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दैनिक समाजशास्त्र अभ्यास: अपनी समझ परखें।

दैनिक समाजशास्त्र अभ्यास: अपनी समझ परखें।

समाजशास्त्र के प्रिय उम्मीदवारों! क्या आप अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को अगले स्तर पर ले जाने के लिए तैयार हैं? दैनिक अभ्यास आपकी सफलता की कुंजी है। आज का यह विशेष मॉक टेस्ट आपके ज्ञान की गहराई को परखेगा, आपको उन बारीकियों से परिचित कराएगा जो अक्सर परीक्षा में अंतर पैदा करती हैं। अपनी तैयारी को नई दिशा दें और देखें कि आप इन 25 गहन प्रश्नों में कहाँ खड़े हैं!

Sociology Practice Questions

Instructions: Attempt the following 25 questions and analyze your understanding with the detailed explanations provided.

Question 1: ‘यांत्रिकी और जैविकी एकजुटता’ (Mechanical and Organic Solidarity) की अवधारणा किसके समाजशास्त्रीय विश्लेषण का केंद्रीय बिंदु है?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. कार्ल मार्क्स
  4. टैल्कॉट पार्सन्स

Answer: (b)

Detailed Explanation:

  • Correctness: एमिल दुर्खीम ने अपने कार्य ‘द डिवीज़न ऑफ़ लेबर इन सोसाइटी’ (The Division of Labor in Society) में ‘यांत्रिकी एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) और ‘जैविकी एकजुटता’ (Organic Solidarity) की अवधारणाओं का प्रतिपादन किया। यांत्रिकी एकजुटता सरल समाजों में समानता और सामूहिक चेतना पर आधारित होती है, जबकि जैविकी एकजुटता जटिल समाजों में श्रम विभाजन और व्यक्तियों की अन्योन्याश्रितता पर आधारित होती है।
  • Context & Elaboration: दुर्खीम के अनुसार, समाज के विकास के साथ सामाजिक एकजुटता का प्रकार बदलता है। यांत्रिकी एकजुटता में सामूहिक चेतना (Collective Conscience) का प्रभुत्व होता है, जबकि जैविकी एकजुटता में व्यक्तिगत भिन्नताओं और विशिष्ट कार्यों को महत्व मिलता है, जो अंततः एकीकरण की ओर ले जाता है।
  • Incorrect Options: मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया (Social Action) और सत्ता (Authority) के प्रकारों पर ध्यान केंद्रित किया। कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष (Class Conflict) और पूंजीवाद (Capitalism) का विश्लेषण किया। टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था (Social System) और AGIL प्रतिरूप (AGIL Model) की बात की।

Question 2: भारत में ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा किसने दी, और यह किस प्रकार की सामाजिक गतिशीलता को दर्शाती है?

  1. एम.एन. श्रीनिवास, संरचनात्मक गतिशीलता
  2. योगेंद्र सिंह, सांस्कृतिक अनुकूलन
  3. एम.एन. श्रीनिवास, सांस्कृतिक गतिशीलता
  4. जी.एस. घुरिये, जाति व्यवस्था का विश्लेषण

Answer: (c)

Detailed Explanation:

  • Correctness: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा प्रस्तुत की, जो मुख्य रूप से सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है। इसके तहत निचली जाति या जनजाति के सदस्य उच्च जाति, विशेषकर द्विज जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
  • Context & Elaboration: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘रिलीजन एंड सोसाइटी अमंग द कूर्ग्स ऑफ साउथ इंडिया’ (Religion and Society Among the Coorgs of South India) में प्रस्तुत की। यह मूल रूप से जाति व्यवस्था के भीतर एक समूह की सांस्कृतिक स्थिति में बदलाव को दर्शाता है, न कि उसकी मूल संरचनात्मक स्थिति में। यह ‘संदर्भ समूह’ (Reference Group) व्यवहार का एक उदाहरण भी है।
  • Incorrect Options: ‘संरचनात्मक गतिशीलता’ का अर्थ होता है किसी व्यक्ति या समूह की सामाजिक संरचना में ही बदलाव आना (जैसे वर्ग बदलना)। योगेंद्र सिंह ने भारतीय आधुनिकीकरण पर महत्वपूर्ण कार्य किया है, लेकिन संस्कृतिकरण अवधारणा उनसे संबंधित नहीं है। जी.एस. घुरिये ने भारतीय जाति व्यवस्था का गहन अध्ययन किया, लेकिन संस्कृतिकरण की अवधारणा श्रीनिवास की देन है।

Question 3: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख फोकस क्या है?

  1. समाज में शक्ति संबंध
  2. व्यक्तियों के बीच प्रतीकों और अर्थों के माध्यम से अंतःक्रिया
  3. सामाजिक संरचनाओं का स्थायित्व
  4. उत्पादन के तरीकों का प्रभाव

Answer: (b)

Detailed Explanation:

  • Correctness: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य है जो व्यक्तियों के बीच प्रतीकों, भाषाओं और अर्थों के माध्यम से होने वाली अंतःक्रियाओं के अध्ययन पर केंद्रित है। जॉर्ज हर्बर्ट मीड और हर्बर्ट ब्लूमर इस सिद्धांत के प्रमुख प्रतिपादक हैं।
  • Context & Elaboration: इस सिद्धांत के अनुसार, लोग एक-दूसरे के साथ वस्तुओं और व्यवहारों के अर्थों की व्याख्या करके बातचीत करते हैं। ये अर्थ सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से बनते और बदलते हैं। ब्लूमर ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के तीन मूल सिद्धांतों को रेखांकित किया: 1) लोग चीजों के प्रति उनके अर्थों के आधार पर कार्य करते हैं। 2) इन चीजों के अर्थ सामाजिक अंतःक्रिया से उत्पन्न होते हैं। 3) इन अर्थों को संशोधित किया जाता है और व्याख्यात्मक प्रक्रिया के माध्यम से उपयोग किया जाता है।
  • Incorrect Options: ‘समाज में शक्ति संबंध’ संघर्ष परिप्रेक्ष्य (Conflict Perspective) का फोकस है। ‘सामाजिक संरचनाओं का स्थायित्व’ संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) का केंद्रीय विषय है। ‘उत्पादन के तरीकों का प्रभाव’ मार्क्सवादी सिद्धांत का मूल है।

Question 4: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा आर.के. मर्टन द्वारा प्रस्तुत नहीं की गई है?

  1. विचलन (Deviance)
  2. संदर्भ समूह (Reference Group)
  3. स्व-पूर्ण भविष्यवाणी (Self-Fulfilling Prophecy)
  4. प्रकट और अप्रकट प्रकार्य (Manifest and Latent Functions)

Answer: (a)

Detailed Explanation:

  • Correctness: रॉबर्ट के. मर्टन ने ‘विचलन’ (Deviance) की अवधारणा को सीधे तौर पर विकसित नहीं किया, हालांकि उनके ‘एनोमी’ (Anomie) सिद्धांत ने विचलन की व्याख्या में योगदान दिया। ‘एनोमी’ दुर्खीम से ली गई अवधारणा है जिसे मर्टन ने आगे बढ़ाया। अन्य तीनों अवधारणाएं—संदर्भ समूह, स्व-पूर्ण भविष्यवाणी और प्रकट व अप्रकट प्रकार्य—मर्टन की प्रमुख सैद्धांतिक देन हैं।
  • Context & Elaboration: मर्टन ने ‘प्रकट प्रकार्य’ को ऐसे परिणाम के रूप में परिभाषित किया जो इच्छित और मान्यता प्राप्त होते हैं, जबकि ‘अप्रकट प्रकार्य’ अनपेक्षित और गैर-मान्यता प्राप्त परिणाम होते हैं। ‘संदर्भ समूह’ वह समूह होता है जिसका उपयोग व्यक्ति अपनी तुलना और आत्म-मूल्यांकन के लिए करता है। ‘स्व-पूर्ण भविष्यवाणी’ वह स्थिति है जहाँ किसी स्थिति की गलत परिभाषा अंततः एक नए व्यवहार को जन्म देती है जो मूल रूप से गलत धारणा को सत्य में बदल देती है।
  • Incorrect Options: संदर्भ समूह, स्व-पूर्ण भविष्यवाणी और प्रकट व अप्रकट प्रकार्य सीधे तौर पर आर.के. मर्टन द्वारा विकसित और लोकप्रिय की गई अवधारणाएं हैं, जो उनके प्रकार्यात्मक विश्लेषण का अभिन्न अंग हैं।

Question 5: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. यह एक बंद स्तरीकरण प्रणाली है।
  2. सदस्यता जन्म से निर्धारित होती है।
  3. इसमें अंतर-जातीय विवाह (Endogamy) को प्रोत्साहित किया जाता है।
  4. इसमें ऊर्ध्वगामी गतिशीलता (Upward Mobility) आसान होती है।

Answer: (d)

Detailed Explanation:

  • Correctness: जाति व्यवस्था एक कठोर और बंद स्तरीकरण प्रणाली है जिसमें ऊर्ध्वगामी गतिशीलता (upward mobility) अत्यंत कठिन या लगभग असंभव होती है। व्यक्ति की जाति जन्म से निर्धारित होती है और आजीवन बनी रहती है।
  • Context & Elaboration: जाति व्यवस्था भारत की एक विशिष्ट सामाजिक संस्था है जो पदानुक्रम, वंशानुक्रम, अंतर्विवाह (endogamy), व्यवसायों के पृथक्करण और भोजन व सामाजिक संपर्क पर प्रतिबंधों द्वारा चिह्नित है। यह एक ‘प्रारंभिक प्रदत्त स्थिति’ (Ascribed Status) पर आधारित व्यवस्था है, जहाँ व्यक्ति की स्थिति उसके जन्म से तय होती है, न कि उसकी उपलब्धियों से।
  • Incorrect Options: विकल्प (a), (b) और (c) जाति व्यवस्था की मूलभूत विशेषताएं हैं। यह एक बंद प्रणाली है क्योंकि सामाजिक स्थिति बदलना मुश्किल है, सदस्यता जन्म से तय होती है, और यह अपनी ही जाति के भीतर विवाह (अंतर्विवाह) को प्रोत्साहित करती है।

Question 6: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘तर्कसंगत-कानूनी सत्ता’ (Rational-Legal Authority) का आधार क्या है?

  1. व्यक्ति का करिश्माई गुण
  2. परंपराएं और रीति-रिवाज
  3. नियम और कानून
  4. वंशानुगत उत्तराधिकार

Answer: (c)

Detailed Explanation:

  • Correctness: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन शुद्ध प्रकारों (Ideal Types) की पहचान की: पारंपरिक (Traditional), करिश्माई (Charismatic), और तर्कसंगत-कानूनी (Rational-Legal)। तर्कसंगत-कानूनी सत्ता नियमों और कानूनों की वैधता पर आधारित होती है, जो निष्पक्ष और तार्किक रूप से स्थापित होते हैं। यह आधुनिक नौकरशाही का आधार है।
  • Context & Elaboration: वेबर के अनुसार, इस प्रकार की सत्ता में अधिकारी अपने पद पर इसलिए नहीं होते क्योंकि वे करिश्माई हैं या परंपरा से आए हैं, बल्कि इसलिए होते हैं क्योंकि उन्होंने स्थापित कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से उस पद को प्राप्त किया है। उनकी शक्ति उनके पद से जुड़ी होती है, न कि उनके व्यक्तिगत गुणों से।
  • Incorrect Options: ‘व्यक्ति का करिश्माई गुण’ करिश्माई सत्ता का आधार है। ‘परंपराएं और रीति-रिवाज’ पारंपरिक सत्ता का आधार हैं। ‘वंशानुगत उत्तराधिकार’ भी पारंपरिक सत्ता का एक रूप हो सकता है, विशेषकर राजशाही में।

Question 7: ‘गरीबी का दुष्चक्र’ (Vicious Circle of Poverty) की अवधारणा किसने विकसित की, जो यह बताती है कि एक गरीब देश गरीब ही रहता है क्योंकि उसमें धन की कमी होती है?

  1. गुन्नार मर्डल
  2. डब्ल्यू. डब्ल्यू. रोस्टोव
  3. आर.एन. डंडेकर
  4. रेगनर नर्के

Answer: (d)

Detailed Explanation:

  • Correctness: ‘गरीबी का दुष्चक्र’ (Vicious Circle of Poverty) की अवधारणा रेगनर नर्के (Ragnar Nurkse) द्वारा प्रस्तुत की गई थी। यह सिद्धांत बताता है कि गरीब देश गरीबी के एक ऐसे दुष्चक्र में फंस जाते हैं जहाँ कम आय से कम बचत होती है, जिससे कम निवेश होता है, और अंततः कम उत्पादन और कम आय होती है।
  • Context & Elaboration: नर्के ने इस अवधारणा का उपयोग विकासशील देशों में गरीबी की निरंतरता की व्याख्या करने के लिए किया। उनके अनुसार, मांग पक्ष पर, कम आय के कारण कम क्रय शक्ति होती है, जिससे निवेश का प्रोत्साहन कम होता है। आपूर्ति पक्ष पर, कम बचत के कारण निवेश के लिए पूंजी की कमी होती है।
  • Incorrect Options: गुन्नार मर्डल ने ‘एशियन ड्रामा’ लिखा और ‘संचयी कारण’ (Cumulative Causation) के सिद्धांत पर काम किया। डब्ल्यू. डब्ल्यू. रोस्टोव ने आर्थिक विकास के ‘पांच चरणों’ का सिद्धांत दिया। आर.एन. डंडेकर एक भारतीय अर्थशास्त्री और सांख्यिकीविद् थे जिन्होंने भारत में गरीबी और असमानता पर काम किया, लेकिन यह विशिष्ट अवधारणा नर्के की है।

Question 8: निम्नलिखित में से कौन सा गुणात्मक अनुसंधान (Qualitative Research) विधि का उदाहरण नहीं है?

  1. क्षेत्रीय अध्ययन (Field Study)
  2. प्रतिभागी अवलोकन (Participant Observation)
  3. सर्वेक्षण (Survey)
  4. केंद्रित समूह चर्चा (Focus Group Discussion)

Answer: (c)

Detailed Explanation:

  • Correctness: सर्वेक्षण (Survey) मुख्य रूप से एक मात्रात्मक अनुसंधान विधि है, जिसका उपयोग बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं से मानकीकृत डेटा (जैसे संख्यात्मक डेटा) एकत्र करने के लिए किया जाता है, जिसे सांख्यिकीय रूप से विश्लेषण किया जा सके।
  • Context & Elaboration: गुणात्मक अनुसंधान विधियाँ सामाजिक घटनाओं की गहराई और जटिलता को समझने पर केंद्रित होती हैं, अक्सर व्यक्तियों के अनुभवों, विचारों और अर्थों की खोज करके। क्षेत्रीय अध्ययन, प्रतिभागी अवलोकन और केंद्रित समूह चर्चा सभी गुणात्मक विधियाँ हैं जो शोधकर्ता को सामाजिक संदर्भ में गहन जानकारी एकत्र करने की अनुमति देती हैं।
  • Incorrect Options: क्षेत्रीय अध्ययन, प्रतिभागी अवलोकन और केंद्रित समूह चर्चा सभी गुणात्मक अनुसंधान के उदाहरण हैं। क्षेत्रीय अध्ययन में वास्तविक सामाजिक सेटिंग्स में लोगों का अध्ययन करना शामिल है। प्रतिभागी अवलोकन में शोधकर्ता उस समूह का हिस्सा बन जाता है जिसका वह अध्ययन कर रहा है। केंद्रित समूह चर्चा में एक छोटे समूह के साथ एक विशिष्ट विषय पर गहन चर्चा की जाती है।

Question 9: दुर्खीम के अनुसार, ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:

  1. समाज में अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण होता है।
  2. व्यक्ति और समाज के बीच सामंजस्य की स्थिति होती है।
  3. सामाजिक मानदंड कमजोर या अनुपस्थित हो जाते हैं।
  4. समाज में अत्यधिक गतिशीलता होती है।

Answer: (c)

Detailed Explanation:

  • Correctness: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘एनोमी’ एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जहाँ सामाजिक मानदंड (norms) कमजोर, अस्पष्ट या अनुपस्थित हो जाते हैं, जिससे व्यक्तियों को यह समझने में मुश्किल होती है कि उनसे क्या अपेक्षित है। यह अक्सर तेजी से सामाजिक परिवर्तन या संकट के समय होता है।
  • Context & Elaboration: दुर्खीम ने आत्महत्या के अपने अध्ययन में ‘एनोमिक आत्महत्या’ (Anomic Suicide) की अवधारणा का उपयोग किया, जहाँ उन्होंने दिखाया कि मानदंडों की कमी या भ्रम की स्थिति व्यक्तियों में दिशाहीनता और निराशा पैदा कर सकती है, जिससे आत्महत्या की दर बढ़ जाती है।
  • Incorrect Options: अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण से ‘घातक आत्महत्या’ (Fatalistic Suicide) हो सकती है, लेकिन एनोमी नहीं। समाज और व्यक्ति के बीच सामंजस्य एक स्वस्थ सामाजिक स्थिति को दर्शाता है। अत्यधिक गतिशीलता एनोमी का कारण बन सकती है, लेकिन एनोमी स्वयं मानदंडों की अनुपस्थिति या कमजोरी है।

Question 10: ‘अदृश्य हाथ’ (Invisible Hand) की अवधारणा, जो बाजार शक्तियों के स्वयं-नियामक स्वभाव को संदर्भित करती है, किस अर्थशास्त्रीय सोच से संबंधित है, जिसे अक्सर समाजशास्त्र में भी उद्धृत किया जाता है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. जॉन मेनार्ड कीन्स
  3. एडम स्मिथ
  4. मैक्स वेबर

Answer: (c)

Detailed Explanation:

  • Correctness: ‘अदृश्य हाथ’ की अवधारणा एडम स्मिथ द्वारा अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द वेल्थ ऑफ नेशंस’ (The Wealth of Nations) में प्रस्तुत की गई थी। यह अवधारणा बाजार के स्वयं-नियामक स्वभाव को संदर्भित करती है, जहाँ व्यक्तियों के स्व-हित में किए गए कार्य अनजाने में पूरे समाज के लिए लाभ पैदा करते हैं, जैसे कि एक अदृश्य हाथ द्वारा निर्देशित हों।
  • Context & Elaboration: यद्यपि यह अवधारणा मूल रूप से अर्थशास्त्र से संबंधित है, समाजशास्त्र में इसे अक्सर मुक्त बाजार अर्थव्यवस्थाओं के सामाजिक परिणामों और सामाजिक समन्वय के वैकल्पिक रूपों पर चर्चा करते समय उद्धृत किया जाता है, खासकर जब हम आर्थिक संस्थाओं और सामाजिक संरचना के बीच संबंधों का अध्ययन करते हैं।
  • Incorrect Options: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद के शोषणकारी स्वभाव पर ध्यान केंद्रित किया। जॉन मेनार्ड कीन्स ने सरकारी हस्तक्षेप के माध्यम से अर्थव्यवस्था के प्रबंधन की वकालत की। मैक्स वेबर ने अर्थव्यवस्था और समाज के बीच संबंधों पर काम किया, लेकिन ‘अदृश्य हाथ’ की अवधारणा उनकी नहीं है।

Question 11: ‘भारत में गाँव’ (Indian Village) पर अध्ययन करने वाले अग्रणी समाजशास्त्रियों में से कौन हैं जिन्होंने ‘प्रबल जाति’ (Dominant Caste) की अवधारणा दी?

  1. आंद्रे बेते
  2. एम.एन. श्रीनिवास
  3. योगेंद्र सिंह
  4. सुरजीत सिन्हा

Answer: (b)

Detailed Explanation:

  • Correctness: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय ग्राम्य समाज पर गहन अध्ययन किया और ‘प्रबल जाति’ (Dominant Caste) की अवधारणा दी। उनके अनुसार, एक प्रबल जाति वह होती है जो संख्यात्मक शक्ति, आर्थिक प्रभुत्व (भूमि स्वामित्व), राजनीतिक शक्ति और अनुष्ठानिक स्थिति (उच्च जाति) के संयोजन से एक गाँव या क्षेत्र पर प्रमुख प्रभाव डालती है।
  • Context & Elaboration: श्रीनिवास ने यह अवधारणा ‘रामपुरा’ गाँव के अपने अध्ययन के आधार पर विकसित की। उनके अनुसार, प्रबल जाति के सदस्य स्थानीय निर्णय लेने, संसाधनों के वितरण और यहां तक कि सामाजिक मानदंडों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह अवधारणा भारतीय ग्रामीण समाज की शक्ति संरचना को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • Incorrect Options: आंद्रे बेते ने जाति, वर्ग और शक्ति के बीच संबंधों पर अध्ययन किया। योगेंद्र सिंह ने भारतीय आधुनिकीकरण और परंपराओं पर लिखा। सुरजीत सिन्हा ने जनजातीय समाजों और संस्कृति पर काम किया।

Question 12: ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) की वेबरियन अवधारणा की कौन सी विशेषता नहीं है?

  1. पदानुक्रमित संरचना
  2. नियमां द्वारा शासित
  3. व्यक्तिगत संबंध और भावनाएँ
  4. अवैयक्तिक व्यवहार

Answer: (c)

Detailed Explanation:

  • Correctness: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही एक तर्कसंगत-कानूनी प्रशासनिक प्रणाली है जिसकी एक प्रमुख विशेषता ‘अवैयक्तिकता’ (Impersonality) है। इसका अर्थ है कि इसमें व्यक्तिगत संबंध और भावनाएँ निर्णय लेने या प्रक्रियाओं को प्रभावित नहीं करतीं; बल्कि, नियमों और प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन किया जाता है।
  • Context & Elaboration: वेबर ने नौकरशाही को आधुनिक समाजों की एक कुशल और तर्कसंगत प्रशासनिक संरचना के रूप में देखा। इसकी अन्य मुख्य विशेषताओं में विशिष्ट कार्य विभाजन, लिखित नियम और विनियम, पेशेवर योग्यता के आधार पर भर्ती, और पदानुक्रमित संरचना शामिल हैं।
  • Incorrect Options: पदानुक्रमित संरचना, नियमों द्वारा शासित होना और अवैयक्तिक व्यवहार नौकरशाही की मूलभूत विशेषताएं हैं जो इसे कुशल और निष्पक्ष बनाती हैं (वेबर के आदर्श प्रकार के अनुसार)।

Question 13: ‘लैंगिक असमानता’ (Gender Inequality) के अध्ययन में निम्नलिखित में से कौन सा परिप्रेक्ष्य जैविकीय निर्धारणवाद (Biological Determinism) पर जोर देता है?

  1. उदारवादी नारीवाद (Liberal Feminism)
  2. कट्टरपंथी नारीवाद (Radical Feminism)
  3. प्रकार्यवाद (Functionalism)
  4. साम्यवादी नारीवाद (Socialist Feminism)

Answer: (c)

Detailed Explanation:

  • Correctness: प्रकार्यवाद (Functionalism) अक्सर लैंगिक असमानता को जैविकीय निर्धारणवाद के लेंस से देखता है, यह तर्क देते हुए कि पुरुषों और महिलाओं के बीच कुछ भूमिकाएँ (जैसे पुरुष-कमाऊ, महिला-घरेलू) समाज के उचित कार्यकरण के लिए स्वाभाविक और कार्यात्मक रूप से आवश्यक हैं। यह महिलाओं की जैविक क्षमता (जैसे बच्चे पैदा करना) को उनकी सामाजिक भूमिकाओं का आधार मानता है।
  • Context & Elaboration: प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण मानता है कि समाज एक जटिल प्रणाली है जिसके विभिन्न भाग सामाजिक स्थिरता बनाए रखने के लिए एक साथ कार्य करते हैं। इस दृष्टिकोण में, लैंगिक भूमिकाएँ समाज में व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने के लिए कार्यात्मक मानी जाती हैं।
  • Incorrect Options: उदारवादी नारीवाद, कट्टरपंथी नारीवाद और साम्यवादी नारीवाद सभी लैंगिक असमानता को सामाजिक रूप से निर्मित मानते हैं, न कि जैविकीय रूप से निर्धारित। उदारवादी नारीवाद कानून और शिक्षा में समानता पर ध्यान केंद्रित करता है। कट्टरपंथी नारीवाद पितृसत्ता को दमन के मूल कारण के रूप में देखता है। साम्यवादी नारीवाद पूंजीवाद और पितृसत्ता के अंतर्संबंधों पर जोर देता है।

Question 14: ‘आदिम साम्यवाद’ (Primitive Communism) की अवधारणा किस विचारक से जुड़ी है, जो यह तर्क देता है कि प्रारंभिक मानव समाजों में संपत्ति का सामूहिक स्वामित्व था?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स
  4. बी. आर. अम्बेडकर

Answer: (c)

Detailed Explanation:

  • Correctness: कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स ने अपने ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) के सिद्धांत के तहत ‘आदिम साम्यवाद’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनका मानना था कि मानव समाज के विकास के शुरुआती चरणों में, जैसे शिकारी-संग्राहक समाजों में, उत्पादन के साधनों पर कोई निजी स्वामित्व नहीं था, और सभी संसाधन समुदाय के थे।
  • Context & Elaboration: यह अवधारणा मार्क्सवादी सामाजिक विकास के चरणों की पहली अवस्था है, जिसके बाद दास समाज, सामंती समाज, पूंजीवादी समाज और अंततः साम्यवादी समाज (बिना वर्ग वाला समाज) आता है।
  • Incorrect Options: एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता पर ध्यान केंद्रित किया। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और सत्ता पर काम किया। बी. आर. अम्बेडकर ने जाति व्यवस्था और सामाजिक न्याय पर महत्वपूर्ण कार्य किया, लेकिन आदिम साम्यवाद की अवधारणा उनसे संबंधित नहीं है।

Question 15: ‘नगरवाद’ (Urbanism) को जीवन के एक तरीके के रूप में किसने वर्णित किया, जो बड़े, घने और विषम समाजों की विशेषता है?

  1. जॉर्ज सिमेल
  2. लुईस वर्थ
  3. रॉबर्ट ई. पार्क
  4. अर्नेस्ट बर्गेस

Answer: (b)

Detailed Explanation:

  • Correctness: लुईस वर्थ (Louis Wirth) ने अपने प्रसिद्ध निबंध ‘अर्बनिज़्म ऐज़ अ वे ऑफ़ लाइफ’ (Urbanism as a Way of Life) में नगरवाद को ‘एक अपेक्षाकृत बड़े, घने और स्थायी बसे हुए व्यक्तियों के विषम समुच्चय’ के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने बताया कि ये विशेषताएं नगरों में रहने वाले व्यक्तियों के व्यक्तित्व, संबंधों और संस्कृति को कैसे प्रभावित करती हैं।
  • Context & Elaboration: शिकागो स्कूल के एक प्रमुख सदस्य के रूप में, वर्थ ने शहरी जीवन के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभावों का अध्ययन किया। उन्होंने तर्क दिया कि शहरी जीवन की प्रकृति (जैसे आकार, घनत्व और विषमता) व्यक्तिगत संबंधों को अवैयक्तिक, खंडित और सतही बनाती है।
  • Incorrect Options: जॉर्ज सिमेल ने महानगर में जीवन के मनोवैज्ञानिक प्रभावों पर लिखा, लेकिन ‘नगरवाद को जीवन के तरीके’ के रूप में वर्थ ने परिभाषित किया। रॉबर्ट ई. पार्क और अर्नेस्ट बर्गेस भी शिकागो स्कूल के प्रमुख सदस्य थे जिन्होंने शहरी पारिस्थितिकी (Urban Ecology) और नगरीय विकास के पैटर्न पर काम किया (जैसे बर्गेस का संकेंद्रित वृत्त मॉडल)।

Question 16: ‘सामूहिक प्रतिनिधित्व’ (Collective Representations) की अवधारणा, जो सामूहिक चेतना के प्रतीकात्मक अभिव्यक्तियों को संदर्भित करती है, किस विचारक से जुड़ी है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. जी.एच. मीड
  4. पियरे बोर्दियू

Answer: (a)

Detailed Explanation:

  • Correctness: एमिल दुर्खीम ने ‘सामूहिक प्रतिनिधित्व’ की अवधारणा का उपयोग किया, विशेष रूप से धर्म के अपने अध्ययन में। ये समाज द्वारा बनाए गए प्रतीक, विश्वास और मूल्य होते हैं जो सामूहिक चेतना को व्यक्त करते हैं और सामाजिक एकजुटता को बनाए रखने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, झंडे, धार्मिक अनुष्ठान, या मिथक।
  • Context & Elaboration: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द एलिमेंट्री फॉर्म्स ऑफ द रिलीजियस लाइफ’ (The Elementary Forms of the Religious Life) में धर्म को सामूहिक प्रतिनिधित्व के एक प्राथमिक स्रोत के रूप में देखा। उनके अनुसार, समाज स्वयं को इन प्रतीकों और अनुष्ठानों के माध्यम से पूजता है।
  • Incorrect Options: मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और सत्ता के प्रकारों पर ध्यान केंद्रित किया। जी.एच. मीड ने ‘आत्म’ (Self) के विकास और प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद पर काम किया। पियरे बोर्दियू ने हैबिटस (Habitus), पूंजी के विभिन्न रूपों और क्षेत्र (Field) की अवधारणाएं दीं।

Question 17: भारतीय समाज के अध्ययन में ‘फील्डवर्क’ (Fieldwork) के महत्व पर किसने जोर दिया और स्वयं कर्नाटक के रामपुरा गाँव में गहन क्षेत्रीय अध्ययन किया?

  1. ए.आर. देसाई
  2. एम.एन. श्रीनिवास
  3. जी.एस. घुरिये
  4. डी.पी. मुखर्जी

Answer: (b)

Detailed Explanation:

  • Correctness: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाजशास्त्र में क्षेत्रीय कार्य (Fieldwork) पद्धति को अत्यधिक महत्व दिया। उन्होंने स्वयं कर्नाटक के रामपुरा गाँव में लंबे समय तक रहकर गहन क्षेत्रीय अध्ययन किया, जिसके आधार पर उन्होंने ‘संस्कृतिकरण’ और ‘प्रबल जाति’ जैसी अवधारणाएं विकसित कीं।
  • Context & Elaboration: श्रीनिवास ने भारतीय समाज को समझने के लिए जमीनी स्तर पर अवलोकन और अनुभवजन्य डेटा संग्रह की वकालत की, जो पुस्तकीय ज्ञान के विपरीत था। उनके क्षेत्रीय अध्ययन ने भारतीय समाजशास्त्र को एक अनुभवजन्य और व्यावहारिक दिशा दी।
  • Incorrect Options: ए.आर. देसाई ने मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य से भारतीय राष्ट्रवाद और ग्रामीण समाज का अध्ययन किया। जी.एस. घुरिये को भारतीय समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, जिन्होंने जाति और जनजातियों पर विस्तृत कार्य किया, लेकिन उनका जोर फील्डवर्क से ज्यादा तुलनात्मक और ऐतिहासिक था। डी.पी. मुखर्जी ने भारतीय परंपराओं और आधुनिकीकरण के द्वंद्वात्मक विश्लेषण पर जोर दिया।

Question 18: ‘पूंजीवादी व्यवस्था’ (Capitalist System) में ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा किसके विश्लेषण का केंद्रीय विषय है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. कार्ल मार्क्स
  4. टैल्कॉट पार्सन्स

Answer: (c)

Detailed Explanation:

  • Correctness: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा को पूंजीवादी व्यवस्था के विश्लेषण के लिए केंद्रीय बताया। उनके अनुसार, पूंजीवाद श्रमिकों को उनके श्रम के उत्पाद, स्वयं की प्रकृति, अन्य श्रमिकों और यहां तक कि उनके मानव सार से भी अलग कर देता है।
  • Context & Elaboration: मार्क्स ने ‘अलगाव’ के चार मुख्य आयामों की पहचान की: 1) उत्पादन के उत्पाद से अलगाव, 2) उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, 3) मानव की प्रजाति-सार (Species-Being) से अलगाव, और 4) अन्य मनुष्यों से अलगाव। यह अलगाव पूंजीवादी उत्पादन के तरीकों में श्रमिकों के शोषण और dehumanization का परिणाम है।
  • Incorrect Options: दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की बात की, जो मानदंडों की कमी से उत्पन्न दिशाहीनता है, अलगाव से अलग। वेबर ने नौकरशाही में तर्कहीनता के कुछ पहलुओं की बात की, लेकिन अलगाव उनके केंद्रीय विषय नहीं थे। पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया।

Question 19: ‘हरित क्रांति’ (Green Revolution) का भारतीय कृषि पर क्या प्रभाव पड़ा, जिसे अक्सर सामाजिक-आर्थिक असमानता बढ़ाने वाला माना जाता है?

  1. इसने केवल बड़े किसानों को लाभान्वित किया और क्षेत्रीय असमानता कम की।
  2. इसने कृषि उत्पादन में वृद्धि की लेकिन छोटे और सीमांत किसानों को कम लाभ हुआ।
  3. इसने ग्रामीण गरीबी को पूरी तरह से समाप्त कर दिया।
  4. इसने कृषि को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना दिया।

Answer: (b)

Detailed Explanation:

  • Correctness: हरित क्रांति ने भारत में कृषि उत्पादन, विशेषकर गेहूं और चावल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की। हालांकि, इसका लाभ मुख्य रूप से उन बड़े किसानों तक सीमित रहा जिनके पास उन्नत बीज, उर्वरक, सिंचाई और मशीनरी खरीदने के लिए संसाधन थे। इसने छोटे और सीमांत किसानों को कम लाभान्वित किया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आय असमानता बढ़ गई।
  • Context & Elaboration: हरित क्रांति 1960 के दशक के मध्य में शुरू हुई और उच्च उपज वाली किस्मों (HYVs) के बीजों, रासायनिक उर्वरकों और सिंचाई प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर केंद्रित थी। जबकि इसने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने में मदद की, इसने सामाजिक लागतों को भी जन्म दिया, जैसे कि क्षेत्रीय असमानता (लाभ केवल कुछ राज्यों तक सीमित), अंतर-वर्ग असमानता (बड़े बनाम छोटे किसान), और पर्यावरणीय मुद्दे (पानी की कमी, मिट्टी का क्षरण)।
  • Incorrect Options: विकल्प (a) गलत है क्योंकि इसने क्षेत्रीय असमानता कम नहीं की, बल्कि कुछ क्षेत्रों (जैसे पंजाब, हरियाणा) को दूसरों (जैसे पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार) की तुलना में अधिक लाभान्वित करके इसे बढ़ाया। विकल्प (c) गलत है क्योंकि इसने ग्रामीण गरीबी को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया, बल्कि कुछ वर्गों में इसे बढ़ाया भी। विकल्प (d) गलत है क्योंकि कृषि पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं बनी, बल्कि रासायनिक इनपुट और सिंचाई के लिए बाहरी निर्भरता बढ़ी।

Question 20: ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा का अर्थ क्या है?

  1. सामाजिक घटनाओं के लिए केवल व्यक्तिगत स्पष्टीकरण खोजना।
  2. व्यक्तिगत समस्याओं को सामाजिक संदर्भों और वृहद सामाजिक शक्तियों से जोड़कर देखना।
  3. वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करके सामाजिक घटनाओं का अध्ययन करना।
  4. केवल ऐतिहासिक संदर्भ में सामाजिक परिवर्तनों का विश्लेषण करना।

Answer: (b)

Detailed Explanation:

  • Correctness: सी. राइट मिल्स (C. Wright Mills) द्वारा प्रतिपादित ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ की अवधारणा का अर्थ है व्यक्तिगत ‘मुसीबतों’ (troubles) को बड़े पैमाने पर ‘सार्वजनिक मुद्दों’ (public issues) से जोड़कर देखना। यह हमें व्यक्तिगत अनुभवों को व्यापक सामाजिक, ऐतिहासिक और संरचनात्मक संदर्भों में समझने की क्षमता प्रदान करती है।
  • Context & Elaboration: मिल्स ने तर्क दिया कि व्यक्ति अक्सर अपनी समस्याओं को व्यक्तिगत असफलताओं के रूप में देखते हैं, जबकि वास्तव में वे बड़ी सामाजिक शक्तियों या संरचनात्मक व्यवस्थाओं का परिणाम हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, बेरोजगारी को व्यक्तिगत आलस्य के रूप में देखने के बजाय, समाजशास्त्रीय कल्पना इसे आर्थिक मंदी या संरचनात्मक परिवर्तन से जोड़ती है।
  • Incorrect Options: विकल्प (a) समाजशास्त्रीय कल्पना के विपरीत है, क्योंकि यह व्यक्तिगत समस्याओं को सामाजिक संदर्भ से अलग करता है। विकल्प (c) वैज्ञानिक पद्धति का एक सामान्य वर्णन है, न कि समाजशास्त्रीय कल्पना का विशिष्ट अर्थ। विकल्प (d) समाजशास्त्रीय कल्पना का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह उसका पूर्ण अर्थ नहीं है; यह वर्तमान सामाजिक मुद्दों को ऐतिहासिक रूप से भी जोड़ता है।

Question 21: ‘सांस्कृतिक विलंबना’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो भौतिक संस्कृति में तेजी से परिवर्तन और गैर-भौतिक संस्कृति में धीमे परिवर्तन के बीच के अंतर को संदर्भित करती है?

  1. विलियम एफ. ओगबर्न
  2. रॉबर्ट ई. पार्क
  3. पीटर बर्गर
  4. थालकॉट पार्सन्स

Answer: (a)

Detailed Explanation:

  • Correctness: विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn) ने ‘सांस्कृतिक विलंबना’ (Cultural Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की। उनके अनुसार, समाज की ‘भौतिक संस्कृति’ (Material Culture), जैसे प्रौद्योगिकी, तेजी से बदलती है, जबकि ‘गैर-भौतिक संस्कृति’ (Non-Material Culture), जैसे मानदंड, मूल्य, कानून और विश्वास, अपेक्षाकृत धीमी गति से बदलती है, जिससे दोनों के बीच एक ‘विलंब’ या अंतराल उत्पन्न होता है।
  • Context & Elaboration: ओगबर्न ने इस अवधारणा का उपयोग यह समझाने के लिए किया कि कैसे तकनीकी नवाचारों के कारण सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, क्योंकि समाज की संस्थाएं और मूल्य नई तकनीकों के अनुकूल होने में समय लेते हैं। उदाहरण के लिए, इंटरनेट के तेजी से विकास के बावजूद, गोपनीयता या साइबरबुलिंग से संबंधित कानूनों और सामाजिक मानदंडों को विकसित होने में समय लगता है।
  • Incorrect Options: रॉबर्ट ई. पार्क शिकागो स्कूल के शहरी समाजशास्त्री थे। पीटर बर्गर ने सामाजिक निर्माणवाद (Social Constructionism) पर काम किया। थालकॉट पार्सन्स एक प्रमुख प्रकार्यवादी विचारक थे।

Question 22: ‘सत्यशोधक समाज’ (Satyashodhak Samaj) की स्थापना किसने की थी, जिसका उद्देश्य ब्राह्मणवादी वर्चस्व का विरोध करना और दलितों व पिछड़ी जातियों के अधिकारों के लिए लड़ना था?

  1. बी. आर. अम्बेडकर
  2. महात्मा गांधी
  3. ज्योतिराव फुले
  4. पेरियार ई.वी. रामासामी

Answer: (c)

Detailed Explanation:

  • Correctness: ‘सत्यशोधक समाज’ (सत्य की खोज करने वाला समाज) की स्थापना 1873 में महाराष्ट्र में ज्योतिराव फुले (Jyotirao Phule) ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य ब्राह्मणवादी प्रभुत्व के खिलाफ लड़ना, दलितों और महिलाओं के लिए शिक्षा व सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना था।
  • Context & Elaboration: फुले ने जाति व्यवस्था और पितृसत्ता के खिलाफ सशक्त आवाज़ उठाई। उन्होंने शूद्रों और अति-शूद्रों के अधिकारों के लिए काम किया और तर्क दिया कि ये समूह अतीत में शासक थे जिन्हें ब्राह्मणों ने धोखा देकर उनकी शक्ति छीन ली थी। उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने भारत में महिला शिक्षा की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • Incorrect Options: बी. आर. अम्बेडकर ने दलित अधिकारों के लिए जीवन भर संघर्ष किया और स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माता थे, लेकिन सत्यशोधक समाज की स्थापना उन्होंने नहीं की। महात्मा गांधी ने अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ी और ‘हरिजन सेवक संघ’ की स्थापना की। पेरियार ई.वी. रामासामी ने दक्षिण भारत में आत्म-सम्मान आंदोलन (Self-Respect Movement) का नेतृत्व किया।

Question 23: ‘प्रभावी वर्ग’ (Dominant Class) की अवधारणा, जो यह बताती है कि एक समाज में कौन सा वर्ग आर्थिक रूप से सशक्त होने के साथ-साथ सांस्कृतिक और वैचारिक रूप से भी प्रभुत्व रखता है, किस विचारक से जुड़ी है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एंटोनियो ग्राम्स्की
  3. मैक्स वेबर
  4. चार्ल्स कूली

Answer: (b)

Detailed Explanation:

  • Correctness: एंटोनियो ग्राम्स्की (Antonio Gramsci) ने ‘प्रभावी वर्ग’ (जिसे कभी-कभी हेगेमोनिक वर्ग भी कहा जाता है) की अवधारणा को अपनी ‘वर्चस्व’ (Hegemony) की अवधारणा के तहत विकसित किया। उन्होंने तर्क दिया कि शासक वर्ग केवल आर्थिक या राजनीतिक शक्ति से ही शासन नहीं करता, बल्कि सांस्कृतिक और वैचारिक तरीकों से भी अपने मूल्यों और विश्वासों को इतना प्रभावी बना देता है कि अधीनस्थ वर्ग उन्हें स्वाभाविक और वैध मानने लगते हैं।
  • Context & Elaboration: ग्राम्स्की ने मार्क्स के आर्थिक निर्धारणवाद (Economic Determinism) की आलोचना की और ‘अधिरचना’ (Superstructure) की भूमिका पर अधिक जोर दिया। उनके लिए, वर्चस्व को केवल शक्ति के उपयोग से नहीं, बल्कि आम सहमति के माध्यम से बनाए रखा जाता है, जहाँ शासक वर्ग के मूल्य व्यापक रूप से स्वीकार किए जाते हैं।
  • Incorrect Options: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और उत्पादन के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया। मैक्स वेबर ने वर्ग, स्थिति और शक्ति के बीच अंतर किया। चार्ल्स कूली ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) और प्राथमिक समूह (Primary Group) की अवधारणाएं दीं।

Question 24: ‘शहरी स्लम’ (Urban Slum) को किस विशेषता से पहचाना जा सकता है?

  1. उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे और सेवाओं की उपलब्धता।
  2. अत्यधिक भीड़भाड़, अपर्याप्त आवास और बुनियादी सुविधाओं की कमी।
  3. सुनियोजित आवासीय क्षेत्र और उच्च आय वाले निवासी।
  4. ग्रामीण क्षेत्रों से अप्रवासियों की अनुपस्थिति।

Answer: (b)

Detailed Explanation:

  • Correctness: शहरी स्लम ऐसे क्षेत्र होते हैं जिनकी विशेषता अत्यधिक भीड़भाड़, घटिया या अपर्याप्त आवास, स्वच्छता और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी, असुरक्षित रहने की स्थिति और अक्सर उच्च अपराध दर होती है। ये आमतौर पर उन लोगों द्वारा आबाद होते हैं जिनके पास बेहतर आवास तक पहुंच नहीं होती।
  • Context & Elaboration: स्लम शहरीकरण के नकारात्मक परिणामों में से एक हैं, विशेषकर विकासशील देशों में जहां ग्रामीण-शहरी प्रवासन तेजी से होता है और शहरों में पर्याप्त किफायती आवास उपलब्ध नहीं होते। वे अक्सर हाशिए पर रहने वाले समुदायों और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के केंद्र होते हैं।
  • Incorrect Options: विकल्प (a) और (c) स्लम की विशेषताओं के ठीक विपरीत हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले अप्रवासी अक्सर शहरों में किफायती आवास की कमी के कारण स्लम में बस जाते हैं।

Question 25: ‘परिवार’ (Family) को ‘एक सार्वभौमिक संस्था’ के रूप में किसने वर्णित किया, जो मानव समाज में आवश्यक कार्य करती है?

  1. ब्रोनिस्लाव मालिनोव्स्की
  2. ई.बी. टायलर
  3. क्लाउड लेवी-स्ट्रॉस
  4. मर्फी

Answer: (a)

Detailed Explanation:

  • Correctness: ब्रोनिस्लाव मालिनोव्स्की (Bronislaw Malinowski), एक प्रमुख प्रकार्यवादी नृविज्ञानी, ने परिवार को एक सार्वभौमिक संस्था के रूप में देखा जो प्रजनन, समाजीकरण, यौन विनियमन और आर्थिक सहयोग जैसे आवश्यक कार्यों को पूरा करती है। उन्होंने तर्क दिया कि दुनिया भर में विभिन्न सांस्कृतिक रूपों के बावजूद, परिवार की मूल प्रकार्यात्मक भूमिका सार्वभौमिक है।
  • Context & Elaboration: मालिनोव्स्की ने ट्रोब्रिआंड द्वीपवासियों के अपने क्षेत्रीय अध्ययन के आधार पर परिवार के प्रकार्यात्मक महत्व पर जोर दिया। उनका दृष्टिकोण था कि प्रत्येक सामाजिक संस्था की एक विशिष्ट आवश्यकता होती है जिसे वह पूरा करती है, और परिवार मानव अस्तित्व और समाज के निरंतरता के लिए महत्वपूर्ण है।
  • Incorrect Options: ई.बी. टायलर प्रारंभिक विकासवादी नृविज्ञानी थे जिन्होंने धर्म की उत्पत्ति पर काम किया। क्लाउड लेवी-स्ट्रॉस संरचनावादी नृविज्ञानी थे जिन्होंने नातेदारी प्रणालियों और मिथकों पर काम किया। मर्फी ने सामाजिक कार्य में योगदान दिया, लेकिन यह विशिष्ट अवधारणा मालिनोव्स्की की है।

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