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पहलगाम में 3 आतंकियों का सफाया: सुलेमान, फैजल, जिब्रान ढेर, राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक नजर

पहलगाम में 3 आतंकियों का सफाया: सुलेमान, फैजल, जिब्रान ढेर, राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक नजर

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुई एक दुखद घटना में शामिल तीन आतंकवादियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं इस ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए मारे गए आतंकियों के नाम सुलेमान, फैजल और जिब्रान बताए। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब कश्मीर घाटी में सुरक्षा की स्थिति एक बार फिर चर्चा का विषय बनी हुई है। विशेष रूप से, यह भी महत्वपूर्ण है कि मीडिया संस्थान ‘भास्कर’ ने कथित तौर पर इन आतंकवादियों की पहचान पहले ही उजागर कर दी थी, जिससे खुफिया जानकारी और सुरक्षा एजेंसियों के कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठे हैं। यह घटना राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियानों की प्रभावशीलता, खुफिया तंत्र की भूमिका और मीडिया की जिम्मेदारी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को सामने लाती है, जो UPSC सिविल सेवा परीक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

यह ब्लॉग पोस्ट पहलगाम हमले से जुड़े विभिन्न पहलुओं का गहन विश्लेषण करेगा, जिसमें घटना का संदर्भ, सुरक्षा बलों की कार्रवाई, मारे गए आतंकवादियों की पहचान, राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक निहितार्थ, खुफिया जानकारी की भूमिका, मीडिया की रिपोर्टिंग का प्रभाव और UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिक मुख्य बिंदु शामिल होंगे।

1. पहलगाम हमला: संदर्भ और घटनाक्रम

जम्मू और कश्मीर, विशेष रूप से कश्मीर घाटी, दशकों से आतंकवाद से प्रभावित क्षेत्र रहा है। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लगातार भारत की अखंडता और सुरक्षा को चुनौती देते रहे हैं। पहलगाम, जो एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, पर हुआ यह हमला क्षेत्र की अस्थिरता को दर्शाता है।

घटना का विवरण:

  • स्थान: पहलगाम, अनंतनाग जिला, जम्मू और कश्मीर।
  • घटना: सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़।
  • परिणाम: तीन आतंकवादी मारे गए।
  • सरकार की प्रतिक्रिया: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऑपरेशन की सफलता की पुष्टि की और मारे गए आतंकवादियों के नाम (सुलेमान, फैजल, जिब्रान) बताए।

इस प्रकार की घटनाएं न केवल जमीनी स्तर पर सुरक्षा स्थिति को प्रभावित करती हैं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चिंताएं पैदा करती हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि इन हमलों के पीछे कौन से संगठन हैं, उनके उद्देश्य क्या हैं और वे किस प्रकार अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।

2. मारे गए आतंकवादी: पहचान और निहितार्थ

गृह मंत्री द्वारा बताए गए सुलेमान, फैजल और जिब्रान नामक तीन आतंकवादियों का मारा जाना सुरक्षा बलों के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता है। आतंकवादियों की पहचान से उनके संगठन, उनके नेटवर्क और उनके द्वारा किए जा रहे उद्देश्यों के बारे में जानकारी मिल सकती है।

  • संगठनात्मक संबंध: यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि ये आतंकवादी किस आतंकवादी संगठन से जुड़े थे (जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन आदि)। यह जानकारी आगे की रणनीतियों को आकार देने में मदद करती है।
  • सामूहिक या एकल कार्रवाई: क्या यह एक संगठित समूह की कार्रवाई थी या किसी विशेष आतंकवादी मॉड्यूल का हिस्सा?
  • क्षेत्रीय या विदेशी तत्व: क्या मारे गए आतंकवादी स्थानीय थे या वे सीमा पार से आए थे? यह घुसपैठ के पैटर्न को समझने में मदद करता है।
  • अन्य मॉड्यूल से जुड़ाव: क्या इन आतंकवादियों का कश्मीर घाटी में सक्रिय अन्य आतंकवादी मॉड्यूल से कोई संबंध था?

UPSC प्रासंगिकता: आतंकवादियों की पहचान और उनके नेटवर्क का खुलासा राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह खुफिया एजेंसियों को दुश्मन के ठिकानों, उनकी कार्यप्रणाली और उनके समर्थन प्रणालियों को समझने में मदद करता है। यह नीति निर्माताओं को लक्षित जवाबी कार्रवाई और निवारक उपाय करने में भी सक्षम बनाता है।

3. भास्कर की पूर्व रिपोर्टिंग: खुफिया जानकारी और मीडिया की भूमिका

इस घटना का एक और महत्वपूर्ण पहलू मीडिया संस्थान ‘भास्कर’ द्वारा की गई कथित पूर्व रिपोर्टिंग है, जिसमें कहा गया है कि उसने इन तीन आतंकवादियों के नाम पहले ही बता दिए थे। यह बिंदु कई जटिलताओं को जन्म देता है:

  • खुफिया जानकारी का स्रोत: यदि भास्कर ने सही नाम बताए थे, तो यह सवाल उठता है कि क्या यह जानकारी लीक हुई थी, या यह किसी अन्य स्रोत से प्राप्त की गई थी?
  • सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका: क्या सुरक्षा एजेंसियों को इन आतंकवादियों की पहचान पहले से थी? यदि हाँ, तो उन्होंने कार्रवाई कब की और क्यों?
  • मीडिया की जिम्मेदारी: आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान मीडिया की रिपोर्टिंग अत्यंत संवेदनशील होती है। गलत या समय से पहले की रिपोर्टिंग अभियान को खतरे में डाल सकती है, सुरक्षा कर्मियों की जान जोखिम में डाल सकती है, और जनता में अनावश्यक भय या गलत सूचना फैला सकती है।
  • खुफिया विफलता का आरोप: यदि मीडिया ने आतंकवादियों के नामों का खुलासा किया और सुरक्षा बल उन्हें ढूंढने या रोकने में विफल रहे, तो यह खुफिया तंत्र की विफलता का संकेत हो सकता है।

उपमा: इसे ऐसे समझें जैसे एक डॉक्टर को मरीज की बीमारी का पता चल गया हो, लेकिन वह सही समय पर या सही तरीके से इलाज शुरू न कर पाए। मीडिया का खुलासा उस समय की स्थिति को उजागर करता है जब ऑपरेशन चल रहा था या उसका अंतिम चरण था।

UPSC प्रासंगिकता: यह बिंदु ‘आंतरिक सुरक्षा’ के तहत ‘खुफिया तंत्र की भूमिका’ और ‘मीडिया की जवाबदेही’ जैसे विषयों से जुड़ा है। परीक्षा में इस पहलू पर प्रश्न पूछे जा सकते हैं कि कैसे मीडिया रिपोर्टिंग सुरक्षा अभियानों को प्रभावित कर सकती है और इस संतुलन को कैसे बनाए रखा जाए।

4. राष्ट्रीय सुरक्षा पर व्यापक निहितार्थ

पहलगाम में हुई यह घटना और उससे जुड़े खुलासे राष्ट्रीय सुरक्षा के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हैं:

  • आतंकवाद का निरंतर खतरा: यह घटना दर्शाती है कि जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद अभी भी एक गंभीर समस्या है और सुरक्षा बल लगातार चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
  • सीमा पार प्रायोजित आतंकवाद: अक्सर, इस तरह के हमलों को सीमा पार से संचालित और प्रायोजित किया जाता है। यह भारत के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने का एक और कारण बनता है।
  • पर्यटन पर प्रभाव: पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों पर इस तरह की घटनाएं पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा करती हैं और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  • सुरक्षा ग्रिड की मजबूती: यह घटना इस बात का पुनर्मूल्यांकन करने का अवसर प्रदान करती है कि सुरक्षा ग्रिड कितना मजबूत है और इसे और बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
  • खुफिया इनपुट का प्रभावी उपयोग: प्राप्त खुफिया इनपुट को समय पर और प्रभावी ढंग से कार्रवाई में बदलना एक बड़ी चुनौती है।

UPSC प्रासंगिकता: यह सीधे तौर पर ‘आंतरिक सुरक्षा’, ‘सीमा प्रबंधन’, ‘जम्मू और कश्मीर का विशेष संदर्भ’ और ‘भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध’ जैसे विषयों से संबंधित है।

5. आतंकवाद विरोधी रणनीतियाँ और भविष्य की राह

इस तरह की घटनाओं के मद्देनजर, भारत को अपनी आतंकवाद विरोधी रणनीतियों की निरंतर समीक्षा और उन्हें मजबूत करने की आवश्यकता है। कुछ प्रमुख क्षेत्र जहां ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए:

  • खुफिया तंत्र को मजबूत करना:
    • अधिक प्रभावी डेटा विश्लेषण और भविष्य कहनेवाला खुफिया (predictive intelligence)।
    • मानव खुफिया (human intelligence) और तकनीकी खुफिया (technical intelligence) के बीच बेहतर तालमेल।
    • सभी सुरक्षा एजेंसियों के बीच सूचनाओं का निर्बाध आदान-प्रदान।
  • प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना:
    • ड्रोन, सेटेलाइट इमेजरी और साइबर निगरानी का अधिक उपयोग।
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके संदिग्ध गतिविधियों की पहचान।
  • सामुदायिक भागीदारी:
    • स्थानीय समुदायों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में शामिल करना।
    • युवाओं को कट्टरपंथ से बचाने के लिए कार्यक्रम।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
    • आतंकवादी वित्तपोषण और प्रशिक्षण के खिलाफ लड़ाई में अन्य देशों के साथ सहयोग।
    • संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों के माध्यम से आतंकवाद का मुकाबला।
  • मीडिया और सूचना प्रबंधन:
    • सुरक्षा अभियानों के दौरान जिम्मेदार रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश।
    • गलत सूचनाओं और दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए एक प्रभावी संचार रणनीति।

“किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा केवल उसकी सेना या पुलिस की क्षमता पर निर्भर नहीं करती, बल्कि उसके सूचना तंत्र की सटीकता, निर्णय लेने की गति और प्रत्येक नागरिक की सतर्कता पर भी निर्भर करती है।”

UPSC प्रासंगिकता: ये रणनीतियाँ ‘शासन’ (Governance), ‘सुरक्षा’ (Security), ‘सामाजिक न्याय’ (Social Justice) और ‘अंतर्राष्ट्रीय संबंध’ (International Relations) जैसे जीएस पेपर्स के लिए महत्वपूर्ण हैं।

6. UPSC परीक्षा के लिए मुख्य बिंदु

UPSC उम्मीदवारों के लिए, पहलगाम हमले और उससे जुड़े घटनाक्रमों से निम्नलिखित मुख्य बिंदु निकालना महत्वपूर्ण है:

* आंतरिक सुरक्षा: जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद का निरंतर स्वरूप, नए मॉड्यूल का उद्भव, और घुसपैठ के पैटर्न।
* खुफिया एजेंसियां: रॉ, आईबी, एनआईए और स्थानीय पुलिस के बीच समन्वय, और खुफिया जानकारी की संग्रह, विश्लेषण और कार्रवाई में चुनौतियां।
* सुरक्षा बल: सेना, अर्धसैनिक बल (सीआरपीएफ, बीएसएफ), और राज्य पुलिस की भूमिका, उनके द्वारा अपनाई जाने वाली काउंटर-टेररिज्म (CT) और काउंटर-इन्सर्जेंसी (CI) रणनीतियाँ।
* सरकार की नीतियां: आतंकवाद से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम, जैसे कि राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, NIA का सुदृढ़ीकरण, और AFSPA जैसे कानूनों का प्रभाव।
* मीडिया की भूमिका: सूचना का प्रसार, सार्वजनिक धारणा का निर्माण, और संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर रिपोर्टिंग की नैतिकता।
* भू-राजनीतिक संदर्भ: पाकिस्तान के साथ संबंध, सीमा पार आतंकवाद का प्रायोजन, और क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने की चुनौतियां।

उदाहरण: 2016 में उरी हमले के बाद भारत की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और 2019 में पुलवामा हमले के बाद ‘बालाकोट एयरस्ट्राइक’ जैसी कार्रवाइयाँ, सरकार की मजबूत प्रतिक्रिया का उदाहरण हैं। हालांकि, पहलगाम जैसी घटनाएं यह भी दर्शाती हैं कि चुनौती अभी भी बनी हुई है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. पहलगाम में मारे गए आतंकवादियों के संबंध में हालिया घटनाक्रम में, किस केंद्रीय मंत्री ने इसकी पुष्टि की?
(a) राजनाथ सिंह
(b) अमित शाह
(c) निर्मला सीतारमण
(d) एस. जयशंकर
उत्तर: (b) अमित शाह
व्याख्या: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहलगाम हमले में शामिल तीन आतंकवादियों के मारे जाने की पुष्टि की।

2. जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सी एजेंसियां सक्रिय हैं?
1. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)
2. खुफिया ब्यूरो (IB)
3. भारतीय सेना
4. सीमा सुरक्षा बल (BSF)
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 1, 2, 3 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4
उत्तर: (c) केवल 1, 2, 3 और 4
व्याख्या: NIA जांच का नेतृत्व करती है, IB खुफिया जानकारी प्रदान करती है, सेना और BSF जैसे बल जमीनी स्तर पर कार्रवाई करते हैं।

3. ‘काउंटर-इन्सर्जेंसी’ (CI) से आपका क्या तात्पर्य है?
(a) सीमा पार से घुसपैठ को रोकना
(b) किसी क्षेत्र में विद्रोह या विद्रोहियों का मुकाबला करना
(c) साइबर हमलों को रोकना
(d) राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
उत्तर: (b) किसी क्षेत्र में विद्रोह या विद्रोहियों का मुकाबला करना
व्याख्या: काउंटर-इन्सर्जेंसी का अर्थ है किसी देश के भीतर सक्रिय विद्रोही समूहों या विद्रोह से निपटना।

4. जम्मू और कश्मीर में पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण निम्नलिखित में से कौन सा स्थान हालिया घटना से जुड़ा है?
(a) गुलमर्ग
(b) पटनीटॉप
(c) पहलगाम
(d) वैष्णो देवी
उत्तर: (c) पहलगाम
व्याख्या: हालिया घटना पहलगाम में हुई, जो एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।

5. निम्नलिखित में से कौन सा आतंकवादी संगठन अक्सर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर रहता है और पाकिस्तान स्थित होने के लिए जाना जाता है?
(a) अल-कायदा
(b) आईएसआईएस (ISIS)
(c) लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
(d) बोको हराम
उत्तर: (c) लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
व्याख्या: लश्कर-ए-तैयबा (LeT) एक प्रमुख आतंकवादी संगठन है जो भारत के खिलाफ गतिविधियों में शामिल रहा है और पाकिस्तान में स्थित माना जाता है।

6. ‘भविष्य कहनेवाला खुफिया’ (Predictive Intelligence) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) अतीत की घटनाओं का विश्लेषण करना
(b) मौजूदा सुरक्षा खतरों का पता लगाना
(c) संभावित भविष्य के खतरों या हमलों की भविष्यवाणी करना
(d) सुरक्षा अभियानों का मूल्यांकन करना
उत्तर: (c) संभावित भविष्य के खतरों या हमलों की भविष्यवाणी करना
व्याख्या: भविष्य कहनेवाला खुफिया खतरों का अनुमान लगाने पर केंद्रित है ताकि निवारक उपाय किए जा सकें।

7. जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा से संबंधित किस अधिनियम के तहत सुरक्षा बलों को विशेष शक्तियाँ प्राप्त हैं, जिस पर अक्सर बहस होती रहती है?
(a) राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980
(b) आतंकवाद निवारण अधिनियम (POTA), 2002
(c) सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (AFSPA), 1958
(d) गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967
उत्तर: (c) सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (AFSPA), 1958
व्याख्या: AFSPA सुरक्षा बलों को अशांत क्षेत्रों में विशेष शक्तियाँ प्रदान करता है और यह अक्सर मानवाधिकारों के हनन के आरोपों के कारण चर्चा का विषय रहता है।

8. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. आतंकवाद को प्रायोजित करना एक राष्ट्र की विदेश नीति का एक उपकरण हो सकता है।
2. मीडिया की रिपोर्टिंग कभी-कभी सुरक्षा अभियानों को प्रभावित कर सकती है।
कौन से कथन सत्य हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c) 1 और 2 दोनों
व्याख्या: दोनों ही कथन सही हैं। कुछ देश अपने भू-राजनीतिक उद्देश्यों को साधने के लिए आतंकवाद को प्रायोजित करते हैं। साथ ही, मीडिया की रिपोर्टिंग, खासकर संवेदनशील अभियानों के दौरान, स्थिति को जटिल बना सकती है।

9. ‘मानव खुफिया’ (Human Intelligence) का मुख्य स्रोत क्या है?
(a) उपग्रह चित्र
(b) जासूसी ड्रोन
(c) सूचना देने वाले व्यक्ति
(d) साइबर निगरानी
उत्तर: (c) सूचना देने वाले व्यक्ति
व्याख्या: मानव खुफिया (HUMINT) वह खुफिया जानकारी है जो मनुष्यों (एजेंटों, मुखबिरों, या अन्य स्रोतों) से प्राप्त होती है।

10. भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए ‘राष्ट्रीय जांच एजेंसी’ (NIA) का गठन किस वर्ष किया गया था?
(a) 2006
(b) 2008
(c) 2010
(d) 2012
उत्तर: (b) 2008
व्याख्या: NIA की स्थापना 2008 में हुई थी, विशेष रूप से 2008 के मुंबई हमलों के बाद, ताकि आतंकवाद से संबंधित अपराधों की प्रभावी ढंग से जांच की जा सके।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. पहलगाम हमले के संदर्भ में, कश्मीर घाटी में आतंकवाद का मुकाबला करने में खुफिया तंत्र की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। खुफिया जानकारी के संग्रह, विश्लेषण और कार्रवाई में क्या चुनौतियां हैं और उन्हें दूर करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
2. आतंकवाद विरोधी अभियानों में मीडिया की भूमिका अत्यंत संवेदनशील होती है। पहलगाम घटनाक्रम में मीडिया की रिपोर्टिंग के संभावित प्रभाव पर चर्चा करें और इस बात का विश्लेषण करें कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में जिम्मेदार रिपोर्टिंग कैसे सुनिश्चित की जा सकती है।
3. जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद की समस्या का मुकाबला करने के लिए भारत द्वारा अपनाई गई विभिन्न रणनीतियों (जैसे सुरक्षा-उन्मुख, विकास-उन्मुख, और राजनीतिक) का विश्लेषण करें। पहलगाम जैसी घटनाओं को देखते हुए, इन रणनीतियों की प्रभावशीलता और भविष्य की राह पर अपने विचार व्यक्त करें।
4. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रायोजित आतंकवाद राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। भारत के संदर्भ में, सीमा पार आतंकवाद की प्रकृति और भारत द्वारा इससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों का विस्तार से वर्णन करें।

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