धरारी विनाश: ग्लेशियरों का ढहना या झील का फटना – विशेषज्ञों की राय और UPSC तैयारी की राह
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, हिमाचल प्रदेश के धरारी में हुए विनाशकारी घटनाक्रम ने पूरे देश को झकझोर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लेशियरों का अचानक ढहना या ग्लेशियल झील का फटना इस भयावह तबाही का मुख्य कारण हो सकता है। यह घटना न केवल स्थानीय आबादी के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि जलवायु परिवर्तन और पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ते जोखिमों को भी रेखांकित करती है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, इस तरह की घटनाएँ भूगोल, पर्यावरण, आपदा प्रबंधन और समसामयिक घटनाओं के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह ब्लॉग पोस्ट धरारी की घटना का विस्तृत विश्लेषण करेगा, इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की पड़ताल करेगा, और UPSC परीक्षा के लिए एक व्यापक तैयारी मार्गदर्शिका प्रदान करेगा।
धरारी में तबाही: एक विस्तृत विश्लेषण
हिमालयी क्षेत्र, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और भूवैज्ञानिक गतिविधि के लिए जाना जाता है, हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के कारण अत्यधिक संवेदनशील हो गया है। धरारी में हुई विनाशकारी घटना इसी कड़ी का एक हिस्सा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस घटना के पीछे दो मुख्य संभावित कारण हो सकते हैं:
- ग्लेशियरों का ढहना (Glacier Collapse): ग्लेशियर, जो बर्फ और हिमनदों के विशाल संचय होते हैं, लगातार गतिमान रहते हैं। तापमान में वृद्धि, ग्लेशियरों का पिघलना, और भूस्खलन जैसी प्रक्रियाएँ ग्लेशियरों के बड़े हिस्सों को अचानक ढहा सकती हैं। जब ऐसा होता है, तो वे अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को तबाह कर देते हैं, जिससे भारी मात्रा में मलबा और पानी निकलता है।
- ग्लेशियल झील का फटना (Glacial Lake Outburst Flood – GLOF): जैसे-जैसे ग्लेशियर पिघलते हैं, उनके सामने और किनारों पर झीलें बन सकती हैं। ये झीलें कभी-कभी अस्थायी बांधों (जैसे बर्फ, मलबा, या भूस्खलन द्वारा बनाए गए) के पीछे बनती हैं। यदि ये बांध कमजोर हो जाते हैं या टूट जाते हैं, तो झील का सारा पानी अचानक और अत्यंत तीव्रता से बाहर निकल सकता है, जिससे एक विनाशकारी बाढ़ आती है, जिसे GLOF कहा जाता है।
धरारी की घटना में, दोनों ही परिदृश्यों की संभावना है। प्रारंभिक जांच और विशेषज्ञों की राय के आधार पर, यह माना जा रहा है कि पिघलते ग्लेशियरों से बनी एक झील का फटना या ग्लेशियर का कोई बड़ा हिस्सा अचानक ढह जाना ही इस विनाश का प्राथमिक कारण रहा होगा।
वैज्ञानिक कारण: यह क्यों हुआ?
यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस प्रकार की घटनाएँ क्यों होती हैं। इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण जिम्मेदार हैं:
1. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव (Impact of Climate Change):
तापमान में वृद्धि: वैश्विक तापमान में वृद्धि का सीधा असर ग्लेशियरों पर पड़ता है। गर्मी के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघलते हैं, जिससे उनका द्रव्यमान कम होता है और उनकी स्थिरता प्रभावित होती है।
बारिश का पैटर्न बदलना: हिमालयी क्षेत्र में वर्षा के पैटर्न में बदलाव भी एक महत्वपूर्ण कारक है। अत्यधिक वर्षा, खासकर ग्लेशियरों के पिघलने वाले क्षेत्रों में, पानी की मात्रा को बढ़ा सकती है, जिससे ग्लेशियल झीलों पर दबाव बढ़ सकता है या भूस्खलन का खतरा बढ़ सकता है।
चरम मौसम की घटनाएँ: जलवायु परिवर्तन के कारण, अत्यधिक मौसम की घटनाएँ, जैसे तीव्र वर्षा, भारी हिमपात, और अचानक तापमान वृद्धि, अधिक बार और अधिक तीव्र हो रही हैं। ये घटनाएँ ग्लेशियरों को अस्थिर कर सकती हैं और GLOFs की संभावना को बढ़ा सकती हैं।
2. भूवैज्ञानिक कारक (Geological Factors):
स्थलाकृति (Topography): पर्वतीय क्षेत्रों की खड़ी ढलानें और अस्थिर भूविज्ञान (Geology) भूस्खलन और हिमस्खलन के लिए अधिक प्रवण होते हैं। ग्लेशियरों की गति भी इन क्षेत्रों की स्थलाकृति को प्रभावित कर सकती है, जिससे अस्थिर स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
भूकंपीय गतिविधि (Seismic Activity): हिमालयी क्षेत्र भूकंपीय रूप से सक्रिय है। भूकंप, चाहे वे छोटे हों या बड़े, ग्लेशियरों या उनसे बनी झीलों के अस्थिर बांधों को ट्रिगर कर सकते हैं, जिससे विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
3. ग्लेशियरों की गतिशीलता (Glacier Dynamics):
हिमनदी का पिघलना (Glacier Melt): ग्लेशियर का पिघलना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण यह प्रक्रिया तेज हो गई है। पिघला हुआ पानी ग्लेशियर के नीचे जमा हो सकता है, जिससे उसे फिसलने या ढहने में मदद मिलती है।
हिमनदी झील का निर्माण और अस्थिरता: जैसे-जैसे ग्लेशियर पीछे हटते हैं, वे अपने पीछे की घाटियों में झीलें छोड़ सकते हैं। ये झीलें अक्सर प्राकृतिक बांधों (जैसे मोरेन – ग्लेशियर द्वारा ले जाया गया मलबा) द्वारा रोकी जाती हैं। ये मोरेन बांध कमजोर हो सकते हैं और किसी भी समय टूट सकते हैं।
उदाहरण के लिए: 1985 में, माउंट हुअस्करा, पेरू में एक GLOF ने कई गाँवों को तबाह कर दिया था, जो एक हिमस्खलन के कारण हुआ था जिसने एक ग्लेशियल झील को फाड़ दिया था। यह घटना GLOFs की विनाशकारी क्षमता का एक ज्वलंत उदाहरण है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: तैयारी की राह
धरारी जैसी घटनाएँ UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों और विषयों के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। आइए देखें कि यह आपके अध्ययन के लिए कैसे उपयोगी हो सकता है:
1. भूगोल (Geography)
- भौतिक भूगोल (Physical Geography): ग्लेशियर, हिमनद झीलें, भूस्खलन, हिमस्खलन, GLOFs की अवधारणाओं को समझना।
- हिमालयी भूगोल: हिमालयी क्षेत्र की भूवैज्ञानिक संरचना, जलवायु, और प्राकृतिक खतरों का अध्ययन।
- भारत का अपवाह तंत्र (Drainage System): हिमालयी नदियों का उद्गम, उनका प्रवाह, और उन पर ग्लेशियरों का प्रभाव।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव: ग्लेशियरों पर जलवायु परिवर्तन के विशिष्ट प्रभाव, जैसे उनका सिकुड़ना और पिघलना।
2. पर्यावरण (Environment)
- पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट: मानव गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव।
- आपदा प्रबंधन (Disaster Management): विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाएँ, उनके कारण, प्रभाव, और निवारण उपाय।
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय समझौते: पेरिस समझौता, UNFCCC, आदि।
- पर्यावरण संरक्षण के उपाय: सतत विकास, पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण।
3. सामान्य अध्ययन (General Studies) – III (विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, आर्थिक विकास, आपदा प्रबंधन)
- आपदा प्रबंधन: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की भूमिका, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), पूर्व चेतावनी प्रणाली।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी: रिमोट सेंसिंग, जीआईएस (GIS), और उपग्रहों का उपयोग करके ग्लेशियल झीलों की निगरानी और खतरे का आकलन।
- आर्थिक विकास: पर्वतीय क्षेत्रों में अवसंरचना विकास, पर्यटन, और इन विकासों के लिए जोखिम।
- सतत विकास लक्ष्य (SDGs): SDG 13 (जलवायु कार्रवाई) और SDG 14 (सतत विकास के लिए महासागर, समुद्र और समुद्री संसाधन)।
4. निबंध (Essay)
धरारी जैसी घटनाएँ आपको “जलवायु परिवर्तन के प्रभाव”, “पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन की चुनौतियाँ”, या “भारत की भू-राजनीति पर प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव” जैसे विषयों पर एक मार्मिक और तथ्यात्मक निबंध लिखने में मदद कर सकती हैं।
UPSC परीक्षा के लिए तैयारी की रणनीति
इस प्रकार की घटनाओं का अध्ययन करते समय, UPSC उम्मीदवारों को एक बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए:
1. अवधारणाओं को स्पष्ट करें (Clarify Concepts):
यह सुनिश्चित करें कि आप ग्लेशियर, हिमनदी झील, GLOF, भूस्खलन, हिमस्खलन जैसी सभी संबंधित अवधारणाओं को स्पष्ट रूप से समझते हैं। NCERT की भूगोल की पुस्तकें, विशेष रूप से कक्षा XI और XII की पुस्तकें, इस संबंध में बहुत उपयोगी हैं।
2. केस स्टडी का अध्ययन करें (Study Case Studies):
धरारी जैसी घटनाओं के अलावा, अन्य समान आपदाओं का भी अध्ययन करें, जैसे कि 2013 की केदारनाथ बाढ़ (जो एक बादल फटने और मूसलाधार बारिश के कारण हुई थी), 2014 में जम्मू-कश्मीर की बाढ़, और विभिन्न देशों में हुई GLOFs। ये आपको पैटर्न और कारणों को समझने में मदद करेंगे।
3. सरकारी रिपोर्टों और पहलों को जानें (Know Government Reports and Initiatives):
आपदा प्रबंधन से संबंधित भारत सरकार की नीतियों, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना, और विभिन्न मंत्रालयों (जैसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय) की पहलों से अवगत रहें।
4. वैज्ञानिक प्रगति पर नज़र रखें (Keep Track of Scientific Advancements):
यह समझें कि कैसे आधुनिक तकनीकें, जैसे सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन, और भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS), ग्लेशियल झीलों की निगरानी और GLOFs के खतरे का आकलन करने में मदद करती हैं।
5. भू-राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक आयामों पर विचार करें (Consider Geo-political and Socio-economic Dimensions):
आपदाओं का केवल वैज्ञानिक कारण ही नहीं, बल्कि उनके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, जैसे विस्थापन, आजीविका का नुकसान, और पुनर्वास की चुनौतियाँ भी महत्वपूर्ण हैं। इसके अतिरिक्त, सीमा पार नदियाँ (जैसे सिंधु, ब्रह्मपुत्र) और उन पर ग्लेशियरों का प्रभाव भी एक भू-राजनीतिक आयाम जोड़ता है।
चुनौतियाँ और भविष्य की राह
धरारी जैसी घटनाओं से निपटने और भविष्य के जोखिमों को कम करने में कई चुनौतियाँ हैं:
- अनिश्चितता: GLOFs की सटीक भविष्यवाणी करना, विशेष रूप से समय और तीव्रता के मामले में, अभी भी एक बड़ी चुनौती है।
- निगरानी: दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में ग्लेशियल झीलों की लगातार और प्रभावी निगरानी एक कठिन कार्य है।
- पूर्व चेतावनी प्रणाली: विश्वसनीय और व्यापक पूर्व चेतावनी प्रणालियों की स्थापना और उनका प्रभावी कार्यान्वयन।
- स्थानीय समुदायों का जुड़ाव: स्थानीय समुदायों को शिक्षित करना और उन्हें आपदा की तैयारी में शामिल करना।
- जलवायु कार्रवाई: दीर्घकालिक समाधान के लिए वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन को कम करने के ठोस प्रयास।
- अवसंरचना विकास: पर्वतीय क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं को इस तरह से डिजाइन करना कि वे पर्यावरण के अनुकूल हों और प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को कम करें।
भविष्य की राह में, प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, स्थानीय समुदायों का सशक्तिकरण, और सबसे महत्वपूर्ण, जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और कार्रवाई की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
धरारी में हुई तबाही एक गंभीर चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन और अन्य भूवैज्ञानिक कारक हमारे पर्वतीय क्षेत्रों के लिए कितना बड़ा खतरा पैदा कर रहे हैं। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटना न केवल भूगोल और पर्यावरण के ज्ञान का परीक्षण करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि समसामयिक घटनाओं का विश्लेषण कैसे किया जाना चाहिए। गहन अध्ययन, स्पष्ट अवधारणाएँ, और बहु-विषयक दृष्टिकोण के साथ, आप इस विषय पर किसी भी प्रश्न का आत्मविश्वास से सामना कर सकते हैं। याद रखें, परीक्षा की तैयारी एक यात्रा है, और हर घटना आपको उस यात्रा में एक कदम आगे बढ़ाती है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: ग्लेशियल झील के फटने (GLOF) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- GLOFs आमतौर पर ग्लेशियरों के पिघलने से बनी झीलों के अचानक फटने के कारण होते हैं।
- GLOFs केवल बर्फ के पिघलने से ही ट्रिगर हो सकते हैं; भूस्खलन या भूकंप का कोई प्रभाव नहीं होता।
- GLOFs से उत्पन्न बाढ़ में अक्सर बड़ी मात्रा में मलबा और गाद शामिल होती है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?
- 1 और 2 केवल
- 1 और 3 केवल
- 2 और 3 केवल
- 1, 2 और 3
उत्तर: B
व्याख्या: कथन 1 सत्य है क्योंकि GLOFs झीलों के फटने से होते हैं। कथन 2 असत्य है क्योंकि भूस्खलन और भूकंप GLOFs को ट्रिगर कर सकते हैं। कथन 3 सत्य है क्योंकि GLOFs अत्यंत विनाशकारी होते हैं और अक्सर बड़ी मात्रा में मलबा ले जाते हैं। - प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा एक कारक हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियरों के पिघलने की दर को बढ़ा सकता है?
- वैश्विक तापमान में वृद्धि
- स्थानीय स्तर पर वनों की कटाई
- बढ़ती वायुमंडलीय आर्द्रता
- ग्रीष्मकालीन वर्षा में वृद्धि
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
- 1, 2 और 3
- 1, 2 और 4
- 1, 3 और 4
- 1, 2, 3 और 4
उत्तर: B
व्याख्या: वैश्विक तापमान में वृद्धि (1) और ग्रीष्मकालीन वर्षा में वृद्धि (4) सीधे तौर पर ग्लेशियरों के पिघलने को बढ़ाती हैं। स्थानीय वनों की कटाई (2) भी परोक्ष रूप से प्रभावित कर सकती है (जैसे सूक्ष्म जलवायु परिवर्तन), लेकिन प्रत्यक्ष प्रभाव कम है। बढ़ती आर्द्रता (3) आमतौर पर पिघलने को धीमा कर सकती है, न कि बढ़ा सकती है (जब तक कि यह बहुत अधिक गर्मी के साथ न हो)। - प्रश्न 3: भारत में आपत्कालीन प्रतिक्रिया के संदर्भ में, NDRF का पूर्ण रूप क्या है?
- National Disaster Relief Force
- National Disaster Response Force
- National Defence Response Force
- National Disaster Recovery Force
उत्तर: B
व्याख्या: NDRF का पूर्ण रूप National Disaster Response Force है। - प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा भूस्खलन का कारण बन सकता है?
- तीव्र वर्षा
- भूकंपीय गतिविधि
- ग्लेशियरों का पिघलना
- जंगलों का आच्छादन
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
- 1, 2 और 3
- 1, 2 और 4
- 1, 3 और 4
- 1, 2, 3 और 4
उत्तर: A
व्याख्या: तीव्र वर्षा (1), भूकंपीय गतिविधि (2), और ग्लेशियरों का पिघलना (3) भूस्खलन के सामान्य कारण हैं। जंगलों का आच्छादन (4) वास्तव में भूस्खलन को रोकने में मदद करता है। - प्रश्न 5: GLOF निगरानी के लिए निम्नलिखित में से कौन सी तकनीकें उपयोगी हैं?
- रिमोट सेंसिंग (Satellite Imagery)
- भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS)
- ग्राउंड-आधारित रडार
- ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
- 1, 2 और 3
- 1, 2 और 4
- 1, 3 और 4
- 1, 2, 3 और 4
उत्तर: A
व्याख्या: रिमोट सेंसिंग, GIS, और ग्राउंड-आधारित रडार GLOF निगरानी के लिए उपयोगी हैं। ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप का उपयोग इस संदर्भ में नहीं होता है। - प्रश्न 6: हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियरों के पिघलने के निम्नलिखित में से कौन से दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं?
- सिंधु, ब्रह्मपुत्र और गंगा जैसी नदियों के जल स्तर में अल्पकालिक वृद्धि
- दीर्घकालिक आधार पर प्रमुख नदियों के जल प्रवाह में कमी
- कृषि और जलविद्युत परियोजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव
- हिमस्खलन और भूस्खलन की आवृत्ति में कमी
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
- 1, 2 और 3
- 1, 3 और 4
- 2, 3 और 4
- 1, 2, 3 और 4
उत्तर: A
व्याख्या: ग्लेशियरों के पिघलने से शुरुआत में नदियों में पानी बढ़ेगा (1), लेकिन लंबे समय में, जब ग्लेशियर खत्म हो जाएंगे, तो जल प्रवाह कम होगा (2)। इससे कृषि और जलविद्युत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा (3)। हिमस्खलन और भूस्खलन की आवृत्ति में वृद्धि होगी, कमी नहीं (4) असत्य है। - प्रश्न 7: जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, “अतिवादी मौसम की घटनाएँ” (Extreme Weather Events) क्या हैं?
- ऐसी घटनाएँ जो किसी क्षेत्र के सामान्य मौसम पैटर्न से काफी हटकर होती हैं।
- ऐसी घटनाएँ जो कम बार होती हैं लेकिन विनाशकारी हो सकती हैं।
- ऐसी घटनाएँ जिनके कारण प्रत्यक्ष रूप से मानव गतिविधियों से जुड़े होते हैं।
- ऐसी घटनाएँ जिनका प्रभाव केवल स्थानीय स्तर पर होता है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
- 1 और 2 केवल
- 1, 2 और 3
- 1, 3 और 4
- 1, 2, 3 और 4
उत्तर: B
व्याख्या: अतिवादी मौसम की घटनाएँ सामान्य से हटकर (1) और अक्सर विनाशकारी (2) होती हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण, उनके मानव गतिविधियों से जुड़ने की संभावना बढ़ जाती है (3)। हालांकि, उनका प्रभाव स्थानीय से लेकर वैश्विक तक हो सकता है (4) अधूरा है। - प्रश्न 8: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह भारत में आपदा प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी है।
- इसका गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत किया गया था।
- यह आपदा न्यूनीकरण, तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए नीतियों, योजनाओं और दिशानिर्देशों का विकास करता है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?
- 1 और 2 केवल
- 1 और 3 केवल
- 2 और 3 केवल
- 1, 2 और 3
उत्तर: D
व्याख्या: NDMA भारत में आपदा प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी है (1), इसका गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत हुआ था (2), और यह उपरोक्त सभी कार्य करता है (3)। - प्रश्न 9: मोरेन (Moraine) क्या है?
- पिघलते ग्लेशियर से बनी झील।
- ग्लेशियर द्वारा जमा किया गया मलबा और तलछट।
- हिमनदी से गिरने वाला बर्फ का विशाल टुकड़ा।
- पर्वतीय क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा।
उत्तर: B
व्याख्या: मोरेन ग्लेशियर द्वारा अपने मार्ग में ले जाया गया और जमा किया गया मलबा (जैसे चट्टानें, रेत, बजरी) होता है। - प्रश्न 10: भारत के निम्नलिखित किन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ग्लेशियर पाए जाते हैं?
- जम्मू और कश्मीर
- हिमाचल प्रदेश
- उत्तराखंड
- सिक्किम
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
- 1, 2 और 3
- 1, 3 और 4
- 2, 3 और 4
- 1, 2, 3 और 4
उत्तर: D
व्याख्या: भारत में ग्लेशियर मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्र में पाए जाते हैं, जिसमें ये सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: “ग्लेशियल झील के फटने (GLOF) की घटनाओं में वृद्धि के लिए जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से जिम्मेदार है।” इस कथन का मूल्यांकन करें। हिमालयी क्षेत्र में GLOFs के कारणों, प्रभावों और जोखिम न्यूनीकरण के उपायों पर चर्चा करें। (250 शब्द)
- प्रश्न 2: धरारी जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में हालिया विनाशकारी घटनाओं के प्रकाश में, भारत में आपदा प्रबंधन की प्रभावशीलता का आलोचनात्मक परीक्षण करें। पूर्व चेतावनी प्रणालियों, सामुदायिक भागीदारी और तकनीकी नवाचारों की भूमिका पर प्रकाश डालें। (250 शब्द)
- प्रश्न 3: “जलवायु परिवर्तन न केवल पर्यावरणीय चुनौती है, बल्कि एक महत्वपूर्ण सुरक्षा और आर्थिक चुनौती भी है।” इस कथन को हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियरों के पिघलने और GLOF जैसी घटनाओं के संदर्भ में स्पष्ट करें। (150 शब्द)
- प्रश्न 4: भारत में प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन में रिमोट सेंसिंग और GIS (भौगोलिक सूचना प्रणाली) की भूमिका पर एक विस्तृत निबंध लिखें। ग्लेशियरों और GLOFs की निगरानी के लिए इन प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोगों पर विशेष ध्यान दें। (250 शब्द)