Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

निर्णायक तैयारी: समाजशास्त्र के 25 महत्वपूर्ण प्रश्न

निर्णायक तैयारी: समाजशास्त्र के 25 महत्वपूर्ण प्रश्न

समाजशास्त्र के अभ्यर्थियों, अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए! आज की यह विशेष प्रश्नोत्तरी आपके समाजशास्त्रीय ज्ञान को एक नई दिशा देगी। हर प्रश्न गहन अध्ययन और परीक्षा की मांग के अनुरूप तैयार किया गया है। आइए, अपनी तैयारी के स्तर को जांचें और आत्मविश्वास बढ़ाएं!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?

  1. ई.बी. टायलर
  2. विलियम ग्राहम समनर
  3. एल्बाइन स्ट्रास
  4. ऑगस्ट कॉम्टे

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “फ़ोकवेज़” (Folkways) में “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा प्रस्तुत की। यह अवधारणा समाज में संस्कृति के विभिन्न तत्वों के बीच गति के अंतर को दर्शाती है, जहाँ भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे रूढ़ियाँ, मूल्य) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे एक प्रकार का असंतुलन पैदा होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: समनर के अनुसार, अभौतिक संस्कृति इन परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने में पिछड़ जाती है, जिससे सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह समाजशास्त्र में परिवर्तन के अध्ययन का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
  • गलत विकल्प: ई.बी. टायलर ने “प्रिमिटिव कल्चर” में संस्कृति के विकास का अध्ययन किया। एल्बाइन स्ट्रास एक संरचनावादी मानवविज्ञानी थे। ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, जिन्होंने प्रत्यक्षवाद (Positivism) का सिद्धांत दिया।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा सामाजिक स्तरीकरण के मार्क्सवादी सिद्धांत का केंद्रीय तत्व है?

  1. सैनिक शक्ति
  2. वर्ग संघर्ष
  3. ज्ञान का प्रसार
  4. सामाजिक गतिशीलता

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, सामाजिक स्तरीकरण का मूल आधार उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व है, जिसके कारण समाज दो मुख्य वर्गों – बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक) – में विभाजित होता है। इन दोनों वर्गों के हित परस्पर विरोधी होते हैं, जिससे निरंतर “वर्ग संघर्ष” होता रहता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन का मुख्य चालक है। मार्क्स का मानना ​​था कि यह वर्ग संघर्ष अंततः पूंजीवाद के पतन और साम्यवाद की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगा।
  • गलत विकल्प: सैनिक शक्ति, ज्ञान का प्रसार और सामाजिक गतिशीलता महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हो सकती हैं, लेकिन वे मार्क्सवादी स्तरीकरण सिद्धांत के केंद्रीय चालक नहीं हैं। सैनिक शक्ति शक्ति का एक रूप है, ज्ञान का प्रसार शिक्षा से संबंधित है, और सामाजिक गतिशीलता किसी व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में बदलाव को दर्शाती है, जो मार्क्स के वर्ग संघर्ष से भिन्न है।

प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम ने किस अवधारणा का प्रयोग समाज के उस अवस्था को वर्णित करने के लिए किया जहाँ सामाजिक नियम कमजोर या अनुपस्थित होते हैं?

  1. अलगाव (Alienation)
  2. अभिजात वर्ग का चक्र (Circulation of Elites)
  3. अराजकता (Anomie)
  4. सांस्कृतिक विलंब (Cultural Lag)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने “अराजकता” (Anomie) शब्द का प्रयोग उस सामाजिक स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहाँ समाज में साझा मूल्यों और मानदंडों का अभाव होता है, जिससे व्यक्तियों को अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करने में कठिनाई होती है और वे समाज से अलग-थलग महसूस करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की “आत्महत्या” (Suicide) पुस्तक में विस्तार से बताई गई है, जहाँ उन्होंने दिखाया कि कैसे अराजकता सामाजिक एकीकरण के टूटने से आत्महत्या की दर को बढ़ा सकती है।
  • गलत विकल्प: अलगाव (Alienation) कार्ल मार्क्स की अवधारणा है। अभिजात वर्ग का चक्र (Circulation of Elites) विल्फ्रेडो पैरेटो से जुड़ा है। सांस्कृतिक विलंब (Cultural Lag) समनर की अवधारणा है।

प्रश्न 4: जी.एच. मीड ने “स्व” (Self) के विकास में किन दो मुख्य अंतःक्रियात्मक प्रक्रियाओं पर बल दिया?

  1. अभिसरण और विचलन
  2. सामंजस्य और संघर्ष
  3. “मैं” (I) और “मुझे” (Me)
  4. आत्मसात्करण और समायोजन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख विचारक, ने “स्व” (Self) के विकास में “मैं” (I) और “मुझे” (Me) की भूमिका पर बल दिया। “मैं” व्यक्ति की तात्कालिक, अनियंत्रित और रचनात्मक प्रतिक्रिया है, जबकि “मुझे” समाज द्वारा स्वीकृत भूमिकाओं और दृष्टिकोणों का आंतरिककरण है।
  • संदर्भ और विस्तार: इन दोनों के बीच निरंतर अंतःक्रिया के माध्यम से व्यक्ति का “स्व” विकसित होता है। “मुझे” वह है जिसके प्रति हम सचेत होते हैं, और “मैं” वह है जो हमें अनूठा बनाता है।
  • गलत विकल्प: अभिसरण और विचलन, सामंजस्य और संघर्ष, तथा आत्मसात्करण और समायोजन सामान्य समाजशास्त्रीय या मनोवैज्ञानिक अवधारणाएँ हैं, लेकिन मीड के “स्व” के सिद्धांत से सीधे संबंधित नहीं हैं।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा सिद्धांत मानता है कि सामाजिक संरचनाएँ समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए विभिन्न अंतर्संबंधित भागों के एक तंत्र की तरह काम करती हैं?

  1. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism)
  4. नारीवादी सिद्धांत (Feminist Theory)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism) यह मानता है कि समाज विभिन्न संरचनाओं (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) से बना है, जो प्रत्येक एक विशिष्ट कार्य (Function) करती हैं। ये कार्य मिलकर समाज को व्यवस्थित और स्थिर बनाए रखने में मदद करते हैं, ठीक उसी तरह जैसे मानव शरीर के अंग मिलकर एक जीव को जीवित रखते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: टैल्कॉट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन इस सिद्धांत के प्रमुख प्रतिपादक हैं। यह सिद्धांत समाज में संतुलन और व्यवस्था पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।
  • गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत समाज को शक्ति और असमानता के संघर्षों के रूप में देखता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। नारीवादी सिद्धांत लैंगिक असमानता और पितृसत्ता पर केंद्रित है।

प्रश्न 6: भारत में जाति व्यवस्था के अध्ययन में, एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत “संसकृतीकरण” (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?

  1. किसी निम्न जाति का उच्च जाति के रीति-रिवाजों, परंपराओं और कर्मकांडों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास।
  2. आधुनिक पश्चिमी मूल्यों और जीवन शैलियों को अपनाना।
  3. तकनीकी और औद्योगिक विकास के कारण होने वाले सामाजिक परिवर्तन।
  4. धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया, जहाँ धार्मिक प्रभाव कम होता है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने “संसकृतीकरण” की अवधारणा को अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में प्रस्तुत किया। यह उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जहाँ निचली या मध्य जातियों के सदस्य उच्च (अक्सर द्विजाति) जातियों के रीति-रिवाजों, खान-पान, पूजा-पाठ और सामाजिक व्यवहारों को अपनाकर अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने का प्रयास करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है जो सामाजिक स्तरीकरण के भीतर होती है। यह जरूरी नहीं कि संस्थागत (Structural) परिवर्तन हो, बल्कि यह व्यक्ति या समूह के स्तर पर सांस्कृतिक अनुकूलन है।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण (Westernization) पश्चिमी देशों की जीवन शैली का अनुकरण है। आधुनिकीकरण (Modernization) एक व्यापक प्रक्रिया है। धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization) धार्मिक प्रभाव में कमी को दर्शाता है।

प्रश्न 7: भारत में “जजमानी प्रणाली” (Jajmani System) मुख्य रूप से किस प्रकार की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था से संबंधित थी?

  1. औद्योगिक उत्पादन
  2. बाजार आधारित विनिमय
  3. सेवाओं और वस्तुओं का पारंपरिक, वंशानुगत विनिमय
  4. सामूहिक कृषि

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जजमानी प्रणाली भारतीय ग्रामीण समाजों में प्रचलित एक पारंपरिक व्यवस्था थी, जहाँ विभिन्न जातियों के बीच सेवाओं और वस्तुओं का आदान-प्रदान वंशानुगत संबंधों पर आधारित था। एक जाति (जजमान) दूसरी जाति (कुलिन्स) को सेवाएं प्रदान करती थी और बदले में उनसे सेवाएँ या वस्तुएँ प्राप्त करती थी, प्रायः एक निश्चित वार्षिक पारिश्रमिक के रूप में।
  • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था ग्राम्य अर्थव्यवस्था को एकीकृत करती थी और विभिन्न जातियों के बीच परस्पर निर्भरता सुनिश्चित करती थी। इसके अध्ययन में डब्ल्यू. क्रूक्शंक, ई.बी. हटन और के.एल. शर्मा जैसे विद्वानों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
  • गलत विकल्प: यह प्रणाली औद्योगिक उत्पादन, बाजार आधारित विनिमय या सामूहिक कृषि से भिन्न है, क्योंकि यह व्यक्तिगत, वंशानुगत और सेवा-आधारित संबंधों पर टिकी थी, न कि लाभ या उत्पादकता पर।

प्रश्न 8: रॉबर्ट मर्टन ने सामाजिक संरचना और संस्कृति के बीच के अंतर्संबंध को समझाने के लिए किन दो मुख्य अवधारणाओं का विकास किया?

  1. सार्वभौमिक और विशिष्ट सांस्कृतिक पैटर्न
  2. अभिकल्प (Design) और संरचना (Structure)
  3. प्रकार्य (Function) और विकार्य (Dysfunction)
  4. संस्कृति और उपसंस्कृति (Subculture)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने समाजशास्त्र में “प्रकार्य” (Function) और “वकार्य” (Dysfunction) की अवधारणाएँ प्रस्तुत कीं। प्रकार्य वे परिणाम हैं जो किसी सामाजिक व्यवस्था या संरचना के अनुकूलन या समायोजन में योगदान करते हैं, जबकि विकार्य वे परिणाम हैं जो व्यवस्था के अनुकूलन या समायोजन को कम करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने प्रकट प्रकार्य (Manifest Function – इच्छित और पहचाने गए परिणाम) और अप्रकट प्रकार्य (Latent Function – अनजाने या अनपेक्षित परिणाम) के बीच भी अंतर किया। यह प्रतिमान समाज में विभिन्न संस्थाओं के योगदान को विश्लेषणात्मक रूप से समझने में मदद करता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प समाजशास्त्र या मानव विज्ञान की अन्य अवधारणाओं से संबंधित हैं, लेकिन मर्टन द्वारा विशेष रूप से सामाजिक संरचना और उसके परिणामों को समझाने के लिए विकसित नहीं की गईं।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संस्था समाज में बच्चों के समाजीकरण, यौन नियंत्रण और भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करने के लिए जानी जाती है?

  1. शिक्षा
  2. राजनीति
  3. परिवार
  4. अर्थव्यवस्था

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: परिवार को समाज की एक प्राथमिक संस्था माना जाता है जो बच्चों के प्रारंभिक समाजीकरण, प्रेम और देखभाल, भावनात्मक समर्थन, और यौन संबंध स्थापित करने के लिए एक स्वीकार्य ढाँचा प्रदान करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: परिवार विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं (जैसे, एकाकी, संयुक्त, पितृसत्तात्मक, मातृसत्तात्मक), लेकिन इन मूल कार्यों को पूरा करने में वे सार्वभौमिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
  • गलत विकल्प: शिक्षा मुख्य रूप से ज्ञान और कौशल के हस्तांतरण से संबंधित है। राजनीति शक्ति और शासन से संबंधित है। अर्थव्यवस्था वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण और उपभोग से संबंधित है। हालाँकि ये सभी संस्थाएँ समाजीकरण में भूमिका निभाती हैं, लेकिन परिवार ये सभी कार्य प्राथमिक स्तर पर करता है।

प्रश्न 10: इरावती कर्वे ने किस आधार पर “भारतीय समाज” को नातेदारी (Kinship) के संदर्भ में विश्लेषित किया?

  1. आर्थिक निर्भरता
  2. क्षेत्रीय भिन्नताएँ
  3. नियमों और संरचनाओं की भिन्नता
  4. धर्म का प्रभाव

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: इरावती कर्वे, अपनी पुस्तक “Kinship Organization in India” में, भारत को नातेदारी की संरचनाओं और नियमों में पाई जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं के आधार पर विभाजित करती हैं। उन्होंने उत्तर भारत और दक्षिण भारत के नातेदारी पैटर्न में महत्वपूर्ण अंतर बताए।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने विशेष रूप से विवाह, वंशानुक्रम और पारिवारिक संरचनाओं के संदर्भ में इन भिन्नताओं पर प्रकाश डाला, जो भारतीय समाज की विविधता को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • गलत विकल्प: जबकि आर्थिक निर्भरता, क्षेत्रीय भिन्नताएँ (व्यापक अर्थ में) और धर्म का प्रभाव नातेदारी को प्रभावित कर सकते हैं, कर्वे का मुख्य विश्लेषणात्मक आधार नातेदारी के नियमों और संरचनाओं में देखी जाने वाली भिन्नताएँ थीं।

प्रश्न 11: समाजशास्त्र में “सामाजिकरण” (Socialization) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?

  1. समाज के नियमों और मूल्यों को सीखना तथा आत्मसात करना।
  2. वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करके समाज का अध्ययन करना।
  3. सामाजिक संरचनाओं का निर्माण करना।
  4. सामाजिक समस्याओं का समाधान खोजना।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिकरण वह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने समाज या समूह के मूल्यों, विश्वासों, व्यवहारों, ज्ञान और कौशल को सीखता है और उन्हें अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बनाता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को समाज में एक क्रियाशील सदस्य बनने में सक्षम बनाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है जो परिवार, स्कूल, मित्र मंडली, मीडिया और कार्यस्थल जैसी विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से होती है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प समाजशास्त्र के अन्य पहलुओं से संबंधित हैं। वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग अनुसंधान पद्धति है। सामाजिक संरचनाओं का निर्माण समाजशास्त्रीय विश्लेषण का विषय है, लेकिन स्वयं सामाजिकरण नहीं। सामाजिक समस्याओं का समाधान सामाजिक नीति और हस्तक्षेप का क्षेत्र है।

प्रश्न 12: लुईस विर्थ (Louis Wirth) ने अपने निबंध “शहरीवाद एक जीवन शैली के रूप में” (Urbanism as a Way of Life) में शहरी जीवन की प्रमुख विशेषताओं के रूप में किन कारकों की पहचान की?

  1. बड़े आकार, उच्च घनत्व और विषमता (heterogeneity)
  2. पारंपरिक समुदाय और घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध
  3. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और ग्रामीण जीवन शैली
  4. सरल सामाजिक संरचना और रूढ़िवादी मूल्य

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: लुईस विर्थ ने तर्क दिया कि शहरीकरण के तीन मुख्य कारक – बड़े आकार (Size), उच्च घनत्व (Density) और विषमता (Heterogeneity) – व्यक्तिगत संबंधों को सतही, अस्थायी और खंडित बनाते हैं, और बदले में, शहरी जीवन को एक विशिष्ट जीवन शैली प्रदान करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस जीवन शैली में व्यक्तित्व पर अधिक जोर दिया जाता है, सामाजिक नियंत्रण की विधियाँ अनौपचारिक से औपचारिक की ओर बढ़ती हैं, और समुदाय की भावना कमजोर हो जाती है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प ग्रामीण या पारंपरिक समाजों की विशेषताओं का वर्णन करते हैं, न कि विर्थ द्वारा पहचानी गई शहरी जीवन शैली की।

प्रश्न 13: भारत में “पिछड़ापन” (Backwardness) की अवधारणा मुख्य रूप से किस सामाजिक विशेषता से जुड़ी रही है?

  1. आर्थिक समृद्धि
  2. उच्च साक्षरता दर
  3. सामाजिक और शैक्षिक वंचन (Disadvantage)
  4. औद्योगिक विकास

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारतीय संदर्भ में, “पिछड़ापन” की अवधारणा ऐतिहासिक रूप से सामाजिक और शैक्षिक वंचन से जुड़ी रही है। यह उन समुदायों (अक्सर निचली जातियों या कुछ जनजातियों) को संदर्भित करता है जिन्हें जाति व्यवस्था, ऐतिहासिक उपेक्षा और संस्थागत भेदभाव के कारण शिक्षा, रोजगार और सामाजिक अवसरों तक समान पहुँच नहीं मिली है।
  • संदर्भ और विस्तार: सरकारी नीतियाँ, जैसे आरक्षण, इसी वंचन को दूर करने और इन समूहों को मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से बनाई गई हैं।
  • गलत विकल्प: आर्थिक समृद्धि, उच्च साक्षरता दर और औद्योगिक विकास पिछड़ेपन के विपरीत स्थितियाँ हैं, न कि उनसे जुड़ी विशेषताएँ।

प्रश्न 14: किस समाजशास्त्री ने “समाज” को एक “प्रतीकात्मक व्यवस्था” के रूप में देखा, जहाँ व्यक्ति अर्थों और प्रतीकों के माध्यम से अंतःक्रिया करते हैं?

  1. इमाइल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के संस्थापकों में से एक माना जाता है। उनका मानना ​​था कि समाज और “स्व” (Self) का निर्माण व्यक्तियों के बीच भाषा, हावभाव और प्रतीकों के माध्यम से होने वाली अंतःक्रियाओं के माध्यम से होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: समाज प्रतीकों के साझा अर्थों और उनकी व्याख्याओं पर टिका होता है। व्यक्ति इन प्रतीकों को अपनी अंतःक्रियाओं में प्रयोग करके और अर्थ निकालकर सामाजिक यथार्थ का निर्माण करते हैं।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और सामूहिक चेतना पर, मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और आर्थिक आधार पर, और वेबर ने सामाजिक क्रिया और अर्थ पर बल दिया, लेकिन प्रतीकात्मक अंतःक्रिया को समाज के मूल में रखने का श्रेय मीड को जाता है।

प्रश्न 15: मैक्स वेबर के अनुसार, “सत्ता” (Authority) के तीन आदर्श प्रकार कौन से हैं?

  1. बलों का बल, प्रभाव, अनुनय
  2. पारंपरिक, करिश्माई, कानूनी-तर्कसंगत
  3. राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक
  4. प्रौद्योगिकी, संस्था, व्यक्ति

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने “सत्ता” (Authority) के तीन आदर्श प्रकारों की पहचान की: पारंपरिक सत्ता (जो परंपरा और प्रथाओं पर आधारित है), करिश्माई सत्ता (जो एक व्यक्ति के असाधारण गुणों और आकर्षण पर आधारित है), और कानूनी-तर्कसंगत सत्ता (जो नियमों, विनियमों और पद पर आधारित है)।
  • संदर्भ और विस्तार: ये प्रकार सत्ता के औचित्य (Legitimacy) को समझने में मदद करते हैं। आधुनिक समाजों में कानूनी-तर्कसंगत सत्ता प्रमुख है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प सत्ता के अन्य आयामों या विभिन्न समाजशास्त्रीय वर्गीकरणों से संबंधित हो सकते हैं, लेकिन वेबर के विशिष्ट सत्ता प्रकारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते।

प्रश्न 16: भारत में “आदिवासी” (Tribal) समुदायों के संदर्भ में, उनकी अपनी विशिष्ट संस्कृति, भाषा और समाजिक संगठन को बनाए रखने की प्रक्रिया को क्या कहा जाता है?

  1. अलगाव (Alienation)
  2. समूह की पहचान (Group Identity)
  3. सांस्कृतिक आत्मसात्करण (Cultural Assimilation)
  4. समाजीकरण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जब आदिवासी समुदाय अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक पहचान को बनाए रखते हैं, भले ही वे बहुसंख्यक समाज के साथ बातचीत कर रहे हों, तो इसे “समूह की पहचान” (Group Identity) के रूप में देखा जाता है। यह अलगाव (Alienation) से भिन्न है, जो समाज से जुड़ाव का अभाव है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पहचान उनकी सामूहिक चेतना, परंपराओं और इतिहास से उत्पन्न होती है। भारत में आदिवासी समुदायों के अध्ययन में यह एक महत्वपूर्ण पहलू है।
  • गलत विकल्प: अलगाव (Alienation) समाज से अलगाव की भावना है। सांस्कृतिक आत्मसात्करण (Cultural Assimilation) तब होता है जब कोई अल्पसंख्यक समूह बहुसंख्यक समूह में घुलमिल जाता है और अपनी विशिष्टता खो देता है। समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज के नियम और मूल्य सीखे जाते हैं।

प्रश्न 17: समाजशास्त्र में “जाति व्यवस्था” (Caste System) को एक “बंद स्तरीकरण” (Closed Stratification) प्रणाली क्यों माना जाता है?

  1. क्योंकि यह सामाजिक गतिशीलता की अनुमति देती है।
  2. क्योंकि इसमें जन्म के आधार पर स्थिति तय होती है और व्यवसाय वंशानुगत होते हैं, जिससे गतिशीलता बहुत सीमित होती है।
  3. क्योंकि यह केवल आर्थिक आधार पर आधारित है।
  4. क्योंकि यह किसी भी प्रकार के सामाजिक संपर्क की अनुमति नहीं देती है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जाति व्यवस्था को एक बंद स्तरीकरण प्रणाली माना जाता है क्योंकि व्यक्ति की सामाजिक स्थिति और व्यवसाय उसके जन्म से तय होते हैं, और अन्य जातियों में परिवर्तन या विवाह (अंतर-जाति विवाह) वर्जित या अत्यधिक प्रतिबंधित होता है। इससे सामाजिक गतिशीलता (ऊपर या नीचे की ओर) लगभग असंभव हो जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, वर्ग व्यवस्था को एक खुली स्तरीकरण प्रणाली माना जाता है जहाँ जन्म के अलावा आर्थिक स्थिति, शिक्षा आदि के आधार पर गतिशीलता संभव है।
  • गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि गतिशीलता सीमित है। (c) गलत है क्योंकि यह केवल आर्थिक आधार पर नहीं, बल्कि जन्म, शुद्धता-अशुद्धता और अंतर्क्रिया के नियमों पर आधारित है। (d) गलत है क्योंकि जातियों के बीच निश्चित प्रकार के सामाजिक संपर्क (जैसे खान-पान, विवाह) होते हैं, हालांकि वे प्रतिबंधित होते हैं।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने “अनुकूलन” (Adaptation) को सामाजिक व्यवस्था के चार प्रमुख प्रकार्यात्मक उप-प्रणालियों (AGIL Schema) में से एक माना?

  1. ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
  2. ताल्कॉट पार्सन्स
  3. रॉबर्ट के. मर्टन
  4. सिगमंड फ्रायड

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ताल्कॉट पार्सन्स ने समाज को एक प्रणाली के रूप में देखा जो चार प्रकार्यात्मक आवश्यकताओं को पूरा करती है: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration) और अव्यक्त निष्ठा (Latency/Pattern Maintenance)। इसे AGIL मॉडल के रूप में जाना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुकूलन (A) का अर्थ है पर्यावरण के साथ अंतःक्रिया करके संसाधनों को प्राप्त करना। लक्ष्य प्राप्ति (G) का अर्थ है समाज के लक्ष्यों को परिभाषित करना और प्राप्त करना। एकीकरण (I) का अर्थ है विभिन्न भागों को एक साथ जोड़ना। अव्यक्त निष्ठा (L) का अर्थ है सांस्कृतिक मूल्यों और पैटर्न को बनाए रखना।
  • गलत विकल्प: अन्य विद्वानों ने सामाजिक व्यवस्था के महत्वपूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत किए हैं, लेकिन AGIL मॉडल पार्सन्स का विशिष्ट योगदान है।

प्रश्न 19: मैक्स वेबर ने “तर्कसंगतता” (Rationalization) को आधुनिक पश्चिमी समाजों की एक प्रमुख विशेषता क्यों माना?

  1. क्योंकि वे अंधविश्वास और जादुई सोच से मुक्त हो गए थे।
  2. क्योंकि उन्होंने वैज्ञानिक विधि और दक्षता पर आधारित संगठन और निर्णय लेने की प्रक्रिया को अपनाया।
  3. क्योंकि धार्मिक विश्वासों का प्रभाव बढ़ा था।
  4. क्योंकि व्यक्तिगत संबंध अधिक महत्वपूर्ण हो गए थे।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: वेबर के अनुसार, तर्कसंगतता आधुनिक समाजों की वह प्रक्रिया है जहाँ निर्णय लेने और समस्याओं को हल करने के लिए दक्षता, गणना, नियम और वैज्ञानिक विधि पर जोर दिया जाता है। इसने धर्म और भावना पर आधारित पारंपरिक या करिश्माई तरीकों को प्रतिस्थापित किया है।
  • संदर्भ और विस्तार: नौकरशाही (Bureaucracy) तर्कसंगतता का एक प्रमुख रूप है, जहाँ नियम और पदानुक्रम संगठनात्मक दक्षता सुनिश्चित करते हैं। वेबर ने इसे “लौह पिंजरे” (Iron Cage) के रूप में भी देखा, जहाँ तर्कसंगतता और दक्षता मनुष्य को उसके स्व से अलग कर सकती है।
  • गलत विकल्प: आधुनिक पश्चिमी समाज अंधविश्वास से मुक्त होने के बजाय, तर्कसंगतता के उदय को देखता है। धार्मिक विश्वासों का प्रभाव आम तौर पर कम हुआ है (धर्मनिरपेक्षीकरण), और व्यक्तिगत संबंध अक्सर अधिक सतही हो जाते हैं, न कि अधिक महत्वपूर्ण।

प्रश्न 20: भारत में “आधुनिकता” (Modernity) की प्रक्रिया से संबंधित कौन सा कथन सबसे उपयुक्त है?

  1. यह केवल पश्चिमी संस्कृति को अपनाना है।
  2. यह औद्योगीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण और व्यक्तिवाद की वृद्धि से जुड़ी एक जटिल सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवर्तन की प्रक्रिया है।
  3. यह पारंपरिक संस्थाओं को पूरी तरह से अस्वीकार करना है।
  4. यह ग्रामीण जीवन शैली की ओर वापसी है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: आधुनिकता एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें औद्योगीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण, पूंजीवाद का उदय, तर्कसंगतता, व्यक्तिवाद और राष्ट्रीय राज्यों का गठन जैसे परिवर्तन शामिल हैं। यह केवल पश्चिमीकरण नहीं है, बल्कि इन परिवर्तनों को विभिन्न समाजों द्वारा अपनी विशिष्टता के साथ अपनाना या प्रतिक्रिया करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में आधुनिकता की प्रक्रिया एक जटिल और अक्सर विरोधाभासी रही है, जहाँ परंपरा और आधुनिकता के बीच निरंतर संवाद और तनाव मौजूद है।
  • गलत विकल्प: आधुनिकता केवल पश्चिमी संस्कृति को अपनाना नहीं है; इसमें स्थानीय अनुकूलन भी शामिल है। यह पारंपरिक संस्थाओं को पूरी तरह से अस्वीकार नहीं करता, बल्कि उन्हें संशोधित या पुनर्परिभाषित कर सकता है। यह ग्रामीण जीवन शैली की ओर वापसी नहीं है।

प्रश्न 21: इरावती कर्वे ने किस आधार पर भारतीय समाज को नातेदारी (Kinship) के संदर्भ में विश्लेषित किया?

  1. आर्थिक निर्भरता
  2. क्षेत्रीय भिन्नताएँ
  3. नियमों और संरचनाओं की भिन्नता
  4. धर्म का प्रभाव

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: इरावती कर्वे, अपनी पुस्तक “Kinship Organization in India” में, भारत को नातेदारी की संरचनाओं और नियमों में पाई जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं के आधार पर विभाजित करती हैं। उन्होंने उत्तर भारत और दक्षिण भारत के नातेदारी पैटर्न में महत्वपूर्ण अंतर बताए।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने विशेष रूप से विवाह, वंशानुक्रम और पारिवारिक संरचनाओं के संदर्भ में इन भिन्नताओं पर प्रकाश डाला, जो भारतीय समाज की विविधता को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • गलत विकल्प: जबकि आर्थिक निर्भरता, क्षेत्रीय भिन्नताएँ (व्यापक अर्थ में) और धर्म का प्रभाव नातेदारी को प्रभावित कर सकते हैं, कर्वे का मुख्य विश्लेषणात्मक आधार नातेदारी के नियमों और संरचनाओं में देखी जाने वाली भिन्नताएँ थीं।

प्रश्न 22: समाजशास्त्र में “अनुसंधान पद्धति” (Research Methodology) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  1. समाजशास्त्रीय सिद्धांतों का निर्माण करना।
  2. सामाजिक घटनाओं का व्यवस्थित रूप से अध्ययन करने के लिए एक ढाँचा प्रदान करना।
  3. समाज के नैतिक मूल्यों को स्थापित करना।
  4. सामाजिक समस्याओं का समाधान खोजना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: अनुसंधान पद्धति वह व्यवस्थित प्रक्रिया है जो समाजशास्त्रीय शोध को निर्देशित करती है। इसमें शोध प्रश्न तैयार करना, परिकल्पनाएँ बनाना, डेटा एकत्र करने की विधियाँ (जैसे सर्वेक्षण, साक्षात्कार, अवलोकन) चुनना, डेटा का विश्लेषण करना और निष्कर्ष निकालना शामिल है। इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक यथार्थ का वैध और विश्वसनीय ज्ञान प्राप्त करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह हमें यह तय करने में मदद करती है कि कौन सी विधियाँ हमारे शोध प्रश्नों के लिए सबसे उपयुक्त हैं और हम अपने निष्कर्षों को कैसे मान्य कर सकते हैं।
  • गलत विकल्प: सिद्धांत निर्माण एक परिणाम हो सकता है, लेकिन पद्धति का प्रत्यक्ष उद्देश्य नहीं। नैतिक मूल्यों की स्थापना समाजशास्त्र का प्राथमिक लक्ष्य नहीं है, हालांकि यह सामाजिक न्याय को प्रभावित कर सकता है। समस्याओं का समाधान नीति-निर्माण का क्षेत्र है, जबकि पद्धति ज्ञान प्राप्ति का साधन है।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री “सांस्कृतिक पैटर्न” (Cultural Patterns) और “सामाजिक संरचना” (Social Structure) के बीच संबंध का विश्लेषण करने के लिए प्रसिद्ध है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
  4. फ्रिट्ज हायक

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने अपने कार्यों, विशेष रूप से “प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म” में, यह तर्क दिया कि कैसे विशिष्ट सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वास (जैसे प्रोटेस्टेंट नैतिकता) ने पूंजीवाद जैसी सामाजिक-आर्थिक संरचनाओं के विकास को प्रभावित किया। उन्होंने संस्कृति और संरचना के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध देखा।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने केवल आर्थिक कारकों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, सांस्कृतिक और वैचारिक कारकों की भूमिका पर भी बल दिया, जिसने उन्हें अपने समय के मार्क्सवादी दृष्टिकोण से अलग किया।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने आर्थिक आधार को सामाजिक संरचना का निर्धारक माना। ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन एक संरचनात्मक-प्रकारवादी थे जिन्होंने सामाजिक संरचना के प्रकार्यात्मक महत्व पर बल दिया। फ्रिट्ज हायक एक अर्थशास्त्री थे।

प्रश्न 24: भारत में “समाज सुधार आंदोलन” (Social Reform Movements) की उत्पत्ति के पीछे मुख्य कारण क्या थे?

  1. पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण।
  2. समाज में व्याप्त कुरीतियों (जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, जातिगत भेदभाव) को दूर करने और समानता एवं न्याय स्थापित करने की इच्छा।
  3. जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना।
  4. धार्मिक रूपांतरण को बढ़ावा देना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: 19वीं और 20वीं सदी के भारतीय समाज सुधार आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य समाज में गहराई से जमी कुरीतियों, जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा पुनर्विवाह का निषेध, अस्पृश्यता, बहुविवाह, और जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करना था। सुधारकों ने शिक्षा, समानता और मानवाधिकारों पर जोर दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: राजा राम मोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, स्वामी दयानंद सरस्वती, ज्योतिबा फुले और बी.आर. अंबेडकर जैसे नेताओं ने इन आंदोलनों का नेतृत्व किया। पश्चिमी विचारों ने भी प्रेरणा का काम किया, लेकिन आंदोलन का मूल आधार भारतीय समाज की आंतरिक समस्याओं को हल करना था।
  • गलत विकल्प: हालाँकि पश्चिमी विचारों का प्रभाव था, यह अंधानुकरण नहीं था। जनसंख्या नियंत्रण और धार्मिक रूपांतरण विशिष्ट एजेंडे हो सकते थे, लेकिन वे समग्र सुधार आंदोलनों के मुख्य, व्यापक कारण नहीं थे।

प्रश्न 25: “अभिजात वर्ग का परिभ्रमण” (Circulation of Elites) की अवधारणा किसने विकसित की, जिसमें तर्क दिया गया कि समाज हमेशा शासक और शासित अभिजात वर्गों के बीच घूमता रहता है?

  1. गैतानो मोस्का
  2. विलफ्रेडो पैरेटो
  3. सी. राइट मिल्स
  4. रॉबर्ट मिशेल

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: विलफ्रेडो पैरेटो ने “अभिजात वर्ग का परिभ्रमण” (Circulation of Elites) की अवधारणा को प्रतिपादित किया। उनका मानना ​​था कि किसी भी समाज में हमेशा एक शासक अभिजात वर्ग होता है जो अपनी शक्ति और प्रभाव का प्रयोग करता है। समय के साथ, यह अभिजात वर्ग अप्रभावी हो जाता है और एक नया, अधिक सक्रिय और सक्षम अभिजात वर्ग उभरता है, जो पुराने का स्थान ले लेता है। यह परिभ्रमण (चक्र) सामाजिक स्थिरता और परिवर्तन दोनों का आधार है।
  • संदर्भ और विस्तार: पैरेटो ने तर्क दिया कि अभिजात वर्ग में “शेरों” (शेर की तरह साहसी) और “लोमड़ियों” (लोमड़ी की तरह चालाक) की प्रवृत्ति का संतुलन महत्वपूर्ण होता है। जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो परिभ्रमण की आवश्यकता होती है।
  • गलत विकल्प: गैतानो मोस्का ने भी “शासक वर्ग” की बात की, लेकिन पैरेटो ने “परिभ्रमण” पर अधिक विस्तार से बल दिया। सी. राइट मिल्स ने “सत्ता अभिजात वर्ग” (Power Elite) की बात की, जो आधुनिक अमेरिकी समाज पर केंद्रित थी। रॉबर्ट मिशेल ने “लघुगणित का लौह नियम” (Iron Law of Oligarchy) दिया।

Leave a Comment