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भारतीय राजव्यवस्था का महासंग्राम: 25 प्रश्नों से करें अपनी तैयारी का मूल्यांकन!

भारतीय राजव्यवस्था का महासंग्राम: 25 प्रश्नों से करें अपनी तैयारी का मूल्यांकन!

स्वागत है, भविष्य के कर्णधारों! लोकतंत्र के इस विशाल ढांचे की समझ ही आपको सफल बनाएगी। आज की यह प्रश्नोत्तरी न केवल आपके ज्ञान की परीक्षा लेगी, बल्कि आपकी संकल्पनाओं की गहराई को भी उजागर करेगी। आइए, भारतीय संविधान और राजव्यवस्था के इस रोमांचक सफर पर निकल पड़ें और अपनी तैयारी के स्तर को परखें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 86वां संशोधन अधिनियम, 2002

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़े गए थे। यह संशोधन प्रस्तावना में किए गए एकमात्र संशोधन के लिए जाना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय राज्य के सामाजिक और धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्पष्ट करना था। ‘समाजवादी’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का लक्ष्य उत्पादन और वितरण के साधनों का राष्ट्रीयकरण करके धन का समान वितरण सुनिश्चित करना है, जबकि ‘पंथनिरपेक्ष’ का अर्थ है कि राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है और वह सभी धर्मों को समान मानता है। ‘अखंडता’ का अर्थ है कि देश को विभाजित नहीं किया जा सकता।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 73वां संशोधन (1992) ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया, और 86वां संशोधन (2002) ने शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी रीट (Writ) का अर्थ है ‘हमें आदेश देते हैं’ और यह किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसका कर्तव्य निभाने के लिए जारी की जाती है?

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश (Mandamus)
  3. प्रतिषेध (Prohibition)
  4. उत्प्रेषण (Certiorari)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘परमादेश’ (Mandamus) का शाब्दिक अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण, या सार्वजनिक प्राधिकरण को किसी सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य का पालन करने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है। यह शक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को प्राप्त है।
  • संदर्भ और विस्तार: परमादेश को किसी व्यक्ति, निजी संस्था, या राष्ट्रपति/राज्यपाल के विरुद्ध जारी नहीं किया जा सकता। यह केवल तभी जारी की जाती है जब कोई सार्वजनिक कर्तव्य हो और वह अधिकारी उसे पूरा करने से इनकार कर रहा हो।
  • गलत विकल्प: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ किसी व्यक्ति को अदालत में पेश करने के लिए जारी की जाती है। ‘प्रतिषेध’ किसी उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय को किसी मामले की सुनवाई से रोकने के लिए जारी की जाती है, जब वह अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर हो। ‘उत्प्रेषण’ किसी उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय के निर्णय को रद्द करने के लिए जारी की जाती है।

प्रश्न 3: भारत के संविधान का कौन सा अनुच्छेद भारत के महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति से संबंधित है?

  1. अनुच्छेद 75
  2. अनुच्छेद 76
  3. अनुच्छेद 148
  4. अनुच्छेद 165

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति, पद और कर्त्तव्यों से संबंधित है। राष्ट्रपति, भारत सरकार की सलाह पर, महान्यायवादी की नियुक्ति करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं और भारत के सभी न्यायालयों में सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे भारत के किसी भी सदन या उसकी समिति में बोल सकते हैं, लेकिन मतदान का अधिकार नहीं रखते।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 75 मंत्रिपरिषद की नियुक्ति और उसके कर्तव्यों से संबंधित है। अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की नियुक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 165 राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General) की नियुक्ति से संबंधित है।

प्रश्न 4: भारत की संसद की वित्तीय शक्तियों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?

  1. सरकार को कोई भी कर लगाने का अधिकार केवल संसद की मंजूरी से होता है।
  2. संसद भारत की संचित निधि से धन निकालने के लिए कोई भी कानून बना सकती है।
  3. संसद विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) पारित किए बिना कोई भी धन व्यय नहीं कर सकती।
  4. राज्यसभा, वित्त विधेयक (Financial Bill) को अस्वीकार कर सकती है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संसद की वित्तीय शक्तियों में कोई भी कर लगाने, भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से धन निकालने हेतु विनियोग विधेयक पारित करना, और बजट की स्वीकृति देना शामिल है। हालांकि, भारत की संचित निधि से धन निकालने के लिए संसद की मंजूरी आवश्यक है, लेकिन ‘कोई भी कानून’ बनाकर मनमाने ढंग से धन नहीं निकाला जा सकता; यह एक निर्धारित प्रक्रिया (विनियोग विधेयक) के तहत होता है। इसलिए, यह कथन कि ‘संसद भारत की संचित निधि से धन निकालने के लिए कोई भी कानून बना सकती है’ गलत है, क्योंकि प्रक्रिया निश्चित है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 112 बजट प्रस्तुत करने से संबंधित है। अनुच्छेद 114 विनियोग विधेयक से संबंधित है। कोई भी धन संचित निधि से तब तक नहीं निकाला जा सकता जब तक कि उसे संसद द्वारा पारित विनियोग विधेयक द्वारा विनियोजित न कर दिया जाए।
  • गलत विकल्प: (a) सही है, कराधान के लिए विधायी मंजूरी आवश्यक है (अनुच्छेद 265)। (c) सही है, विनियोग विधेयक के बिना संचित निधि से धन नहीं निकाला जा सकता। (d) यद्यपि राज्यसभा वित्त विधेयक को अस्वीकार नहीं कर सकती, वह उसमें संशोधन का सुझाव दे सकती है और लोकसभा द्वारा स्वीकार किए जाने पर वे कानून बन सकते हैं। हालांकि, ‘अस्वीकार’ शब्द के अर्थ में, यह सीधे तौर पर गलत नहीं है कि वह धन के प्रवाह को रोक दे, लेकिन तकनीकी रूप से वह उसे उसी तरह अस्वीकार नहीं कर सकती जैसे कोई साधारण विधेयक। प्रश्न में ‘गलत’ पूछा गया है, और (b) सबसे स्पष्ट रूप से गलत है क्योंकि धन निकालने की प्रक्रिया कानून बनाने से अधिक विनियोग विधेयक पारित करने की है।

प्रश्न 5: भारत के संविधान के भाग IV-A में निम्नलिखित में से किसका प्रावधान है?

  1. नागरिकों के मौलिक अधिकार
  2. राज्य के नीति निदेशक तत्व
  3. नागरिकों के मौलिक कर्तव्य
  4. संघ की राजभाषा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भाग IV-A, जो 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था, नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। इसमें अनुच्छेद 51-A शामिल है, जो 10 मौलिक कर्तव्यों को सूचीबद्ध करता है। बाद में, 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा एक और मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया।
  • संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्यों का उद्देश्य नागरिकों को राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों की याद दिलाना है, जैसे संविधान का पालन करना, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना, देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना आदि।
  • गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 12-35) से संबंधित है। भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) (अनुच्छेद 36-51) से संबंधित है। भाग XVII संघ की राजभाषा (अनुच्छेद 343-351) से संबंधित है।

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन भारत में पंचायती राज से संबंधित समितियों का सही कालानुक्रमिक क्रम है?

  1. बलवंत राय मेहता समिति, अशोक मेहता समिति, एल.एम. सिंघवी समिति
  2. अशोक मेहता समिति, बलवंत राय मेहता समिति, एल.एम. सिंघवी समिति
  3. बलवंत राय मेहता समिति, एल.एम. सिंघवी समिति, अशोक मेहता समिति
  4. अशोक मेहता समिति, एल.एम. सिंघवी समिति, बलवंत राय मेहता समिति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और कालानुक्रम: पंचायती राज से संबंधित प्रमुख समितियाँ और उनके गठन वर्ष इस प्रकार हैं:
    1. बलवंत राय मेहता समिति (1957) – इसने त्रि-स्तरीय पंचायती राज की सिफारिश की।
    2. अशोक मेहता समिति (1977) – इसने द्वि-स्तरीय पंचायती राज की सिफारिश की।
    3. जी. वी. के. राव समिति (1985)
    4. एल.एम. सिंघवी समिति (1986) – इसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने की सिफारिश की।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में पंचायती राज संस्थाओं के विकास में इन समितियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशों के आधार पर ही भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की नींव रखी गई थी। एल.एम. सिंघवी समिति की सिफारिशों के परिणामस्वरूप ही 73वें संविधान संशोधन द्वारा पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा मिला।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प समितियों के गठन के वर्ष के अनुसार गलत क्रम में हैं।

प्रश्न 7: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. यह शक्ति केवल मृत्युदंड के मामलों में लागू होती है।
  2. राष्ट्रपति, गृह मंत्रालय की सलाह पर ही क्षमादान की शक्ति का प्रयोग कर सकते हैं।
  3. राष्ट्रपति, चाहे तो मंत्रिपरिषद की सलाह को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं।
  4. सभी कथन सत्य हैं।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में, अपराधों के लिए क्षमा, दंड का प्रविलंबन, क्षमादान, लघुकरण या परिहार करने की शक्ति प्रदान करता है। यह शक्ति मृत्युदंड, न्यायालय द्वारा दी गई सजा, और कोर्ट मार्शल के मामलों पर लागू होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति अपनी क्षमादान की शक्ति का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करते हैं, लेकिन यह शक्ति न्यायिक समीक्षा के अधीन है (जैसा कि शमशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था)। महत्वपूर्ण बात यह है कि राष्ट्रपति, मंत्रिपरिषद की सलाह को मानने के लिए बाध्य हैं (अनुच्छेद 74), लेकिन क्षमादान की शक्ति के प्रयोग में, वे अपने विवेक का प्रयोग कर सकते हैं और इस मामले में न्यायिक समीक्षा के आधार पर, यह माना गया है कि वह सलाह से बंधे नहीं हैं, यद्यपि सामान्यतः सलाह का पालन करते हैं। यह तर्क दिया जाता है कि यह शक्ति व्यक्तिगत न्याय और दया पर आधारित है।
  • गलत विकल्प: (a) गलत है, यह मृत्युदंड के अलावा अन्य मामलों में भी लागू होती है। (b) गलत है, हालाँकि यह सलाह पर की जाती है, लेकिन विशिष्ट मामलों में वे स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकते हैं और न्यायिक समीक्षा भी संभव है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी एक गैर-संवैधानिक संस्था है?

  1. नीति आयोग (NITI Aayog)
  2. वित्त आयोग (Finance Commission)
  3. संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
  4. चुनाव आयोग (Election Commission)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग) भारत सरकार का एक नीतिगत थिंक टैंक है। इसका गठन एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) के माध्यम से किया गया था, न कि संविधान के किसी अनुच्छेद द्वारा। इसलिए, यह एक गैर-संवैधानिक (या कार्यकारी) निकाय है।
  • संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग को देश के लिए एक रणनीतिक और दीर्घकालिक नीति ढांचा विकसित करने, केंद्र और राज्यों को तकनीकी सलाह प्रदान करने जैसे कार्य सौंपे गए हैं।
  • गलत विकल्प: वित्त आयोग (अनुच्छेद 280), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके प्रावधान सीधे भारतीय संविधान में वर्णित हैं।

प्रश्न 9: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता की गारंटी देता है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 15
  3. अनुच्छेद 16
  4. अनुच्छेद 17

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 16 (1) और (2) भारत के नागरिकों को लोक नियोजन (सरकारी नौकरियों) के मामलों में अवसर की समानता की गारंटी देता है। इसमें धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 16 सार्वजनिक रोजगार में समानता के सिद्धांत की पुष्टि करता है। अनुच्छेद 16 (3) संसद को निवास स्थान के आधार पर कुछ छूट देने की अनुमति देता है, और अनुच्छेद 16 (4) पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों का समान संरक्षण प्रदान करता है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का उन्मूलन करता है।

प्रश्न 10: भारत में वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 365

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 360 के तहत, यदि राष्ट्रपति संतुष्ट हैं कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें भारत की वित्तीय स्थिरता या साख संकट में है, तो वह वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: वित्तीय आपातकाल की घोषणा संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होनी चाहिए। इसके लागू होने पर, राष्ट्रपति राज्यों को वित्तीय औचित्य के मानकों को बनाए रखने के लिए आवश्यक प्रावधान करने का निर्देश दे सकते हैं, जिसमें राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित धन विधेयकों या विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करना भी शामिल हो सकता है। भारत में अब तक कभी भी वित्तीय आपातकाल लागू नहीं हुआ है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल) से संबंधित है। अनुच्छेद 365 केंद्र के निर्देशों का पालन करने में विफलता के प्रभाव से संबंधित है, जो अनुच्छेद 356 के लागू होने का आधार बन सकता है।

प्रश्न 11: भारत के संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ (Public Order) का विषय है, जिस पर राज्य सरकारें कानून बना सकती हैं?

  1. युद्ध और शांति
  2. पुलिस
  3. रेलवे
  4. डाक, तार और प्रसारण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुसूची संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में शक्तियों का विभाजन किया गया है। ‘पुलिस’ (राज्य सूची, प्रविष्टि 2) और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ (राज्य सूची, प्रविष्टि 1) राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: राज्य सूची में शामिल विषय वे हैं जिन पर राज्य विधानमंडल को कानून बनाने का अधिकार है। पुलिस व्यवस्था बनाए रखना, सार्वजनिक शांति सुनिश्चित करना राज्य सरकार की प्रमुख जिम्मेदारियों में से एक है।
  • गलत विकल्प: ‘युद्ध और शांति’ (संघ सूची, प्रविष्टि 7), ‘रेलवे’ (संघ सूची, प्रविष्टि 22), और ‘डाक, तार और प्रसारण’ (संघ सूची, प्रविष्टि 31) सभी संघ सूची के विषय हैं, जिन पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है।

प्रश्न 12: किस अधिनियम द्वारा भारत में सांप्रदायिक निर्वाचन (Communal Electorate) की शुरुआत की गई?

  1. भारतीय परिषद अधिनियम, 1861
  2. भारतीय परिषद अधिनियम, 1892
  3. भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (मार्ले-मिंटो सुधार)
  4. भारत सरकार अधिनियम, 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और ऐतिहासिक संदर्भ: भारतीय परिषद अधिनियम, 1909, जिसे मार्ले-मिंटो सुधार के नाम से भी जाना जाता है, ने पहली बार भारत में सांप्रदायिक निर्वाचन की प्रथा को शुरू किया। इसके तहत, मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचक मंडल की व्यवस्था की गई, जहाँ केवल मुसलमान ही अपने प्रतिनिधियों का चुनाव कर सकते थे।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम का उद्देश्य भारतीयों को शासन में सीमित प्रतिनिधित्व देना और साथ ही ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति के तहत सांप्रदायिक आधार पर समाज को विभाजित करना था। इसने विधायी परिषदों में सदस्यों की संख्या भी बढ़ाई और उन्हें बजट पर चर्चा करने का अधिकार दिया।
  • गलत विकल्प: 1861 का अधिनियम भारतीयों को विधायी प्रक्रिया में शामिल करने का एक प्रारंभिक कदम था। 1892 का अधिनियम अप्रत्यक्ष चुनाव और बजट पर चर्चा का अधिकार लाया, लेकिन सांप्रदायिकता की शुरुआत नहीं की। 1919 का अधिनियम द्वैध शासन (Dyarchy) और सांप्रदायिक निर्वाचन का विस्तार (सिखों, ईसाइयों आदि के लिए) लेकर आया, लेकिन इसकी शुरुआत 1909 में हुई थी।

प्रश्न 13: ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?

  1. ये किसी भी न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
  2. इनका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है।
  3. ये राज्य के लिए ‘मार्गदर्शक सिद्धांत’ के रूप में कार्य करते हैं।
  4. इनका उल्लंघन होने पर कोई भी व्यक्ति सीधे न्यायालय में जा सकता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 37 स्पष्ट रूप से कहता है कि भाग IV (DPSP) में निहित सिद्धांत किसी भी न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होंगे, लेकिन ये सिद्धांत देश के शासन में मौलिक हैं और विधि बनाने में राज्य इन सिद्धांतों को लागू करने का प्रयास करेगा।
  • संदर्भ और विस्तार: DPSP को न्यायोचित (justiciable) नहीं, बल्कि गैर-न्यायोचित (non-justiciable) कहा जाता है। इसका मतलब है कि यदि राज्य इन सिद्धांतों को लागू करने में विफल रहता है, तो नागरिक सीधे न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटा सकते। हालांकि, संसद इन सिद्धांतों को लागू करने के लिए कानून बना सकती है, जो मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष की स्थिति में बहस का विषय रहे हैं (जैसे कि गोलकनाथ मामले में)।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी कथन सत्य हैं। (d) कथन गलत है क्योंकि DPSP का उल्लंघन होने पर सीधे न्यायालय में नहीं जाया जा सकता।

प्रश्न 14: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में निम्नलिखित में से कौन भाग नहीं लेता है?

  1. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
  2. राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
  3. दिल्ली और पुडुचेरी के विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्य
  4. सभी राज्यों के विधान परिषदों के निर्वाचित सदस्य

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 54 के अनुसार, राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्यों और राज्यों की विधान सभाओं (Legislative Assemblies) के निर्वाचित सदस्यों द्वारा गठित एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। 70वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने दिल्ली और पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेशों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों को भी निर्वाचक मंडल में शामिल किया।
  • संदर्भ और विस्तार: विधान परिषदें (Legislative Councils) भारत के कुछ राज्यों में द्विसदनीय विधायिका का हिस्सा हैं। इनके सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान नहीं करते।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) के सदस्य निर्वाचक मंडल का हिस्सा हैं। (d) के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते।

प्रश्न 15: भारत के संविधान की प्रस्तावना को ‘संविधान की कुंजी’ किसने कहा है?

  1. डॉ. बी.आर. अंबेडकर
  2. पंडित जवाहरलाल नेहरू
  3. सर अर्लस्ट बर्डीज (Sir Earnest Barker)
  4. के. एम. मुंशी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और ऐतिहासिक संदर्भ: सर अर्लस्ट बर्डीज (Sir Earnest Barker) एक प्रसिद्ध ब्रिटिश राजनीतिक वैज्ञानिक थे जिन्होंने भारतीय संविधान की प्रस्तावना की प्रशंसा करते हुए उसे ‘संविधान की कुंजी’ (Key to the Constitution) और ‘रत्न-जड़ित आभूषण’ (Jewel of the Constitution) कहा था।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान का परिचय है और उसके उद्देश्यों, आदर्शों और दर्शन को स्पष्ट करती है। यह संविधान के निर्माताओं के इरादे को समझने में सहायक होती है।
  • गलत विकल्प: डॉ. बी.आर. अंबेडकर को संविधान का जनक कहा जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ (Objective Resolution) प्रस्तुत किया था, जो प्रस्तावना का आधार बना। के. एम. मुंशी ने प्रस्तावना को ‘संविधान की आत्मा’ कहा था।

प्रश्न 16: किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) की घोषणा के लिए निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद लागू होता है?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 256

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 356 के अनुसार, यदि किसी राज्य का राज्यपाल यह रिपोर्ट करे कि राज्य का शासन संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, या राष्ट्रपति किसी अन्य प्रकार से संतुष्ट हों कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, तो वे उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति शासन के तहत, राज्य की विधायी शक्ति संसद के अधीन हो जाती है, और राज्यपाल, राष्ट्रपति के नाम पर, राज्य के प्रशासन का कार्यभार संभाल सकते हैं। यह आपातकालीन प्रावधान राज्य में संवैधानिक संकट को दूर करने के लिए है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 256 केंद्र को राज्यों को कुछ निर्देश देने की शक्ति देता है, जिनका पालन करने में राज्य की विफलता अनुच्छेद 356 के लागू होने का कारण बन सकती है।

प्रश्न 17: भारतीय संविधान के कौन से अनुच्छेद मौलिक अधिकारों के प्रयोग पर उचित प्रतिबंध लगाने की शक्ति संसद को प्रदान करते हैं?

  1. अनुच्छेद 14 और 15
  2. अनुच्छेद 19
  3. अनुच्छेद 20 और 21
  4. अनुच्छेद 22

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 (1) नागरिकों को छह प्रकार की स्वतंत्रताएँ प्रदान करता है। अनुच्छेद 19 (2) से (6) इन स्वतंत्रताओं पर राज्य द्वारा लगाए जा सकने वाले ‘उचित प्रतिबंधों’ (reasonable restrictions) का प्रावधान करते हैं, जैसे कि भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, शिष्टाचार या नैतिकता, न्यायालय की अवमानना, मानहानि, या किसी अपराध के लिए उकसाना।
  • संदर्भ और विस्तार: ये प्रतिबंध ‘उचित’ होने चाहिए, जिसका निर्धारण न्यायालय द्वारा किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि मौलिक अधिकारों का अनियंत्रित प्रयोग न हो।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 15, 20, 21, और 22 भी मौलिक अधिकार हैं, लेकिन उन पर प्रतिबंधों का प्रावधान मुख्य रूप से अनुच्छेद 19 में ही विस्तृत रूप से वर्णित है, जो स्वतंत्रता से संबंधित है। उदाहरण के लिए, अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) पर भी कुछ प्रतिबंध हो सकते हैं, लेकिन ‘उचित प्रतिबंध’ का विस्तृत ढांचा अनुच्छेद 19 में ही है।

प्रश्न 18: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) को निम्नलिखित में से किस अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है?

  1. 5 वर्ष
  2. 6 वर्ष
  3. 65 वर्ष की आयु तक
  4. 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 148 के अनुसार, भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वे पद धारण करते हैं: (i) राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और मुद्रा वाली वारंट द्वारा, और (ii) 6 वर्ष की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है। वे केंद्र और राज्य सरकारों के खातों का अंकेक्षण करते हैं और अपनी रिपोर्ट संसद और राज्य विधानमंडलों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं।
  • गलत विकल्प: 5 वर्ष एक सामान्य कार्यकाल हो सकता है, लेकिन CAG के लिए यह लागू नहीं होता। 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, यह सही अवधि है।

प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय संविधान की प्रस्तावना के बारे में सही है?

  1. यह न्यायोचित (justiciable) है।
  2. यह विधि का स्रोत है।
  3. यह संविधान का एक हिस्सा है, लेकिन इसके प्रावधानों का कोई विशेष कानूनी प्रभाव नहीं है।
  4. यह संविधान का हिस्सा है और इसके कुछ प्रावधानों का कानूनी प्रभाव है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और ऐतिहासिक निर्णय: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि प्रस्तावना संविधान का अभिन्न अंग है। हालांकि, प्रस्तावना के प्रावधान स्वयं न्यायोचित नहीं हैं, यानी उनका उल्लंघन होने पर सीधे न्यायालय नहीं जाया जा सकता। साथ ही, यह विधि का स्रोत भी नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान के उद्देश्यों और उसकी भावना को दर्शाती है। यदि किसी कानून की व्याख्या अस्पष्ट होती है, तो प्रस्तावना का उपयोग उस कानून के उद्देश्य को समझने के लिए किया जा सकता है। इस प्रकार, इसके प्रावधानों का अप्रत्यक्ष कानूनी प्रभाव हो सकता है, लेकिन यह स्वयं कोई कानून नहीं है।
  • गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि प्रस्तावना न्यायोचित नहीं है। (b) गलत है क्योंकि प्रस्तावना विधि का स्रोत नहीं है। (d) गलत है, क्योंकि प्रस्तावना के अधिकांश प्रावधानों का प्रत्यक्ष कानूनी प्रभाव नहीं है, यद्यपि यह व्याख्या में सहायक हो सकता है। ‘कोई विशेष कानूनी प्रभाव नहीं है’ सबसे सटीक वर्णन है, जो ‘संविधान का हिस्सा’ होने को स्वीकार करता है।

प्रश्न 20: किसी दल-बदल के आधार पर किसी सदस्य की अयोग्यता (disqualification) का प्रश्न तय करने की शक्ति किसे प्राप्त है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. राज्य के राज्यपाल
  3. संसद या राज्य विधानमंडल के उस सदन का अध्यक्ष/सभापति
  4. संसद या राज्य विधानमंडल के उस सदन के पीठासीन अधिकारी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद/अनुसूची संदर्भ: संविधान की दसवीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) के पैरा 6 (1) के अनुसार, किसी सदन के सदस्य की दल-बदल के आधार पर अयोग्यता से संबंधित सभी प्रश्न उस सदन के अध्यक्ष (लोकसभा के लिए) या सभापति (राज्यसभा के लिए) द्वारा तय किए जाएंगे। राज्यों के विधानमंडलों में भी यही नियम लागू होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि, यह शक्ति पीठासीन अधिकारी के पास होती है, लेकिन यह विशुद्ध रूप से प्रक्रियात्मक और विधायी है, न कि न्यायपालिका की। पीठासीन अधिकारी द्वारा लिए गए निर्णय की कुछ हद तक न्यायिक समीक्षा की जा सकती है (जैसा कि किहोतो होलोहन बनाम जचारू (1992) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था)।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति या राज्यपाल सामान्यतः दलबदल के मामलों में निर्णय नहीं लेते, वे केवल चुनाव आयोग की राय पर अन्य मामलों में (अनुच्छेद 103/192) निर्णय लेते हैं। ‘पीठासीन अधिकारी’ शब्द सही है, लेकिन ‘अध्यक्ष/सभापति’ अधिक विशिष्ट और सामान्य रूप से प्रयोग किया जाने वाला शब्द है जो इस भूमिका को दर्शाता है। (c) अधिक सटीक उत्तर है।

प्रश्न 21: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत संसद को नए राज्यों के निर्माण या मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन करने की शक्ति प्राप्त है?

  1. अनुच्छेद 1
  2. अनुच्छेद 2
  3. अनुच्छेद 3
  4. अनुच्छेद 4

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 3 संसद को यह शक्ति देता है कि वह किसी राज्य में से उसका कोई क्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर, नए राज्य का निर्माण कर सके; किसी राज्य का क्षेत्र बढ़ा सके; किसी राज्य का क्षेत्र घटा सके; किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सके; और किसी राज्य का नाम परिवर्तन कर सके।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रकार के किसी भी विधेयक को संसद में राष्ट्रपति की सिफारिश पर ही प्रस्तुत किया जा सकता है। संबंधित राज्य के विधानमंडल से राय ली जाती है, लेकिन राष्ट्रपति या संसद उस राय से बंधे नहीं होते।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 1 भारत के संघ (राज्यों का संघ) का नाम और क्षेत्र बताता है। अनुच्छेद 2 नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना से संबंधित है (जो वर्तमान भारत के क्षेत्र में नहीं हैं)। अनुच्छेद 4 यह बताता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत बनाए गए कानून अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन नहीं माने जाएंगे।

प्रश्न 22: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के पश्चात्
  3. संसद
  4. कानून मंत्री

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 124 (2) के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की नियुक्ति राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय और राज्यों के उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों से परामर्श के पश्चात्, जिन्हें राष्ट्रपति, न्यायिक नियुक्तियों के प्रयोजनों के लिए परामर्श करना आवश्यक समझे, और ऐसे अन्य न्यायाधीशों या प्रतिष्ठित व्यक्तियों से, जिनसे राष्ट्रपति, विधायी प्रक्रिया में, परामर्श करना आवश्यक समझे, करेगा। सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति भी इसी प्रक्रिया से होती है, जिसमें CJI की भूमिका महत्वपूर्ण होती है (कॉलेजियम प्रणाली)।
  • संदर्भ और विस्तार: वर्तमान में, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति ‘कॉलेजियम प्रणाली’ के माध्यम से होती है, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश मिलकर प्रस्ताव देते हैं, जिस पर राष्ट्रपति निर्णय लेते हैं।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, संसद या कानून मंत्री सीधे तौर पर न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं करते, हालांकि वे परामर्श प्रक्रिया में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो सकते हैं।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन भारत का प्रथम नागरिक कहलाता है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय
  3. राष्ट्रपति
  4. लोकसभा अध्यक्ष

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और प्रोटोकॉल: भारत में, राष्ट्रपति को ‘प्रथम नागरिक’ का दर्जा प्राप्त है। यह भारत के गणतंत्र के प्रमुख के रूप में उनकी स्थिति और सर्वोच्च पद को दर्शाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत सरकार की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है (अनुच्छेद 53)। वे देश के राष्ट्राध्यक्ष (Head of State) हैं। हालांकि प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख (Head of Government) होते हैं और वास्तविक कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करते हैं, लेकिन औपचारिक और संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति सर्वोच्च होते हैं।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका के प्रमुख हैं। लोकसभा अध्यक्ष संसद के निचले सदन के पीठासीन अधिकारी हैं।

प्रश्न 24: 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 निम्नलिखित में से किस विषय से संबंधित है?

  1. नगर पालिकाओं का संवैधानिक दर्जा
  2. पंचायती राज संस्थाओं का संवैधानिक दर्जा
  3. मौलिक कर्तव्यों का समावेश
  4. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को विशेष दर्जा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संशोधन संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX को जोड़ा और पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को एक संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसने ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं के 29 विषय शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को अधिक शक्तियां और स्वायत्तता देना था, जिससे वे जमीनी स्तर पर स्थानीय स्वशासन को प्रभावी ढंग से लागू कर सकें।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम, 1992 नगर पालिकाओं से संबंधित है। 42वां संशोधन अधिनियम, 1976 मौलिक कर्तव्यों को लाया। 69वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1991 ने दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया।

प्रश्न 25: भारत के संविधान में ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) किसे सौंपी गई हैं?

  1. राज्य विधानमंडल
  2. संसद
  3. राष्ट्रपति
  4. सर्वोच्च न्यायालय

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण को दर्शाती है। अनुच्छेद 248 के अनुसार, अवशिष्ट शक्तियाँ (अर्थात वे विषय जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं) संसद में निहित हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इसका मतलब है कि यदि कोई ऐसा विषय उभरता है जो मौजूदा सूचियों में सूचीबद्ध नहीं है, तो उस पर कानून बनाने का अधिकार केवल संसद को होगा। यह भारत के संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो केंद्र सरकार को उभरती हुई शक्तियों से निपटने में सक्षम बनाता है।
  • गलत विकल्प: राज्य विधानमंडल को केवल राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है। राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय के पास ऐसी विधायी शक्तियाँ नहीं हैं; वे क्रमशः कार्यकारी और न्यायिक अंग हैं।

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