प्रयोजनमूलक हिंदी
प्रयोजनमूलक हिंदी का मतलब है ऐसी हिंदी लेखन शैली जो किसी विशेष उद्देश्य या प्रयोजन के लिए होती है। इस लेखन में भाषा का उपयोग केवल संवाद, सूचना, या किसी कार्य के उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए किया जाता है। यह किसी विचार, सूचना, या संदेश को एक निश्चित उद्देश्य की दिशा में स्पष्ट और प्रभावी रूप से व्यक्त करने का तरीका होता है।
यहां हम प्रयोजनमूलक हिंदी पर विस्तृत जानकारी देंगे:
प्रयोजनमूलक हिंदी के प्रमुख पहलू:
- स्पष्टता: प्रयोजनमूलक हिंदी में लिखने का मुख्य उद्देश्य होता है संदेश को सरल, स्पष्ट और सटीक रूप में व्यक्त करना। इस लेखन में शब्दों का चयन इस तरह से किया जाता है कि पाठक या श्रोता को कोई भ्रम न हो। यह सीधे उद्देश्य को व्यक्त करने के लिए होती है।
- आवश्यकता और उद्देश्य: प्रयोजनमूलक लेखन का मुख्य उद्देश्य किसी कार्य या उद्देश्य को पूरा करना होता है। इसमें जानकारी देने, आदेश देने, या कोई विशेष कार्य करने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया जाता है।
- समीक्षा और आलोचना: कई बार प्रयोजनमूलक लेखन में किसी विषय, घटना, या वस्तु की समीक्षा या आलोचना भी की जाती है। यह लेखन पाठक को विचारशील बनाने के उद्देश्य से होता है, ताकि वह किसी समस्या या विषय के बारे में बेहतर तरीके से समझ सके।
- आधिकारिकता: प्रयोजनमूलक लेखन अक्सर सरकारी या अन्य आधिकारिक कार्यों से जुड़ा होता है, जैसे कि आवेदन पत्र, नोटिस, आदेश, आदि। इस प्रकार के लेखन में शब्दों का चयन और भाषा शैली बहुत गंभीर और संजीदा होती है, ताकि संदेश स्पष्ट और प्रभावशाली रूप से पहुंच सके।
- साधारण और व्यावहारिक भाषा: प्रयोजनमूलक लेखन में अत्यधिक कठिन या साहित्यिक भाषा का प्रयोग नहीं किया जाता। इसका उद्देश्य यह होता है कि पाठक आसानी से समझ सके। भाषा सरल, व्यावहारिक और उद्देश्य के अनुरूप होती है।
- विवरणात्मकता: प्रयोजनमूलक लेखन में विवरणात्मकता का भी एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। जैसे यदि किसी विशेष कार्य को पूरा करने के लिए विवरण दिए जाते हैं, तो वह पाठक को उस कार्य को सही तरीके से करने में मदद करता है। उदाहरण के तौर पर, किसी पुस्तक के विवरण या किसी परीक्षा के निर्देश।
- आधुनिक जीवन में प्रयोजनमूलक हिंदी का महत्व: आधुनिक युग में जानकारी का आदान-प्रदान तेज़ी से हो रहा है, और ऐसे में प्रयोजनमूलक हिंदी का महत्व बहुत बढ़ गया है। पत्र, ईमेल, नोटिस, आवेदन पत्र, विज्ञापन, सरकारी दस्तावेज़, सभी जगह प्रयोजनमूलक हिंदी का ही प्रयोग होता है।
- नियमितता और अनुशासन: प्रयोजनमूलक लेखन में नियमितता और अनुशासन का पालन किया जाता है। यह लेखन अधिक व्यवस्थित और सरल होता है, ताकि पाठक को संदेश को समझने में कोई कठिनाई न हो।
- शब्दों का चयन: प्रयोजनमूलक हिंदी में शब्दों का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। शब्दों का चयन इस प्रकार से किया जाता है कि वह संदेश को पूरी तरह से और बिना किसी दोष के प्रकट कर सके। अतः शब्दों का चयन करते समय उसकी अर्थवत्ता और संदर्भ को ध्यान में रखा जाता है।
- उद्देश्यपूर्ण लेखन: इस प्रकार के लेखन में हमेशा किसी न किसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर लिखा जाता है, जैसे कि किसी समस्या का समाधान देना, किसी व्यक्ति को सूचित करना, या किसी कार्य को प्रभावी ढंग से पूर्ण करने के लिए दिशा-निर्देश देना।
प्रयोजनमूलक हिंदी के उदाहरण:
- आवेदन पत्र: नौकरी के लिए या किसी संस्था में प्रवेश के लिए आवेदन पत्र लिखा जाता है। इसमें साफ़ और सटीक जानकारी होती है।
- नोटिस: विद्यालय या कार्यालय में किसी विशेष सूचना के लिए नोटिस जारी किए जाते हैं।
- विज्ञापन: किसी उत्पाद या सेवा का प्रचार करने के लिए प्रयोजनमूलक विज्ञापन तैयार किया जाता है।
- रिपोर्ट: किसी कार्य या घटना पर आधारित रिपोर्ट तैयार करना भी प्रयोजनमूलक लेखन के उदाहरण हैं।
निष्कर्ष:
प्रयोजनमूलक हिंदी का महत्व समय-समय पर बढ़ता जा रहा है क्योंकि यह हमारी दिनचर्या के महत्वपूर्ण अंगों से जुड़ी होती है। इसके माध्यम से हम अपने कार्यों, विचारों और उद्देश्यों को स्पष्ट और प्रभावी रूप से व्यक्त कर सकते हैं। यह हमारी सामाजिक, सरकारी और पेशेवर दुनिया का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।
1. प्रयोजनमूलक क्या है?
उत्तर:
- प्रयोजनमूलक शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: ‘प्रयोजन’ और ‘मूलक’.
- ‘प्रयोजन’ का अर्थ उद्देश्य या काम है।
- ‘मूलक’ का अर्थ है जो किसी कार्य को संभव बनाए।
- प्रयोजनमूलक का अर्थ होता है, किसी उद्देश्य या कार्य के लिए जरूरी या उपयोगी तत्व।
- यह शब्द सामान्यत: शिक्षा और साहित्य में इस्तेमाल होता है।
- प्रयोजनमूलक चीजें कार्य की सफलता में सहायक होती हैं।
- यह किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए निर्धारित विधियों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- उदाहरण स्वरूप, कागज, कलम, पुस्तकें और इंटरनेट संसाधन प्रयोजनमूलक होते हैं।
- यह किसी विशिष्ट कार्य या परियोजना को पूरा करने के लिए जरूरी उपकरण हैं।
- प्रयोजनमूलक शब्द का इस्तेमाल जीवन में महत्वपूर्ण कार्यों की सफलता के लिए किया जाता है।
2. प्रयोजनमूलक भाषा की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
- प्रयोजनमूलक भाषा एक उद्देश्य को पूरा करने के लिए होती है।
- यह स्पष्ट और संक्षिप्त होती है।
- इसमें विचारों की व्यवस्थित प्रस्तुति होती है।
- प्रयोजनमूलक भाषा में सूचना का आदान-प्रदान प्राथमिक होता है।
- यह संवाद में प्रभावी और व्यावसायिक होती है।
- इसमें साधारण शब्दों का प्रयोग होता है।
- उपयोगकर्ता की समझ को सरल बनाने के लिए प्रयोजनमूलक भाषा में विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है।
- इसके उदाहरण विज्ञापन, निर्देश, और मार्गदर्शक होते हैं।
- इसे हर क्षेत्र में उपयोग किया जाता है जैसे कि शिक्षा, व्यवसाय, सरकार आदि।
- प्रयोजनमूलक भाषा का उद्देश्य कार्य की स्पष्टता और त्वरित निष्पादन को बढ़ाना होता है।
3. प्रयोजनमूलक लेखन के प्रकार क्या हैं?
उत्तर:
- विवरणात्मक लेखन: इसमें किसी विषय की जानकारी दी जाती है।
- साक्षात्कार लेखन: किसी व्यक्ति से प्राप्त जानकारी का लेखन।
- निर्देशात्मक लेखन: इसमें किसी प्रक्रिया या कार्य को समझाया जाता है।
- समीक्षा लेखन: यह किसी पुस्तक या उत्पाद का विश्लेषण और मूल्यांकन करता है।
- प्रस्ताव लेखन: यह किसी योजना या प्रस्ताव को प्रस्तुत करने का तरीका होता है।
- विज्ञापन लेखन: इसे प्रचार सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है।
- पुस्तक समीक्षा: यह किसी पुस्तक की आलोचना और सारांश प्रस्तुत करता है।
- सूचना पत्र लेखन: इसमें किसी विशिष्ट सूचना को साझा किया जाता है।
- विचार लेखन: इसमें लेखक अपने विचार और दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं।
- रिपोर्ट लेखन: यह किसी घटना या कार्य की रिपोर्ट प्रदान करता है।
4. प्रयोजनमूलक लेखन में क्या ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
- उद्देश्य को स्पष्ट रूप से समझना।
- विषय का गहन अध्ययन करना।
- भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।
- वर्तनी और व्याकरण का ध्यान रखना चाहिए।
- शब्दों का चयन ठीक से करना चाहिए।
- वाक्य संक्षिप्त और प्रभावशाली होना चाहिए।
- समय की पाबंदी और व्यावसायिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
- तकनीकी शब्दों का सही इस्तेमाल करना चाहिए।
- निष्कर्ष या समाधान स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करना चाहिए।
- लेखन का उद्देश्य पाठक को जानकारी देना होना चाहिए।
5. प्रयोजनमूलक लेखन में शब्द सीमा का महत्व क्या है?
उत्तर:
- शब्द सीमा लेखन को संक्षिप्त और सटीक बनाए रखती है।
- यह पाठक को अधिक समय नहीं लेता, जिससे वे आसानी से समझ पाते हैं।
- यह विचारों को संकेंद्रित और अनुशासित रखता है।
- शब्द सीमा लेखन के उद्देश्य को प्रभावित नहीं होने देती।
- अधिक शब्दों से पाठक का ध्यान भटक सकता है।
- यह लेखन के व्यावसायिक रूप को बनाए रखती है।
- शब्द सीमा में काम करते हुए विचारों को प्रस्तुत करना एक चुनौती है।
- यह लेखन को प्रभावी और आकर्षक बनाए रखता है।
- पाठक को सिर्फ महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
- यह लेखन की गुणवत्ता और संक्षिप्तता बढ़ाती है।
6. प्रयोजनमूलक लेखन के लाभ क्या हैं?
उत्तर:
- यह समय की बचत करता है।
- विचारों को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
- यह समझने में आसान होता है।
- यह कार्य की गति को तेज करता है।
- उपयोगकर्ता को भ्रमित नहीं करता।
- यह व्यवसायिक लेखन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह पाठक की ऊर्जा और ध्यान को संरक्षित करता है।
- यह अनावश्यक जानकारी से बचने में मदद करता है।
- यह पेशेवर और आधिकारिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
- यह किसी भी काम को सुगम और व्यवस्थित बनाता है।
7. प्रयोजनमूलक लेखन में तकनीकी शब्दों का उपयोग कब किया जाता है?
उत्तर:
- जब लेखन का उद्देश्य विशिष्ट तकनीकी जानकारी देना हो।
- जब पाठक तकनीकी क्षेत्र में अनुभव रखते हों।
- तकनीकी शब्दों का प्रयोग संक्षिप्तता लाने के लिए किया जाता है।
- यह शब्द विशेषज्ञता और समझ को दर्शाते हैं।
- इसका प्रयोग तकनीकी और विज्ञान लेखन में अधिक होता है।
- यह लेखन को अधिक प्रभावी और सटीक बनाता है।
- जब जानकारी के दायरे को सीमित करना हो।
- पाठक को विशेषज्ञता का अहसास दिलाने के लिए।
- इसे गहरे विश्लेषण के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- यह तकनीकी प्रक्रियाओं को स्पष्ट करने में सहायक होता है।
8. प्रयोजनमूलक लेखन में संक्षिप्तता का महत्व क्या है?
उत्तर:
- संक्षिप्तता से पाठक का ध्यान पूरी तरह एकत्रित होता है।
- यह पाठक को अत्यधिक जानकारी से परेशान नहीं करता।
- यह लेखन के उद्देश्य को निखारता है।
- यह विचारों को सरल और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है।
- संक्षिप्तता लेखन को अधिक पेशेवर बनाती है।
- इससे समय की बचत होती है।
- यह जानकारी को प्रभावशाली तरीके से साझा करता है।
- यह गलतफहमियों से बचाता है।
- पाठक को त्वरित निर्णय लेने में मदद करता है।
- संक्षिप्तता लेखन की गुणवत्ता को बढ़ाती है।
9. प्रयोजनमूलक लेखन में क्रिया का प्रयोग कैसे किया जाता है?
उत्तर:
- क्रिया से वाक्य में क्रियात्मकता आती है।
- यह कार्य को अधिक प्रभावी और गतिशील बनाता है।
- क्रिया वाक्य की गति और उद्देश्य को स्पष्ट करती है।
- यह लेखन में सक्रियता बनाए रखती है।
- सही क्रियाओं का चयन लेखन के उद्देश्य को सही दिशा में ले जाता है।
- क्रियाएं जानकारी को त्वरित रूप से प्रदान करती हैं।
- लेखन में क्रिया का प्रयोग अनिवार्य होता है।
- यह पाठक के विचारों को सक्रिय रखता है।
- इसका प्रयोग वाक्य के संप्रेषणीयता को बढ़ाता है।
- यह लेखन को और अधिक स्पष्ट बनाता है।
10. प्रयोजनमूलक लेखन में निष्कर्ष का महत्व क्या है?
उत्तर:
- निष्कर्ष लेख का सारांश प्रस्तुत करता है।
- यह पाठक को अंतिम विचार देने का मौका देता है।
- निष्कर्ष लेख के उद्देश्य को पूर्ण करता है।
- यह लेखक के विचारों को पुख्ता करता है।
- निष्कर्ष लेखन की संपूर्णता और प्रभाव को बढ़ाता है।
- यह पाठक को एक ठोस समाधान प्रदान करता है।
- निष्कर्ष का उद्देश्य जानकारी को समेटना होता है।
- यह लेख की दिशा को स्पष्ट करता है।
- निष्कर्ष संक्षिप्त और स्पष्ट होता है।
- यह लेख को समापन प्रदान करता है, जिससे पाठक को संतुष्टि मिलती है।
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1. प्रयोजनमूलक क्या है?
उत्तर:
- प्रयोजनमूलक शब्द का अर्थ है “कार्य की आवश्यकता से संबंधित”.
- यह किसी विशेष उद्देश्य या कार्य को प्राप्त करने के लिए जरूरी होता है.
- इसमें काम के उद्देश्यों को ध्यान में रखा जाता है.
- इसे “functional” भी कहा जाता है.
- यह किसी विशेष कार्य की भूमिका को समझाता है.
- किसी कार्य के उद्देश्य की पूर्णता के लिए प्रयोजनमूलक होने चाहिए.
- समाज में प्रयोजनमूलक कामों का बहुत महत्व है.
- यह किसी सिस्टम या प्रोसेस को निर्देशित करने का तरीका हो सकता है.
- प्रयोजनमूलक कार्य से जीवन में व्यवस्था आती है.
- यह कार्यों की स्पष्टता को दर्शाता है.
2. प्रयोजनमूलक के उदाहरण क्या हैं?
उत्तर:
- शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान प्रदान करना है.
- स्वास्थ्य सेवाओं का उद्देश्य स्वास्थ्य बनाए रखना है.
- व्यवसायों का उद्देश्य लाभ कमाना है.
- विज्ञान का उद्देश्य सच्चाई का पता लगाना है.
- प्रशासन का उद्देश्य सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना है.
- संगीत का उद्देश्य मनोरंजन है.
- कला का उद्देश्य भावनाओं को व्यक्त करना है.
- कृतियों का उद्देश्य समाज में बदलाव लाना है.
- तकनीकी उपकरणों का उद्देश्य कार्यों को सरल बनाना है.
- शास्त्रों का उद्देश्य ज्ञान का प्रसार करना है.
3. प्रयोजनमूलक कार्य का महत्व क्या है?
उत्तर:
- समाज में कार्यों का उद्देश्य स्पष्ट होता है.
- यह कार्यों की दिशा और लक्ष्य निर्धारित करता है.
- कार्यों को व्यवस्थित करने में मदद करता है.
- जीवन में व्यवस्था और सुधार लाने के लिए उपयोगी है.
- यह समय की बचत करता है.
- संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित करता है.
- यह कार्यों के मूल्य और उद्देश्य को पहचानने में मदद करता है.
- समाज में योगदान बढ़ाता है.
- लोगों के बीच सहमति और समझ बढ़ाता है.
- यह व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में योगदान देता है.
4. प्रयोजनमूलक शिक्षा का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
- शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का प्रसार करना है.
- यह छात्रों को सामाजिक जिम्मेदारियों के लिए तैयार करता है.
- यह भविष्य के कार्यों के लिए कौशल प्रदान करता है.
- शिक्षा से आत्मनिर्भर बनने का मार्ग खुलता है.
- यह व्यक्तित्व विकास में मदद करता है.
- यह समस्या हल करने की क्षमता विकसित करता है.
- शिक्षा सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक विकास के लिए आवश्यक है.
- यह तर्कशीलता और रचनात्मकता को बढ़ावा देती है.
- यह लोगों के बीच सामूहिक समझ बढ़ाती है.
- शिक्षा समाज में बदलाव लाने का उपकरण है.
5. प्रयोजनमूलक कार्य में प्रभावी संचार का क्या महत्व है?
उत्तर:
- संचार के माध्यम से उद्देश्य को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया जा सकता है.
- यह कार्यों की दिशा को सही रूप से निर्धारित करता है.
- संचार से टीम के सभी सदस्य एक ही उद्देश्य की ओर अग्रसर होते हैं.
- यह निर्णय प्रक्रिया को तेज करता है.
- संचार की प्रभावशीलता कार्य की गुणवत्ता को बढ़ाती है.
- यह समय और संसाधन बचाने में मदद करता है.
- संचार से किसी कार्य की चुनौतियों का समाधान जल्दी होता है.
- यह सहयोग और टीम भावना को बढ़ावा देता है.
- संचार से कार्य में संभावित गलतियों से बचा जा सकता है.
- यह सभी को एक सामान्य उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन करता है.
6. प्रयोजनमूलक कार्यों का समाज पर प्रभाव क्या है?
उत्तर:
- प्रयोजनमूलक कार्य समाज में संतुलन बनाए रखते हैं.
- यह आर्थिक विकास में योगदान करते हैं.
- समाज में न्याय और समानता की भावना को बढ़ावा देते हैं.
- यह पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करते हैं.
- शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करते हैं.
- यह सामाजिक जिम्मेदारियों को समझने में मदद करते हैं.
- विभिन्न समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं.
- ये समाज में बदलाव लाने के प्रेरक होते हैं.
- यह सामाजिक संबंधों को मजबूत बनाते हैं.
- यह सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता बनाए रखते हैं.
7. प्रयोजनमूलक कार्यों में तकनीकी भूमिका क्या है?
उत्तर:
- तकनीकी उपकरण कार्यों को सरल और तेज बनाते हैं.
- यह जानकारी के प्रसार को सरल करता है.
- कार्यों के लिए सही निर्णय लेने में मदद करते हैं.
- यह कार्यों की गुणवत्ता और मानक को बनाए रखने में सहायक होते हैं.
- तकनीकी नवाचार से कार्यों की क्षमता में वृद्धि होती है.
- यह कार्यों में समय की बचत करता है.
- तकनीकी सहायता से संसाधनों का इष्टतम उपयोग होता है.
- यह कार्यों के विकास और प्रभावशीलता में वृद्धि करता है.
- तकनीकी उपकरणों का उपयोग करने से कार्य में निष्पक्षता बढ़ती है.
- यह कार्यों को प्रौद्योगिकी आधारित दृष्टिकोण से अधिक प्रभावी बनाता है.
8. प्रयोजनमूलक कार्यों के लिए टीमवर्क का महत्व क्या है?
उत्तर:
- टीमवर्क से कार्यों का परिणाम बेहतर होता है.
- यह काम को जल्दी और कुशलता से करने में मदद करता है.
- टीमवर्क से विभिन्न दृष्टिकोणों को समाहित किया जाता है.
- यह कार्यों के समयबद्ध निष्पादन में मदद करता है.
- टीमवर्क में आपसी सहयोग और समर्थन बढ़ता है.
- यह एक उद्देश्य की ओर सभी को एकजुट करता है.
- समस्याओं का समाधान टीम के सामूहिक प्रयासों से होता है.
- यह कार्यों के बोझ को साझा करता है.
- टीमवर्क से कार्यों की गुणवत्ता में सुधार होता है.
- यह टीम के प्रत्येक सदस्य की क्षमता का सर्वोत्तम उपयोग करता है.
9. प्रयोजनमूलक कार्यों में योजना का महत्व क्या है?
उत्तर:
- योजना से कार्यों का उचित रूप से संगठन होता है.
- यह समय की बचत करता है.
- योजना से कार्यों के उद्देश्य स्पष्ट होते हैं.
- यह कार्यों को प्राथमिकता में व्यवस्थित करता है.
- योजना से संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित होता है.
- यह किसी भी कार्य के लिए रोडमैप प्रदान करता है.
- योजना से अनावश्यक गलतियों से बचा जा सकता है.
- यह कार्यों के प्रभावी निगरानी की अनुमति देती है.
- योजना से कार्यों की सफलता की संभावना बढ़ जाती है.
- यह जोखिम को कम करता है.
10. प्रयोजनमूलक कार्यों का व्यवसाय पर प्रभाव क्या है?
उत्तर:
- यह व्यवसाय के उद्देश्यों को स्पष्ट करता है.
- कार्यों की सफलता के लिए आवश्यक संसाधनों की पहचान करता है.
- यह समय की प्रबंधन को सटीक बनाता है.
- व्यवसाय की रणनीतियों को सुदृढ़ करता है.
- यह कर्मचारियों के कौशल विकास में मदद करता है.
- यह ग्राहक संतुष्टि को सुनिश्चित करता है.
- व्यवसाय की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ाता है.
- यह लाभप्रदता को बढ़ाता है.
- यह व्यापार प्रक्रियाओं को बेहतर बनाता है.
- यह दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए आधार तैयार करता है.
11. प्रयोजनमूलक शिक्षा से समाज में क्या सुधार होते हैं?
उत्तर:
- यह सामाजिक समझ और सहिष्णुता को बढ़ाता है.
- यह समाज में समानता की भावना को बढ़ावा देता है.
- यह व्यक्तियों को जिम्मेदारी निभाने की शिक्षा देता है.
- यह संघर्षों के समाधान में मदद करता है.
- शिक्षा से लोग समाज की चुनौतियों को बेहतर समझते हैं.
- यह सार्वजनिक सेवाओं में सुधार करता है.
- यह समाज में नवाचार और सृजनात्मकता को बढ़ावा देता है.
- यह आर्थिक और सामाजिक असमानताओं को कम करता है.
- यह सामाजिक रिश्तों को मजबूत करता है.
- यह समाज में न्याय और सुरक्षा को बढ़ावा देता है.
12. प्रयोजनमूलक कार्यों में लक्ष्य निर्धारण का क्या महत्व है?
उत्तर:
- लक्ष्य निर्धारण से कार्यों की दिशा स्पष्ट होती है.
- यह संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित करता है.
- यह कार्यों के परिणामों की पहचान करता है.
- लक्ष्य निर्धारित करना सफलता के लिए आवश्यक है.
- यह समय प्रबंधन में मदद करता है.
- लक्ष्य की स्पष्टता से कार्यों की प्राथमिकता तय होती है.
- यह टीम के प्रयासों को एकजुट करता है.
- यह कार्यों की निगरानी को सरल बनाता है.
- लक्ष्य की स्पष्टता कार्यों की गुणवत्ता बढ़ाती ह