नीतीश कुमार का बड़ा एलान: बिहार के मूल निवासियों को शिक्षक भर्ती में मिलेगी प्राथमिकता!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसके अनुसार राज्य की शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में बिहार के मूल निवासियों (Domicile) को प्राथमिकता दी जाएगी। यह घोषणा राज्य के युवाओं, विशेषकर शिक्षकों की नियुक्ति की तलाश कर रहे अभ्यर्थियों के बीच चर्चा और अपेक्षाओं का एक नया दौर लेकर आई है। यह नीतिगत बदलाव न केवल राज्य के भीतर रोजगार के अवसरों को प्रभावित करेगा, बल्कि इसका व्यापक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव भी होगा। UPSC के उम्मीदवारों के लिए, यह एक महत्वपूर्ण समसामयिक मामला है जिसे गवर्नेंस, सामाजिक न्याय, अर्थव्यवस्था और पॉलिटी जैसे जीएस पेपर्स के दृष्टिकोण से समझना आवश्यक है।
बिहार सरकार का यह निर्णय, देश भर में सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल कोटा या स्थानीयता आधारित प्राथमिकता के विवादास्पद मुद्दे के बीच आया है। जहाँ एक ओर यह नीति राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने का वादा करती है, वहीं दूसरी ओर इसके अन्य राज्यों के उम्मीदवारों पर प्रभाव और प्रतिस्पर्धा पर इसके असर को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। इस लेख में, हम इस घोषणा के विभिन्न पहलुओं, इसके पीछे के तर्क, संभावित लाभ और हानियों, और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसके महत्व का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।
पृष्ठभूमि: डोमिसाइल नीति और सरकारी नौकरियां
डोमिसाइल (Domicile) या अधिवास का अर्थ है किसी व्यक्ति का वह राज्य या क्षेत्र जहाँ वह स्थायी रूप से निवास करता है। भारत जैसे संघीय ढांचे वाले देश में, राज्यों को यह अधिकार है कि वे अपनी स्थानीय आवश्यकताओं और युवाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न नीतियों को लागू करें, जिसमें सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देना शामिल हो सकता है।
हालांकि, भारत का संविधान अनुच्छेद 16 (2) के तहत सार्वजनिक नियोजन के मामलों में किसी भी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद करने का निषेध करता है। लेकिन, अनुच्छेद 16 (3) संसद को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह किसी विशेष राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में निवास को उस राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में किसी सार्वजनिक नियोजन के पद के लिए नियोजन या नियुक्ति के संबंध में एक आवश्यकता के रूप में निर्धारित कर सके। यही वह संवैधानिक आधार है जिस पर कई राज्य अपनी डोमिसाइल आधारित रोजगार नीतियां बनाते हैं।
समय-समय पर, विभिन्न राज्यों ने अपनी सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं के लिए अधिक अवसर सुनिश्चित करने के उद्देश्य से डोमिसाइल नीति को अपनाया है। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने अपनी राज्य स्तरीय सेवाओं में स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता देने के लिए नियम बनाए हैं। बिहार का यह कदम इसी क्रम में देखा जा सकता है, लेकिन शिक्षक भर्ती जैसे बड़े पैमाने पर होने वाली नियुक्तियों में इसका विशेष महत्व है।
बिहार शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति: क्यों और कैसे?
बिहार में शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति को प्राथमिकता देने के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं:
- राज्य के युवाओं को रोजगार: बिहार, जनसंख्या की दृष्टि से एक बड़ा राज्य है और यहाँ रोजगार सृजन एक प्रमुख चुनौती रही है। सरकार का मानना है कि स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरियों, विशेषकर शिक्षक जैसे प्रतिष्ठित पदों पर प्राथमिकता देने से राज्य के भीतर बेरोजगारी की दर कम हो सकती है और स्थानीय प्रतिभाओं को अवसर मिल सकता है।
- स्थानीयता और जुड़ाव: यह तर्क दिया जा सकता है कि जो शिक्षक उसी राज्य से आते हैं जहाँ वे पढ़ाते हैं, उनका छात्रों और स्थानीय समुदाय के साथ बेहतर जुड़ाव हो सकता है। वे स्थानीय भाषा, संस्कृति और सामाजिक परिवेश को बेहतर ढंग से समझते हैं, जो शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के लिए फायदेमंद हो सकता है।
- राजनीतिक प्रतिबद्धता: यह घोषणा राजनीतिक दलों के चुनावी वादों का भी हिस्सा हो सकती है, जहाँ राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाना एक प्रमुख मुद्दा रहा है।
- अन्य राज्यों की नीतियां: जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, कई अन्य राज्य भी इसी तरह की नीतियों का पालन कर रहे हैं। बिहार सरकार भी अपने प्रदेश के हितों की रक्षा के लिए ऐसा कर सकती है।
यह कैसे काम करेगा? (संभावित ढाँचा)
हालांकि विस्तृत नियम और कानून अभी जारी किए जाने हैं, लेकिन इस नीति के लागू होने के तरीके के बारे में कुछ अनुमान लगाए जा सकते हैं:
- पात्रता मानदंड: यह संभव है कि शिक्षक भर्ती परीक्षाओं के लिए आवेदन करने हेतु ‘बिहार का मूल निवासी’ होना एक अनिवार्य शर्त बना दी जाए।
- प्राथमिकता का स्वरूप: यह भी हो सकता है कि राज्य के बाहर के उम्मीदवारों को आवेदन करने की अनुमति हो, लेकिन राज्य के मूल निवासियों को मेरिट लिस्ट में या अंतिम चयन में कुछ अतिरिक्त अंक या वरीयता दी जाए।
- प्रमाणन: डोमिसाइल साबित करने के लिए, अभ्यर्थियों को अधिवास प्रमाण पत्र (Domicile Certificate) या अन्य प्रासंगिक सरकारी दस्तावेजों को प्रस्तुत करना पड़ सकता है।
संभावित लाभ (Pros)
इस नीति के लागू होने से कई सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं:
- स्थानीय रोजगार को बढ़ावा: सबसे प्रत्यक्ष लाभ यह होगा कि बिहार के युवाओं के लिए सरकारी शिक्षक के पदों पर नियुक्तियों के अवसर बढ़ेंगे। इससे राज्य में बेरोजगारी का ग्राफ नीचे आ सकता है।
- स्थानीय संस्कृति का संरक्षण: स्थानीय शिक्षकों को उस क्षेत्र की भाषा, बोली और संस्कृति की गहरी समझ होती है, जिसका सकारात्मक प्रभाव शिक्षा की गुणवत्ता और छात्र-शिक्षक संबंधों पर पड़ सकता है।
- क्षेत्रीय संतुलन: यह नीति राज्य के पिछड़े या कम विकसित क्षेत्रों से आने वाले योग्य उम्मीदवारों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकती है, जहाँ बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों से प्रतिस्पर्धा अधिक हो सकती है।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलने से उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी प्रत्यक्ष लाभ होगा।
“हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हमारे युवाओं को राज्य के भीतर ही गुणवत्तापूर्ण रोजगार मिले। शिक्षक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर स्थानीय प्रतिभाओं को प्राथमिकता देना हमारी प्रतिबद्धता का हिस्सा है।” – (संभावित सरकारी वक्तव्य का अंश)
संभावित हानियाँ और चुनौतियाँ (Cons & Challenges)
हर नीति की तरह, बिहार डोमिसाइल नीति के भी कुछ नकारात्मक पहलू और चुनौतियाँ हो सकती हैं:
- प्रतिस्पर्धा का कम होना: यदि राज्य के बाहर के प्रतिभाशाली उम्मीदवारों को आवेदन करने से रोका जाता है या उन्हें कम प्राथमिकता मिलती है, तो इससे चयन प्रक्रिया में प्रतिस्पर्धा का स्तर गिर सकता है। इससे शिक्षकों की गुणवत्ता पर समग्र रूप से असर पड़ने की चिंताएं हो सकती हैं।
- “मेरिट” पर सवाल: यह बहस का विषय हो सकता है कि क्या डोमिसाइल के आधार पर प्राथमिकता देना ‘योग्यता’ (Merit) के सिद्धांत के साथ कितना मेल खाता है। क्या किसी योग्य बाहरी उम्मीदवार को केवल डोमिसाइल के कारण अवसर से वंचित करना उचित है?
- संवैधानिक चुनौतियाँ: यद्यपि अनुच्छेद 16(3) संसद को निवास के आधार पर प्राथमिकता देने की अनुमति देता है, लेकिन यदि नीति को ठीक से तैयार नहीं किया गया, तो यह समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव के निषेध (अनुच्छेद 15) का उल्लंघन कर सकती है, और अदालतों में इसे चुनौती दी जा सकती है।
- अन्य राज्यों के साथ संबंध: इस तरह की नीतियां अक्सर अन्य राज्यों के साथ “आपसी प्रतिक्रिया” (Reciprocity) को जन्म दे सकती हैं, जहाँ अन्य राज्य भी बिहार के उम्मीदवारों को अपने यहाँ प्राथमिकता देने से मना कर सकते हैं।
- कार्यान्वयन में जटिलता: डोमिसाइल प्रमाण पत्र के सत्यापन और उसके आधार पर प्राथमिकता तय करने की प्रक्रिया जटिल हो सकती है, जिसमें धोखाधड़ी की संभावना को भी नकारा नहीं जा सकता।
- शिक्षण की गुणवत्ता पर प्रभाव: यदि केवल डोमिसाइल के आधार पर चयन होता है और योग्यता को गौण कर दिया जाता है, तो इससे शिक्षकों की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है, जो अंततः छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेगा।
एक सादृश्य (An Analogy):
इसे ऐसे समझें जैसे किसी स्थानीय क्रिकेट क्लब को अपने राज्य के खिलाड़ियों को चुनने में प्राथमिकता दी जाती है। यह क्लब के लिए अच्छा है क्योंकि यह स्थानीय प्रतिभा को बढ़ावा देता है और क्लब का अपने शहर से जुड़ाव मजबूत होता है। लेकिन, अगर क्लब केवल स्थानीय खिलाड़ियों को ही चुने और देश के बेहतरीन खिलाड़ियों (जो दूसरे राज्य से हों) को नजरअंदाज कर दे, तो टीम की समग्र गुणवत्ता कम हो सकती है और वह राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में पिछड़ सकती है। सरकार को गुणवत्ता और स्थानीयता के बीच संतुलन बनाना होगा।
UPSC के दृष्टिकोण से विश्लेषण
UPSC परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, यह विषय कई जीएस पेपर्स के लिए प्रासंगिक है:
GS Paper I: Society
- सामाजिक न्याय: यह नीति सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के इर्द-गिर्द घूमती है – क्या स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देना सामाजिक न्याय है या यह अन्य योग्य नागरिकों के साथ अन्याय है?
- क्षेत्रीय असंतुलन: बिहार जैसे राज्यों में, जहाँ शिक्षा और रोजगार के अवसर सीमित रहे हैं, इस तरह की नीतियां क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने का एक प्रयास हो सकती हैं।
- जनसांख्यिकी और युवा: बिहार की बड़ी युवा आबादी और रोजगार की मांग को देखते हुए, यह नीति महत्वपूर्ण है।
GS Paper II: Polity and Governance
- संवैधानिक प्रावधान: अनुच्छेद 14, 15, और 16 (विशेषकर 16(3)) की प्रासंगिकता।
- संघवाद: केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण, विशेष रूप से रोजगार सृजन और नीति निर्माण के संबंध में।
- नीति निर्माण प्रक्रिया: सरकार कैसे निर्णय लेती है, सार्वजनिक हित बनाम व्यक्तिगत हित, और नीति के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ।
- न्यायिक समीक्षा: डोमिसाइल नीतियों को अदालतों में किस प्रकार चुनौती दी जा सकती है और न्यायिक निर्णय कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
GS Paper III: Economy and Employment
- रोजगार सृजन: सरकारी नौकरियों का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव।
- मानव पूंजी विकास: योग्य शिक्षकों की उपलब्धता का शिक्षा की गुणवत्ता और दीर्घकालिक आर्थिक विकास पर प्रभाव।
- सरकारी नीतियां और उनका प्रभाव: रोजगार के अवसरों पर डोमिसाइल नीतियों का प्रभाव।
मामलों का अध्ययन (Case Studies from Other States):
मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश सरकार ने पुलिस भर्ती सहित विभिन्न सरकारी नौकरियों में राज्य के मूल निवासियों को 100% आरक्षण देने का निर्णय लिया था, जिसे बाद में उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था। अदालत ने कहा था कि अनुच्छेद 16(3) के तहत संसद को ही यह अधिकार है, न कि राज्य विधानसभा को। हालाँकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी कि सरकार नियम बना सकती है यदि वह केवल कुछ पदों के लिए हो और उसके पीछे पर्याप्त औचित्य हो।
आंध्र प्रदेश/तेलंगाना: इन राज्यों में भी विभिन्न सरकारी और निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण के प्रावधान हैं, खासकर अनुच्छेद 371D के तहत।
ये मामले दर्शाते हैं कि डोमिसाइल आधारित आरक्षण एक संवेदनशील और कानूनी रूप से जटिल मुद्दा है। बिहार सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी नीति संवैधानिक रूप से सुदृढ़ हो।
आगे की राह (The Way Forward)
बिहार सरकार को इस नीति को लागू करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए:
- स्पष्ट दिशानिर्देश: डोमिसाइल की परिभाषा, प्रमाणन प्रक्रिया और प्राथमिकता कैसे दी जाएगी, इसके बारे में स्पष्ट और पारदर्शी दिशानिर्देश जारी किए जाने चाहिए।
- योग्यता का समावेश: यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्राथमिकता देते हुए भी, शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता और गुणवत्ता से कोई समझौता न हो। मेरिट सूची में स्थानीय उम्मीदवारों को कुछ अंक दिए जा सकते हैं, लेकिन अंतिम चयन योग्यता पर ही आधारित होना चाहिए।
- संवैधानिक वैधता: नीति को लागू करने से पहले, इसकी संवैधानिक वैधता सुनिश्चित करने के लिए कानूनी विशेषज्ञों की सलाह ली जानी चाहिए।
- संतुलित दृष्टिकोण: राज्य के युवाओं के हितों की रक्षा और शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के बीच एक कुशल संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है।
- पारदर्शिता: पूरी चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखी जानी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार के पक्षपात या भ्रष्टाचार की गुंजाइश न रहे।
निष्कर्ष (Conclusion)
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बिहार शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल को प्राथमिकता देने की घोषणा राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नीति बिहार सरकार की राज्य के भीतर रोजगार सृजन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। हालाँकि, इसके सफल कार्यान्वयन के लिए सावधानीपूर्वक योजना, स्पष्ट दिशानिर्देश और संवैधानिक अनुपालन सुनिश्चित करना आवश्यक है।
यह नीति न केवल बिहार के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित करेगी, बल्कि यह देश भर में सरकारी नौकरियों में स्थानीयता के मुद्दे पर चल रही बहस को भी नया आयाम देगी। UPSC उम्मीदवारों को इस मामले के सभी पहलुओं, इसके संवैधानिक आधार, संभावित लाभ-हानि और सामाजिक-आर्थिक प्रभावों की गहन समझ रखनी चाहिए, क्योंकि यह परीक्षा में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण समसामयिक मुद्दों में से एक है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद को किसी राज्य में निवास को सार्वजनिक नियोजन के लिए एक शर्त के रूप में निर्धारित करने की शक्ति देता है?
(a) अनुच्छेद 15(3)
(b) अनुच्छेद 16(3)
(c) अनुच्छेद 14
(d) अनुच्छेद 19(1)(d)
उत्तर: (b) अनुच्छेद 16(3)
व्याख्या: अनुच्छेद 16(3) विशेष रूप से संसद को यह अधिकार देता है कि वह निवास को किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में सार्वजनिक नियोजन के लिए आवश्यक शर्त बना सके।
2. हालिया घोषणा के अनुसार, बिहार सरकार शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में किसे प्राथमिकता देने जा रही है?
(a) बिहार के निवासी
(b) बिहार के शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों से उत्तीर्ण अभ्यर्थी
(c) बिहार राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों से उत्तीर्ण अभ्यर्थी
(d) बिहार के उन नागरिकों को जो शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) में सर्वाधिक अंक प्राप्त करते हैं
उत्तर: (a) बिहार के निवासी
व्याख्या: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा के अनुसार, बिहार के मूल निवासियों को शिक्षक भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी।
3. सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल आधारित आरक्षण की नीति किस सिद्धांत से जुड़ी हुई है?
(a) संघवाद
(b) सामाजिक न्याय
(c) क्षेत्रवाद
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (d) उपर्युक्त सभी
व्याख्या: डोमिसाइल नीतियां संघवाद (राज्य के अधिकार), सामाजिक न्याय (स्थानीय लोगों को अवसर) और क्षेत्रवाद (क्षेत्रीय हितों को बढ़ावा देना) जैसे सिद्धांतों से जुड़ी हैं।
4. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 16 किस अधिकार से संबंधित है?
(a) समानता का अधिकार
(b) स्वतंत्रता का अधिकार
(c) सार्वजनिक नियोजन के मामलों में अवसर की समानता
(d) धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
उत्तर: (c) सार्वजनिक नियोजन के मामलों में अवसर की समानता
व्याख्या: अनुच्छेद 16 सार्वजनिक नियोजन के मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता सुनिश्चित करता है, जिसमें भेदभाव का निषेध शामिल है।
5. निम्नलिखित में से किस राज्य ने अतीत में सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने के लिए कदम उठाए हैं?
1. मध्य प्रदेश
2. महाराष्ट्र
3. आंध्र प्रदेश
4. गुजरात
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (a) केवल 1, 2 और 3
व्याख्या: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने स्थानीय निवासियों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने के लिए नीतियां बनाई हैं। गुजरात का इस संदर्भ में प्रमुखता से उल्लेख नहीं मिलता।
6. डोमिसाइल नीति को लागू करने में सरकार के सामने एक प्रमुख चुनौती क्या हो सकती है?
(a) अत्यधिक प्रतिस्पर्धा
(b) संवैधानिक वैधता सुनिश्चित करना
(c) आर्थिक मंदी
(d) अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप
उत्तर: (b) संवैधानिक वैधता सुनिश्चित करना
व्याख्या: डोमिसाइल आधारित आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के साथ टकराव की स्थिति पैदा कर सकता है, इसलिए इसकी संवैधानिक वैधता सुनिश्चित करना एक प्रमुख चुनौती है।
7. बिहार शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल को प्राथमिकता देने का एक संभावित लाभ निम्नलिखित में से कौन सा है?
(a) राष्ट्रीय प्रतिभा को आकर्षित करना
(b) शिक्षकों के लिए बेहतर वेतन सुनिश्चित करना
(c) राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाना
(d) शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देना
उत्तर: (c) राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाना
व्याख्या: इस नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य के भीतर ही स्थानीय युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों में अवसरों को बढ़ाना है।
8. निम्नलिखित में से कौन सा कथन अनुच्छेद 16(2) के संबंध में सही है?
(a) यह राज्यों को डोमिसाइल के आधार पर आरक्षण देने की अनुमति देता है।
(b) यह किसी भी नागरिक के विरुद्ध केवल जन्मस्थान के आधार पर नियोजन में भेदभाव का निषेध करता है।
(c) यह केंद्र सरकार को डोमिसाइल नीति बनाने का अधिकार देता है।
(d) यह राज्य विधानसभाओं को डोमिसाइल को निवास की शर्त बनाने की शक्ति देता है।
उत्तर: (b) यह किसी भी नागरिक के विरुद्ध केवल जन्मस्थान के आधार पर नियोजन में भेदभाव का निषेध करता है।
व्याख्या: अनुच्छेद 16(2) धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव को रोकता है। अनुच्छेद 16(3) ही संसद को निवास के आधार पर छूट देने की शक्ति देता है।
9. बिहार सरकार की शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति से किसे सबसे अधिक प्रत्यक्ष लाभ होने की संभावना है?
(a) बिहार में रहने वाले गैर-नागरिक
(b) अन्य राज्यों के शिक्षक
(c) बिहार के मूल निवासी युवा
(d) बिहार के निजी शिक्षण संस्थानों के संस्थापक
उत्तर: (c) बिहार के मूल निवासी युवा
व्याख्या: नीति का सीधा उद्देश्य बिहार के मूल निवासी युवाओं के लिए शिक्षक भर्ती के अवसरों को बढ़ाना है।
10. यदि कोई राज्य सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल को अनिवार्य करता है, तो यह किस प्रकार की प्रतियोगिता को प्रभावित कर सकता है?
(a) स्थानीय प्रतियोगिता
(b) राष्ट्रीय प्रतियोगिता
(c) अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (b) राष्ट्रीय प्रतियोगिता
व्याख्या: डोमिसाइल नीति अन्य राज्यों के योग्य उम्मीदवारों को आवेदन करने से रोक या सीमित कर सकती है, जिससे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता प्रभावित होती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. “भारतीय संविधान का अनुच्छेद 16 सार्वजनिक नियोजन के मामलों में अवसर की समानता प्रदान करता है, लेकिन अनुच्छेद 16(3) निवास के आधार पर कुछ अपवादों की अनुमति देता है।” बिहार सरकार की शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल को प्राथमिकता देने की नीति के संदर्भ में इस कथन का विश्लेषण करें। इसके संभावित सामाजिक, आर्थिक और संवैधानिक निहितार्थों पर चर्चा करें।
2. सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल आधारित आरक्षण की नीति को ‘स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा’ के रूप में देखा जाता है। इस तर्क का मूल्यांकन करें और भारत में इस तरह की नीतियों के पक्ष और विपक्ष में तर्कों पर विस्तार से चर्चा करें, खासकर गुणवत्ता बनाम स्थानीयता के मुद्दे पर।
3. बिहार में शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति के कार्यान्वयन में क्या चुनौतियाँ आ सकती हैं? नीति को संवैधानिक रूप से सुदृढ़ और प्रभावी बनाने के लिए सरकार को किन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए?
4. “योग्यता (Merit) और स्थानीयता (Localism) के बीच संतुलन बनाना सरकारी नीति-निर्माण का एक महत्वपूर्ण पहलू है।” बिहार सरकार द्वारा शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल को प्राथमिकता देने के निर्णय के आलोक में इस कथन की प्रासंगिकता का मूल्यांकन करें।