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पॉलिटी महारथी बनिए: दैनिक संविधान अभ्यास!

पॉलिटी महारथी बनिए: दैनिक संविधान अभ्यास!

लोकतंत्र के इस विशाल और जटिल ताने-बाने को समझना प्रत्येक जागरूक नागरिक और महत्वाकांक्षी परीक्षार्थी के लिए अनिवार्य है। क्या आप अपने संवैधानिक ज्ञान की गहराई और सटीकता को परखने के लिए तैयार हैं? आइए, आज के इस विशेष प्रश्नोत्तरी के साथ भारतीय राजव्यवस्था की अपनी समझ को और मजबूत करें और अपनी वैचारिक स्पष्टता को निखारें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘संप्रभुता, समाजवाद, पंथनिरपेक्षता और अखंडता’ शब्दों को किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 97वां संशोधन अधिनियम, 2011

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘संप्रभुता, समाजवाद, पंथनिरपेक्षता और अखंडता’ शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था। यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान पारित किया गया था और इसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारत के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक स्वरूप को और अधिक स्पष्ट करना था। ‘समाजवाद’ का अर्थ है कि उत्पादन के साधनों पर राज्य का नियंत्रण हो और धन का समान वितरण हो। ‘पंथनिरपेक्षता’ का अर्थ है कि राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है और वह सभी धर्मों को समान मानता है। ‘अखंडता’ का अर्थ है कि भारत किसी भी विदेशी शक्ति को अपने क्षेत्र का कोई भी हिस्सा सौंपेगा नहीं।
  • गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 73वें संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया। 97वें संशोधन ने सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
  3. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)
  4. भारत में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर किसी भी नागरिक के विरुद्ध विभेद का प्रतिषेध करता है, केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। यह अनुच्छेद विदेशियों पर लागू नहीं होता।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक और बिना हथियारों के एकत्र होने, संघ बनाने, भारत में कहीं भी आने-जाने, बसने और व्यवसाय करने की स्वतंत्रता) भी केवल भारतीय नागरिकों के लिए है, लेकिन प्रश्न में दिए गए विकल्पों में से अनुच्छेद 15 सबसे विशिष्ट है जो केवल नागरिकों को प्राप्त है और विदेशियों को नहीं। (सुप्रीम कोर्ट ने कुछ न्यायिक निर्णयों के माध्यम से अनुच्छेद 19 के कुछ पहलुओं को विदेशियों के लिए भी विस्तारित किया है, लेकिन मूल रूप से यह नागरिकों के लिए है)। हालांकि, अनुच्छेद 15 सीधे तौर पर केवल नागरिकों को ही दिया गया है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 और 21 सभी व्यक्तियों के लिए हैं। अनुच्छेद 19 भी मूल रूप से नागरिकों के लिए है, लेकिन अनुच्छेद 15 विशुद्ध रूप से नागरिकों का विशेषाधिकार है।

प्रश्न 3: राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग लेते हैं?

  1. संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य
  2. राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य
  3. दिल्ली और पुदुचेरी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
  4. सभी विकल्प सही हैं

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति के चुनाव में केवल संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य तथा राज्यों की विधानसभाओं (राज्यों की विधान परिषदों के नहीं) के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। यह अनुच्छेद 54 में वर्णित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: 70वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा दिल्ली और पुदुचेरी के संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों को भी राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया है। अतः, सही उत्तर होना चाहिए (a) और (c) को मिलाकर। लेकिन दिए गए विकल्पों में, केवल (a) ही आंशिक रूप से सही है, और (c) को 70वें संशोधन ने जोड़ा है। सबसे व्यापक रूप से, निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। यदि प्रश्न यह पूछता कि ‘कौन भाग लेते हैं’ और विकल्पों में ‘संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य’ होता, तो वह सटीक उत्तर होता। दिए गए विकल्पों में, (a) केवल संसद के सदस्यों का उल्लेख करता है, जो अधूरा है। (c) दिल्ली और पुदुचेरी का उल्लेख करता है। सबसे सटीक उत्तर वह होगा जो सभी निर्वाचित सदस्यों को शामिल करे। यदि हम दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त चुनें, तो यह राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल के दायरे को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करते। प्रश्न में संभवतः ‘राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य’ शामिल होना चाहिए था। यदि हम इन विकल्पों में से सबसे सही चुनें, तो यह जटिल है। सामान्यतः, (a) में संसद के निर्वाचित सदस्य शामिल हैं। (c) में दिल्ली और पुदुचेरी के निर्वाचित सदस्य भी शामिल हैं। अतः, (a) और (c) मिलकर अधिक सही होते। लेकिन दिए गए विकल्पों में, (a) अधूरा है और (c) भी केवल कुछ विशिष्ट निर्वाचित सदस्यों का उल्लेख करता है। यहाँ एक संभावित त्रुटी है। मान लेते हैं कि प्रश्न का आशय निर्वाचक मंडल के घटकों से है।
  • सबसे सटीक व्याख्या (दिए गए विकल्पों के आधार पर): राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के मनोनीत सदस्य भाग नहीं लेते। राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य भी भाग नहीं लेते। (a) में संसद के निर्वाचित सदस्य शामिल हैं। (c) में दिल्ली और पुदुचेरी की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल हैं। 70वें संशोधन के बाद, राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं (28 राज्यों) के निर्वाचित सदस्य, साथ ही दिल्ली और पुदुचेरी की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। चूंकि (a) केवल संसद के सदस्यों का उल्लेख करता है और (c) केवल दिल्ली/पुदुचेरी का, और (d) सभी को सही बताता है जबकि विधान परिषदों के सदस्य शामिल नहीं हैं, यहाँ प्रश्न या विकल्प त्रुटिपूर्ण हो सकते हैं। यदि “संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य” को पूर्ण माना जाए, तो यह राष्ट्रपति चुनाव का एक मुख्य भाग है। लेकिन यह अधूरा है। अक्सर ऐसे प्रश्नों में, यदि एक विकल्प में मुख्य घटक शामिल हों, तो उसे सही माना जा सकता है। सबसे सटीक विकल्प के अभाव में, यदि हम राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया का मूल देखें तो संसद के निर्वाचित सदस्य एक मुख्य भूमिका निभाते हैं।
  • सुधारित परिप्रेक्ष्य: वास्तव में, राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) नहीं, केवल निर्वाचित सदस्य होते हैं। और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं। 70वें संशोधन के बाद दिल्ली और पुदुचेरी के भी। प्रश्न के विकल्प (a) और (c) दोनों राष्ट्रपति चुनाव के घटकों का आंशिक उल्लेख करते हैं। यदि (d) “संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं तथा दिल्ली और पुदुचेरी की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य” होता, तो वह सही होता। दिए गए विकल्पों में, (a) ही एकमात्र विकल्प है जो राष्ट्रपति चुनाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताता है। अतः, सर्वाधिक संभावना है कि प्रश्न का उत्तर (a) अपेक्षित है, हालांकि यह अधूरा है।
  • गलत विकल्प: (b) गलत है क्योंकि राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं लेते। (d) गलत है क्योंकि इसमें राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों का उल्लेख नहीं है और विधान परिषदों के सदस्य शामिल नहीं हैं।

प्रश्न 4: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  4. लोकसभा के अध्यक्ष

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी (Attorney General for India) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76(1) के तहत की जाती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और सर्वोच्च न्यायालय में सरकार का प्रतिनिधित्व करता है। वह वह व्यक्ति होना चाहिए जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए योग्य हो। उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, लेकिन यह सलाह पर भी हो सकती है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका महान्यायवादी की नियुक्ति में प्रत्यक्ष रूप से नहीं होती है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी रिट ‘निषेध’ (Prohibition) के रूप में जानी जाती है?

  1. किसी व्यक्ति को पद धारण करने से रोकना
  2. किसी व्यक्ति या प्राधिकारी को कोई कार्य करने से रोकना
  3. किसी अधीनस्थ न्यायालय या न्यायाधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकना या अपने लंबित मामले को उच्चतर प्राधिकारी को स्थानांतरित करने का आदेश देना
  4. किसी अधीनस्थ न्यायालय या न्यायाधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकना

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘प्रतिषेध’ (Prohibition) एक ऐसी रिट है जो एक उच्चतर न्यायालय द्वारा एक अधीनस्थ न्यायालय या न्यायाधिकरण को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी की जाती है। यह अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को प्राप्त है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: प्रतिषेध एक निवारक (preventive) उपाय है, यह किसी लंबित कार्यवाही पर लागू होता है। यह तब जारी की जाती है जब कोई निचला न्यायालय या निकाय अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्य कर रहा हो।
  • गलत विकल्प: (a) ‘अधिकार-पृच्छा’ (Quo Warranto) है। (b) यह ‘परमादेश’ (Mandamus) से अधिक सामान्य है, लेकिन प्रतिषेध भी रोकने के लिए है, पर वह न्यायिक/अर्ध-न्यायिक निकायों के लिए और अधिकार क्षेत्र के उल्लंघन पर। (c) ‘उत्प्रेषण’ (Certiorari) का एक पहलू है, जो लंबित मामले को स्थानांतरित करने का आदेश देता है, जबकि प्रतिषेध मुख्य रूप से कार्यवाही रोकने पर केंद्रित है।

प्रश्न 6: राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 ने भारतीय राज्यों को किस आधार पर पुनर्गठित किया?

  1. धार्मिक आधार
  2. भाषाई आधार
  3. सांस्कृतिक आधार
  4. राजनीतिक आधार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 ने मुख्य रूप से भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया। इसने भारत को 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: फजल अली आयोग की सिफारिशों के आधार पर इस अधिनियम को पारित किया गया था। हालांकि, आयोग ने ‘एक भाषा, एक राज्य’ के सिद्धांत को अस्वीकार कर दिया था और भाषाई आधार के साथ-साथ प्रशासनिक सुगमता, राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास जैसे कारकों को भी ध्यान में रखा था। फिर भी, भाषाई आधार इसका प्रमुख कारक था।
  • गलत विकल्प: धार्मिक, सांस्कृतिक या विशुद्ध राजनीतिक आधार पर राज्यों का पुनर्गठन नहीं किया गया था।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?

  1. निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
  2. संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
  3. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
  4. वित्त आयोग (Finance Commission)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) है, न कि ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body)। इसका गठन संसद के एक अधिनियम, मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनके प्रावधान सीधे भारतीय संविधान में किए गए हैं और उनके गठन, शक्तियाँ और कार्य संविधान द्वारा परिभाषित होते हैं। निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) संवैधानिक निकाय हैं।
  • गलत विकल्प: निर्वाचन आयोग, संघ लोक सेवा आयोग और वित्त आयोग सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके लिए सीधे संविधान में प्रावधान हैं।

प्रश्न 8: दल-बदल के आधार पर किसी सदस्य की अयोग्यता से संबंधित उपबंध भारतीय संविधान की किस अनुसूची में दिए गए हैं?

  1. सातवीं अनुसूची
  2. नौवीं अनुसूची
  3. दसवीं अनुसूची
  4. बारहवीं अनुसूची

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: दल-बदल के आधार पर संसद या राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित उपबंध भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची में दिए गए हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दसवीं अनुसूची को 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा संविधान में जोड़ा गया था। इसका उद्देश्य राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देना और बार-बार दलबदल की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना था।
  • गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची संघ और राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण से संबंधित है (संघ सूची, राज्य सूची, समवर्ती सूची)। नौवीं अनुसूची कुछ अधिनियमों और उपबंधों का विधि-ग्रहण है। बारहवीं अनुसूची नगरपालिकाओं की शक्तियों, प्राधिकार और जिम्मेदारियों को परिभाषित करती है।

प्रश्न 9: पंचायती राज व्यवस्था की त्रि-स्तरीय संरचना की सिफारिश किस समिति ने की थी?

  1. बलवंत राय मेहता समिति
  2. अशोक मेहता समिति
  3. जी.वी.के. राव समिति
  4. एल.एम. सिंघवी समिति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: पंचायती राज व्यवस्था की त्रि-स्तरीय संरचना (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद) की सिफारिश बलवंत राय मेहता समिति, 1957 ने की थी।
  • संदर्भ एवं विस्तार: बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशों के आधार पर ही भारत में पंचायती राज व्यवस्था की नींव रखी गई थी। राजस्थान के नागौर जिले में 2 अक्टूबर 1959 को पहली बार पंचायती राज लागू किया गया था।
  • गलत विकल्प: अशोक मेहता समिति (1977) ने द्वि-स्तरीय संरचना की सिफारिश की थी। जी.वी.के. राव समिति (1985) ने पंचायती राज संस्थाओं के उन्नयन और जिला स्तर पर अधिक महत्व देने का सुझाव दिया था। एल.एम. सिंघवी समिति (1986) ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने की वकालत की थी।

प्रश्न 10: ‘मौलिक अधिकार’ संविधान के किस भाग में वर्णित हैं?

  1. भाग II
  2. भाग III
  3. भाग IV
  4. भाग V

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) भारतीय संविधान के भाग III में अनुच्छेद 12 से 35 तक वर्णित हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भाग III को भारतीय संविधान का ‘मैग्ना कार्टा’ भी कहा जाता है। इसमें स्वतंत्रता, समानता, धर्म, संस्कृति आदि से संबंधित छह प्रकार के मौलिक अधिकार शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: भाग II नागरिकता से संबंधित है। भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका, संसद, और न्यायपालिका से संबंधित है।

प्रश्न 11: किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 365

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा अनुच्छेद 352 के तहत कर सकते हैं। यह घोषणा युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में की जा सकती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश आवश्यक है। यह अधिकतम एक महीने तक बिना संसदीय अनुमोदन के लागू रह सकती है, जिसके बाद इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से अनुमोदित किया जाना चाहिए।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 ‘राज्य आपातकाल’ (President’s Rule) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 ‘वित्तीय आपातकाल’ (Financial Emergency) से संबंधित है। अनुच्छेद 365 किसी राज्य द्वारा संघ के निर्देशों का पालन करने में विफलता से संबंधित है, जो अनुच्छेद 356 के लागू होने का आधार बन सकता है।

प्रश्न 12: भारत के संविधान में ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द को किस संशोधन द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह संशोधन प्रस्तावना में तीन महत्वपूर्ण शब्द – ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्षता’ और ‘अखंडता’ – लेकर आया, जिनका उद्देश्य भारतीय गणराज्य के चरित्र को और अधिक स्पष्ट करना था।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन, 52वां संशोधन और 73वां संशोधन क्रमशः संपत्ति के अधिकार, दलबदल विरोधी कानून और पंचायती राज से संबंधित हैं।

प्रश्न 13: ‘तर्कसंगत’ (Reasonable) के अतिरिक्त, मूल अधिकार को प्रतिबंधित करने के लिए कौन सा आधार उपयोग किया जा सकता है?

  1. सार्वजनिक व्यवस्था (Public Order)
  2. नैतिकता (Morality)
  3. राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security)
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग III में वर्णित मौलिक अधिकारों पर ‘तर्कसंगत’ (Reasonable) प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। ये प्रतिबंध सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, राष्ट्रीय सुरक्षा, किसी अन्य देश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए न्यायालय की अवमानना, मानहानि, अपराध के लिए उकसाना, इत्यादि के आधार पर हो सकते हैं, जो विशिष्ट अनुच्छेद के अनुसार बदलते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, अनुच्छेद 19(2) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों में ‘सार्वजनिक व्यवस्था’, ‘शिष्टाचार या नैतिकता’, ‘भारत की संप्रभुता और अखंडता’, ‘राज्य की सुरक्षा’, ‘विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध’, ‘न्यायालय की अवमानना’, ‘मानहानि’ या ‘अपराध के लिए उकसाना’ जैसे आधार शामिल हैं। अन्य मौलिक अधिकारों पर भी विभिन्न आधारों पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
  • गलत विकल्प: ये सभी आधार (सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, राष्ट्रीय सुरक्षा) मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध के वैध आधार हैं।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद राष्ट्रपति को किसी विधेययक को उस पर अपनी स्वीकृति देने के लिए, या उसे अस्वीकृत करने के लिए, या संसद को (यदि यह एक धन विधेययक नहीं है) पुनर्विचार के लिए लौटाने के लिए अधिकृत करता है?

  1. अनुच्छेद 111
  2. अनुच्छेद 108
  3. अनुच्छेद 109
  4. अनुच्छेद 112

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 111 राष्ट्रपति की विधेयकों पर सहमति, असहमति या पुनर्विचार के लिए लौटाने की शक्ति से संबंधित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: जब कोई विधेययक संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया जाता है, तो उसे राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाता है। राष्ट्रपति या तो विधेयक पर अपनी स्वीकृति दे सकता है, या विधेयक को (धन विधेयक को छोड़कर) पुनर्विचार के लिए संसद को लौटा सकता है। यदि संसद विधेयक को पुनः पारित करके राष्ट्रपति के पास भेजती है, तो राष्ट्रपति को उस पर अपनी स्वीकृति देनी होती है। राष्ट्रपति के पास ‘जेबी वीटो’ (Pocket Veto) की शक्ति भी है, जिसके तहत वह विधेयक पर न तो स्वीकृति देता है और न ही अस्वीकृत करता है, बल्कि अनिश्चित काल के लिए रोक देता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 108 संयुक्त सत्र से संबंधित है। अनुच्छेद 109 धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रियाओं से संबंधित है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है।

प्रश्न 15: भारतीय संविधान का कौन सा भाग पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है?

  1. भाग IV-A
  2. भाग IX
  3. भाग IX-A
  4. भाग X

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है। यह भाग 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भाग IX में अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं के गठन, संरचना, शक्तियाँ, सदस्यों की योग्यताएं आदि का विस्तृत वर्णन है। इसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
  • गलत विकल्प: भाग IV-A मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। भाग IX-A नगरपालिकाओं से संबंधित है। भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित है।

प्रश्न 16: संविधान का कौन सा अनुच्छेद उच्च न्यायालयों को रिट जारी करने की शक्ति देता है?

  1. अनुच्छेद 226
  2. अनुच्छेद 32
  3. अनुच्छेद 131
  4. अनुच्छेद 227

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: उच्च न्यायालयों को रिट जारी करने की शक्ति अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है। यह शक्ति मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के साथ-साथ अन्य कानूनी अधिकारों के प्रवर्तन के लिए भी लागू होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 226 के तहत, प्रत्येक उच्च न्यायालय को भारत के किसी भी क्षेत्र में, जहाँ तक वह अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करता है, उन क्षेत्रों में रहने वाले किसी भी व्यक्ति या सरकार या स्थानीय प्राधिकरण को, जो उसके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है, किसी भी प्रयोजन के लिए रिट (जैसे हेबियस कॉर्पस, मैंडामस, प्रतिषेध, अधिकार-पृच्छा और उत्प्रेषण) जारी करने की शक्ति है। यह शक्ति अनुच्छेद 32 की तुलना में अधिक व्यापक है, क्योंकि अनुच्छेद 32 केवल मौलिक अधिकारों के लिए है, जबकि अनुच्छेद 226 मौलिक अधिकारों के अलावा अन्य कानूनी अधिकारों के लिए भी रिट जारी कर सकता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 32 सर्वोच्च न्यायालय को रिट जारी करने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल अधिकार क्षेत्र से संबंधित है। अनुच्छेद 227 सभी न्यायालयों पर उच्च न्यायालय के अधीक्षण की शक्ति से संबंधित है।

प्रश्न 17: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. लोकसभा के अध्यक्ष
  4. वित्त मंत्री

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India – CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148(1) के तहत की जाती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है। वह केंद्र और राज्य सरकारों के खातों का लेखा-परीक्षण करता है और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जिसे संसद के पटल पर रखा जाता है। CAG का पद भारतीय संविधान में अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या वित्त मंत्री की नियुक्ति में CAG की नियुक्ति के संबंध में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती है।

प्रश्न 18: संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति किसी संघ शासित प्रदेश के लिए एक ही व्यक्ति को उस राज्य के और निकटवर्ती संघ शासित प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त कर सकते हैं?

  1. अनुच्छेद 239
  2. अनुच्छेद 239A
  3. अनुच्छेद 239AA
  4. अनुच्छेद 240

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 239(2) में यह प्रावधान है कि राष्ट्रपति एक ही व्यक्ति को एक या अधिक संघ राज्यक्षेत्रों के प्रशासक के रूप में नियुक्त कर सकते हैं, और ऐसे प्रशासक के रूप में कार्य करते समय, राष्ट्रपति की ओर से उस संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में ऐसा कार्य कर सकते हैं जैसा कि राष्ट्रपति निर्देश देते हैं। यह अनुच्छेद अप्रत्यक्ष रूप से राज्यपाल की नियुक्ति से संबंधित है जब वे संघ राज्यक्षेत्रों के लिए प्रशासक के रूप में कार्य करते हैं। हालांकि, मूल अनुच्छेद 239 संघ राज्यक्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है, और (2) में ही यह समाहित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रपति किसी भी राज्य के राज्यपाल को पास के संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासक के रूप में भी नियुक्त कर सकते हैं। इसका उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता और लागत-बचत को बढ़ावा देना है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 239A दिल्ली को विशेष प्रावधान से संबंधित है। अनुच्छेद 239AA दिल्ली के संबंध में कुछ अतिरिक्त प्रावधान करता है। अनुच्छेद 240 संघ राज्यक्षेत्रों के संबंध में राष्ट्रपति की कुछ विनियामक शक्तियों से संबंधित है।

प्रश्न 19: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का उल्लेख किस रूप में किया गया है?

  1. सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक
  2. सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक
  3. सामाजिक, आर्थिक और वित्तीय
  4. राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में नागरिकों को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह न्याय का विचार रूसी क्रांति (Socialism, Political and Economic Revolution) से प्रेरित है। सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, रंग, लिंग, धर्म आदि पर आधारित भेदभाव का उन्मूलन। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार, जैसे कि वोट देने और सार्वजनिक पदों पर चुनाव लड़ने का अधिकार। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन का समान वितरण, जिससे आर्थिक असमानता कम हो।
  • गलत विकल्प: धार्मिक और सांस्कृतिक न्याय का उल्लेख प्रत्यक्ष रूप से प्रस्तावना में ‘न्याय’ के प्रकारों के रूप में नहीं किया गया है, हालांकि धार्मिक स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है।

प्रश्न 20: लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान किस अधिनियम के तहत किया गया है?

  1. लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013
  2. मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993
  3. सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
  4. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत किया गया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अधिनियम भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक स्वतंत्र संस्था के रूप में लोकपाल (केंद्र में) और लोकायुक्त (राज्यों में) की स्थापना का प्रावधान करता है। लोकपाल केंद्र स्तर पर प्रधानमंत्री, मंत्रियों और उच्च लोक सेवकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करता है।
  • गलत विकल्प: अन्य अधिनियमों का संबंध मानवाधिकारों, सूचना के अधिकार और भ्रष्टाचार निवारण से है, न कि सीधे लोकपाल/लोकायुक्त की नियुक्ति के प्रावधान से।

प्रश्न 21: भारत के राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र किसे सौंपते हैं?

  1. भारत के उपराष्ट्रपति
  2. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  3. लोकसभा के अध्यक्ष
  4. प्रधानमंत्री

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र भारत के उपराष्ट्रपति को संबोधित करके सौंपते हैं, जैसा कि अनुच्छेद 56(1)(a) में निहित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के त्यागपत्र की सूचना अविलंब लोकसभा अध्यक्ष को देगा। राष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र, या पदच्युति (महाभियोग) के कारण रिक्ति होने पर उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं।
  • गलत विकल्प: मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष या प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र नहीं सौंपते हैं।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को उपलब्ध है?

  1. देश में कहीं भी बसने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)
  2. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
  3. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
  4. कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 के तहत प्रदान किए गए अधिकार, जिसमें भारत में कहीं भी आने-जाने और बसने की स्वतंत्रता शामिल है, केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये अधिकार भारत की संप्रभुता और अखंडता, सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, या किसी भी भारतीय नागरिक के हितों की रक्षा के लिए उचित प्रतिबंधों के अधीन हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा), और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) ये सभी अधिकार भारतीय क्षेत्र में मौजूद सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं।

प्रश्न 23: भारतीय संविधान में ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) का प्रावधान किस देश के संविधान से प्रेरित है?

  1. ब्रिटेन
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका
  3. आयरलैंड
  4. कनाडा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: भारतीय संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्वों (Directive Principles of State Policy – DPSP) का प्रावधान आयरलैंड के संविधान से प्रेरित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: आयरिश संविधान के अनुच्छेद 40-44 में ऐसे निर्देशक सिद्धांत थे, जिनसे भारतीय संविधान निर्माताओं ने प्रेरणा ली। DPSP संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं। ये वे सिद्धांत हैं जिनका पालन राज्य को नीतियां बनाते और कानून लागू करते समय करना चाहिए, हालांकि ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
  • गलत विकल्प: ब्रिटेन से संसदीय प्रणाली, अमेरिका से मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन, कनाडा से संघात्मक व्यवस्था (मजबूत केंद्र के साथ) आदि प्रेरणाएं ली गई हैं।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा संशोधन ‘मिनी संविधान’ के रूप में जाना जाता है?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 86वां संशोधन अधिनियम, 2002

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 को ‘मिनी संविधान’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसने संविधान में व्यापक बदलाव किए थे।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन ने प्रस्तावना में ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्षता’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़े, मौलिक कर्तव्यों को शामिल किया, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 5 से 6 वर्ष कर दिया (जिसे बाद में 44वें संशोधन द्वारा पुनः 5 वर्ष कर दिया गया), और राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह को मानने के लिए बाध्य किया।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटा दिया और आपातकाल प्रावधानों में बदलाव किए। 73वां संशोधन ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया। 86वां संशोधन ने शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया।

प्रश्न 25: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत, ‘कानून के प्राधिकार के बिना किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा’, यह उपबंध मूलतः किस मौलिक अधिकार का हिस्सा था?

  1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14)
  2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19)
  3. संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31)
  4. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं संदर्भ: संपत्ति का अधिकार, जो मूल रूप से अनुच्छेद 31 के तहत एक मौलिक अधिकार था, को 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 31 को निरस्त कर दिया गया था, और इसके प्रावधान को अनुच्छेद 300A में एक नए भाग (भाग XII) के तहत एक कानूनी अधिकार के रूप में स्थापित किया गया था। यह अधिकार सभी व्यक्तियों को उपलब्ध है, न कि केवल नागरिकों को।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार है, अनुच्छेद 19 स्वतंत्रता का अधिकार (जिसमें संपत्ति का अधिकार शामिल था) है, और अनुच्छेद 23-24 शोषण के विरुद्ध अधिकार हैं। ये सीधे तौर पर संपत्ति के अधिकार के मूल मौलिक अधिकार के हटने से संबंधित नहीं हैं।

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