भारतीय राजव्यवस्था: आपकी तैयारी का दैनिक अग्निपरीक्षा
भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की गहरी समझ ही सफलता की कुंजी है! क्या आप भारतीय संविधान और राजव्यवस्था के अपने ज्ञान को परखने के लिए तैयार हैं? आइए, आज की इस विशेष प्रश्नोत्तरी के साथ अपनी वैचारिक स्पष्टता को और धारदार बनाएं और अपनी परीक्षा की तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों को किस संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) शब्दों को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था। इसी अधिनियम द्वारा ‘अखंडता’ (Integrity) शब्द को भी जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: ये शब्द संविधान के मूल स्वरूप को बढ़ाने और सामाजिक-आर्थिक न्याय तथा सभी धर्मों के प्रति समान आदर के भाव को सुनिश्चित करने के लिए जोड़े गए थे। यद्यपि ये शब्द जोड़े गए, सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न निर्णयों (जैसे केशवानंद भारती मामले) में माना है कि प्रस्तावना संविधान का अभिन्न अंग है, लेकिन यह संशोधन प्रस्तावना के मूल ढांचे को नहीं बदलता।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन अधिनियम, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वां संशोधन अधिनियम, 1985 ने दलबदल विरोधी प्रावधानों को जोड़ा (दसवीं अनुसूची)। 73वां संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।
प्रश्न 2: भारत के उपराष्ट्रपति को निम्नलिखित में से किसके द्वारा हटाया जा सकता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित एक संकल्प, जिसमें पूर्ण बहुमत हो
- संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित एक संकल्प, जिसमें तत्कालीन सदस्यों के पूर्ण बहुमत का समर्थन हो और वह संकल्प एक विशेष बहुमत द्वारा समर्थित हो
- सुप्रीम कोर्ट का आदेश
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया अनुच्छेद 67(b) में उल्लिखित है। इसके अनुसार, उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए एक संकल्प पारित करना होगा, जिसके लिए उस सदन (राज्यसभा) में, जिसमें उन्हें हटाने का प्रस्ताव सर्वप्रथम प्रस्तुत किया जाता है, तत्कालीन सदस्यों के पूर्ण बहुमत का समर्थन प्राप्त हो और वह संकल्प उसी सत्र में, जिस सत्र में यह संकल्प प्रस्तुत किया गया है, किसी भी अन्य सदन (लोकसभा) द्वारा भी पूर्ण बहुमत से पारित किया जाए।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है ताकि उच्च पद पर बैठे व्यक्ति को आसानी से या दुर्भावनापूर्ण तरीके से न हटाया जा सके। राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति को पद से नहीं हटा सकते, न ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश सीधे तौर पर हटाने के लिए पर्याप्त है (जब तक कि वह अयोग्यता का मामला न हो)।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति के पास यह शक्ति नहीं है। संसद के दोनों सदनों द्वारा पूर्ण बहुमत (जो विशेष बहुमत से भिन्न है) भी पर्याप्त नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश किसी को पद से सीधे नहीं हटा सकता, लेकिन वह कदाचार या अयोग्यता के मामलों में निर्णय दे सकता है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
- भाग IV: राज्य के नीति निदेशक तत्व
- भाग III: मूल अधिकार
- भाग II: नागरिकता
- भाग VIII: पंचायती राज
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भाग IV में राज्य के नीति निदेशक तत्व (अनुच्छेद 36-51), भाग III में मूल अधिकार (अनुच्छेद 12-35) और भाग II में नागरिकता (अनुच्छेद 5-11) का प्रावधान है। भाग VIII में केंद्र शासित प्रदेशों का प्रशासन (अनुच्छेद 239-242) का उल्लेख है।
- संदर्भ और विस्तार: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा दिया गया और उन्हें संविधान के भाग IX में शामिल किया गया। इसलिए, भाग VIII पंचायती राज से संबंधित नहीं है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) बिल्कुल सही सुमेलित हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि भाग VIII केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित है, न कि पंचायती राज से।
प्रश्न 4: संसद द्वारा पारित किसी भी विधेयक को किसकी पूर्व अनुमति से लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है, यदि वह भारत की संचित निधि पर भारित व्यय से संबंधित हो?
- वित्त मंत्री
- प्रधानमंत्री
- राष्ट्रपति
- रक्षा मंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 110 (1) (c) के अनुसार, कोई भी विधेयक जिसमें भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) पर भारित व्यय का प्रावधान हो, उसे लोकसभा में राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति के बिना प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। ऐसे विधेयकों को ‘धन विधेयक’ (Money Bill) माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: धन विधेयकों के संबंध में लोकसभा को अधिक शक्तियां प्राप्त हैं। राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति यह सुनिश्चित करती है कि सरकार के वित्तीय प्रस्तावों पर विचार-विमर्श के लिए उचित मंच उपलब्ध हो।
- गलत विकल्प: वित्त मंत्री विधेयक प्रस्तुत करते हैं, लेकिन पूर्व अनुमति राष्ट्रपति से लेनी होती है। प्रधानमंत्री सरकार का मुखिया होने के नाते महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन विधेयक की प्रस्तुति के लिए राष्ट्रपति की अनुमति अनिवार्य है। रक्षा मंत्री का इस प्रक्रिया से सीधा संबंध नहीं है।
प्रश्न 5: ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- न्यायालयों द्वारा कार्यपालिका और विधायिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करना
- न्यायालयों द्वारा केवल संवैधानिक व्याख्या करना
- न्यायालयों द्वारा केवल विधियों को लागू करना
- न्यायालयों द्वारा मामले को अगले दिन तक स्थगित करना
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: न्यायिक सक्रियता एक ऐसी अवधारणा है जहाँ न्यायपालिका, विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय, कार्यपालिका और विधायिका द्वारा की गई उपेक्षा या विफलता के क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाती है, ताकि जनता के अधिकारों और कल्याण की रक्षा की जा सके। इसमें अक्सर ऐसे निर्णय शामिल होते हैं जो नीति-निर्माण को प्रभावित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में, पीआईएल (जनहित याचिका) की व्यवस्था ने न्यायिक सक्रियता को काफी बढ़ावा दिया है। ऐतिहासिक निर्णयों जैसे ‘मंडल कमीशन’ मामले में या पर्यावरण संबंधी मुकदमों में, सुप्रीम कोर्ट ने सक्रियता दिखाई है। यह अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन इसे अक्सर जनता के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक भी माना जाता है।
- गलत विकल्प: (b) और (c) न्यायालय के पारंपरिक कार्यों को बताते हैं, लेकिन न्यायिक सक्रियता इससे आगे बढ़कर हस्तक्षेप करती है। (d) एक प्रक्रियात्मक कार्य है, सक्रियता का अर्थ नहीं।
प्रश्न 6: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के राष्ट्रपति
- लोकसभा अध्यक्ष
- गृह मंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जैसा कि अनुच्छेद 316 (1) में प्रावधानित है।
- संदर्भ और विस्तार: UPSC एक संवैधानिक संस्था है जिसका मुख्य कार्य संघ की सेवाओं के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित करना और विभिन्न सिविल सेवाओं से संबंधित मामलों पर सरकार को सलाह देना है। नियुक्ति के बाद, अध्यक्ष और सदस्यों की सेवा शर्तों का निर्धारण भी राष्ट्रपति ही करते हैं।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या गृह मंत्री की नियुक्ति प्रक्रिया में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती है, भले ही वे सरकार का हिस्सा हों।
प्रश्न 7: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का पदेन अध्यक्ष कौन होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- योजना आयोग के उपाध्यक्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council – NDC) भारत की एक सर्वोच्च नियोजन संस्था है। इसके पदेन अध्यक्ष (Ex-officio Chairman) भारत के प्रधानमंत्री होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: NDC की स्थापना 1952 में हुई थी। यह पंचवर्षीय योजनाओं के अनुमोदन और राष्ट्रीय नीतियों पर विचार-विमर्श के लिए एक मंच प्रदान करती है। इसके सदस्यों में केंद्र के मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का NDC से कोई सीधा संबंध नहीं है। यद्यपि योजना आयोग (अब नीति आयोग) महत्वपूर्ण था, उसका उपाध्यक्ष NDC का पदेन अध्यक्ष नहीं होता; प्रधानमंत्री होते हैं।
प्रश्न 8: संविधान के किस अनुच्छेद के तहत, किसी राज्य के राज्यपाल को उस राज्य की विधानमंडल (विधानसभा/विधान परिषद) के विशेषाधिकारों के उल्लंघन के लिए दंडित किया जा सकता है?
- अनुच्छेद 194
- अनुच्छेद 195
- अनुच्छेद 105
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 194, विधानमंडल के सदस्यों, समितियों और परिषदों के विशेषाधिकारों से संबंधित है। अनुच्छेद 105, संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों से संबंधित है। अनुच्छेद 195, विधानमंडल के सदस्यों के वेतन और भत्ते से संबंधित है। संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत राज्यपाल को विधानमंडल के विशेषाधिकारों के उल्लंघन के लिए दंडित किया जा सके, क्योंकि राज्यपाल पर कोई भी न्यायालय कार्यवाही नहीं कर सकता (अनुच्छेद 361)।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 361 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति और किसी राज्य के राज्यपाल को किसी भी न्यायालय में किसी भी प्रकार की कार्यवाही के प्रति उन्मुक्ति प्राप्त है। यह उन्मुक्ति उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें व्यक्तिगत क्षमता में किसी भी कानूनी कार्रवाई से बचाती है। इसलिए, राज्यपाल विधानमंडल के विशेषाधिकारों के उल्लंघन के लिए दंडित नहीं किए जा सकते।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 194 और 195 राज्यपाल से सीधे तौर पर नहीं, बल्कि विधानमंडल के सदस्यों के विशेषाधिकारों और भत्तों से संबंधित हैं। जैसा कि ऊपर बताया गया है, राज्यपाल को विशेषाधिकार उल्लंघन के लिए दंडित नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 9: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए गठित समिति में निम्नलिखित में से कौन शामिल होता है?
- प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
- प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री, राज्यसभा के सभापति
- प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राज्यसभा के सभापति, विपक्ष के नेता
- प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री, विपक्ष के नेता (दोनों सदनों के)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक छह-सदस्यीय समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है। इस समिति में प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), गृह मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति, लोकसभा में विपक्ष के नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह समिति यह सुनिश्चित करती है कि आयोग के सदस्यों का चयन निष्पक्ष और बिना किसी पूर्वाग्रह के हो, जिससे आयोग की स्वतंत्रता बनी रहे।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) में समिति के सदस्य पूरी तरह सही नहीं हैं। उदाहरण के लिए, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या केवल एक सदन के विपक्ष के नेता का शामिल होना अनिवार्य नहीं है, बल्कि दोनों सदनों के विपक्ष के नेता शामिल होते हैं।
प्रश्न 10: किस संविधान संशोधन अधिनियम ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 69वां संशोधन अधिनियम, 1991
- 82वां संशोधन अधिनियम, 2000
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संशोधन अधिनियम, 1992, जिसने 24 अप्रैल 1993 को प्रभावी होकर, पंचायती राज संस्थाओं को भारतीय संविधान के भाग IX में शामिल किया और अनुच्छेद 243 से 243-O तक नए प्रावधान जोड़े। इससे पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम ने ग्राम स्तर, मध्यवर्ती स्तर और जिला स्तर पर पंचायतों की स्थापना का प्रावधान किया, साथ ही ग्राम सभा को भी संवैधानिक मान्यता दी। इसने पंचायतों को कुछ अधिकार, सत्ता और स्वायत्तता प्रदान की ताकि वे स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य कर सकें।
- गलत विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम, 1992 ने शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) को संवैधानिक दर्जा दिया। 69वां संशोधन अधिनियम, 1991 ने दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का विशेष दर्जा दिया। 82वां संशोधन अधिनियम, 2000 ने SC/ST के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण के वर्षों को बढ़ाने का प्रावधान किया।
प्रश्न 11: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- यह केवल युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर घोषित किया जा सकता है।
- यह केवल सशस्त्र विद्रोह के आधार पर घोषित किया जा सकता है।
- यह युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर घोषित किया जा सकता है।
- इसकी घोषणा के लिए संसद के दोनों सदनों का पूर्ण बहुमत आवश्यक है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के अनुसार, राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर की जा सकती है। 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा ‘आंतरिक अशांति’ (Internal Disturbance) शब्द को बदलकर ‘सशस्त्र विद्रोह’ (Armed Rebellion) कर दिया गया था, जिससे आपातकाल की घोषणा के दुरुपयोग पर अंकुश लग सके।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा के अनुमोदन के लिए संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर विशेष बहुमत (तत्कालीन सदस्यों के पूर्ण बहुमत और उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत) से पारित प्रस्ताव आवश्यक है। यह एक गंभीर प्रावधान है जिसके देश पर दूरगामी परिणाम होते हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (b) केवल आंशिक रूप से सही हैं, पूरे आधारों को शामिल नहीं करते। (d) गलत है क्योंकि केवल पूर्ण बहुमत नहीं, बल्कि विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 12: भारत के संविधान की कौन सी अनुसूची नए राज्यों के निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन से संबंधित है?
- पहली अनुसूची
- दूसरी अनुसूची
- तीसरी अनुसूची
- चौथी अनुसूची
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की पहली अनुसूची (First Schedule) भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नाम और उनके अधिकार क्षेत्र को सूचीबद्ध करती है। अनुच्छेद 3 के तहत संसद को नए राज्यों के निर्माण, वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन करने की शक्ति है, और इस तरह के किसी भी कानून के लिए पहली अनुसूची में संशोधन करना आवश्यक होता है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, जब तेलंगाना राज्य का निर्माण हुआ, तो पहली अनुसूची में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के नाम और क्षेत्रों में बदलाव किया गया। यह अनुसूची भारत के संघ के ढांचे को परिभाषित करती है।
- गलत विकल्प: दूसरी अनुसूची राष्ट्रपति, राज्यपालों, अध्यक्षों, न्यायाधीशों आदि के वेतन और भत्तों से संबंधित है। तीसरी अनुसूची शपथ और प्रतिज्ञान के प्रारूप से संबंधित है। चौथी अनुसूची राज्यसभा में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्थानों के आवंटन से संबंधित है।
प्रश्न 13: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय
- राष्ट्रपति
- लोकसभा अध्यक्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148(1) के तहत की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक वित्त का संरक्षक है। यह सरकार द्वारा किए गए व्यय की लेखा-परीक्षा करता है और अपनी रिपोर्ट संसद (केंद्र के लिए) और राज्य विधानमंडलों (राज्यों के लिए) के समक्ष प्रस्तुत करता है। यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का उपयोग कुशलतापूर्वक और संवैधानिक रूप से हो रहा है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या लोकसभा अध्यक्ष की CAG की नियुक्ति में कोई भूमिका नहीं होती है।
प्रश्न 14: भारत में ‘लोकसभा अध्यक्ष’ (Speaker of Lok Sabha) के पद की उत्पत्ति किस अधिनियम से मानी जाती है?
- भारत सरकार अधिनियम, 1935
- भारत सरकार अधिनियम, 1919
- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947
- भारतीय संविधान
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: यद्यपि लोकसभा अध्यक्ष का पद भारतीय संविधान (अनुच्छेद 93) द्वारा परिभाषित है, लेकिन इस पद की अवधारणा और प्रथम बार विधायी निकायों में इसके प्रावधान की जड़ें भारत सरकार अधिनियम, 1919 (मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार) में पाई जाती हैं, जिसने केंद्रीय विधानमंडल के लिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद बनाया।
- संदर्भ और विस्तार: तब से, यह पद विकसित हुआ है और आज यह भारतीय संसदीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो सदन की कार्यवाही के सुचारू संचालन और निष्पक्षता को सुनिश्चित करता है।
- गलत विकल्प: भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने एक संघीय ढांचा प्रस्तावित किया। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 ने भारत को स्वतंत्रता प्रदान की और डोमिनियन का दर्जा दिया। भारतीय संविधान ने पद को पूर्ण रूप से परिभाषित और सशक्त किया, लेकिन उत्पत्ति 1919 के अधिनियम में है।
प्रश्न 15: अनुच्छेद 370, जिसके तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त था, को किस वर्ष में समाप्त किया गया?
- 2017
- 2018
- 2019
- 2020
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: अनुच्छेद 370, जिसने जम्मू और कश्मीर राज्य को भारत के संविधान के तहत विशेष दर्जा प्रदान किया था, को 5 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा प्रभावहीन कर दिया गया और तत्पश्चात संसद ने 6 अगस्त 2019 को एक संकल्प पारित किया। इसके साथ ही, जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर, तथा लद्दाख – में विभाजित कर दिया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इस कदम ने राज्य के एकीकरण को पूर्ण किया और ‘एक राष्ट्र, एक संविधान’ के सिद्धांत को लागू किया। यह भारतीय संवैधानिक इतिहास की एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना थी।
- गलत विकल्प: 2017, 2018 और 2020 में ऐसा कोई महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन नहीं हुआ था।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार, आपातकाल की स्थिति में भी निलंबित नहीं किया जा सकता?
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19)
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 359 के अनुसार, राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, राष्ट्रपति अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) को छोड़कर, किन्हीं भी मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन को निलंबित करने के लिए आदेश जारी कर सकते हैं। 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 के बाद, अनुच्छेद 19 के तहत प्राप्त अधिकारों को भी युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल में निलंबित किया जा सकता है, लेकिन सशस्त्र विद्रोह के आधार पर घोषित आपातकाल में ये निलंबित नहीं होते।
- संदर्भ और विस्तार: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय संविधान का सबसे मौलिक अधिकार माना जाता है और इसे किसी भी परिस्थिति में निलंबित नहीं किया जा सकता।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 19 (वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) कुछ शर्तों के अधीन राष्ट्रीय आपातकाल में निलंबित किया जा सकता है। अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 23-24 (शोषण के विरुद्ध अधिकार) भी सीधे तौर पर निलंबित होने वाले अधिकारों में शामिल हैं (अनुच्छेद 23-24 बाहरी आपातकाल में सस्पेंड हो सकते हैं)।
प्रश्न 17: ‘विधि का शासन’ (Rule of Law) की अवधारणा किस देश के संविधान से प्रभावित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: ‘विधि का शासन’ (Rule of Law) की अवधारणा, जिसका अर्थ है कि कानून सर्वोच्च है और सभी नागरिक, शासक सहित, कानून के अधीन हैं, मुख्य रूप से यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) के संवैधानिक दर्शन से प्रेरित है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा भारतीय संविधान के निर्माताओं द्वारा ग्रहण की गई और प्रस्तावना, मूल अधिकारों (विशेषकर अनुच्छेद 14) और न्यायिक समीक्षा की शक्ति में निहित है। इसका तात्पर्य है कि सरकार मनमानी शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकती और सभी निर्णय कानून के अनुसार लिए जाने चाहिए।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान शक्तियों के पृथक्करण और संघीय ढांचे पर जोर देता है। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के संविधानों की अपनी विशिष्ट विशेषताएं हैं, लेकिन विधि के शासन की प्रत्यक्ष प्रेरणा यूके से है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन भारत के ‘अटॉर्नी जनरल’ (Attorney General for India) के पद से संबंधित सत्य कथन नहीं है?
- उनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- वह भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी होते हैं।
- वह संसद के दोनों सदनों में कार्यवाही में भाग ले सकते हैं।
- वह संसद की किसी भी समिति में मतदान कर सकते हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76 के अनुसार, भारत के अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वह भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी होते हैं। अनुच्छेद 88 के अनुसार, अटॉर्नी जनरल को संसद के दोनों सदनों में (संयुक्त बैठक सहित) और संसद की किसी भी समिति में, जिसमें वह सदस्य के तौर पर नियुक्त हो, बोलने और कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन उन्हें मतदान करने का अधिकार नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: अटॉर्नी जनरल सरकार को कानूनी मामलों पर सलाह देते हैं और राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गए कानूनी कार्यों को करते हैं। उनका मतदान न करना, कार्यपालिका के प्रभाव से उनकी स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सत्य कथन हैं। (d) सत्य नहीं है क्योंकि अटॉर्नी जनरल को मतदान का अधिकार नहीं होता है।
प्रश्न 19: ‘संसद की लोक लेखा समिति’ (Public Accounts Committee) का अध्यक्ष कौन होता है?
- प्रधानमंत्री
- वित्त मंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनोनीत विपक्ष का कोई प्रमुख सदस्य
- लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनोनीत सत्तारूढ़ दल का कोई सदस्य
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: लोक लेखा समिति (PAC) भारत की संसद की सबसे पुरानी समितियों में से एक है। इसके अध्यक्ष का मनोनयन लोकसभा अध्यक्ष द्वारा किया जाता है, और परंपरा रही है कि अध्यक्ष के रूप में विपक्ष के एक प्रमुख सदस्य को चुना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: PAC का मुख्य कार्य CAG की रिपोर्टों का परीक्षण करना है, जो भारत सरकार के व्यय की लेखा-परीक्षा करती है। यह समिति सार्वजनिक धन के उपयोग की जांच करती है और सुनिश्चित करती है कि धन का उपयोग नियमों के अनुसार हुआ है। अध्यक्ष का विपक्ष से होना समिति की निष्पक्षता को सुनिश्चित करने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री स्वतः अध्यक्ष नहीं होते। सत्तारूढ़ दल के सदस्य को अध्यक्ष बनाना परंपरा के विपरीत है, क्योंकि समिति की निष्पक्षता भंग हो सकती है।
प्रश्न 20: किस अनुच्छेद के तहत, राज्य विधानमंडल को किसी विशेष राज्य में राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत अपराधों के लिए दंड निर्धारित करने की शक्ति है?
- अनुच्छेद 249
- अनुच्छेद 250
- अनुच्छेद 252
- अनुच्छेद 254
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 250 (1) के अनुसार, राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा के प्रवर्तन में रहते हुए, संसद को राज्य सूची में प्रविष्ट 7 (आपराधिक कानून) से संबंधित किसी भी विषय के संबंध में विधि बनाने की शक्ति है। राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 एक ऐसा कानून है जो आपराधिक व्यवहार को परिभाषित करता है। अतः, आपातकाल के दौरान, राज्य विधानमंडल के स्थान पर संसद ऐसे विषयों पर कानून बना सकती है, और यदि कोई पहले से लागू है, तो वह तब तक प्रभावी रहेगा जब तक संसद द्वारा संशोधित न किया जाए। यह अप्रत्यक्ष रूप से राज्य विधानमंडल को आपातकाल के दौरान ऐसी शक्तियों पर निर्भर रहने या संसद के कानून को स्वीकार करने की स्थिति में रखता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान आपातकाल के दौरान केंद्र को राष्ट्रीय हित में कानून बनाने की शक्ति देने के लिए है। हालाँकि, प्रश्न सीधे तौर पर राज्य विधानमंडल की शक्ति पूछ रहा है, लेकिन अनुच्छेद 250 राष्ट्रीय आपातकाल में संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति देता है, जिसका अर्थ है कि राज्य विधानमंडल की विधायी शक्ति उस अवधि के लिए स्थगित हो जाती है या केंद्रीय कानून के अधीन हो जाती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 249 संसद को राज्य सूची के किसी विषय पर राष्ट्रीय हित में कानून बनाने की शक्ति देता है, वह भी बिना आपातकाल के। अनुच्छेद 252 दो या अधिक राज्यों के लिए विधान बनाने की संसद की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 254 दोहरीकरण के संबंध में असंगति के नियमों से संबंधित है।
प्रश्न 21: ‘धन विधेयक’ (Money Bill) की परिभाषा संविधान के किस अनुच्छेद में दी गई है?
- अनुच्छेद 109
- अनुच्छेद 110
- अनुच्छेद 111
- अनुच्छेद 112
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 110 (1) धन विधेयक की परिभाषा देता है। इसके अनुसार, एक विधेयक को धन विधेयक तब माना जाएगा यदि उसमें केवल निम्नलिखित सभी या कोई भी विषय शामिल हों: (a) भारत की संचित निधि या लोक लेखा में धन जमा करना या निकालना; (b) किसी कर का अधिरोपण, उन्मूलन, छूट, परिवर्तन या विनियमन; (c) भारत की संचित निधि पर धन भारित करना; (d) भारत की संचित निधि से धन की निकासी; (e) भारत की संचित निधि पर व्यय के लिए धन का विनियोग; (f) कोई ऐसा अन्य कर जो भारत सरकार द्वारा लगाया या वसूल किया जा सकता है; (g) उपरोक्त किसी भी मामले से संबंधित कोई भी बात।
- संदर्भ और विस्तार: धन विधेयक केवल लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है और उसे पारित करने में राज्यसभा की शक्तियां सीमित हैं (वह केवल सिफारिशें कर सकती है, संशोधन नहीं)। इसकी अंतिम प्रमाणित करने की शक्ति लोकसभा अध्यक्ष की होती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 109 धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रियाओं का वर्णन करता है। अनुच्छेद 111 विधेयकों पर राष्ट्रपति की स्वीकृति से संबंधित है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है।
प्रश्न 22: पंचायती राज व्यवस्था में ‘पंचायतों’ के पुनर्गठन के लिए कौन सी समिति का गठन किया गया था?
- बलवंत राय मेहता समिति
- अशोक मेहता समिति
- एल.एम. सिंघवी समिति
- जी.वी.के. राव समिति
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: पंचायती राज व्यवस्था के पुनर्गठन और सुदृढ़ीकरण के लिए 1977 में अशोक मेहता समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने द्वितरीय पंचायती राज व्यवस्था (जिला स्तर पर जिला परिषद और मंडल स्तर पर मंडल पंचायत) की सिफारिश की थी।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि अशोक मेहता समिति की सभी सिफारिशें लागू नहीं की गईं, लेकिन इसने पंचायती राज को अधिक शक्तिशाली और जवाबदेह बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जो बाद के सुधारों के लिए आधार बने। बलवंत राय मेहता समिति (1957) ने त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की सिफारिश की थी, जो भारत में लागू हुई। जी.वी.के. राव समिति (1985) ने पंचायती राज को ‘गरीबी उन्मूलन’ के साथ जोड़ा। एल.एम. सिंघवी समिति (1986) ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने की वकालत की।
- गलत विकल्प: बलवंत राय मेहता समिति ने त्रि-स्तरीय व्यवस्था का सुझाव दिया था। एल.एम. सिंघवी समिति ने संवैधानिक दर्जा की सिफारिश की थी। जी.वी.के. राव समिति ने विकास के दृष्टिकोण से पंचायती राज पर जोर दिया था।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- चुनाव आयोग (Election Commission)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- वित्त आयोग (Finance Commission)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी 2015 को स्थापित एक ‘कार्यकारी आदेश’ (Executive Order) के माध्यम से गठित किया गया है। यह एक ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है, बल्कि एक ‘गैर-संवैधानिक’ (Non-constitutional) या ‘सलाहकारी निकाय’ (Advisory Body) है। योजना आयोग (Planning Commission) का स्थान नीति आयोग ने लिया था।
- संदर्भ और विस्तार: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लिखित संवैधानिक निकाय हैं, जिनका अपना विशिष्ट कार्यक्षेत्र और अधिकार हैं।
- गलत विकल्प: चुनाव आयोग, UPSC और वित्त आयोग तीनों संवैधानिक निकाय हैं, इसलिए वे गलत उत्तर हैं। नीति आयोग संवैधानिक निकाय नहीं है, इसलिए यह सही उत्तर है।
प्रश्न 24: भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया का उल्लेख संविधान के किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 56
- अनुच्छेद 61
- अनुच्छेद 74
- अनुच्छेद 76
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग (Impeachment) चलाने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 61 में विस्तृत रूप से वर्णित है। महाभियोग का आधार संविधान का उल्लंघन है।
- संदर्भ और विस्तार: महाभियोग का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में लाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए कम से कम 14 दिन की पूर्व लिखित सूचना आवश्यक है, जिस पर उस सदन के एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर हों। प्रस्ताव को पारित करने के लिए उस सदन के कुल सदस्यों के बहुमत और संबंधित सदन के दो-तिहाई सदस्यों के विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है। यदि प्रस्ताव दूसरे सदन में जाता है, तो वह सदन आरोपों की जांच करेगा या जांच करवाएगा। यदि दूसरा सदन भी कुल सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर देता है, तो राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाकर उन्हें पद से हटा दिया जाता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 56 राष्ट्रपति के कार्यकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद के गठन की बात करता है। अनुच्छेद 76 अटॉर्नी जनरल से संबंधित है।
प्रश्न 25: भारत में ‘संसदीय संप्रभुता’ (Parliamentary Sovereignty) की अवधारणा किस हद तक लागू होती है?
- ब्रिटेन की तरह पूर्ण संप्रभुता प्राप्त है।
- अमेरिका की तरह पूर्ण संप्रभुता प्राप्त है।
- यह एक लिखित संविधान और न्यायिक समीक्षा के अधीन सीमित है।
- यह केवल धन विधेयकों पर ही लागू होती है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान में, ब्रिटेन के विपरीत, संसद की संप्रभुता पूर्ण नहीं है। यह लिखित संविधान, मौलिक अधिकारों, न्यायिक समीक्षा की शक्ति और संविधान की सर्वोच्चता के सिद्धांतों द्वारा सीमित है। सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों (जैसे केशवानंद भारती मामला) ने स्थापित किया है कि संसद संविधान के ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) में संशोधन नहीं कर सकती।
- संदर्भ और विस्तार: संसदीय संप्रभुता का अर्थ है कि विधायिका (संसद) कानून बनाने में अंतिम प्राधिकारी है। जबकि भारत में संसद के पास व्यापक विधायी शक्तियां हैं, ये शक्तियां संवैधानिक सीमाओं के अधीन हैं। न्यायिक समीक्षा की शक्ति यह सुनिश्चित करती है कि संसद द्वारा बनाए गए कानून संवैधानिक हों।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि भारतीय संसद ब्रिटेन की तरह पूर्ण संप्रभु नहीं है। (b) गलत है क्योंकि अमेरिका में संप्रभुता शक्तियों के पृथक्करण और संघीय व्यवस्था के कारण भिन्न है। (d) गलत है क्योंकि संसदीय संप्रभुता की सीमा केवल धन विधेयकों तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी विधायी कार्यों पर लागू होती है।
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