कर सकते हैं। सैनिक न्यायालय के आदेशों का निलंबन तभी संभव है जब वह मामला सामान्य विधि के दायरे में भी आता हो।
प्रश्न 4: लोकसभा में किसी विधेयक को ‘धन विधेयक’ घोषित करने का अंतिम निर्णय किसका होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- लोकसभा अध्यक्ष
- प्रधानमंत्री
- राज्यसभा अध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा अध्यक्ष यह तय करने वाला अंतिम प्राधिकारी होता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं। यह उपबंध संविधान के अनुच्छेद 110(3) में स्पष्ट रूप से कहा गया है।
- संदर्भ और विस्तार: लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है और इसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। धन विधेयक के मामले में, राज्यसभा के पास सीमित शक्तियां होती हैं, और यह लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति की भूमिका विधेयक पर हस्ताक्षर करने या न करने की होती है, न कि यह घोषित करने की कि वह धन विधेयक है। प्रधानमंत्री या राज्यसभा अध्यक्ष का इसमें कोई अंतिम अधिकार नहीं होता।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी व्यक्ति को सार्वजनिक पद धारण करने के लिए अयोग्य ठहराने हेतु जारी की जाती है?
- परमादेश (Mandamus)
- प्रतिषेध (Prohibition)
- अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘अधिकार पृच्छा’ (Quo Warranto) वह रिट है जिसका अर्थ है ‘किस अधिकार से’। यह किसी व्यक्ति को उस सार्वजनिक कार्यालय को धारण करने से रोकने के लिए जारी की जाती है, जिसके लिए वह संवैधानिक या कानूनी रूप से योग्य नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट विशेष रूप से उन मामलों में उपयोगी है जहाँ किसी व्यक्ति ने अवैध रूप से कोई सरकारी पद प्राप्त कर लिया है। सर्वोच्च न्यायालय अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालय अनुच्छेद 226 के तहत इसे जारी कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: ‘परमादेश’ कर्तव्य पालन के लिए, ‘प्रतिषेध’ निचली अदालत को कार्यवाही रोकने के लिए, और ‘उत्प्रेषण’ किसी आदेश को रद्द करने के लिए जारी की जाती है।
प्रश्न 6: भारत के संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन केंद्रीय सूची (Union List) का विषय है?
- कृषि
- पुलिस
- रक्षा
- जन स्वास्थ्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान की सातवीं अनुसूची संघ सूची (Union List), राज्य सूची (State List), और समवर्ती सूची (Concurrent List) में शक्तियों के वितरण का प्रावधान करती है। ‘रक्षा’ संघ सूची का विषय है।
- संदर्भ और विस्तार: संघ सूची के विषयों पर कानून बनाने का अनन्य अधिकार संसद के पास होता है। रक्षा के अलावा, संघ सूची में विदेशी मामले, रेलवे, बैंकिंग, मुद्रा, युद्ध और शांति जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं।
- गलत विकल्प: ‘कृषि’ राज्य सूची का विषय है, ‘पुलिस’ राज्य सूची का विषय है, और ‘जन स्वास्थ्य’ समवर्ती सूची का विषय है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (Article 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (Article 21)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (Article 15)
- अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण (Article 29)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक अधिकार कुछ भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त हैं, जबकि कुछ अधिकार सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) को प्राप्त हैं। अनुच्छेद 29, जो अल्पसंख्यकों के हितों के संरक्षण से संबंधित है, केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: इसी तरह, अनुच्छेद 15 (धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध) और अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता) भी केवल नागरिकों के लिए हैं। अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि) भी केवल नागरिकों के लिए है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) भारतीय संविधान के तहत सभी व्यक्तियों, चाहे वे नागरिक हों या विदेशी, को प्राप्त हैं।
प्रश्न 8: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?
- CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, होता है।
- CAG को केवल महाभियोग प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है।
- CAG भारत की संचित निधि से वेतन प्राप्त करता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो। CAG को महाभियोग जैसी प्रक्रिया द्वारा हटाया जाता है, न कि प्रत्यक्ष महाभियोग द्वारा, जैसा कि राष्ट्रपति के मामले में होता है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG को उसी आधार पर हटाया जाता है जिस आधार पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है (दुराचार या अक्षमता)। CAG का वेतन भारत की संचित निधि पर भारित होता है (अनुच्छेद 148(3)), जो इसे संसद के वोट के अधीन नहीं बनाता।
- गलत विकल्प: CAG को हटाया जाने की प्रक्रिया महाभियोग जैसी है, लेकिन यह राष्ट्रपति के महाभियोग से भिन्न है। CAG को संसद के दोनों सदनों के एक प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है, जो सिद्ध दुराचार या असमर्थता के आधार पर हो।
प्रश्न 9: भारतीय संविधान का कौन सा भाग पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है?
- भाग IX
- भाग VII
- भाग VIII
- भाग X
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX, जिसे 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था, पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) से संबंधित है। इसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस भाग में पंचायती राज की संरचना, शक्तियों, प्राधिकरणों और उत्तरदायित्वों का प्रावधान है, जिससे स्थानीय स्वशासन को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ।
- गलत विकल्प: भाग VII को सातवें संशोधन द्वारा निरस्त कर दिया गया था। भाग VIII केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित है, और भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित है।
प्रश्न 10: किस अनुच्छेद के तहत संसद को किसी राज्य के क्षेत्र, सीमा या नाम बदलने का अधिकार है?
- अनुच्छेद 1
- अनुच्छेद 2
- अनुच्छेद 3
- अनुच्छेद 4
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 3 संसद को किसी भी राज्य में से उसका भू-भाग अलग करके या दो या अधिक राज्यों को मिलाकर या राज्यों के भागों को मिलाकर नए राज्यों का निर्माण करने की शक्ति प्रदान करता है। यह राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन करने या राज्यों के नाम बदलने की भी शक्ति देता है।
- संदर्भ और विस्तार: ऐसे किसी भी विधेयक को संसद में राष्ट्रपति की पूर्व सिफारिश पर ही प्रस्तुत किया जा सकता है, और ऐसे विधेयक को संबंधित राज्य विधानमंडल के पास विचार के लिए भेजा जाता है। हालांकि, संसद राज्य विधानमंडल के विचारों को मानने के लिए बाध्य नहीं है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 1 भारत को ‘राज्यों का एक संघ’ घोषित करता है। अनुच्छेद 2 नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना से संबंधित है। अनुच्छेद 4 यह स्पष्ट करता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत किए गए संशोधन 368 के तहत संविधान संशोधन नहीं माने जाएंगे।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा एक संवैधानिक निकाय नहीं है?
- भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India)
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes)
- भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India)
- चुनाव आयोग (Election Commission of India)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है, जिसकी स्थापना RBI अधिनियम, 1934 के तहत की गई थी। यह संविधान द्वारा सीधे स्थापित निकाय नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत का महान्यायवादी (अनुच्छेद 76), राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338), और चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके प्रावधान सीधे संविधान में किए गए हैं।
- गलत विकल्प: भारत का महान्यायवादी (अनुच्छेद 76), राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338), और चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324) सभी सीधे संविधान में उल्लिखित हैं, इसलिए वे संवैधानिक निकाय हैं।
प्रश्न 12: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची भाषाओं से संबंधित है?
- पांचवीं अनुसूची
- छठी अनुसूची
- सातवीं अनुसूची
- आठवीं अनुसूची
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची भारत की आधिकारिक भाषाओं से संबंधित है। इसमें वर्तमान में 22 भाषाएँ शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मूल रूप से, आठवीं अनुसूची में 14 भाषाएँ थीं। सिंधी (21वां संशोधन), कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली (71वां संशोधन), और बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली (92वां संशोधन) को बाद में जोड़ा गया।
- गलत विकल्प: पांचवीं अनुसूची अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित है। छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। सातवीं अनुसूची संघ, राज्यों और समवर्ती सूचियों में शक्तियों के वितरण से संबंधित है।
प्रश्न 13: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों के पद रिक्त होने पर, भारत का कार्यवाहक राष्ट्रपति कौन होगा?
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के महान्यायवादी
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
- लोकसभा के अध्यक्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: यदि राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है (मृत्यु, त्यागपत्र, या पदच्युति के कारण), तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं (अनुच्छेद 65)। यदि उपराष्ट्रपति का पद भी रिक्त हो जाता है, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था अनुच्छेद 65 में निहित है, जिसमें कहा गया है कि यदि राष्ट्रपति का पद किसी भी कारण से रिक्त है, तो उपराष्ट्रपति उस पद के कर्तव्यों का निर्वहन करेगा। यदि उपराष्ट्रपति भी अनुपलब्ध है, तो मुख्य न्यायाधीश या उच्चतम न्यायालय का कोई अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश उस पद के कर्तव्यों का निर्वहन करेगा।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, महान्यायवादी या लोकसभा अध्यक्ष इस स्थिति में स्वचालित रूप से कार्यवाहक राष्ट्रपति नहीं बनते।
प्रश्न 14: राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर आपातकाल की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 356 के तहत, यदि किसी राज्य का राज्यपाल यह रिपोर्ट करता है कि राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है, या यदि राष्ट्रपति इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि राज्य का शासन संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, तो वह राज्य में आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस आपातकाल को ‘राष्ट्रपति शासन’ भी कहा जाता है। अनुच्छेद 365 भी इससे संबंधित है, जो कहता है कि यदि कोई राज्य अनुच्छेद 353 के तहत केंद्र द्वारा दिए गए किसी भी निर्देश का अनुपालन करने में विफल रहता है, तो राष्ट्रपति यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि राज्य का शासन संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा रहा है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल (युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है।
प्रश्न 15: संपत्ति के अधिकार को भारतीय संविधान के तहत निम्नलिखित में से किस श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है?
- मौलिक अधिकार (Fundamental Right)
- कानूनी अधिकार (Legal Right)
- मानवाधिकार (Human Right)
- नैतिक अधिकार (Moral Right)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मूल रूप से, संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31) एक मौलिक अधिकार था। हालांकि, 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा, इसे मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया और अनुच्छेद 300-A के तहत एक ‘कानूनी अधिकार’ (या संवैधानिक अधिकार) के रूप में वर्गीकृत किया गया।
- संदर्भ और विस्तार: अब, सरकार किसी व्यक्ति की संपत्ति कानूनन स्थापित प्रक्रिया के अलावा किसी अन्य प्रक्रिया से नहीं छीन सकती। इस अधिकार को चुनौती देने के लिए अब सीधे सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) नहीं जाया जा सकता, बल्कि उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) या सामान्य कानूनी प्रक्रिया के तहत जाया जा सकता है।
- गलत विकल्प: यह अब मौलिक अधिकार नहीं है, हालांकि इसे मानवाधिकार या नैतिक अधिकार माना जा सकता है, लेकिन संविधान के तहत इसका विशिष्ट वर्गीकरण ‘कानूनी अधिकार’ है।
प्रश्न 16: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का क्या अर्थ है?
- केवल राजनीतिक न्याय
- केवल सामाजिक और आर्थिक न्याय
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
- नैतिक और आध्यात्मिक न्याय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना तीन प्रकार के न्याय का आश्वासन देती है: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक। यह भारत के लोगों को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के उद्देश्य को प्राप्त करने का साधन है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘सामाजिक न्याय’ का अर्थ है कि सभी नागरिकों के साथ जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। ‘आर्थिक न्याय’ का अर्थ है कि धन या आय का समान वितरण होगा। ‘राजनीतिक न्याय’ का अर्थ है कि सभी नागरिकों को राजनीतिक मामलों में समान अवसर मिलेंगे।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना में तीनों प्रकार के न्याय का उल्लेख है, न कि केवल दो या चार प्रकार के। नैतिक और आध्यात्मिक न्याय का प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है, हालांकि वे सामाजिक न्याय के व्यापक अर्थ में निहित हो सकते हैं।
प्रश्न 17: भारतीय संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- लोकसभा अध्यक्ष
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 108 के तहत, राष्ट्रपति, साधारण विधेयकों के संबंध में, यदि कोई गतिरोध उत्पन्न होता है, तो दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकते हैं। इस संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष (Speaker) करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि किसी कारणवश लोकसभा अध्यक्ष अनुपस्थित रहता है, तो लोकसभा का उपाध्यक्ष और यदि वह भी अनुपस्थित हो, तो राज्यसभा का उपसभापति संयुक्त बैठक की अध्यक्षता कर सकता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति संयुक्त बैठक बुलाते हैं, लेकिन अध्यक्षता नहीं करते। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं, लेकिन संयुक्त बैठक की अध्यक्षता नहीं करते। मुख्य न्यायाधीश का इससे कोई संबंध नहीं है।
प्रश्न 18: किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?
- 70वां संशोधन अधिनियम, 1991
- 71वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संशोधन अधिनियम, 1992, जिसने संविधान में भाग IX जोड़ा, पंचायती राज संस्थाओं को एक संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसी प्रकार, 74वां संशोधन अधिनियम, 1992 ने शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- संदर्भ और विस्तार: 73वें संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं के लिए ग्राम सभा, मध्यवर्ती स्तर और जिला स्तर पर त्रि-स्तरीय संरचना का प्रावधान किया। इसने सीटों के आरक्षण और कार्यकाल की भी गारंटी दी।
- गलत विकल्प: 70वां संशोधन दिल्ली से संबंधित है, 71वां संशोधन आठवीं अनुसूची में भाषाएँ जोड़ने से संबंधित है, और 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक सलाहकार’ के रूप में कार्य करती है?
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council)
- केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet)
- विधि मंत्रालय (Ministry of Law)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत सरकार के लिए, विधि मंत्रालय (Ministry of Law and Justice) प्राथमिक रूप से कानूनी मामलों पर एक संवैधानिक सलाहकार के रूप में कार्य करता है। यह नए कानूनों का मसौदा तैयार करने और मौजूदा कानूनों की व्याख्या में सरकार की सहायता करता है।
- संदर्भ और विस्तार: संविधान के अनुच्छेद 77 के तहत, भारत सरकार का सारा सरकारी कामकाज विधि मंत्रालय के माध्यम से सुगम बनाया जाता है। इसके अलावा, अटॉर्नी जनरल (अनुच्छेद 76) भी सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं, लेकिन मंत्रालय नीतिगत स्तर पर सलाह देता है।
- गलत विकल्प: नीति आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद और केंद्रीय मंत्रिमंडल सरकार के महत्वपूर्ण अंग हैं, लेकिन वे सीधे तौर पर ‘संवैधानिक सलाहकार’ के रूप में कार्य नहीं करते।
प्रश्न 20: किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन होने पर, व्यक्ति सीधे किस न्यायालय में जा सकता है?
- केवल सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)
- केवल उच्च न्यायालय (High Court)
- सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों
- किसी भी जिला न्यायालय (District Court)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए, व्यक्ति सीधे सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32 के तहत) या उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226 के तहत) में जा सकता है। अनुच्छेद 32 को ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा गया है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को रिट जारी करने की शक्ति है, और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को भी ऐसी ही शक्ति प्राप्त है। ये दोनों अनुच्छेद नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल उपचार प्रदान करते हैं।
- गलत विकल्प: यद्यपि जिला न्यायालयों में भी कानूनी उपचार उपलब्ध हो सकते हैं, मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के मामले में सीधे उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय जाना अधिक प्रभावी और त्वरित होता है।
प्रश्न 21: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष बनने के लिए निम्नलिखित में से कौन सी योग्यता आवश्यक है?
- भारत का कोई भी नागरिक
- केवल एक सेवानिवृत्त उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश
- केवल एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश
- सेवानिवृत्त भारत का मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अनुसार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का अध्यक्ष सेवानिवृत्त भारत का मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) होता है।
- संदर्भ और विस्तार: आयोग के अन्य सदस्यों में सेवानिवृत्त उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और मानवाधिकार के क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले व्यक्ति शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: केवल सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश ही अध्यक्ष बन सकते हैं। अन्य सेवानिवृत्त न्यायाधीश या नागरिक अध्यक्ष बनने की योग्यता नहीं रखते।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी शक्ति केवल संसद के पास है, राज्य विधानमंडल के पास नहीं?
- जनता पर कर लगाना
- राज्य के बजट को पारित करना
- अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में संशोधन करना
- अंतर-राज्यीय व्यापार और वाणिज्य को विनियमित करना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में संशोधन करने की शक्ति, अनुच्छेद 368 के तहत, केवल संसद के पास है। राज्यों को संविधान में संशोधन करने का कोई अधिकार नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि, कुछ संशोधनों के लिए संसद के साथ-साथ राज्यों के विधानमंडलों का अनुसमर्थन (ratification) भी आवश्यक होता है, जो भारत की संघीय प्रकृति को दर्शाता है। लेकिन संशोधन की पहल और अंतिम अनुमोदन संसद का ही होता है।
- गलत विकल्प: संसद और राज्य विधानमंडल दोनों अपने-अपने अधिकार क्षेत्रों में कर लगा सकते हैं (उदाहरण के लिए, संसद संघ सूची पर, राज्य सूची पर)। राज्य अपने बजट पारित करते हैं, और अंतर-राज्यीय व्यापार और वाणिज्य को विनियमित करने में भी राज्यों की भूमिका हो सकती है (यद्यपि मुख्य नियंत्रण संघ सूची में है)।
प्रश्न 23: अनुच्छेद 21A (शिक्षा का अधिकार) को किस संवैधानिक संशोधन द्वारा मौलिक अधिकार बनाया गया?
- 86वां संशोधन अधिनियम, 2002
- 91वां संशोधन अधिनियम, 2003
- 97वां संशोधन अधिनियम, 2011
- 101वां संशोधन अधिनियम, 2016
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 ने भारतीय संविधान में एक नया अनुच्छेद 21A जोड़ा, जिसने 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने अनुच्छेद 45 के तहत राज्य के नीति निदेशक तत्वों में भी बदलाव किया और अनुच्छेद 51A (क) में एक नया मौलिक कर्तव्य (11वां) भी जोड़ा, जिसमें माता-पिता का यह कर्तव्य बताया गया कि वे अपने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।
- गलत विकल्प: अन्य संशोधन क्रमशः मंत्री परिषद के आकार, सहकारी समितियों, और वस्तु एवं सेवा कर (GST) से संबंधित हैं।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संविधान की प्रस्तावना’ के बारे में असत्य है?
- यह संविधान का एक भाग है।
- यह न्यायिक रूप से प्रवर्तनीय है।
- यह संविधान का स्रोत बताता है।
- यह संविधान के उद्देश्यों को बताता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: केशवानंद भारती मामले (1973) में, सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है। हालांकि, प्रस्तावना की प्रकृति गैर-न्यायिक है, जिसका अर्थ है कि इसके उपबंधों को सीधे अदालतों द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान का उद्देश्य, दर्शन और उसके मूल तत्वों को बताती है। यह बताती है कि संविधान की अंतिम शक्ति भारतीय जनता में निहित है। यह संविधान का हिस्सा होने के कारण, संसद द्वारा इसमें संशोधन किया जा सकता है, जब तक कि संशोधन ‘मूल ढांचे’ को नष्ट न करे (जैसा कि 42वें संशोधन में किया गया)।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना को ‘बेरूबारी संघ मामले’ (1960) में संविधान का भाग नहीं माना गया था, लेकिन केशवानंद भारती मामले (1973) में यह स्थापित हो गया कि यह ‘अभिन्न अंग’ है। यह न्यायिक रूप से प्रवर्तनीय नहीं है। यह संविधान का स्रोत (जनता) और उद्देश्य (न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व) बताती है।
प्रश्न 25: किस अनुच्छेद के तहत भारत में ‘संसदीय प्रणाली’ की व्यवस्था है?
- अनुच्छेद 74
- अनुच्छेद 75
- अनुच्छेद 79
- अनुच्छेद 77
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 74 यह प्रावधान करता है कि राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद होगी, जिसका मुखिया प्रधानमंत्री होगा। यह अनुच्छेद अप्रत्यक्ष रूप से भारत में संसदीय प्रणाली की व्यवस्था का आधार बनता है, जहाँ कार्यपालिका (सरकार) विधायिका (संसद) के प्रति उत्तरदायी होती है।
- संदर्भ और विस्तार: संसदीय प्रणाली में, राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख (Head of State) होता है, जबकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख (Head of Government) होता है और वास्तविक कार्यकारी शक्तियां उसी के पास होती हैं। मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 75 मंत्रिपरिषद की नियुक्ति, शपथ, पारिश्रमिक आदि से संबंधित है, लेकिन अनुच्छेद 74 ही मंत्रिपरिषद के गठन और राष्ट्रपति को सलाह देने की बात कहकर संसदीय व्यवस्था की नींव रखता है। अनुच्छेद 79 संसद के गठन और अनुच्छेद 77 भारत सरकार के कामकाज के संचालन से संबंधित हैं।