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दैनिक समाजशास्त्र चुनौती: अवधारणाओं को परखें!

दैनिक समाजशास्त्र चुनौती: अवधारणाओं को परखें!

समाजशास्त्र के अपने ज्ञान की गहराई को आज फिर से जांचने का समय आ गया है! अपनी तैयारी को धार देने और महत्वपूर्ण समाजशास्त्रीय सिद्धांतों व विचारकों की अपनी समझ को परखने के लिए तैयार हो जाइए। यह दैनिक प्रश्नोत्तरी आपकी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने के लिए डिज़ाइन की गई है। आइए, समाजशास्त्र की दुनिया में एक और ज्ञानवर्धक यात्रा शुरू करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) की अवधारणा के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सबसे उपयुक्त है?

  1. यह समाज के व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत संबंधों का योग है।
  2. यह समाज में विभिन्न भूमिकाओं और स्थिति समूहों के बीच अपेक्षाकृत स्थायी और व्यवस्थित संबंधों का एक पैटर्न है।
  3. यह समाज में शक्ति और असमानता के वितरण का वर्णन करता है।
  4. यह समाज के सदस्यों के साझा विश्वासों और मूल्यों का एक समूह है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक संरचना से तात्पर्य समाज में विभिन्न संस्थाओं, समूहों, स्थिति-भूमिकाओं और उनके बीच के अपेक्षाकृत स्थिर तथा व्यवस्थित संबंधों से है। यह व्यक्तियों के बीच के संयोग से कहीं अधिक है; यह एक अंतर्निहित व्यवस्था है जो सामाजिक जीवन को आकार देती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम, पार्सन्स जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना को समाज की स्थिरता और एकरूपता के लिए महत्वपूर्ण माना है। यह समाज को व्यक्तियों के योग से अलग, एक बाहरी वास्तविकता के रूप में देखता है।
  • अincorrect विकल्प: (a) व्यक्तिगत संबंधों का योग संरचना का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह संपूर्ण संरचना नहीं है। (c) शक्ति और असमानता संरचना का परिणाम या पहलू हो सकते हैं, लेकिन यह संरचना की परिभाषा नहीं है। (d) साझा विश्वास और मूल्य ‘संस्कृति’ से संबंधित हैं, न कि सीधे ‘संरचना’ से।

प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा किससे संबंधित है?

  1. व्यक्ति का सरकार से दूरी बनाना।
  2. व्यक्ति का उत्पादन की प्रक्रिया, उत्पाद, स्वयं से और साथी मनुष्यों से बिछड़ जाना।
  3. समाज में बढ़ती व्यक्तिगत स्वतंत्रता।
  4. धर्म द्वारा लोगों का अपनी वास्तविक समस्याओं से विचलित होना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिकों के अलगाव (Alienation) का गहन विश्लेषण किया। उनके अनुसार, श्रमिक अपनी मेहनत के उत्पाद, स्वयं के श्रम की क्रिया, अपनी मानवीय प्रकृति (species-being) और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करता है क्योंकि उत्पादन का स्वामित्व और नियंत्रण पूंजीपतियों के पास होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के शुरुआती कार्यों, विशेषकर ‘इकॉनॉमिक एंड फिलॉसॉफिकल मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में पाई जाती है। यह पूंजीवाद की एक महत्वपूर्ण आलोचना है।
  • अincorrect विकल्प: (a) यह राजनीतिक अलगाव हो सकता है, लेकिन मार्क्स का मुख्य ध्यान आर्थिक अलगाव पर था। (c) मार्क्स के लिए, पूंजीवाद में व्यक्तिगत स्वतंत्रता अक्सर एक भ्रम होती है जो अलगाव को छुपाती है। (d) धर्म को मार्क्स ने ‘जनता की अफीम’ कहा था, जो अलगाव से उपजे दुख को कम करता है, लेकिन अलगाव का कारण नहीं।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर ने किस अवधारणा का प्रयोग समाजशास्त्र में व्यक्तिपरक अर्थों (subjective meanings) को समझने की आवश्यकता पर बल देने के लिए किया?

  1. अभिजात वर्ग का परिभ्रमण (Circulation of Elites)
  2. विवेकपूर्णता (Rationality)
  3. तर्कसंगतता (Verstehen)
  4. विभेदता (Differentiation)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) शब्द का प्रयोग किया, जिसका अर्थ है “समझना” या “व्याख्या करना”। यह समाजशास्त्र की एक विधि है जो सामाजिक क्रियाओं के पीछे व्यक्तियों द्वारा धारण किए गए व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर जोर देती है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि समाजशास्त्र को केवल बाहरी व्यवहार का अवलोकन नहीं करना चाहिए, बल्कि उन प्रेरणाओं, भावनाओं और इरादों को भी समझना चाहिए जो उस व्यवहार को जन्म देते हैं। यह उनकी व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का मूल है।
  • अincorrect विकल्प: (a) ‘अभिजात वर्ग का परिभ्रमण’ विल्फ्रेडो पैरेटो की अवधारणा है। (b) ‘विवेकपूर्णता’ (Rationality) वेबर के विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण विषय है, लेकिन ‘वेरस्टेहेन’ वह विधि है जिसका उपयोग वे इस विवेकपूर्णता को समझने के लिए करते थे। (d) ‘विभेदता’ (Differentiation) अक्सर संरचनात्मक-प्रकार्यवादी (Structural-Functionalist) दृष्टिकोण से जुड़ा एक शब्द है, विशेष रूप से सामाजिक विकास के संदर्भ में।

प्रश्न 4: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृति-ग्रहण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?

  1. समाज का पश्चिमीकरण।
  2. निम्न जाति का उच्च जाति के रीति-रिवाजों, परंपराओं और जीवन शैली को अपनाना।
  3. शहरीकरण की प्रक्रिया।
  4. सामाजिक गतिशीलता का अभाव।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृति-ग्रहण’ (Sanskritization) शब्द का प्रयोग भारतीय समाज के संदर्भ में किया, जो दर्शाता है कि निम्न या मध्यम दर्जे की जातियाँ या समूह अक्सर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने के लिए उच्च, विशेष रूप से ‘द्विजों’ (Dvij) की जीवन शैली, अनुष्ठानों, देवताओं और विचारधाराओं को अपनाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रमुखता से सामने आई। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, जो सामाजिक स्तरीकरण के भीतर स्थिति सुधार का प्रयास करती है।
  • अincorrect विकल्प: (a) पश्चिमीकरण पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाना है। (c) शहरीकरण गाँवों से शहरों की ओर जनसंख्या का स्थानांतरण है। (d) संस्कृति-ग्रहण वास्तव में सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है, न कि इसके अभाव का।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने सामाजिक क्रिया (Social Action) को उसके व्यक्तिपरक अर्थों (subjective meanings) के आधार पर समझने पर बल दिया?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. अगस्त कॉम्टे
  3. कार्ल मार्क्स
  4. मैक्स वेबर

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर को व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का जनक माना जाता है। उन्होंने तर्क दिया कि समाजशास्त्र का लक्ष्य सामाजिक क्रियाओं को उनके उन अर्थों के आधार पर समझना है जो कर्ता (actor) स्वयं उन्हें प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर के लिए, सामाजिक क्रिया वह क्रिया है जिसमें कर्ता उस क्रिया में दूसरों के व्यवहार से प्रभावित होता है और उसका जो अर्थ होता है, उसके अनुसार अपनी क्रिया को निर्देशित करता है।
  • अincorrect विकल्प: (a) एमिल दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों (social facts) को बाहरी और अनिवार्य मानना, और समाज को व्यक्ति से उच्च प्राथमिकता देना, पर बल दिया। (b) अगस्त कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, लेकिन उनका दृष्टिकोण प्रत्यक्षवादी (positivist) था। (c) कार्ल मार्क्स का ध्यान मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष और आर्थिक संरचना पर था।

प्रश्न 6: “एनोमी” (Anomie) की स्थिति, जहाँ व्यक्ति सामाजिक मानदंडों से कटा हुआ महसूस करता है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?

  1. ऑगस्ट कॉम्टे
  2. एमिल दुर्खीम
  3. हरबर्ट स्पेंसर
  4. इमाइल ब्रेटन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा का प्रयोग समाज में तब उत्पन्न होने वाली विघटनकारी स्थिति को दर्शाने के लिए किया, जब सामाजिक मानदंड कमजोर पड़ जाते हैं, व्यक्ति अपनी इच्छाओं और समाज के नियमों के बीच संबंध नहीं बिठा पाता, और उसे दिशाहीनता का अनुभव होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृतियों जैसे ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में इस अवधारणा का विस्तृत विवेचन किया। उन्होंने अनैच्छिक (anomic) आत्महत्या का भी विश्लेषण किया, जो ऐसी सामाजिक स्थिति में होती है।
  • अincorrect विकल्प: (a) कॉम्टे ने समाजशास्त्र को एक सकारात्मक विज्ञान के रूप में स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया। (c) स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए जैविक सादृश्य (biological analogy) का उपयोग किया। (d) इमाइल ब्रेटन एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री नहीं हैं, यह विकल्प भ्रामक है।

प्रश्न 7: भारतीय समाज में, “जाति” (Caste) को निम्नलिखित में से किस रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है?

  1. एक खुला स्तरीकरण व्यवस्था
  2. एक बंद स्तरीकरण व्यवस्था
  3. एक वर्ग-आधारित व्यवस्था
  4. मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति पर आधारित

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था को एक “बंद स्तरीकरण व्यवस्था” (Closed Stratification System) के रूप में जाना जाता है। इसका अर्थ है कि व्यक्ति की सामाजिक स्थिति जन्म से निर्धारित होती है और उसमें परिवर्तन की गुंजाइश बहुत कम या न के बराबर होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था जन्म, व्यवसाय, सामाजिक संपर्क (प्रतिबंध), खान-पान और विवाह (अंतर्विवाह) के नियमों पर आधारित होती है। यह व्यवस्था सामाजिक गतिशीलता को गंभीर रूप से बाधित करती है।
  • अincorrect विकल्प: (a) यह एक खुली व्यवस्था नहीं है क्योंकि इसमें जन्म से ही स्थिति तय होती है। (c) यह वर्ग-आधारित नहीं, बल्कि जन्म-आधारित है। (d) यद्यपि आर्थिक स्थिति जाति से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हो सकती है, जाति का मुख्य आधार आर्थिक नहीं, बल्कि जन्म और परंपरा है।

प्रश्न 8: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) का सबसे उपयुक्त अर्थ क्या है?

  1. समाज में लोगों का धन के आधार पर विभाजन।
  2. समाज में लोगों का उनकी स्थिति, शक्ति और विशेषाधिकारों के आधार पर पद-सोपान (hierarchy) में व्यवस्थित होना।
  3. समाज में शिक्षा का समान वितरण।
  4. लोगों का उनकी राष्ट्रीयता के आधार पर समूह बनाना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण समाज की एक ऐसी विशेषता है जिसमें व्यक्तियों और समूहों को उनकी स्थिति, शक्ति, धन और प्रतिष्ठा जैसे कारकों के आधार पर एक पद-सोपान (hierarchy) में क्रमबद्ध किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण वर्ग (class), जाति (caste), लिंग (gender), आयु (age) और जातीयता (ethnicity) जैसे विभिन्न आयामों पर आधारित हो सकता है। यह एक सार्वभौमिक (universal) लेकिन भिन्न-भिन्न रूप धारण करने वाली सामाजिक व्यवस्था है।
  • अincorrect विकल्प: (a) यह केवल धन पर आधारित है, जबकि स्तरीकरण में शक्ति और प्रतिष्ठा भी शामिल हैं। (c) शिक्षा का समान वितरण स्तरीकरण को कम करने का एक उपाय हो सकता है, स्तरीकरण का अर्थ नहीं। (d) राष्ट्रीयता एक सामाजिक वर्गीकरण है, लेकिन स्तरीकरण का प्रमुख आधार नहीं।

प्रश्न 9: समाजशास्त्र में “प्रत्यक्षवाद” (Positivism) का क्या अर्थ है?

  1. सामाजिक घटनाओं को समझने के लिए व्यक्तिपरक व्याख्याओं पर बल देना।
  2. सामाजिक घटनाओं का अध्ययन प्राकृतिक विज्ञानों की पद्धतियों (जैसे अवलोकन, प्रयोग, तुलना) का उपयोग करके करना।
  3. समाज में परंपराओं और धार्मिक विश्वासों के महत्व को स्वीकार करना।
  4. सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिए दार्शनिक सिद्धांतों का उपयोग करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रत्यक्षवाद, जिसका विकास ऑगस्ट कॉम्टे ने किया, यह मानता है कि समाज का अध्ययन भी प्राकृतिक विज्ञानों की तरह वैज्ञानिक विधियों, जैसे कि अनुभवजन्य अवलोकन, मापन और तार्किक विश्लेषण के माध्यम से किया जाना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: कॉम्टे ने ‘Three Stages Theory’ (Theological, Metaphysical, Positivist) के माध्यम से समाजशास्त्र को एक वैज्ञानिक अनुशासन के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया।
  • अincorrect विकल्प: (a) यह व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) का दृष्टिकोण है, जो वेबर से जुड़ा है। (c) प्रत्यक्षवाद परंपराओं और धर्मों को वैज्ञानिक अध्ययन के लिए बाधा मानता है। (d) दार्शनिक सिद्धांत प्रत्यक्षवाद के वैज्ञानिक और अनुभवजन्य दृष्टिकोण के विपरीत हैं।

  • प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा परिवार का एक कार्य नहीं है?

    1. प्रजनन
    2. आर्थिक सुरक्षा
    3. बालकों का समाजीकरण
    4. सभी सदस्यों का पूर्ण आर्थिक आत्मनिर्भरता

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: परिवार के मुख्य कार्यों में प्रजनन, बच्चों का लालन-पालन और समाजीकरण, आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना, और भावनात्मक सहारा देना शामिल है। पूर्ण आर्थिक आत्मनिर्भरता परिवार का एक कार्य नहीं है, बल्कि परिवार स्वयं एक आर्थिक इकाई हो सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: परिवार एक प्राथमिक सामाजिक संस्था है जो समाज की निरंतरता और व्यक्तियों के विकास के लिए आवश्यक कार्य करती है।
    • अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) परिवार के प्रमुख कार्य हैं। इसलिए, (d) सही उत्तर है क्योंकि यह परिवार का कार्य नहीं है।

    प्रश्न 11: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) से आप क्या समझते हैं?

    1. किसी व्यक्ति या समूह का अपनी वर्तमान सामाजिक स्थिति को बनाए रखना।
    2. किसी व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर जाना।
    3. समाज में लोगों की जनसंख्या घनत्व में वृद्धि।
    4. सामाजिक संस्थाओं में धीरे-धीरे परिवर्तन।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: सामाजिक गतिशीलता का तात्पर्य व्यक्ति या समूह द्वारा एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाना है। यह ऊपर की ओर (ऊर्ध्वगामी), नीचे की ओर (अधोगामी), या क्षैतिज (horizontal) हो सकती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह समाज में अवसरों की उपलब्धता और स्तरीकरण की प्रकृति को समझने में महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, शिक्षा या बेहतर नौकरी के माध्यम से आय या प्रतिष्ठा में वृद्धि ऊर्ध्वगामी गतिशीलता है।
    • अincorrect विकल्प: (a) स्थिति बनाए रखना गतिशीलता नहीं है। (c) जनसंख्या घनत्व एक जनसांख्यिकीय (demographic) अवधारणा है। (d) सामाजिक संस्थाओं में परिवर्तन एक अलग प्रक्रिया है।

    प्रश्न 12: निम्नांकित में से कौन सा समाजशास्त्री “संरचनात्मक-प्रकार्यवादी” (Structural-Functionalist) दृष्टिकोण से सबसे अधिक जुड़ा है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. जॉर्ज सिमेल
    3. टैल्कॉट पार्सन्स
    4. इरविंग गॉफमैन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: टैल्कॉट पार्सन्स को आधुनिक संरचनात्मक-प्रकार्यवादी सिद्धांत के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक माना जाता है। उन्होंने सामाजिक व्यवस्था, उसके कार्यों और संरचनाओं के बीच संतुलन पर जोर दिया।
    • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) प्रतिमान प्रस्तुत किया, जो किसी भी सामाजिक प्रणाली के आवश्यक कार्यों की व्याख्या करता है।
    • अincorrect विकल्प: (a) मार्क्स संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) से जुड़े हैं। (b) सिमेल ने सूक्ष्म-समाजशास्त्र (microsociology) और सामाजिक रूपों (forms of social interaction) का विश्लेषण किया। (d) गॉफमैन ने नाटकीयता (dramaturgy) के दृष्टिकोण से सामाजिक अंतःक्रियाओं का विश्लेषण किया।

    प्रश्न 13: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया?

    1. विलियम ग्राहम समनर
    2. एल्बिन टोफलर
    3. ओगबर्न
    4. हर्बर्ट स्पेंसर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn) ने 1922 में अपनी पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature’ में “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा पेश की। यह तब होता है जब समाज के भौतिक (material) या तकनीकी पहलू, अभौतिक (non-material) या सांस्कृतिक पहलुओं की तुलना में तेज़ी से बदलते हैं, जिससे सामाजिक समायोजन में समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, नई तकनीकों (जैसे इंटरनेट) का विकास अक्सर उन्हें नियंत्रित करने वाले सामाजिक कानूनों या नैतिक मानदंडों से आगे निकल जाता है।
    • अincorrect विकल्प: (a) समनर ने “लोकप्रिय रूढ़ियाँ” (Folkways) और “रूढ़ियाँ” (Mores) के बीच अंतर किया। (b) टोफलर ‘Future Shock’ जैसे कार्यों के लिए जाने जाते हैं। (d) स्पेंसर ने विकासवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।

    प्रश्न 14: भारतीय समाज में, “औद्योगीकरण” (Industrialization) का निम्न में से किस पर सबसे कम प्रभाव पड़ा है?

    1. पारिवारिक संरचना
    2. वर्ग संरचना
    3. पेशा और व्यवसाय
    4. जाति व्यवस्था की अंतर्विवाह की कठोरता

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: औद्योगीकरण ने निश्चित रूप से भारतीय परिवार की संरचना (जैसे संयुक्त से एकल परिवार की ओर झुकाव), वर्ग संरचना (नए वर्गों का उदय) और पेशा/व्यवसाय (कृषि से उद्योग की ओर परिवर्तन) को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। हालाँकि, जाति व्यवस्था की अंतर्विवाह (endogamy) की कठोरता, जो कि जाति की एक केंद्रीय विशेषता है, औद्योगीकरण से सीधे तौर पर सबसे कम प्रभावित हुई है, यद्यपि अप्रत्यक्ष प्रभाव अवश्य पड़ा है।
    • संदर्भ और विस्तार: औद्योगीकरण ने गतिशीलता बढ़ाई है, लेकिन सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को बदलना एक धीमी प्रक्रिया रही है, विशेषकर विवाह जैसे घनिष्ठ संबंधों के संदर्भ में।
    • अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) औद्योगीकरण के प्रत्यक्ष और महत्वपूर्ण प्रभाव हैं।

    प्रश्न 15: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का मुख्य केंद्र बिंदु क्या है?

    1. समग्र समाज की संरचना और कार्य।
    2. व्यक्ति के दैनिक जीवन में होने वाली सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाएँ और प्रतीकों का महत्व।
    3. सामाजिक परिवर्तन के लिए वर्ग संघर्ष की भूमिका।
    4. आर्थिक संरचनाओं का सामाजिक जीवन पर प्रभाव।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक सैद्धांतिक दृष्टिकोण है जो व्यक्तियों के बीच होने वाली अंतःक्रियाओं, संचार और साझा प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) पर केंद्रित है, जिनके माध्यम से वे वास्तविकता का निर्माण करते हैं और अपने आप को तथा दूसरों को समझते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन इस दृष्टिकोण के प्रमुख विचारक हैं। ब्लूमर ने ही इस शब्द को लोकप्रिय बनाया।
    • अincorrect विकल्प: (a) यह संरचनात्मक-प्रकार्यवाद का विषय है। (c) यह मार्क्सवादी या संघर्ष सिद्धांत का मुख्य विषय है। (d) यह भी मार्क्सवादी विश्लेषण का केंद्रीय बिंदु है।

    प्रश्न 16: सामाजिक अनुसंधान में “पद्धति” (Methodology) का अर्थ क्या है?

    1. एक विशिष्ट शोध प्रश्न।
    2. शोध करने की प्रक्रिया का सैद्धांतिक ढांचा और तर्क।
    3. शोध के निष्कर्षों का सारांश।
    4. डेटा संग्रह के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: पद्धति (Methodology) केवल उपकरणों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह शोध करने के लिए अपनाया जाने वाला समग्र दृष्टिकोण, सिद्धांत, तर्क और अध्ययन की योजना है। यह ‘क्यों’ और ‘कैसे’ का जवाब देती है कि शोध क्यों और कैसे किया जा रहा है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसमें शोध के डिजाइन, नमूना चयन (sampling), डेटा संग्रह और विश्लेषण की विधियों का औचित्य शामिल होता है।
    • अincorrect विकल्प: (a) यह एक शोध प्रश्न है। (c) यह निष्कर्ष है। (d) यह केवल ‘विधियों’ (Methods) का हिस्सा है, पद्धति का नहीं।

    प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा “धर्मनिरपेक्षीकरण” (Secularization) की प्रक्रिया का उदाहरण है?

    1. धार्मिक अनुष्ठानों में वृद्धि।
    2. समाज में धर्म की सार्वजनिक भूमिका और प्रभाव में कमी आना।
    3. धार्मिक संस्थानों द्वारा शिक्षा का विस्तार।
    4. लोगों द्वारा अपने धार्मिक विश्वासों को अधिक सख्ती से पालन करना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: धर्मनिरपेक्षीकरण वह प्रक्रिया है जिसके तहत समाज के विभिन्न क्षेत्रों (जैसे राजनीति, शिक्षा, अर्थव्यवस्था) में धर्म का प्रभाव और महत्व कम होता जाता है, और धर्म एक अधिक व्यक्तिगत और निजी मामला बन जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह आधुनिकता, तर्कवाद और विज्ञान के उदय के साथ अक्सर देखी जाने वाली प्रवृत्ति है।
    • अincorrect विकल्प: (a), (c), और (d) धर्मनिरपेक्षीकरण की विपरीत दिशा में जाने वाली प्रक्रियाएं हो सकती हैं।

    प्रश्न 18: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा से कौन सा विचारक प्रमुख रूप से जुड़ा है?

    1. पियरे बॉर्डियू
    2. जर्गेन हैबरमास
    3. अल्बर्ट बंडुरा
    4. माइकल फुको

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) ने “सामाजिक पूंजी” की अवधारणा को विकसित किया। उनके अनुसार, यह सामाजिक नेटवर्क (जैसे संबंध, समूह की सदस्यता) का एक ऐसा संसाधन है जिसका उपयोग व्यक्ति या समूह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने इसे “पूंजी” के अन्य रूपों (आर्थिक, सांस्कृतिक) के साथ एक प्रकार की संपत्ति के रूप में देखा जो सामाजिक असमानताओं को बनाए रखने में भूमिका निभाती है।
    • अincorrect विकल्प: (b) हैबरमास “संचार क्रिया” (communicative action) और “सार्वजनिक क्षेत्र” (public sphere) से जुड़े हैं। (c) बंडुरा सामाजिक शिक्षण सिद्धांत (social learning theory) के लिए जाने जाते हैं। (d) फुको शक्ति, ज्ञान और प्रवचन (discourse) के विश्लेषण के लिए प्रसिद्ध हैं।

    प्रश्न 19: “जाति व्यवस्था” में “अंतर्विवाह” (Endogamy) का क्या अर्थ है?

    1. किसी व्यक्ति का अपनी जाति के बाहर विवाह करना।
    2. किसी व्यक्ति का अपनी जाति के भीतर विवाह करना।
    3. किसी व्यक्ति का अपने व्यवसाय के समान व्यवसाय वाले व्यक्ति से विवाह करना।
    4. किसी व्यक्ति का अपनी सामाजिक वर्ग के बाहर विवाह करना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: अंतर्विवाह (Endogamy) का तात्पर्य विवाह की उस प्रथा से है जिसमें एक व्यक्ति केवल अपने स्वयं के सामाजिक समूह (जैसे जाति, उप-जाति, कबीला) के भीतर ही विवाह कर सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: भारतीय जाति व्यवस्था में, अंतर्विवाह एक मूलभूत नियम है जो जाति की शुद्धता बनाए रखने और पीढ़ी-दर-पीढ़ी जाति की पहचान को मजबूत करने का कार्य करता है।
    • अincorrect विकल्प: (a) यह बहिर्विवाह (Exogamy) है। (c) यह व्यवसाय-आधारित हो सकता है, लेकिन अंतर्विवाह का मुख्य संदर्भ जाति है। (d) सामाजिक वर्ग के बाहर विवाह करना बहिर्विवाह (Exogamy) का एक रूप है, यदि वर्ग एक महत्वपूर्ण विवाह समूह है।

    प्रश्न 20: सामाजिक अनुसंधान में, “परिकल्पना” (Hypothesis) का क्या महत्व है?

    1. यह शोध का अंतिम परिणाम होता है।
    2. यह दो या दो से अधिक चरों (variables) के बीच संभावित संबंध का एक परीक्षण योग्य कथन है।
    3. यह शोधकर्ता का व्यक्तिगत मत है।
    4. यह डेटा संग्रह का एक प्रकार है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: परिकल्पना (Hypothesis) एक प्रस्ताव या एक सूचित अनुमान है जो दो या दो से अधिक चरों के बीच अपेक्षित संबंध का वर्णन करता है। यह एक तार्किक परिणाम है जो सिद्धांत से प्राप्त हो सकता है और जिसे अनुभवजन्य रूप से (empirically) परखा जा सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, “शिक्षा का स्तर आय के स्तर से सकारात्मक रूप से संबंधित है” एक परिकल्पना हो सकती है।
    • अincorrect विकल्प: (a) यह परिणाम नहीं, बल्कि परिणाम तक पहुँचने का एक प्रारंभिक बिंदु है। (c) यह व्यक्तिगत मत नहीं, बल्कि परीक्षण योग्य कथन है। (d) यह डेटा संग्रह का उपकरण नहीं, बल्कि उस डेटा से क्या संबंध खोजना है, इसका मार्गदर्शन है।

    प्रश्न 21: “आत्मसातकरण” (Assimilation) की प्रक्रिया में क्या होता है?

    1. विभिन्न सांस्कृतिक समूह अपनी पहचान बनाए रखते हुए साथ-साथ रहते हैं।
    2. एक अल्पसंख्यक समूह धीरे-धीरे प्रमुख संस्कृति के मानदंडों और मूल्यों को अपना लेता है।
    3. समाज में सामाजिक असमानता बढ़ती है।
    4. लोग केवल अपने ही समुदाय के सदस्यों के साथ विवाह करते हैं।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: आत्मसातकरण (Assimilation) वह प्रक्रिया है जिसमें एक अल्पसंख्यक समूह या सांस्कृतिक समूह धीरे-धीरे बहुसंख्यक या प्रमुख संस्कृति के व्यवहार, रीति-रिवाजों, मूल्यों और भाषा को अपना लेता है, और अंततः उसी में विलीन हो जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सांस्कृतिक एकीकरण का एक रूप है, जो समाजीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है।
    • अincorrect विकल्प: (a) यह बहुसंस्कृतिवाद (Multiculturalism) या समावेशन (Integration) है। (c) यह सामाजिक स्तरीकरण या संघर्ष से संबंधित है। (d) यह अंतर्विवाह (Endogamy) का उदाहरण है।

    प्रश्न 22: “पूंजीवाद” (Capitalism) की व्यवस्था में, उत्पादन के साधनों (means of production) का स्वामित्व किसके पास होता है?

    1. राज्य या सरकार
    2. जनता या समुदाय
    3. निजी व्यक्ति या निगम
    4. अंतर्राष्ट्रीय संगठन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: पूंजीवाद एक आर्थिक व्यवस्था है जिसमें उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, भूमि, मशीनरी) का स्वामित्व मुख्य रूप से निजी व्यक्तियों या निगमों के हाथों में होता है, जो लाभ कमाने के उद्देश्य से वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद की आलोचना की और इसे पूंजीपतियों (bourgeoisie) और श्रमिकों (proletariat) के बीच संघर्ष का स्रोत माना।
    • अincorrect विकल्प: (a) यह समाजवाद या साम्यवाद की विशेषता है। (b) यह भी समाजवाद या साम्यवाद से जुड़ा है। (d) अंतर्राष्ट्रीय संगठन आमतौर पर उत्पादन के साधनों के स्वामित्व के बजाय वित्तीय सहायता या नियामक भूमिका निभाते हैं।

    प्रश्न 23: “शहरीकरण” (Urbanization) का प्रमुख परिणाम क्या हो सकता है?

    1. ग्रामीण समुदायों में मजबूत पारंपरिक बंधन।
    2. पारिवारिक संरचनाओं का अधिक संयुक्त होना।
    3. सामाजिक संबंधों का अनौपचारिक और घनिष्ठ होना।
    4. व्यक्तिवाद में वृद्धि और पारंपरिक मानदंडों का कमजोर पड़ना।

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: शहरीकरण, जो लोगों के ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर प्रवास और शहरों के विकास की प्रक्रिया है, अक्सर समाज में व्यक्तिवाद को बढ़ावा देता है और पारंपरिक, घनिष्ठ सामाजिक बंधनों (जैसे ग्रामीण समुदायों में पाए जाने वाले) को कमजोर करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: शहरी जीवन में अधिक अजनबियों का सामना, गतिशीलता और विभिन्न प्रकार की संस्कृतियाँ व्यक्ति को अधिक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बना सकती हैं, जिससे पारंपरिक नियंत्रण कम हो जाते हैं।
    • अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) ये विशेषताएं आमतौर पर ग्रामीण जीवन से अधिक जुड़ी होती हैं, शहरी जीवन से नहीं।

    प्रश्न 24: “सामाजिक नियंत्रण” (Social Control) से क्या तात्पर्य है?

    1. समाज के सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करने की प्रक्रिया।
    2. समाज में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का पूर्ण अभाव।
    3. केवल सरकार द्वारा लागू किए जाने वाले कानून।
    4. समाज के लोगों की खुशी का मापन।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: सामाजिक नियंत्रण समाज के उन तरीकों और प्रक्रियाओं को संदर्भित करता है जिनके द्वारा सदस्यों के व्यवहार को सामाजिक मानदंडों, नियमों, अपेक्षाओं और मूल्यों के अनुरूप बनाए रखा जाता है, ताकि सामाजिक व्यवस्था बनी रहे।
    • संदर्भ और विस्तार: इसमें अनौपचारिक नियंत्रण (जैसे परिवार, दोस्तों का दबाव) और औपचारिक नियंत्रण (जैसे कानून, पुलिस, अदालतें) दोनों शामिल होते हैं।
    • अincorrect विकल्प: (b) सामाजिक नियंत्रण का अर्थ व्यक्तिगत स्वतंत्रता का पूर्ण अभाव नहीं है, बल्कि इसे विनियमित करना है। (c) यह केवल कानूनों तक सीमित नहीं है। (d) यह खुशी का मापन नहीं, बल्कि व्यवहार का विनियमन है।

    प्रश्न 25: “संरचनात्मक-प्रकार्यवादी” (Structural-Functionalist) दृष्टिकोण समाज को कैसे देखता है?

    1. एक ऐसा क्षेत्र जहाँ निरंतर संघर्ष और परिवर्तन होता है।
    2. एक जटिल प्रणाली जिसके विभिन्न भाग (संरचनाएँ) सामंजस्यपूर्ण ढंग से कार्य करते हैं ताकि पूरी प्रणाली बनी रहे।
    3. व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं का एक जाल।
    4. ज्ञान और शक्ति के बीच संबंध का एक क्षेत्र।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: संरचनात्मक-प्रकार्यवादी दृष्टिकोण समाज को एक जीवित जीव के समान देखता है, जहाँ समाज के विभिन्न अंग (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, राजनीति) विशिष्ट कार्य (functions) करते हैं जो समाज की समग्र स्थिरता और निरंतरता के लिए आवश्यक हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम, स्पेंसर और पार्सन्स इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक रहे हैं। वे समाज में व्यवस्था (order) और सामंजस्य (harmony) पर जोर देते हैं।
    • अincorrect विकल्प: (a) यह संघर्ष सिद्धांत का दृष्टिकोण है। (c) यह प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का दृष्टिकोण है। (d) यह फुको जैसे विचारकों से जुड़ा है।

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