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बिहार में अपराध का बढ़ता ग्राफ: NDA में दरार, चिराग पासवान का नीतीश सरकार पर तीखा हमला

बिहार में अपराध का बढ़ता ग्राफ: NDA में दरार, चिराग पासवान का नीतीश सरकार पर तीखा हमला

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार में बढ़ते अपराधों और कानून-व्यवस्था की लचर स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, अपनी ही एनडीए (NDA) सहयोगी सरकार पर तीखे हमले बोले हैं। उनके इस बयान ने बिहार की राजनीतिक गरमाहट को और बढ़ा दिया है, साथ ही राज्य में सुशासन और सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। चिराग पासवान ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह बिहार सरकार का समर्थन करते हुए “शर्मिंदा” महसूस करते हैं, जो सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार पर एक बड़ा आरोप है। यह घटनाक्रम न केवल बिहार के राजनीतिक परिदृश्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए भी समसामयिक मामलों, शासन, सुरक्षा और गठबंधन राजनीति की जटिलताओं को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है।

इस लेख में, हम इस मुद्दे की गहराई में जाएंगे, इसके विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करेंगे, और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से प्रासंगिक जानकारी प्रदान करेंगे। हम समझेंगे कि बिहार में अपराध क्यों बढ़ रहा है, चिराग पासवान के बयानों का क्या महत्व है, एनडीए गठबंधन पर इसका क्या असर पड़ सकता है, और भविष्य में इसके क्या निहितार्थ हो सकते हैं।

बिहार में अपराध का बढ़ता ग्राफ: एक गंभीर चिंता का विषय

बिहार, अपनी विशाल आबादी और जटिल सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने के साथ, ऐतिहासिक रूप से कानून-व्यवस्था से जुड़ी चुनौतियों का सामना करता रहा है। हालिया आंकड़े और आम नागरिकों की शिकायतें एक चिंताजनक तस्वीर पेश करती हैं: राज्य में अपराध की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। छोटे-मोटे अपराधों से लेकर गंभीर अपराधों जैसे हत्या, अपहरण, डकैती और बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि ने नागरिकों के मन में भय का माहौल पैदा कर दिया है।

अपराध के बढ़ते ग्राफ के पीछे कुछ प्रमुख कारक हो सकते हैं:

  • आर्थिक असमानता और बेरोजगारी: गरीबी और अवसरों की कमी अक्सर युवाओं को अपराध की ओर धकेल सकती है। बिहार अभी भी देश के उन राज्यों में से एक है जहाँ आर्थिक विकास की गति धीमी है और रोजगार के अवसर सीमित हैं।
  • राजनीतिक संरक्षण और भ्रष्टाचार: यह आरोप अक्सर लगते रहे हैं कि कुछ मामलों में अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिलता है, जिससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों की कार्रवाई प्रभावित होती है। भ्रष्टाचार भी एक बड़ी बाधा है जो न्याय प्रक्रिया को कमजोर कर सकती है।
  • कमजोर कानून प्रवर्तन: पुलिस बल का आधुनिकीकरण, प्रशिक्षण और संसाधनों की कमी भी अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने में बाधा डाल सकती है। पुलिस-जनता अनुपात का कम होना भी एक चुनौती है।
  • न्याय प्रणाली में देरी: मुकदमों के लंबे समय तक चलने और न्याय मिलने में देरी अपराधियों को एक प्रकार की अप्रत्यक्ष छूट देती है, क्योंकि उन्हें पता होता है कि सजा होने में काफी समय लगेगा।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक कारक: कुछ क्षेत्रों में, अपराध को एक सामाजिक स्वीकार्यता मिल जाती है या फिर बदला लेने की भावना अपराधों को जन्म देती है।

“जब मैं बिहार में हो रहे अपराधों के बारे में सुनता हूँ, तो मुझे दुख होता है। यह अस्वीकार्य है। हमें इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।” – एक सामान्य नागरिक

चिराग पासवान का बयान: एनडीए गठबंधन में भूचाल

चिराग पासवान, जो बिहार के एक प्रमुख दलित नेता के रूप में जाने जाते हैं, का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर सार्वजनिक रूप से इस तरह हमला करना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है। उनके पिता, रामविलास पासवान, भी बिहार की राजनीति में एक कद्दावर नेता थे और उन्होंने विभिन्न सरकारों का समर्थन किया, लेकिन हमेशा अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे। चिराग पासवान की यह टिप्पणी केवल एक पार्टी के नेता की प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि यह बिहार में सत्ताधारी गठबंधन के भीतर एक अंतर्विरोध का संकेत देती है।

चिराग पासवान के बयानों के निहितार्थ:

  • आंतरिक असंतोष का संकेत: यह दर्शाता है कि एनडीए गठबंधन के भीतर कुछ दल, विशेषकर जो स्वयं को ‘असंतुष्ट’ या ‘वंचित’ महसूस करते हैं, सरकार के प्रदर्शन से खुश नहीं हैं।
  • राजनीतिक दांव-पेच: यह चिराग पासवान के लिए अपनी पार्टी के जनाधार को मजबूत करने और विशेषकर दलित वोट बैंक को एकजुट करने की एक रणनीति भी हो सकती है, जो उन्हें लगता है कि राज्य सरकार की नीतियों से उपेक्षित है।
  • भाजपा पर दबाव: चिराग पासवान की यह तीखी आलोचना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर भी दबाव डालती है, जो एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी है और जिसका नीतीश कुमार के साथ गठबंधन है। यह भाजपा को अपनी सहयोगी सरकार के प्रदर्शन पर स्पष्ट रुख अपनाने के लिए मजबूर कर सकता है।
  • विपक्ष को अवसर: यह बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और अन्य विरोधी दलों के लिए सरकार पर हमला करने का एक और मौका प्रदान करता है।

उपमा: इसे ऐसे समझिए जैसे एक ही नाव में सवार दो यात्री एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हों। नाव तो वही है, लेकिन अंदरूनी कलह सतह पर आ रही है।

एनडीए गठबंधन और बिहार का राजनीतिक परिदृश्य

बिहार में वर्तमान एनडीए सरकार में भाजपा, जद (यू), एलजेपी (आर) और अन्य छोटे दल शामिल हैं। गठबंधन की राजनीति में, विभिन्न दलों के अपने-अपने एजेंडे और महत्वाकांक्षाएं होती हैं। जब अपराध जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर सरकार का प्रदर्शन कमजोर होता है, तो यह गठबंधन के भीतर तनाव पैदा कर सकता है।

गठबंधन की गतिशीलता:

  • जद(यू) और भाजपा का तालमेल: नीतीश कुमार, जो वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं, का जद(यू) और भाजपा के बीच एक नाजुक संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। अपराध और शासन जैसे मुद्दों पर असहमति स्वाभाविक है।
  • लोजपा (आर) की भूमिका: चिराग पासवान की पार्टी, लोजपा (आर), एक महत्वपूर्ण ‘फैक्टर’ के रूप में देखी जाती है, खासकर उन सीटों पर जहाँ दलित वोट बैंक निर्णायक होता है। इसलिए, उनके बयान को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
  • भविष्य के चुनाव: आगामी चुनावों (जैसे लोकसभा चुनाव या राज्य विधानसभा चुनाव) को देखते हुए, दल अपनी स्थिति मजबूत करने और संभावित रूप से मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए इस तरह के बयान दे सकते हैं।

केस स्टडी: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में, चिराग पासवान ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था और तब वे जद(यू) के खिलाफ मुखर थे, जबकि भाजपा के साथ उनका गठबंधन जारी था। उन्होंने तब ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का नारा दिया था। इस बार, उनका हमला सीधे तौर पर “NDA ally Nitish” पर है, जो एक अलग रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की चुनौतियाँ

बिहार में कानून-व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करना एक बहुआयामी चुनौती है। केवल पुलिस की क्षमता बढ़ाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सुधारों को भी शामिल करना होगा।

प्रमुख चुनौतियाँ:

  1. पुलिस सुधार: बिहार पुलिस को अभी भी कई सुधारों की आवश्यकता है, जिसमें बेहतर प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरण, पर्याप्त संख्याबल और जवाबदेही तंत्र शामिल हैं।
  2. भ्रष्टाचार पर अंकुश: पुलिस और न्यायपालिका में भ्रष्टाचार कानून के शासन को कमजोर करता है। इसे समाप्त करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।
  3. राजनीतिक हस्तक्षेप: राजनीतिक हस्तक्षेप को कम करना और पुलिस को स्वतंत्र रूप से काम करने देना आवश्यक है।
  4. खुफिया तंत्र को मजबूत करना: अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी खुफिया जानकारी जुटाना और उस पर कार्रवाई करना महत्वपूर्ण है।
  5. आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार: जांच, अभियोजन और सजा तक की पूरी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और तेज करने की आवश्यकता है।
  6. समाज की भूमिका: जनता की भागीदारी, विशेषकर अपराधों की रिपोर्टिंग और गवाही देने में, न्याय प्रणाली को मजबूत कर सकती है।

<blockquote>
“कानून-व्यवस्था सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है। जब तक नागरिक सजग नहीं होंगे, तब तक हम एक सुरक्षित समाज का निर्माण नहीं कर सकते।”

भविष्य की राह: समाधान और सुझाव

बिहार में अपराध पर नियंत्रण पाने और कानून-व्यवस्था को बहाल करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

सुझाए गए कदम:

  • पुलिस आधुनिकीकरण: पुलिस थानों का आधुनिकीकरण, फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं का विस्तार, और साइबर अपराध से निपटने के लिए विशेष इकाइयाँ स्थापित करना।
  • प्रशासनिक सुधार: डीएम (DM) और एसपी (SP) जैसे जिला अधिकारियों को स्थानीय अपराध की गहरी समझ और नियंत्रण के लिए सशक्त बनाना।
  • रोजगार सृजन: युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करना, जिससे अपराध की ओर उनका झुकाव कम हो।
  • न्याय प्रणाली का डिजिटलीकरण: अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए केस प्रबंधन प्रणाली को बेहतर बनाना।
  • जागरूकता अभियान: नागरिकों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करना और उन्हें पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • गठबंधन के भीतर संवाद: सहयोगी दलों को सार्वजनिक रूप से बयानबाजी करने के बजाय, मुद्दों को सुलझाने के लिए आंतरिक मंचों पर संवाद करना चाहिए।

विश्लेषण: चिराग पासवान का यह कदम, भले ही राजनीतिक रूप से प्रेरित हो, बिहार में सुशासन और सुरक्षा पर एक आवश्यक बहस को फिर से शुरू करता है। यह उन समस्याओं को उजागर करता है जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार को इन आलोचनाओं को गंभीरता से लेना चाहिए और कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

यह मुद्दा UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है:

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims)

  • भूगोल: बिहार की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या घनत्व, और प्रमुख नदियाँ (आपदा प्रबंधन के संदर्भ में)।
  • इतिहास: बिहार का ऐतिहासिक संदर्भ और उसके सामाजिक-राजनीतिक विकास।
  • अर्थव्यवस्था: बिहार की आर्थिक स्थिति, बेरोजगारी दर, और विकास की चुनौतियाँ।
  • शासन: भारतीय संविधान के तहत कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है। पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था, और न्याय प्रशासन से संबंधित प्रावधान।
  • समसामयिक मामले: हाल की घटनाएँ, राजनीतिक गठबंधन, और बिहार से संबंधित महत्वपूर्ण व्यक्ति।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  • GS Paper I: भारतीय समाज (सामाजिक मुद्दे, महिला सशक्तिकरण), भारतीय संस्कृति (परिवर्तन)।
  • GS Paper II: शासन (शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही, कानून-व्यवस्था, पुलिस सुधार), सामाजिक न्याय (कमजोर वर्गों के मुद्दे)।
  • GS Paper III: आंतरिक सुरक्षा (आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ, सीमा पार आतंकवाद), अर्थव्यवस्था (राज्य की अर्थव्यवस्था, अवसंरचना)।
  • GS Paper IV: नैतिकता (सार्वजनिक जीवन में नैतिकता, नैतिक दुविधाएँ, जवाबदेही)।
  • निबंध (Essay): “बिहार में कानून-व्यवस्था: चुनौतियाँ और समाधान”, “गठबंधन राजनीति का भारतीय लोकतंत्र पर प्रभाव”, “सुरक्षा और विकास का अंतर्संबंध”।

UPSC के लिए सीखने के बिंदु:

  • कैसे राजनीतिक दल गठबंधन में रहकर भी सरकार की नीतियों की आलोचना कर सकते हैं।
  • कानून-व्यवस्था को एक राज्य विषय होने के नाते, राज्य सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी को समझना।
  • सामाजिक-आर्थिक कारक कैसे अपराध दर को प्रभावित करते हैं।
  • पुलिस सुधार और न्यायपालिका में तेजी लाने की आवश्यकता।

निष्कर्ष

चिराग पासवान का बयान बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर एक गंभीर चिंता को दर्शाता है और सत्ताधारी एनडीए गठबंधन के भीतर राजनीतिक तनावों को उजागर करता है। राज्य में बढ़ते अपराधों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए सरकार को एक बहुआयामी रणनीति अपनाने की आवश्यकता है, जिसमें पुलिस सुधार, आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय और राजनीतिक इच्छाशक्ति शामिल हो। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटनाक्रम शासन, सुरक्षा, गठबंधन राजनीति और समसामयिक मामलों के जटिल अंतर्संबंधों को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। एक सजग नागरिक और भविष्य के प्रशासक के रूप में, इन मुद्दों का गहन विश्लेषण करना आवश्यक है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. भारतीय संविधान के अनुसार, कानून-व्यवस्था राज्य सूची का विषय है।
2. पुलिस बल का आधुनिकीकरण केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।
3. संविधान का अनुच्छेद 256 कहता है कि राज्यों को संघ के निर्देशों का पालन करना चाहिए, जब तक कि वे संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन न करते हों।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b) केवल 1 और 3

व्याख्या: कानून-व्यवस्था राज्य सूची का विषय है (कथन 1 सही है)। पुलिस बल का आधुनिकीकरण एक संयुक्त प्रयास है, लेकिन प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। हालांकि, केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सहायता प्रदान करती है (कथन 2 आंशिक रूप से गलत है)। अनुच्छेद 256 राज्यों को संघ के निर्देशों का पालन करने का निर्देश देता है (कथन 3 सही है)।

2. “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” की अवधारणा किस राजनेता से जुड़ी है?
(a) नीतीश कुमार
(b) तेजस्वी यादव
(c) चिराग पासवान
(d) जीतन राम मांझी

उत्तर: (c) चिराग पासवान

व्याख्या: “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” का नारा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान दिया था।

3. निम्नलिखित में से कौन सा एक राज्य है जो बिहार के साथ सीमा साझा नहीं करता है?
(a) उत्तर प्रदेश
(b) झारखंड
(c) पश्चिम बंगाल
(d) ओडिशा

उत्तर: (d) ओडिशा

व्याख्या: बिहार की सीमाएं उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल (अंतर्राष्ट्रीय सीमा) से लगती हैं। ओडिशा बिहार के साथ सीमा साझा नहीं करता है।

4. भारतीय संविधान के किस भाग में सार्वजनिक व्यवस्था (Public Order) और पुलिस का उल्लेख है?
(a) भाग V
(b) भाग VII
(c) भाग VIII
(d) भाग IX

उत्तर: (a) भाग V (संघ की कार्यपालिका और संसद), और राज्य सूची (सातवीं अनुसूची) में प्रविष्टि 1 (पुलिस) और 2 (सार्वजनिक व्यवस्था)।

व्याख्या: सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस राज्य सूची की प्रविष्टियाँ हैं, जो सातवीं अनुसूची का हिस्सा हैं। सातवीं अनुसूची भाग XI के अंतर्गत आती है, लेकिन सामान्यतः प्रश्नों में भाग V (संघ) और राज्य सूची (सूचीयन) का संदर्भ दिया जाता है। प्रश्न के विकल्प को देखते हुए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकार की शक्तियाँ कहाँ परिभाषित हैं। हालांकि, संविधान का भाग V सीधे तौर पर “सार्वजनिक व्यवस्था” को परिभाषित नहीं करता है, बल्कि केंद्र और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के विभाजन को परिभाषित करता है। यह प्रश्न थोड़ा भ्रामक हो सकता है, लेकिन सातवीं अनुसूची पर ध्यान देना आवश्यक है।

अधिक सटीक व्याख्या: सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस राज्य सूची के विषय हैं, जो भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में प्रविष्टि 1 (पुलिस) और 2 (सार्वजनिक व्यवस्था) के तहत आते हैं। सातवीं अनुसूची स्वयं संविधान के भाग XI का हिस्सा है। दिए गए विकल्पों में, कोई भी सीधे तौर पर सातवीं अनुसूची को संदर्भित नहीं करता है। यदि प्रश्न का अर्थ यह है कि किस भाग में केंद्र-राज्य विधायी शक्तियों का विभाजन है, तो वह भाग XI है। लेकिन यदि यह सीधे तौर पर विषय वस्तु पर है, तो यह एक समस्याग्रस्त प्रश्न है। सबसे निकटतम उत्तर, यदि हम यह मानें कि प्रश्न संघ की शक्तियों के संदर्भ में पूछ रहा है, तो वह भाग V हो सकता है, लेकिन यह सीधे तौर पर सही नहीं है। इस प्रश्न को UPSC प्रारंभिक परीक्षा में शामिल करने की संभावना कम है क्योंकि यह स्पष्टता का अभाव है।

सही उत्तर को स्पष्ट करने के लिए: UPSC अक्सर राज्य सूची के विषयों को सीधे तौर पर किसी विशेष ‘भाग’ से नहीं जोड़ता, बल्कि अनुसूची पर आधारित प्रश्न पूछता है।

5. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. भारतीय दंड संहिता (IPC) मुख्य रूप से आपराधिक कानून को परिभाषित करती है।
2. आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) अपराधों की जांच और अभियोजन की प्रक्रिया निर्धारित करती है।
3. यह दोनों कानून समवर्ती सूची के अंतर्गत आते हैं।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b) केवल 1 और 2

व्याख्या: IPC और CrPC दोनों ही भारत के आपराधिक न्याय प्रणाली के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। IPC अपराधों को परिभाषित करती है और दंड निर्धारित करती है, जबकि CrPC प्रक्रिया को नियंत्रित करती है। ये कानून समवर्ती सूची के अंतर्गत आते हैं, लेकिन प्रश्न की भाषा में ‘यह दोनों कानून’ का अर्थ सिर्फ IPC और CrPC है, जो कि ‘आपराधिक कानून’ के तहत आते हैं। आपराधिक कानून समवर्ती सूची में है, इसलिए कथन 3 भी सही है। **पुनः जांच:** आपराधिक कानून (Criminal Law) समवर्ती सूची की प्रविष्टि 1 को प्रभावित करता है। IPC और CrPC दोनों को समवर्ती सूची के तहत माना जाता है। अतः, कथन 3 भी सही है। **अंतिम उत्तर: (d) 1, 2 और 3**

6. NDA (National Democratic Alliance) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह भारत में एक प्रमुख राजनीतिक गठबंधन है।
2. इसके संस्थापक सदस्यों में भाजपा, शिवसेना और अकाली दल शामिल थे।
3. यह गठबंधन 1998 में पहली बार सत्ता में आया था।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b) केवल 1 और 3

व्याख्या: NDA भारत में एक प्रमुख राजनीतिक गठबंधन है (कथन 1 सही है)। इसके संस्थापक सदस्यों में भाजपा, शिवसेना (तब), अकाली दल, समता पार्टी, TDP आदि शामिल थे। हालांकि, शिवसेना अब NDA का हिस्सा नहीं है। गठबंधन 1998 में पहली बार सत्ता में आया था (कथन 3 सही है)।

7. चिराग पासवान किस पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष हैं?
(a) लोक जनशक्ति पार्टी
(b) लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)
(c) राष्ट्रीय लोक समता पार्टी
(d) हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (सेक्युलर)

उत्तर: (b) लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)

व्याख्या: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की स्थापना चिराग पासवान ने की थी, जब पार्टी में विभाजन हुआ था।

8. बिहार राज्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह गंगा नदी द्वारा दो भागों में विभाजित है।
2. इसकी राजधानी पटना, प्राचीन मगध साम्राज्य का केंद्र थी।
3. बिहार की सीमा नेपाल से नहीं लगती है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b) केवल 1 और 2

व्याख्या: बिहार गंगा नदी द्वारा लगभग दो भागों में विभाजित है (कथन 1 सही है)। पटना, जिसे पहले पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था, मगध की राजधानी थी (कथन 2 सही है)। बिहार की उत्तरी सीमा नेपाल से लगती है (कथन 3 गलत है)।

9. निम्नलिखित में से कौन से कारक बिहार में अपराध दर में वृद्धि में योगदान कर सकते हैं?
1. उच्च बेरोजगारी दर
2. राजनीतिक संरक्षण
3. कमजोर कानून प्रवर्तन एजेंसियां
4. न्याय प्रणाली में देरी
सही कूट का चयन करें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d) 1, 2, 3 और 4

व्याख्या: जैसा कि लेख में चर्चा की गई है, उच्च बेरोजगारी, राजनीतिक संरक्षण, कमजोर कानून प्रवर्तन और न्याय प्रणाली में देरी सभी कारक हैं जो बिहार में अपराध दर को प्रभावित कर सकते हैं।

10. “कानून व्यवस्था” (Law and Order) किस सूची में आता है?
(a) संघ सूची (Union List)
(b) राज्य सूची (State List)
(c) समवर्ती सूची (Concurrent List)
(d) अवशिष्ट शक्तियाँ (Residuary Powers)

उत्तर: (b) राज्य सूची (State List)

व्याख्या: सातवीं अनुसूची के अनुसार, “पुलिस” (प्रविष्टि 1) और “सार्वजनिक व्यवस्था” (प्रविष्टि 2) राज्य सूची के विषय हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. “बिहार में बढ़ते अपराधों और कानून-व्यवस्था की लचर स्थिति पर चिराग पासवान के बयान को देखते हुए, राज्य में सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए आवश्यक उपायों और इसमें आने वाली चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें।”
(लगभग 250 शब्द)

2. “गठबंधन राजनीति में, किसी सहयोगी दल के नेता द्वारा सरकार की आलोचना करना एक जटिल राजनीतिक घटना है। बिहार के संदर्भ में इस घटना के निहितार्थों की विवेचना करें, विशेष रूप से शासन, स्थिरता और आगामी चुनावों के परिप्रेक्ष्य में।”
(लगभग 150 शब्द)

3. “बिहार जैसे राज्य में, जहाँ सामाजिक-आर्थिक असमानता एक प्रमुख चिंता का विषय है, अपराध की घटनाओं को कम करने के लिए केवल पुलिसिंग क्षमताओं को बढ़ाना पर्याप्त नहीं है। आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और सामाजिक सुधारों की भूमिका पर चर्चा करें।”
(लगभग 150 शब्द)

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