देशभर में मतदाता सूची का महा-शुद्धिकरण: क्या बदलेगा चुनाव का चेहरा?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India – ECI) ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसके अनुसार पूरे देश में मतदाता सूचियों (Voter Lists) की व्यापक जाँच और शुद्धिकरण (purification) किया जाएगा। यह कवायद बिहार राज्य में सफलतापूर्वक किए गए पायलट प्रोजेक्ट की तर्ज पर होगी। आयोग ने इस वृहद अभियान के लिए अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं, और अब अंतिम निर्णय 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई के बाद लिया जाएगा। यह खबर न केवल चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने की दिशा में भी एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह घोषणा कई मायनों में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लाखों मतदाताओं के अधिकारों और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर सीधा प्रभाव डालेगी।
मतदाता सूची का शुद्धिकरण: क्या है यह और क्यों महत्वपूर्ण? (What is Voter List Purification and Why is it Important?)
मतदाता सूची, जिसे अक्सर चुनावी रोल (Electoral Roll) भी कहा जाता है, उन सभी योग्य नागरिकों की सूची होती है जिन्हें वोट डालने का अधिकार होता है। एक निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव के लिए मतदाता सूची का सटीक, अद्यतन (updated) और त्रुटिहीन होना अत्यंत आवश्यक है। दुर्भाग्य से, भारत में मतदाता सूचियों में कई तरह की विसंगतियाँ (discrepancies) अक्सर देखने को मिलती हैं:
- मृत मतदाताओं के नाम: ऐसे मतदाता जिनका निधन हो चुका है, लेकिन उनके नाम अभी भी सूची में दर्ज हैं।
- डुप्लिकेट प्रविष्टियाँ: एक ही व्यक्ति का नाम एक से अधिक बार या एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज होना।
- स्थानांतरित मतदाताओं के नाम: ऐसे मतदाता जो अपना निवास स्थान बदल चुके हैं, लेकिन उनका नाम अभी भी पुरानी जगह की सूची में है।
- अयोग्य मतदाताओं के नाम: ऐसे लोग जो कानूनन वोट देने के योग्य नहीं हैं (जैसे गैर-नागरिक या मानसिक रूप से अक्षम व्यक्ति), लेकिन उनका नाम सूची में शामिल है।
- छूटे हुए योग्य मतदाता: ऐसे योग्य नागरिक जो मतदान के पात्र हैं, लेकिन उनका नाम किसी कारणवश सूची में दर्ज नहीं है।
इन विसंगतियों के कारण चुनाव में धांधली की संभावना बढ़ जाती है, जिससे चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है। मतदाता सूची का शुद्धिकरण इन सभी त्रुटियों को दूर कर एक साफ-सुथरी और विश्वसनीय सूची तैयार करने की प्रक्रिया है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की नींव है।
“बिहार मॉडल”: एक केस स्टडी (The “Bihar Model”: A Case Study)
निर्वाचन आयोग ने पूरे देश में मतदाता सूची की जाँच के लिए “बिहार मॉडल” का उल्लेख किया है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि बिहार में क्या किया गया और कैसे वह पूरे देश के लिए एक नजीर बन सकता है।
बिहार में हाल ही में हुए चुनावों से पहले, निर्वाचन आयोग ने एक सघन अभियान चलाया था जिसमें बूथ लेवल अधिकारियों (Booth Level Officers – BLOs) ने घर-घर जाकर मतदाता सूची का सत्यापन किया। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित कदम शामिल थे:
- घर-घर सत्यापन (House-to-House Verification): BLOs ने प्रत्येक घर का दौरा किया और परिवार के सदस्यों के विवरण, उनके मतदान की स्थिति और किसी भी नए योग्य मतदाता की पहचान की।
- आधार सीडिंग (Aadhaar Seeding): मतदाताओं से स्वेच्छा से अपने आधार नंबर को मतदाता पहचान पत्र से लिंक करने का अनुरोध किया गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों के मद्देनजर यह स्पष्ट किया गया कि आधार लिंक न करने से किसी भी मतदाता का नाम नहीं हटाया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य डुप्लिकेट प्रविष्टियों की पहचान करना था।
- मृत और स्थानांतरित मतदाताओं की पहचान: BLOs ने स्थानीय निवासियों, ग्राम प्रधानों/मोहल्ले के प्रतिनिधियों और अन्य सरकारी रिकॉर्ड्स की मदद से मृत और स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं की पहचान की।
- दावों और आपत्तियों का निस्तारण (Disposal of Claims and Objections): सत्यापन के बाद, एक मसौदा सूची (draft list) प्रकाशित की गई जिस पर नागरिकों को अपने नाम शामिल करने, हटाने या सुधारने के लिए दावे और आपत्तियाँ दर्ज करने का अवसर दिया गया। इन दावों का उचित प्रक्रिया के तहत निस्तारण किया गया।
- जागरूकता अभियान: आयोग ने व्यापक जागरूकता अभियान चलाए ताकि नागरिक इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले सकें।
बिहार में इस अभियान के परिणामस्वरूप मतदाता सूची में उल्लेखनीय सुधार देखा गया, जिससे चुनावों में पारदर्शिता और मतदाताओं का विश्वास बढ़ा। अब, इसी अनुभव का लाभ उठाते हुए निर्वाचन आयोग इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की तैयारी में है।
कैसे होगा देशव्यापी मतदाता सूची का शुद्धिकरण? (How Will the Nationwide Voter List Purification Happen?)
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है, निर्वाचन आयोग की तैयारियां इस बात का संकेत देती हैं कि यह प्रक्रिया काफी विस्तृत और बहु-आयामी होगी:
1. तकनीकी एकीकरण (Technological Integration):
- ई-रोल सॉफ्टवेयर का उपयोग: उन्नत ई-रोल सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाएगा जो डुप्लिकेट प्रविष्टियों को स्वचालित रूप से पहचानने में मदद करेगा।
- भू-स्थानिक मैपिंग (Geospatial Mapping): मतदान केंद्रों और संबंधित क्षेत्रों की जीआईएस मैपिंग का उपयोग करके मतदाताओं के पते का सत्यापन किया जा सकता है।
- आधार और अन्य डेटाबेस से मिलान (Matching with Aadhaar and Other Databases): हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए, आधार को मतदाता पहचान पत्र से लिंक करने की प्रक्रिया स्वैच्छिक बनी रहेगी। लेकिन यह डुप्लीकेशन को रोकने में एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है। अन्य सरकारी डेटाबेस जैसे जन्म-मृत्यु पंजीकरण, राशन कार्ड डेटा आदि का उपयोग भी सत्यापन के लिए किया जा सकता है।
2. मानवीय हस्तक्षेप (Human Intervention):
- बूथ लेवल अधिकारी (BLOs): ये स्थानीय स्तर पर निर्वाचन आयोग के आँख और कान होते हैं। वे घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे, फॉर्म एकत्र करेंगे और नागरिकों की सहायता करेंगे।
- फील्ड वेरिफिकेशन: BLOs के अलावा, अन्य पर्यवेक्षक और अधिकारी भी रैंडम चेक (random checks) और फील्ड वेरिफिकेशन करेंगे ताकि प्रक्रिया की सटीकता सुनिश्चित हो सके।
3. सार्वजनिक भागीदारी (Public Participation):
- दावे और आपत्तियाँ: मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी और नागरिकों को अपने नाम शामिल करने, हटाने या विवरण में सुधार करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा।
- जागरूकता अभियान: रेडियो, टेलीविजन, सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया के माध्यम से व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे ताकि सभी पात्र नागरिक इस प्रक्रिया का हिस्सा बन सकें।
4. शिकायत निवारण तंत्र (Grievance Redressal Mechanism):
- एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की जाएगी ताकि नागरिक अपनी समस्याओं या आपत्तियों को आसानी से दर्ज कर सकें और उनका समय पर समाधान हो सके।
संविधान और कानून के दायरे में मतदाता सूची (Voter List within the Ambit of Constitution and Law)
भारत में चुनावी प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाले प्रमुख प्रावधान संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियमों (Representation of the People Acts) में निहित हैं।
संविधान के प्रावधान:
- अनुच्छेद 324: यह अनुच्छेद भारत में चुनावों के अधीक्षण (superintendence), निर्देशन (direction) और नियंत्रण (control) की शक्ति भारत निर्वाचन आयोग को प्रदान करता है। इसमें मतदाता सूची तैयार करना भी शामिल है।
- अनुच्छेद 326: यह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के लिए वयस्क मताधिकार (Adult Suffrage) का प्रावधान करता है, जिसके अनुसार 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के प्रत्येक नागरिक को वोट डालने का अधिकार है, बशर्ते वह कानून द्वारा अयोग्य न ठहराया गया हो।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (Representation of the People Act, 1950):
- यह अधिनियम विशेष रूप से संसदीय और राज्य विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन (delimitation), चुनावी रोल्स की तैयारी और संबंधित मामलों से संबंधित है।
- धारा 13D, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 24 और 25 मतदाता सूची की तैयारी, संशोधन, अद्यतन और संबंधित प्रक्रियाओं से सीधे संबंधित हैं। यह अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत न हो और प्रत्येक पंजीकृत व्यक्ति मतदाता होने के लिए योग्य हो।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951):
- यह अधिनियम चुनाव के आचरण, चुनाव संबंधी अपराधों और विवादों के निपटारे से संबंधित है। यह अप्रत्यक्ष रूप से मतदाता सूची की सटीकता को प्रभावित करता है क्योंकि अशुद्ध सूचियाँ चुनावी विवादों का कारण बन सकती हैं।
यह शुद्धिकरण अभियान इन्हीं कानूनी ढाँचों के तहत संचालित होगा, जिससे इसकी वैधता और स्वीकार्यता बनी रहे।
फायदे और लाभ (Benefits and Advantages)
एक सटीक और अद्यतन मतदाता सूची के कई दूरगामी लाभ होते हैं:
- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव (Free and Fair Elections): यह चुनाव की आधारशिला है। अशुद्धियाँ धांधली और हेरफेर को बढ़ावा दे सकती हैं, जबकि एक साफ सूची चुनावी प्रक्रिया में विश्वास बढ़ाती है।
- चुनावी कदाचार में कमी (Reduction in Electoral Malpractices): डुप्लिकेट या मृत मतदाताओं के नाम हटाकर, फर्जी मतदान (bogus voting) की संभावना को कम किया जा सकता है।
- मतदाता विश्वास में वृद्धि (Increased Voter Confidence): जब मतदाताओं को पता होता है कि सूची सटीक है और उनके वोट का मूल्य है, तो वे मतदान में अधिक उत्साह से भाग लेते हैं।
- संसाधनों का कुशल उपयोग (Efficient Use of Resources): सटीक मतदाता संख्या के आधार पर मतदान केंद्रों की व्यवस्था, मतपत्रों की छपाई और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती अधिक कुशलता से की जा सकती है, जिससे सरकारी संसाधनों की बचत होती है।
- लोकतंत्र का सुदृढीकरण (Strengthening of Democracy): एक विश्वसनीय मतदाता सूची वास्तविक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है और लोकतंत्र को मजबूत बनाती है।
- नीति निर्माण में सहायता (Aid in Policy Making): सटीक मतदाता डेटा सरकार को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और नीतियों के निर्माण में भी सहायता कर सकता है।
“एक शुद्ध मतदाता सूची लोकतंत्र की आत्मा है। यह सुनिश्चित करती है कि हर वोट मायने रखता है और हर नागरिक की आवाज़ सुनी जाती है।”
चुनौतियाँ और संभावित मुद्दे (Challenges and Potential Issues)
हालांकि यह अभियान अत्यधिक महत्वपूर्ण है, इसे लागू करने में कई चुनौतियाँ भी आ सकती हैं:
- गोपनीयता संबंधी चिंताएँ (Privacy Concerns): आधार को मतदाता सूची से जोड़ने के प्रयासों को लेकर निजता का अधिकार (Right to Privacy) एक बड़ा मुद्दा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आधार लिंकेज स्वैच्छिक होना चाहिए और केवल प्रमाणीकरण (authentication) के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है, जिससे किसी भी नागरिक का नाम केवल आधार लिंक न होने के कारण हटाया न जाए। निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि डेटा सुरक्षा और निजता का उल्लंघन न हो।
- लॉजिस्टिकल चुनौतियाँ (Logistical Challenges): भारत जैसे विशाल और विविध देश में घर-घर सत्यापन एक बहुत बड़ा कार्य है। इसके लिए बड़ी संख्या में प्रशिक्षित BLOs और पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता होगी। दूरदराज के क्षेत्रों में पहुँच और सत्यापन एक विशेष चुनौती होगी।
- मानवीय त्रुटि और पक्षपात (Human Error and Bias): BLOs और अन्य अधिकारियों द्वारा डेटा प्रविष्टि या सत्यापन में मानवीय त्रुटि हो सकती है। इसके अलावा, राजनीतिक दबाव या पक्षपात के कारण गलत तरीके से नाम हटाने या जोड़ने की संभावना भी बनी रहती है।
- निरक्षरता और जागरूकता की कमी (Illiteracy and Lack of Awareness): विशेषकर ग्रामीण और कम साक्षरता वाले क्षेत्रों में, नागरिकों को प्रक्रिया को समझने और अपने अधिकारों का प्रयोग करने में कठिनाई हो सकती है।
- राजनीतिक हस्तक्षेप (Political Interference): कुछ राजनीतिक दल अपने लाभ के लिए मतदाता सूची को प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं, जिससे प्रक्रिया की निष्पक्षता खतरे में पड़ सकती है।
- अप्रवासी मतदाताओं की पहचान (Identification of Migrant Voters): शहरों में अक्सर बड़ी संख्या में अप्रवासी आबादी होती है जो लगातार अपना निवास स्थान बदलती रहती है, ऐसे में उनकी सही पहचान और पंजीकरण एक मुश्किल कार्य है।
- तकनीकी अवसंरचना (Technical Infrastructure): पूरे देश में एक सुदृढ़ और कुशल तकनीकी अवसंरचना का होना आवश्यक है, जिसमें डेटा सर्वर, नेटवर्क कनेक्टिविटी और सॉफ्टवेयर दक्षता शामिल है, विशेषकर दूरदराज के इलाकों में।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और भूमिका (Supreme Court’s Intervention and Role)
सुप्रीम कोर्ट की 28 जुलाई की सुनवाई इस पूरे अभियान के लिए महत्वपूर्ण है। मतदाता सूची को आधार से जोड़ने के मुद्दे पर कोर्ट पहले भी कई बार अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है।
- निजता का अधिकार: 2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने “के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ” मामले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया था।
- आधार और कल्याणकारी योजनाएँ: कोर्ट ने यह भी कहा है कि आधार को कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए अनिवार्य नहीं किया जा सकता है, हालांकि इसे कुछ सेवाओं (जैसे आयकर रिटर्न) के लिए वैकल्पिक रूप से उपयोग किया जा सकता है।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन: सरकार ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 में संशोधन किया था ताकि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ा जा सके। इस संशोधन को लेकर कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं, जिसमें इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि निर्वाचन आयोग की शुद्धिकरण प्रक्रिया निजता के अधिकार का उल्लंघन न करे और किसी भी योग्य मतदाता को अनुचित तरीके से मतदान के अधिकार से वंचित न किया जाए। कोर्ट का फैसला इस बात की दिशा तय करेगा कि आयोग कैसे इस बड़े अभियान को आगे बढ़ाएगा, खासकर आधार लिंकेज और डेटा सुरक्षा के संदर्भ में।
आगे की राह (Way Forward)
भारत में मतदाता सूची का शुद्धिकरण एक आवश्यक लेकिन जटिल कार्य है। इसे सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- संतुलित दृष्टिकोण (Balanced Approach): दक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए नागरिकों के निजता के अधिकार और डेटा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- कठोर डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल (Robust Data Security Protocols): एकत्रित किए गए संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए कठोर कानून और तकनीकी सुरक्षा उपाय लागू किए जाने चाहिए।
- पारदर्शिता और जवाबदेही (Transparency and Accountability): पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए, और अधिकारियों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए। शिकायत निवारण तंत्र को सुदृढ़ किया जाए।
- व्यापक जागरूकता अभियान (Widespread Awareness Campaigns): नागरिकों को प्रक्रिया के महत्व, उनके अधिकारों और इसमें भाग लेने के तरीके के बारे में शिक्षित किया जाए। विशेष रूप से कमजोर वर्गों और दूरदराज के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
- प्रौद्योगिकी का विवेकपूर्ण उपयोग (Judicious Use of Technology): आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी तकनीकों का उपयोग डुप्लिकेट प्रविष्टियों और विसंगतियों को पहचानने में किया जा सकता है, लेकिन अंतिम निर्णय मानवीय सत्यापन और नियत प्रक्रिया के आधार पर होना चाहिए।
- BLOs का प्रशिक्षण और सशक्तिकरण (Training and Empowerment of BLOs): BLOs को पर्याप्त प्रशिक्षण, संसाधन और प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वे अपना कार्य कुशलतापूर्वक और निष्पक्ष रूप से कर सकें।
- राजनीतिक दलों की भागीदारी (Involvement of Political Parties): राजनीतिक दलों को भी इस प्रक्रिया में सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, न कि बाधा डालने के लिए।
- सतत अद्यतनीकरण (Continuous Updation): मतदाता सूची का शुद्धिकरण एक बार की कवायद नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह एक सतत प्रक्रिया होनी चाहिए जिसमें नियमित अंतराल पर अद्यतनीकरण और सत्यापन किया जाए।
यह अभियान सिर्फ नामों को जोड़ने या हटाने से कहीं अधिक है; यह भारत के लोकतांत्रिक भविष्य को आकार देने के बारे में है। एक त्रुटिहीन मतदाता सूची न केवल चुनावी प्रक्रिया को मजबूत करती है, बल्कि यह प्रत्येक नागरिक के वोट के महत्व को भी बढ़ाती है, जिससे हमारा लोकतंत्र और अधिक जीवंत बनता है। निर्वाचन आयोग की तैयारी और सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई, दोनों ही इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, जो देश के चुनावी चेहरे को बदल सकते हैं।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
(यहाँ 10 MCQs, उनके उत्तर और व्याख्या प्रदान करें)
1. भारत में मतदाता सूचियों की तैयारी, अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324 भारत निर्वाचन आयोग को यह शक्ति प्रदान करता है।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 मुख्य रूप से चुनावी रोल्स की तैयारी और संशोधन से संबंधित है।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 चुनाव के आचरण और चुनाव संबंधी अपराधों से संबंधित है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
A. केवल 1 और 2
B. केवल 2 और 3
C. केवल 1 और 3
D. 1, 2 और 3
उत्तर: D
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324 भारत निर्वाचन आयोग को चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण की शक्ति प्रदान करता है, जिसमें मतदाता सूची तैयार करना भी शामिल है।
- कथन 2 सही है: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 चुनावी रोल्स की तैयारी, उनके परिसीमन और उनसे संबंधित मामलों से संबंधित है।
- कथन 3 सही है: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 चुनाव के आचरण, चुनाव संबंधी अपराधों और विवादों के निपटारे से संबंधित है।
2. ‘वोटर लिस्ट का शुद्धिकरण’ अभियान के संभावित लाभों के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
- यह चुनावी प्रक्रिया में फर्जी मतदान को कम करेगा।
- यह मतदान केंद्रों के कुशल प्रबंधन में सहायता करेगा।
- यह नागरिकों के निजता के अधिकार को मजबूती प्रदान करेगा।
सही विकल्प चुनें:
A. केवल 1
B. केवल 1 और 2
C. केवल 2 और 3
D. 1, 2 और 3
उत्तर: B
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: शुद्धिकरण से मृत या डुप्लिकेट नामों को हटाने से फर्जी मतदान की संभावना कम होगी।
- कथन 2 सही है: सटीक मतदाता संख्या के आधार पर मतदान केंद्रों, मतपत्रों और सुरक्षा कर्मियों की व्यवस्था अधिक कुशलता से की जा सकती है।
- कथन 3 गलत है: जबकि शुद्धिकरण का उद्देश्य चुनावी सटीकता है, आधार लिंकेज जैसे कुछ पहलुओं पर निजता संबंधी चिंताएँ उठती रही हैं, न कि यह सीधे निजता के अधिकार को मजबूती प्रदान करेगा। निजता की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय करने होंगे।
3. ‘बिहार मॉडल’ जिसके आधार पर पूरे देश में वोटर लिस्ट जांची जाएंगी, की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हो सकता है:
- बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) द्वारा घर-घर सत्यापन।
- मतदाताओं द्वारा स्वेच्छा से आधार नंबर को मतदाता पहचान पत्र से लिंक करना।
- मृत और स्थानांतरित मतदाताओं की पहचान के लिए केवल सरकारी रिकॉर्ड्स पर निर्भरता।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
A. केवल 1
B. केवल 1 और 2
C. केवल 2 और 3
D. 1, 2 और 3
उत्तर: B
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: बिहार मॉडल में BLOs द्वारा घर-घर सत्यापन एक केंद्रीय विशेषता थी।
- कथन 2 सही है: आधार लिंकेज स्वैच्छिक रूप से किया गया था, जिसका उद्देश्य डुप्लिकेट प्रविष्टियों की पहचान करना था।
- कथन 3 गलत है: मृत और स्थानांतरित मतदाताओं की पहचान के लिए BLOs ने स्थानीय निवासियों, ग्राम प्रधानों/मोहल्ले के प्रतिनिधियों और अन्य सरकारी रिकॉर्ड्स की मदद ली थी, न कि केवल सरकारी रिकॉर्ड्स पर निर्भरता थी। यह एक बहु-आयामी प्रक्रिया थी।
4. मतदाता सूची के शुद्धिकरण में निजता के अधिकार से संबंधित चुनौतियों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- सुप्रीम कोर्ट ने ‘के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ’ मामले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया था।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह अनिवार्य किया है कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना अनिवार्य है ताकि डुप्लिकेट नामों को हटाया जा सके।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 में आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने के लिए संशोधन किया गया है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
A. केवल 1
B. केवल 1 और 2
C. केवल 1 और 3
D. 1, 2 और 3
उत्तर: C
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: ‘के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया था।
- कथन 2 गलत है: सुप्रीम कोर्ट ने आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने को अनिवार्य नहीं किया है, बल्कि इसे स्वैच्छिक रखने का निर्देश दिया है और यह भी स्पष्ट किया है कि केवल आधार लिंक न होने के कारण किसी का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जा सकता।
- कथन 3 सही है: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 में संशोधन किया गया है ताकि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ा जा सके, हालांकि इसकी संवैधानिक वैधता को लेकर याचिकाएं लंबित हैं।
5. भारत के संदर्भ में, ‘फर्जी मतदान’ (Bogus Voting) का सबसे संभावित कारण क्या हो सकता है?
A. मतदाताओं के बीच कम जागरूकता
B. मतदान केंद्रों पर सुरक्षा कर्मियों की कमी
C. मतदाता सूची में मृत या डुप्लिकेट मतदाताओं का नाम होना
D. ईवीएम (EVM) में तकनीकी खराबी
उत्तर: C
व्याख्या: फर्जी मतदान का अर्थ है किसी और के नाम पर वोट डालना। यह तब संभव होता है जब मतदाता सूची में मृत व्यक्ति का नाम हो या किसी व्यक्ति का नाम एक से अधिक बार हो, जिससे कोई अन्य व्यक्ति उन वोटों को डाल सके। अन्य विकल्प अप्रत्यक्ष रूप से मतदान को प्रभावित कर सकते हैं लेकिन सीधे फर्जी मतदान का कारण नहीं बनते।
6. भारत में मतदाता सूची का शुद्धिकरण अभियान निम्नलिखित में से किस सिद्धांत को बढ़ावा देगा?
A. प्रत्यक्ष लोकतंत्र
B. सहभागी लोकतंत्र
C. प्रतिनिधि लोकतंत्र की शुचिता
D. सैन्य लोकतंत्र
उत्तर: C
व्याख्या: मतदाता सूची का शुद्धिकरण प्रतिनिधि लोकतंत्र की शुचिता (purity/integrity) को बढ़ावा देता है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि केवल योग्य नागरिक ही मतदान करें, जिससे चुनाव परिणाम सही मायने में जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करें। यह सीधे तौर पर प्रत्यक्ष या सैन्य लोकतंत्र से संबंधित नहीं है, और यह सहभागी लोकतंत्र का एक उपकरण है, लेकिन इसका प्राथमिक लक्ष्य ‘प्रतिनिधि लोकतंत्र’ की ‘शुचिता’ है।
7. भारत में चुनावी प्रक्रिया में बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) की भूमिका के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- वे केवल शहरी क्षेत्रों में मतदाता सूची के सत्यापन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- वे घर-घर जाकर सत्यापन कर सकते हैं और नए मतदाताओं के पंजीकरण में सहायता कर सकते हैं।
- उनकी नियुक्ति निर्वाचन आयोग द्वारा स्थायी कर्मचारी के रूप में की जाती है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
A. केवल 1
B. केवल 2
C. केवल 1 और 3
D. 1, 2 और 3
उत्तर: B
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: BLOs ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मतदाता सूची के सत्यापन और अद्यतन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- कथन 2 सही है: BLOs घर-घर सत्यापन करते हैं और नागरिकों को पंजीकरण, नाम हटाने या विवरण में सुधार के लिए सहायता प्रदान करते हैं।
- कथन 3 गलत है: BLOs आमतौर पर स्थानीय सरकारी/स्कूल के कर्मचारी होते हैं जिन्हें निर्वाचन आयोग द्वारा अस्थायी रूप से चुनावी कार्यों के लिए नियुक्त किया जाता है, वे निर्वाचन आयोग के स्थायी कर्मचारी नहीं होते।
8. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की कौन सी धाराएँ मुख्यतः मतदाता सूची की तैयारी और संशोधन से संबंधित हैं?
A. धारा 79 से 86
B. धारा 13D से 25
C. धारा 134 से 145
D. धारा 2 से 12
उत्तर: B
व्याख्या: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 13D से 25 सीधे तौर पर चुनावी रोल्स की तैयारी, संशोधन, अद्यतन और संबंधित प्रक्रियाओं से संबंधित हैं। धारा 79-86 जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत चुनाव संबंधी याचिकाओं से संबंधित हैं।
9. मतदाता सूची के शुद्धिकरण अभियान में किन चुनौतियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है?
- डेटा सुरक्षा और निजता का उल्लंघन।
- ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त जागरूकता की कमी।
- राजनीतिक हस्तक्षेप की संभावना।
- केवल पुरुष मतदाताओं को लक्षित करना।
सही विकल्प चुनें:
A. केवल 1 और 2
B. केवल 2, 3 और 4
C. केवल 1, 2 और 3
D. 1, 2, 3 और 4
उत्तर: C
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: डेटा सुरक्षा और निजता, खासकर आधार लिंकेज के संदर्भ में, एक बड़ी चुनौती है।
- कथन 2 सही है: ग्रामीण और कम साक्षरता वाले क्षेत्रों में प्रक्रिया को समझने और भाग लेने के लिए जागरूकता एक चुनौती है।
- कथन 3 सही है: राजनीतिक दल अपने लाभ के लिए सूची को प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं।
- कथन 4 गलत है: शुद्धिकरण अभियान सभी योग्य मतदाताओं के लिए होता है, लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता।
10. भारत में एक व्यक्ति को मतदाता के रूप में पंजीकरण के लिए न्यूनतम आयु क्या है?
A. 21 वर्ष
B. 20 वर्ष
C. 19 वर्ष
D. 18 वर्ष
उत्तर: D
व्याख्या: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के लिए वयस्क मताधिकार का प्रावधान है, जिसके तहत 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के प्रत्येक नागरिक को वोट डालने का अधिकार है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
(यहाँ 3-4 मेन्स के प्रश्न प्रदान करें)
1. “भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए मतदाता सूची का शुद्धिकरण एक अपरिहार्य कदम है।” इस कथन के आलोक में, मतदाता सूची में विसंगतियों के कारणों और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी शुद्धिकरण अभियान के संभावित लाभों का विस्तार से विश्लेषण करें। (लगभग 250 शब्द)
2. निर्वाचन आयोग द्वारा प्रस्तावित देशव्यापी मतदाता सूची शुद्धिकरण अभियान को लागू करने में आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? इन चुनौतियों का सामना करने और नागरिकों के निजता के अधिकार को सुनिश्चित करते हुए अभियान को सफल बनाने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? (लगभग 250 शब्द)
3. भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली में चुनावी सुधारों के महत्व पर चर्चा करें, विशेष रूप से मतदाता सूची के शुद्धिकरण के संदर्भ में। इस प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी की भूमिका और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के महत्व का भी विश्लेषण करें। (लगभग 250 शब्द)
4. “एक सटीक मतदाता सूची न केवल चुनावी अखंडता को बढ़ाती है, बल्कि यह सुशासन और समावेशी विकास का भी आधार है।” इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण करें और समझाएं कि कैसे मतदाता सूची का शुद्धिकरण भारतीय लोकतंत्र की नींव को मजबूत कर सकता है। (लगभग 250 शब्द)