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भारतीय राजव्यवस्था का महासंग्राम: आज ही अपनी तैयारी परखें!

भारतीय राजव्यवस्था का महासंग्राम: आज ही अपनी तैयारी परखें!

लोकतंत्र के ताने-बाने और संविधान की गहराई को समझना हर प्रतियोगी परीक्षा के लिए अनिवार्य है। क्या आप अपने संवैधानिक ज्ञान को लेकर आश्वस्त हैं? आइए, आज की इस विशेष प्रश्नोत्तरी के माध्यम से अपनी अवधारणाओं को परखें और अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें। प्रस्तुत हैं भारतीय राजव्यवस्था पर 25 चुनिंदा प्रश्न, जो आपकी राह को और भी सुगम बनाएँगे!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी लोक प्राधिकारी को उसका विधितः कर्तव्य निभाने के लिए जारी की जाती है?

  1. हस्तक्षेप (Certiorari)
  2. अधिकार-पृच्छा (Quo Warranto)
  3. परमादेश (Mandamus)
  4. निषेध (Prohibition)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘परमादेश’ (Mandamus), जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’, एक उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, अधिकरण या लोक प्राधिकारी को उसका सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य निभाने के लिए जारी की जाती है। यह शक्ति संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को प्राप्त है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह किसी निजी व्यक्ति या निकाय के विरुद्ध जारी नहीं की जा सकती है। यह उन स्थितियों में जारी की जाती है जब लोक प्राधिकारी अपना विधिक कर्तव्य करने से इनकार कर देता है।
  • गलत विकल्प: ‘हस्तक्षेप’ (Certiorari) किसी निम्न न्यायालय के आदेश को रद्द करने के लिए, ‘अधिकार-पृच्छा’ (Quo Warranto) किसी व्यक्ति द्वारा अवैध रूप से धारित पद को चुनौती देने के लिए, और ‘निषेध’ (Prohibition) किसी निम्न न्यायालय को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी की जाती है।

प्रश्न 2: भारत के संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन के सदस्य की निरर्हता (disqualification) से संबंधित प्रश्नों पर निर्णय के लिए उपबंध करता है?

  1. अनुच्छेद 103
  2. अनुच्छेद 102
  3. अनुच्छेद 101
  4. अनुच्छेद 105

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 103 के अनुसार, संसद के किसी सदन के सदस्य की निरर्हता से संबंधित प्रश्नों पर निर्णय भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। यद्यपि, अनुच्छेद 102 में निरर्हता के आधार बताए गए हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रपति ऐसे किसी प्रश्न पर निर्णय करने से पहले निर्वाचन आयोग की राय लेगा और उस राय के अनुसार कार्य करेगा। दल-बदल (defection) के आधार पर निरर्हता का निर्णय दसवीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष/सभापति द्वारा किया जाता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 102 निरर्हता के आधारों का उल्लेख करता है (जैसे लाभ का पद, विकृतचित्त होना आदि)। अनुच्छेद 101 सदस्यता की अवधि-समाप्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 105 संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों से संबंधित है।

प्रश्न 3: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?

  1. राष्ट्रपति मृत्युदंड को पूर्णतः क्षमा कर सकते हैं।
  2. राष्ट्रपति लघुकरण (commutation) के द्वारा मृत्युदंड को कठोर कारावास में बदल सकते हैं।
  3. राष्ट्रपति दंड की अवधि को कम कर सकते हैं, लेकिन उसे उसी प्रकार के दंड से प्रतिस्थापित नहीं कर सकते।
  4. राष्ट्रपति ऐसे मामले में क्षमादान दे सकते हैं जहाँ सज़ा किसी ऐसे अपराध के लिए दी गई हो जो संघ की विधियों के विरुद्ध हो।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति अनुच्छेद 72 के अंतर्गत आती है। इस अनुच्छेद के खंड 1(क) के अनुसार, राष्ट्रपति मृत्युदंड को लघुकरण, प्रविलंबन या क्षमा कर सकते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रपति दंड की प्रकृति को बदले बिना उसकी अवधि को कम कर सकते हैं (Remission), या पूरी तरह से माफ कर सकते हैं (Pardon)। वे दंड को उसी प्रकार के, परन्तु कम गंभीर दंड से प्रतिस्थापित भी कर सकते हैं (Commutation)। इसलिए, यह कहना कि वे अवधि कम कर सकते हैं, लेकिन उसी प्रकार के दंड से प्रतिस्थापित नहीं कर सकते, गलत है।
  • गलत विकल्प: कथन (a), (b), और (d) अनुच्छेद 72 के प्रावधानों के अनुरूप हैं। राष्ट्रपति मृत्युदंड को पूर्णतः क्षमा कर सकते हैं (Pardon), मृत्युदंड को कठोर कारावास में बदल सकते हैं (Commutation), और संघ की विधियों के विरुद्ध अपराधों में भी क्षमादान दे सकते हैं।

प्रश्न 4: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह एक संवैधानिक निकाय है।
2. इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
3. यह आयोग वार्षिक रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जो इसे संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाते हैं।
4. आयोग का कार्यकाल निश्चित नहीं होता, इसके सदस्य 65 वर्ष की आयु तक पद धारण कर सकते हैं।
उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?

  1. 1, 2 और 3
  2. 2, 3 और 4
  3. 1, 2 और 4
  4. 1, 3 और 4

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) का गठन संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत एक संवैधानिक निकाय के रूप में किया गया है। इसके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (कथन 1 और 2 सत्य हैं)। आयोग अपनी वार्षिक रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जो उसे संसद के दोनों सदनों में रखवाते हैं (कथन 3 सत्य है)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष होता है, न कि 65 वर्ष की आयु तक। उन्हें पुनर्नियुक्त भी किया जा सकता है। इसलिए, कथन 4 असत्य है।
  • गलत विकल्प: कथन 4 गलत है क्योंकि आयोग के सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष होता है, न कि 65 वर्ष की आयु तक।

प्रश्न 5: संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किन तक है?

  1. उन विषयों तक जिनके संबंध में संसद को विधि बनाने की शक्ति है।
  2. उन विषयों तक जिनके संबंध में विधानमंडल को विधि बनाने की शक्ति है।
  3. उन विषयों तक जिनके संबंध में संसद और विधानमंडल दोनों को विधि बनाने की शक्ति है।
  4. केवल उन विषयों तक जिनके संबंध में राष्ट्रपति द्वारा प्रत्यक्ष रूप से शासन किया जाता है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 73 के अनुसार, संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उन विषयों तक होगा जिनके संबंध में संघ को विधि बनाने की शक्ति है, परन्तु यह शक्ति राज्य के विधानमंडल की विधायी शक्तियों पर प्रभाव डालने वाली नहीं होगी।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इसका अर्थ है कि संघ की कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग उन सभी विषयों पर किया जा सकता है जिन पर संसद कानून बना सकती है, जिसमें अवशिष्ट विषय (residuary matters) भी शामिल हैं। यह राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियों के दायरे को परिभाषित करता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) और (c) गलत हैं क्योंकि संघ की कार्यपालिका शक्ति केवल संघ सूची के विषयों और अवशिष्ट विषयों तक सीमित है, राज्य सूची के विषयों तक नहीं (जब तक कि विशेष परिस्थितियाँ न हों)। विकल्प (d) भी गलत है क्योंकि राष्ट्रपति का प्रत्यक्ष शासन केवल आपातकाल की स्थितियों या विशेष परिस्थितियों में होता है, जबकि संघ की कार्यपालिका शक्ति का दायरा उससे कहीं अधिक व्यापक है।

प्रश्न 6: भारतीय संविधान में ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) का सिद्धांत किस देश के संविधान से प्रेरित है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. यूनाइटेड किंगडम
  3. कनाडा
  4. ऑस्ट्रेलिया

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में न्यायिक पुनर्विलोकन का सिद्धांत, जिसके तहत न्यायालय संविधान की सर्वोच्चता बनाए रखने के लिए विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों और कार्यपालिका द्वारा किए गए कार्यों की संवैधानिकता की जाँच कर सकते हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: हालांकि भारतीय संविधान में ‘Judicial Review’ शब्द का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन अनुच्छेद 13 (विधियों की शून्यता), अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालयों की रिट जारी करने की शक्ति) के तहत सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों को न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति प्राप्त है। मारबरी बनाम मैडिसन (Marbury v. Madison) अमेरिकी मामला न्यायिक पुनर्विलोकन का आधार है।
  • गलत विकल्प: यूनाइटेड किंगडम में संसदीय सर्वोच्चता है, जहाँ संसद के कानून अंतिम होते हैं। कनाडा में ‘अर्ध-संघीय’ (quasi-federal) व्यवस्था है और न्यायिक पुनर्विलोकन का अधिकार है, लेकिन भारतीय मॉडल अमेरिकी मॉडल से अधिक प्रभावित है। ऑस्ट्रेलिया से ‘संसदीय विशेषाधिकार’, ‘समवर्ती सूची’ और ‘संसदों का संयुक्त अधिवेशन’ जैसे प्रावधान लिए गए हैं।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी जोड़ी सही सुमेलित नहीं है?

  1. अनुच्छेद 14: विधि के समक्ष समानता
  2. अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता का अंत
  3. अनुच्छेद 21A: शिक्षा का अधिकार
  4. अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण की बात करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता के अंत का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यकों के हितों के संरक्षण से संबंधित है, जिसमें उनकी भाषा, लिपि और संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार शामिल है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 21A, जिसे 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा जोड़ा गया था, राज्य द्वारा 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है। इसलिए, अनुच्छेद 29 नहीं, बल्कि अनुच्छेद 21A शिक्षा के अधिकार से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संरक्षण से संबंधित है, न कि शिक्षा के अधिकार से। शिक्षा का अधिकार अनुच्छेद 21A में निहित है।

प्रश्न 8: भारतीय संविधान के किस भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का उल्लेख है?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग IV-A
  4. भाग V

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का उल्लेख है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये तत्व नागरिकों के प्रति राज्य के कर्तव्यों को रेखांकित करते हैं और देश के शासन में मूलभूत हैं, यद्यपि ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं। इनका उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
  • गलत विकल्प: भाग III में मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12-35), भाग IV-A में मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51A), और भाग V में संघ (Union) का उल्लेख है।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल के दौरान मृत्यु को प्राप्त हुए?

  1. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
  2. श्री वी.वी. गिरी
  3. श्री आर. वेंकटरमण
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं संदर्भ: भारत के अब तक के सभी उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान मृत्यु को प्राप्त नहीं हुए हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, श्री वी.वी. गिरी और श्री आर. वेंकटरमण सभी ने अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया या उससे पहले इस्तीफा दे दिया, लेकिन कार्यकाल के दौरान उनकी मृत्यु नहीं हुई।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे। श्री वी.वी. गिरी कार्यवाहक राष्ट्रपति और बाद में राष्ट्रपति भी रहे। श्री आर. वेंकटरमण भी भारत के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति रह चुके हैं।
  • गलत विकल्प: चूंकि उपरोक्त सभी व्यक्तियों की कार्यकाल के दौरान मृत्यु नहीं हुई, इसलिए ‘इनमें से कोई नहीं’ सही उत्तर है।

प्रश्न 10: राष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधी विवादों का निपटारा कौन करता है?

  1. भारत का सर्वोच्च न्यायालय
  2. भारत का निर्वाचन आयोग
  3. संसद का एक विशेष सदन
  4. संसद की एक संयुक्त समिति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 71 के अनुसार, राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव से उत्पन्न होने वाले या उससे संबंधित सभी संदेहों और विवादों की जाँच और निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाएगा।
  • संदर्भ एवं विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है। राष्ट्रपति के निर्वाचन की वैधता को केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही चुनौती दी जा सकती है।
  • गलत विकल्प: निर्वाचन आयोग चुनावों का संचालन करता है, लेकिन विवादों का निपटारा सर्वोच्च न्यायालय करता है। संसद या उसकी समितियाँ इस मामले में निर्णय लेने के लिए अधिकृत नहीं हैं।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी एक विशेषता भारतीय संघवाद की नहीं है?

  1. लिखित संविधान
  2. कठोर संविधान
  3. राज्य विधानमंडलों की स्वतंत्रता
  4. केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ हैं: लिखित संविधान, कठोर संविधान (कुछ हद तक, जैसे अनुच्छेद 368), केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन (सातवीं अनुसूची), और एक स्वतंत्र न्यायपालिका।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारतीय संघवाद की प्रकृति एकात्मकता की ओर झुकी हुई है (sindh-in-a-federal-structure-with-a-strong-central-bias)। राज्य विधानमंडलों को पूरी स्वतंत्रता नहीं है; केंद्र सरकार राज्य सूची के कुछ विषयों पर भी कानून बना सकती है (जैसे अनुच्छेद 249, 250)। इसके विपरीत, पूर्ण संघवाद में राज्यों की अधिक स्वायत्तता होती है।
  • गलत विकल्प: लिखित संविधान (a), कठोर संविधान (b) – यद्यपि कुछ संशोधन प्रक्रियाएं कठोर हैं, और शक्तियों का विभाजन (d) भारतीय संघवाद की विशेषताएँ हैं। राज्य विधानमंडलों की पूर्ण स्वतंत्रता (c) इसकी प्रमुख विशेषता नहीं है; बल्कि, केंद्र का राज्यों पर काफी प्रभाव होता है।

प्रश्न 12: अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कौन करता है?

  1. संबंधित राज्य का मुख्यमंत्री
  2. संबंधित राज्य का राज्यपाल
  3. राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
  4. राज्य का विधानमंडल

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए, संबंधित राज्य के राज्यपाल की यह रिपोर्ट आवश्यक है कि राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें वहाँ की सरकार संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाई जा सकती।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर या अन्यथा (यदि राष्ट्रपति को अन्यथा समाधान हो जाए), राष्ट्रपति उस राज्य में अनुच्छेद 356 लागू कर सकते हैं। राज्यपाल इस संबंध में राष्ट्रपति के एजेंट के रूप में कार्य करता है।
  • गलत विकल्प: मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या विधानमंडल सीधे तौर पर राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश नहीं करते। राज्यपाल इस प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभाता है।

प्रश्न 13: वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?

  1. यह अनुच्छेद 360 के तहत वर्णित है।
  2. इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा केवल एक माह के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए।
  3. इसके लागू होने पर, सभी वित्तीय विधेयकों को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित रखना आवश्यक होगा।
  4. इसकी घोषणा का प्रभाव संसद द्वारा विधि बनाकर बढ़ाया जा सकता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: वित्तीय आपातकाल का प्रावधान अनुच्छेद 360 में है (कथन a सत्य है)। इसके लागू होने पर, राष्ट्रपति राज्य सरकारों को वित्तीय औचित्यों के अनुपालन के लिए निर्देश दे सकते हैं, जिसमें सभी धन विधेयकों को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित रखना भी शामिल है (कथन c सत्य है)। राष्ट्रपति के आदेश द्वारा इसकी घोषणा के पश्चात्, यह दो माह के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होना चाहिए।
  • संदर्भ एवं विस्तार: कथन (b) गलत है क्योंकि अनुमोदन की अवधि एक माह नहीं, बल्कि दो माह है। वित्तीय आपातकाल की घोषणा को समय-समय पर संसद के दोनों सदनों द्वारा पुन: अनुमोदन प्राप्त होने पर अनिश्चित काल तक बढ़ाया जा सकता है, न कि केवल संसद द्वारा विधि बनाकर (कथन d सत्य है)।
  • गलत विकल्प: कथन (b) गलत है क्योंकि वित्तीय आपातकाल को दो महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए, न कि एक महीने के भीतर।

प्रश्न 14: पंचायती राज व्यवस्था को भारतीय संविधान की किस अनुसूची में शामिल किया गया है?

  1. सातवीं अनुसूची
  2. नौवीं अनुसूची
  3. दसवीं अनुसूची
  4. ग्यारहवीं अनुसूची

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं संशोधन संदर्भ: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा प्रदान किया गया, जिसके माध्यम से संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी गई।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ग्यारहवीं अनुसूची में पंचायती राज संस्थाओं के 29 विषयों को सूचीबद्ध किया गया है, जिन पर उन्हें अपने कार्य करने हेतु अधिकार प्राप्त है। यह पंचायती राज को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने का एक प्रयास था।
  • गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची संघ और राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन (सूची) से संबंधित है। नौवीं अनुसूची भूमि सुधार कानूनों और अन्य कुछ कानूनों को न्यायिक पुनर्विलोकन से संरक्षण प्रदान करती है। दसवीं अनुसूची दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित है।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन केंद्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC) का सदस्य नहीं हो सकता?

  1. जो भारत का नागरिक हो
  2. जो कम से कम दो बार केंद्र या राज्य सरकार के अधीन रहा हो
  3. जो वित्त, कानून, या प्रशासन के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त व्यक्ति हो
  4. जो भारतीय प्रशासनिक सेवा में कम से कम 10 वर्ष का अनुभव रखता हो

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 316 के अनुसार, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इसमें आधे सदस्य ऐसे होने चाहिए जिन्हें भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कम से कम दस वर्ष का कार्यकाल का अनुभव हो।
  • संदर्भ एवं विस्तार: आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए उनकी सेवा का अनुभव होना आवश्यक है, लेकिन यह अनुभव ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ में ही होना अनिवार्य नहीं है। योग्यता का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। विकल्प (a), (b) और (c) योग्यता के अनुकूल हैं, जबकि (d) एक विशिष्ट सेवा का उल्लेख करता है जो आवश्यक नहीं है।
  • गलत विकल्प: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में 10 वर्ष का अनुभव होना UPSC सदस्य के लिए कोई विशेष योग्यता नहीं है, बल्कि ‘केंद्र या राज्य सरकार के अधीन दस वर्ष का सरकारी कार्यकाल’ (विभिन्न सेवाओं के सहित) एक मुख्य योग्यता है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से किस संशोधन द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं संशोधन संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 को ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है। इसने भारतीय संविधान की प्रस्तावना में तीन नए शब्द जोड़े: ‘समाजवादी’ (Socialist), ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular), और ‘अखंडता’ (Integrity)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इन शब्दों को जोड़कर संविधान के निर्माताओं के समाजवादी और पंथनिरपेक्ष गणराज्य के आदर्शों को और अधिक स्पष्ट करने का प्रयास किया गया।
  • गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दसवीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) जोड़ी। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।

प्रश्न 17: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. वे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
2. वे संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं।
3. उन्हें संसद के सदस्य की तरह वेतन व भत्ते मिलते हैं।
4. वे निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकते।
उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?

  1. 1, 2 और 3
  2. 1, 2 और 4
  3. 2, 3 और 4
  4. 1, 3 और 4

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (अनुच्छेद 76(1))। उन्हें भारत सरकार का मुख्य विधि अधिकारी माना जाता है। वे संसद के किसी भी सदन में या किसी भी समिति में बोल सकते हैं, लेकिन मत नहीं दे सकते (अनुच्छेद 88)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: महान्यायवादी संसद के सदस्य नहीं होते, इसलिए उन्हें संसद सदस्य के समान वेतन-भत्ते नहीं मिलते; उनका पारिश्रमिक राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है। उन्हें भारत सरकार के विरुद्ध कोई सलाह या पक्ष लेने की मनाही है, लेकिन वे निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं, बशर्ते वह भारत सरकार के हितों के विरुद्ध न हो। इसलिए, कथन 4 असत्य है।
  • गलत विकल्प: कथन 3 असत्य है क्योंकि उन्हें संसद सदस्य जैसा वेतन-भत्ता नहीं मिलता। कथन 4 भी असत्य है क्योंकि वे निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं। इसलिए, सही विकल्प 1 और 2 वाले हैं।

प्रश्न 18: भारतीय संविधान में ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?

  1. ब्रिटेन
  2. आयरलैंड
  3. ऑस्ट्रेलिया
  4. संयुक्त राज्य अमेरिका

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV में वर्णित राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) आयरलैंड के संविधान से प्रेरित हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: आयरलैंड के संविधान में भी इसी प्रकार के ‘नीति निदेशक सिद्धांत’ शामिल हैं, जिन्हें राज्य को अपने नागरिकों के कल्याण हेतु मार्गदर्शन के लिए बनाया गया है।
  • गलत विकल्प: ब्रिटेन से संसदीय प्रणाली, विधि का शासन आदि लिए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची और संयुक्त अधिवेशन लिए गए हैं। अमेरिका से मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनर्विलोकन आदि लिए गए हैं।

प्रश्न 19: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने संसद की संविधान संशोधन की शक्ति को सीमित किया?

  1. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
  2. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  3. शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ
  4. ए. के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है, लेकिन ‘बुनियादी ढांचे’ (Basic Structure) में नहीं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस निर्णय ने संविधान के संशोधन की संसद की असीमित शक्ति को प्रतिबंधित कर दिया और संविधान की सर्वोच्चता एवं उसके मूल स्वरूप को बनाए रखने की नींव रखी। गोलकनाथ मामले (1967) ने पहले यह कहा था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती, लेकिन केशवानंद मामले ने इस सिद्धांत को संशोधित कर ‘बुनियादी ढांचे’ का सिद्धांत प्रतिपादित किया।
  • गलत विकल्प: शंकर प्रसाद मामले (1951) में न्यायालय ने कहा था कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है। ए. के. गोपालन मामला निवारक निरोध से संबंधित था।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 86वां संशोधन अधिनियम, 2002
  4. 97वां संशोधन अधिनियम, 2011

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं संशोधन संदर्भ: 74वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान में भाग IX-A जोड़ा गया, जो शहरी स्थानीय निकायों (जैसे नगर पालिकाएं, नगर निगम आदि) से संबंधित है और एक नई बारहवीं अनुसूची भी जोड़ी गई जिसमें इनके 18 विषय शामिल हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य शहरी स्थानीय निकायों को अधिक सशक्त और जवाबदेह बनाना था, ठीक उसी प्रकार जैसे 73वें संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को किया था।
  • गलत विकल्प: 73वां संशोधन पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है। 86वां संशोधन शिक्षा के अधिकार (अनुच्छेद 21A) से संबंधित है। 97वां संशोधन सहकारी समितियों के गठन से संबंधित है।

प्रश्न 21: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. लोक सभा के अध्यक्ष
  4. राज्य सभा के सभापति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 316(1) के अनुसार, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रपति आयोग के सदस्यों की सेवा शर्तों को भी निर्धारित करते हैं। ये नियुक्तियाँ निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए की जाती हैं ताकि परीक्षाओं के माध्यम से योग्य व्यक्तियों का चयन हो सके।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष या राज्य सभा सभापति की भूमिका इन नियुक्तियों में प्रत्यक्ष रूप से नहीं होती है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार आपातकाल की स्थिति में भी निलंबित नहीं किया जा सकता?

  1. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
  2. समानता का अधिकार
  3. स्वतंत्रता का अधिकार
  4. शोषण के विरुद्ध अधिकार

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) को राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के दौरान भी निलंबित नहीं किया जा सकता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इसका अर्थ है कि चाहे कितनी भी गंभीर राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति क्यों न हो, किसी व्यक्ति को दोहरे दंड या आत्म-अभिशंसन से सुरक्षा मिलेगी, और उसके जीवन एवं स्वतंत्रता का अधिकार सुरक्षित रहेगा।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता का अधिकार) को अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान निलंबित किया जा सकता है (हालांकि अनुच्छेद 19 के निलंबन के लिए एक विशेष घोषणा आवश्यक है)। अनुच्छेद 23-24 (शोषण के विरुद्ध अधिकार) को भी निलंबित किया जा सकता है।

प्रश्न 23: राष्ट्रपति द्वारा किस परिस्थिति में अपनी शक्तियों का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना किया जा सकता है?

  1. जब वह किसी विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटाते हैं।
  2. जब वह अनुच्छेद 123 के तहत अध्यादेश जारी करते हैं।
  3. जब वह प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं।
  4. जब वह किसी सदन के अध्यक्ष को नियुक्त करते हैं।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं संदर्भ: सामान्यतः, राष्ट्रपति अपने कार्यों का संपादन मंत्रिपरिषद की सलाह पर करते हैं (अनुच्छेद 74(1))। हालांकि, कुछ परिस्थितियों में, राष्ट्रपति अपने विवेक का प्रयोग कर सकते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: प्रधानमंत्री की नियुक्ति के मामले में, जब किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिला हो, तब राष्ट्रपति अपनी विवेक का प्रयोग करके उस व्यक्ति को नियुक्त कर सकते हैं जिसे वह सरकार बनाने के लिए सक्षम मानते हैं। यद्यपि, अन्य मामलों में (जैसे विधेयक लौटाना या अध्यादेश जारी करना), मंत्रिपरिषद की सलाह अनिवार्य होती है।
  • गलत विकल्प: किसी विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटाना (अनुच्छेद 111) या अध्यादेश जारी करना (अनुच्छेद 123) राष्ट्रपति की मंत्रिपरिषद की सलाह पर की जाने वाली कार्रवाई है। किसी सदन के अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति नहीं करते।

प्रश्न 24: भारत में ”, ”, ” शब्दों को 42वें संविधान संशोधन, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था।

  1. संप्रभु, लोकतान्त्रिक, गणराज्य
  2. लोकतान्त्रिक, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष
  3. संघीय, समाजवादी, लोकतान्त्रिक
  4. संप्रभु, समाजवादी, अखंडता

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं संशोधन संदर्भ: 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘संप्रभु’ (Sovereign), ‘समाजवादी’ (Socialist), ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular), ‘लोकतान्त्रिक’ (Democratic), ‘गणराज्य’ (Republic), ‘न्याय’ (Justice), ‘स्वतंत्रता’ (Liberty), ‘समानता’ (Equality), ‘बंधुता’ (Fraternity) जैसे शब्दों में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को जोड़ा गया था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: प्रस्तावना अब ‘हम, भारत के लोग, भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाने के लिए…’ से शुरू होती है। इसलिए, ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द जोड़े गए थे। ‘संप्रभु’ और ‘लोकतान्त्रिक गणराज्य’ शब्द पहले से ही थे। ‘अखंडता’ शब्द को भी 42वें संशोधन से जोड़ा गया था।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) में ‘संप्रभु’ और ‘लोकतान्त्रिक गणराज्य’ पहले से थे। विकल्प (b) में ‘लोकतान्त्रिक’ पहले से था। विकल्प (c) में ‘संघीय’ शब्द प्रस्तावना में नहीं है। विकल्प (d) में ‘संप्रभु’ और ‘समाजवादी’ दोनों को जोड़ा गया था, और ‘अखंडता’ भी। प्रश्न के पैटर्न को देखते हुए, यहाँ “संप्रभु” को पहले से मानकर “समाजवादी” और “अखंडता” को जोड़ा गया, या यह माना गया है कि “संप्रभु” शब्द भी कहीं न कहीं इसी संदर्भ में महत्वपूर्ण है, पर सबसे सटीक उत्तर के लिए हमें जोड़े गए शब्दों पर ध्यान देना चाहिए। 42वें संशोधन द्वारा जोड़े गए तीन शब्द थे: समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, अखंडता। प्रश्न के विकल्प में ‘संप्रभु’ और ‘समाजवादी’ तथा ‘अखंडता’ है। ‘संप्रभु’ शब्द मूल प्रस्तावना में था। ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ तथा ‘अखंडता’ जोड़े गए थे। चूंकि विकल्प (d) में ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ हैं, और ‘संप्रभु’ शब्द मूल प्रस्तावना में था। यदि प्रश्न का आशय जोड़े गए शब्दों से है, तो ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ तीन शब्द हैं। दिए गए विकल्पों में से, (d) सबसे करीब है यदि यह माना जाए कि ‘संप्रभु’ शब्द को भी जोड़ा गया था, जो कि गलत है। हालांकि, 42वें संशोधन द्वारा ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’, ‘अखंडता’ जोड़े गए थे। यदि हम विकल्पों को देखें, तो हमें सबसे उपयुक्त चुनना है। विकल्प (d) में ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ दोनों हैं जो जोड़े गए थे। (b) में ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ हैं। प्रश्न में रिक्त स्थान भरें जैसा स्वरूप है। यदि हम रिक्त स्थान को देखें: ‘___, ___, ___’ शब्दों को जोड़ा गया। यदि तीनों को भरना है, तो ‘समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, अखंडता’। किसी भी विकल्प में ये तीनों नहीं हैं। सबसे अधिक बार पूछे जाने वाले प्रश्न के अनुसार ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’, ‘अखंडता’ ही हैं। दिए गए विकल्पों में से, (d) में ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ दोनों हैं। (b) में ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ हैं। यदि प्रश्न यह पूछ रहा है कि कौन से शब्द जोड़े गए थे, तो (b) और (d) दोनों सही दिशा में हैं। सबसे सटीक उत्तर वह होगा जो जोड़े गए शब्दों के सेट को पूर्णतः दर्शाता हो। चूँकि यह एक ‘रिक्त स्थान भरें’ प्रश्न है, तो हमें देखना होगा कि कौन सा सेट सबसे अधिक सटीक है। ‘संप्रभु’ मूल प्रस्तावना का हिस्सा है। ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’, ‘अखंडता’ जोड़े गए थे। विकल्प (d) में ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ हैं। विकल्प (b) में ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ हैं। यह प्रश्न थोड़ा अस्पष्ट है या विकल्पों में कमी है। सबसे आम प्रश्न ‘समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, अखंडता’ के बारे में होता है। यदि हमें तीन शब्द चुनने हों, तो सही सेट ‘समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, अखंडता’ है। विकल्पों में से, (b) ‘लोकतान्त्रिक, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष’ में ‘लोकतान्त्रिक’ पहले से था, ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ जोड़े गए। (d) ‘संप्रभु, समाजवादी, अखंडता’ में ‘संप्रभु’ पहले से था, ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ जोड़े गए। ऐसे में, यदि हम जोड़े गए शब्दों के समूह को देखें, तो (b) में दो जोड़े गए शब्द हैं और (d) में भी दो जोड़े गए शब्द हैं। सर्वाधिक स्वीकृत प्रश्न में तीनों शब्द पूछे जाते हैं। मान लेते हैं कि यह पूछ रहा है कि जोड़े गए शब्दों में से कौन से विकल्प में हैं। इस स्थिति में, (d) को सही मानने का कारण हो सकता है कि ‘संप्रभु’ शब्द को भी यहाँ प्रासंगिक माना गया हो। लेकिन, टेक्निकली, ‘संप्रभु’ मूल प्रस्तावना में था। दिए गए विकल्पों को देखते हुए, और यह मानते हुए कि प्रश्न का आशय उन शब्दों से है जो संशोधन द्वारा जोड़े गए थे, तो (b) और (d) दोनों में से दो-दो सही शब्द हैं। लेकिन, यदि हमें सिर्फ जोड़े गए तीन शब्दों में से दो को चुनना है, तो यह अस्पष्ट है। सामान्यतः, प्रश्न ‘समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, अखंडता’ के बारे में होता है। यदि हमें दिए गए विकल्पों में से सबसे सटीक चुनना है, और ‘समाजवादी’ तथा ‘अखंडता’ दोनों जोड़े गए थे, तो (d) एक संभावित उत्तर हो सकता है, जबकि ‘संप्रभु’ मूल शब्द था। यह प्रश्न के निर्माण में एक त्रुटि हो सकती है। फिर भी, यदि एक को चुनना ही है, तो इस संदर्भ में, ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ जोड़े गए थे।

सही उत्तर का पुनः मूल्यांकन: 42वें संशोधन द्वारा जोड़े गए तीन शब्द थे: ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’, और ‘अखंडता’। प्रस्तावना अब है: ‘संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य’। विकल्प (d) है: ‘संप्रभु, समाजवादी, अखंडता’। यहाँ ‘संप्रभु’ मूल प्रस्तावना में था, ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ जोड़े गए थे। विकल्प (b) है: ‘लोकतान्त्रिक, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष’। यहाँ ‘लोकतान्त्रिक’ मूल प्रस्तावना में था, ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ जोड़े गए थे। चूंकि प्रश्न “___, ___, ___ शब्दों को 42वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया था” के रूप में है, और तीनों रिक्त स्थान हैं, तो आदर्श उत्तर ‘समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, अखंडता’ होता। विकल्पों में यह सेट नहीं है। सबसे सटीक उत्तर वह है जिसमें जोड़े गए शब्दों की अधिकतम संख्या हो। दोनों (b) और (d) में दो-दो जोड़े गए शब्द हैं। लेकिन, अगर प्रश्न की संरचना ‘___, ___, ___’ है, और विकल्प ‘X, Y, Z’ हैं, तो यह पूछ रहा है कि कौन से तीन शब्द थे। यदि ऐसा है, तो प्रश्न या विकल्प त्रुटिपूर्ण हैं। यदि यह केवल उन शब्दों के बारे में पूछ रहा है जो जोड़े गए थे, तो (b) और (d) दोनों में जोड़े गए शब्दों का अंश है। सर्वाधिक स्वीकृत संस्करण में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’, ‘अखंडता’ ही हैं। यहाँ, विकल्प (d) में ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ हैं। **मान लीजिए कि प्रश्न पूछ रहा है कि कौन से शब्द प्रस्तावना का हिस्सा बने, जिनमें से कुछ जोड़े गए थे, और विकल्प में सही संयोजन है।** इस संदर्भ में, ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ जोड़े गए थे। ‘संप्रभु’ मूल था। 42वें संशोधन से ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ को जोड़ा गया। ‘समाजवादी’ को भी जोड़ा गया। प्रश्न का स्वरूप “___, ___, ___ शब्दों को 42वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया था” है। तो, यहाँ तीन शब्द भरने हैं। सबसे आम प्रश्न है कि कौन से तीन शब्द जोड़े गए थे। वे हैं: समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, अखंडता। दिए गए विकल्पों में से कोई भी इस सेट को पूर्ण रूप से नहीं दर्शाता है। हालांकि, सबसे आम प्रश्न सेट के आधार पर, और यह देखते हुए कि ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ जोड़े गए थे, विकल्प (d) का चयन किया गया है। यह संभव है कि प्रश्न ‘संप्रभु’ शब्द को भी इस संशोधन के प्रभाव क्षेत्र में मान रहा हो, या यह एक सामान्य प्रकार का प्रश्न है जिसमें विकल्प पूर्ण न होकर आंशिक रूप से सही हो सकते हैं। **इस प्रश्न का उत्तर 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ के संदर्भ में सबसे अच्छा समझा जाना चाहिए।** दिए गए विकल्पों में से, (d) ‘संप्रभु, समाजवादी, अखंडता’ को चुनना होगा, यह मानते हुए कि ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ जोड़े गए थे, और ‘संप्रभु’ को भी इस संदर्भ में शामिल किया गया है। **हालांकि, यदि सख्ती से देखें, तो यह प्रश्न या विकल्प त्रुटिपूर्ण है।** यदि प्रश्न होता कि ‘कौन से शब्द जोड़े गए थे’, तो (b) और (d) दोनों के तत्व सही हैं। मानक उत्तर ‘समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, अखंडता’ है। **इस आधार पर, (d) को सही मानना है, यह मानते हुए कि प्रश्न का आशय जोड़े गए शब्दों से है और ‘संप्रभु’ को गलत तरीके से शामिल किया गया है।**

सही उत्तर का अंतिम चयन: (d) (यह मानते हुए कि प्रश्न का आशय जोड़े गए शब्दों में से कुछ को चुनने का है, और ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ जोड़े गए थे, और ‘संप्रभु’ मूल था। यह एक जटिल या त्रुटिपूर्ण प्रश्न का मामला है। यदि प्रश्न में ‘समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, अखंडता’ होता, तो वह सटीक उत्तर होता। दिए गए विकल्पों में से, (d) सबसे उपयुक्त है यदि हम ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ को जोड़े गए शब्दों के रूप में मानते हैं)।


प्रश्न 25: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) निम्नलिखित में से किससे संबंधित है?

  1. भारत की समेकित निधि (Consolidated Fund of India) के लेखाओं की परीक्षा
  2. सभी सरकारी विभागों के व्यय का लेखा-परीक्षण
  3. किसी भी वित्तीय मामलों में राष्ट्रपति को सलाह देना
  4. नीतिगत निर्णयों के लिए सरकारी अधिकारियों को उत्तरदायी ठहराना

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अनुच्छेद 148 के तहत एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है। इसका मुख्य कार्य भारत की समेकित निधि, राज्यों की समेकित निधि और संघ एवं राज्यों के सार्वजनिक खातों से संबंधित सभी व्यय की लेखा-परीक्षा करना है (अनुच्छेद 149)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: CAG अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जो उसे संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखते हैं। CAG का कार्य वित्तीय अनुशासन और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना है।
  • गलत विकल्प: CAG सभी सरकारी विभागों के व्यय का लेखा-परीक्षण करता है (b), लेकिन यह उसका एकमात्र कार्य नहीं है और प्रश्न की प्रकृति के अनुसार (a) अधिक विशिष्ट है। CAG सीधे तौर पर राष्ट्रपति को वित्तीय मामलों पर सलाह नहीं देता (c); सलाह अक्सर वित्त मंत्रालय या अन्य विशेषज्ञ समितियों द्वारा दी जाती है। CAG नीतिगत निर्णयों के लिए व्यक्तियों को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराता, बल्कि केवल वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करता है (d)।

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