बड़े व्यापारिक समझौते और तनावपूर्ण संबंध: पीएम मोदी का यूके-मालदीव दौरा भारत के लिए क्या मायने रखता है?

बड़े व्यापारिक समझौते और तनावपूर्ण संबंध: पीएम मोदी का यूके-मालदीव दौरा भारत के लिए क्या मायने रखता है?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूनाइटेड किंगडम (UK) और मालदीव की प्रस्तावित यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। यह दौरा न केवल भारत के द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा देगा, बल्कि वैश्विक और क्षेत्रीय भू-राजनीति में भी महत्वपूर्ण निहितार्थ रखेगा। यूके के साथ एक बड़े व्यापार समझौते पर मुहर लगाने और मालदीव के साथ तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, यह यात्रा भारत की “पड़ोसी प्रथम” नीति और वैश्विक महत्वाकांक्षाओं के बीच एक नाजुक संतुलन बनाने का प्रयास करती है। यह दौरा केवल दो देशों की यात्रा से कहीं अधिक है; यह भारत की बदलती विदेश नीति की प्राथमिकताओं, आर्थिक अवसरों की तलाश और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने की उसकी प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब है।

यात्रा का व्यापक परिप्रेक्ष्य: भारत की भू-राजनीतिक बिसात पर दो महत्वपूर्ण मोहरे

प्रधानमंत्री की यूके और मालदीव की एक साथ यात्रा महज एक संयोग नहीं है, बल्कि यह भारत की बहु-आयामी विदेश नीति का एक रणनीतिक प्रदर्शन है। एक ओर, यूके के साथ संबंध भारत को पश्चिमी दुनिया और यूरोप के साथ मजबूत आर्थिक और रणनीतिक संबंध बनाने का अवसर देते हैं। दूसरी ओर, मालदीव के साथ जुड़ाव भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति की आधारशिला है और हिंद महासागर क्षेत्र में इसकी सुरक्षा चिंताओं के केंद्र में है। ये दोनों देश, अपनी भिन्न भू-राजनीतिक स्थितियों के बावजूद, भारत के लिए अलग-अलग लेकिन समान रूप से महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं।

यूनाइटेड किंगडम: ऐतिहासिक संबंध और भविष्य की साझेदारी

यूके भारत के सबसे पुराने और गहरे भागीदारों में से एक रहा है। उपनिवेशवाद के बोझ से मुक्त होकर, दोनों देश अब एक आधुनिक, समतावादी साझेदारी की ओर अग्रसर हैं। ब्रेक्जिट के बाद, यूके अपनी वैश्विक पहचान को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, और भारत एक प्रमुख आर्थिक शक्ति और रणनीतिक भागीदार के रूप में उसके लिए स्वाभाविक पसंद है।

यूके दौरे का एजेंडा और संभावनाएं: आर्थिक कूटनीति का नया अध्याय

पीएम मोदी का यूके दौरा मुख्य रूप से आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने पर केंद्रित होगा।

  1. व्यापार और निवेश: मुक्त व्यापार समझौता (FTA)

    भारत और यूके के बीच एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत लंबे समय से चल रही है। यह समझौता दोनों देशों के लिए ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकता है।

    • महत्व:
      • आर्थिक लाभ: FTA टैरिफ कम करेगा, जिससे भारतीय उत्पादों के लिए यूके का बाजार और यूके के सामानों के लिए भारतीय बाजार सुलभ होगा। इससे द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक मौजूदा 36 बिलियन डॉलर से दोगुना होने की उम्मीद है।
      • क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं का विविधीकरण: यह चीन पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करेगा।
      • निवेश प्रोत्साहन: भारतीय कंपनियाँ यूके में और यूके की कंपनियाँ भारत में अधिक निवेश के लिए आकर्षित होंगी, जिससे रोजगार सृजन होगा।
      • सेवा क्षेत्र को बढ़ावा: विशेष रूप से IT, वित्तीय सेवाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ेगा।
    • चुनौतियाँ:
      • वीजा और प्रवासन: भारतीय पेशेवरों के लिए वीजा नियमों में ढील एक प्रमुख मांग रही है, जिस पर यूके अनिच्छुक रहा है।
      • कृषि और डेयरी उत्पाद: यूके भारतीय कृषि उत्पादों और डेयरी के लिए बाजार पहुंच चाहता है, जिस पर भारत के घरेलू उद्योग को चिंताएं हैं।
      • बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): फार्मास्युटिकल और टेक क्षेत्रों में IPR सुरक्षा पर मतभेद।
      • पर्यावरण और श्रम मानक: कुछ पर्यावरणीय और श्रम मानकों पर यूके की उच्च अपेक्षाएं।
    • अवसर:
      • “2030 रोडमैप” का कार्यान्वयन: यह रोडमैप स्वास्थ्य, जलवायु, रक्षा और लोगों से लोगों के संबंधों सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी खाका प्रदान करता है।
      • अनुसंधान और नवाचार: दोनों देशों के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में सहयोग से नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

    FTA को एक पुल की तरह समझा जा सकता है जो दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच की खाई को पाटता है। अगर यह पुल मजबूत और सुविचारित है, तो यह दोनों ओर से व्यापार और समृद्धि के प्रवाह को कई गुना बढ़ा सकता है।

  2. द्विपक्षीय संबंध और रणनीतिक साझेदारी:
    • रक्षा और सुरक्षा: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, रक्षा सहयोग (विशेषकर समुद्री सुरक्षा और रक्षा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण) महत्वपूर्ण है।
    • शिक्षा और अनुसंधान: छात्रों और शोधकर्ताओं के आदान-प्रदान से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और बौद्धिक संबंध मजबूत होंगे।
    • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक प्रयासों में दोनों देश महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (COP) में सहयोग जारी रहेगा।
  3. सामुदायिक संबंध (Indian Diaspora):

    यूके में लगभग 1.6 मिलियन भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो वहां की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी में से एक हैं। यह समुदाय दोनों देशों के बीच एक जीवंत पुल का काम करता है, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करता है। प्रधानमंत्री की यात्रा इस समुदाय को भारत के विकास गाथा में और अधिक सक्रिय रूप से जोड़ने का अवसर होगी।

  4. चुनौतियाँ:
    • खालिस्तानी अलगाववाद: यूके में खालिस्तानी समर्थक तत्वों की बढ़ती गतिविधियों को लेकर भारत की गंभीर चिंताएं हैं। इस मुद्दे पर यूके से अधिक मजबूत कार्रवाई की अपेक्षा है।
    • मानवाधिकार और आंतरिक मामले: यूके में कुछ हलकों द्वारा भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंताएं व्यक्त की जाती रही हैं, जो द्विपक्षीय वार्ताओं में एक संवेदनशील बिंदु हो सकता है।
    • ब्रेक्जिट के बाद की अनिश्चितता: यूके की अपनी अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्थिति को लेकर आंतरिक चुनौतियाँ भारत के साथ उसके संबंधों की गति को प्रभावित कर सकती हैं।

मालदीव: ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति की अग्निपरीक्षा

मालदीव, हिंद महासागर में भारत का एक महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी है। इसकी भौगोलिक स्थिति इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है, खासकर भारत के सुरक्षा हितों के लिए। हाल के वर्षों में दोनों देशों के संबंधों में कुछ उतार-चढ़ाव आए हैं, खासकर “इंडिया आउट” अभियान और चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण।

मालदीव दौरे का एजेंडा और संभावनाएं: संबंधों में सुधार की कवायद

पीएम मोदी का मालदीव दौरा मुख्य रूप से संबंधों को पुनर्जीवित करने और भारतीय हितों की रक्षा करने पर केंद्रित होगा।

  1. संबंधों में तनाव की पृष्ठभूमि:
    • “इंडिया आउट” अभियान: पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के नेतृत्व में शुरू हुए इस अभियान ने मालदीव में भारतीय सैन्य उपस्थिति और विकास परियोजनाओं पर सवाल उठाए, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आया।
    • सरकार परिवर्तन और भारत-विरोध: हाल ही में सत्ता में आए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत विरोधी भावनाओं पर चुनाव लड़ा और सत्ता में आते ही भारतीय सैन्य कर्मियों को मालदीव से हटाने का आह्वान किया।
    • चीनी प्रभाव: मालदीव पर चीन का बढ़ता आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि यह हिंद महासागर में भारत के रणनीतिक हितों को प्रभावित करता है। चीन ने मालदीव में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है, जिससे मालदीव पर चीनी ऋण का बोझ बढ़ रहा है।
  2. संबंध सुधारने के प्रयास और एजेंडा:
    • उच्च-स्तरीय वार्ता: पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू के बीच सीधी बातचीत संबंधों को सामान्य करने और गलतफहमियों को दूर करने का सबसे महत्वपूर्ण अवसर होगी।
    • भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी: इस मुद्दे पर एक समाधान खोजना सर्वोच्च प्राथमिकता होगी, संभवतः भारतीय सैन्य कर्मियों को नागरिक विशेषज्ञों से बदलने के मॉडल पर काम किया जाएगा।
    • विकास सहायता और बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ: भारत ने मालदीव में कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं में निवेश किया है, जैसे ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट। इन परियोजनाओं की प्रगति और नई परियोजनाओं पर चर्चा होगी।
    • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में समुद्री सुरक्षा भारत और मालदीव दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। समुद्री निगरानी, आपदा प्रबंधन और क्षमता निर्माण में सहयोग पर जोर दिया जाएगा। भारत की SAGAR (Security And Growth for All in the Region) पहल मालदीव के लिए महत्वपूर्ण है।
    • मानवीय सहायता और लोक-संपर्क: स्वास्थ्य, शिक्षा और क्षमता निर्माण में सहयोग संबंधों को फिर से मजबूत करने में मदद करेगा। भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान मालदीव को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की थी।

    मालदीव के साथ संबंधों को सुधारना एक माली के काम जैसा है, जिसे धैर्य और समझदारी से मुरझाए हुए पौधे को सींचना होता है ताकि वह फिर से फल-फूल सके।

  3. चुनौतियाँ:
    • चीन का बढ़ता प्रभाव: मालदीव पर चीन की आर्थिक और रणनीतिक पकड़ एक बड़ी चुनौती बनी रहेगी। मालदीव की ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति को पुनः स्थापित करना भारत के लिए मुश्किल होगा।
    • आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता: मालदीव की घरेलू राजनीति में लगातार बदलाव भारत के लिए स्थिर संबंध बनाए रखने में बाधा डाल सकता है।
    • ‘इंडिया आउट’ भावना का पुनरुत्थान: भले ही भारतीय सैन्य कर्मियों का मुद्दा सुलझ जाए, लेकिन भारत-विरोधी भावनाएँ पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई हैं और समय-समय पर फिर से उभर सकती हैं।

भारत की विदेश नीति के निहितार्थ: संतुलन साधना और महत्वाकांक्षाएं

यह दोहरा दौरा भारत की विदेश नीति के कई महत्वपूर्ण आयामों को दर्शाता है:

  1. ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का सुदृढ़ीकरण: मालदीव के साथ संबंधों को स्थिर करना और पड़ोसी देशों के साथ विश्वास बहाल करना भारत की प्राथमिकताओं में से एक है। यह दर्शाता है कि भारत अपने पड़ोस में शांति और स्थिरता को कितना महत्व देता है।
  2. ‘ग्लोबल साउथ’ में भारत की बढ़ती भूमिका: भारत G20 की अध्यक्षता और अन्य वैश्विक मंचों पर ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज के रूप में उभरा है। यूके और मालदीव दोनों के साथ संबंध इस भूमिका को मजबूत करते हैं।
  3. यूरोपीय संघ और हिंद-प्रशांत में संतुलन साधना: भारत पश्चिमी भागीदारों (जैसे यूके) के साथ अपने आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी स्थिति को भी मजबूत कर रहा है, जहाँ मालदीव जैसे छोटे द्वीप राष्ट्रों की संप्रभुता और सुरक्षा महत्वपूर्ण है।
  4. बहु-ध्रुवीय विश्व में भारत की स्थिति: यह यात्रा भारत की क्षमता को दर्शाती है कि वह एक साथ विभिन्न भू-राजनीतिक हितों वाले देशों के साथ जुड़ सकता है और वैश्विक शक्तियों के बीच अपने लिए एक स्वतंत्र स्थान बना सकता है।

आगे की राह: निरंतरता, विश्वास और रणनीतिक स्वायत्तता

पीएम मोदी की यूके और मालदीव यात्रा एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, लेकिन यह एक लंबी यात्रा की शुरुआत भर है।

  • संबंधों में निरंतरता और विश्वास निर्माण: दोनों देशों के साथ संबंधों को केवल एक यात्रा से नहीं सुधारा जा सकता। उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान, नियमित संवाद और परियोजनाओं का समय पर निष्पादन विश्वास को बनाए रखने और गहरा करने के लिए आवश्यक हैं।
  • आर्थिक और रणनीतिक हितों का संतुलन: भारत को यूके के साथ आर्थिक लाभों को अधिकतम करते हुए अपनी सामरिक स्वायत्तता को बनाए रखना होगा। मालदीव के साथ, उसे अपनी सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करते हुए एक भागीदार के रूप में कार्य करना होगा, न कि एक बड़े भाई के रूप में।
  • लोक-संपर्क (People-to-People) संबंधों को बढ़ावा देना: सांस्कृतिक आदान-प्रदान, पर्यटन और शिक्षा के माध्यम से लोगों से लोगों के बीच संबंध मजबूत करना दीर्घकालिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
  • क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर सहयोग: यूके के साथ जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद-विरोधी और संयुक्त राष्ट्र सुधार जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग जारी रखना चाहिए। मालदीव के साथ सार्क (SAARC) और बिम्सटेक (BIMSTEC) जैसे क्षेत्रीय मंचों पर सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष (Conclusion)

पीएम मोदी की यूके और मालदीव की यात्रा भारत की जटिल और गतिशील विदेश नीति का एक सूक्ष्म उदाहरण प्रस्तुत करती है। यह दिखाता है कि भारत किस प्रकार एक ओर पश्चिमी देशों के साथ आर्थिक अवसरों की तलाश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर अपने निकटवर्ती पड़ोस में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष कर रहा है। यूके के साथ एक महत्वाकांक्षी व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना और मालदीव के साथ संबंधों को सामान्य करना, दोनों ही भारत की बढ़ती वैश्विक आकांक्षाओं और उसके क्षेत्रीय नेतृत्व की आवश्यकता को दर्शाते हैं। इन यात्राओं के परिणाम आने वाले समय में भारत की वैश्विक स्थिति और उसके क्षेत्रीय प्रभाव को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह दौरा भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की नीति को न केवल आर्थिक समृद्धि के माध्यम से, बल्कि सद्भाव और विश्वास के निर्माण के माध्यम से भी आगे बढ़ाने का एक प्रयास है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

(प्रत्येक प्रश्न के लिए सही उत्तर विकल्प का चयन करें और अपनी व्याख्या प्रदान करें)

  1. भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच “2030 रोडमैप” निम्नलिखित में से किन क्षेत्रों में सहयोग से संबंधित है?

    1. रक्षा, व्यापार और प्रवासन
    2. कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य
    3. सुरक्षा, जलवायु और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: d)

    व्याख्या: भारत-यूके “2030 रोडमैप” एक व्यापक खाका है जो स्वास्थ्य, जलवायु, व्यापार, रक्षा, शिक्षा, विज्ञान-प्रौद्योगिकी और लोगों से लोगों के संबंधों सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाता है। यह दोनों देशों के बीच एक उन्नत व्यापक रणनीतिक साझेदारी के लिए एक महत्वाकांक्षी एजेंडा निर्धारित करता है।

  2. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. भारत और मालदीव के बीच 8 डिग्री चैनल स्थित है।
    2. ‘इंडिया आउट’ अभियान का उद्देश्य मालदीव में भारतीय सैन्य उपस्थिति को समाप्त करना था।
    3. भारत ने मालदीव में ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण निवेश किया है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

    1. केवल 1 और 2
    2. केवल 2 और 3
    3. केवल 1 और 3
    4. 1, 2 और 3

    उत्तर: d)

    व्याख्या: तीनों कथन सही हैं। 8 डिग्री चैनल मालदीव के मिनिकॉय और मालदीव गणराज्य के बीच स्थित है। ‘इंडिया आउट’ अभियान मालदीव में भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी की मांग कर रहा था। ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट मालदीव में भारत द्वारा वित्तपोषित सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है।

  3. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन भारत और यूके के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के संदर्भ में सही नहीं है?

    1. यह टैरिफ को कम करने और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है।
    2. भारत यूके से भारतीय पेशेवरों के लिए अधिक लचीले वीजा नियमों की मांग कर रहा है।
    3. यूके मुख्य रूप से भारतीय कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए बाजार पहुंच चाहता है।
    4. यह समझौता केवल वस्तुओं के व्यापार पर ध्यान केंद्रित करेगा, सेवाओं पर नहीं।

    उत्तर: d)

    व्याख्या: FTA में आमतौर पर वस्तुओं और सेवाओं दोनों का व्यापार शामिल होता है। भारत-यूके FTA का उद्देश्य सेवाओं (जैसे IT, वित्तीय सेवाएं) के व्यापार को भी बढ़ावा देना है। अन्य सभी कथन सही हैं और FTA वार्ता के प्रमुख पहलुओं को दर्शाते हैं।

  4. भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के संदर्भ में, मालदीव के साथ संबंधों का क्या महत्व है?

    1. यह भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का विस्तार है।
    2. यह हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
    3. यह दक्षिण एशिया में चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है।
    4. b और c दोनों।

    उत्तर: d)

    व्याख्या: ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत मालदीव हिंद महासागर में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी है, जो समुद्री सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, मालदीव में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, मजबूत द्विपक्षीय संबंध क्षेत्रीय संतुलन के लिए आवश्यक हैं।

  5. निम्नलिखित में से कौन-सी पहल हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री सुरक्षा और विकास से संबंधित है?

    1. SAGAR
    2. QUAD
    3. IMEC
    4. BIMSTEC

    उत्तर: a)

    व्याख्या: SAGAR (Security And Growth for All in the Region) प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करती है, जिसमें समुद्री सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और क्षमता निर्माण शामिल है। QUAD (क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग) एक रणनीतिक संवाद है जिसमें भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। IMEC (इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर) एक प्रस्तावित आर्थिक गलियारा है। BIMSTEC (बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन) बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है।

  6. हाल के वर्षों में मालदीव-भारत संबंधों में तनाव का एक प्रमुख कारण क्या रहा है?

    1. मालदीव का SAARC से बाहर निकलना।
    2. भारत द्वारा मालदीव को दी जाने वाली सहायता में कमी।
    3. मालदीव में भारतीय सैन्य कर्मियों की उपस्थिति और ‘इंडिया आउट’ अभियान।
    4. भारत द्वारा मालदीव के मत्स्य उद्योग में हस्तक्षेप।

    उत्तर: c)

    व्याख्या: ‘इंडिया आउट’ अभियान, जिसका उद्देश्य मालदीव में भारतीय सैन्य उपस्थिति को समाप्त करना था, हाल के वर्षों में भारत-मालदीव संबंधों में तनाव का एक प्रमुख स्रोत रहा है।

  7. निम्नलिखित में से कौन-सा देश हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) का सदस्य है?

    1. यूनाइटेड किंगडम
    2. मालदीव
    3. जर्मनी
    4. जापान

    उत्तर: b)

    व्याख्या: हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) हिंद महासागर से घिरे देशों का एक क्षेत्रीय मंच है। मालदीव इसका सदस्य है, जबकि यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और जापान इसके संवाद भागीदार हो सकते हैं, लेकिन पूर्ण सदस्य नहीं हैं।

  8. भारत-यूके संबंधों के संदर्भ में, यूके में खालिस्तानी अलगाववादी गतिविधियों पर भारत की चिंता का क्या निहितार्थ है?

    1. यह केवल आंतरिक सुरक्षा का मुद्दा है और द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित नहीं करता।
    2. यह व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने में एक संभावित बाधा है।
    3. यह दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने में समस्या पैदा करता है।
    4. b और c दोनों।

    उत्तर: d)

    व्याख्या: खालिस्तानी अलगाववादी गतिविधियाँ भारत के लिए एक गंभीर सुरक्षा चिंता हैं और यूके से इन पर लगाम लगाने की उम्मीद की जाती है। यदि यूके इस पर प्रभावी कार्रवाई नहीं करता है, तो यह द्विपक्षीय विश्वास को कमजोर कर सकता है, जिससे न केवल खुफिया जानकारी साझा करने में बाधा आ सकती है बल्कि बड़े व्यापार समझौतों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

  9. ब्रेक्जिट (Brexit) के बाद भारत के लिए यूनाइटेड किंगडम के साथ व्यापार समझौते का क्या महत्व है?

    1. यूके अब यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं है, इसलिए भारत को अलग से व्यापार समझौता करना होगा।
    2. यह भारत को यूरोपीय संघ के अन्य देशों के साथ बेहतर व्यापार शर्तें प्राप्त करने में मदद करेगा।
    3. यह यूके को अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करेगा, जिससे भारत को लाभ होगा।
    4. a और c दोनों।

    उत्तर: a)

    व्याख्या: ब्रेक्जिट के बाद, यूके यूरोपीय संघ के एकल बाजार और सीमा शुल्क संघ से बाहर हो गया है। इसलिए, भारत को यूके के साथ एक नए, स्वतंत्र व्यापार समझौते पर बातचीत करनी पड़ी है। यह यूके के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह नए व्यापार भागीदारों की तलाश में है। विकल्प ‘c’ अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित हो सकता है, लेकिन ‘a’ सीधा और अधिक महत्वपूर्ण कारण है। विकल्प ‘b’ गलत है क्योंकि यूके के साथ समझौता यूरोपीय संघ के अन्य देशों के साथ भारत के व्यापार शर्तों को सीधे प्रभावित नहीं करेगा।

  10. मालदीव की वर्तमान सरकार के ‘इंडिया आउट’ अभियान को बढ़ावा देने के बावजूद, भारत ने मालदीव के साथ विकास परियोजनाओं को जारी रखने में रुचि क्यों दिखाई है?

    1. मालदीव में भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या के कारण।
    2. क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए।
    3. मालदीव के साथ एक मजबूत नौसैनिक गठबंधन बनाने के लिए।
    4. केवल मालदीव के पर्यटन उद्योग का समर्थन करने के लिए।

    उत्तर: b)

    व्याख्या: भारत के लिए मालदीव का सामरिक महत्व हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण बहुत अधिक है। विकास परियोजनाओं को जारी रखना भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का हिस्सा है और यह मालदीव के साथ विश्वास बनाए रखने और चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने का एक तरीका है। यह सिर्फ पर्यटन से कहीं अधिक, व्यापक भू-राजनीतिक हित से जुड़ा है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. “प्रधानमंत्री मोदी की यूके और मालदीव की दोहरी यात्रा भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति और वैश्विक शक्ति के रूप में उसकी बढ़ती आकांक्षाओं के बीच संतुलन साधने का एक रणनीतिक प्रयास है।” इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)
  2. भारत और यूके के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के प्रमुख आर्थिक और रणनीतिक निहितार्थों का विश्लेषण कीजिए। इस समझौते को अंतिम रूप देने में आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डालिए। (15 अंक, 250 शब्द)
  3. हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों के लिए मालदीव के महत्व का मूल्यांकन कीजिए। ‘इंडिया आउट’ अभियान जैसी चुनौतियों के बावजूद भारत मालदीव के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठा सकता है? (15 अंक, 250 शब्द)
  4. भारत की विदेश नीति में आर्थिक कूटनीति की बढ़ती भूमिका पर चर्चा कीजिए, विशेष रूप से यूके और मालदीव जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में। उन संभावित बाधाओं का विश्लेषण करें जो इस दृष्टिकोण की प्रभावशीलता को कम कर सकती हैं। (15 अंक, 250 शब्द)

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चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूनाइटेड किंगडम (UK) और मालदीव की प्रस्तावित यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। यह दौरा न केवल भारत के द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा देगा, बल्कि वैश्विक और क्षेत्रीय भू-राजनीति में भी महत्वपूर्ण निहितार्थ रखेगा। यूके के साथ एक बड़े व्यापार समझौते पर मुहर लगाने और मालदीव के साथ तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, यह यात्रा भारत की “पड़ोसी प्रथम” नीति और वैश्विक महत्वाकांक्षाओं के बीच एक नाजुक संतुलन बनाने का प्रयास करती है। यह दौरा केवल दो देशों की यात्रा से कहीं अधिक है; यह भारत की बदलती विदेश नीति की प्राथमिकताओं, आर्थिक अवसरों की तलाश और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने की उसकी प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब है।

यात्रा का व्यापक परिप्रेक्ष्य: भारत की भू-राजनीतिक बिसात पर दो महत्वपूर्ण मोहरे

प्रधानमंत्री की यूके और मालदीव की एक साथ यात्रा महज एक संयोग नहीं है, बल्कि यह भारत की बहु-आयामी विदेश नीति का एक रणनीतिक प्रदर्शन है। एक ओर, यूके के साथ संबंध भारत को पश्चिमी दुनिया और यूरोप के साथ मजबूत आर्थिक और रणनीतिक संबंध बनाने का अवसर देते हैं। दूसरी ओर, मालदीव के साथ जुड़ाव भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति की आधारशिला है और हिंद महासागर क्षेत्र में इसकी सुरक्षा चिंताओं के केंद्र में है। ये दोनों देश, अपनी भिन्न भू-राजनीतिक स्थितियों के बावजूद, भारत के लिए अलग-अलग लेकिन समान रूप से महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं।

यूनाइटेड किंगडम: ऐतिहासिक संबंध और भविष्य की साझेदारी

यूके भारत के सबसे पुराने और गहरे भागीदारों में से एक रहा है। उपनिवेशवाद के बोझ से मुक्त होकर, दोनों देश अब एक आधुनिक, समतावादी साझेदारी की ओर अग्रसर हैं। ब्रेक्जिट के बाद, यूके अपनी वैश्विक पहचान को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, और भारत एक प्रमुख आर्थिक शक्ति और रणनीतिक भागीदार के रूप में उसके लिए स्वाभाविक पसंद है।

यूके दौरे का एजेंडा और संभावनाएं: आर्थिक कूटनीति का नया अध्याय

पीएम मोदी का यूके दौरा मुख्य रूप से आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने पर केंद्रित होगा।

  1. व्यापार और निवेश: मुक्त व्यापार समझौता (FTA)

    भारत और यूके के बीच एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत लंबे समय से चल रही है। यह समझौता दोनों देशों के लिए ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकता है।

    • महत्व:
      • आर्थिक लाभ: FTA टैरिफ कम करेगा, जिससे भारतीय उत्पादों के लिए यूके का बाजार और यूके के सामानों के लिए भारतीय बाजार सुलभ होगा। इससे द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक मौजूदा 36 बिलियन डॉलर से दोगुना होने की उम्मीद है।
      • क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं का विविधीकरण: यह चीन पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करेगा।
      • निवेश प्रोत्साहन: भारतीय कंपनियाँ यूके में और यूके की कंपनियाँ भारत में अधिक निवेश के लिए आकर्षित होंगी, जिससे रोजगार सृजन होगा।
      • सेवा क्षेत्र को बढ़ावा: विशेष रूप से IT, वित्तीय सेवाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ेगा।
    • चुनौतियाँ:
      • वीजा और प्रवासन: भारतीय पेशेवरों के लिए वीजा नियमों में ढील एक प्रमुख मांग रही है, जिस पर यूके अनिच्छुक रहा है।
      • कृषि और डेयरी उत्पाद: यूके भारतीय कृषि उत्पादों और डेयरी के लिए बाजार पहुंच चाहता है, जिस पर भारत के घरेलू उद्योग को चिंताएं हैं।
      • बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): फार्मास्युटिकल और टेक क्षेत्रों में IPR सुरक्षा पर मतभेद।
      • पर्यावरण और श्रम मानक: कुछ पर्यावरणीय और श्रम मानकों पर यूके की उच्च अपेक्षाएं।
    • अवसर:
      • “2030 रोडमैप” का कार्यान्वयन: यह रोडमैप स्वास्थ्य, जलवायु, रक्षा और लोगों से लोगों के संबंधों सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी खाका प्रदान करता है।
      • अनुसंधान और नवाचार: दोनों देशों के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में सहयोग से नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

    FTA को एक पुल की तरह समझा जा सकता है जो दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच की खाई को पाटता है। अगर यह पुल मजबूत और सुविचारित है, तो यह दोनों ओर से व्यापार और समृद्धि के प्रवाह को कई गुना बढ़ा सकता है।

  2. द्विपक्षीय संबंध और रणनीतिक साझेदारी:
    • रक्षा और सुरक्षा: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, रक्षा सहयोग (विशेषकर समुद्री सुरक्षा और रक्षा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण) महत्वपूर्ण है।
    • शिक्षा और अनुसंधान: छात्रों और शोधकर्ताओं के आदान-प्रदान से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और बौद्धिक संबंध मजबूत होंगे।
    • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक प्रयासों में दोनों देश महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (COP) में सहयोग जारी रहेगा।
  3. सामुदायिक संबंध (Indian Diaspora):

    यूके में लगभग 1.6 मिलियन भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो वहां की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी में से एक हैं। यह समुदाय दोनों देशों के बीच एक जीवंत पुल का काम करता है, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करता है। प्रधानमंत्री की यात्रा इस समुदाय को भारत के विकास गाथा में और अधिक सक्रिय रूप से जोड़ने का अवसर होगी।

  4. चुनौतियाँ:
    • खालिस्तानी अलगाववाद: यूके में खालिस्तानी समर्थक तत्वों की बढ़ती गतिविधियों को लेकर भारत की गंभीर चिंताएं हैं। इस मुद्दे पर यूके से अधिक मजबूत कार्रवाई की अपेक्षा है।
    • मानवाधिकार और आंतरिक मामले: यूके में कुछ हलकों द्वारा भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंताएं व्यक्त की जाती रही हैं, जो द्विपक्षीय वार्ताओं में एक संवेदनशील बिंदु हो सकता है।
    • ब्रेक्जिट के बाद की अनिश्चितता: यूके की अपनी अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्थिति को लेकर आंतरिक चुनौतियाँ भारत के साथ उसके संबंधों की गति को प्रभावित कर सकती हैं।

मालदीव: ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति की अग्निपरीक्षा

मालदीव, हिंद महासागर में भारत का एक महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी है। इसकी भौगोलिक स्थिति इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है, खासकर भारत के सुरक्षा हितों के लिए। हाल के वर्षों में दोनों देशों के संबंधों में कुछ उतार-चढ़ाव आए हैं, खासकर “इंडिया आउट” अभियान और चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण।

मालदीव दौरे का एजेंडा और संभावनाएं: संबंधों में सुधार की कवायद

पीएम मोदी का मालदीव दौरा मुख्य रूप से संबंधों को पुनर्जीवित करने और भारतीय हितों की रक्षा करने पर केंद्रित होगा।

  1. संबंधों में तनाव की पृष्ठभूमि:
    • “इंडिया आउट” अभियान: पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के नेतृत्व में शुरू हुए इस अभियान ने मालदीव में भारतीय सैन्य उपस्थिति और विकास परियोजनाओं पर सवाल उठाए, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आया।
    • सरकार परिवर्तन और भारत-विरोध: हाल ही में सत्ता में आए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत विरोधी भावनाओं पर चुनाव लड़ा और सत्ता में आते ही भारतीय सैन्य कर्मियों को मालदीव से हटाने का आह्वान किया।
    • चीनी प्रभाव: मालदीव पर चीन का बढ़ता आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि यह हिंद महासागर में भारत के रणनीतिक हितों को प्रभावित करता है। चीन ने मालदीव में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है, जिससे मालदीव पर चीनी ऋण का बोझ बढ़ रहा है।
  2. संबंध सुधारने के प्रयास और एजेंडा:
    • उच्च-स्तरीय वार्ता: पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू के बीच सीधी बातचीत संबंधों को सामान्य करने और गलतफहमियों को दूर करने का सबसे महत्वपूर्ण अवसर होगी।
    • भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी: इस मुद्दे पर एक समाधान खोजना सर्वोच्च प्राथमिकता होगी, संभवतः भारतीय सैन्य कर्मियों को नागरिक विशेषज्ञों से बदलने के मॉडल पर काम किया जाएगा।
    • विकास सहायता और बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ: भारत ने मालदीव में कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं में निवेश किया है, जैसे ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट। इन परियोजनाओं की प्रगति और नई परियोजनाओं पर चर्चा होगी।
    • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में समुद्री सुरक्षा भारत और मालदीव दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। समुद्री निगरानी, आपदा प्रबंधन और क्षमता निर्माण में सहयोग पर जोर दिया जाएगा। भारत की SAGAR (Security And Growth for All in the Region) पहल मालदीव के लिए महत्वपूर्ण है।
    • मानवीय सहायता और लोक-संपर्क: स्वास्थ्य, शिक्षा और क्षमता निर्माण में सहयोग संबंधों को फिर से मजबूत करने में मदद करेगा। भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान मालदीव को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की थी।

    मालदीव के साथ संबंधों को सुधारना एक माली के काम जैसा है, जिसे धैर्य और समझदारी से मुरझाए हुए पौधे को सींचना होता है ताकि वह फिर से फल-फूल सके।

  3. चुनौतियाँ:
    • चीन का बढ़ता प्रभाव: मालदीव पर चीन की आर्थिक और रणनीतिक पकड़ एक बड़ी चुनौती बनी रहेगी। मालदीव की ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति को पुनः स्थापित करना भारत के लिए मुश्किल होगा।
    • आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता: मालदीव की घरेलू राजनीति में लगातार बदलाव भारत के लिए स्थिर संबंध बनाए रखने में बाधा डाल सकता है।
    • ‘इंडिया आउट’ भावना का पुनरुत्थान: भले ही भारतीय सैन्य कर्मियों का मुद्दा सुलझ जाए, लेकिन भारत-विरोधी भावनाएँ पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई हैं और समय-समय पर फिर से उभर सकती हैं।

भारत की विदेश नीति के निहितार्थ: संतुलन साधना और महत्वाकांक्षाएं

यह दोहरा दौरा भारत की विदेश नीति के कई महत्वपूर्ण आयामों को दर्शाता है:

  1. ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का सुदृढ़ीकरण: मालदीव के साथ संबंधों को स्थिर करना और पड़ोसी देशों के साथ विश्वास बहाल करना भारत की प्राथमिकताओं में से एक है। यह दर्शाता है कि भारत अपने पड़ोस में शांति और स्थिरता को कितना महत्व देता है।
  2. ‘ग्लोबल साउथ’ में भारत की बढ़ती भूमिका: भारत G20 की अध्यक्षता और अन्य वैश्विक मंचों पर ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज के रूप में उभरा है। यूके और मालदीव दोनों के साथ संबंध इस भूमिका को मजबूत करते हैं।
  3. यूरोपीय संघ और हिंद-प्रशांत में संतुलन साधना: भारत पश्चिमी भागीदारों (जैसे यूके) के साथ अपने आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी स्थिति को भी मजबूत कर रहा है, जहाँ मालदीव जैसे छोटे द्वीप राष्ट्रों की संप्रभुता और सुरक्षा महत्वपूर्ण है।
  4. बहु-ध्रुवीय विश्व में भारत की स्थिति: यह यात्रा भारत की क्षमता को दर्शाती है कि वह एक साथ विभिन्न भू-राजनीतिक हितों वाले देशों के साथ जुड़ सकता है और वैश्विक शक्तियों के बीच अपने लिए एक स्वतंत्र स्थान बना सकता है।

आगे की राह: निरंतरता, विश्वास और रणनीतिक स्वायत्तता

पीएम मोदी की यूके और मालदीव यात्रा एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, लेकिन यह एक लंबी यात्रा की शुरुआत भर है।

  • संबंधों में निरंतरता और विश्वास निर्माण: दोनों देशों के साथ संबंधों को केवल एक यात्रा से नहीं सुधारा जा सकता। उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान, नियमित संवाद और परियोजनाओं का समय पर निष्पादन विश्वास को बनाए रखने और गहरा करने के लिए आवश्यक हैं।
  • आर्थिक और रणनीतिक हितों का संतुलन: भारत को यूके के साथ आर्थिक लाभों को अधिकतम करते हुए अपनी सामरिक स्वायत्तता को बनाए रखना होगा। मालदीव के साथ, उसे अपनी सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करते हुए एक भागीदार के रूप में कार्य करना होगा, न कि एक बड़े भाई के रूप में।
  • लोक-संपर्क (People-to-People) संबंधों को बढ़ावा देना: सांस्कृतिक आदान-प्रदान, पर्यटन और शिक्षा के माध्यम से लोगों से लोगों के बीच संबंध मजबूत करना दीर्घकालिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
  • क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर सहयोग: यूके के साथ जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद-विरोधी और संयुक्त राष्ट्र सुधार जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग जारी रखना चाहिए। मालदीव के साथ सार्क (SAARC) और बिम्सटेक (BIMSTEC) जैसे क्षेत्रीय मंचों पर सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष (Conclusion)

पीएम मोदी की यूके और मालदीव की यात्रा भारत की जटिल और गतिशील विदेश नीति का एक सूक्ष्म उदाहरण प्रस्तुत करती है। यह दिखाता है कि भारत किस प्रकार एक ओर पश्चिमी देशों के साथ आर्थिक अवसरों की तलाश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर अपने निकटवर्ती पड़ोस में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष कर रहा है। यूके के साथ एक महत्वाकांक्षी व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना और मालदीव के साथ संबंधों को सामान्य करना, दोनों ही भारत की बढ़ती वैश्विक आकांक्षाओं और उसके क्षेत्रीय नेतृत्व की आवश्यकता को दर्शाते हैं। इन यात्राओं के परिणाम आने वाले समय में भारत की वैश्विक स्थिति और उसके क्षेत्रीय प्रभाव को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह दौरा भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की नीति को न केवल आर्थिक समृद्धि के माध्यम से, बल्कि सद्भाव और विश्वास के निर्माण के माध्यम से भी आगे बढ़ाने का एक प्रयास है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

(प्रत्येक प्रश्न के लिए सही उत्तर विकल्प का चयन करें और अपनी व्याख्या प्रदान करें)

  1. भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच “2030 रोडमैप” निम्नलिखित में से किन क्षेत्रों में सहयोग से संबंधित है?

    1. रक्षा, व्यापार और प्रवासन
    2. कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य
    3. सुरक्षा, जलवायु और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: d)

    व्याख्या: भारत-यूके “2030 रोडमैप” एक व्यापक खाका है जो स्वास्थ्य, जलवायु, व्यापार, रक्षा, शिक्षा, विज्ञान-प्रौद्योगिकी और लोगों से लोगों के संबंधों सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाता है। यह दोनों देशों के बीच एक उन्नत व्यापक रणनीतिक साझेदारी के लिए एक महत्वाकांक्षी एजेंडा निर्धारित करता है।

  2. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. भारत और मालदीव के बीच 8 डिग्री चैनल स्थित है।
    2. ‘इंडिया आउट’ अभियान का उद्देश्य मालदीव में भारतीय सैन्य उपस्थिति को समाप्त करना था।
    3. भारत ने मालदीव में ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण निवेश किया है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

    1. केवल 1 और 2
    2. केवल 2 और 3
    3. केवल 1 और 3
    4. 1, 2 और 3

    उत्तर: d)

    व्याख्या: तीनों कथन सही हैं। 8 डिग्री चैनल मालदीव के मिनिकॉय और मालदीव गणराज्य के बीच स्थित है। ‘इंडिया आउट’ अभियान मालदीव में भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी की मांग कर रहा था। ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट मालदीव में भारत द्वारा वित्तपोषित सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है।

  3. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन भारत और यूके के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के संदर्भ में सही नहीं है?

    1. यह टैरिफ को कम करने और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है।
    2. भारत यूके से भारतीय पेशेवरों के लिए अधिक लचीले वीजा नियमों की मांग कर रहा है।
    3. यूके मुख्य रूप से भारतीय कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए बाजार पहुंच चाहता है।
    4. यह समझौता केवल वस्तुओं के व्यापार पर ध्यान केंद्रित करेगा, सेवाओं पर नहीं।

    उत्तर: d)

    व्याख्या: FTA में आमतौर पर वस्तुओं और सेवाओं दोनों का व्यापार शामिल होता है। भारत-यूके FTA का उद्देश्य सेवाओं (जैसे IT, वित्तीय सेवाएं) के व्यापार को भी बढ़ावा देना है। अन्य सभी कथन सही हैं और FTA वार्ता के प्रमुख पहलुओं को दर्शाते हैं।

  4. भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के संदर्भ में, मालदीव के साथ संबंधों का क्या महत्व है?

    1. यह भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का विस्तार है।
    2. यह हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
    3. यह दक्षिण एशिया में चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है।
    4. b और c दोनों।

    उत्तर: d)

    व्याख्या: ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत मालदीव हिंद महासागर में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी है, जो समुद्री सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, मालदीव में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, मजबूत द्विपक्षीय संबंध क्षेत्रीय संतुलन के लिए आवश्यक हैं।

  5. निम्नलिखित में से कौन-सी पहल हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री सुरक्षा और विकास से संबंधित है?

    1. SAGAR
    2. QUAD
    3. IMEC
    4. BIMSTEC

    उत्तर: a)

    व्याख्या: SAGAR (Security And Growth for All in the Region) प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करती है, जिसमें समुद्री सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और क्षमता निर्माण शामिल है। QUAD (क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग) एक रणनीतिक संवाद है जिसमें भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। IMEC (इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर) एक प्रस्तावित आर्थिक गलियारा है। BIMSTEC (बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑperation) बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है।

  6. हाल के वर्षों में मालदीव-भारत संबंधों में तनाव का एक प्रमुख कारण क्या रहा है?

    1. मालदीव का SAARC से बाहर निकलना।
    2. भारत द्वारा मालदीव को दी जाने वाली सहायता में कमी।
    3. मालदीव में भारतीय सैन्य कर्मियों की उपस्थिति और ‘इंडिया आउट’ अभियान।
    4. भारत द्वारा मालदीव के मत्स्य उद्योग में हस्तक्षेप।

    उत्तर: c)

    व्याख्या: ‘इंडिया आउट’ अभियान, जिसका उद्देश्य मालदीव में भारतीय सैन्य उपस्थिति को समाप्त करना था, हाल के वर्षों में भारत-मालदीव संबंधों में तनाव का एक प्रमुख स्रोत रहा है।

  7. निम्नलिखित में से कौन-सा देश हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) का सदस्य है?

    1. यूनाइटेड किंगडम
    2. मालदीव
    3. जर्मनी
    4. जापान

    उत्तर: b)

    व्याख्या: हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) हिंद महासागर से घिरे देशों का एक क्षेत्रीय मंच है। मालदीव इसका सदस्य है, जबकि यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और जापान इसके संवाद भागीदार हो सकते हैं, लेकिन पूर्ण सदस्य नहीं हैं।

  8. भारत-यूके संबंधों के संदर्भ में, यूके में खालिस्तानी अलगाववादी गतिविधियों पर भारत की चिंता का क्या निहितार्थ है?

    1. यह केवल आंतरिक सुरक्षा का मुद्दा है और द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित नहीं करता।
    2. यह व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने में एक संभावित बाधा है।
    3. यह दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने में समस्या पैदा करता है।
    4. b और c दोनों।

    उत्तर: d)

    व्याख्या: खालिस्तानी अलगाववादी गतिविधियाँ भारत के लिए एक गंभीर सुरक्षा चिंता हैं और यूके से इन पर लगाम लगाने की उम्मीद की जाती है। यदि यूके इस पर प्रभावी कार्रवाई नहीं करता है, तो यह द्विपक्षीय विश्वास को कमजोर कर सकता है, जिससे न केवल खुफिया जानकारी साझा करने में बाधा आ सकती है बल्कि बड़े व्यापार समझौतों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

  9. ब्रेक्जिट (Brexit) के बाद भारत के लिए यूनाइटेड किंगडम के साथ व्यापार समझौते का क्या महत्व है?

    1. यूके अब यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं है, इसलिए भारत को अलग से व्यापार समझौता करना होगा।
    2. यह भारत को यूरोपीय संघ के अन्य देशों के साथ बेहतर व्यापार शर्तें प्राप्त करने में मदद करेगा।
    3. यह यूके को अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करेगा, जिससे भारत को लाभ होगा।
    4. a और c दोनों।

    उत्तर: a)

    व्याख्या: ब्रेक्जिट के बाद, यूके यूरोपीय संघ के एकल बाजार और सीमा शुल्क संघ से बाहर हो गया है। इसलिए, भारत को यूके के साथ एक नए, स्वतंत्र व्यापार समझौते पर बातचीत करनी पड़ी है। यह यूके के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह नए व्यापार भागीदारों की तलाश में है। विकल्प ‘c’ अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित हो सकता है, लेकिन ‘a’ सीधा और अधिक महत्वपूर्ण कारण है। विकल्प ‘b’ गलत है क्योंकि यूके के साथ समझौता यूरोपीय संघ के अन्य देशों के साथ भारत के व्यापार शर्तों को सीधे प्रभावित नहीं करेगा।

  10. मालदीव की वर्तमान सरकार के ‘इंडिया आउट’ अभियान को बढ़ावा देने के बावजूद, भारत ने मालदीव के साथ विकास परियोजनाओं को जारी रखने में रुचि क्यों दिखाई है?

    1. मालदीव में भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या के कारण।
    2. क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए।
    3. मालदीव के साथ एक मजबूत नौसैनिक गठबंधन बनाने के लिए।
    4. केवल मालदीव के पर्यटन उद्योग का समर्थन करने के लिए।

    उत्तर: b)

    व्याख्या: भारत के लिए मालदीव का सामरिक महत्व हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण बहुत अधिक है। विकास परियोजनाओं को जारी रखना भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का हिस्सा है और यह मालदीव के साथ विश्वास बनाए रखने और चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने का एक तरीका है। यह सिर्फ पर्यटन से कहीं अधिक, व्यापक भू-राजनीतिक हित से जुड़ा है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. “प्रधानमंत्री मोदी की यूके और मालदीव की दोहरी यात्रा भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति और वैश्विक शक्ति के रूप में उसकी बढ़ती आकांक्षाओं के बीच संतुलन साधने का एक रणनीतिक प्रयास है।” इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)
  2. भारत और यूके के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के प्रमुख आर्थिक और रणनीतिक निहितार्थों का विश्लेषण कीजिए। इस समझौते को अंतिम रूप देने में आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डालिए। (15 अंक, 250 शब्द)
  3. हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों के लिए मालदीव के महत्व का मूल्यांकन कीजिए। ‘इंडिया आउट’ अभियान जैसी चुनौतियों के बावजूद भारत मालदीव के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठा सकता है? (15 अंक, 250 शब्द)
  4. भारत की विदेश नीति में आर्थिक कूटनीति की बढ़ती भूमिका पर चर्चा कीजिए, विशेष रूप से यूके और मालदीव जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में। उन संभावित बाधाओं का विश्लेषण करें जो इस दृष्टिकोण की प्रभावशीलता को कम कर सकती हैं। (15 अंक, 250 शब्द)

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