भारतीय राजव्यवस्था का अंतिम युद्ध: 25 प्रश्न, 25 संकल्प
नमस्कार, भविष्य के नायकों! भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों और संवैधानिक बारीकियों को समझने की आपकी यात्रा में आपका स्वागत है। आज हम राजव्यवस्था के मैदान में उतरेंगे, 25 चुनिंदा प्रश्नों के साथ आपकी वैचारिक स्पष्टता और ज्ञान की गहराई का परीक्षण करेंगे। क्या आप इस चुनौती के लिए तैयार हैं? आइए, अपनी तैयारी को एक नई ऊँचाई दें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़े गए?
- 24वां संशोधन अधिनियम
- 42वां संशोधन अधिनियम
- 44वां संशोधन अधिनियम
- 52वां संशोधन अधिनियम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था। यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान पारित हुआ था और इसने संविधान में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए।
- संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय गणराज्य के सामाजिक, धर्मनिरपेक्ष और अखंड चरित्र को और अधिक सुदृढ़ करना था। ‘समाजवादी’ शब्द एक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को दर्शाता है, ‘पंथनिरपेक्ष’ सभी धर्मों के प्रति समान आदर और तटस्थता को, और ‘अखंडता’ देश की एकता और अविभाज्यता को।
- गलत विकल्प: 24वां संशोधन राष्ट्रपति की संशोधन शक्ति से संबंधित था। 44वां संशोधन आपातकाल के प्रावधानों और मौलिक अधिकारों को अधिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए था। 52वां संशोधन दल-बदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘अधिकार’ है, लेकिन ‘राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत’ नहीं है?
- पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार
- जीवन का अधिकार
- पशुपालन का संगठन
- सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: जीवन का अधिकार (Right to Life) एक मौलिक अधिकार है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आता है। यह राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) का हिस्सा नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक अधिकार वे अधिकार हैं जो नागरिकों को राज्य के मनमाने हस्तक्षेप से सुरक्षा प्रदान करते हैं और संविधान के भाग III में वर्णित हैं। DPSP, संविधान के भाग IV में वर्णित हैं और ये सरकार के लिए एक दिशानिर्देश हैं, जिन्हें कानून बनाते समय ध्यान में रखना होता है, लेकिन ये सीधे तौर पर न्यायोचित (enforceable) नहीं होते।
- गलत विकल्प: पर्यावरण की सुरक्षा (अनुच्छेद 48A), पशुपालन का संगठन (अनुच्छेद 48), और समान नागरिक संहिता (अनुच्छेद 44) राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत हैं।
प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में कौन सा कथन सही नहीं है?
- राष्ट्रपति मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल सकते हैं।
- राष्ट्रपति कोर्ट मार्शल द्वारा दी गई सजा को क्षमा कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति संघ सूची के विषयों से संबंधित किसी विधि के विरुद्ध किए गए अपराधों के लिए दंड को क्षमा कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति किसी भी राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रदान की गई क्षमा को क्षमा कर सकते हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 72 के तहत क्षमादान की शक्ति है। इस शक्ति के तहत राष्ट्रपति मृत्युदंड को पूर्णतः क्षमा कर सकते हैं, उसे आजीवन कारावास में बदल सकते हैं, सजा को कम कर सकते हैं, या उसे स्थगित कर सकते हैं। यह शक्ति कोर्ट मार्शल द्वारा दी गई सजाओं पर भी लागू होती है। यह संघ सूची के विषयों से संबंधित अपराधों पर भी लागू होती है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति व्यापक है, लेकिन यह भारतीय सेना अधिनियम के तहत कोर्ट मार्शल के निर्णय को निलंबित या कम करने तक सीमित है, न कि उसे पूरी तरह क्षमा करने तक। हालांकि, एक सजा को पूरी तरह क्षमा करना और उसे स्थगित करना दो अलग-अलग चीजें हैं। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि राष्ट्रपति, किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा दी गई क्षमा को क्षमा नहीं कर सकते; राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति राज्य सूची के विषयों से संबंधित अपराधों पर लागू होती है (अनुच्छेद 161)।
- गलत विकल्प: विकल्प (d) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति का विस्तार राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रदान की गई क्षमा को क्षमा करने तक नहीं होता है। यह राज्यपाल की अपनी अलग शक्ति है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संवैधानिक संशोधन’ को ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure) का उल्लंघन मानते हुए अमान्य घोषित किया?
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ (1980) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने 42वें संशोधन के कुछ प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित किया, जिसमें अनुच्छेद 368 के तहत संसद की संशोधन शक्ति पर लगी सीमाओं को हटाना भी शामिल था। न्यायालय ने यह माना कि ये संशोधन संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘मूल ढांचे’ के सिद्धांत की स्थापना की, जिसके अनुसार संसद संविधान के किसी भी हिस्से में संशोधन कर सकती है, लेकिन वह संविधान के ‘मूल ढांचे’ को नहीं बदल सकती। गोलकनाथ मामले (1967) में न्यायालय ने माना था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। मिनर्वा मिल्स मामले ने केशवानंद भारती के फैसले की पुष्टि की और संसद की संशोधन शक्ति पर कुछ और सीमाएं लगाईं।
- गलत विकल्प: जबकि केशवानंद भारती ने मूल ढांचे का सिद्धांत दिया और गोलकनाथ ने मौलिक अधिकारों पर सीमा बताई, मिनर्वा मिल्स ने विशेष रूप से एक संशोधन को मूल ढांचे के उल्लंघन में अमान्य किया। उपरोक्त सभी का उत्तर तब सही होता यदि तीनों मामलों में समान परिणाम हुआ हो, जो यहां नहीं है।
प्रश्न 5: भारतीय संसद की संयुक्त बैठक को कौन आहूत करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति अनुच्छेद 108 के तहत संसद की संयुक्त बैठक को आहूत (summon) करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संयुक्त बैठक का प्रावधान सामान्य विधेयकों (धन विधेयकों और संविधान संशोधन विधेयकों को छोड़कर) के गतिरोध को दूर करने के लिए है। इस बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करते हैं। राष्ट्रपति केवल संयुक्त बैठक बुलाने का अधिकार रखते हैं, उसकी अध्यक्षता करने का नहीं।
- गलत विकल्प: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं लेकिन संयुक्त बैठक की अध्यक्षता नहीं करते। प्रधानमंत्री सरकार के मुखिया होते हैं और वे राष्ट्रपति को संयुक्त बैठक बुलाने की सलाह दे सकते हैं, पर वे स्वयं बैठक नहीं बुलाते। मुख्य न्यायाधीश का इससे कोई संबंध नहीं है।
प्रश्न 6: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) की नियुक्ति कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- भारत के राष्ट्रपति
- वित्त मंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है और भारत की संचित निधि, लोक वित्त और सभी सरकारी उपक्रमों के ऑडिट के लिए जिम्मेदार होता है। CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है। वह संसद के दोनों सदनों द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा ही हटाया जा सकता है, जो सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया के समान है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या वित्त मंत्री CAG की नियुक्ति नहीं करते। यह एक संवैधानिक पद है जिसकी नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति को है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘दल-बदल’ (Defection) के संबंध में सही है?
- सदस्य स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है।
- सदस्य अपने दल के निर्देशों के विरुद्ध मतदान करता है या मतदान से अनुपस्थित रहता है।
- कोई व्यक्ति जो निर्दलीय चुनाव जीतता है, वह किसी भी पार्टी में शामिल हो सकता है।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: दल-बदल के आधार पर अयोग्यता का प्रावधान संविधान की दसवीं अनुसूची में किया गया है, जिसे 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: दसवीं अनुसूची के पैरा 2 के अनुसार, कोई सदस्य निम्नलिखित परिस्थितियों में दल-बदल के आधार पर अयोग्य घोषित किया जा सकता है: (1) यदि वह स्वेच्छा से किसी राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ देता है; (2) यदि वह उस दल के निर्देशों के विरुद्ध मतदान करता है या मतदान से अनुपस्थित रहता है (और ऐसा करने से उसे 15 दिनों के भीतर दल द्वारा माफ नहीं किया जाता है); (3) यदि कोई निर्दलीय सदस्य किसी दल में शामिल हो जाता है।
- गलत विकल्प: दिए गए सभी बिंदु दल-बदल के आधार पर अयोग्यता के कारण बन सकते हैं।
प्रश्न 8: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा कौन कर सकता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- केंद्रीय मंत्रिमंडल
- संसद
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पहले, राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा राष्ट्रपति केवल केंद्रीय मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश पर कर सकते थे। हालाँकि, 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 के बाद, यह प्रावधान किया गया कि राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा केवल ‘लिखित सिफारिश’ पर ही कर सकते हैं, जो कि भारत सरकार के सभी मंत्रियों से युक्त मंत्रिमंडल द्वारा हस्ताक्षरित हो। यह घोषणा संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित होनी चाहिए।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडल या संसद आपातकाल की घोषणा नहीं करते; यह राष्ट्रपति की संवैधानिक शक्ति है, जो मंत्रिमंडल की सलाह पर कार्य करते हैं।
प्रश्न 9: भारत के संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता’ का प्रावधान करता है?
- अनुच्छेद 38
- अनुच्छेद 39
- अनुच्छेद 40
- अनुच्छेद 41
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 39(क) राज्य को निर्देश देता है कि वह यह सुनिश्चित करे कि विधि का शासन इस प्रकार काम करे कि सभी को समान न्याय मिले और यह कि आर्थिक या अन्य किसी निर्योग्यता के कारण कोई भी नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाए। यह निःशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था भी करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 39(क) को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में जोड़ा गया था। इसका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को न्याय सुलभ कराना है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 38 राज्य को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए लोक कल्याण को बढ़ावा देने का निर्देश देता है। अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों के संगठन से संबंधित है। अनुच्छेद 41 कुछ मामलों में काम, शिक्षा और सामाजिक सहायता पाने के अधिकार से संबंधित है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन भारत की ‘लोकसभा’ का पदेन सभापति होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- लोकसभा अध्यक्ष
- लोकसभा के वरिष्ठतम सदस्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा अध्यक्ष (Speaker of the Lok Sabha) लोकसभा के पदेन सभापति होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा के सदस्यों द्वारा अपने में से ही किया जाता है। वे सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं, सदन के अनुशासन को बनाए रखते हैं, और महत्वपूर्ण रूप से, वे सदन की अवमानना (contempt of the House) के लिए सदस्यों को दंडित करने की शक्ति भी रखते हैं। उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
- गलत विकल्प: भारत के राष्ट्रपति राज्य के प्रमुख हैं। भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं, लोकसभा के नहीं। लोकसभा के वरिष्ठतम सदस्य केवल अंतरिम व्यवस्था में अध्यक्षता कर सकते हैं, स्थायी सभापति नहीं।
प्रश्न 11: भारत में ‘वित्त आयोग’ (Finance Commission) का गठन कितने वर्षों के अंतराल पर किया जाता है?
- 3 वर्ष
- 4 वर्ष
- 5 वर्ष
- 6 वर्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत, भारत के राष्ट्रपति प्रत्येक पांचवें वर्ष या उससे पहले या जब भी उन्हें आवश्यक लगे, एक वित्त आयोग का गठन करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के बीच और राज्यों के बीच करों के शुद्ध आय के आवंटन और उन आययों के राज्यों के बीच वितरण के सिद्धांतों पर सिफारिशें करता है। यह राज्यों को अनुदान-इन-एड देने के सिद्धांतों पर भी सिफारिशें करता है।
- गलत विकल्प: संविधान में स्पष्ट रूप से ‘पांचवें वर्ष’ का उल्लेख है, न कि 3, 4, या 6 वर्ष।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘अप्रत्यक्ष रूप से’ (Indirectly) अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में शामिल है?
- प्रेस की स्वतंत्रता
- सूचना का अधिकार
- चुप रहने का अधिकार
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19(1)(a) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कई ऐतिहासिक निर्णयों के माध्यम से इस अधिकार का विस्तार किया है।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि प्रेस की स्वतंत्रता (ई. एम. एस. नम्बूदरीपाद मामला), सूचना का अधिकार (राज नारायण बनाम उत्तर प्रदेश राज्य), और चुप रहने का अधिकार (के. एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ, निजता के अधिकार के हिस्से के रूप में) सभी वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्निहित (implied) पहलू हैं।
- गलत विकल्प: सभी दिए गए विकल्प अप्रत्यक्ष रूप से अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत संरक्षित हैं।
प्रश्न 13: किसी राज्य का राज्यपाल अपना त्यागपत्र किसे सौंपता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- राज्य के मुख्यमंत्री
- राज्य विधानमंडल के अध्यक्ष
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 156(2) के अनुसार, प्रत्येक राज्यपाल अपने पद की अवधि पूरी करने से पहले, भारत के राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर वाले लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा।
- संदर्भ और विस्तार: राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (at the pleasure of the President) पद धारण करता है। इसका अर्थ है कि राष्ट्रपति उन्हें कभी भी हटा सकते हैं, और राज्यपाल भी अपनी मर्जी से राष्ट्रपति को त्यागपत्र दे सकते हैं।
- गलत विकल्प: राज्यपाल अपना त्यागपत्र भारत के राष्ट्रपति को सौंपते हैं, न कि मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष या मुख्य न्यायाधीश को।
प्रश्न 14: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘पंचायती राज’ से संबंधित है?
- भाग VIII
- भाग IX
- भाग IX-A
- भाग X
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है। इसे 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान में जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: भाग IX में अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं के गठन, शक्तियाँ, उत्तरदायित्व, वित्त आदि से संबंधित प्रावधान शामिल हैं। इसने पंचायती राज को एक संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- गलत विकल्प: भाग VIII संघ शासित प्रदेशों से संबंधित है। भाग IX-A शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है (74वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया)। भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित है।
प्रश्न 15: ‘लोकसभा’ के अध्यक्ष को उसके पद से कैसे हटाया जा सकता है?
- केवल राष्ट्रपति द्वारा
- केवल संसद द्वारा महाभियोग द्वारा
- लोकसभा के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा, जिसकी सूचना 14 दिन पूर्व दी गई हो
- उपराष्ट्रपति द्वारा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा अध्यक्ष को उनके पद से अनुच्छेद 94 के अनुसार, यदि वे लोकसभा के सदस्य नहीं रहते हैं, या यदि वे लोकसभा के तत्कालीन (सबके) सदस्यों के बहुमत से पारित एक संकल्प द्वारा हटा दिए जाते हैं। इस संकल्प के लिए 14 दिन की पूर्व सूचना देना आवश्यक है।
- संदर्भ और विस्तार: यह बहुमत ‘प्रभावी बहुमत’ (effective majority) होता है, जिसका अर्थ है कि मतदान में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के पूर्ण बहुमत के अतिरिक्त, जो रिक्ति में नहीं हैं, उन सदस्यों के भी आधे से अधिक का मत होना चाहिए। यह एक विशेष प्रक्रिया है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति अध्यक्ष को नहीं हटाते। यह महाभियोग (impeachment) की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक सामान्य संकल्प है। उपराष्ट्रपति का भी इससे कोई सीधा संबंध नहीं है।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा मूल अधिकार ‘राज्य के विरुद्ध’ (Against the State) तो है, लेकिन ‘अन्य नागरिकों के विरुद्ध’ (Against Private Individuals) नहीं?
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15)
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15 विशेष रूप से राज्य को धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर नागरिकों के विरुद्ध भेदभाव करने से रोकता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 15 केवल राज्य के कार्यों पर लागू होता है, न कि निजी व्यक्तियों के भेदभाव पर। उदाहरण के लिए, एक निजी रेस्तरां द्वारा किसी व्यक्ति को सेवा से मना करना अनुच्छेद 15 का उल्लंघन नहीं है, जब तक कि वह सरकारी प्रतिष्ठान न हो। वहीं, अनुच्छेद 14, 21, और 25 जैसे अधिकार राज्य के विरुद्ध और कुछ हद तक निजी व्यक्तियों के विरुद्ध भी लागू होते हैं (जैसे अनुच्छेद 15(2) सार्वजनिक स्थानों पर भेदभाव को रोकता है, जो नागरिकों के विरुद्ध भी प्रभावी है)।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (समानता) राज्य पर लागू होता है और अप्रत्यक्ष रूप से नागरिकों के बीच भी लागू हो सकता है। अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भी राज्य के साथ-साथ कुछ हद तक निजी कार्यों पर भी लागू हो सकते हैं।
प्रश्न 17: भारतीय संविधान के अनुसार, ‘न्यायिक समीक्षा’ (Judicial Review) का आधार क्या है?
- संसद द्वारा पारित कोई भी कानून
- कार्यपालिका द्वारा जारी कोई भी आदेश
- दोनों (a) और (b)
- केवल राष्ट्रपति द्वारा जारी कोई अध्यादेश
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: यद्यपि भारतीय संविधान में ‘न्यायिक समीक्षा’ शब्द का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन यह अनुच्छेद 13, 32, 226 और 246 में निहित है। न्यायिक समीक्षा का अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय संसद द्वारा पारित किसी भी कानून या कार्यपालिका द्वारा जारी किसी भी आदेश की संवैधानिकता की जांच कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यदि कोई कानून या आदेश संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो न्यायालय उसे असंवैधानिक और अमान्य घोषित कर सकता है। यह शक्ति संविधान के ‘मूल ढांचे’ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- गलत विकल्प: न्यायिक समीक्षा केवल किसी एक प्रकार के कानून या आदेश पर लागू नहीं होती, बल्कि संसद के कानूनों और कार्यपालिका के आदेशों पर समान रूप से लागू होती है।
प्रश्न 18: ‘अंतर-राज्य परिषद’ (Inter-State Council) के गठन का प्रावधान किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 261
- अनुच्छेद 262
- अनुच्छेद 263
- अनुच्छेद 264
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 263 में यह प्रावधान है कि यदि किसी भी समय राष्ट्रपति की यह राय हो कि लोकहित में ऐसा करना आवश्यक है, तो वे एक अंतर-राज्य परिषद की स्थापना कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस परिषद का मुख्य कार्य केंद्र और राज्यों के बीच या विभिन्न राज्यों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों की जांच करना और उन पर सलाह देना है। यह परिषद स्थायी भी हो सकती है और विशेष उद्देश्य के लिए भी गठित की जा सकती है। यह संघीय व्यवस्था को सुचारू बनाने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 261 सार्वजनिक कार्यों, अभिलेखों और न्यायिक कार्रवाइयों की परस्पर स्वीकार्यता से संबंधित है। अनुच्छेद 262 अंतर-राज्यीय नदियों या नदी घाटियों के संबंध में न्यायिक अधिकार क्षेत्र के अपवर्जन से संबंधित है। अनुच्छेद 264 सामान्य है और अन्य अनुच्छेदों से संबंधित है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संघ लोक सेवा आयोग’ (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के बारे में सत्य नहीं है?
- अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करते हैं।
- सदस्य अपने पद ग्रहण की तारीख से छह वर्ष की अवधि तक या पैंसठ वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद धारण करेंगे।
- अध्यक्ष या सदस्य राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर वाले लेख द्वारा किसी भी समय अपना पद त्याग सकते हैं।
- अध्यक्ष या सदस्यों को कदाचार के आधार पर केवल संसद द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा ही हटाया जा सकता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 316 के अनुसार, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करते हैं। उनका कार्यकाल भी वही (6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु) होता है और वे राष्ट्रपति को त्यागपत्र दे सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के परामर्श से, कदाचार के आधार पर आयोग के अध्यक्ष या किसी सदस्य को हटा सकते हैं (अनुच्छेद 317)। यह प्रक्रिया महाभियोग जैसी ही होती है, लेकिन इसमें सीधे संसद का संकल्प शामिल नहीं होता, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय की जांच और सिफारिश पर राष्ट्रपति कार्रवाई करते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (d) गलत है क्योंकि UPSC के अध्यक्ष या सदस्यों को कदाचार के आधार पर राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के परामर्श के बाद हटाते हैं, न कि सीधे संसद के महाभियोग द्वारा।
प्रश्न 20: भारत के संविधान में ‘मौलिक कर्तव्य’ (Fundamental Duties) किस संशोधन द्वारा जोड़े गए?
- 40वां संशोधन
- 42वां संशोधन
- 44वां संशोधन
- 52वां संशोधन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान में जोड़ा गया था। ये सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर आधारित थे।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्यों को संविधान के भाग IV-A के अंतर्गत अनुच्छेद 51-A में रखा गया है। ये कर्तव्य नागरिकों को राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों की याद दिलाते हैं, जैसे कि राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना, देश की रक्षा करना, राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखना आदि।
- गलत विकल्प: अन्य संशोधन अधिनियमों का मौलिक कर्तव्यों से सीधा संबंध नहीं है।
प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- चुनाव आयोग (Election Commission of India)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148) सभी भारतीय संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं, जिनके लिए संविधान में विशेष प्रावधान हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है, जिसकी स्थापना संसद द्वारा पारित ‘मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993’ के तहत की गई थी। इसलिए, यह संविधान द्वारा सीधे स्थापित नहीं है।
- गलत विकल्प: A, B, और D संवैधानिक निकाय हैं, इसलिए वे सही उत्तर नहीं हो सकते। NHRC संवैधानिक निकाय नहीं है।
प्रश्न 22: भारत में ‘सर्वोच्च न्यायालय’ (Supreme Court) के न्यायाधीशों को किस आधार पर और किस प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है?
- राष्ट्रपति की राय में अक्षम
- संसद के दोनों सदनों द्वारा उनके सिद्ध कदाचार या अक्षमता के प्रस्ताव पारित होने पर
- प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा
- भारत के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को ‘सिद्ध कदाचार’ (proven misbehaviour) या ‘अक्षमता’ (incapacity) के आधार पर हटाया जा सकता है। इसके लिए संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा, द्वारा उसी सत्र में, प्रत्येक सदन की कुल सदस्यता के बहुमत द्वारा तथा सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा समर्थित एक समावेदन (resolution) राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है जिसे ‘महाभियोग’ (Impeachment) के समान माना जाता है। इस प्रक्रिया को प्रारंभ करने के लिए लोकसभा में कम से कम 100 सदस्यों या राज्यसभा में कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति अकेले या प्रधानमंत्री की सिफारिश पर न्यायाधीशों को नहीं हटा सकते। मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश भी पर्याप्त नहीं है।
प्रश्न 23: ‘राज्यों के पुनर्गठन’ (Reorganisation of States) के लिए 1953 में गठित प्रथम आयोग के अध्यक्ष कौन थे?
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- पंडित जवाहरलाल नेहरू
- फजल अली
- एस. के. धर
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्यों के भाषाई पुनर्गठन के मुद्दे की जांच के लिए 1948 में भारत सरकार द्वारा ‘एस. के. धर’ की अध्यक्षता में एक आयोग (धर आयोग) का गठन किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: धर आयोग ने भाषा के बजाय प्रशासनिक सुविधा को राज्यों के पुनर्गठन का आधार मानने की सिफारिश की थी। इसके बाद, भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग और तेज हो गई, जिसके कारण 1953 में ‘फजल अली’ की अध्यक्षता में एक नया ‘राज्य पुनर्गठन आयोग’ (States Reorganisation Commission – SRC) गठित किया गया, जिसने भाषा को आधार मानने की सिफारिश की।
- गलत विकल्प: सरदार पटेल और नेहरू तत्कालीन राजनीतिक नेता थे। फजल अली 1953 के आयोग के अध्यक्ष थे, जबकि एस. के. धर 1948 के प्रारंभिक आयोग के अध्यक्ष थे, जिसने भाषाई पुनर्गठन का विरोध किया था। प्रश्न ‘प्रथम आयोग’ पूछ रहा है, जो एस. के. धर आयोग था।
प्रश्न 24: भारत के संविधान में ‘संसदीय प्रणाली’ (Parliamentary System) किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- यूनाइटेड किंगडम
- आयरलैंड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत की संसदीय प्रणाली, जिसमें सरकार का प्रमुख (प्रधानमंत्री) कार्यपालिका का हिस्सा होता है और विधायिका (संसद) के प्रति उत्तरदायी होता है, यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) के संविधान से प्रेरित है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संसदीय प्रणाली में राष्ट्रपति नाममात्र के कार्यकारी (nominal executive) होते हैं, जबकि प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी (real executive) होते हैं। यह ‘वेस्टमिंस्टर मॉडल’ कहलाता है।
- गलत विकल्प: अमेरिका में अध्यक्षात्मक प्रणाली है। कनाडा में भी संसदीय प्रणाली है, लेकिन उसकी प्रेरणा ब्रिटेन से ही है। आयरलैंड से नीति निदेशक सिद्धांत और राष्ट्रपति के निर्वाचन की विधि प्रेरित है।
प्रश्न 25: ‘ग्राम सभा’ (Gram Sabha) का क्या अर्थ है?
- एक ग्राम पंचायत का क्षेत्र
- एक ग्राम पंचायत के निर्वाचकों की एक बैठक
- पंचायत स्तर पर एक ब्लॉक
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 243(b) के अनुसार, ‘ग्राम सभा’ से तात्पर्य एक ग्राम पंचायत के क्षेत्र के भीतर आने वाले सभी निर्वाचकों (voters) की एक बैठक (meeting) से है।
- संदर्भ और विस्तार: ग्राम सभा पंचायती राज व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण इकाई है। यह एक ग्राम पंचायत के सभी पंजीकृत मतदाताओं से मिलकर बनती है और पंचायत के विकास से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेती है। यह स्थानीय लोकतंत्र का आधार है।
- गलत विकल्प: ग्राम पंचायत का क्षेत्र तो है, लेकिन ग्राम सभा केवल क्षेत्र नहीं, बल्कि उस क्षेत्र के सभी मतदाताओं की बैठक है। यह पंचायत स्तर पर एक ब्लॉक भी नहीं है।