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प्रतिस्पर्धा में आगे: समाजशास्त्र का दैनिक परीक्षण

प्रतिस्पर्धा में आगे: समाजशास्त्र का दैनिक परीक्षण

नमस्ते, भावी समाजशास्त्रियों! आज एक बार फिर आपके ज्ञान को परखने और आपकी अवधारणात्मक स्पष्टता को मजबूत करने का समय आ गया है। ये 25 प्रश्न आपके अध्ययन की गहराई का मूल्यांकन करेंगे और आपको उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करेंगे जहाँ और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। तो, कमर कस लीजिए और इस बौद्धिक यात्रा के लिए तैयार हो जाइए!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (social facts) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसका अर्थ है कि ये ऐसे तरीके हैं जिनसे व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करने वाली बाहरी संरचनाएं या मानदंड विद्यमान होते हैं?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. जॉर्ज सिमेल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा पेश की। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य समाज में मौजूद ऐसे तरीके हैं जिनसे व्यक्ति का व्यवहार प्रभावित होता है, और ये व्यक्ति से स्वतंत्र, बाहरी तथा बाध्यकारी होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृति ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया। उनका मानना था कि समाजशास्त्र को विज्ञान की तरह सामाजिक तथ्यों का वस्तुनिष्ठ अध्ययन करना चाहिए।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर ध्यान केंद्रित करते थे। मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) यानी व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर जोर दिया, जबकि दुर्खीम वस्तुनिष्ठता पर। जॉर्ज सिमेल ने ‘सामाजिक स्वरूपों’ (forms of social interaction) का अध्ययन किया।

प्रश्न 2: किस समाजशास्त्री ने ‘ज्ञानोदय’ (enlightenment) के प्रभाव को समाजशास्त्र के विकास से जोड़ा और समाज को एक ‘कार्बनिक एकता’ (organic solidarity) के रूप में देखा, जहाँ विभिन्न अंग मिलकर कार्य करते हैं?

  1. ऑगस्ट कॉम्टे
  2. हरबर्ट स्पेंसर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. कार्ल मार्क्स

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने समाज को एक ‘कार्बनिक एकता’ के रूप में वर्णित किया। उन्होंने दर्शाया कि आधुनिक समाजों में, श्रम के विभाजन के कारण लोग एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं, ठीक उसी तरह जैसे मानव शरीर के विभिन्न अंग एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। यह ‘यांत्रिक एकता’ (mechanical solidarity) के विपरीत है जो पारंपरिक समाजों में पाई जाती थी।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में इस विचार को प्रस्तुत किया। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि ज्ञानोदय ने तर्कसंगतता को बढ़ावा दिया, जिसने सामाजिक व्यवस्था को बदलने में भूमिका निभाई।
  • गलत विकल्प: ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘प्रतिकात्मक समाजशास्त्र’ (sociology as positivism) का विचार दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने ‘सामाजिक डार्विनवाद’ (Social Darwinism) का सिद्धांत दिया। कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष पर था।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘प्रोटेस्टेंट नीतिशास्त्र और पूंजीवाद की आत्मा’ (The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism) नामक पुस्तक में उन्होंने किस प्रकार के ‘करिश्माई अधिकार’ (charismatic authority) का विश्लेषण किया?

  1. कानूनी-तर्कसंगत अधिकार (Legal-Rational Authority)
  2. पारंपरिक अधिकार (Traditional Authority)
  3. करिश्माई अधिकार (Charismatic Authority)
  4. नौकरशाही अधिकार (Bureaucratic Authority)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने तीन प्रकार के आदर्श अधिकार (ideal types of authority) बताए: पारंपरिक, करिश्माई और कानूनी-तर्कसंगत। उनकी पुस्तक ‘प्रोटेस्टेंट नीतिशास्त्र और पूंजीवाद की आत्मा’ में, उन्होंने दिखाया कि कैसे कुछ प्रोटेस्टेंट उपदेशों (जैसे कैल्विनवाद) ने लोगों के काम करने के तरीके को प्रभावित किया, जिससे ‘पूंजीवाद की आत्मा’ का विकास हुआ। यह सीधे तौर पर करिश्माई अधिकार का विश्लेषण नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे विशिष्ट धार्मिक विश्वास (एक प्रकार का करिश्माई तत्व) आर्थिक व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं। हालाँकि, प्रश्न ‘करिश्माई अधिकार’ के प्रकार के विश्लेषण के बारे में है, जो उनकी अधिकार के प्रकारों की अवधारणा का हिस्सा है। वेबर ने स्वयं करिश्माई अधिकार को असाधारण व्यक्तिगत गुणों पर आधारित माना।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने करिश्माई अधिकार को किसी व्यक्ति की असाधारण क्षमता, जैसे नायकत्व, पवित्रता या आदर्श के प्रति समर्पण से उत्पन्न होने वाले अधिकार के रूप में परिभाषित किया। उनके अनुसार, यह अधिकार अनुयायियों की निष्ठा पर आधारित होता है।
  • गलत विकल्प: कानूनी-तर्कसंगत अधिकार नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित है। पारंपरिक अधिकार रीति-रिवाजों और वंशानुगतता पर आधारित है। नौकरशाही अधिकार कानूनी-तर्कसंगत अधिकार का एक विशिष्ट रूप है।

  • प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा शब्द ‘आत्म-पूर्ण भविष्यवाणी’ (self-fulfilling prophecy) का सबसे अच्छा वर्णन करता है, जैसा कि रॉबर्ट किंग मर्टन ने सामाजिक वास्तविकता के संबंध में प्रयोग किया?

    1. एक ऐसा विश्वास जो समाज द्वारा निर्मित होता है और फिर समाज के व्यवहार को प्रभावित करता है, जिससे वह विश्वास सत्य हो जाता है।
    2. एक भविष्यवाणी जो किसी व्यक्ति की इच्छाओं के आधार पर की जाती है।
    3. एक वैज्ञानिक भविष्यवाणी जो डेटा के आधार पर की जाती है।
    4. एक झूठा अलार्म या गलत सूचना।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ‘आत्म-पूर्ण भविष्यवाणी’ एक ऐसी भविष्यवाणी है जो शुरू में गलत होती है, लेकिन उस भविष्यवाणी के कारण होने वाले व्यवहार में बदलाव के परिणामस्वरूप अंततः सत्य हो जाती है। रॉबर्ट किंग मर्टन ने इस अवधारणा को सामाजिक व्यवहार की व्याख्या के लिए प्रस्तुत किया।
    • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अपनी पुस्तक ‘सामाजिक सिद्धांत और सामाजिक संरचना’ (Social Theory and Social Structure) में इस पर चर्चा की। एक प्रसिद्ध उदाहरण है कि बैंक में अचानक अफवाह फैल जाती है कि वह दिवालिया होने वाला है। लोग घबराकर अपना पैसा निकालने लगते हैं, जिससे बैंक वास्तव में दिवालिया हो जाता है।
    • गलत विकल्प: (b) इच्छाओं पर आधारित भविष्यवाणी, (c) डेटा-आधारित भविष्यवाणी, और (d) झूठा अलार्म – ये सभी ‘आत्म-पूर्ण भविष्यवाणी’ के मुख्य विचार से भिन्न हैं, जो भविष्यवाणी और उसके कारण होने वाले व्यवहार के बीच के संबंध पर केंद्रित है।

    प्रश्न 5: भारतीय समाज में, ‘जाति’ (caste) को अक्सर एक ‘विस्तृत परिवार’ (extended family) के साथ तुलनात्मक रूप से देखा जाता है क्योंकि दोनों में निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता समान है?

    1. व्यक्तिगत स्वतंत्रता
    2. लचीली सदस्यता
    3. जन्म पर आधारित सदस्यता
    4. गतिशील सामाजिक गतिशीलता

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जाति और विस्तृत परिवार दोनों की सदस्यता मुख्य रूप से जन्म पर आधारित होती है। व्यक्ति जिस जाति या परिवार में जन्म लेता है, वह प्रायः आजीवन बनी रहती है, और इसमें परिवर्तन या सदस्यता में बदलाव की गुंजाइश बहुत कम होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह विशेषता भारतीय सामाजिक संरचना को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। विस्तृत परिवार में, सदस्य एक ही छत के नीचे या एक साथ मिलकर रहते हैं, और उनके जीवन, विवाह और व्यवसाय अक्सर परिवार के निर्णयों से बंधे होते हैं। इसी प्रकार, जाति व्यवस्था में भी सदस्यता जन्म से तय होती है, जिसके साथ ही व्यवसाय, खान-पान और सामाजिक संबंधों के नियम जुड़े होते हैं।
    • गलत विकल्प: व्यक्तिगत स्वतंत्रता, लचीली सदस्यता और गतिशील सामाजिक गतिशीलता – ये सभी लक्षण सामान्यतः जाति और विस्तृत परिवार के बजाय आधुनिक, पश्चिमी समाजों या विशिष्ट प्रकार के समूहों में पाए जाते हैं।

    प्रश्न 6: ‘अमीबा’ (amoebe) की अवधारणा, जिसे समाजशास्त्री सी. राइट मिल्स ने ‘पावर एलीट’ (Power Elite) के संदर्भ में प्रस्तुत किया, किसके महत्व पर जोर देती है?

    1. राजनीतिक नेताओं का समूह
    2. सैन्य जनरल और कॉर्पोरेट प्रमुखों का संभ्रांत समूह
    3. उच्च पदों पर बैठे कुछ व्यक्तियों का छोटा, एकजुट समूह जो महत्वपूर्ण निर्णय लेता है।
    4. व्यापक जनसमूह का प्रभाव

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सी. राइट मिल्स ने ‘अमीबा’ शब्द का प्रयोग नहीं किया था। उन्होंने ‘शक्ति अभिजात वर्ग’ (Power Elite) की अवधारणा दी, जिसमें सैन्य, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों के शीर्ष व्यक्तियों का एक छोटा, एकीकृत समूह शामिल है जो अमेरिकी समाज में प्रमुख निर्णय लेता है। यह प्रश्न संभवतः मिल्स की ‘पावर एलीट’ अवधारणा से संबंधित है, लेकिन ‘अमीबा’ शब्द का उल्लेख गलत है। यदि प्रश्न का तात्पर्य शक्ति के केंद्रीकरण से है, तो (c) सबसे नज़दीकी है।
    • संदर्भ और विस्तार: मिल्स ने अपनी पुस्तक ‘द पावर एलीट’ (1956) में तर्क दिया कि शक्ति कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों के हाथों में केंद्रित हो गई है, और वे अक्सर एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। वे बड़े संगठनों के शीर्ष पर बैठते हैं और समाज की दिशा को नियंत्रित करते हैं।
    • गलत विकल्प: (a) राजनीतिक नेताओं का समूह शक्ति अभिजात वर्ग का केवल एक हिस्सा है। (b) सैन्य जनरल और कॉर्पोरेट प्रमुख शक्ति अभिजात वर्ग के महत्वपूर्ण घटक हैं, लेकिन यह परिभाषा अधूरी है। (d) व्यापक जनसमूह का प्रभाव शक्ति अभिजात वर्ग के विपरीत है।

    प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता ‘आधुनिकता’ (modernity) की नहीं है?

    1. तर्कसंगतता और वैज्ञानिकता
    2. औद्योगीकरण और शहरीकरण
    3. व्यक्तिवाद और धर्मनिरपेक्षता
    4. पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण आधुनिकता की विशेषता नहीं है, बल्कि आधुनिकता पारंपरिक संरचनाओं के क्षरण या परिवर्तन से जुड़ी है।
    • संदर्भ और विस्तार: आधुनिकता 18वीं शताब्दी के ज्ञानोदय के बाद से पश्चिमी समाजों में आए बड़े पैमाने पर सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवर्तनों को संदर्भित करती है। इसमें तर्कसंगतता, विज्ञान, औद्योगीकरण, शहरीकरण, व्यक्तिवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्रीकरण जैसी विशेषताएं शामिल हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी आधुनिकता की प्रमुख विशेषताएं हैं।

    प्रश्न 8: ‘संस्कृति’ (culture) की समाजशास्त्रीय समझ के अनुसार, यह निम्नलिखित में से किसे शामिल करती है?

    1. केवल कला, संगीत और साहित्य
    2. केवल भौतिक वस्तुएँ जैसे औजार और भवन
    3. भौतिक और अभौतिक दोनों तत्व, जैसे विश्वास, मूल्य, भाषा, कला और औजार
    4. केवल व्यवहार के पैटर्न

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: समाजशास्त्र में, संस्कृति में समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए जाने वाले सभी सीखे हुए व्यवहार, विश्वास, मूल्य, भाषा, कला, रीति-रिवाज, ज्ञान, औजार और अन्य भौतिक वस्तुएं शामिल होती हैं। यह भौतिक (material) और अभौतिक (non-material) दोनों है।
    • संदर्भ और विस्तार: संस्कृति वह सब कुछ है जो समाज अपने सदस्यों को पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित करता है। यह समाज को एक पहचान प्रदान करती है और सदस्यों को संवाद करने व एक साथ रहने में मदद करती है।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) संस्कृति के केवल कुछ पहलुओं पर जोर देते हैं, जबकि समाजशास्त्रीय परिभाषा अधिक व्यापक है।

    प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सिंबॉलिक इंटरैक्शनिज़्म’ (Symbolic Interactionism) विचारधारा से सबसे निकटता से जुड़ा हुआ है?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. कार्ल मार्क्स
    3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
    4. टैल्कॉट पार्सन्स

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने समझाया कि कैसे व्यक्ति समाज में प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से बातचीत करते हैं और अपना ‘स्व’ (self) विकसित करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: मीड ने ‘स्व’ (self) के विकास को सामाजिक प्रक्रिया का परिणाम बताया, जो अंतःक्रिया के माध्यम से होता है। उन्होंने ‘आई’ (I) और ‘मी’ (Me) की अवधारणाएं दीं, जहाँ ‘आई’ हमारी तात्कालिक प्रतिक्रिया है और ‘मी’ समाज द्वारा आंतरिककृत दृष्टिकोण है।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम संरचनात्मक प्रकार्यवाद से, मार्क्स संघर्ष सिद्धांत से, और पार्सन्स प्रकार्यवाद से जुड़े हैं।

    प्रश्न 10: भारत में ‘जाति व्यवस्था’ (caste system) की सबसे प्रमुख विशेषता क्या है, जो इसे अन्य सामाजिक स्तरीकरण प्रणालियों से अलग करती है?

    1. वर्ग पर आधारित स्तरीकरण
    2. वंशानुक्रम द्वारा सदस्यता का निर्धारण
    3. खुला सामाजिक गतिशीलता
    4. आर्थिक असमानता

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जाति व्यवस्था की सबसे विशिष्ट विशेषता यह है कि इसकी सदस्यता जन्म से निर्धारित होती है (वंशानुक्रम)। व्यक्ति जिस जाति में पैदा होता है, वही उसकी सामाजिक पहचान, व्यवसाय, विवाह और सामाजिक अंतःक्रिया के नियमों को निर्धारित करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह वंशानुक्रम आधारित कठोरता ही जाति व्यवस्था को वर्ग-आधारित या अन्य स्तरीकरण प्रणालियों से भिन्न करती है, जहाँ कुछ हद तक सामाजिक गतिशीलता संभव होती है।
    • गलत विकल्प: (a) जाति वंशानुक्रम पर आधारित है, वर्ग पर नहीं। (c) जाति व्यवस्था में सामाजिक गतिशीलता अत्यंत सीमित और कठिन होती है। (d) आर्थिक असमानता सभी स्तरीकरण प्रणालियों में पाई जाती है, लेकिन वंशानुक्रम जाति की विशिष्टता है।

    प्रश्न 11: ‘एनोमी’ (anomie) की अवधारणा, जिसका अर्थ है सामाजिक मानदंडों की कमी या क्षरण, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. मैक्स वेबर
    3. ई. डेरेनडॉर्फ़
    4. एमिल दुर्खीम

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा का प्रयोग सामाजिक विघटन और व्यक्तिगत दिशाहीनता की स्थिति का वर्णन करने के लिए किया, जब समाज के नियम कमजोर पड़ जाते हैं या व्यक्तियों के लिए स्पष्ट नहीं रह जाते।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृतियों, विशेषकर ‘आत्महत्या’ (Suicide) में, दिखाया कि कैसे एनोमी आत्महत्या की दर को बढ़ा सकती है, खासकर तब जब समाज में तीव्र परिवर्तन या अनिश्चितता हो।
    • गलत विकल्प: मार्क्स संघर्ष सिद्धांत, वेबर व्यक्तिपरक अर्थ और नौकरशाही, और डेरेनडॉर्फ़ संघर्ष सिद्धांत के अन्य पहलुओं से जुड़े हैं।

    प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सामाजिक स्तरीकरण (social stratification) के एक प्रकार का उदाहरण नहीं है?

    1. दास प्रथा (Slavery)
    2. जाति (Caste)
    3. वर्ग (Class)
    4. समूह (Group)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ‘समूह’ (group) सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रकार नहीं है। समूह सामाजिक संगठन की एक मौलिक इकाई है, लेकिन यह अपने आप में स्तरीकरण का एक ढांचा नहीं है।
    • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यक्तियों और समूहों को उनकी शक्ति, धन, प्रतिष्ठा या अन्य संसाधनों के आधार पर पदानुक्रमित स्तरों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। दास प्रथा, जाति और वर्ग स्तरीकरण के प्रमुख रूप हैं।
    • गलत विकल्प: दास प्रथा, जाति और वर्ग सभी समाज में संसाधनों और शक्ति के असमान वितरण को दर्शाते हैं, जो स्तरीकरण के उदाहरण हैं।

    प्रश्न 13: ‘रैंकिंग’ (ranking) और ‘विभेद’ (differentiation) की प्रक्रियाएं किस समाजशास्त्रीय अवधारणा से संबंधित हैं, जो समाज में भूमिकाओं के निर्धारण और पद के क्रम से जुड़ी है?

    1. सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility)
    2. सामाजिक संरचना (Social Structure)
    3. सामाजिक नियंत्रण (Social Control)
    4. सामाजिक संस्था (Social Institution)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ‘सामाजिक संरचना’ (social structure) वह अंतर्निहित ढांचा है जो समाज के विभिन्न तत्वों (जैसे भूमिकाएं, समूह, संस्थान) को व्यवस्थित करता है और उनके बीच संबंधों को परिभाषित करता है। रैंकिंग और विभेद सामाजिक संरचना के निर्माण खंड हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संरचना यह बताती है कि समाज के सदस्य कैसे पदानुक्रमित रूप से व्यवस्थित हैं और विभिन्न भूमिकाएं कैसे भरी जाती हैं।
    • गलत विकल्प: (a) सामाजिक गतिशीलता एक व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन है। (c) सामाजिक नियंत्रण वह प्रक्रिया है जिससे समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करता है। (d) सामाजिक संस्थाएं समाज के प्रमुख क्षेत्रों (जैसे परिवार, शिक्षा) के संगठित पैटर्न हैं।

    प्रश्न 14: भारतीय समाज में ‘पश्चिम-करण’ (Westernization) की अवधारणा, जिसे एम.एन. श्रीनिवास ने लोकप्रिय बनाया, का अर्थ है:

    1. सभी जातियों द्वारा उच्च जाति के रीति-रिवाजों को अपनाना।
    2. पश्चिमी देशों के रीति-रिवाजों, जीवन शैली और मूल्यों को अपनाना।
    3. ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों की जीवन शैली का प्रसार।
    4. ज्ञानोदय के विचारों को अपनाना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: पश्चिम-करण का अर्थ है ब्रिटिश शासन और उसके बाद पश्चिमी देशों के प्रभाव के कारण भारतीय समाज में पश्चिमी जीवन शैली, व्यवहार, रीति-रिवाजों, प्रौद्योगिकी और विचारों का अपनाना।
    • संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘भारत में सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change in Modern India) में इस अवधारणा पर चर्चा की। यह संस्कृतिकरण (Sanskritization) के विपरीत है।
    • गलत विकल्प: (a) संस्कृतिकरण की परिभाषा है। (c) शहरीकरण का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह पश्चिम-करण का पूर्ण अर्थ नहीं है। (d) ज्ञानोदय के विचारों को अपनाना आधुनिकता का एक हिस्सा है, लेकिन पश्चिम-करण अधिक व्यापक है।

    प्रश्न 15: दुर्खीम के अनुसार, ‘यंत्रवत एकता’ (mechanical solidarity) की विशेषता वाले समाज मुख्य रूप से किस पर आधारित होते हैं?

    1. श्रम का जटिल विभाजन
    2. उच्च स्तर का व्यक्तिवाद
    3. समान विश्वास, मूल्य और सामूहिक चेतना
    4. विशेषज्ञता और परस्पर निर्भरता

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: यंत्रवत एकता पारंपरिक समाजों में पाई जाती है, जहाँ लोग अपनी समानताओं, विश्वासों, मूल्यों और एक मजबूत ‘सामूहिक चेतना’ (collective consciousness) के कारण एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘समाज में श्रम विभाजन’ पुस्तक में तर्क दिया कि यंत्रवत एकता के समाज में, व्यक्तियों के बीच अंतर कम होता है, और समूह की भावना प्रबल होती है।
    • गलत विकल्प: (a) और (d) श्रम का विभाजन और विशेषज्ञता ‘कार्बनिक एकता’ (organic solidarity) की विशेषताएं हैं जो आधुनिक समाजों में पाई जाती हैं। (b) व्यक्तिवाद आधुनिक समाजों की विशेषता है, न कि पारंपरिक समाजों की।

    प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘परिवार’ (family) का समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से सही वर्णन है?

    1. सभी लोग जो एक घर में एक साथ रहते हैं।
    2. रक्त, विवाह या गोद लेने के माध्यम से संबंधित व्यक्तियों का एक समूह।
    3. केवल माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे।
    4. एक यौन संबंध जो समाज द्वारा स्वीकृत है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: समाजशास्त्र में, परिवार को आमतौर पर रक्त संबंध, विवाह या गोद लेने के माध्यम से जुड़े लोगों के एक सामाजिक समूह के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो बच्चों के जन्म, पालन-पोषण और सामाजिककरण की जिम्मेदारी साझा करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा परिवार के विभिन्न रूपों (जैसे एकल परिवार, विस्तृत परिवार, समलैंगिक जोड़ों द्वारा पालित बच्चे) को शामिल करती है।
    • गलत विकल्प: (a) एक ही घर में रहने वाले सभी लोग परिवार नहीं होते (जैसे किराएदार)। (c) यह केवल ‘नाभिकीय परिवार’ (nuclear family) की संकीर्ण परिभाषा है। (d) यौन संबंध परिवार का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह परिवार की पूरी परिभाषा नहीं है।

    प्रश्न 17: ‘ज्ञान का सामाजिक निर्माण’ (social construction of knowledge) का विचार किस समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य (perspective) से सबसे अधिक जुड़ा है?

    1. संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
    2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
    3. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
    4. घटना विज्ञान (Phenomenology)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद इस बात पर जोर देता है कि ज्ञान, वास्तविकता और समाज को व्यक्तियों के बीच निरंतर प्रतीकात्मक अंतःक्रिया के माध्यम से निर्मित किया जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इस दृष्टिकोण के अनुसार, हम जो कुछ भी ‘सत्य’ या ‘वास्तविक’ मानते हैं, वह हमारे सामाजिक अनुभवों और अंतःक्रियाओं से आकार लेता है।
    • गलत विकल्प: संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को एक प्रणाली के रूप में देखता है। संघर्ष सिद्धांत शक्ति और असमानता पर केंद्रित है। घटना विज्ञान व्यक्ति के सचेत अनुभव पर जोर देता है।

    प्रश्न 18: ‘सामूहिक उन्माद’ (collective effervescence) की अवधारणा, जिसे एमिल दुर्खीम ने धर्म और अनुष्ठानों के संदर्भ में समझाया, समाजशास्त्रीय रूप से क्या दर्शाती है?

    1. व्यक्तिगत रूप से धर्म का अनुभव।
    2. समूह के सदस्यों के बीच साझा भावनाओं और ऊर्जा का तीव्र अनुभव।
    3. धार्मिक नेताओं द्वारा जनता का हेरफेर।
    4. धर्म की घटती प्रासंगिकता।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामूहिक उन्माद एक ऐसी स्थिति है जब किसी समूह के सदस्य एक साथ मिलकर किसी अनुष्ठान या गतिविधि में भाग लेते हैं, जिससे उनके बीच साझा भावनाओं, उत्साह और एक-दूसरे से जुड़ाव की तीव्र अनुभूति होती है। यह सामूहिक चेतना को मजबूत करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने इसे अपनी पुस्तक ‘धार्मिक जीवन के प्राथमिक रूप’ (The Elementary Forms of Religious Life) में समझाया, जहाँ उन्होंने तर्क दिया कि इस तरह की सामूहिक उत्तेजना ही पवित्र (sacred) और धर्म की अवधारणाओं को जन्म देती है।
    • गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत अनुभव, (c) हेरफेर, और (d) घटती प्रासंगिकता – ये सामूहिक उन्माद के विचार के विपरीत या उससे भिन्न हैं।

    प्रश्न 19: निम्न में से कौन सी ‘सामाजिक संस्था’ (social institution) नहीं है?

    1. परिवार
    2. धर्म
    3. अर्थव्यवस्था
    4. शहरीकृत पड़ोस

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ‘शहरीकृत पड़ोस’ (urbanized neighborhood) एक भौगोलिक और सामाजिक क्षेत्र है, लेकिन यह परिवार, धर्म या अर्थव्यवस्था की तरह एक संगठित और स्थापित सामाजिक संस्था नहीं है।
    • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संस्थाएं समाज के प्रमुख क्षेत्रों में व्यवस्थित और स्थायी पैटर्न हैं जो सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। वे स्थापित मानदंडों, मूल्यों और भूमिकाओं का एक सेट होती हैं।
    • गलत विकल्प: परिवार, धर्म और अर्थव्यवस्था समाज की मूलभूत संस्थाएं हैं क्योंकि वे लोगों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सुसंगत तरीके से कार्य करती हैं।

    प्रश्न 20: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (social mobility) से क्या तात्पर्य है?

    1. एक समाज में लोगों की आवाजाही।
    2. सामाजिक स्तरीकरण के विभिन्न स्तरों के बीच व्यक्तियों या समूहों की स्थिति में परिवर्तन।
    3. समाज में व्यक्तियों की भूमिकाओं में बदलाव।
    4. किसी समाज का समय के साथ बदलना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन, या तो ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे की ओर) या क्षैतिज (एक ही स्तर पर एक समूह से दूसरे समूह में) रूप से।
    • संदर्भ और विस्तार: यह परिवर्तन आय, व्यवसाय, शिक्षा या सामाजिक वर्ग जैसे कारकों से जुड़ा हो सकता है।
    • गलत विकल्प: (a) लोगों की आवाजाही को प्रवासन (migration) कहते हैं। (c) भूमिकाओं में बदलाव अलग है। (d) समाज का बदलना सामाजिक परिवर्तन (social change) है।

    प्रश्न 21: ‘वर्ग संघर्ष’ (class struggle) की अवधारणा, जो सामाजिक परिवर्तन के लिए एक मुख्य चालक है, किस समाजशास्त्रीय सिद्धांत का केंद्रीय तत्व है?

    1. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
    2. संरचनात्मक प्रकार्यवाद
    3. मार्क्सवाद
    4. सामाजिक निर्माणवाद

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ‘वर्ग संघर्ष’ कार्ल मार्क्स के मार्क्सवादी सिद्धांत का केंद्रीय विचार है। मार्क्स ने तर्क दिया कि इतिहास वर्गों के बीच संघर्ष का इतिहास है, विशेष रूप से बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच।
    • संदर्भ और विस्तार: उनके अनुसार, यह संघर्ष ही पूंजीवाद को उखाड़ फेंकता है और अंततः साम्यवाद की ओर ले जाता है।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प समाज को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखते हैं, लेकिन वर्ग संघर्ष पर उतना जोर नहीं देते जितना मार्क्सवाद देता है।

    प्रश्न 22: ‘धर्मनिरपेक्षता’ (secularization) के समाजशास्त्रीय अर्थ में, इसका तात्पर्य है:

    1. समाज में धर्म की बढ़ती शक्ति और प्रभाव।
    2. समाज में धर्म की भूमिका और प्रभाव में कमी।
    3. धार्मिक संस्थानों का राजनीतिक संस्थानों में विलय।
    4. सभी धर्मों का समन्वय।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: धर्मनिरपेक्षता एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें धर्म का सार्वजनिक जीवन, राजनीति, शिक्षा और संस्कृति में महत्व और प्रभाव कम हो जाता है, और समाज अधिक तर्कसंगत और गैर-धार्मिक आधारों पर व्यवस्थित होने लगता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह समाजशास्त्रीय अध्ययन का एक प्रमुख विषय रहा है, जिसमें विभिन्न दृष्टिकोण हैं कि धर्म का क्या भविष्य है।
    • गलत विकल्प: (a) यह धर्मनिरपेक्षता के विपरीत है। (c) और (d) धर्मनिरपेक्षता के प्रत्यक्ष अर्थ नहीं हैं।

    प्रश्न 23: सामाजिक अनुसंधान में, ‘चर’ (variables) को कैसे परिभाषित किया जाता है?

    1. शोधकर्ता के विचार।
    2. वह इकाई जिसे मापा जा सकता है और जो बदल सकती है।
    3. शोध का निष्कर्ष।
    4. सर्वेक्षण के प्रश्न।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एक चर (variable) एक विशेषता या गुण है जिसे मापा जा सकता है और जो दो या दो से अधिक मान ले सकता है। सामाजिक अनुसंधान में, चर का उपयोग उन कारकों के बीच संबंधों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है जो सामाजिक घटनाओं को प्रभावित करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, आयु, आय, शिक्षा का स्तर, या किसी विशेष दृष्टिकोण के प्रति सहमति चर हो सकते हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) शोध प्रक्रिया के अन्य तत्व हैं, लेकिन चर की परिभाषा नहीं हैं।

    प्रश्न 24: ‘आधुनिकीकरण’ (modernization) की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?

    1. यह अक्सर औद्योगीकरण और शहरीकरण से जुड़ा होता है।
    2. इसमें आम तौर पर तर्कसंगतता और नौकरशाही का उदय शामिल होता है।
    3. यह पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं को मजबूत करता है।
    4. यह अक्सर शिक्षा और प्रौद्योगिकी के प्रसार की ओर ले जाता है।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं को मजबूत नहीं करती है, बल्कि उन्हें अक्सर बदलती या कमजोर करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण व्यापक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की प्रक्रिया है जो पारंपरिक समाजों को आधुनिक, औद्योगिक और तर्कसंगत समाजों में परिवर्तित करती है। इसमें औद्योगीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार, धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिवाद शामिल हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी आधुनिकीकरण की विशेषताएं हैं।

    प्रश्न 25: ‘संस्कृति का भौतिक’ (material culture) और ‘अभौतिक’ (non-material culture) में भेद किसने किया?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. विलियम ग्राहम समनर
    3. रॉबर्ट ई. पार्क
    4. कार्ल मार्क्स

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक ‘फोल्कवेज़’ (Folkways) में संस्कृति के दो मुख्य घटकों – भौतिक संस्कृति (जैसे औजार, भवन) और अभौतिक संस्कृति (जैसे विश्वास, मूल्य, भाषा) – के बीच अंतर किया।
    • संदर्भ और विस्तार: समनर ने फोल्कवेज़ (folkways) को समाज में सामान्य, दैनिक प्रथाओं और विश्वासों के रूप में परिभाषित किया, जो सामाजिक संगठन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम सामाजिक तथ्यों, मार्क्स वर्ग संघर्ष, और पार्क को सामाजिक पारिस्थितिकी (social ecology) से जोड़ा जाता है, लेकिन संस्कृति के भौतिक/अभौतिक भेद पर समनर का काम सबसे प्रमुख है।

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