प्रवास

प्रवास

( Migration )

किसी स्थान की जनसंख्या में परिवर्तन के अध्ययन में जन्म एवं मृत्यु की तरह प्रवास भी एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है । प्रवास जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित करने वाली तीसरी महत्वपूर्ण प्रक्रिया ( Vital Process ) है । जनसंख्या वृद्धि के तीनों महत्वपूर्ण घटकों प्रजननता ( Fertility ) मृत्युक्रम ( Mortility ) एवं प्रवास ( Migration ) में प्रवास की तुलना में प्रजननता एवं मृत्युक्रम की प्रतिक्रिया मन्द होती है । प्रवास से जनसंख्या में परिवर्तन बहुत कम समय में भी सम्भव है ।

जनसंख्या के आकार , गठन और वितरण में शीघ्र परिवर्तन करने वाले प्रवास के आँकड़े अपेक्षाकृत अधिक शुद्ध पाये जाते हैं । यद्यपि यह शुद्धता अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास ( Intemational Migration ) के स्तर पर अधिक रहती है फिर भी आन्तरिक प्रवास व वाह्य प्रवास ( Internal and External Migration ) के आँकड़े सरकारी स्तर पर भी रखे जाते हैं , भले ही उतने विश्वसनीय न हों । साधारण रूप में प्रवास का अर्थ आवागमन या देशान्तरण से लगाया जाता है । मनुष्य एक स्थान से दूसरे स्थान को आता – जाता रहता है जिसके परिणामस्वरूप उसका सामान्य निवास बदल जाता है । जनसंख्या के निवास स्थान के परिवर्तन ( Displacement of Population ) की इस घटना को देशान्तरण या प्रवास कहते हैं । आदेशान्तरण का अर्थ है अपने स्वाभाविक निवास को परिवर्तित कर देना Daved M. Heer ” देशान्तरण निवास स्थान को परिवर्तित करते हुए एक भौगोलिक इकाई से अन्य भौगोलिक इकाई में विचरण का एक स्वरूप है । ” –

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है प्रवास के अन्तर्गत निवास स्थान में परिवर्तन हो जाता है तथा यह परिवर्तन अल्पकालीन न होकर दीर्घकालीन एवं स्थायी होता है । इसके साथ ही देशान्तरण में भौगोलिक इकाई को पार करना भी आवश्यक होता है । इसके अन्तर्गत अपने ही देश में प्रवास दो रूपों में हो सकता है

आन्तरिक प्रवास ( In – Migration )

एवं बाह्य प्रवास ( Out Migration )

 लेकिन जब देश में परिवर्तन होता है तो दूसरे देश में जाने को उत्प्रवास ( Emigration ) व दूसरे देश से अपने देश में आने पर अप्रवास ( Immigration ) कहा जाता है ।

प्रवास का वर्गीकरण ( Classificatiion of Migration )

 

प्रवास या देशान्तरण का वर्गीकरण सामान्य रूप में निम्न रूप में किया जाता है –

 आन्तरिक प्रवास ( Internal अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास ( International Migration ) Migration )

. आन्तरिक प्रवास जब किसी देश के निवासी अपनी देश की सीमाओं के अन्तर्गत एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाते हैं तो उनका यह प्रवास आन्तरिक प्रवास कहलाता है । उदाहरण ‘ – इलाहाबाद का कोई व्यक्ति मुम्बई में बस जाता है तो यह आन्तरिक देशान्तरण या प्रवास कहलायेगा ।

 प्रो ० डोनाल्ड जे ० बोग का मानना है कि आन्तरिक प्रवास के लिए In Migration एवं बर्हिगमन के लिए Out Migration शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए । लेकिन इंग्लैण्ड का व्यक्ति यदि दिल्ली में बस जाता है तो आवर्जन ( Immigration ) एवं कलकत्ता के व्यक्ति को अमेरिका में बसने को प्रवजन कहा ( Emigration ) जायेगा ।

आन्तरिक प्रवास का अध्ययन निम्न रूपों में आप कर सकते हैं

वैवाहिक प्रवास ( Marital Migration ) अन्तर्प्रान्तीय प्रवास ( Inter State Migration )

अन्तर्जनपदीय प्रवास ( Inter District Migration ) ग्राम शहर प्रवास ( Rural Urban Migration ) सम्बद्धता जन्म प्रवासन्या सह प्रवास ( Accompanted Migration )

अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास – अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास का तात्पर्य अपने देश से दूसरे देश या जाता है । वस्तुतः दूसरे देश से अपने देश के बीच होने वाले गमनागमन से लगाया आन्तरिक या अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास में कोई मौलिक अन्तर नहीं है मात्र राष्ट्रों की भौगोलिक सीमाओं को ही अन्तर का आधार कहा जा सकता है । अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास की अपेक्षा आन्तरिक प्रवास का प्रभाव अधिक व्यापक है ।

प्रवास को प्रभावित करने वाले घटक

 

 प्रवास या देशान्तरण विभिन्न कारकों के कारण होता है । जनांकिकीविद इस सन्दर्भ में आकर्षक कारक ( Pull Factors ) एवं विकर्षण कारक ( Push Factors ) का मुख्य उल्लेख करते हैं ।

आकर्षक कारक ( Pull Factors ) आकर्षक कारक वो करक हैं जिनसे प्रभावित होकर व्यक्ति अपना निवास स्थान छोड़कर अन्यत्र आकर्षित करने वाले स्थान में बसता है । कुछ प्रमुख आकर्षक कारक निम्नवत् हैं : — रोजगार एवं व्यवसाय के श्रेष्ठ अवसर ( Better Employment ) ।

 अधिक अच्छी शिक्षा ( Better Education ) | आवास की अच्छी सुविधा मनोरंजन के अच्छे साधनों की उपलब्धता । स्वास्थ्यप्रद जलवायु उन्नत नागरिक जीवन ।

 विकर्षण कारक ( Push Factors ) विकर्षण कारक दो कारक हैं जिनसे प्रभावित होकर व्यक्ति अपना निवास छोड़ने को विवश होता है । वो ही कारक प्रवास हेतु उपरोक्त वाह्य करते हैं । कुछ प्रमुख विकर्षण तत्व निम्नवत् हैं :

. निवास स्थल पर रोजगार के अवसरों का अभाव । शिक्षा , स्वास्थ्य , आवास , प्रशिक्षण सुविधा का अभाव । मनोरंजन सुविधा का अभाव । उन्नति के अवसरों का न होना । सामाजिक बहिष्कार सामाजिक माहौल प्रतिकूल होना ।

 आतंकवाद । राजनीतिक , सामाजिक , जातिगत एवं धार्मिक भेदभाव । आकर्षण एवं विकर्षण कारकों को जानने के बाद अब आप अध्ययन के दृष्टिकोण से प्रवास को प्रभावित करने वाले तत्वों को निम्न रूपों में रखकर और जान सकते हैं ।

 प्राकृतिक कारक ( Natural Factors ) प्राकृतिक अथवा भौगोलिक कारकों से प्रायः लोग प्रवास करते हैं । इसके अन्तर्गत जलवायु सम्बन्धी परिवर्तन प्राकृतिक प्रकोप , सूखा , बाढ़ , दुर्भिक्ष , महामारियाँ , सुनामी भूकम्प , ज्वालामुखी , बादल फटने से आयी अचानक बाढ़ की तबाही आदि घटनाएँ आती है जो देशान्तरण या प्रवास को प्रभावित करती है ।

आर्थिक कारक ( Economic Factors ) – प्रवास को प्रभावित करने वाले कारकों में आर्थिक कारक सबसे महत्वपूर्ण होते हैं । लोग बेहतर जीवन की लालसा में अपना मूल निवास छोड़कर अन्यत्र देश में जा सकते हैं । कुछ प्रमुख आर्थिक कारक इस प्रकार हैं ( क ) कृषि योग्य भूमि का अभाव । औद्योगीकरण । ( ख ) ( ग ) नगरीकरण । ( घ ) यातायात की सुविधाएँ । सामान्य जीवन हेतुं आर्थिक स्थिति ठीक करना ।

राजनीतिक कारक ( Political Factors ) – ( च ) राजनीतिक कारक भी प्रवास को प्रभावित करते हैं । ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यागों की स्थापना एक राजनीतिक निर्णय के आधार पर होता है जिससे ग्रामीण से शहरी प्रवास पर नियंत्रण होता है । नोएडा , गीडा , सीडा , इत्यादि औद्योगिक क्षेत्र भारत में इसी उद्देश्य से बनाए गये हैं देशों का राजनैतिक बंटवारा या शरणार्थियों का गमनागमन इसका प्रमुख उदाहरण हैं जो भारत में विभाजन एवं बंगलादेश के परिप्रेक्ष्य में कहा जा सकता है ।

 सामाजिक कारक ( Social Factors ) . प्रवास के लिए सामाजिक रीति – रिवाज भी उत्तरदायी कारक होते हैं । इसके अन्तर्गत वैवाहिक प्रवास ( यथा विवाह के बाद लड़कियाँ का अपने पति के घर को प्रवास ) एवं सह प्रवास ( पिता के स्थानांतरण या प्रवास के कारण पूरे परिवार का साथ जाना ) प्रमुख कारक हैं । महत्वाकांक्षायें एवं शीघ्र विकास की कामनायें गाँवों से नगरों की ओर प्रवास को प्रोत्साहित करते हैं ।

 जनांकिकी कारक ( Denographic Factors ) – जिन स्थानों पर जनसंख्या का दबाव अधिक होता है उस स्थान से कम या विरल जनसंख्या की ओर प्रवास होता है । प्रवास पर जन्म – दर तथा मृत्यु दर का भी प्रभाव पड़ता है । जहाँ पुरुष विशिष्ट जन्म दर ( Male Specific Birth rate ) कम है तो सन्तुलन बनाये रखने के लिए प्रवासी बनकर युवाओं को दूसरे क्षेत्र से आना होगा युद्ध के कारण कई बार यह देखा गया है कि पुरुषों की संख्या घटने के कारण जनसंख्या असंतुलित हो गयी फलतः विश्व के अन्य देशों के युवाओं को बसने के लिए आकर्षित करना पड़ा ।

 धार्मिक एवं सांस्कृतिक कारक – धर्म प्रचार तथा प्रसार के उद्देश्य से विभिन्न धर्मों के अनुयायी विश्व के विभिन्न भू – भागों में प्रवास करते हैं । सांस्कृतिक सम्पर्क भी प्रवास को प्रोत्साहित करता है । प्रो ० थाम्पसन एवं लेविस का मानना है कि प्रवास के लिए उत्तरदायी कारक आर्थिक तथा गैर आर्थिक कारक दोनों ही हो सकते है परन्तु इन दोनों प्रकार के कारकों में आर्थिक कारक ही अधिक महत्वपूर्ण है । देशान्तरण या प्रवास में बाधक तत्व भी जानने योग्य है जो निम्न है . 1 . दूरी । भाषा संस्कृति एवं रीति – रिवाज ।

. वर्तमान व्यवसाय व स्थान से लगाव । मार्ग व्यय प्रवास क्षमता प्रवासी का स्वास्थ्य , आयु एवं इच्छाशक्ति । प्रवास के नियम परिणाम

प्रवजन एक सामान्य प्रक्रिया है जिससे प्रवासी क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ता है । अर्थात् प्रवजन पर समाज का प्रभाव प्रवास प्रक्रिया को छोड़ देने वाले देश और चुने जाने वाले देश दोनों पर महत्त्वपूर्ण असर पड़ता है । प्रवास प्रतिफल के अध्ययन पर अभी तक कम ध्यान दिया गया है इसी कारण आने वाले जनसंख्या समाजशास्त्रियों के लिए यह अध्ययन महत्त्वपूर्ण एवं चुनौतीपूर्ण विषय है । इस प्रकार प्रजनन के परिणामों एवं प्रभाव को निम्न प्रकार से समझाया जा सकता है ।

ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव जहाँ प्रवासी पहुंचता है और जहाँ से चलता है दोनों के जनसांख्यिकीय संरचना में मात्रात्मक एवं गुणात्मक परिवर्तन होता है । वैसे तो ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों में प्रवास अधिक होता है ।

ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों के बाहर जाने से वहां जनसंख्या कम हो जाती है ।

शहरी क्षेत्रों पर प्रभाव प्रवासियों को अपने को नए परिवेश के साथ जोड़ने में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे— गाँव से प्रवासित लोगों को शहर के भौतिक वातावरण का सामना करना होता है ।

उन्हें नवीन भोजन तथा रहन – सहन पद्धति के साथ ताल – मेल बैठाना पड़ता है । कुछ मिले प्रमाण से गाँव से प्रवासित शहर में बसे लोगों में साँस सम्बन्धी बीमारियाँ भी अधिक पाई जाती है ।

 इसके अतिरिक्त प्रवासी अपने साथ अपनी भाषा और धर्म लाते हैं । इसके साथ ही शहरी इलाकों में मौजूदा व्यावसायिक ढाँचे में बदलाव आता है । जिन क्षेत्रों में औद्योगिक प्रगति हो रही होती है वहाँ इस तरह के प्रवसन से अनुकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि इससे सस्ते मजदूर उपलब्ध हो जाते हैं जिससे शहर के व्यावसायिक ढाँचे में बदलाव आ जाता है ।

प्रवजन का असर जनसंख्या वृद्धि पर भी पड़ता है क्योंकि शहरी इलाकों में प्रवजन दर ग्रामीण इलाकों की तुलना में कम होती है । पहले ग्रामीण क्षेत्रों के निचले स्तर के लोग नौकरियों की तलाश में शहरों की ओर आते थे लेकिन अब गाँवों के उच्च वर्गों के लोगों में भी शहरों में जाने की ललक दिखाई देने लगी है ।

जनसंख्या पर प्रभाव

ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों के बाहर जाने से वहाँ जनसंख्या कम हो जाती है । इस कारण जनसांख्यिकीय परिणाम के दृष्टिकोण से प्रवजन करने वाले जब आधुनिकता वाले क्षेत्रों के निकट सम्पर्क में आते हैं तो इनका ग्रामीण समुदायों की मूल्य प्रणाली पर असर पड़ता है । प्रवजन से आमदनी के स्तर और इसके वितरण पर असर पड़ता है तथा लोगों के दूसरी जगह चले जाने से उस स्थान पर श्रमिकों की आपूर्ति में कमी उत्पन्न हो सकती है । परिणामस्वरूप सीमान्त मजदूरों की संख्या बढ़ जाती है । आर्थिक प्रभाव प्रवजन मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में होता है और उसका मुख्य कारण आर्थिक आमदनी है । प्रवजन का आर्थिक प्रभाव ग्रामीण रोजगार और आमदनी पर पड़ता है तथा उनके द्वारा भेजी जाने वाली राशि से क्षेत्रीय विषमता में कमी आती है ।

अत : उपरोक्त प्रवास कारकों से स्पष्ट होता है कि प्रवास प्रक्रिया से जुड़े कारकों का निर्धारण एक बहुत ही विषम समस्या है । ऊपर वर्णित कारकों का वृहद महत्व है तथा छोटे स्तर पर किए गए अध्ययन के द्वारा यह स्पष्ट होता है र कि इसके अलावा भी बहुत से अन्य कारक भी क्रियाशील है अर्थात् भिन्न – भिन्न स्तरों पर भिन्न – भिन्न कारक कार्य करते हैं ।

प्रवजन का परिणाम

प्रवजन एक सामान्य प्रक्रिया है जिससे प्रवासी क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ता है । अर्थात् प्रवजन पर समाज का प्रभाव प्रवास प्रक्रिया को छोड़ देने वाले देश और चुने जाने वाले देश दोनों पर महत्त्वपूर्ण असर पड़ता है । प्रवास प्रतिफल के अध्ययन पर अभी तक कम ध्यान दिया गया है इसी कारण आने वाले जनसंख्या समाजशास्त्रियों के लिए यह अध्ययन महत्त्वपूर्ण एवं चुनौतीपूर्ण विषय है । इस प्रकार प्रजनन के परिणामों एवं प्रभाव को निम्न प्रकार से समझाया जा सकता है ।

ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव

 जहाँ प्रवासी पहुंचता है और जहाँ से चलता है दोनों के जनसांख्यिकीय संरचना में मात्रात्मक एवं गुणात्मक परिवर्तन होता है । वैसे तो ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों में प्रवास अधिक होता है । ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों के बाहर जाने से वहां जनसंख्या कम हो जाती है ।

 शहरी क्षेत्रों पर प्रभाव

प्रवासियों को अपने को नए परिवेश के साथ जोड़ने में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे— गाँव से प्रवासित लोगों को शहर के भौतिक वातावरण का सामना करना होता है । उन्हें नवीन भोजन तथा रहन – सहन पद्धति के साथ ताल – मेल बैठाना पड़ता है ।

कुछ मिले प्रमाण से गाँव से प्रवासित शहर में बसे लोगों में साँस सम्बन्धी बीमारियाँ भी अधिक पाई जाती है ।  इसके अतिरिक्त प्रवासी अपने साथ अपनी भाषा और धर्म लाते हैं । इसके साथ ही शहरी इलाकों में मौजूदा व्यावसायिक ढाँचे में बदलाव आता है । जिन क्षेत्रों में औद्योगिक प्रगति हो रही होती है वहाँ इस तरह के प्रवसन से अनुकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि इससे सस्ते मजदूर उपलब्ध हो जाते हैं जिससे शहर के व्यावसायिक ढाँचे में बदलाव आ जाता है ।  प्रवजन का असर जनसंख्या वृद्धि पर भी पड़ता है क्योंकि शहरी इलाकों में प्रवजन दर ग्रामीण इलाकों की तुलना में कम होती है ।

पहले ग्रामीण क्षेत्रों के निचले स्तर के लोग नौकरियों की तलाश में शहरों की ओर आते थे लेकिन अब गाँवों के उच्च वर्गों के लोगों में भी शहरों में जाने की ललक दिखाई देने लगी है ।

 जनसंख्या पर प्रभाव

  • आर्थिक प्रभाव प्रवजन मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में होता है और उसका मुख्य कारण आर्थिक आमदनी है । प्रवजन का आर्थिक प्रभाव ग्रामीण रोजगार और आमदनी पर पड़ता है तथा उनके द्वारा भेजी जाने वाली राशि से क्षेत्रीय विषमता में कमी आती है ।

  • ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों के बाहर जाने से वहाँ जनसंख्या कम हो जाती है । इस कारण जनसांख्यिकीय परिणाम के दृष्टिकोण से प्रवजन करने वाले जब आधुनिकता वाले क्षेत्रों के निकट सम्पर्क में आते हैं तो इनका ग्रामीण समुदायों की मूल्य प्रणाली पर असर पड़ता है ।

  • प्रवजन से आमदनी के स्तर और इसके वितरण पर असर पड़ता है तथा लोगों के दूसरी जगह चले जाने से उस स्थान पर श्रमिकों की आपूर्ति में कमी उत्पन्न हो सकती है । परिणामस्वरूप सीमान्त मजदूरों की संख्या बढ़ जाती है ।

  • इसके अलावा प्रत्येक प्रवास से दोनों क्षेत्रों की जनसांख्यिकीय संरचना में केवल मात्रात्मक ही नहीं बल्कि गुणात्मक परिवर्तन भी आते हैं । इन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रवास के फलस्वरूप प्रवासियों के योगदान से सभ्यता समृद्धशाली होती है । दो भिन्न प्रकार के क्षेत्रों से परस्पर मेल – मिलाप बढ़ता है यही प्रवास का सबसे बड़ा लाभ है ।

प्रवास के प्रभाव

प्रवास के प्रभाव या परिणाम सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों हो सकते हैं । सकारात्मक प्रभाव के अन्तर्गत भूमि पर जनसंख्या का दबाव कम होना , श्रमिकों की मांग एवं पूर्ति में सामंजस्य , एकता की भावना का विकास , नगरीकरण के विभिन्न लाभ इत्यादि आते हैं । जनांकिकी दृष्टिकोण से भी लाभ होता है । जीवन स्तर ऊँचा उठता है । देशान्तरण के नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं यथा मानसिक असन्तोष बढ़ना , अन्तर वैयक्तिक सम्बन्धों का हास , वर्ग भेद , सांमजस्य की समस्या एवं जनसंख्या वृद्धि व जनघनत्व में वृद्धि की समस्या आदि । आन्तरिक प्रवास के प्रभावों में इस रूप में परिणामों का अध्ययन कर सकते हैं कि जो प्रवासी हैं उस पर क्या प्रभाव पड़ रहे हैं , जहाँ से प्रवास हो रहा है एवं जिस स्थान को प्रवासी प्रवास कर रहा है वहाँ पर पड़ने वाले प्रभावों परिणामों का अध्ययन महत्वपूर्ण है । नागरीकरण होने से उसके लाभ एवं हानि दोनों पक्ष जानने योग्य होते हैं ।

 प्रजननता प्रजननता जीवित जन्मों की संख्या पर आधारित जनसंख्या की यथार्थ स्तर की क्रियाविधि है प्रजनन के तीन मौलिक निर्धारक तत्व 1. प्रजनन शक्ति , 2. प्रजनन के अवसर , • प्रजनन सम्बन्धी निर्णय । प्रत्यक्ष सामाजिक तत्व ऐसे तत्व जो जनसंख्या वृद्धि को सीधे बढ़ात घटाते हैं । यथा – आत्मसंयम , शिशु हत्या आदि । अप्रत्यक्ष सामाजिक तत्व संतति निग्रह परिवार नियोजन विधियों , गर्भ समापन , भ्रूण हत्या , ऐसे तत्व जो सीधे प्रजननशीलता को प्रभावित करते

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