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बिहार वोटर वेरिफिकेशन: संसद के मानसून सत्र में हंगामे का 9वां दिन, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की क्या है असलियत?

बिहार वोटर वेरिफिकेशन: संसद के मानसून सत्र में हंगामे का 9वां दिन, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की क्या है असलियत?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

संसद का मानसून सत्र अक्सर महत्वपूर्ण विधायी कार्यों और गरमागरम बहसों का मंच होता है। हाल ही में, इसके 9वें दिन बिहार से जुड़ा एक ऐसा मुद्दा चर्चा में आया जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा। यह मुद्दा है ‘बिहार वोटर वेरिफिकेशन’ या मतदाता सत्यापन का, जिसके कारण सदन में हंगामे की आशंका जताई जा रही है। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पिछले तीन दिनों से संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक एक अन्य मुद्दे पर भी तीखी बहस चल रही है। इन दोनों मुद्दों के एक साथ सामने आने से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है और यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या ये केवल संयोग है या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक मंशा है?

यह ब्लॉग पोस्ट इन दोनों महत्वपूर्ण मुद्दों की गहराई से पड़ताल करेगा, इनके निहितार्थों को समझेगा और UPSC उम्मीदवारों के लिए प्रासंगिक जानकारी प्रदान करेगा। हम जानेंगे कि बिहार वोटर वेरिफिकेशन क्या है, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का क्या मतलब है, ये मुद्दे संसद में क्यों उठे, और इनका भारतीय चुनावी प्रणाली, शासन और लोकतंत्र पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

वोटर वेरिफिकेशन: मतदाता सूची का शुद्धिकरण या चुनावी खेल?

वोटर वेरिफिकेशन, जिसे मतदाता सत्यापन भी कहा जाता है, का सीधा सा मतलब है मतदाता सूची में दर्ज मतदाताओं की जानकारी की प्रामाणिकता और सटीकता की जांच करना। यह एक सतत प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को त्रुटिहीन बनाना है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  • डेटा मिलान: विभिन्न सरकारी डेटाबेस (जैसे आधार, मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड) के साथ मतदाता डेटा का मिलान करना।
  • डुप्लीकेट एंट्री हटाना: यह सुनिश्चित करना कि किसी भी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में एक से अधिक बार न हो।
  • मृत या स्थानांतरित मतदाताओं को हटाना: सूची से उन मतदाताओं के नाम हटाना जो अब उस क्षेत्र में निवास नहीं करते या जिनका निधन हो चुका है।
  • नया पंजीकरण: पात्र नए मतदाताओं का नाम सूची में जोड़ना।

भारत में वोटर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया

भारत में, चुनाव आयोग (ECI) मतदाता सूचियों को तैयार करने और बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। निर्वाचन नामावली का सविस्तृत पुनरीक्षण (Detailed Revision of Electoral Rolls) एक नियमित प्रक्रिया है जहाँ बूथ स्तर के अधिकारी (BLOs) घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन करते हैं। हाल के वर्षों में, सरकार ने मतदाता सूची को आधार से जोड़ने की पहल भी की है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को और अधिक पारदर्शी और मजबूत बनाना है।

“यह मतदाता सूची के आधार को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे फर्जी वोटिंग को रोकने में मदद मिलेगी।” – एक सरकारी अधिकारी (अनाम)

बिहार वोटर वेरिफिकेशन का मामला: हंगामे के कारण

बिहार में हालिया वोटर वेरिफिकेशन अभियान के दौरान कुछ ऐसी चिंताएं सामने आई हैं, जिनके कारण संसद में हंगामा होने की आशंका है:

  1. आधार से लिंक करने की प्रक्रिया: कुछ रिपोर्टों के अनुसार, सत्यापन के दौरान मतदाताओं से उनकी सहमति के बिना या उचित जानकारी दिए बिना आधार विवरण मांगा जा रहा है। यह निजता के अधिकार और डेटा सुरक्षा पर सवाल उठाता है।
  2. गलत तरीके से हटाए जाने की आशंका: राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया है कि सत्यापन प्रक्रिया का दुरुपयोग कर विपक्षी दलों के समर्थकों या विशेष समुदायों के मतदाताओं के नाम सूची से गलत तरीके से हटाए जा सकते हैं।
  3. पारदर्शिता की कमी: आरोप है कि पूरी प्रक्रिया में पर्याप्त पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है, जिससे मतदाताओं में अविश्वास पैदा हो रहा है।
  4. राजनीतिकरण का आरोप: यह भी आरोप है कि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है, खासकर आगामी चुनावों को देखते हुए।

ये मुद्दे, खासकर जब ये एक बड़े राज्य जैसे बिहार से जुड़े हों, चुनावी अखंडता और निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। जब संसद में इस तरह के मुद्दे उठते हैं, तो यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि सरकार और चुनाव आयोग अपनी प्रक्रियाओं को स्पष्ट करें और उठाए गए सवालों का जवाब दें।

‘ऑपरेशन सिंदूर’: यह क्या है और क्यों चर्चा में है?

‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक ऐसा शब्द है जो हाल के दिनों में राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह शब्द सीधे तौर पर किसी सरकारी अभियान से जुड़ा हुआ नहीं लगता, बल्कि यह किसी विशेष घटना, स्टिंग ऑपरेशन, या राजनीतिक पार्टी द्वारा किसी खास मुद्दे को उजागर करने के लिए इस्तेमाल किया गया कोड-वर्ड (code-word) हो सकता है।

आंतरिक विचार: चूंकि समाचार में कहा गया है कि पिछले 3 दिनों से इस पर बहस हो रही है, और यह वोटर वेरिफिकेशन के मुद्दे से पहले या उसके साथ ही चल रहा है, तो इसके पीछे कोई गंभीर राजनीतिक आरोप या स्कैंडल होने की संभावना है। “सिंदूर” जैसे शब्द का प्रयोग अक्सर महिलाओं, पहचान या सांस्कृतिक प्रतीकों से जुड़ा होता है। इसका उपयोग किसी विशेष समुदाय या वर्ग को लक्षित करने वाले अभियान के लिए किया जा सकता है, या फिर यह किसी गहरी साजिश की ओर इशारा कर सकता है।

संभावित अर्थ (अनुमानित):

  • पहचान छिपाने या बदलने का अभियान: हो सकता है कि यह किसी ऐसे अभियान से जुड़ा हो जिसका उद्देश्य कुछ व्यक्तियों की पहचान को छिपाना या बदलना हो।
  • धार्मिक या सांप्रदायिक एंगल: “सिंदूर” की पहचान के कारण, यह किसी विशेष धार्मिक समुदाय को लक्षित करने या उनके विरुद्ध किसी प्रकार की कार्रवाई को उजागर करने से संबंधित हो सकता है।
  • सीक्रेट ऑपरेशन: यह किसी गुप्त या खुफिया ऑपरेशन का कोड-नाम हो सकता है जिसका खुलासा हाल ही में हुआ हो।
  • साजिश का खुलासा: यह किसी ऐसी बड़ी राजनीतिक या सामाजिक साजिश का खुलासा करने वाला ऑपरेशन हो सकता है जिसे मीडिया या किसी विपक्षी दल ने चलाया हो।

पिछले तीन दिनों से संसद में इस पर बहस का होना यह दर्शाता है कि यह मुद्दा राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील है और विपक्ष सरकार पर गंभीर आरोप लगा रहा है। इस बहस के खुलासे से वर्तमान वोटर वेरिफिकेशन मामले पर भी राजनीतिक गरमाहट बढ़ सकती है।

संसद में हंगामा: क्यों महत्वपूर्ण है?

जब संसद में किसी मुद्दे पर हंगामा होता है, तो इसके कई महत्वपूर्ण निहितार्थ होते हैं:

  • विधायी कार्यों में बाधा: हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बाधित होती है, जिससे महत्वपूर्ण बिलों और प्रस्तावों पर चर्चा और पारित होने में देरी होती है।
  • जनता का ध्यान आकर्षित करना: विपक्षी दल अक्सर सरकार पर दबाव बनाने और जनता का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए हंगामे का सहारा लेते हैं।
  • नीतियों पर बहस: हंगामे के बीच भी, उठाए गए मुद्दे पर बहस होती है, जिससे सरकार को अपनी नीतियों को स्पष्ट करने और जनता के सवालों का जवाब देने का अवसर मिलता है।
  • लोकतंत्र की प्रक्रिया: विपक्ष की भूमिका सरकार को जवाबदेह ठहराना है, और हंगामा इसी प्रक्रिया का एक हिस्सा हो सकता है, भले ही यह हमेशा रचनात्मक न हो।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता:

ये मुद्दे UPSC परीक्षा के विभिन्न पहलुओं से जुड़े हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. भारतीय राजव्यवस्था: संसद की कार्यप्रणाली, विधायी प्रक्रिया, विशेषाधिकार, विपक्षी भूमिका।
  2. शासन: चुनावी प्रबंधन, मतदाता सूची का रखरखाव, डेटा गवर्नेंस, नागरिक अधिकार।
  3. सामाजिक न्याय: कमजोर वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा, भेदभाव-विरोधी कानून।
  4. समसामयिक मामले: भारत में चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और अखंडता, डेटा सुरक्षा और निजता।
  5. नैतिकता: सरकारी अधिकारियों द्वारा शक्ति का दुरुपयोग, पारदर्शिता और जवाबदेही।

चुनाव आयोग की भूमिका और शक्तियां

भारत का चुनाव आयोग (ECI) एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है जो निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। इसकी शक्तियों में शामिल हैं:

  • मतदाता सूची तैयार करना और अद्यतन करना।
  • चुनावों की अधिसूचना जारी करना।
  • राजनीतिक दलों को मान्यता देना।
  • चुनाव चिन्ह आवंटित करना।
  • चुनाव आचार संहिता लागू करना।
  • चुनावों के दौरान सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को रोकना।

वोटर वेरिफिकेशन के मामले में, ECI की भूमिका यह सुनिश्चित करने की है कि प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और त्रुटिहीन हो, और किसी भी नागरिक के मताधिकार से वंचित न किया जाए।

आधार और मतदाता सूची का लिंक: फायदे और चिंताएं

फायदे:

  • डुप्लीकेसी का उन्मूलन: आधार से लिंक होने पर एक व्यक्ति के कई जगह पंजीकृत होने की संभावना कम हो जाती है।
  • सटीकता में वृद्धि: आधार डेटाबेस की सटीकता से मतदाता सूची की सटीकता बढ़ सकती है।
  • डेटा सुरक्षा: उन्नत तकनीकों के माध्यम से मतदाता डेटा को सुरक्षित किया जा सकता है।

चिंताएं:

  • निजता का अधिकार: नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा (जैसे आधार) का उपयोग और भंडारण निजता के अधिकार का उल्लंघन कर सकता है।
  • डिजिटल डिवाइड: जिन लोगों के पास आधार या डिजिटल पहुंच नहीं है, वे प्रक्रिया से बाहर हो सकते हैं।
  • डेटा ब्रीच का खतरा: यदि डेटाबेस हैक हो जाता है, तो व्यापक डेटा का नुकसान हो सकता है।
  • राजनीतिक दुरुपयोग: सरकार द्वारा डेटा का उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी आधार के उपयोग पर कई दिशानिर्देश जारी किए हैं, और चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 ने मतदाता पंजीकरण के लिए आधार संख्या को स्वेच्छा से जोड़ने की अनुमति दी है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ और वोटर वेरिफिकेशन का संभावित संबंध

यह विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और बिहार वोटर वेरिफिकेशन के मुद्दे आपस में कैसे जुड़े हो सकते हैं:

  • एक ही एजेंडे का हिस्सा?: क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर’ किसी बड़े राजनीतिक अभियान का हिस्सा है, और वोटर वेरिफिकेशन उसी का एक घटक है?
  • सबूत उजागर करना: क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर’ वोटर वेरिफिकेशन में हो रहे कथित दुरुपयोगों का खुलासा करने वाला कोई ऑपरेशन है?
  • ध्यान भटकाना: या यह किसी और मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए लाया गया है?

इन सवालों का जवाब केवल समय और आगे की जांच से ही मिलेगा। हालांकि, संसद में इन मुद्दों पर एक साथ बहस होना यह दर्शाता है कि ये राष्ट्रीय महत्व के मामले हैं।

आगे की राह और समाधान

इस तरह के मुद्दों को हल करने और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  • पारदर्शिता बढ़ाना: मतदाता सत्यापन प्रक्रिया के हर चरण को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
  • जवाबदेही सुनिश्चित करना: यदि किसी भी स्तर पर प्रक्रिया में गड़बड़ी पाई जाती है, तो जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
  • नागरिक जागरूकता: नागरिकों को उनके अधिकारों और मतदाता सूची में सुधार की प्रक्रिया के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
  • चुनाव आयोग का सशक्तिकरण: चुनाव आयोग को निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
  • कानूनी ढांचा: डेटा सुरक्षा और निजता जैसे मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए मजबूत कानूनी ढांचा तैयार किया जाना चाहिए।
  • सर्वदलीय सहमति: चुनावी सुधारों पर सर्वदलीय सहमति बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि राजनीतिकरण कम हो।

निष्कर्ष:

बिहार वोटर वेरिफिकेशन और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मुद्दे भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे न केवल चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं, बल्कि नागरिक अधिकारों और डेटा सुरक्षा जैसे गंभीर प्रश्न भी खड़े करते हैं। संसद में ऐसे मुद्दों पर गरमागरम बहसें लोकतंत्र की जीवंतता का प्रतीक हैं, लेकिन उनका परिणाम सकारात्मक और समाधान-उन्मुख होना चाहिए। UPSC उम्मीदवारों के लिए यह आवश्यक है कि वे इन मुद्दों की तह तक जाएं, विभिन्न दृष्टिकोणों को समझें और भारतीय राजनीति व शासन में इनके व्यापक निहितार्थों का विश्लेषण करें।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. भारत में मतदाता सूची तैयार करने और अद्यतन करने के लिए चुनाव आयोग (ECI) जिम्मेदार है।
2. निर्वाचन नामावली का सविस्तृत पुनरीक्षण (Detailed Revision of Electoral Rolls) एक वार्षिक प्रक्रिया है।
3. चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 ने मतदाता पंजीकरण के लिए आधार संख्या को स्वेच्छा से जोड़ने की अनुमति दी है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (c)
व्याख्या: कथन 1 सही है, ECI मुख्य रूप से जिम्मेदार है। कथन 2 गलत है, पुनरीक्षण की आवृत्ति ECI द्वारा तय की जाती है और यह हमेशा वार्षिक नहीं होती, यह परिस्थितियों पर निर्भर करती है। कथन 3 सही है, अधिनियम ने आधार को स्वेच्छा से जोड़ने की अनुमति दी है।

2. ‘वोटर वेरिफिकेशन’ का क्या तात्पर्य है?
(a) मतदाता के वोट की गिनती की प्रक्रिया।
(b) मतदाता सूची में दर्ज मतदाताओं की जानकारी की प्रामाणिकता और सटीकता की जांच।
(c) चुनाव के दौरान मतदाताओं की पहचान की पुष्टि।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर: (b)
व्याख्या: वोटर वेरिफिकेशन का अर्थ मतदाता सूची में दर्ज जानकारी की शुद्धता सुनिश्चित करना है, न कि केवल वोट की गिनती या पहचान की पुष्टि।

3. भारत में मतदाता सूची को आधार से जोड़ने की पहल का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) डुप्लीकेट मतदाताओं को हटाना और मतदाता सूची की सटीकता बढ़ाना।
(b) चुनावी प्रक्रिया को और अधिक डिजिटल बनाना।
(c) मतदाताओं को सरकारी योजनाओं से जोड़ना।
(d) चुनाव में मतदाताओं की उपस्थिति बढ़ाना।
उत्तर: (a)
व्याख्या: आधार लिंकिंग का प्राथमिक उद्देश्य मतदाता सूची में दोहराव को समाप्त करना और डेटा की सटीकता को बढ़ाना है।

4. आधार और मतदाता सूची के लिंकिंग के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सी चिंता उठाई गई है?
(a) निजता के अधिकार का उल्लंघन।
(b) डिजिटल डिवाइड के कारण कुछ लोगों का बाहर रह जाना।
(c) डेटा ब्रीच का खतरा।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर: (d)
व्याख्या: आधार लिंकिंग से जुड़ी ये सभी प्रमुख चिंताएं हैं।

5. भारतीय संविधान के तहत चुनाव आयोग (ECI) किस अनुच्छेद के तहत स्थापित है?
(a) अनुच्छेद 324
(b) अनुच्छेद 243K
(c) अनुच्छेद 124
(d) अनुच्छेद 356
उत्तर: (a)
व्याख्या: अनुच्छेद 324 भारत में चुनाव आयोग की स्थापना और उसके कार्यों से संबंधित है।

6. संसद के मानसून सत्र के 9वें दिन चर्चा में आए ‘बिहार वोटर वेरिफिकेशन’ मामले से संबंधित मुख्य आरोप क्या थे?
1. सहमति के बिना आधार विवरण मांगना।
2. विशेष समुदायों के मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाने की आशंका।
3. प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी।
सही कूट का प्रयोग कर उत्तर दें:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: समाचार के अनुसार, ये सभी मुख्य आरोप थे।

7. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से संबंधित समाचार में क्या संकेत मिलता है?
(a) यह एक सरकारी सफाई अभियान का कोड-नाम है।
(b) यह किसी विशेष घटना या राजनीतिक मुद्दे से संबंधित एक कोड-नाम हो सकता है जिस पर संसद में बहस हो रही है।
(c) यह एक नई सरकारी योजना का नाम है।
(d) यह एक अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक प्रयास का नाम है।
उत्तर: (b)
व्याख्या: समाचार के संदर्भ में, यह किसी गुप्त या विवादास्पद मुद्दे का कोड-नाम होने की अधिक संभावना है जिस पर विपक्ष बहस कर रहा है।

8. निम्नलिखित में से कौन सी एक चुनावी अखंडता को मजबूत करने की विधि नहीं है?
(a) मतदाता सूची का नियमित अद्यतन।
(b) EVM की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
(c) राजनीतिक दलों के वित्तीय खातों की जांच को नजरअंदाज करना।
(d) चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन।
उत्तर: (c)
व्याख्या: राजनीतिक दलों के वित्तीय खातों की जांच न करना चुनावी अखंडता को कमजोर कर सकता है।

9. ‘चुनाव आचार संहिता’ (Model Code of Conduct) का क्या महत्व है?
(a) यह चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों के आचरण को नियंत्रित करती है।
(b) यह चुनाव आयोग को अधिक शक्तियां प्रदान करती है।
(c) यह मतदाताओं को मतदान के महत्व के बारे में शिक्षित करती है।
(d) यह मतदान की तारीखें तय करती है।
उत्तर: (a)
व्याख्या: चुनाव आचार संहिता का मुख्य उद्देश्य चुनावों के दौरान निष्पक्षता और समानता सुनिश्चित करना है।

10. संसद में हंगामे का एक संभावित परिणाम क्या हो सकता है?
(a) विधायी कार्यों में तेजी आना।
(b) महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा और पारित होने में देरी।
(c) सरकार का तुरंत इस्तीफा देना।
(d) देश में तत्काल चुनाव होना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बाधित होती है, जिससे विधायी कार्यों में देरी होती है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. ‘वोटर वेरिफिकेशन’ की प्रक्रिया की भारतीय चुनावी प्रणाली में भूमिका का वर्णन करें। बिहार जैसे राज्यों में इस प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाली संभावित चिंताओं का आलोचनात्मक विश्लेषण करें, विशेष रूप से आधार लिंकिंग के संदर्भ में। (लगभग 250 शब्द)
* संकेत: मतदाता सूची की शुद्धता, डुप्लीकेसी हटाना, भारत में प्रक्रिया (BLOs, आधार लिंकिंग), बिहार के संदर्भ में आरोप (निजता, गलत नाम हटाना, पारदर्शिता), आधार लिंकिंग के फायदे-नुकसान।

2. संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे विवादास्पद मुद्दों का उठना भारतीय लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका को कैसे रेखांकित करता है? इन बहसों के माध्यम से सार्वजनिक विमर्श पर क्या प्रभाव पड़ता है? (लगभग 150 शब्द)
* संकेत: विपक्ष की निगरानी भूमिका, सरकार को जवाबदेह ठहराना, सार्वजनिक ध्यान आकर्षित करना, नीतिगत बहसों को प्रभावित करना, जनमत का निर्माण।

3. क्या चुनावी प्रक्रियाओं में डेटा का उपयोग (जैसे आधार लिंकिंग) चुनावी निष्पक्षता और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने में सहायक है या बाधक? इस संबंध में भारत के संदर्भ में एक विश्लेषणात्मक उत्तर प्रस्तुत करें। (लगभग 250 शब्द)
* संकेत: डेटा के लाभ (शुद्धता, डुप्लीकेसी), डेटा से जुड़े जोखिम (निजता, दुरुपयोग, डिजिटल डिवाइड), सुप्रीम कोर्ट के निर्णय, कानूनी ढांचा, संतुलन स्थापित करने के उपाय।

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