पॉलिटी पारखी: अपनी संवैधानिक समझ को परखें!
नमस्कार, भावी आईएएस और पीसीएस अधिकारियों! आज एक बार फिर भारतीय संविधान और राजव्यवस्था के गहन अध्ययन का समय आ गया है। लोकंतंत्रीय ढांचे की अपनी समझ को निखारें और इन 25 चुनिंदा बहुविकल्पीय प्रश्नों के माध्यम से अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें। हर प्रश्न आपको एक कदम और करीब लाएगा आपके लक्ष्य के!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’, और ‘बंधुत्व’ के आदर्श किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- फ्रांस
- आयरलैंड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’, और ‘बंधुत्व’ (Liberté, Égalité, Fraternité) के आदर्श फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) से बहुत अधिक प्रभावित हैं, और इस प्रेरणा को फ्रांसीसी गणराज्य के संविधान से प्राप्त किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: ये आदर्श प्रस्तावना में भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लक्ष्यों को रेखांकित करते हैं। ये भारतीय नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुनिश्चित करने के संवैधानिक वादे का हिस्सा हैं।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान अधिकारों के विधेयक (Bill of Rights) के लिए प्रसिद्ध है, कनाडा का संविधान संघीय व्यवस्था के लिए, और आयरलैंड का संविधान राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) और राष्ट्रपति के निर्वाचन की पद्धति के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी रिट, जिसका अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’, किसी लोक प्राधिकारी को उसके सार्वजनिक कर्तव्य का पालन करने का निर्देश देती है?
- हबियस कॉर्पस
- मेंडमस
- प्रोहिबिशन
- क्यों वारंटो
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘मेंडमस’ (Mandamus) नामक रिट का शाब्दिक अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा निचली अदालत, न्यायाधिकरण या लोक प्राधिकारी को उनके सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य को निष्पादित करने का निर्देश देने के लिए जारी की जाती है। यह शक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत प्रदान की गई है।
- संदर्भ और विस्तार: मेंडमस किसी ऐसे लोक प्राधिकारी पर जारी की जा सकती है जो अपने कानूनी रूप से बाध्यकारी कर्तव्य को निभाने से इनकार कर रहा हो। यह किसी निजी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ जारी नहीं की जा सकती।
- गलत विकल्प: ‘हबियस कॉर्पस’ का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’ और यह अवैध रूप से हिरासत में रखे गए व्यक्ति की रिहाई के लिए जारी की जाती है। ‘प्रोहिबिशन’ (प्रतिषेध) का अर्थ है ‘रोकना’ और यह निचली अदालत को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए जारी की जाती है। ‘क्यों वारंटो’ (किस अधिकार द्वारा) यह पूछने के लिए जारी की जाती है कि किसी व्यक्ति ने लोक पद को किस अधिकार से धारण किया है।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान के किस संशोधन ने प्रस्तावना में ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘समाजवादी’ (Socialist) शब्द जोड़े?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 को ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है। इसने भारतीय संविधान की प्रस्तावना में तीन महत्वपूर्ण शब्द जोड़े: ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’।
- संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़कर, संविधान निर्माताओं ने राष्ट्र की सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक दिशा को स्पष्ट किया। ‘समाजवादी’ शब्द आर्थिक असमानता को कम करने और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द राज्य के किसी विशेष धर्म के प्रति झुकाव न रखने को इंगित करता है।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर एक विधिक अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी प्रावधानों को जोड़ा। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
प्रश्न 4: भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का उल्लेख संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 111
- अनुच्छेद 112
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 भारत के राष्ट्रपति को क्षमा, लघुकरण, प्रविलंबन, विराम या परिहार करने की शक्ति तथा दंडादेशों के निलंबन, या लघुकरण या संपरिवर्तन की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति राष्ट्रपति को उन व्यक्तियों पर दया दिखाने का अधिकार देती है जिन्हें मृत्युदंड मिला हो, या जो कोर्ट मार्शल द्वारा दंडित किए गए हों, या किसी ऐसे अपराध के लिए दंडित किए गए हों जिसके संबंध में दंड की प्रकृति या परिमाण तक किसी विधि के अधीन है। सर्वोच्च न्यायालय ने कई निर्णयों में इस शक्ति के दायरे और सीमा को स्पष्ट किया है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 111 राष्ट्रपति की वीटो शक्ति (विधेयकों पर सहमति) से संबंधित है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है।
प्रश्न 5: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- संसदीय समिति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 316(1) में निहित है।
- संदर्भ और विस्तार: UPSC भारत की केंद्रीय भर्ती एजेंसी है और इसका गठन संविधान के भाग XIV के तहत किया गया है। इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री नीतिगत निर्णय लेते हैं, लेकिन नियुक्तियों के लिए उनकी सलाह राष्ट्रपति को बाध्यकारी हो सकती है। लोकसभा अध्यक्ष सदन के कामकाज के प्रमुख होते हैं। संसदीय समितियां विभिन्न विधायी और पर्यवेक्षी कार्य करती हैं, लेकिन सीधे नियुक्ति नहीं करतीं।
प्रश्न 6: भारतीय संविधान के किस भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का वर्णन है?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IVA
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV (अनुच्छेद 36 से 51 तक) राज्य के नीति निदेशक तत्वों (Directive Principles of State Policy – DPSP) का वर्णन करता है।
- संदर्भ और विस्तार: ये तत्व कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए सरकार के लिए एक नैतिक निर्देश के रूप में कार्य करते हैं। ये न्यायिक रूप से प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन देश के शासन में मौलिक माने जाते हैं। इन्हें आयरलैंड के संविधान से लिया गया है।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IVA मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। भाग V संघ कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका से संबंधित है।
प्रश्न 7: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन संसद का एक अभिन्न अंग है?
- राष्ट्रपति
- उपराष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- सर्वोच्च न्यायालय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 79 स्पष्ट रूप से कहता है कि ‘संघ के लिए एक संसद होगी जो राष्ट्रपति और दो सदनों से मिलकर बनेगी, जिन्हें परिषदों के नाम से जाना जाता है, जिन्हें राज्य सभा और लोक सभा कहा जाता है।’ इस प्रकार, राष्ट्रपति संसद का एक अभिन्न अंग हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना कोई भी विधेयक कानून नहीं बन सकता। वह दोनों सदनों के सत्र बुलाते हैं, स्थगित करते हैं और सत्र का सत्रावसान करते हैं।
- गलत विकल्प: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं, लेकिन वे संसद के सदस्य नहीं होते। प्रधानमंत्री लोकसभा या राज्यसभा के सदस्य होते हैं और कार्यकारी प्रमुख होते हैं, लेकिन संसद का ‘अभिन्न अंग’ होने का दर्जा केवल राष्ट्रपति का है। सर्वोच्च न्यायालय न्यायपालिका का प्रमुख है और विधायिका से स्वतंत्र है।
प्रश्न 8: भारत में पहली बार आपातकाल कब लगाया गया था?
- 1962
- 1965
- 1971
- 1975
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में पहली बार राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) बाहरी आक्रमण के आधार पर 26 अक्टूबर 1962 को चीन के आक्रमण के समय घोषित किया गया था। यह अनुच्छेद 352 के तहत आता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके बाद 1965 में पाकिस्तान के आक्रमण के दौरान और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी राष्ट्रीय आपातकाल लागू रहा। 1975 का आपातकाल आंतरिक अशांति के आधार पर लगाया गया था।
- गलत विकल्प: 1965, 1971 और 1975 में भी आपातकाल लगे, लेकिन पहला आपातकाल 1962 में था।
प्रश्न 9: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता’ का प्रावधान है?
- अनुच्छेद 39A
- अनुच्छेद 40
- अनुच्छेद 42
- अनुच्छेद 44
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के भाग IV के अनुच्छेद 39A में ‘समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता’ का प्रावधान जोड़ा गया है। यह 42वें संशोधन, 1976 द्वारा अंतःस्थापित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद सुनिश्चित करता है कि विधि की शक्तियों का संचालन इस प्रकार हो कि सभी को समान न्याय मिले और आर्थिक या किसी अन्य निर्योग्यता के कारण कोई भी व्यक्ति न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाए। सरकारें निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए विशेष प्रावधान करती हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों के संगठन से संबंधित है। अनुच्छेद 42 काम की न्यायसंगत और मानवीय परिस्थितियों और मातृत्व सहायता का उपबंध करता है। अनुच्छेद 44 नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की बात करता है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘संवैधानिक संस्था’ (Constitutional Body) नहीं है?
- चुनाव आयोग
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
- नीति आयोग
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक कार्यकारी आदेश द्वारा 2015 में स्थापित एक ‘गैर-संवैधानिक’ या ‘संवैधानिक निकाय’ (statutory body) नहीं, बल्कि एक ‘गैर-वैधानिक निकाय’ (non-statutory body) है। इसका गठन भारत सरकार के प्रस्ताव द्वारा किया गया है, और यह नीति-निर्माण और अनुसंधान के लिए एक थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है।
- संदर्भ और विस्तार: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG – अनुच्छेद 148), और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338) सभी भारतीय संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक संस्थाएं हैं, जिन्हें विशेष अनुच्छेद अधिकार प्रदान करते हैं।
- गलत विकल्प: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), CAG (अनुच्छेद 148) और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338) संवैधानिक संस्थाएं हैं क्योंकि इनका उल्लेख सीधे संविधान में है और इनके अधिकार व कर्तव्य संविधान द्वारा परिभाषित हैं।
प्रश्न 11: भारत में पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्रदान करना
- ग्रामीण स्तर पर स्व-शासन की स्थापना
- कृषि उत्पादन बढ़ाना
- राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में निहित है, जो ग्राम पंचायतों के संगठन का उल्लेख करता है। 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियमों (1992) ने इसे संवैधानिक दर्जा दिया और ग्रामीण और शहरी स्थानीय स्व-शासन की संस्थाओं को सशक्त बनाया।
- संदर्भ और विस्तार: पंचायती राज का लक्ष्य विकेंद्रीकृत लोकतंत्रीय शासन स्थापित करना है, जहां स्थानीय लोग अपनी समस्याओं के समाधान में सीधे भाग ले सकें और स्थानीय विकास को गति दे सकें।
- गलत विकल्प: उच्च शिक्षा, कृषि उत्पादन या राष्ट्रीय सुरक्षा पंचायती राज व्यवस्था के मुख्य उद्देश्य नहीं हैं, यद्यपि ये अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- संगठन बनाने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 के तहत प्राप्त स्वतंत्रताएँ, जैसे कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक और निःशस्त्र एकत्र होने की स्वतंत्रता, संघ या यूनियन बनाने की स्वतंत्रता, भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र निर्बाध रूप से आने-जाने की स्वतंत्रता, भारत के किसी भी भाग में निवास करने और बस जाने की स्वतंत्रता, और कोई वृत्ति, उपजीविका, धंधा या कारबार करने की स्वतंत्रता, केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा), और अनुच्छेद 15 (धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध) विदेशी नागरिकों को भी प्राप्त हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21, और 15 विदेशी नागरिकों को भी उपलब्ध हैं, जबकि अनुच्छेद 19 केवल भारतीय नागरिकों के लिए है।
प्रश्न 13: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को उसके द्वारा सुनाए गए किसी निर्णय या आदेश की समीक्षा करने की शक्ति देता है?
- अनुच्छेद 137
- अनुच्छेद 142
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 144
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह अपने द्वारा सुनाए गए किसी निर्णय या आदेश की समीक्षा कर सकता है, सिवाय उन मामलों के जिन्हें किसी कानून द्वारा या उसके अधीन इस प्रकार की समीक्षा या पुनर्विलोकन की अनुमति न हो। इसे ‘न्यायिक समीक्षा की शक्ति’ (Power of Review) कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति न्यायिक पुनर्विलोकन (Judicial Review) से भिन्न है, जो विधायिका द्वारा पारित कानूनों की संवैधानिकता की जांच करती है। अनुच्छेद 137 के तहत, न्यायालय स्वयं अपने पहले के निर्णय की शुद्धता या तर्कसंगतता की जांच करता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 142 पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को ऐसे आदेश जारी करने की शक्ति देता है जो किसी भी मामले में आवश्यक हों। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को महत्वपूर्ण सार्वजनिक महत्व के मामलों में सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 144 सभी न्यायालयों और प्राधिकारियों का सर्वोच्च न्यायालय की सहायता में कार्य करना अनिवार्य बनाता है।
प्रश्न 14: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के दौरान, निम्नलिखित में से कौन से मौलिक अधिकार स्वतः निलंबित नहीं होते हैं?
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 20 और 21)
- भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19)
- धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 के बाद, राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के दौरान अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) को निलंबित नहीं किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका मतलब है कि आपातकाल की स्थिति में भी, किसी भी व्यक्ति को कानून की स्थापित प्रक्रिया का उल्लंघन करके जीवन या स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता, और न ही उसे किसी ऐसे कार्य के लिए दंडित किया जा सकता है जो उस समय कानूनन अपराध न हो। पहले अनुच्छेद 19 भी स्वतः निलंबित हो जाता था, लेकिन अब इसके निलंबन के लिए अलग से आदेश की आवश्यकता होती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) को राष्ट्रपति के आदेश से निलंबित किया जा सकता है। अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 25 (धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता) का निलंबन भी विशिष्ट परिस्थितियों पर निर्भर करता है, लेकिन अनुच्छेद 20 और 21 पर विशेष सुरक्षा है।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?
- भारत एक संसदीय सरकार वाला देश है।
- भारत एक एकात्मक सरकार वाला देश है।
- भारत का राष्ट्राध्यक्ष निर्वाचित होता है, वंशानुगत नहीं।
- भारत एक मिश्रित अर्थव्यवस्था वाला देश है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘गणराज्य’ शब्द (जो प्रस्तावना में उल्लिखित है) का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख (राष्ट्रपति) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निश्चित अवधि के लिए निर्वाचित होता है, न कि वंशानुगत आधार पर। भारत में, राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा चुने जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह ‘लोकतंत्र’ (Democracy) से भिन्न है, जो जनता के शासन को संदर्भित करता है। एक गणराज्य में, सर्वोच्च शक्ति जनता के पास होती है, जिसे वह अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रयोग करती है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) और (b) सरकार की प्रणाली (संसदीय/एकात्मक) से संबंधित हैं, न कि राज्य के प्रमुख की स्थिति से। विकल्प (d) अर्थव्यवस्था की प्रकृति से संबंधित है, जो गणराज्य की परिभाषा का हिस्सा नहीं है।
प्रश्न 16: किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा भारत में मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई?
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 61वें संशोधन अधिनियम, 1989 ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 को संशोधित किया, जिसने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के लिए वयस्क मताधिकार के आधार को बदला। इसने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य युवाओं को चुनावी प्रक्रिया में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना था, क्योंकि वे देश के भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- गलत विकल्प: 65वां संशोधन अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग की स्थापना से संबंधित है। 73वां और 74वां संशोधन क्रमशः पंचायती राज और नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा देते हैं।
प्रश्न 17: भारतीय संविधान में ‘कठोर संविधान’ (Rigid Constitution) होने का क्या तात्पर्य है?
- संविधान में संशोधन की प्रक्रिया अत्यंत सरल है।
- संविधान को आसानी से बदला जा सकता है।
- संविधान में संशोधन की प्रक्रिया अत्यंत कठिन और जटिल है।
- संविधान केवल एक बार ही बनाया जा सकता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान को ‘अर्ध-लचीला’ (Semi-flexible) माना जाता है, लेकिन इसमें संशोधन की प्रक्रिया अनुच्छेद 368 के तहत निर्धारित है, जो कुछ प्रावधानों के लिए विशेष बहुमत और राज्यों के अनुसमर्थन की आवश्यकता को निर्दिष्ट करती है। यह ‘कठोर’ (Rigid) होने का संकेत देता है, जिसका अर्थ है कि संविधान में संशोधन करना आसान नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: जिन संविधानों में संशोधन की प्रक्रिया सरल होती है, उन्हें ‘लचीला’ (Flexible) कहा जाता है (जैसे ब्रिटेन का संविधान)। भारतीय संविधान के कुछ भागों में संशोधन के लिए संसद के विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है, और कुछ भागों में संसद के विशेष बहुमत के साथ-साथ आधे से अधिक राज्यों के विधानमंडलों के अनुसमर्थन की आवश्यकता होती है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) और (b) लचीले संविधान की विशेषताएं हैं। विकल्प (d) किसी भी संविधान की प्रकृति के विपरीत है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ (Statutory Body) है, जिसका अर्थ है कि इसका गठन संसद के एक अधिनियम द्वारा किया गया है?
- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC)
- राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW)
- नीति आयोग
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) का गठन ‘मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993’ के तहत संसद के एक अधिनियम द्वारा किया गया था। इसलिए, यह एक सांविधिक निकाय है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय महिला आयोग का गठन ‘राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990’ के तहत किया गया था, इसलिए यह भी एक सांविधिक निकाय है। नीति आयोग जैसा कि पहले बताया गया है, एक गैर-सांविधिक निकाय है। प्रश्न में ‘उपरोक्त सभी’ विकल्प होने पर, हमें यह देखना होगा कि क्या सभी सांविधिक हैं। चूंकि नीति आयोग सांविधिक नहीं है, और NHRC व NCW सांविधिक हैं, इसलिए सही उत्तर केवल NHRC (या NCW, यदि विकल्प होता) होगा। हालांकि, प्रश्न के प्रारूप को देखते हुए, और यह मानते हुए कि यह एकल सही विकल्प के लिए है, NHRC एक स्पष्ट उदाहरण है। यदि प्रश्न में ‘निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?’ होता, तो उत्तर नीति आयोग होता। लेकिन प्रश्न ‘कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ है?’ पूछ रहा है, इसलिए NHRC सही है। (यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रश्न में ‘संवैधानिक निकाय’ का अर्थ ‘Statutory Body’ के रूप में लिया गया है, न कि ‘Constitutional Body’ के रूप में।)
- गलत विकल्प: नीति आयोग एक गैर-सांविधिक निकाय है। यदि प्रश्न NHRC और NCW दोनों को मान्य मानता है, तो यह उस स्थिति में होगा जब एक ही विकल्प को सही माना जाए। इस प्रश्न के उत्तर में, NHRC को सबसे सटीक सांविधिक निकाय के रूप में माना गया है।
प्रश्न 19: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) को कौन नियुक्त करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- संसद
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 76(1) यह प्रावधान करता है कि भारत का महान्यायवादी राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है। उसकी नियुक्ति के लिए यह आवश्यक है कि वह किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य हो।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं और सलाह दे सकते हैं, लेकिन नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका के प्रमुख हैं। संसद कानून बनाती है, नियुक्ति नहीं करती।
प्रश्न 20: राज्य विधानमंडल के स्थगन (Adjournment) और सत्रावसान (Prorogation) में मुख्य अंतर क्या है?
- स्थगन केवल एक निश्चित अवधि के लिए होता है, जबकि सत्रावसान सत्र को अनिश्चित काल के लिए समाप्त कर देता है।
- स्थगन सभापति द्वारा किया जाता है, जबकि सत्रावसान राज्यपाल द्वारा किया जाता है।
- स्थगन के लिए राष्ट्रपति की सहमति आवश्यक है, जबकि सत्रावसान के लिए नहीं।
- स्थगन सत्र को समाप्त करता है, जबकि सत्रावसान बैठक को समाप्त करता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: किसी भी सदन के स्थगन (Adjournment) का अर्थ है बैठक को कुछ समय के लिए (घंटों, दिनों या हफ्तों के लिए) स्थगित करना। यह कार्य सदन के पीठासीन अधिकारी (अध्यक्ष/सभापति) द्वारा किया जाता है। सत्रावसान (Prorogation) का अर्थ है सत्र का अंत। यह सत्र की अंतिम बैठक के बाद किया जाता है और यह कार्य राज्यपाल (राज्य विधानमंडल के संदर्भ में) द्वारा किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: स्थगन के बाद, सदन उसी स्थान और समय पर फिर से बैठता है, जबकि सत्रावसान के बाद, पूरा सत्र समाप्त हो जाता है और किसी भी लंबित विधेयक या प्रस्ताव को समाप्त माना जा सकता है (हालांकि यह सामान्य नहीं है)। राज्यपाल के आदेश से सत्रावसान की घोषणा की जाती है।
- गलत विकल्प: स्थगन निश्चित या अनिश्चित काल के लिए हो सकता है, लेकिन इसका मुख्य अंतर प्रक्रिया और करने वाले प्राधिकारी में है। राष्ट्रपति की सहमति आमतौर पर विधायी प्रक्रियाओं में आवश्यक होती है, लेकिन सत्रावसान सीधे तौर पर राज्यपाल का कार्य है। बैठक का अंत स्थगन से होता है, और सत्र का अंत सत्रावसान से।
प्रश्न 21: भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्य’ (Fundamental Duties) किस भाग में शामिल हैं?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IVA
- भाग V
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IVA, जो अनुच्छेद 51A को समाहित करता है, मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। इन कर्तव्यों को 42वें संशोधन, 1976 द्वारा जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर आधारित, ये कर्तव्य नागरिकों को राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों की याद दिलाते हैं। मौलिक अधिकार नागरिकों के लिए अधिकार हैं, जबकि मौलिक कर्तव्य उनके दायित्व।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।
प्रश्न 22: भारतीय संविधान में ‘सर्वोच्चता’ (Supremacy) का सिद्धांत किस पर लागू होता है?
- संसद
- न्यायपालिका
- संविधान
- प्रधानमंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान सर्वोच्च है। इसका अर्थ है कि संसद द्वारा पारित कोई भी कानून या सरकार का कोई भी कार्य जो संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता हो, वह अमान्य होगा। यह सिद्धांत न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) की अवधारणा के माध्यम से लागू होता है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय अपने अनुच्छेद 13 के तहत स्पष्ट करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अमेरिका के विपरीत, जहां राष्ट्रपति या कांग्रेस की सर्वोच्चता के मुद्दे पर बहस होती है, भारत में संविधान की सर्वोच्चता को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है। केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure) के सिद्धांत को स्थापित किया, जिसे संसद भी संशोधित नहीं कर सकती।
- गलत विकल्प: संसद कानून बनाती है लेकिन संविधान के अधीन है। न्यायपालिका संविधान की व्याख्या करती है और उसकी रक्षा करती है, लेकिन यह स्वयं संविधान के अधीन है। प्रधानमंत्री सरकार के कार्यकारी प्रमुख हैं और संविधान के तहत कार्य करते हैं।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सी रिट ‘अधिकार-क्षेत्र का दुरुपयोग’ या ‘अधिकार-क्षेत्र का अतिक्रमण’ रोकने के लिए जारी की जाती है?
- मेंडमस
- क्यों-वारंटो
- प्रोहिबिशन (प्रतिषेध)
- हबियस कॉर्पस
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘प्रोहिबिशन’ (Prohibition) रिट एक उच्च न्यायालय द्वारा निचली अदालत या न्यायाधिकरण को उसके अधिकार-क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी की जाती है। इसका उद्देश्य किसी भी गलत या अवैध कृत्य को होने से पहले ही रोकना है। यह अनुच्छेद 32 और 226 के तहत आता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट तब जारी की जाती है जब कोई निचली अदालत या प्राधिकरण अपने अधिकार-क्षेत्र का अतिक्रमण कर रहा हो, या जब वह अपने अधिकार-क्षेत्र से बाहर कार्य कर रहा हो। यह सुनिश्चित करता है कि न्यायपालिका अपनी सीमाओं में रहकर कार्य करे।
- गलत विकल्प: मेंडमस लोक प्राधिकारी को कर्तव्य निभाने का आदेश देती है। क्यों-वारंटो किसी व्यक्ति से उसके पद धारण करने के अधिकार के बारे में पूछता है। हबियस कॉर्पस अवैध हिरासत से मुक्ति दिलाती है।
प्रश्न 24: भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति किसमें निहित है?
- प्रधानमंत्री
- केंद्रीय मंत्रिमंडल
- भारत के राष्ट्रपति
- संसद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 53(1) कहता है कि संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी और वह इसका प्रयोग प्रत्यक्ष रूप से या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि राष्ट्रपति भारत के राष्ट्राध्यक्ष हैं और कार्यपालिका शक्ति उन्हीं में निहित है, वे वास्तविक रूप से मंत्रि-परिषद (प्रधानमंत्री के नेतृत्व में) की सलाह पर कार्य करते हैं (अनुच्छेद 74)। अतः, वे नाममात्र के कार्यकारी (Nominal Executive) हैं, जबकि प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी (Real Executive) हैं। प्रश्न में ‘कार्यपालिका शक्ति किसमें निहित है’ पूछा गया है, जिसका सीधा संवैधानिक उत्तर राष्ट्रपति है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख और वास्तविक कार्यकारी हैं, लेकिन संवैधानिक रूप से शक्ति राष्ट्रपति में निहित है। केंद्रीय मंत्रिमंडल प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कार्य करता है। संसद विधायिका है।
प्रश्न 25: भारत में ‘न्यायिक पुनरीक्षण’ (Judicial Review) का क्या अर्थ है?
- संसद द्वारा पारित कानूनों की संवैधानिकता की जांच करने की न्यायपालिका की शक्ति।
- राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेशों की जांच करने की न्यायपालिका की शक्ति।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति की जांच करने की न्यायपालिका की शक्ति।
- संसद के नियमों और प्रक्रियाओं की जांच करने की न्यायपालिका की शक्ति।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘न्यायिक पुनरीक्षण’ (Judicial Review) वह सिद्धांत है जिसके तहत भारतीय न्यायपालिका (विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय) विधायिका (संसद और राज्य विधानमंडल) द्वारा पारित कानूनों और कार्यपालिका द्वारा जारी आदेशों की संवैधानिकता की जांच कर सकती है। यदि कोई कानून या आदेश संविधान के उपबंधों के प्रतिकूल पाया जाता है, तो उसे असंवैधानिक और शून्य घोषित किया जा सकता है। यह शक्ति अप्रत्यक्ष रूप से अनुच्छेद 13, 32 और 226 से प्राप्त होती है।
- संदर्भ और विस्तार: न्यायिक पुनरीक्षण भारतीय संविधान के ‘मूल ढांचे’ का एक हिस्सा है, जिसे केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित किया गया था। यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और संविधान की सर्वोच्चता बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) न्यायिक पुनरीक्षण का हिस्सा है, लेकिन यह अधूरा है क्योंकि यह केवल अध्यादेशों तक सीमित नहीं है। विकल्प (c) और (d) न्यायपालिका की मुख्य भूमिका या शक्तियों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।