परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती: क्या रूस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान ने वैश्विक शक्ति संतुलन बिगाड़ दिया?
चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा दो परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती का निर्णय अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा गलियारों में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में उभरा है। यह कदम, रूस के एक पूर्व राष्ट्रपति के ‘उत्तेजक’ माने गए बयानों की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। यह घटना हमें वैश्विक भू-राजनीति, परमाणु निवारण (nuclear deterrence), कूटनीति की पेचीदगियों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बदलते स्वरूप पर गहराई से सोचने के लिए मजबूर करती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह विषय न केवल वर्तमान घटनाओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंध, राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा नीतियों जैसे GS-II और GS-III के महत्वपूर्ण पहलुओं से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
यह ब्लॉग पोस्ट इस जटिल मामले की तह तक जाएगा, इसके पीछे के कारणों, संभावित प्रभावों और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसके महत्व का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करेगा।
पृष्ठभूमि: बयान और प्रतिक्रिया (Background: The Remarks and the Reaction)
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में, शब्दों का अपना एक विशेष वजन होता है। जब ये शब्द किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा कहे जाते हैं जिसका अतीत में एक महत्वपूर्ण वैश्विक प्रभाव रहा हो, तो उनका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। रूस के एक पूर्व राष्ट्रपति (जो अक्सर अपने कड़े रुख और मुखर बयानों के लिए जाने जाते हैं) द्वारा दिए गए ‘उत्तेजक’ बयान, अमेरिकी प्रशासन के लिए एक सीधी चुनौती के रूप में देखे गए। इन बयानों की प्रकृति, भले ही सार्वजनिक रूप से पूरी तरह से स्पष्ट न हो, इतनी गंभीर मानी गई कि उसने अमेरिका को एक प्रतीकात्मक लेकिन शक्तिशाली कदम उठाने के लिए प्रेरित किया: दो परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती।
यह तैनाती क्यों महत्वपूर्ण है?
- सैन्य शक्ति का प्रदर्शन: परमाणु पनडुब्बियां आधुनिक नौसेना की सबसे उन्नत और खतरनाक संपत्तियों में से एक हैं। उनकी तैनाती, विशेष रूप से गुप्त रूप से, लक्षित देश और दुनिया को एक स्पष्ट संकेत भेजती है कि अमेरिका अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है।
- निवारण (Deterrence) का सिद्धांत: परमाणु निवारण का मूल सिद्धांत यह है कि एक देश की परमाणु क्षमता का उपयोग करने की धमकी, किसी अन्य देश को उसके खिलाफ कार्रवाई करने से रोकती है। पनडुब्बियों की तैनाती इस सिद्धांत को मजबूत करने का एक तरीका है, यह दर्शाते हुए कि अमेरिका के पास जवाबी कार्रवाई करने की क्षमता है।
- कूटनीतिक संदेश: सैन्य कार्रवाई के अलावा, यह कदम एक कूटनीतिक संदेश भी देता है। यह सहयोगियों को आश्वस्त करता है और विरोधियों को चेतावनी देता है। यह दर्शाता है कि अमेरिका अपनी रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
परमाणु पनडुब्बियों की भूमिका और क्षमता (Role and Capabilities of Nuclear Submarines)
परमाणु पनडुब्बियां, विशेष रूप से बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (SSBNs), किसी भी देश की परमाणु त्रय (nuclear triad) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। ये पनडुब्बियां चुपके से काम करती हैं और लंबे समय तक समुद्र के नीचे छिपी रह सकती हैं, जिससे उन्हें पता लगाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
विशेषताएँ:
- परमाणु शक्ति: ये पनडुब्बियां परमाणु रिएक्टरों द्वारा संचालित होती हैं, जो उन्हें महीनों तक बिना सतह पर आए काम करने की क्षमता देती हैं।
- असीमित रेंज: परमाणु शक्ति के कारण, उनकी संचालन रेंज सैद्धांतिक रूप से असीमित होती है, जो उन्हें वैश्विक पहुंच प्रदान करती है।
- मिसाइल क्षमता: बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBMs) से लैस होती हैं, जिनमें परमाणु हथियार लगे हो सकते हैं। ये मिसाइलें हजारों किलोमीटर दूर लक्ष्य को भेद सकती हैं।
- दुरावस्था (Survivability): अपनी गहराई में छिपने की क्षमता के कारण, ये सबसे विश्वसनीय ‘सेकेंड-स्ट्राइक’ क्षमता (second-strike capability) प्रदान करती हैं। इसका मतलब है कि यदि किसी देश पर पहला परमाणु हमला होता है, तो भी उसकी पनडुब्बियां जीवित रह सकती हैं और जवाबी हमला कर सकती हैं।
अमेरिका की परमाणु त्रय:
संयुक्त राज्य अमेरिका के पास एक व्यापक परमाणु त्रय है, जिसमें तीन मुख्य घटक शामिल हैं:
- अंतरिक्ष-आधारित मिसाइलें (Land-based Missiles): ICBMs जो साइलो (silos) में स्थित हैं।
- बमवर्षक विमान (Bombers): रणनीतिक बमवर्षक विमान जो परमाणु बम ले जा सकते हैं।
- पनडुब्बी-आधारित मिसाइलें (Submarine-based Missiles): पनडुब्बियों पर लगे बैलिस्टिक मिसाइलें (SLBMs)।
परमाणु पनडुब्बियां इस त्रय का सबसे लचीला और सबसे कम जोखिम वाला हिस्सा मानी जाती हैं, क्योंकि उनका पता लगाना और उन पर हमला करना बेहद मुश्किल है।
‘उत्तेजक’ बयान: क्या हो सकता है? (The ‘Provocative’ Remarks: What Could They Be?)
हालांकि विशिष्ट बयान का विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में ‘उत्तेजक’ बयानों के कुछ सामान्य प्रकार हो सकते हैं:
- परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी: किसी भी देश के नेता द्वारा परमाणु हथियारों के उपयोग की सीधी या अप्रत्यक्ष धमकी को अत्यंत उत्तेजक माना जाता है।
- सैन्य आक्रमण की चेतावनी: किसी पड़ोसी देश या प्रतिस्पर्धी शक्ति के खिलाफ सीधे सैन्य कार्रवाई की घोषणा या चेतावनी।
- अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन: प्रमुख हथियार नियंत्रण संधियों या समझौतों से हटने की घोषणा, या मौजूदा संधियों की उपेक्षा करना।
- क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा देना: किसी संवेदनशील क्षेत्र में हस्तक्षेप करने या संघर्ष को भड़काने वाले बयान देना।
- अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का अपमान: स्थापित अंतरराष्ट्रीय नियमों, कानूनों या संस्थानों के प्रति तिरस्कार दिखाना।
रूस के पूर्व राष्ट्रपति की स्थिति को देखते हुए, उनके बयान संभवतः रूस की सैन्य शक्ति, उसके रणनीतिक लक्ष्यों, या अन्य देशों की सुरक्षा नीतियों के बारे में थे। इन बयानों ने संभवतः अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को सीधे चुनौती दी या उसके रणनीतिक हितों पर सवाल उठाया।
परमाणु निवारण और राष्ट्रीय सुरक्षा (Nuclear Deterrence and National Security)
यह घटना सीधे तौर पर परमाणु निवारण के सिद्धांत से जुड़ी है। निवारण का उद्देश्य युद्ध को रोकना है, किसी विशेष देश को नुकसान पहुँचाना नहीं। यह इस विचार पर आधारित है कि हमला करने की लागत, संभावित लाभ से कहीं अधिक होगी।
निवारण कैसे काम करता है:
“निवारण एक मानसिक खेल है। यह दूसरे व्यक्ति के दिमाग में डर पैदा करने के बारे में है कि यदि वे कुछ करते हैं, तो उन्हें ऐसा भुगतान करना होगा जो वे भुगतान नहीं करना चाहेंगे।”
परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती इस मानसिक खेल का एक उदाहरण है। अमेरिका यह संदेश दे रहा है कि:
- हमारे पास प्रतिक्रिया करने की क्षमता है।
- हमारी क्षमताएं गुप्त और अप्रत्याशित हैं।
- हम अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए इन क्षमताओं का उपयोग करने के लिए तैयार हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव:
- रणनीतिक स्थिरता: ऐसे कदम रणनीतिक स्थिरता बनाए रखने में मदद कर सकते हैं, खासकर जब कोई देश दूसरे को उकसाने वाले बयान दे रहा हो।
- प्रतिशोध का डर: परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बियों की उपस्थिति, संभावित विरोधियों को यह सोचने पर मजबूर करती है कि एक जवाबी हमला कितना विनाशकारी हो सकता है।
- विश्वसनीयता: यह तैनाती अमेरिका की अपनी रक्षा क्षमताओं और अपने सहयोगियों के प्रति प्रतिबद्धता में उसकी विश्वसनीयता को बढ़ाती है।
अंतरराष्ट्रीय संबंध और भू-राजनीतिक प्रभाव (International Relations and Geopolitical Implications)
यह घटना सिर्फ दो देशों के बीच का मामला नहीं है, बल्कि इसके दूरगामी भू-राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं:
1. शक्ति संतुलन में बदलाव:
परमाणु हथियारों का संतुलन दुनिया की शक्ति संरचना का एक महत्वपूर्ण पहलू है। जब कोई बड़ी शक्ति अपनी सैन्य क्षमताओं को इस तरह से प्रदर्शित करती है, तो यह अन्य देशों को भी अपनी रक्षा तैयारियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकती है।
- हथियारों की दौड़: इससे वैश्विक हथियारों की दौड़ तेज हो सकती है, क्योंकि अन्य देश अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश करेंगे।
- गठबंधन का सुदृढ़ीकरण/पुनर्गठन: यह घटना अमेरिका के सहयोगियों को उसके साथ और अधिक मजबूती से जुड़ने के लिए प्रेरित कर सकती है, या कुछ देशों को नए गठबंधन बनाने के लिए उकसा सकती है।
2. कूटनीति बनाम सैन्य शक्ति:
यह स्थिति एक जटिल प्रश्न उठाती है: क्या कूटनीतिक समाधान पर्याप्त थे, या सैन्य शक्ति का प्रदर्शन आवश्यक था? जबकि कूटनीति हमेशा पहला कदम होना चाहिए, कुछ परिदृश्यों में सैन्य क्षमता का प्रदर्शन कूटनीति को अधिक प्रभावी बना सकता है।
“कूटनीति वह कला है जिसके द्वारा आप एक भूरे रंग के कुत्ते को पकड़ते हैं, लेकिन सैन्य शक्ति वह है जो यह सुनिश्चित करती है कि आप इसे अपने दम पर करें।” (उपमा: एक मजबूत बातचीत की स्थिति के लिए एक मजबूत आधार आवश्यक है)
3. रूस-अमेरिका संबंध:
रूस और अमेरिका के बीच संबंध पहले से ही तनावपूर्ण रहे हैं। इस तरह की घटनाएं इन तनावों को और बढ़ा सकती हैं, जिससे वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है।
4. अंतरराष्ट्रीय कानून और मानदंड:
क्या इस तरह की सैन्य तैनाती अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप है? जबकि एक संप्रभु राष्ट्र अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अपनी सेना को कहीं भी तैनात करने के लिए स्वतंत्र है, यह अंतरराष्ट्रीय स्थिरता और शांति बनाए रखने के सिद्धांतों के साथ कैसे तालमेल बिठाता है, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)
यह घटना UPSC परीक्षा के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर करती है:
GS-II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध
- भारत और विश्व: भारत के विदेश नीति के दृष्टिकोण को समझना, और वैश्विक शक्ति संतुलन में भारत की भूमिका।
- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह: रूस-अमेरिका संबंधों का प्रभाव, और अन्य प्रमुख शक्तियों पर इसका असर।
- महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ और मंच: संयुक्त राष्ट्र, परमाणु अप्रसार संधि (NPT), आदि।
- प्रभावशाली देशों के समूह और उनके हित: अमेरिका, रूस और वैश्विक शक्ति की गतिशीलता।
GS-III: राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा
- भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले कारक: परमाणु निवारण, सैन्य आधुनिकीकरण, और पड़ोसी देशों के साथ संबंध।
- सुरक्षा बल और एजेंसियां: भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका, उनकी क्षमताएं और चुनौतियाँ।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी: परमाणु प्रौद्योगिकी, मिसाइल प्रौद्योगिकी, और पनडुब्बी प्रौद्योगिकी का विकास।
- रक्षा आधुनिकीकरण: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए रक्षा आधुनिकीकरण का महत्व।
संभावित चुनौतियाँ और चिंताएँ (Potential Challenges and Concerns)
इस प्रकार की घटनाओं से कई चुनौतियाँ और चिंताएँ उत्पन्न होती हैं:
- गलतफहमी का जोखिम: सैन्य तैनाती, विशेष रूप से यदि गुप्त रूप से की जाती है, तो गलतफहमी को जन्म दे सकती है और अनजाने में संघर्ष को भड़का सकती है।
- प्रतिक्रिया का चक्र: एक देश द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई दूसरे देश को समान या बड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर सकती है, जिससे एक खतरनाक प्रतिक्रिया चक्र शुरू हो सकता है।
- हथियारों के नियंत्रण पर प्रभाव: जब बड़ी शक्तियाँ परमाणु निवारण पर अधिक जोर देती हैं, तो यह हथियारों के नियंत्रण और निरस्त्रीकरण के प्रयासों को कमजोर कर सकती है।
- वित्तीय लागत: परमाणु पनडुब्बियों जैसी उन्नत सैन्य संपत्तियों का रखरखाव और तैनाती अत्यंत महंगी होती है, जिसका राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
- मानवीय लागत: यदि कभी परमाणु हथियारों का प्रयोग होता है, तो इसकी मानवीय लागत अकल्पवानी है।
भविष्य की राह: कूटनीति और संतुलन (The Way Forward: Diplomacy and Balance)
इस प्रकार की तनावपूर्ण स्थितियों से निपटने के लिए, कूटनीति और संतुलन महत्वपूर्ण हैं।
- खुला संचार: प्रमुख शक्तियों के बीच खुले और ईमानदार संचार चैनलों को बनाए रखना महत्वपूर्ण है ताकि गलतफहमी से बचा जा सके।
- विश्वास-निर्माण उपाय (CBMs): सैन्य अभ्यासों के बारे में पूर्व सूचना देना, सैन्य गतिविधियों में पारदर्शिता बढ़ाना, और अप्रत्याशित संघर्षों को रोकने के लिए स्थापित हॉटलाइन का उपयोग करना।
- हथियारों के नियंत्रण को मजबूत करना: मौजूदा हथियार नियंत्रण संधियों को मजबूत करना और नई संधियों का पता लगाना, विशेष रूप से परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए।
- कूटनीतिक समाधान: सैन्य शक्ति के प्रदर्शन पर निर्भर रहने के बजाय, मुद्दों को हल करने के लिए कूटनीतिक और राजनीतिक माध्यमों का उपयोग करने पर जोर देना।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों के माध्यम से सहयोग करना।
भारत के लिए सीख:
भारत को इस घटना से यह सीखना चाहिए कि वैश्विक भू-राजनीति कितनी गतिशील और अप्रत्याशित हो सकती है। भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने, अपने रक्षा आधुनिकीकरण को बनाए रखने और अपनी कूटनीतिक पहुंच का विस्तार करने की आवश्यकता है ताकि वह वैश्विक मंच पर अपने हितों की रक्षा कर सके।;
निष्कर्ष (Conclusion)
परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती, विशेष रूप से ‘उत्तेजक’ बयानों की प्रतिक्रिया के रूप में, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के नाजुक संतुलन को दर्शाती है। यह घटना हमें परमाणु निवारण की जटिलताओं, शक्ति प्रदर्शन के महत्व और कूटनीति की भूमिका पर विचार करने के लिए मजबूर करती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैसे वैश्विक घटनाएँ अंतरराष्ट्रीय संबंधों, राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा नीतियों को प्रभावित करती हैं। भविष्य में, दुनिया को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी प्रतिक्रियाएँ नियंत्रण से बाहर न हों और शांतिपूर्ण समाधान के लिए कूटनीति को प्राथमिकता दी जाए।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: परमाणु त्रय (nuclear triad) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा घटक सबसे कम जोखिम वाला (least vulnerable) माना जाता है?
(a) भूमि-आधारित इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBMs)
(b) रणनीतिक बमवर्षक विमान
(c) पनडुब्बी-आधारित बैलिस्टिक मिसाइलें (SLBMs)
(d) हवाई-आधारित क्रूज मिसाइलें
उत्तर: (c)
व्याख्या: पनडुब्बी-आधारित बैलिस्टिक मिसाइलें (SLBMs) अपनी गुप्त प्रकृति के कारण सबसे कम जोखिम वाली मानी जाती हैं, क्योंकि उनका पता लगाना और उन पर हमला करना अत्यंत कठिन होता है। - प्रश्न 2: परमाणु निवारण (nuclear deterrence) के सिद्धांत का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) दूसरे देश पर पहला हमला करना
(b) दुश्मन को युद्ध छेड़ने से रोकना
(c) परमाणु हथियारों का गुप्त भंडारण करना
(d) सैन्य सहायता प्रदान करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: परमाणु निवारण का मुख्य लक्ष्य किसी देश की परमाणु क्षमताओं का उपयोग करने की धमकी के माध्यम से युद्ध को रोकना है। - प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता परमाणु पनडुब्बियों को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाती है?
(a) केवल ध्वनिक (acoustic) प्रणोदन प्रणाली
(b) परमाणु रिएक्टरों द्वारा संचालित, जिससे लंबे समय तक संचालन संभव होता है
(c) केवल सतह पर संचालन क्षमता
(d) सीमित समुद्री यात्रा की क्षमता
उत्तर: (b)
व्याख्या: परमाणु रिएक्टरों द्वारा संचालित होने के कारण, परमाणु पनडुब्बियां महीनों तक बिना सतह पर आए कार्य कर सकती हैं, जो उन्हें अद्वितीय परिचालन क्षमता प्रदान करता है। - प्रश्न 4: ‘सेकेंड-स्ट्राइक क्षमता’ (Second-Strike Capability) से क्या तात्पर्य है?
(a) पहला हमला करने के बाद सफलतापूर्वक जवाबी कार्रवाई करने की क्षमता
(b) दुश्मन के पहले हमले से बचे रहने और जवाबी हमला करने की क्षमता
(c) परमाणु अप्रसार संधि का अनुपालन
(d) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अनुमति प्राप्त करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: सेकेंड-स्ट्राइक क्षमता का अर्थ है कि एक देश दुश्मन के पहले परमाणु हमले के बाद भी जीवित रह सकता है और जवाबी हमला कर सकता है। - प्रश्न 5: हालिया घटना के संदर्भ में, ‘उत्तेजक’ बयान का सबसे संभावित अर्थ क्या हो सकता है?
(a) सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले बयान
(b) शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का आह्वान
(c) किसी अन्य देश की सुरक्षा नीतियों को सीधे चुनौती देने वाले बयान
(d) आर्थिक सहयोग की पेशकश
उत्तर: (c)
व्याख्या: ‘उत्तेजक’ बयान का तात्पर्य आमतौर पर ऐसे बयान से होता है जो दूसरे देश की सुरक्षा या राष्ट्रीय हितों को चुनौती देते हैं। - प्रश्न 6: परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह एक देश की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन है।
2. यह परमाणु निवारण सिद्धांत को मजबूत करने का एक तरीका है।
3. यह मुख्य रूप से शांति स्थापना के उद्देश्य से किया जाता है।
उपयुक्त कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) 1 और 2 केवल
(b) 2 और 3 केवल
(c) 1 और 3 केवल
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (a)
व्याख्या: परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती सैन्य शक्ति का प्रदर्शन और निवारण को मजबूत करने का एक तरीका है, न कि मुख्य रूप से शांति स्थापना का। - प्रश्न 7: वैश्विक शक्ति संतुलन (global power balance) के संदर्भ में, एक प्रमुख शक्ति द्वारा परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती को कैसे देखा जा सकता है?
(a) क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के रूप में
(b) अन्य देशों को अपनी रक्षा तैयारियों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करने वाली कार्रवाई के रूप में
(c) केवल नौसैनिक क्षमता का प्रदर्शन
(d) अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की जीत के संकेत के रूप में
उत्तर: (b)
व्याख्या: एक प्रमुख शक्ति द्वारा इस तरह का सैन्य प्रदर्शन अन्य देशों को अपनी सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए प्रेरित कर सकता है। - प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty – NPT) का प्रमुख उद्देश्य है?
(a) परमाणु हथियारों के विकास को प्रोत्साहित करना
(b) परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना, निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देना और शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के उपयोग को सक्षम बनाना
(c) परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति देना
(d) गुप्त परमाणु परीक्षणों को बढ़ावा देना
उत्तर: (b)
व्याख्या: NPT का उद्देश्य परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना, निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देना और शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करना है। - प्रश्न 9: ‘विश्वास-निर्माण उपाय’ (Confidence-Building Measures – CBMs) का एक उदाहरण क्या हो सकता है?
(a) गुप्त सैन्य अभ्यास आयोजित करना
(b) सैन्य अभ्यासों के बारे में पूर्व सूचना देना
(c) अचानक सैन्य तैनाती करना
(d) गुप्त सूचनाओं का आदान-प्रदान करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: सैन्य अभ्यासों के बारे में पूर्व सूचना देना एक महत्वपूर्ण विश्वास-निर्माण उपाय है जो गलतफहमी को कम करता है। - प्रश्न 10: भू-राजनीतिक परिदृश्य में ‘हथियारों की दौड़’ (arms race) को क्या बढ़ावा दे सकता है?
(a) हथियारों के नियंत्रण के लिए अंतर्राष्ट्रीय समझौते
(b) एक देश द्वारा अपनी सैन्य क्षमताओं का प्रदर्शन या वृद्धि
(c) कूटनीतिक संवाद को मजबूत करना
(d) सैन्य पारदर्शिता को बढ़ाना
उत्तर: (b)
व्याख्या: एक देश की अपनी सैन्य क्षमताओं में वृद्धि या प्रदर्शन अन्य देशों को भी अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे हथियारों की दौड़ शुरू हो सकती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: हालिया ‘शब्दों के युद्ध’ और परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती की घटनाओं के आलोक में, परमाणु निवारण (nuclear deterrence) के सिद्धांत का विश्लेषण करें। चर्चा करें कि कैसे यह सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने में भूमिका निभाता है, और इसके साथ जुड़ी चुनौतियाँ और जोखिम क्या हैं? (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 2: वैश्विक भू-राजनीति और शक्ति संतुलन पर परमाणु हथियारों से लैस प्रमुख शक्तियों द्वारा सैन्य शक्ति प्रदर्शन (military power projection) के निहितार्थों का विश्लेषण करें। विशेष रूप से, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों के संदर्भ में इसके प्रभाव पर चर्चा करें। (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न 3: ‘उत्तेजक’ बयानों और सैन्य तैनाती के बीच संबंध को समझते हुए, अंतरराष्ट्रीय तनावों को कम करने और संघर्षों को रोकने के लिए प्रभावी कूटनीति और विश्वास-निर्माण उपायों (Confidence-Building Measures – CBMs) के महत्व पर प्रकाश डालें। (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न 4: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए, वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य और परमाणु शक्तियों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए, अपनी रक्षा आधुनिकीकरण रणनीतियों और कूटनीतिक पहुंच को कैसे संतुलित किया जाना चाहिए? (लगभग 250 शब्द)