Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

भारतीय राजव्यवस्था: आज की निर्णायक परीक्षा

भारतीय राजव्यवस्था: आज की निर्णायक परीक्षा

लोकतंत्र के इस महासागर में, संविधान हमारी नौका का पतवार है। अपनी समझ को और पैना करने और संवैधानिक ज्ञान की गहराई को मापने के लिए तैयार हो जाइए। प्रस्तुत है भारतीय राजव्यवस्था और संविधान पर आधारित 25 प्रश्नों का एक अनूठा संकलन, जो आपकी तैयारी के स्तर को परखने और अवधारणाओं को स्पष्ट करने में मदद करेगा। आइए, आज की इस महत्वपूर्ण परीक्षा में अपनी क्षमता का प्रदर्शन करें!

भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द किस वर्ष जोड़ा गया?

  1. 1971
  2. 1976
  3. 1980
  4. 1992

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था। इसी संशोधन द्वारा ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्द भी जोड़े गए थे।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन प्रस्तावना को संशोधित करने वाला एकमात्र संशोधन रहा है, जिसने भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में वर्णित किया। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य सभी धर्मों को समान मानता है और किसी विशेष धर्म को बढ़ावा नहीं देता।
  • गलत विकल्प: अन्य संशोधन वर्षों (1971, 1980, 1992) में प्रस्तावना में कोई बदलाव नहीं किया गया था।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘प्राकृतिक न्याय’ के सिद्धांत से संबंधित है?

  1. कार्यकाल का अधिकार
  2. ‘मुकदमा सुनने से पहले दूसरे पक्ष को सुनना’ (Audi alteram partem)
  3. समानता का अधिकार
  4. विचार की स्वतंत्रता

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्राकृतिक न्याय के दो मुख्य सिद्धांत हैं: 1) किसी को भी दोषी न ठहराया जाए जब तक कि उसे सुना न जाए (‘Audi alteram partem’ – दूसरे पक्ष को सुनना), और 2) कोई भी व्यक्ति अपने ही मामले में न्यायाधीश नहीं हो सकता (‘Nemo judex in causa sua’ – कोई भी अपने मामले में न्यायाधीश नहीं)। विकल्प (b) सीधे ‘Audi alteram partem’ से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध कोई निर्णय लेने से पहले उसे अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया जाए। यह मौलिक अधिकारों (जैसे अनुच्छेद 14, 21) के तहत निहित है और न्यायिक समीक्षा का एक महत्वपूर्ण आधार है।
  • गलत विकल्प: (a) ‘कार्यकाल का अधिकार’ (Right to Tenure) एक प्रशासनिक या विधायी अधिकार हो सकता है, लेकिन प्राकृतिक न्याय का मूल सिद्धांत नहीं है। (c) ‘समानता का अधिकार’ (अनुच्छेद 14) एक मौलिक अधिकार है, जबकि (d) ‘विचार की स्वतंत्रता’ (अनुच्छेद 19(1)(a)) भी एक मौलिक अधिकार है, लेकिन ये सीधे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों से संबंधित नहीं हैं, हालांकि वे इसके तहत संरक्षित हो सकते हैं।

प्रश्न 3: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को उसकी मूल अधिकार-क्षेत्र (Original Jurisdiction) में परामर्शदात्री अधिकार-क्षेत्र (Advisory Jurisdiction) के अधीन आने वाले किसी भी प्रश्न पर पुनर्विचार करने की शक्ति प्रदान करता है?

  1. अनुच्छेद 131
  2. अनुच्छेद 132
  3. अनुच्छेद 137
  4. अनुच्छेद 143

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय को अपनी स्वयं की निर्णय या आदेशों की समीक्षा करने की शक्ति (Review Jurisdiction) प्रदान करता है। यह “न्यायिक पुनर्विलोकन” (Judicial Review) से भिन्न है, जो विधायिका द्वारा पारित कानूनों की संवैधानिकता की जांच है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस शक्ति का प्रयोग करके, सर्वोच्च न्यायालय अपने पिछले निर्णयों को संशोधित या पलट सकता है, यदि उसे लगता है कि वे गलत थे। यह न्याय सुनिश्चित करने और कानून की व्याख्या में निरंतरता बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र है।
  • गलत विकल्प: (a) अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल अधिकार-क्षेत्र से संबंधित है (केंद्र-राज्य या राज्यों के बीच विवाद)। (b) अनुच्छेद 132 सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय अधिकार-क्षेत्र (Appellate Jurisdiction) से संबंधित है, विशेष रूप से संवैधानिक मामलों में। (d) अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श मांगने की शक्ति देता है, न कि स्वयं के निर्णयों पर पुनर्विचार की।

प्रश्न 4: राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. इसने भारत को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित किया।
  2. इसने भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का समर्थन किया।
  3. इसने मुख्य रूप से प्रशासकीय सुविधा को पुनर्गठन का आधार बनाया।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956, सातवें संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 के साथ लागू हुआ। इसने राज्यों के वर्गीकरण (भाग क, भाग ख, भाग ग) को समाप्त कर दिया और भारत को 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: जबकि फजल अली आयोग (1955) ने भाषाई आधार के महत्व को स्वीकार किया, उसने राष्ट्र की एकता और अखंडता तथा प्रशासकीय और आर्थिक विचारों को भी प्रमुखता दी। इसलिए, यह अधिनियम भाषाई और प्रशासकीय दोनों कारकों को ध्यान में रखकर बनाया गया था। इसने भारत के राजनीतिक मानचित्र को मौलिक रूप से बदल दिया।
  • गलत विकल्प: सभी कथन अधिनियम के प्रासंगिक पहलुओं का वर्णन करते हैं।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी स्थिति अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा को प्रभावित कर सकती है?

  1. युद्ध
  2. बाह्य आक्रमण
  3. सशस्त्र विद्रोह
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के अनुसार, भारत का राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा कर सकता है यदि वह ‘युद्ध’, ‘बाह्य आक्रमण’ या ‘सशस्त्र विद्रोह’ के आधार पर संतुष्ट हो।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘सशस्त्र विद्रोह’ शब्द को 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा ‘आंतरिक गड़बड़ी’ (Internal Disturbance) के स्थान पर जोड़ा गया था। यह संशोधन आंतरिक आपातकाल (1975-77) के दुरुपयोग को रोकने के लिए किया गया था। राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, मूल अधिकारों (अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर) को निलंबित किया जा सकता है।
  • गलत विकल्प: तीनों स्थितियाँ अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल के लिए आधार हैं।

प्रश्न 6: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट किसे प्रस्तुत की जाती है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. लोकसभा अध्यक्ष
  3. राष्ट्रपति
  4. वित्त मंत्री

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपनी लेखापरीक्षा रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जैसा कि अनुच्छेद 148 और 151 में प्रावधान है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति इन रिपोर्टों को संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के समक्ष रखते हैं। इसके बाद, इन रिपोर्टों की जांच लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee – PAC) द्वारा की जाती है। CAG केंद्र सरकार के खातों पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को और राज्य सरकारों के खातों पर अपनी रिपोर्ट संबंधित राज्यों के राज्यपालों को प्रस्तुत करता है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या वित्त मंत्री सीधे CAG की रिपोर्ट प्राप्त नहीं करते; यह राष्ट्रपति के माध्यम से संसद तक पहुँचती है।

प्रश्न 7: संविधान का कौन सा संशोधन पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
  4. 65वां संशोधन अधिनियम, 1990

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992, जिसने भारतीय संविधान में भाग IX और 11वीं अनुसूची जोड़ी, ने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने देश भर में पंचायती राज व्यवस्था के लिए एक समान ढाँचा स्थापित किया, जिसमें ग्राम सभाओं को शक्ति प्रदान की गई और पंचायतों के लिए त्रि-स्तरीय संरचना (ग्राम, मध्यवर्ती और जिला स्तर) का प्रावधान किया गया। इसने पंचायतों के चुनाव, शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तरदायित्वों से संबंधित कई प्रावधान भी जोड़े।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। 64वां और 65वां संशोधन पंचायती राज से संबंधित थे लेकिन वे पारित नहीं हो सके थे।

प्रश्न 8: भारतीय संविधान में ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) की शक्ति का स्रोत क्या है?

  1. स्पष्ट रूप से संविधान में वर्णित है।
  2. ब्रिटिश संविधान
  3. अमेरिकी संविधान
  4. संविधान की व्याख्या और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: हालांकि ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ शब्द का सीधे तौर पर संविधान में उल्लेख नहीं है, इसकी शक्ति अनुच्छेद 13 (जो मौलिक अधिकारों को असंगत कानूनों को शून्य घोषित करता है) और अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) तथा अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालयों की शक्ति) में निहित है। इसकी नींव अमेरिकी संविधान से ली गई है, लेकिन भारत में इसका विकास और आधार संविधान की व्याख्या और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों (जैसे केशवानंद भारती मामले) से हुआ है।
  • संदर्भ और विस्तार: न्यायिक पुनर्विलोकन का अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों को यह शक्ति प्राप्त है कि वे विधायिका द्वारा पारित कानूनों और कार्यपालिका द्वारा जारी किए गए आदेशों की संवैधानिकता की जांच कर सकें और यदि वे संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें असंवैधानिक और शून्य घोषित कर सकें।
  • गलत विकल्प: यह शब्द संविधान में स्पष्ट रूप से वर्णित नहीं है। यह अमेरिकी संविधान से प्रेरित है, लेकिन भारत में इसका स्रोत संविधान की व्याख्या और सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों से हुआ है।

प्रश्न 9: संविधान का कौन सा भाग राज्य की नीति के निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग IV-A
  4. भाग V

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV (अनुच्छेद 36 से 51) राज्य की नीति के निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये तत्व सरकार के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करते हैं और उनका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है। ये गैर-न्यायसंगत (non-justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि राज्य इन्हें लागू करने के लिए अदालतों में नहीं ले जा सकता, लेकिन राष्ट्र के शासन में ये मौलिक हैं।
  • गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से, भाग IV-A मौलिक कर्तव्यों से, और भाग V संघ की कार्यपालिका (राष्ट्रपति, संसद आदि) से संबंधित है।

प्रश्न 10: ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) का क्या अर्थ है?

  1. संसद के सदस्यों को प्राप्त विशेष अधिकार और छूटें।
  2. संसद द्वारा पारित कानूनों को सर्वोच्च न्यायालय से संरक्षण।
  3. संसद के अध्यक्ष को प्राप्त विशेष अधिकार।
  4. संसद के सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की शक्ति।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संसदीय विशेषाधिकार, संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा), उनके सदस्यों और समितियों को प्राप्त विशेष अधिकार, उन्मुक्तियाँ और विशेषाधिकार हैं, जो उन्हें अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से करने में सक्षम बनाते हैं। अनुच्छेद 105 संसद और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: इन विशेषाधिकारों में भाषण की स्वतंत्रता (संसद के भीतर), सदनों के सत्र के दौरान कुछ आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से छूट (कुछ अपवादों के साथ), और सदन के बाहर प्रकाशनों पर नियंत्रण जैसी चीजें शामिल हैं। इनका उद्देश्य संसदीय कार्यवाही की स्वतंत्रता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करना है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प विशेषाधिकारों की सटीक परिभाषा नहीं देते हैं; (b) न्यायिक समीक्षा से संबंधित है, (c) केवल अध्यक्ष के अधिकार की बात करता है, और (d) स्थगन की शक्ति का उल्लेख करता है।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा मूल कर्तव्य है जो केवल भारतीय नागरिकों के लिए लागू होता है?

  1. संविधान का पालन करना और राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना।
  2. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना।
  3. अज्ञानता का उन्मूलन करना।
  4. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना और उसे बनाए रखना।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV-A के तहत वर्णित मूल कर्तव्य (अनुच्छेद 51A) नागरिकों के लिए हैं। अनुच्छेद 51A(c) कहता है कि यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे बनाए रखे।
  • संदर्भ और विस्तार: जबकि संविधान का पालन करना (51A(c)) और सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना (51A(e)) भी मौलिक कर्तव्य हैं, ‘अज्ञानता का उन्मूलन’ (c) एक संवैधानिक कर्तव्य नहीं है (यह एक नीति निदेशक तत्व या सामाजिक उद्देश्य हो सकता है)। विकल्प (a) नागरिकों के लिए है, लेकिन (d) भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा का कर्तव्य विशेष रूप से इन तीनों को बनाए रखने पर जोर देता है, जो भारत के सभी नागरिकों के लिए एक उच्च राष्ट्रीय दायित्व है।
  • गलत विकल्प: (a) यह भी नागरिकों का कर्तव्य है, लेकिन (d) अधिक विशिष्ट और राष्ट्र की मूल भावना से जुड़ा हुआ है। (b) यह भी एक कर्तव्य है। (c) संविधान में वर्णित मूल कर्तव्य नहीं है।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ (Basic Structure of the Constitution) के सिद्धांत को प्रतिपादित किया?

  1. ए. के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
  2. शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ
  3. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  4. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया और ‘संविधान की मूल संरचना’ का सिद्धांत स्थापित किया। इस सिद्धांत के अनुसार, संसद के पास संविधान में संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संशोधन के माध्यम से संविधान की मूल संरचना या मूल विशेषताओं को नहीं बदल सकती।
  • संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने संसद की संशोधन शक्ति पर महत्वपूर्ण सीमाएँ लगाईं। मूल संरचना के कुछ तत्वों में संप्रभुता, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य, संघवाद, देश की एकता और अखंडता, शक्ति पृथक्करण, न्यायिक स्वतंत्रता, मौलिक अधिकारों का कल्याणकारी राज्य, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आदि शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य मामले (शंकरी प्रसाद, गोलकनाथ) संशोधन शक्ति के संबंध में पूर्ववर्ती महत्वपूर्ण निर्णय थे, लेकिन मूल संरचना सिद्धांत केशवानंद भारती मामले में स्थापित हुआ।

प्रश्न 13: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 320 के अनुसार, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के कार्यों में क्या शामिल नहीं है?

  1. सिविल सेवाओं और पदों के लिए भर्ती संबंधी मामले।
  2. सरकार की विभिन्न शाखाओं द्वारा की गई पदोन्नति और एक सेवा से दूसरी सेवा में स्थानांतरण।
  3. नागरिकों के अधिकारों, स्वतंत्रता और सुरक्षा से संबंधित मामले।
  4. किसी भी विषय पर सरकार को सलाह देना, जिसे राष्ट्रपति सौंप सकते हैं।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 320 संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के कार्यों से संबंधित है। इसके अनुसार, UPSC के कार्यों में (a) विभिन्न सेवाओं और पदों के लिए भर्ती करना, (b) पदोन्नति और प्रतिनियुक्ति पर उम्मीदवारों की उपयुक्तता पर सलाह देना, और (d) राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गए अन्य विषयों पर सरकार को सलाह देना शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: UPSC का मुख्य कार्य भर्ती और परामर्श देना है। नागरिकों के अधिकारों, स्वतंत्रता और सुरक्षा से संबंधित मामले (c) UPSC के कार्यक्षेत्र में नहीं आते; वे सीधे संविधान के भाग III (मौलिक अधिकार) और न्यायपालिका से संबंधित हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) UPSC के कार्यक्षेत्र में आते हैं, जैसा कि अनुच्छेद 320 में परिभाषित है। (c) मौलिक अधिकारों से संबंधित है, जिसका उत्तरदायित्व UPSC का नहीं है।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी रिट जारी करने का अधिकार केवल सर्वोच्च न्यायालय को है, उच्च न्यायालयों को नहीं?

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश (Mandamus)
  3. अधिकार-पृच्छा (Quo Warranto)
  4. कोई नहीं, सभी रिटें दोनों जारी कर सकते हैं।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 के तहत, सर्वोच्च न्यायालय को मूल अधिकारों को लागू करने के लिए पांच प्रकार की रिटें (बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण, अधिकार-पृच्छा) जारी करने की शक्ति है। अनुच्छेद 226 के तहत, उच्च न्यायालयों को भी मूल अधिकारों को लागू करने के साथ-साथ किसी अन्य कानूनी उद्देश्य के लिए ये रिटें जारी करने की व्यापक शक्ति प्राप्त है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसलिए, दोनों न्यायालय (सर्वोच्च और उच्च) इन पांचों प्रकार की रिटें जारी कर सकते हैं। हालाँकि, अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति केवल मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन तक सीमित है, जबकि अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों की शक्ति का दायरा व्यापक है।
  • गलत विकल्प: सभी रिटें जारी करने की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226) दोनों को प्राप्त है, भले ही उनका दायरा थोड़ा भिन्न हो।

प्रश्न 15: भारत में ‘अटॉर्नी जनरल’ (Attorney General) की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  4. संसद

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76 के तहत की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: अटॉर्नी जनरल भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और सभी महत्वपूर्ण कानूनी मामलों में सरकार का प्रतिनिधित्व करता है। वे भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखते हैं। उनकी नियुक्ति के लिए वही योग्यताएँ होनी चाहिए जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए आवश्यक हैं।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या संसद सीधे नियुक्ति नहीं करते हैं; यह राष्ट्रपति का कार्य है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
  3. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
  4. किसी भी अपराध के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण (अनुच्छेद 20)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर किसी भी नागरिक के विरुद्ध विभेद को प्रतिबंधित करता है। यह मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा), और अनुच्छेद 22 (गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण) जैसे कुछ अन्य मौलिक अधिकार विदेशियों सहित सभी व्यक्तियों को प्राप्त हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) में सूचीबद्ध अधिकार भारत में सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों) को प्राप्त हैं।

प्रश्न 17: भारत के राष्ट्रपति के पद के लिए न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए?

  1. 25 वर्ष
  2. 30 वर्ष
  3. 35 वर्ष
  4. 40 वर्ष

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति के पद के लिए योग्यताएं अनुच्छेद 58 में निर्धारित की गई हैं। इनमें से एक योग्यता यह है कि व्यक्ति की आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: अन्य योग्यताओं में भारत का नागरिक होना और लोक सभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखना शामिल है। यह न्यूनतम आयु राष्ट्रपति के पद की गरिमा और जिम्मेदारी को दर्शाती है।
  • गलत विकल्प: 25 वर्ष (लोकसभा सदस्य), 30 वर्ष (राज्यसभा सदस्य), और 40 वर्ष (कोई संवैधानिक न्यूनतम आयु नहीं) राष्ट्रपति पद के लिए न्यूनतम आयु की शर्त नहीं हैं।

प्रश्न 18: संविधान के अनुसार, राज्य की कार्यकारी शक्ति किसमें निहित होती है?

  1. मुख्यमंत्री
  2. राज्यपाल
  3. राज्य का विधानमंडल
  4. राज्य का मुख्य सचिव

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 154 के अनुसार, किसी राज्य की कार्यकारी शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग या तो स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि कार्यकारी शक्ति राज्यपाल में निहित है, वास्तविक कार्यकारी शक्ति का प्रयोग मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिपरिषद द्वारा किया जाता है, जो राज्यपाल को उसके कार्यों में सलाह देते हैं। राज्यपाल केवल नाममात्र का कार्यकारी (De jure Executive) है, जबकि मुख्यमंत्री वास्तविक कार्यकारी (De facto Executive) है।
  • गलत विकल्प: मुख्यमंत्री वास्तविक कार्यकारी प्रमुख है, लेकिन संवैधानिक रूप से कार्यकारी शक्ति राज्यपाल में निहित है। राज्य का विधानमंडल विधायी निकाय है। मुख्य सचिव प्रशासनिक प्रमुख होता है।

प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा भारत का ‘प्रथम नागरिक’ माना जाता है?

  1. भारत के प्रधानमंत्री
  2. भारत के राष्ट्रपति
  3. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  4. लोकसभा अध्यक्ष

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रोटोकॉल के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति देश के सर्वोच्च अधिकारी और ‘प्रथम नागरिक’ माने जाते हैं। संविधान में ‘प्रथम नागरिक’ शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है, यह एक परंपरा और प्रोटोकॉल का मामला है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है और राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है। उनके बाद उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष आदि का क्रम आता है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है, लेकिन राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है, इसलिए वे प्रथम नागरिक हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका के प्रमुख हैं और लोकसभा अध्यक्ष विधायिका के।

प्रश्न 20: संसद के सत्रों के बीच अधिकतम कितना अंतराल हो सकता है?

  1. 3 महीने
  2. 4 महीने
  3. 6 महीने
  4. 12 महीने

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 85(1) के अनुसार, राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर आहूत करेगा जैसा वह ठीक समझे, परन्तु उसके अंतिम सत्र की अंतिम बैठक की तारीख से छह मास की अवधि के अवसान के पश्चात् उससे अधिक का अंतराल नहीं होना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: इसका मतलब है कि संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम छह महीने का अंतराल हो सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि संसद नियमित रूप से मिलती रहे और देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कर सके।
  • गलत विकल्प: 3, 4, या 12 महीने का अंतराल अनुच्छेद 85(1) द्वारा निर्धारित अधिकतम अंतराल से अधिक या कम है।

प्रश्न 21: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. लोकसभा अध्यक्ष
  4. गृह मंत्री

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अनुसार, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस समिति में प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और भारत के उप-राष्ट्रपति (या राज्यसभा के सभापति) शामिल होते हैं। यह नियुक्ति प्रक्रिया आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या गृह मंत्री व्यक्तिगत रूप से नियुक्ति नहीं करते, बल्कि एक समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति होती है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी स्थानीय स्वशासन की इकाई नहीं है?

  1. नगर निगम
  2. ग्राम पंचायत
  3. जिला परिषद
  4. खंड विकास अधिकारी (BDO)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नगर निगम, ग्राम पंचायत और जिला परिषद (पंचायती राज व्यवस्था के तहत) स्थानीय स्वशासन की संस्थाएं हैं, जो क्रमशः शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय मामलों का प्रबंधन करती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ग्राम पंचायतें ग्रामीण स्तर पर, ब्लॉक स्तर पर पंचायत समितियाँ (या मंडल पंचायतें) और जिला स्तर पर जिला परिषदें कार्य करती हैं। खंड विकास अधिकारी (BDO) एक सरकारी अधिकारी होता है, जो पंचायत समिति (या समकक्ष ब्लॉक-स्तरीय निकाय) का कार्यकारी प्रमुख होता है, न कि स्वशासन की निर्वाचित इकाई। वह प्रशासनिक ढांचे का हिस्सा है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी स्थानीय स्वशासन की निर्वाचित और प्रासंगिक संस्थाएं हैं, जबकि (d) एक प्रशासनिक पद है।

प्रश्न 23: भारतीय संविधान में ‘राज्यों के संघ’ (Union of States) का विचार किस संविधान से प्रेरित है?

  1. यूनाइटेड किंगडम
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका
  3. कनाडा
  4. ऑस्ट्रेलिया

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत को ‘राज्यों का संघ’ कहा गया है (अनुच्छेद 1)। यह शब्द-योजना कनाडा के संविधान से प्रेरित है, जहां संघ को ‘राज्यों का एक संघ’ (a union of provinces) कहा गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: कनाडा के विपरीत, जहां प्रांतों को संघ से अलग होने का अधिकार है, भारत में राज्यों को अलग होने का अधिकार नहीं है। यह भारतीय संघ की अविनाशी प्रकृति को दर्शाता है। भारतीय संघ की संरचना में केंद्र को राज्यों की तुलना में अधिक शक्ति प्राप्त है, जो कनाडाई मॉडल के समान है।
  • गलत विकल्प: यूके में एकात्मक प्रणाली है, अमेरिका में राज्यों का संघ है जहाँ राज्यों के पास अधिक स्वायत्तता है, और ऑस्ट्रेलिया भी एक संघ है, लेकिन ‘राज्यों का संघ’ शब्द-योजना विशेष रूप से कनाडा से प्रभावित है।

प्रश्न 24: संविधान संशोधन की प्रक्रिया का वर्णन भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 356
  2. अनुच्छेद 368
  3. अनुच्छेद 370
  4. अनुच्छेद 372

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति और प्रक्रिया का वर्णन किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद संसद को कुछ निश्चित प्रावधानों को संशोधित करने की शक्ति देता है, जिसके लिए विशेष बहुमत (Special Majority) की आवश्यकता होती है। कुछ अन्य प्रावधानों के संशोधन के लिए राज्यों के आधे से अधिक विधानमंडलों का अनुसमर्थन भी आवश्यक होता है। यह संशोधन प्रक्रिया संविधान को समय के साथ प्रासंगिक बनाए रखने में मदद करती है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन से, अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर से संबंधित पूर्व प्रावधानों से, और अनुच्छेद 372 मौजूदा कानूनों को लागू रखने से संबंधित हैं।

प्रश्न 25: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘स्वतंत्रता’ (Liberty) का क्या अर्थ है?

  1. नागरिकों के विचारों की स्वतंत्रता
  2. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
  3. विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में उल्लिखित स्वतंत्रता का अर्थ केवल कुछ विशेष स्वतंत्रताएँ नहीं हैं, बल्कि यह एक व्यापक अवधारणा है। इसमें नागरिकों के विचारों की स्वतंत्रता (Liberty of thought), अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Liberty of expression), विश्वास की स्वतंत्रता (Liberty of belief), धर्म की स्वतंत्रता (Liberty of faith), और उपासना की स्वतंत्रता (Liberty of worship) शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इन सभी स्वतंत्रताओं को भारतीय संविधान के भाग III में मौलिक अधिकारों के रूप में विस्तृत किया गया है, विशेष रूप से अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 25-28 (धर्म की स्वतंत्रता)। प्रस्तावना में इन शब्दों का प्रयोग इन मौलिक अधिकारों की नींव को दर्शाता है।
  • गलत विकल्प: सभी विकल्प स्वतंत्रता के संकीर्ण अर्थों को दर्शाते हैं; प्रस्तावना में स्वतंत्रता का अर्थ इन सभी का समावेशी है।

Leave a Comment