भारतीय राजनीति: आपके ज्ञान की गहन परीक्षा
लोकतंत्र के आधार स्तंभों और शासन के ढांचे को समझना हर प्रतिस्पर्धी परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखने और संवैधानिक सिद्धांतों की गहरी समझ विकसित करने के लिए आज की इस विशेष प्रश्नोत्तरी में शामिल हों। आइए, आपके भारतीय राजव्यवस्था के ज्ञान का परीक्षण करें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द किस संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवाद’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान किया गया था और इसे ‘लघु संविधान’ के रूप में भी जाना जाता है। प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है, जैसा कि केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा माना गया है।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वां संशोधन (1985) ने दल-बदल विरोधी प्रावधान (10वीं अनुसूची) जोड़ा। 61वां संशोधन (1989) ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल नागरिकों के लिए उपलब्ध है, विदेशियों के लिए नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- भारत में कहीं भी आने-जाने और बसने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 भारत के नागरिकों को वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक एकत्र होने, संघ बनाने, भारत में कहीं भी आने-जाने, निवास करने और कोई भी पेशा या व्यवसाय करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। यह अधिकार विदेशियों के लिए उपलब्ध नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता), और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भारत में सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21 और 25 सभी व्यक्तियों के लिए हैं, चाहे वे नागरिक हों या विदेशी। केवल अनुच्छेद 19 भारतीय नागरिकों तक ही सीमित है।
प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु क्या है?
- 25 वर्ष
- 30 वर्ष
- 35 वर्ष
- 40 वर्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार, भारत का राष्ट्रपति चुने जाने के लिए एक व्यक्ति को 35 वर्ष की आयु पूरी कर लेनी चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति के पद के लिए अन्य योग्यताएँ हैं: भारत का नागरिक होना, लोकसभा का सदस्य चुने जाने के योग्य होना, और केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी भी लाभ के पद पर न होना।
- गलत विकल्प: 25 वर्ष लोकसभा सदस्य के लिए न्यूनतम आयु है (अनुच्छेद 84)। 30 वर्ष राज्यसभा सदस्य के लिए न्यूनतम आयु है (अनुच्छेद 66)। 40 वर्ष कोई संवैधानिक न्यूनतम आयु नहीं है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन भारत में न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) का आधार है?
- केवल अनुच्छेद 13
- केवल अनुच्छेद 32 और 226
- अनुच्छेद 13, 32 और 226
- संवैधानिक संशोधन अधिनियम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में ‘न्यायिक समीक्षा’ शब्द का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन इसकी व्यवस्था की गई है। अनुच्छेद 13 के तहत, संसद या राज्य विधानमंडलों द्वारा बनाए गए कोई भी कानून जो मौलिक अधिकारों से असंगत हैं, वे शून्य माने जाएँगे। अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत, अदालतों को उन कानूनों की न्यायिक समीक्षा करने और उन्हें असंवैधानिक घोषित करने की शक्ति है जो संविधान का उल्लंघन करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: न्यायिक समीक्षा का अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय विधायी अधिनियमों और कार्यकारी आदेशों की संवैधानिकता की जाँच कर सकते हैं। यह ‘केशवानंद भारती मामले’ (1973) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित ‘संविधान के मूल ढांचे’ के सिद्धांत का एक प्रमुख हिस्सा है।
- गलत विकल्प: केवल अनुच्छेद 13 या केवल अनुच्छेद 32/226 पर्याप्त नहीं हैं। संवैधानिक संशोधन अधिनियम स्वयं न्यायिक समीक्षा के अधीन हो सकते हैं यदि वे संविधान के मूल ढांचे को बदलते हैं।
प्रश्न 5: भारत के संविधान में ‘राज्य’ (State) की परिभाषा किस अनुच्छेद में दी गई है?
- अनुच्छेद 12
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 1
- अनुच्छेद 36
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ को परिभाषित करता है। इसमें भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और सभी स्थानीय प्राधिकारी या भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा विशेष रूप से मौलिक अधिकारों (भाग III) के प्रयोजनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे राज्य की क्रियाओं के विरुद्ध लागू होते हैं। ‘राज्य’ की यह व्यापक परिभाषा सुनिश्चित करती है कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन केवल केंद्रीय या राज्य सरकार ही नहीं, बल्कि अन्य सरकारी संस्थाएं भी न कर सकें।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 मौलिक अधिकारों से असंगत कानूनों को शून्य घोषित करता है। अनुच्छेद 1 भारत को ‘राज्यों का संघ’ बताता है। अनुच्छेद 36 नीति निदेशक तत्वों के संदर्भ में ‘राज्य’ को परिभाषित करता है, जो अनुच्छेद 12 से थोड़ा भिन्न है।
प्रश्न 6: भारत में राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) की क्या भूमिका है?
- योजना आयोग की सिफारिशों को अंतिम रूप देना
- देश के विकास के लिए राष्ट्रीय योजनाएँ तैयार करना
- संवैधानिक निकायों के कामकाज का पर्यवेक्षण करना
- अंतर-राज्यीय परिषद की बैठकों का आयोजन करना
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) एक गैर-संवैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना 1952 में हुई थी। इसकी मुख्य भूमिका योजना आयोग (अब नीति आयोग) द्वारा तैयार की गई पंचवर्षीय योजनाओं और राष्ट्रीय योजनाओं को अंतिम रूप देना और उन्हें मंजूरी देना है।
- संदर्भ और विस्तार: NDC में प्रधानमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह देश के विकास के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण सुनिश्चित करने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: देश के विकास के लिए राष्ट्रीय योजनाएँ योजना आयोग (नीति आयोग) तैयार करता है, NDC उन्हें अंतिम रूप देती है। संवैधानिक निकायों का पर्यवेक्षण आम तौर पर संबंधित मंत्रालय या स्वयं संसद द्वारा किया जाता है। अंतर-राज्यीय परिषद की बैठकें अनुच्छेद 263 के तहत आयोजित की जाती हैं।
प्रश्न 7: ‘कल्याणकारी राज्य’ की अवधारणा भारतीय संविधान के किस भाग में परिलक्षित होती है?
- मौलिक अधिकार (भाग III)
- राज्य के नीति निदेशक तत्व (भाग IV)
- संविधान की प्रस्तावना
- (b) और (c) दोनों
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘कल्याणकारी राज्य’ की अवधारणा भारतीय संविधान के भाग IV में वर्णित राज्य के नीति निदेशक तत्वों (Articles 36-51) में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। इसके अतिरिक्त, संविधान की प्रस्तावना भी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय तथा प्रतिष्ठा और अवसर की समानता की बात कहकर एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना का लक्ष्य रखती है।
- संदर्भ और विस्तार: नीति निदेशक तत्व सरकारों को ऐसे कानून और नीतियां बनाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं जो नागरिकों के कल्याण को बढ़ावा दें, जैसे सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा, समान काम के लिए समान वेतन, सार्वजनिक सहायता आदि।
- गलत विकल्प: मौलिक अधिकार नागरिकों के लिए कुछ सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन वे कल्याणकारी राज्य की समग्र अवधारणा को पूरी तरह से कवर नहीं करते। प्रस्तावना और नीति निदेशक तत्व मिलकर कल्याणकारी राज्य की नींव रखते हैं।
प्रश्न 8: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया, महाभियोग (Impeachment) की तरह, किस अनुच्छेद में उल्लिखित है?
- अनुच्छेद 124(4)
- अनुच्छेद 144
- अनुच्छेद 76
- अनुच्छेद 110
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124(4) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को कदाचार या अक्षमता के आधार पर हटाने की प्रक्रिया का प्रावधान करता है, जो महाभियोग के समान है। इसके लिए संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित होना आवश्यक है।
- संदर्भ और विस्तार: न्यायाधीश को हटाने के लिए प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है। प्रस्ताव को उसी सत्र में पेश करने के लिए सदन के कुल सदस्यों के एक-चौथाई सदस्यों का समर्थन होना चाहिए, और सदन के कुल सदस्यों के बहुमत द्वारा उस पर विचार करने की स्वीकृति मिलनी चाहिए। इसके बाद, यदि सदन द्वारा प्रस्ताव को कुल सदस्यों के बहुमत और उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाता है, तो दूसरे सदन को भी वही प्रक्रिया अपनानी होगी।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 144 सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन से संबंधित है। अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के पद का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 110 धन विधेयकों (Money Bills) को परिभाषित करता है।
प्रश्न 9: किसी राज्य के विधानमंडल द्वारा पारित किसी विधेयक पर राज्यपाल की सहमति देने या न देने या राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करने की शक्ति का वर्णन किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 200
- अनुच्छेद 201
- अनुच्छेद 199
- अनुच्छेद 198
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 200 के अनुसार, जब कोई विधेयक राज्य विधानमंडल द्वारा पारित होकर राज्यपाल के पास भेजा जाता है, तो वे उस पर अपनी सहमति दे सकते हैं, सहमति रोक सकते हैं, या यदि विधेयक धन विधेयक नहीं है, तो विधेयक को (यदि आवश्यक हो तो) संसद द्वारा पुनर्विचार के लिए विचारार्थ आरक्षित कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यदि राज्यपाल विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करते हैं, तो राष्ट्रपति उस विधेयक पर अपनी सहमति दे सकते हैं, या सहमति रोक सकते हैं। राष्ट्रपति, यदि विधेयक (जो राज्य के उच्च न्यायालय की स्थिति से संबंधित नहीं है) धन विधेयक नहीं है, तो उसे पुनः विचार के लिए राज्य विधानमंडल को वापस भेज सकते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 201 राष्ट्रपति द्वारा आरक्षित विधेयकों पर विचार से संबंधित है। अनुच्छेद 199 धन विधेयकों को परिभाषित करता है, और अनुच्छेद 198 धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रियाओं का उल्लेख करता है।
प्रश्न 10: भारत के महान्यायवादी (Attorney General for India) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
- कानून मंत्री
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76 के अनुसार, भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और उसे उन सभी विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों का अधिकार होता है जो संसद के सदस्यों को प्राप्त हैं। वह किसी भी न्यायालय में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करता है और भारत के क्षेत्र में सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है। वह केवल उसी व्यक्ति को नियुक्त किया जा सकता है जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य हो।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या कानून मंत्री नियुक्ति प्राधिकारी नहीं हैं। महान्यायवादी राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (at the pleasure of the President) पद धारण करता है।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय ‘संविधानिक निकाय’ नहीं है?
- वित्त आयोग (Finance Commission)
- चुनाव आयोग (Election Commission)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (NITI Aayog) एक कार्यकारी प्रस्ताव (Executive Resolution) द्वारा 1 जनवरी 2015 को स्थापित किया गया था। यह कोई संवैधानिक निकाय नहीं है, क्योंकि इसका उल्लेख संविधान में नहीं है। यह योजना आयोग का स्थान लिया है।
- संदर्भ और विस्तार: वित्त आयोग (अनुच्छेद 280), चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324) और संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि इनके प्रावधान सीधे संविधान में दिए गए हैं।
- गलत विकल्प: वित्त आयोग, चुनाव आयोग और UPSC तीनों के लिए संविधान में विशेष अनुच्छेद हैं, जो उन्हें संवैधानिक दर्जा प्रदान करते हैं। नीति आयोग, हालाँकि नीति निर्माण में महत्वपूर्ण है, संविधान में वर्णित नहीं है।
प्रश्न 12: पंचायती राज व्यवस्था को भारतीय संविधान की किस अनुसूची में शामिल किया गया है?
- दसवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
- नौवीं अनुसूची
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया और भारतीय संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में इसे शामिल किया गया। इसमें 29 विषय शामिल हैं जिन पर पंचायती राज संस्थाएं कार्य कर सकती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें पंचायतों से संबंधित प्रावधान हैं। यह ग्रामीण स्थानीय स्वशासन को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- गलत विकल्प: दसवीं अनुसूची दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है। बारहवीं अनुसूची शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है, जिसे 74वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया था। नौवीं अनुसूची भूमि सुधार कानूनों को न्यायिक समीक्षा से छूट प्रदान करती है।
प्रश्न 13: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा भारत के राष्ट्रपति द्वारा किस अनुच्छेद के तहत की जा सकती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति प्रदान करता है, जो युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में लागू किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा केवल मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश पर ही की जा सकती है। यह संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित होना चाहिए, और एक बार अनुमोदित होने पर, यह छह महीने तक लागू रहता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर राष्ट्रपति शासन से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 365 संघ द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने में विफलता से संबंधित है, जो राष्ट्रपति शासन का आधार बन सकता है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय संविधान की प्रस्तावना के बारे में सही नहीं है?
- यह संविधान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- यह संविधान का स्रोत बताती है।
- यह संविधान के उद्देश्य बताती है।
- यह संविधान के लागू होने की तिथि बताती है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: प्रस्तावना संविधान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है, लेकिन यह स्वयं न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय (enforceable) नहीं है। केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि प्रस्तावना संविधान का ‘अभिन्न अंग’ है, लेकिन यह नहीं कहा कि यह ‘सबसे महत्वपूर्ण’ हिस्सा है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी माना है कि प्रस्तावना के कुछ प्रावधान (जैसे न्याय) मौलिक अधिकार हैं, लेकिन प्रस्तावना स्वयं किसी भी न्यायालय में लागू नहीं की जा सकती।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना ‘हम, भारत के लोग’ से शुरू होती है, जो संविधान के स्रोत को इंगित करता है। यह संविधान के उद्देश्य, जैसे संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व प्रदान करना, भी बताती है। प्रस्तावना में उल्लिखित ’26 नवंबर, 1949′ वह तिथि है जब संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया गया था, लेकिन यह वह तिथि नहीं है जब यह लागू हुआ (जो 26 जनवरी, 1950 को हुआ)।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना संविधान का स्रोत (हम, भारत के लोग) और उद्देश्य (न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व) बताती है। इसमें 26 नवंबर, 1949 का उल्लेख है, जब संविधान को अपनाया गया था। लेकिन यह कहना कि यह ‘सबसे महत्वपूर्ण’ हिस्सा है, एक अतिशयोक्तिपूर्ण दावा हो सकता है, जबकि ‘अभिन्न अंग’ एक अधिक सटीक कानूनी शब्दावली है।
प्रश्न 15: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है?
- 5 वर्ष
- 6 वर्ष
- 65 वर्ष की आयु तक
- 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 148 के अनुसार, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले आए।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है और भारत की संचित निधि, आकस्मिक निधि और लोक लेखाओं से संबंधित सभी व्यय की लेखा परीक्षा करता है। यह संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के लिए एक मार्गदर्शक और मित्र के रूप में कार्य करता है।
- गलत विकल्प: 5 वर्ष, 6 वर्ष, या केवल 65 वर्ष की आयु तक कार्यकाल के प्रावधान CAG के लिए लागू नहीं होते।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का उद्देश्य है?
- नागरिकों के मौलिक अधिकारों को स्थापित करना
- सरकार की शक्तियों को सीमित करना
- सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना
- संसद की सर्वोच्चता सुनिश्चित करना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP), जो संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं, का मुख्य उद्देश्य भारत में एक ‘कल्याणकारी राज्य’ की स्थापना करना है। इसका अर्थ है सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देना।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP सरकारों को ऐसी नीतियां बनाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं जो सामाजिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा दें, जैसे समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता (अनुच्छेद 39A), काम का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, सार्वजनिक सहायता, और जीवन स्तर को बढ़ावा देना (अनुच्छेद 41)।
- गलत विकल्प: मौलिक अधिकारों का उद्देश्य नागरिकों के अधिकारों को स्थापित करना है। सरकार की शक्तियों को सीमित करने का काम आम तौर पर मौलिक अधिकार और संवैधानिक सीमाएं करती हैं। संसद की सर्वोच्चता (Legislative Supremacy) ब्रिटिश मॉडल से प्रेरित है, जबकि भारतीय संविधान शक्ति संतुलन पर जोर देता है।
प्रश्न 17: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन केंद्रीय सरकार के ‘कार्यकारी कृत्य’ (Executive Functions) से संबंधित है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- केंद्रीय मंत्री परिषद
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 53 के अनुसार, संघ की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी और वह इसका प्रयोग सीधे या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा। हालाँकि, अनुच्छेद 74 यह स्पष्ट करता है कि राष्ट्रपति अपनी कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करेंगे, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री करता है। अतः, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री परिषद सभी केंद्रीय सरकार के कार्यकारी कृत्य से संबंधित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति देश का कार्यकारी प्रमुख होता है, लेकिन वास्तविक कार्यकारी शक्ति प्रधानमंत्री और उसकी मंत्रिपरिषद के पास होती है। वे नीतियों को लागू करने, प्रशासन चलाने और देश की रक्षा के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- गलत विकल्प: तीनों ही केंद्रीय सरकार के कार्यकारी कृत्य से जुड़े हैं, इसलिए केवल एक या दो को चुनना गलत होगा।
प्रश्न 18: भारत का उपराष्ट्रपति निम्नलिखित में से किस सदन का पदेन अध्यक्ष (Ex-officio Chairman) होता है?
- लोकसभा
- राज्यसभा
- विधान परिषद
- संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 64 के अनुसार, भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष होता है। इसका मतलब है कि उपराष्ट्रपति के पद पर आसीन व्यक्ति स्वतः ही राज्यसभा का अध्यक्ष भी बन जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस क्षमता में, उपराष्ट्रपति सदन की कार्यवाही का संचालन करता है, लेकिन वह वोटिंग में भाग नहीं ले सकता, सिवाय निर्णायक मत (casting vote) देने के। उपराष्ट्रपति का चयन अप्रत्यक्ष रूप से संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाता है (अनुच्छेद 66)।
- गलत विकल्प: लोकसभा का अध्यक्ष (Speaker) होता है। विधान परिषद का अपना सभापति (Chairman) होता है। संयुक्त बैठक की अध्यक्षता भी लोकसभा अध्यक्ष ही करते हैं।
प्रश्न 19: भारत में ‘सांप्रदायिक पंचाट’ (Communal Award) का संबंध किससे था?
- अल्पसंख्यकों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों का विस्तार
- जाति-आधारित आरक्षण का परिचय
- दल-बदल के आधार पर अयोग्यता
- लोकपाल की नियुक्ति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: 1932 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्से मैकडोनाल्ड द्वारा घोषित सांप्रदायिक पंचाट (Communal Award) का उद्देश्य पृथक निर्वाचन मंडलों (separate electorates) का विस्तार करना था, जिसमें दलितों (Depressed Classes) को भी शामिल किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस पंचाट ने भारत में सांप्रदायिक तनाव को और बढ़ाया। महात्मा गांधी ने दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों के प्रावधान का कड़ा विरोध किया, जिससे पूना पैक्ट (1932) हुआ, जिसमें दलितों के लिए आरक्षित सीटों का प्रावधान किया गया, लेकिन निर्वाचन मंडल संयुक्त रखे गए।
- गलत विकल्प: जाति-आधारित आरक्षण पूना पैक्ट के बाद आया, लेकिन सांप्रदायिक पंचाट का मुख्य फोकस अलग निर्वाचन क्षेत्र थे। दल-बदल और लोकपाल आधुनिक अवधारणाएं हैं जिनका सांप्रदायिक पंचाट से कोई संबंध नहीं है।
प्रश्न 20: किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) की उद्घोषणा को संसद के प्रत्येक सदन द्वारा कितने समय के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है?
- एक माह
- दो माह
- छह माह
- बारह माह
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा इसके जारी होने की तारीख से दो महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि उद्घोषणा जारी होने के समय लोकसभा विघटित है, तो उद्घोषणा को प्रभावी रहने के लिए, पहली बार लोकसभा की बैठक होने के बाद से 30 दिनों के भीतर उसे अनुमोदित किया जाना चाहिए। एक बार अनुमोदित होने पर, यह छह महीने तक लागू रह सकता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के लिए अनुमोदन अवधि एक माह होती है। छह माह और बारह माह अनुमोदन की अवधि नहीं, बल्कि राष्ट्रपति शासन की अधिकतम अवधि (संसद की मंजूरी के बाद) हैं।
प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय संघीय व्यवस्था (Federal System) के बारे में सही नहीं है?
- भारत में दोहरी सरकार (Dual Government) है।
- शक्तियों का विभाजन है।
- लिखित संविधान है।
- सभी विवादों को निपटाने के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: भारतीय संघीय व्यवस्था की विशेषताएँ दोहरी सरकार, शक्तियों का विभाजन, लिखित संविधान, संविधान की सर्वोच्चता, कठोरता और स्वतंत्र न्यायपालिका हैं। हालांकि, भारत में ‘दोहरी सरकार’ (Dual Government) की व्यवस्था नहीं है, जैसा कि कुछ अन्य संघीय देशों में पाया जाता है (जहाँ केंद्र और राज्य सरकारों के अपने-अपने पूर्ण अधिकार क्षेत्र होते हैं)। भारत में ‘एकल सरकार’ (Single Government) है, जो संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन करती है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत का संविधान लिखित और कठोर है, और शक्तियों का विभाजन संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में किया गया है। न्यायपालिका स्वतंत्र है और संविधान की व्याख्या करती है। भारत को ‘राज्यों का एक अविनाशी संघ’ कहा गया है, जहाँ संघ को राज्यों की तुलना में अधिक शक्ति प्राप्त है (अर्द्ध-संघीय व्यवस्था)।
- गलत विकल्प: भारत में दोहरी सरकार का अर्थ केंद्र और राज्यों का अलग-अलग शासन नहीं है, बल्कि संविधान द्वारा स्थापित एकीकृत शासन प्रणाली है। बाकी सभी विकल्प भारतीय संघीय व्यवस्था की विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 22: मौलिक कर्तव्यों (Fundamental Duties) को भारतीय संविधान में किस वर्ष जोड़ा गया?
- 1976
- 1978
- 1986
- 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51-A के तहत जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: ये कर्तव्य स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर आधारित थे। मौलिक कर्तव्य नागरिकों को यह याद दिलाते हैं कि राष्ट्र निर्माण में उनके कुछ दायित्व भी हैं, जैसे राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना, देश की रक्षा करना, वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना आदि। ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
- गलत विकल्प: 1978 में 44वां संशोधन हुआ, 1986 में शिक्षा का अधिकार (DPSP) को महत्व मिला, और 1992 में 73वां और 74वां संशोधन हुए।
प्रश्न 23: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या कानूनों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करता है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 14 “विधि के समक्ष समानता” (Equality before the law) और “विधियों का समान संरक्षण” (Equal protection of the laws) की गारंटी देता है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह नागरिक हो या विदेशी, कानून से ऊपर नहीं है और सभी को कानून के तहत समान माना जाएगा।
- संदर्भ और विस्तार: ‘विधि के समक्ष समानता’ ब्रिटिश मूल का है और इसका अर्थ है कि विशेषाधिकार या दंड किसी के भी लिए अलग-अलग नहीं होंगे। ‘विधियों का समान संरक्षण’ अमेरिकी मूल का है और इसका अर्थ है कि समान परिस्थितियों वाले सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता की बात करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता (Untouchability) के उन्मूलन से संबंधित है। ये सभी अनुच्छेद 14 के दायरे में आते हैं, लेकिन अनुच्छेद 14 मुख्य रूप से सभी व्यक्तियों को समानता का अधिकार देता है।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सी संसदीय समिति संसद की स्थायी समितियों में से नहीं है?
- लोक लेखा समिति
- प्राक्कलन समिति (Estimates Committee)
- सरकारी उपक्रम समिति
- वित्तीय विधायी समिति (Financial Legislation Committee)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और संदर्भ: लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति और सरकारी उपक्रम समिति भारतीय संसद की तीन स्थायी वित्तीय समितियाँ हैं। ‘वित्तीय विधायी समिति’ (Financial Legislation Committee) कोई स्थापित संसदीय समिति नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: लोक लेखा समिति (PAC) भारत की संचित निधि से किए गए व्यय की लेखा परीक्षा करती है। प्राक्कलन समिति व्यय के प्रत्येक मद पर, जिसमें संसद के समक्ष रखे गए अनुमान भी शामिल हैं, विस्तार से विचार करती है। सरकारी उपक्रम समिति सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कामकाज की जाँच करती है।
- गलत विकल्प: PAC, प्राक्कलन समिति और सरकारी उपक्रम समिति तीनों प्रमुख स्थायी समितियाँ हैं। वित्तीय विधायी समिति का कोई अलग से प्रावधान नहीं है, हालाँकि वित्तीय विधेयकों पर चर्चा जरूर होती है।
प्रश्न 25: 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में कौन सी अनुसूची जोड़ी?
- नौवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में बारहवीं अनुसूची जोड़ी, जिसमें शहरी स्थानीय निकायों (जैसे नगर पालिकाएं, नगर निगम) से संबंधित 18 विषय शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने संविधान में भाग IX-A भी जोड़ा, जो नगर पालिकाओं के गठन, संरचना और कामकाज से संबंधित है। इसका उद्देश्य शहरी स्थानीय स्वशासन को मजबूत करना है।
- गलत विकल्प: नौवीं अनुसूची 1951 में प्रथम संशोधन द्वारा जोड़ी गई। दसवीं अनुसूची 52वें संशोधन (1985) द्वारा जोड़ी गई। ग्यारहवीं अनुसूची 73वें संशोधन (1992) द्वारा जोड़ी गई और पंचायती राज से संबंधित है।