भारतीय राजनीति और संविधान: आज की अंतिम चुनौती
हमारे प्रजातांत्रिक ढांचे की समझ ही सफलता की कुंजी है! क्या आप भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के अपने ज्ञान को परखने के लिए तैयार हैं? आज के इस विशेष प्रश्नोत्तरी में हम आपके संवैधानिक अवधारणाओं की स्पष्टता और गहराई को चुनौती देंगे। आइए, अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सी रिट, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’, किसी निचली अदालत, न्यायाधिकरण या सार्वजनिक प्राधिकारी को कोई सार्वजनिक या वैधानिक कर्तव्य करने के लिए जारी की जाती है?
- हेबियस कॉर्पस (Habeas Corpus)
- मेंडमस (Mandamus)
- प्रोहिबिशन (Prohibition)
- सर्टिओरारी (Certiorari)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘मेंडमस’ (Mandamus) जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’, एक उच्च न्यायालय द्वारा निचली अदालत, न्यायाधिकरण, या किसी सार्वजनिक प्राधिकारी को उसके सार्वजनिक या वैधानिक कर्तव्य को निष्पादित करने का आदेश देने के लिए जारी की जाने वाली एक रिट है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत प्रदान की गई है। यह किसी निजी व्यक्ति या निकाय के विरुद्ध जारी नहीं की जा सकती, न ही राष्ट्रपति या राज्यपाल के विरुद्ध।
- गलत विकल्प: ‘हेबियस कॉर्पस’ का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’ और यह अवैध रूप से बंदी बनाए गए व्यक्ति को अदालत में पेश करने के लिए है। ‘प्रोहिबिशन’ (निषेध) का अर्थ है ‘रोकना’ और यह किसी निचली अदालत को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर के मामले पर सुनवाई करने से रोकने के लिए है। ‘सर्टिओरारी’ (उत्प्रेषण) का अर्थ है ‘सूचित करना’ और यह किसी निचली अदालत के निर्णय को रद्द करने के लिए जारी की जाती है।
प्रश्न 2: किसी सदस्य की अयोग्यता (दल-बदल के आधार को छोड़कर) के आधार पर, लोक सभा के किसी सदस्य को अयोग्य घोषित करने की शक्ति किसमें निहित है?
- भारत के राष्ट्रपति
- लोक सभा अध्यक्ष
- प्रधानमंत्री
- सर्वोच्च न्यायालय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: किसी सदस्य की अयोग्यता (दल-बदल के आधार को छोड़कर, जो दसवीं अनुसूची के तहत आता है) के आधार पर, संसद के किसी सदस्य की अयोग्यता के संबंध में प्रश्नों पर निर्णय लेने की शक्ति राष्ट्रपति में निहित है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 103 में प्रावधानित है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति, ऐसे मामलों में, निर्णय लेने से पहले भारत के निर्वाचन आयोग की राय के अनुसार कार्य करते हैं। दल-बदल के आधार पर अयोग्यता का निर्णय सदन का अध्यक्ष (लोक सभा अध्यक्ष या राज्य सभा का सभापति) करता है।
- गलत विकल्प: लोक सभा अध्यक्ष दसवीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) के तहत अयोग्यता का निर्णय करता है, न कि सामान्य आधारों पर जैसे कि लाभ का पद धारण करना। प्रधानमंत्री और सर्वोच्च न्यायालय के पास यह प्रत्यक्ष शक्ति नहीं है, यद्यपि न्यायिक समीक्षा का एक अप्रत्यक्ष तंत्र हो सकता है।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत’ (Directive Principles of State Policy) से संबंधित है?
- भाग III
- भाग IV
- भाग V
- भाग VI
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: ये सिद्धांत भारत सरकार अधिनियम, 1935 के ‘निर्देशों के साधन’ (Instrument of Instructions) से प्रेरित हैं। इनका उद्देश्य भारत में एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। ये सिद्धांत प्रकृति में गैर-न्यायसंगत (non-justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि इन्हें किसी भी अदालत द्वारा लागू नहीं किया जा सकता है, लेकिन देश के शासन में ये मौलिक हैं।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है (अनुच्छेद 12-35)। भाग V संघ की कार्यपालिका, संसद और सर्वोच्च न्यायालय से संबंधित है। भाग VI राज्य की कार्यपालिका, विधानमंडल और उच्च न्यायालयों से संबंधित है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ (Basic Structure) के सिद्धांत को प्रतिपादित किया?
- शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ (Shankari Prasad v. Union of India)
- सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य (Sajjan Singh v. State of Rajasthan)
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (Kesavananda Bharati v. State of Kerala)
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ (Maneka Gandhi v. Union of India)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: ‘संविधान की मूल संरचना’ का सिद्धांत 1973 के प्रसिद्ध केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय की एक ऐतिहासिक 13-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा प्रतिपादित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, संसद के पास संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित करने की शक्ति है, लेकिन वह ‘संविधान की मूल संरचना’ को बाधित, नष्ट या उसका हिस्सा नहीं बदल सकती। मूल संरचना में सर्वोच्चता, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, शक्तियों का पृथक्करण, संघवाद आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: शंकर प्रसाद (1951) और सज्जन सिंह (1965) मामलों में, न्यायालय ने माना था कि अनुच्छेद 368 के तहत मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग को संशोधित किया जा सकता है। मेनका गांधी (1978) मामले ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निष्पक्ष प्रक्रिया के दायरे को व्यापक बनाया, लेकिन मूल संरचना का सिद्धांत केशवानंद भारती में स्थापित हुआ था।
प्रश्न 5: ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) भारतीय संविधान के किस भाग में उल्लिखित हैं?
- भाग XII
- भाग XIV
- भाग XV
- भाग XVII
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में संसदीय विशेषाधिकारों का स्पष्ट रूप से एक विशेष भाग में उल्लेख नहीं किया गया है। हालाँकि, अनुच्छेद 105 (संसद के सदनों, सदस्यों और समितियों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार आदि) और अनुच्छेद 194 (राज्यों के विधानमंडलों के सदस्यों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार आदि) इन विशेषाधिकारों का आधार प्रदान करते हैं। इन अनुच्छेदों को भाग V (संघ) और भाग VI (राज्य) के अंतर्गत माना जा सकता है, लेकिन वे विशेषाधिकारों के रूप में अलग से वर्गीकृत नहीं हैं। ‘भाग XV’ निर्वाचन से संबंधित है। प्रश्न गलत कथन पर आधारित हो सकता है, या यह एक चाल प्रश्न हो सकता है। यदि विकल्प होते जिनमें अनुच्छेद 105 या 194 शामिल होते, तो वे अधिक प्रासंगिक होते। दिए गए विकल्पों के अनुसार, कोई भी सीधा संबंध नहीं है। यह प्रश्न संभावित रूप से त्रुटिपूर्ण हो सकता है, लेकिन यदि इसे केवल “उल्लेखित” के संदर्भ में लिया जाए, तो यह अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी भाग में हो सकता है। हालाँकि, यह स्थापित तथ्य है कि कोई विशिष्ट ‘भाग’ समर्पित नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: संसदीय विशेषाधिकार वे अधिकार और छूटें हैं जो संसद और उसके सदस्यों को अपने कार्यों को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से करने के लिए आवश्यक हैं। ये विशेषाधिकार सामूहिक (जैसे सदन को कार्यवाही को नियंत्रित करने की शक्ति) और व्यक्तिगत (सदस्यों के लिए कुछ सुरक्षा) दोनों हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: भाग XII वित्त, संपत्ति, अनुबंध और वाद से संबंधित है। भाग XIV सेवाओं से संबंधित है। भाग XVII राजभाषा से संबंधित है। अतः, इन भागों में संसदीय विशेषाधिकारों का कोई प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है। [सुधार: प्रश्न का विकल्प सही नहीं है, लेकिन यदि किसी विशिष्ट ‘भाग’ की ओर संकेत करना हो जो परोक्ष रूप से हो, तो यह जटिल है। सामान्य ज्ञान में, यह माना जाता है कि अनुच्छेद 105/194 के तहत आता है, जो क्रमशः संघ और राज्य के भाग में हैं। दिए गए विकल्पों में से कोई भी सही नहीं है। यह प्रश्न अन्य स्रोतों से गलत तरीके से लिया गया हो सकता है। मान लीजिए कि प्रश्न का आशय अप्रत्यक्ष रूप से संवैधानिक प्रावधानों से है, तो भी कोई एक भाग सीधे तौर पर ‘संसदीय विशेषाधिकार’ के लिए समर्पित नहीं है।]
प्रश्न 6: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?
- उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- वे भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी होते हैं।
- उन्हें संसद की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन मतदान का नहीं।
- उन्हें केवल सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने की योग्यता पूरी करनी चाहिए।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76 के तहत की जाती है। वे भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी होते हैं (अनुच्छेद 76(1))। उन्हें संसद के किसी भी सदन या उसकी किसी समिति में बोलने और कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन वे मतदान नहीं कर सकते (अनुच्छेद 105 (3) और 88)।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी के रूप में नियुक्त व्यक्ति को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य होना चाहिए। इसका मतलब है कि उन्हें या तो भारत के क्षेत्र में किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए, या किसी उच्च न्यायालय में लगातार सात वर्षों तक एक वरिष्ठ अधिवक्ता (advocate) होना चाहिए, या राष्ट्रपति की राय में, एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता होना चाहिए। केवल सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की योग्यता पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह एक शर्त है।
- गलत विकल्प: कथन (d) गलत है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने की योग्यता के अलावा, उच्च न्यायालय में न्यायाधीश या वरिष्ठ अधिवक्ता होने का अनुभव भी आवश्यक है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन भारतीय संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- लोक सभा अध्यक्ष
- राज्य सभा का सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के संविधान का अनुच्छेद 118 (4) प्रावधान करता है कि दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोक सभा अध्यक्ष करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि लोक सभा अध्यक्ष अनुपस्थित हो, तो संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोक सभा के उपाध्यक्ष करते हैं। यदि दोनों अनुपस्थित हों, तो राज्य सभा का उप-सभापति अध्यक्षता कर सकता है। यदि इनमें से कोई भी उपस्थित न हो, तो राष्ट्रपति द्वारा तय किया गया व्यक्ति अध्यक्षता कर सकता है। संयुक्त बैठक केवल साधारण विधियों (ordinary bills) के संबंध में बुलाई जाती है, न कि धन विधेयकों (money bills) या संविधान संशोधन विधेयकों (constitutional amendment bills) के लिए।
- गलत विकल्प: भारत के राष्ट्रपति संयुक्त बैठक बुलाते हैं (अनुच्छेद 108), लेकिन उसकी अध्यक्षता नहीं करते। उपराष्ट्रपति, जो राज्य सभा का पदेन सभापति होता है, संयुक्त बैठक की अध्यक्षता नहीं करता। राज्य सभा का सभापति भी संयुक्त बैठक की अध्यक्षता नहीं करता।
प्रश्न 8: भारतीय संविधान में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?
- राजवंशानुगत शासन
- लोगों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित राष्ट्राध्यक्ष
- लोकतांत्रिक व्यवस्था
- सरकार की एकात्मक प्रणाली
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का राष्ट्राध्यक्ष (President) वंशानुगत नहीं होता, बल्कि सीधे या परोक्ष रूप से एक निश्चित अवधि के लिए निर्वाचित होता है। भारत में, राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना में ‘संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य’ शब्दों का प्रयोग भारत की प्रकृति को दर्शाता है। गणराज्य का अर्थ है कि सर्वोच्च शक्ति लोगों में निहित है, और राज्य का प्रमुख निर्वाचित होता है, जैसे कि भारत में राष्ट्रपति।
- गलत विकल्प: (a) राजवंशानुगत शासन गणराज्य के विपरीत है (जैसे राजशाही)। (c) लोकतांत्रिक व्यवस्था गणराज्य का एक पहलू हो सकती है, लेकिन यह ‘गणराज्य’ शब्द का पूरा अर्थ नहीं है। (d) एकात्मक प्रणाली सरकार का एक रूप है, न कि राज्य के राष्ट्राध्यक्ष की प्रकृति का।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) है?
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
- भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation – CBI)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का निर्वाचन आयोग (ECI) एक संवैधानिक निकाय है क्योंकि इसका उल्लेख भारतीय संविधान के भाग XV में अनुच्छेद 324 के तहत किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनकी स्थापना या जिनका प्रावधान सीधे संविधान में किया गया है। ईसीआई भारत में स्वतंत्र निष्पक्ष चुनावों का संचालन करता है।
- गलत विकल्प: नीति आयोग एक कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित एक गैर-संवैधानिक और गैर-वैधानिक निकाय है (2015 में योजना आयोग के स्थान पर)। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एक वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी। सीबीआई एक पुलिस संगठन है जिसे दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के तहत कार्य करने के लिए सशक्त बनाया गया है, यह न तो संवैधानिक है और न ही वैधानिक।
प्रश्न 10: ‘संसद की लोक लेखा समिति’ (Public Accounts Committee – PAC) के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- लोक सभा अध्यक्ष
- प्रधानमंत्री
- राज्य सभा का सभापति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: लोक लेखा समिति (PAC) के अध्यक्ष की नियुक्ति लोक सभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: PAC, भारतीय संसद की सबसे पुरानी समितियों में से एक है, जिसमें दोनों सदनों के सदस्य होते हैं, लेकिन बहुमत लोक सभा से होता है। इसका मुख्य कार्य भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्टों की जांच करना है, विशेष रूप से वित्तीय अनियमितताओं या खर्च मेंPDPF (Public Debt) आदि की जांच करना। अध्यक्ष आमतौर पर विपक्ष के एक वरिष्ठ सदस्य को नियुक्त किया जाता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि समिति निष्पक्ष रूप से कार्य करे।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या राज्य सभा का सभापति PAC के अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं करते हैं। यह नियुक्ति सीधे तौर पर लोक सभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है।
प्रश्न 11: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति को किसी विधेयक पर अपनी सहमति देने या न देने के लिए या विधेयक को संसद को पुनर्विचार के लिए लौटाने की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 111
- अनुच्छेद 108
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 124
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 111 राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किसी विधेयक पर अपनी अनुमति देने या न देने या पुनर्विचार के लिए वापस भेजने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: जब राष्ट्रपति किसी विधेयक को पुनर्विचार के लिए वापस भेजते हैं, और वह विधेयक दोनों सदनों द्वारा फिर से पारित होकर बिना संशोधन के या संशोधनों के साथ राष्ट्रपति के पास पहुंचता है, तो राष्ट्रपति उसे अनुमति देने के लिए बाध्य होते हैं। धन विधेयकों के संबंध में, राष्ट्रपति सहमति देने या न देने के लिए बाध्य होते हैं, वे उन्हें पुनर्विचार के लिए वापस नहीं लौटा सकते।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 108 संयुक्त बैठक से संबंधित है। अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 124 सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना और गठन से संबंधित है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत’ (DPSP) के बारे में सत्य नहीं है?
- ये न्यायसंगत (justiciable) नहीं हैं।
- ये देश के शासन में मौलिक हैं।
- इनका उद्देश्य भारत में एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
- ये मौलिक अधिकारों पर वरीयता (override) रखते हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: DPSP गैर-न्यायसंगत (non-justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें अदालतों द्वारा लागू नहीं किया जा सकता (a सत्य है)। ये देश के शासन में मौलिक हैं (b सत्य है) और कल्याणकारी राज्य की स्थापना का लक्ष्य रखते हैं (c सत्य है)। हालांकि, सामान्य नियम के अनुसार, DPSP मौलिक अधिकारों पर वरीयता नहीं रखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: चंपकम दोराईराजन मामले (Champakam Dorairajan case, 1951) में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि मौलिक अधिकार, DPSP पर वरीयता रखते हैं। यदि कोई कानून DPSP को लागू करने के लिए बनाया गया है और वह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो उसे असंवैधानिक घोषित किया जाएगा। हालाँकि, 25वें और 42वें संविधान संशोधनों ने कुछ DPSP को मौलिक अधिकारों (विशेषकर अनुच्छेद 14 और 19) पर वरीयता दी, जिसे मिनर्वा मिल्स मामले (Minerva Mills case, 1980) में न्यायालय ने सीमित कर दिया। न्यायालय ने कहा कि मौलिक अधिकार और DPSP एक-दूसरे के पूरक हैं और उन्हें संतुलित किया जाना चाहिए।
- गलत विकल्प: कथन (d) सत्य नहीं है क्योंकि सामान्यतः मौलिक अधिकार, DPSP पर वरीयता रखते हैं, न कि इसके विपरीत।
प्रश्न 13: किस अनुच्छेद के अनुसार, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को सार्वजनिक सेवाओं और पदों के लिए परीक्षाओं का संचालन करने की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 315
- अनुच्छेद 320
- अनुच्छेद 323
- अनुच्छेद 326
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 320 संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के कार्यों से संबंधित है, जिसमें परीक्षाओं का संचालन करना भी शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 320 (1) के अनुसार, UPSC को संघ के अधीन सेवाओं के लिए नियुक्तियाँ करने हेतु परीक्षाओं का संचालन करना होता है। अनुच्छेद 315 संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोगों की स्थापना से संबंधित है। अनुच्छेद 323 (A) प्रशासनिक न्यायाधिकरणों से संबंधित है। अनुच्छेद 326 वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनावों से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 315 लोक सेवा आयोगों की स्थापना के बारे में है, न कि उनके कार्यों के बारे में। अनुच्छेद 323 प्रशासनिक न्यायाधिकरणों से संबंधित है। अनुच्छेद 326 वयस्क मताधिकार से संबंधित है।
प्रश्न 14: पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला 73वां संविधान संशोधन अधिनियम किस वर्ष पारित हुआ?
- 1990
- 1991
- 1992
- 1993
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला 73वां संविधान संशोधन अधिनियम 1992 में पारित हुआ था, जो 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित प्रावधान हैं, और एक नई ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी गई। यह संशोधन भारत में स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- गलत विकल्प: 1990, 1991 और 1993 वर्ष सही नहीं हैं। अधिनियम 1992 में पारित हुआ और 1993 में लागू हुआ। (हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि कई बार ऐसे प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें पारित होने का वर्ष पूछा जाता है। प्रश्न पूछने वाले की मंशा पर निर्भर करता है)। यदि प्रश्न “लागू होने” का पूछता तो 1993 सही होता। लेकिन “पारित” के लिए 1992 सही है।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन ‘राष्ट्रीय विकास परिषद’ (National Development Council – NDC) का पदेन अध्यक्ष होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- वित्त मंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का पदेन अध्यक्ष भारत का प्रधानमंत्री होता है।
- संदर्भ और विस्तार: NDC भारत का एक कार्यकारी निकाय है, जिसे 1952 में स्थापित किया गया था। यह पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम रूप देने और राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देने में मदद करता है। इसमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और वित्त मंत्री NDC के पदेन अध्यक्ष नहीं होते हैं।
प्रश्न 16: भारत में ‘आपातकालीन प्रावधान’ (Emergency Provisions) संविधान के किस भाग में वर्णित हैं?
- भाग XVIII
- भाग XIX
- भाग XX
- भाग XXI
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग XVIII (भाग 18) में आपातकालीन प्रावधानों (अनुच्छेद 352 से 360) का वर्णन किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: इस भाग में तीन प्रकार के आपातकालों का उल्लेख है: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण आपातकाल (राष्ट्रपति शासन, अनुच्छेद 356), और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)।
- गलत विकल्प: भाग XIX में प्रकीर्ण (Miscellaneous) प्रावधान हैं। भाग XX संविधान संशोधन से संबंधित है। भाग XXI में अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध हैं।
प्रश्न 17: किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा ‘मौलिक कर्तव्य’ (Fundamental Duties) भारतीय संविधान में जोड़े गए?
- 42वें संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वें संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वें संशोधन अधिनियम, 1985
- 73वें संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान में जोड़ा गया था। इन्हें संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51-A के तहत शामिल किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्यों को सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर जोड़ा गया था। ये मूल रूप से दस थे, जिन्हें बाद में 86वें संशोधन (2002) द्वारा एक और कर्तव्य (शिक्षा का अधिकार) जोड़कर ग्यारह कर दिया गया। ये भी गैर-न्यायसंगत हैं।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने कुछ मौलिक अधिकारों को अधिक सुरक्षा दी। 52वें संशोधन ने दल-बदल विरोधी कानून ( दसवीं अनुसूची) जोड़ा। 73वें संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए किसी व्यक्ति की योग्यता नहीं है?
- वह भारत का नागरिक हो।
- उसे किसी उच्च न्यायालय या ऐसे दो या अधिक न्यायालयों का लगातार 5 वर्षों तक न्यायाधीश होना चाहिए।
- उसे किसी उच्च न्यायालय में लगातार 10 वर्षों तक अधिवक्ता (Advocate) होना चाहिए।
- वह राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता (Distinguished Jurist) हो।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए योग्यता का प्रावधान अनुच्छेद 124 (3) में है। इसके अनुसार, व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए। उसे किसी उच्च न्यायालय या ऐसे दो या अधिक न्यायालयों का लगातार 5 वर्षों तक न्यायाधीश होना चाहिए (b सत्य है)। या उसे किसी उच्च न्यायालय में लगातार 10 वर्षों तक एक वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Advocate) के रूप में कार्य किया हो, या राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता हो (d सत्य है)।
- संदर्भ और विस्तार: वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Advocate) होना एक आवश्यक शर्त है, न कि सिर्फ ‘अधिवक्ता’ होना। उपरोक्त विकल्प (c) में ‘अधिवक्ता’ शब्द का प्रयोग किया गया है, न कि ‘वरिष्ठ अधिवक्ता’। इसलिए, यह योग्यता के रूप में सटीक नहीं है।
- गलत विकल्प: (c) गलत है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए आवश्यक है कि वह किसी उच्च न्यायालय में लगातार 10 वर्षों तक ‘वरिष्ठ अधिवक्ता’ रहा हो, न कि केवल ‘अधिवक्ता’।
प्रश्न 19: भारत में ‘केंद्र-राज्य संबंध’ (Centre-State Relations) संविधान के किस भाग में विस्तृत रूप से वर्णित हैं?
- भाग X
- भाग XI
- भाग XII
- भाग XIII
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XI (भाग 11) केंद्र और राज्यों के बीच विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय संबंधों से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: यह भाग दो अध्यायों में विभाजित है: विधायी संबंध (अनुच्छेद 245-255) और प्रशासनिक संबंध (अनुच्छेद 256-263)। वित्तीय संबंध भाग XII में वर्णित हैं।
- गलत विकल्प: भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित है। भाग XII वित्त, संपत्ति, अनुबंध और वाद से संबंधित है (वित्तीय संबंध इसी भाग के कुछ अनुच्छेदों में भी आते हैं)। भाग XIII भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम से संबंधित है।
प्रश्न 20: ‘अधिकारों का विधेयक’ (Bill of Rights) जैसी कोई विशिष्ट सूची भारतीय संविधान में ______ के रूप में विद्यमान है।
- प्रस्तावना
- मौलिक अधिकार (भाग III)
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत (भाग IV)
- मौलिक कर्तव्य (भाग IV-A)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान में ‘अधिकारों का विधेयक’ (Bill of Rights) जैसी विशिष्ट सूची वास्तव में ‘मौलिक अधिकार’ (Fundamental Rights) के रूप में विद्यमान है, जो संविधान के भाग III में अनुच्छेद 12 से 35 तक वर्णित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक अधिकार नागरिकों को राज्य के अनियंत्रित हस्तक्षेप से सुरक्षा प्रदान करते हैं। ये अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता, समानता, धर्म की स्वतंत्रता आदि को सुनिश्चित करते हैं। ये न्यायसंगत (justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि यदि इनका उल्लंघन होता है तो नागरिक सीधे सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) या उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) जा सकते हैं।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना संविधान का परिचय है। DPSP राज्य को निर्देशित करते हैं लेकिन न्यायसंगत नहीं हैं। मौलिक कर्तव्य नागरिकों के कर्तव्य हैं, अधिकार नहीं।
प्रश्न 21: भारत में ‘अंतर-राज्यीय परिषद’ (Inter-State Council) का गठन किस अनुच्छेद के तहत किया गया है?
- अनुच्छेद 261
- अनुच्छेद 262
- अनुच्छेद 263
- अनुच्छेद 265
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अंतर-राज्यीय परिषद (Inter-State Council) का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिषद केंद्र और राज्यों के बीच या राज्यों के बीच सामान्य हित के विषयों पर जांच और चर्चा करने तथा उन पर सिफारिशें करने के लिए स्थापित की गई है। राष्ट्रपति इस परिषद की स्थापना कर सकते हैं। 1988 में सरकारिया आयोग की सिफारिशों पर 1990 में इसका गठन किया गया था।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 261 सार्वजनिक कृत्यों, अभिलेखों और न्यायिक कार्यवाहियों की पारस्परिक मान्यता से संबंधित है। अनुच्छेद 262 अंतर-राज्यों नदी जल विवादों के संबंध में न्यायिक अधिकार क्षेत्र के अपवर्जन से संबंधित है। अनुच्छेद 265 बिना प्राधिकार के कर अधिरोपण को रोकना है।
प्रश्न 22: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (Comptroller and Auditor General of India – CAG) के पद की व्यवस्था संविधान के किस अनुच्छेद में की गई है?
- अनुच्छेद 148
- अनुच्छेद 149
- अनुच्छेद 150
- अनुच्छेद 151
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के पद की व्यवस्था भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 में की गई है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के लोक वित्त का संरक्षक है। वह केंद्र और राज्यों के खातों का लेखा-परीक्षण करता है और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति और संबंधित राज्यपालों को प्रस्तुत करता है। अनुच्छेद 149 CAG के कर्तव्यों और शक्तियों को निर्धारित करता है। अनुच्छेद 150 कहता है कि खातों को ऐसे प्रारूप में रखा जाएगा जैसा राष्ट्रपति, CAG की सलाह पर, निर्धारित करे। अनुच्छेद 151 लेखा-परीक्षा रिपोर्टों से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 149 CAG के कर्तव्यों से, अनुच्छेद 150 खातों के प्रारूप से, और अनुच्छेद 151 लेखा-परीक्षा रिपोर्टों से संबंधित है।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से किस पंचवर्षीय योजना के दौरान ‘गरीबी हटाओ’ (Garibi Hatao) का नारा प्रमुखता से दिया गया था?
- दूसरी पंचवर्षीय योजना
- तीसरी पंचवर्षीय योजना
- चौथी पंचवर्षीय योजना
- पांचवीं पंचवर्षीय योजना
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: ‘गरीबी हटाओ’ का नारा पांचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-1979) के दौरान प्रमुखता से दिया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि यह नारा इंदिरा गांधी द्वारा चौथी पंचवर्षीय योजना की शुरुआत में भी दिया गया था, लेकिन इसका मुख्य जोर और कार्यान्वयन पांचवीं पंचवर्षीय योजना में देखा गया, जिसका मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था।
- गलत विकल्प: दूसरी पंचवर्षीय योजना औद्योगिक विकास पर केंद्रित थी, तीसरी ने आत्मनिर्भरता पर, और चौथी ने वृद्धि की स्थिरता और आत्मनिर्भरता पर।
प्रश्न 24: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय को ‘सलाहकारी क्षेत्राधिकार’ (Advisory Jurisdiction) प्राप्त है?
- अनुच्छेद 131
- अनुच्छेद 132
- अनुच्छेद 136
- अनुच्छेद 143
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 143 सर्वोच्च न्यायालय को राष्ट्रपति द्वारा पूछे गए सार्वजनिक महत्व के प्रश्नों पर या किसी संधि, समझौते, प्रसंविदा, वचनबंध आदि से उत्पन्न या संबंधित किसी प्रश्न पर सलाह देने का अधिकार देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक सलाहकारी क्षेत्राधिकार है, जिसका अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय की सलाह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं होती। राष्ट्रपति इस सलाह को स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 131 मूल क्षेत्राधिकार (Original Jurisdiction) से संबंधित है। अनुच्छेद 132 अपीलीय क्षेत्राधिकार (Appellate Jurisdiction) के कुछ मामलों से संबंधित है। अनुच्छेद 136 विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition) द्वारा अपील की शक्ति प्रदान करता है।
प्रश्न 25: भारत के संविधान में ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द को प्रस्तावना में किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वें संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वें संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वें संशोधन अधिनियम, 1985
- 74वें संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इसी संशोधन द्वारा ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्द भी जोड़े गए थे। इन शब्दों को जोड़ने से भारत की प्रकृति के बारे में स्पष्टता आई और यह सुनिश्चित हुआ कि राज्य किसी विशेष धर्म का पक्ष नहीं लेगा और सभी धर्मों को समान सम्मान देगा।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दल-बदल विरोधी कानून जोड़ा। 74वें संशोधन ने शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएं) को संवैधानिक दर्जा दिया।