भारतीय राजव्यवस्था का आज का महा-टेस्ट: 25 सवाल, पारदर्शी जवाब
नमस्कार, भविष्य के प्रशासकों! भारतीय लोकतंत्र की नींव को और मज़बूत करने के लिए तैयार हो जाइए। आज हम आपके लिए भारतीय राजव्यवस्था और संविधान से जुड़े 25 ऐसे प्रश्न लेकर आए हैं, जो आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखेंगे और परीक्षा की तैयारी को एक नई दिशा देंगे। आइए, आज के इस गहन अभ्यास में गोता लगाएँ!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द किस वर्ष के संशोधन द्वारा जोड़े गए?
- 1976
- 1969
- 1978
- 1951
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ (Socialist) और ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) शब्दों को 1976 के 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था। इसी संशोधन द्वारा ‘अखंडता’ (Integrity) शब्द भी जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन मिनी-संविधान के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसने प्रस्तावना के साथ-साथ संविधान के कई अन्य महत्वपूर्ण भागों में भी परिवर्तन किए। इसका उद्देश्य भारत को एक समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में पुनर्स्थापित करना था।
- अincorrect विकल्प: 1969, 1978 (44वां संशोधन), और 1951 (पहला संशोधन) में भी महत्वपूर्ण संशोधन हुए थे, लेकिन प्रस्तावना में इन विशेष शब्दों को नहीं जोड़ा गया था। 1978 के 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया और कुछ अन्य महत्वपूर्ण बदलाव किए।
प्रश्न 2: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार बताता है?
- अनुच्छेद 154
- अनुच्छेद 163
- अनुच्छेद 162
- अनुच्छेद 155
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 154 (Article 154) के अनुसार, राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद राज्यपाल की कार्यकारी शक्तियों के निहितार्थ को स्पष्ट करता है। अनुच्छेद 163 (Article 163) कहता है कि राज्यपाल को सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, और अनुच्छेद 162 (Article 162) राज्य की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार को परिभाषित करता है, लेकिन अनुच्छेद 154 सीधे तौर पर शक्ति के निहित होने की बात करता है। अनुच्छेद 155 (Article 155) राज्यपाल की नियुक्ति की विधि बताता है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 163 मंत्रिपरिषद की बात करता है, अनुच्छेद 162 कार्यकारी शक्ति के विस्तार की सीमा बताता है, और अनुच्छेद 155 राज्यपाल की नियुक्ति से संबंधित है, न कि राज्य की कार्यपालिका शक्ति के राज्यपाल में निहित होने से।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15 (Article 15) केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। यह राज्य को धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर किसी भी नागरिक के विरुद्ध विभेद करने से रोकता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) जैसे अधिकार भारतीय नागरिकों के साथ-साथ विदेशी नागरिकों को भी प्राप्त हैं, हालांकि कुछ प्रतिबंधों के साथ।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 14, 21, और 25 दोनों के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 15, 16 (लोक नियोजन में अवसर की समानता), 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि), 29 (अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण) और 30 (शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अल्पसंख्यकों का अधिकार) विशेष रूप से भारतीय नागरिकों के लिए हैं।
प्रश्न 4: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?
- वह भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
- उसे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- वह संसद के किसी भी सदन में कार्यवाही में भाग ले सकता है।
- उसे महाभियोग प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी को महाभियोग प्रक्रिया द्वारा नहीं हटाया जा सकता। अनुच्छेद 76 (Article 76) के अनुसार, वह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है, जिसका अर्थ है कि राष्ट्रपति उसे कभी भी हटा सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का सर्वोच्च कानूनी अधिकारी होता है और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। वह संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की कार्यवाही में भाग ले सकता है और बोल सकता है, लेकिन मत देने का अधिकार उसे प्राप्त नहीं है (अनुच्छेद 88)।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) तीनों कथन सत्य हैं। महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है (a), उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं (b), और वह अनुच्छेद 88 के तहत संसद की कार्यवाही में भाग ले सकता है (c)। केवल (d) असत्य है क्योंकि उसे महाभियोग से नहीं हटाया जाता।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में “ग्राम सभा” का उल्लेख किया गया है?
- अनुच्छेद 243A
- अनुच्छेद 40
- अनुच्छेद 243D
- अनुच्छेद 243G
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 243A (Article 243A) के अनुसार, ग्राम सभा का उल्लेख है। यह राज्य के विधानमंडल को ग्राम सभा को ऐसी शक्तियाँ और प्राधिकार प्रदान करने की अनुमति देता है जो इसे स्थानीय शासन के लिए आवश्यक हों।
- संदर्भ और विस्तार: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान में भाग IX जोड़ा गया, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया। अनुच्छेद 40 (Article 40) नीति निदेशक तत्वों में ग्राम पंचायतों के गठन का निर्देश देता है, लेकिन ग्राम सभा का विशिष्ट उल्लेख 243A में है। 243D सीटों के आरक्षण से और 243G पंचायतों की शक्तियों, प्राधिकार और उत्तरदायित्वों से संबंधित है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 40 नीति निदेशक तत्व का हिस्सा है। अनुच्छेद 243D आरक्षण की बात करता है और अनुच्छेद 243G पंचायतों की शक्तियों से संबंधित है। ग्राम सभा का सीधा उल्लेख अनुच्छेद 243A में है।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का एक हिस्सा है, लेकिन यह न तो शक्तियों का स्रोत है और न ही उन पर कोई प्रतिबंध लगाती है?
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- बेरूबारी संघ मामला
- मिनर्वा मिल्स लिमिटेड बनाम भारत संघ
- एस. आर. बोम्मई मामला
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: बेरूबारी संघ मामले (Berubari Union Case, 1960) में, सर्वोच्च न्यायालय ने यह माना था कि प्रस्तावना संविधान का एक हिस्सा है, लेकिन यह न तो शक्तियों का स्रोत है और न ही उन पर कोई प्रतिबंध लगाती है।
- संदर्भ और विस्तार: बाद में, केशवानंद भारती मामले (Kesavananda Bharati Case, 1973) में, न्यायालय ने इस मत को सुधारा और कहा कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है। मिनर्वा मिल्स मामले (Minerva Mills Case, 1980) ने केशवानंद भारती के निर्णय की पुष्टि करते हुए प्रस्तावना के ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) के सिद्धांत को और मज़बूत किया। एस. आर. बोम्मई मामला (S. R. Bommai Case, 1994) राष्ट्रपति शासन और अनुच्छेद 356 से संबंधित है।
- अincorrect विकल्प: केशवानंद भारती मामले में प्रस्तावना को संविधान का हिस्सा माना गया, न कि केवल ‘एक हिस्सा’। बेरूबारी मामले का निर्णय ही वह है जो प्रश्न में वर्णित स्थिति को दर्शाता है।
प्रश्न 7: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष की नियुक्ति कितने वर्ष की अवधि के लिए या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, की जाती है?
- तीन वर्ष
- पांच वर्ष
- चार वर्ष
- सात वर्ष
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (अधिनियम, 1993 की धारा 4(2)) के अनुसार, अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति पांच साल की अवधि के लिए या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रश्न में दिए गए विकल्प और उत्तरों में थोड़ी विसंगति है। सही उत्तर 5 वर्ष होना चाहिए। यदि हम दिए गए विकल्पों में से सबसे उचित विकल्प चुनें, तो यह 5 वर्ष होगा, जो कि प्रश्न में एक टाइपो त्रुटि है। NHRC के अध्यक्ष और सदस्यों की पुनर्नियुक्ति के लिए कोई प्रावधान नहीं है।
- अincorrect विकल्प: यदि प्रश्न 5 वर्ष के बारे में है, तो 3, 4, और 7 वर्ष गलत हैं। (माना कि प्रश्न में 5 वर्ष का विकल्प था और उत्तर (b) है)
प्रश्न 8: संविधान के किस संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?
- 73वां संशोधन, 1992
- 74वां संशोधन, 1992
- 69वां संशोधन, 1991
- 84वां संशोधन, 2001
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जो पंचायती राज संस्थाओं (PRI) से संबंधित है, और उन्हें संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने अनुच्छेद 243 से 243O तक को शामिल किया और संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी, जिसमें 29 विषयों को सूचीबद्ध किया गया है जो पंचायतों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। 74वें संशोधन ने शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) को संवैधानिक दर्जा दिया।
- अincorrect विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है। 69वें संशोधन ने दिल्ली को विशेष दर्जा दिया। 84वें संशोधन ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में सीटों के पुनर्गठन और सीटों के आवंटन को 2026 तक के लिए बढ़ा दिया।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी रूप से हिरासत में रखने से बचाने के लिए जारी की जाती है?
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। यह रिट तब जारी की जाती है जब किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी रूप से हिरासत में लिया गया हो, ताकि उसे अदालत में पेश किया जा सके और रिहा किया जा सके। यह अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तियों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। परमादेश किसी लोक प्राधिकारी को उसके कर्तव्य का पालन करने का आदेश देता है। उत्प्रेषण किसी अधीनस्थ न्यायालय या न्यायाधिकरण के किसी निर्णय को रद्द करने के लिए जारी किया जाता है। अधिकार पृच्छा किसी व्यक्ति द्वारा गैर-कानूनी रूप से धारित पद से संबंधित है।
- अincorrect विकल्प: परमादेश, उत्प्रेषण और अधिकार पृच्छा के कार्य क्षेत्र अलग हैं। बंदी प्रत्यक्षीकरण विशेष रूप से अवैध कारावास से संबंधित है।
प्रश्न 10: भारतीय संसद का कौन सा अंग राष्ट्रपति की विधायी शक्तियों का प्रयोग करता है?
- राज्यसभा
- लोकसभा
- मंत्रिपरिषद
- यह एक गलत धारणा है, राष्ट्रपति अपनी विधायी शक्तियों का प्रयोग सीधे करते हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में संसदीय प्रणाली है, जहाँ राष्ट्रपति नाममात्र के कार्यकारी होते हैं। अनुच्छेद 74 (Article 74) के अनुसार, राष्ट्रपति को उनके कार्यों के संपादन में सलाह और सहायता देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा। राष्ट्रपति अपनी विधायी शक्तियों का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित अध्यादेश (अनुच्छेद 123), सदनों को संबोधित करना, विधायी प्रस्तावों पर हस्ताक्षर करना, ये सभी कार्य मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही किए जाते हैं।
- अincorrect विकल्प: राज्यसभा और लोकसभा विधायी प्रक्रिया के अंग हैं, लेकिन राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग मंत्रिपरिषद के माध्यम से होता है। विकल्प (d) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति के पास कोई स्वतंत्र विधायी शक्ति नहीं होती जो मंत्रिपरिषद की सलाह से अलग हो।
प्रश्न 11: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में “समान कार्य के लिए समान वेतन” के सिद्धांत का उल्लेख है, जो नीति निदेशक तत्वों का हिस्सा है?
- अनुच्छेद 39(d)
- अनुच्छेद 39(a)
- अनुच्छेद 42
- अनुच्छेद 43
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39(d) (Article 39(d)) में यह प्रावधान है कि राज्य, विशेष रूप से, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करेगा कि पुरुष और महिलाओं दोनों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले। यह राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का हिस्सा है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों में इस अनुच्छेद के महत्व को रेखांकित किया है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 39(a) सामान्य कल्याण को बढ़ावा देने की बात करता है। अनुच्छेद 42 न्यायोचित और मानवीय कार्य दशाओं तथा प्रसूति सहायता का उपबंध करता है। अनुच्छेद 43 श्रमिकों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि का प्रावधान करता है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी समिति संसद की स्थायी समितियों में से एक नहीं है?
- लोक लेखा समिति
- प्राक्कलन समिति
- सरकारी उपक्रम समिति
- विशेष अधिकार समिति
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति और सरकारी उपक्रम समिति, ये तीनों संसद की स्थायी समितियाँ हैं। विशेष अधिकार समिति (Committee of Privileges) भी एक स्थायी समिति है, लेकिन इसका गठन और कार्यप्रणाली अन्य समितियों से भिन्न हो सकती है, और अक्सर इसका ज़िक्र वित्तीय या वित्तीय-गैर-वित्तीय स्थायी समितियों के संदर्भ में नहीं किया जाता। हालाँकि, ‘स्थायी समिति’ की परिभाषा के तहत यह भी आती है। प्रश्न के विकल्पों में, अक्सर लोक लेखा, प्राक्कलन और सरकारी उपक्रम समितियों को मुख्य स्थायी समितियों के रूप में गिना जाता है। प्रश्न की मंशा शायद इन प्रमुख समितियों से हटकर पूछने की है। यदि हम सामान्यतः पहचानी जाने वाली वित्तीय समितियों पर ध्यान दें, तो विशेष अधिकार समिति उनसे भिन्न है।
- संदर्भ और विस्तार: लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) व्यय के विनियोग खातों और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्टों की जांच करती है। प्राक्कलन समिति (Estimates Committee) प्रशासन के व्यय और मितव्ययिता के सुझावों की जांच करती है। सरकारी उपक्रम समिति (Committee on Public Undertakings) सरकारी उपक्रमों के कामकाज की जांच करती है। ये सभी वित्तीय समितियाँ हैं। विशेष अधिकार समिति सदस्यों के विशेषाधिकारों के हनन से संबंधित मामलों को देखती है।
- अincorrect विकल्प: यदि प्रश्न यह पूछता है कि कौन सी ‘वित्तीय’ स्थायी समिति नहीं है, तो (d) सही उत्तर होगा। अन्य तीनों वित्तीय स्थायी समितियाँ हैं। (टिप्पणी: सभी तीन विकल्प (a), (b), (c) वित्तीय स्थायी समितियाँ हैं। विशेष अधिकार समिति भी एक स्थायी समिति है, परंतु अक्सर इसे वित्तीय समितियों के साथ वर्गीकृत नहीं किया जाता। इस प्रश्न में संभावित अस्पष्टता है। हालांकि, वित्तीय जाँच के संदर्भ में, (d) सबसे भिन्न है।)
प्रश्न 13: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद नागरिकता से संबंधित है?
- अनुच्छेद 5-11
- अनुच्छेद 12-35
- अनुच्छेद 36-51
- अनुच्छेद 52-78
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग II (Part II), जिसमें अनुच्छेद 5 से 11 (Articles 5 to 11) शामिल हैं, भारत की नागरिकता से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 5 संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता की बात करता है। अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता के अधिकार को कानून द्वारा विनियमित करने की शक्ति देता है, जिसके तहत नागरिकता अधिनियम, 1955 बनाया गया।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 12-35 मौलिक अधिकारों से, अनुच्छेद 36-51 राज्य के नीति निदेशक तत्वों से, और अनुच्छेद 52-78 संघ की कार्यपालिका से संबंधित हैं।
प्रश्न 14: भारत में केंद्र-राज्य संबंधों की समीक्षा के लिए निम्नलिखित में से किस आयोग का गठन किया गया था?
- सरकारीया आयोग
- एल. एम. सिंघवी समिति
- बलवंत राय मेहता समिति
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: केंद्र-राज्य संबंधों की समीक्षा के लिए 1983 में न्यायमूर्ति आर. एस. सरकारीया की अध्यक्षता में सरकारीया आयोग (Sarkaria Commission) का गठन किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: आयोग ने 1988 में अपनी रिपोर्ट सौंपी और केंद्र-राज्य संबंधों को मजबूत करने के लिए कई सिफारिशें कीं। इसी तरह, पुंछी आयोग (Poonchi Commission) का गठन भी केंद्र-राज्य संबंधों के लिए किया गया था।
- अincorrect विकल्प: एल. एम. सिंघवी समिति (1986) ने पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने की सिफारिश की थी। बलवंत राय मेहता समिति (1957) ने पंचायती राज संस्थाओं की त्रि-स्तरीय संरचना का सुझाव दिया था।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान का कौन सा संशोधन राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) के दौरान मौलिक अधिकारों के निलंबन से संबंधित है?
- 44वां संशोधन
- 42वां संशोधन
- 38वां संशोधन
- 50वां संशोधन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 ने 42वें संशोधन द्वारा किए गए कुछ प्रावधानों को निरस्त किया। विशेष रूप से, इसने अनुच्छेद 352 (Article 352) में यह महत्वपूर्ण संशोधन किया कि राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) को निलंबित नहीं किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: 42वें संशोधन ने अनुच्छेद 352 में यह जोड़ा था कि राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति सभी मौलिक अधिकारों को निलंबित कर सकते थे। 38वें संशोधन ने अनुच्छेद 352 में कुछ अतिरिक्त प्रावधान जोड़े थे।
- अincorrect विकल्प: 42वां संशोधन वास्तव में मौलिक अधिकारों के निलंबन की अनुमति देता था, लेकिन 44वां संशोधन इसे सीमित करता है। 38वां और 50वां संशोधन अन्य विषयों से संबंधित थे।
प्रश्न 16: संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति पद की रिक्ति को कितने समय के भीतर भरना आवश्यक है?
- 6 महीने
- 12 महीने
- 18 महीने
- राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर करता है
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 62 (Article 62) के अनुसार, राष्ट्रपति पद की रिक्ति को भरने के लिए चुनाव रिक्ति की तारीख से छह महीने के भीतर हो जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: हालाँकि, संविधान यह भी कहता है कि जब राष्ट्रपति के पद की रिक्ति, कार्यकाल की समाप्ति के कारण होती है, तो निवर्तमान राष्ट्रपति पद पर तब तक बना रहेगा जब तक कि उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता।
- अincorrect विकल्प: 12 या 18 महीने की कोई निश्चित समय-सीमा नहीं है। राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर नहीं करता, बल्कि संविधान द्वारा निर्धारित समय-सीमा है।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘अस्पृश्यता’ के उन्मूलन से संबंधित है?
- अनुच्छेद 17
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 21
- अनुच्छेद 23
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 17 (Article 17) अस्पृश्यता (Untouchability) का अंत करता है और किसी भी रूप में इसके आचरण को निषिद्ध करता है।
- संदर्भ और विस्तार: संसद ने अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (जिसे बाद में नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के रूप में संशोधित किया गया) पारित किया है ताकि अनुच्छेद 17 को प्रभावी बनाया जा सके।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा से संबंधित है। अनुच्छेद 23 मानव के दुर्व्यापार और बलात् श्रम का प्रतिषेध करता है।
प्रश्न 18: भारतीय संविधान के किस भाग में “राज्यों के नीति निदेशक तत्व” (Directive Principles of State Policy) शामिल हैं?
- भाग IV
- भाग III
- भाग II
- भाग V
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV (Part IV), जिसमें अनुच्छेद 36 से 51 तक शामिल हैं, राज्यों के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: ये तत्व कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण हैं और सरकार को कानून बनाते समय इनका ध्यान रखना चाहिए। ये न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन देश के शासन में मौलिक हैं।
- अincorrect विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से, भाग II नागरिकता से, और भाग V संघ की कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका से संबंधित है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- वित्त आयोग (Finance Commission)
- निर्वाचन आयोग (Election Commission)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (NITI Aayog) एक संवैधानिक निकाय नहीं है। इसका गठन 1 जनवरी 2015 को भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा ‘योजना आयोग’ के स्थान पर किया गया था। यह एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से गठित एक वैधानिक (statutory) संस्था नहीं, बल्कि एक अतिरिक्त-संवैधानिक (extra-constitutional) या गैर-संवैधानिक (non-constitutional) संस्था है।
- संदर्भ और विस्तार: वित्त आयोग (अनुच्छेद 280), निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324) और संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) सीधे संविधान में प्रावधानित निकाय हैं, जिन्हें संवैधानिक दर्जा प्राप्त है।
- अincorrect विकल्प: वित्त आयोग (a), निर्वाचन आयोग (b), और संघ लोक सेवा आयोग (d) तीनों भारतीय संविधान के तहत स्थापित निकाय हैं और इसलिए संवैधानिक निकाय हैं। नीति आयोग (c) एक कार्यकारी निकाय है।
प्रश्न 20: संसद में शून्य काल (Zero Hour) का अर्थ क्या है?
- जब कोई विधायी कार्य नहीं होता है।
- प्रश्न काल के तुरंत बाद का समय, जब सदस्य बिना पूर्व सूचना के महत्व के मामले उठा सकते हैं।
- बजट प्रस्तावों पर चर्चा का समय।
- अध्यक्ष द्वारा निर्धारित विशेष चर्चा का समय।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: शून्य काल (Zero Hour) प्रश्न काल (Question Hour) के तुरंत बाद शुरू होता है और दोपहर के भोजन के अवकाश तक चलता है। इस दौरान, सदस्य बिना पूर्व सूचना के महत्व के मामलों को उठा सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय संसदीय प्रक्रिया का एक अभिनव आविष्कार है और इसका उल्लेख संविधान में नहीं है। यह सदस्यों को तत्कालीन सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करता है।
- अincorrect विकल्प: (a) गलत है क्योंकि शून्य काल में महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं। (c) बजट प्रस्तावों पर चर्चा के लिए अलग समय होता है। (d) शून्य काल अध्यक्ष द्वारा निर्धारित नहीं, बल्कि प्रक्रिया का हिस्सा है।
प्रश्न 21: भारतीय संविधान में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?
- भारत का राष्ट्रपति वंशानुगत होगा।
- भारत का राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होगा।
- भारत का राज्य किसी भी धर्म को बढ़ावा देगा।
- भारत में सर्वोच्च सत्ता लोगों के हाथ में होगी।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख (जैसे भारत में राष्ट्रपति) वंशानुगत नहीं होता, बल्कि एक निश्चित अवधि के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना में ‘हम, भारत के लोग…’ से शुरू होकर यह स्पष्ट होता है कि सर्वोच्च सत्ता भारत की जनता में निहित है, और भारत एक गणराज्य है। राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचक मंडल द्वारा चुने जाते हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) गलत है क्योंकि गणराज्य का मतलब वंशानुगत न होना है। (c) धर्म को बढ़ावा देना ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) का उल्लंघन है, न कि ‘गणराज्य’ का अर्थ। (d) सर्वोच्च सत्ता जनता में होना ‘लोकतंत्र’ (Democracy) का अर्थ है, जो गणराज्य का एक आवश्यक अंग है, लेकिन ‘गणराज्य’ का विशेष अर्थ राज्य प्रमुख का निर्वाचित होना है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद भारतीय संविधान में “संसद द्वारा विधि द्वारा” (by law made by Parliament) के वाक्यांश का प्रयोग करता है, जो नागरिकता के अर्जन और समाप्ति से संबंधित है?
- अनुच्छेद 11
- अनुच्छेद 10
- अनुच्छेद 9
- अनुच्छेद 5
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 11 (Article 11) कहता है कि “संसद द्वारा विधि द्वारा नागरिकता के अधिकार को विनियमित किया जाएगा।”
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद संसद को नागरिकता से संबंधित कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है, जिसके तहत नागरिकता अधिनियम, 1955 बनाया गया। अन्य अनुच्छेद नागरिकता के प्रारंभ, नागरिकता की परिभाषा और कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार के बारे में बताते हैं।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 10 नागरिकता के अधिकारों के जारी रहने की बात करता है। अनुच्छेद 9 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा। अनुच्छेद 5 संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता से संबंधित है।
प्रश्न 23: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपना प्रतिवेदन किसे प्रस्तुत करता है?
- राष्ट्रपति को
- प्रधानमंत्री को
- वित्त मंत्रालय को
- सर्वोच्च न्यायालय को
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपनी रिपोर्टें राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है। राष्ट्रपति इन रिपोर्टों को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखवाते हैं (अनुच्छेद 151)।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के लोक वित्त का संरक्षक है। संघ के खातों से संबंधित CAG की रिपोर्टें लोक लेखा समिति (PAC) द्वारा जांची जाती हैं, जो संसद की एक महत्वपूर्ण समिति है।
- अincorrect विकल्प: CAG सीधे प्रधानमंत्री या वित्त मंत्रालय को रिपोर्ट नहीं करता। सर्वोच्च न्यायालय न्यायपालिका का प्रमुख है, न कि CAG की रिपोर्टों का प्राप्तकर्ता।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा कथन पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने के 73वें संशोधन के संदर्भ में असत्य है?
- इसने संविधान में भाग IX जोड़ा।
- इसने ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी, जिसमें 29 विषय हैं।
- यह सभी राज्यों पर तुरंत लागू हो गया।
- इसने पंचायतों को स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में स्थापित किया।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: 73वां संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में भाग IX (अनुच्छेद 243 से 243O) और ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी। हालाँकि, यह अधिनियम सभी राज्यों पर **तुरंत** लागू नहीं हुआ। इसमें एक प्रावधान था कि राज्य सरकारें अपने कानूनों को अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप बनाने के लिए छह महीने के भीतर आवश्यक संशोधन करेंगी। कुछ राज्यों ने अपने मौजूदा कानूनों को बनाए रखा, जबकि अन्य ने नए कानून बनाए।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देना, उनकी स्वायत्तता बढ़ाना और उन्हें स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में मजबूत करना था।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (d) तीनों कथन सत्य हैं। (c) असत्य है क्योंकि यह सभी राज्यों पर एक साथ, तुरंत लागू नहीं हुआ; राज्यों को अनुकूलित होने का समय दिया गया था, और कुछ ने अपने कानूनों को जारी रखा।
प्रश्न 25: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय को अपने निर्णय या आदेश की समीक्षा करने की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 137
- अनुच्छेद 142
- अनुच्छेद 141
- अनुच्छेद 131
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 137 (Article 137) सर्वोच्च न्यायालय को अपने स्वयं के निर्णयों या आदेशों की समीक्षा करने (Review) की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) की शक्ति का ही एक पहलू है, जो न्यायालय को यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि उसके निर्णय निष्पक्ष और न्यायसंगत हों। इसने “संविधान का मूल ढांचा” सिद्धांत को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को अपने निर्णयों को लागू करने के लिए पूर्ण न्याय करने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 141 बताता है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून सभी अदालतों पर बाध्यकारी होगा। अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल अधिकार क्षेत्र से संबंधित है।