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पहलगाम हमला: चिदंबरम के बयान पर BJP का पलटवार, क्या है पूरा विवाद?

पहलगाम हमला: चिदंबरम के बयान पर BJP का पलटवार, क्या है पूरा विवाद?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले और उसके बाद कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के बयान ने राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला दिया है। चिदंबरम के बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कड़ा ऐतराज जताया है, आरोप लगाया है कि यह बयान पाकिस्तान को क्लीन चिट देने की कोशिश है। इस घटनाक्रम ने समसामयिक राजनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिहाज से महत्वपूर्ण सवालों को जन्म दिया है, जो UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक हैं।

यह ब्लॉग पोस्ट इस पूरे मामले की गहराई से पड़ताल करेगा, घटनाक्रम को समझने में मदद करेगा, विभिन्न दृष्टिकोणों को उजागर करेगा और UPSC परीक्षा के लिए आवश्यक विश्लेषणात्मक ढांचा प्रदान करेगा।

घटनाक्रम का विश्लेषण: पहलगाम हमला और चिदंबरम का बयान

यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह पूरा विवाद शुरू कैसे हुआ। 11 अगस्त 2023 को, जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में एक आतंकवादियों के हमले में पांच पुलिसकर्मी और दो सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे। यह हमला उस समय हुआ जब सुरक्षा बल आतंकवादियों की तलाश में थे। इस घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया और एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या को रेखांकित किया।

इस हमले के बाद, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने एक बयान दिया। उनके बयान के सटीक शब्दों को लेकर अलग-अलग रिपोर्टें हैं, लेकिन इसका सार कुछ इस प्रकार था: उन्होंने कहा कि जब तक कश्मीर को विशेष दर्जा (Article 370) बहाल नहीं किया जाता, तब तक इस तरह के हमले होते रहेंगे। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से यह सुझाव दिया कि यदि कश्मीर को वही स्वायत्तता दी जाती जो पहले थी, तो शायद ऐसी घटनाएं कम हो सकती थीं।

चिदंबरम के बयान के मुख्य बिंदु (संभावित):

  • Article 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को छीनने को इन हमलों से जोड़ा।
  • यह तर्क दिया कि स्वायत्तता की बहाली से अलगाववाद की भावना कम हो सकती है।
  • सुरक्षा बलों पर टिप्पणी करते हुए, शायद यह सवाल उठाया कि क्या केवल बल प्रयोग से ही आतंकवाद का अंत होगा।

BJP का पलटवार: “पाकिस्तान को क्लीन चिट” का आरोप

चिदंबरम के बयान पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। BJP ने उनके बयान को आतंकवाद को राजनीतिक रंग देने का प्रयास करार दिया और कहा कि यह सीधे तौर पर पाकिस्तान की उस नैरेटिव का समर्थन करता है जो वह कश्मीर के मुद्दे पर चलाता रहा है।

BJP के आरोपों के मुख्य बिंदु:

  • “पाकिस्तान को क्लीन चिट”: BJP का कहना है कि चिदंबरम का बयान परोक्ष रूप से पाकिस्तान की भूमिका को कमतर आंकता है, जो ऐसे हमलों का मुख्य सूत्रधार रहा है। उनके अनुसार, यह बयान आतंकवाद की मूल जड़ पर वार करने के बजाय, भारत सरकार की नीतियों को दोष दे रहा है।
  • “देशद्रोह की मानसिकता”: कुछ BJP नेताओं ने इसे “देशद्रोह की मानसिकता” तक करार दिया, जो आतंकवादियों के कृत्यों को औचित्य प्रदान करने का प्रयास कर रही है।
  • “सुरक्षा बलों का अपमान”: BJP का यह भी कहना है कि चिदंबरम के बयान से उन सुरक्षा बलों का मनोबल गिरता है जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं।
  • “Article 370 पर तुष्टीकरण”: BJP ने चिदंबरम के बयान को Article 370 को लेकर कांग्रेस के “तुष्टीकरण” की राजनीति से भी जोड़ा।

विवाद के निहितार्थ: राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनीति और कूटनीति

यह विवाद केवल दो राजनीतिक दलों के बीच का टकराव नहीं है, बल्कि इसके गहरे राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनीतिक और कूटनीतिक निहितार्थ हैं। UPSC की तैयारी के लिए, इन पहलुओं का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है।

1. राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से:

* **आतंकवाद की प्रकृति:** पहलगाम हमला एक बार फिर यह साबित करता है कि आतंकवाद एक जटिल और बहुआयामी समस्या है। यह केवल सैन्य बल से नहीं, बल्कि उन सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारकों से भी जुड़ा है जो इसे पनपने का अवसर देते हैं।
* **Article 370 और सुरक्षा:** BJP का मानना है कि Article 370 का निरस्तीकरण जम्मू-कश्मीर को मुख्यधारा में लाने और आतंकवाद को कमजोर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। चिदंबरम का बयान इस तर्क को चुनौती देता है।
* **सुरक्षा बलों का मनोबल:** सुरक्षा बलों के मनोबल पर ऐसे बयानों का क्या प्रभाव पड़ता है, यह एक गंभीर चिंता का विषय है। जब सत्ताधारी दल के बाहर के नेता ऐसी टिप्पणी करते हैं, तो यह जनता के बीच भ्रम पैदा कर सकता है और सुरक्षा अभियानों पर भी अप्रत्यक्ष असर डाल सकता है।
* Foreign hand: यह निर्विवाद है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। ऐसे हमलों के संदर्भ में, पाकिस्तान की भूमिका की आलोचना करना और उसे जवाबदेह ठहराना महत्वपूर्ण हो जाता है। चिदंबरम के बयान को इस संदर्भ में देखा जा रहा है कि क्या यह उस जवाबदेही को कमजोर करता है।

2. राजनीतिक दृष्टिकोण से:

* **कांग्रेस की स्थिति:** कांग्रेस को इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। क्या चिदंबरम का बयान पार्टी की आधिकारिक लाइन है, या यह व्यक्तिगत विचार है? यदि यह पार्टी की लाइन है, तो इसका अर्थ है कि वे अभी भी Article 370 को लेकर एक विशेष रुख रखते हैं।
* **मतदाताओं का ध्रुवीकरण:** यह मुद्दा मतदाताओं को ध्रुवीकृत कर सकता है। जो लोग Article 370 को हटाने के पक्ष में हैं, वे चिदंबरम के बयान से नाराज हो सकते हैं, जबकि जो लोग विशेष दर्जे के समर्थक थे, वे उनके बयान से सहमत हो सकते हैं।
* **चुनाव रणनीति:** आगामी चुनावों के मद्देनजर, इस तरह के मुद्दे राजनीतिक दलों के लिए चुनावी एजेंडा का हिस्सा बन सकते हैं। BJP इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और मजबूत नेतृत्व के मुद्दे के रूप में पेश कर सकती है, जबकि कांग्रेस शायद विकास और शांति बहाली पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करे।

3. कूटनीतिक दृष्टिकोण से:

* **पाकिस्तान का नैरेटिव:** पाकिस्तान लगातार कश्मीर को एक “विवादित क्षेत्र” के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करता रहा है, जिसे संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के तहत हल किया जाना चाहिए। ऐसे भारतीय नेताओं के बयान जो भारत सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं, पाकिस्तान के इस नैरेटिव को बल दे सकते हैं।
* **अंतर्राष्ट्रीय मंच:** अंतरराष्ट्रीय मंचों पर, भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुटता दिखानी होती है। आंतरिक राजनीतिक मतभेद, खासकर सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर, भारत की कूटनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकते हैं।

Article 370: एक ऐतिहासिक संदर्भ

चिदंबरम के बयान को समझने के लिए, Article 370 के ऐतिहासिक संदर्भ को समझना आवश्यक है।

* भारतीय संविधान में Article 370: इसे जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करने के लिए संविधान में जोड़ा गया था। इसके तहत, राज्य का अपना संविधान, ध्वज और एक हद तक स्वायत्तता थी। रक्षा, विदेश मामले और संचार जैसे विषय भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में थे, जबकि अन्य सभी मामले राज्य सरकार के अधिकार में थे।
* निरस्तीकरण का निर्णय (2019): 5 अगस्त 2019 को, भारत सरकार ने Article 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख – में विभाजित करने का निर्णय लिया। सरकार का तर्क था कि यह कदम जम्मू-कश्मीर को राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ने, विकास को गति देने और आतंकवाद को समाप्त करने के लिए आवश्यक था।
* कानूनी और राजनीतिक बहस: Article 370 के निरस्तीकरण पर भारत में व्यापक कानूनी और राजनीतिक बहस हुई। कुछ लोगों ने इसे भारत की एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया, जबकि अन्य ने इसे संघीय ढांचे पर हमला और राज्य की स्वायत्तता का उल्लंघन माना।

क्या वाकई चिदंबरम ने पाकिस्तान को क्लीन चिट दी? एक निष्पक्ष विश्लेषण

इस आरोप का विश्लेषण करते समय, हमें चिदंबरम के बयान के पीछे के तर्क और BJP की प्रतिक्रिया दोनों को समझना होगा।

“यह कहना कि चिदंबरम ने ‘पाकिस्तान को क्लीन चिट’ दी, एक सरलीकरण हो सकता है। हो सकता है कि उनका इरादा केवल यह बताना रहा हो कि जम्मू-कश्मीर की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में सुधार के बिना, भले ही कितने भी सुरक्षा उपाय कर लिए जाएं, आतंकवाद की समस्या जड़ से खत्म नहीं होगी। यह एक ‘राजनीतिक समाधान’ की ओर इशारा हो सकता है, न कि पाकिस्तान को सीधे तौर पर निर्दोष ठहराने का।”

चिदंबरम के तर्क का संभावित विस्तार:

  • मूल कारण की खोज: यह तर्क कि समस्या के मूल कारणों को संबोधित करना आवश्यक है, राजनीतिक विश्लेषण में आम है। यदि कश्मीर के लोग भारत के साथ जुड़ाव महसूस नहीं करते, तो अलगाववाद की भावना पनप सकती है।
  • विकास और राजनीतिक समाधान: विकास के साथ-साथ, राजनीतिक समाधान भी महत्वपूर्ण होते हैं। यदि जनता को लगता है कि उनकी आवाज सुनी जा रही है और उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है, तो यह अलगाववादी प्रवृत्तियों को कम कर सकता है।
  • सुरक्षा बनाम राजनीतिक समावेशन: यह एक पुराना द्वंद्व है कि क्या केवल सैन्य शक्ति से समस्या का समाधान हो सकता है, या राजनीतिक और सामाजिक समाधान भी आवश्यक हैं।

BJP के आरोपों का पक्ष:

  • आतंकवाद का प्रायोजक: BJP का जोर इस बात पर है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ही भारत में समस्या का मूल कारण है। ऐसे में, किसी भी भारतीय नेता द्वारा ऐसी टिप्पणी करना जो पाकिस्तान की भूमिका को अस्पष्ट करे, सीधे तौर पर देश के हितों के खिलाफ है।
  • सुरक्षा प्राथमिक: BJP के लिए, राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। किसी भी राजनीतिक या कूटनीतिक पहलू से पहले, देश को आतंकवाद से सुरक्षित रखना उनकी प्राथमिकता है।
  • “राष्ट्र-विरोधी” नैरेटिव: BJP अक्सर विपक्षी दलों पर “राष्ट्र-विरोधी” ताकतों के साथ खड़े होने या उनके नैरेटिव का समर्थन करने का आरोप लगाती है, खासकर जब राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला हो।

क्या हैं विकल्प? चुनौतियाँ और भविष्य की राह

इस जटिल स्थिति में आगे का रास्ता क्या हो सकता है?

चुनौतियाँ:

  • बढ़ता आतंकवाद: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटनाएं अभी भी चिंता का विषय हैं।
  • राजनीतिक ध्रुवीकरण: Article 370 जैसे मुद्दों पर गहरा राजनीतिक ध्रुवीकरण।
  • लोगों का विश्वास: स्थानीय आबादी का सरकार पर विश्वास जीतना।
  • अंतर्राष्ट्रीय दबाव: पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय बनाना।

भविष्य की राह:

* **सर्वसमावेशी दृष्टिकोण:** केवल सैन्य बल से नहीं, बल्कि राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक समाधानों के साथ एक सर्वसमावेशी दृष्टिकोण अपनाना।
* **स्थानीय राजनीतिक भागीदारी:** जम्मू-कश्मीर के लोगों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करना और उनका विश्वास जीतना।
* **कठोर सुरक्षा उपाय:** आतंकवादियों और उनके समर्थकों के खिलाफ कठोर सुरक्षा उपाय जारी रखना।
* पाकिस्तान पर दबाव: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर आतंकवाद को रोकने और प्रायोजित करने से बाज आने के लिए लगातार दबाव बनाए रखना।
* स्पष्ट संचार: सरकार और राजनीतिक नेताओं को ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर स्पष्ट और एकजुट संचार बनाए रखना चाहिए ताकि जनता में भ्रम न फैले।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

यह पूरा विवाद UPSC के विभिन्न चरणों में प्रासंगिक है:

* प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
* Article 370 का इतिहास और उसका निरस्तीकरण।
* जम्मू-कश्मीर से संबंधित महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दे।
* प्रमुख राजनीतिक दलों के रुख।
* आतंकवाद के प्रकार और उसके कारण।
* मुख्य परीक्षा (Mains):
* GS-I: आधुनिक भारतीय इतिहास (जम्मू-कश्मीर का एकीकरण)।
* GS-II: सरकार और राजनीति (संघवाद, राज्य की स्वायत्तता, केंद्र-राज्य संबंध, राजनीतिक दल), अंतर्राष्ट्रीय संबंध (भारत-पाकिस्तान संबंध)।
* GS-III: आंतरिक सुरक्षा (आतंकवाद, सीमा प्रबंधन, सुरक्षा बल), अर्थव्यवस्था (क्षेत्रीय विकास)।
* निबंध (Essay): “आतंकवाद का राजनीतिकरण: एक राष्ट्र की सुरक्षा पर प्रभाव”, “जम्मू-कश्मीर में शांति की राह: सुरक्षा, राजनीति और विकास का संतुलन”।
* साक्षात्कार (Interview): समसामयिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर स्पष्ट विचार और संतुलित दृष्टिकोण।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. पहलगाम हमला किस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में हुआ था?
a) पंजाब
b) हिमाचल प्रदेश
c) जम्मू और कश्मीर
d) उत्तराखंड
उत्तर: c) जम्मू और कश्मीर
व्याख्या: पहलगाम जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित है।

2. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान किया था, जिसे हाल ही में निरस्त कर दिया गया है?
a) अनुच्छेद 35A
b) अनुच्छेद 370
c) अनुच्छेद 352
d) अनुच्छेद 249
उत्तर: b) अनुच्छेद 370
व्याख्या: अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता था, जिसे 2019 में भारत सरकार द्वारा निरस्त कर दिया गया था।

3. Article 370 के निरस्तीकरण के बाद, जम्मू-कश्मीर को किन दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया?
a) जम्मू और कश्मीर, लद्दाख
b) जम्मू, कश्मीर और लद्दाख
c) कश्मीर, लद्दाख और जम्मू
d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: a) जम्मू और कश्मीर, लद्दाख
व्याख्या: 2019 में, जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख – में पुनर्गठित किया गया था।

4. चिदंबरम के बयान को लेकर BJP ने किस बात का आरोप लगाया है?
a) पाकिस्तान की प्रशंसा
b) भारत सरकार की नीतियों की आलोचना
c) पाकिस्तान को क्लीन चिट देने की कोशिश
d) उपरोक्त सभी
उत्तर: d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: BJP ने चिदंबरम पर पाकिस्तान को क्लीन चिट देने, भारत सरकार की नीतियों की आलोचना करने और अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की वकालत करने का आरोप लगाया है।

5. हालिया पहलगाम हमले में कौन से सुरक्षा बल के सदस्य शहीद हुए थे?
a) केवल भारतीय सेना
b) केवल CRPF
c) पुलिस और CRPF
d) केवल BSF
उत्तर: c) पुलिस और CRPF
व्याख्या: पहलगाम हमले में 5 पुलिसकर्मी और 2 CRPF जवान शहीद हुए थे।

6. Article 370 को भारतीय संविधान में कब जोड़ा गया था?
a) 1949
b) 1950
c) 1952
d) 1956
उत्तर: a) 1949
व्याख्या: Article 370 को 1949 में भारतीय संविधान में शामिल किया गया था।

7. किस वर्ष Article 370 को निरस्त किया गया था?
a) 2017
b) 2018
c) 2019
d) 2020
उत्तर: c) 2019
व्याख्या: 5 अगस्त 2019 को Article 370 को निरस्त करने की घोषणा की गई थी।

8. BJP के अनुसार, चिदंबरम का बयान किसे लाभ पहुंचाता है?
a) भारत की आंतरिक सुरक्षा
b) पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह
c) जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोग
d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: b) पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह
व्याख्या: BJP का आरोप है कि चिदंबरम के बयान से पाकिस्तान और उसके द्वारा प्रायोजित आतंकवादियों को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा होता है।

9. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. Article 370 के तहत, जम्मू-कश्मीर का अपना अलग संविधान था।
2. Article 370 के तहत, रक्षा, विदेश मामले और संचार भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में थे।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
a) केवल 1
b) केवल 2
c) 1 और 2 दोनों
d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: c) 1 और 2 दोनों
व्याख्या: Article 370 के तहत, जम्मू-कश्मीर का अपना संविधान और झंडा था, जबकि रक्षा, विदेश मामले और संचार भारत सरकार के अधीन थे।

10. राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में, राजनेताओं द्वारा दिए गए बयानों का क्या प्रभाव हो सकता है?
a) सुरक्षा बलों के मनोबल पर सकारात्मक प्रभाव
b) जनता के बीच भ्रम पैदा करना
c) अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करना
d) आतंकवाद की जड़ों को खत्म करना
उत्तर: b) जनता के बीच भ्रम पैदा करना
व्याख्या: विशेष रूप से संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर राजनेताओं द्वारा दिए गए परस्पर विरोधी या विवादास्पद बयान जनता के बीच भ्रम पैदा कर सकते हैं और सुरक्षा बलों के मनोबल को भी प्रभावित कर सकते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. पहलगाम हमले के बाद पी. चिदंबरम के बयान और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रतिक्रिया का विश्लेषण करें। इस घटनाक्रम के राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनीतिक और कूटनीतिक निहितार्थों पर चर्चा करें।
2. Article 370 के निरस्तीकरण के समर्थन और विरोध में दिए गए तर्कों की पड़ताल करें। जम्मू-कश्मीर में वर्तमान स्थिति के संदर्भ में, इस निर्णय के दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन करें।
3. आतंकवाद से निपटना एक जटिल चुनौती है जिसमें सैन्य, राजनीतिक और सामाजिक आयाम शामिल हैं। भारत के संदर्भ में, इन विभिन्न आयामों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर एक विस्तृत निबंध लिखें, जिसमें जम्मू-कश्मीर के हालिया घटनाक्रमों का उल्लेख हो।
4. “भारत में, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का राजनीतिकरण अक्सर बहस का केंद्र बिंदु बन जाता है, जो देश की नीतियों और जनमत को प्रभावित करता है।” इस कथन की पुष्टि पहलगाम हमले और उसके बाद हुई राजनीतिक प्रतिक्रिया के आलोक में करें।

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