दीयों से सजी रातें: अयोध्या में रामलला का जयघोष, गोवा में नरकासुर का अंत, और हर बाज़ार की जगमगाहट!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
भारतवर्ष, रंगों, सुगंधों और उल्लास के महा-उत्सव – दीपावली के आलोक में सराबोर है। आज, धनतेरस के साथ शुरू हुई पांच दिवसीय दीपोत्सव परंपरा का मुख्य दिन, दीपावली, पूरे देश में अपने पूरे वैभव के साथ मनाई जा रही है। विभिन्न शहरों और राज्यों में, यह उत्सव अपने अनूठे सांस्कृतिक और पारंपरिक रंग बिखेर रहा है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में, जहां सदियों के इंतज़ार के बाद राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव अभी भी लोगों के मन में ताज़ा है, आज भक्तों की भारी भीड़ आस्था और भक्ति के संगम का गवाह बन रही है। वहीं, पश्चिमी तट पर स्थित गोवा राज्य में, इस दिन का एक विशेष महत्व है, जहाँ बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में नरकासुर नामक दैत्य के पुतले का दहन किया जाता है। इन विशिष्ट आयोजनों के साथ-साथ, देश भर के बाज़ारों में आज अभूतपूर्व रौनक देखी जा रही है, जो न केवल त्योहार की आर्थिक महत्ता को दर्शाती है, बल्कि लोगों के उत्साह और खरीदारी की भावना को भी उजागर करती है। यह दीपावली, आस्था, परंपरा और आर्थिक गतिविधियों का एक अद्भुत समागम प्रस्तुत कर रही है।
दीपावली: एक बहुआयामी राष्ट्रीय पर्व
दीपावली, जिसे ‘दीपों का उत्सव’ भी कहा जाता है, भारत के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि पांच दिनों का एक ऐसा पर्व है जो अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई, और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका गहरा सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक महत्व भी है। आज, जब देश भर में यह उत्सव अपने चरम पर है, हम इसके विभिन्न आयामों को समझने का प्रयास करेंगे, विशेषकर उन विशिष्ट झलकियाँ जो समाचारों में प्रमुखता से उभरी हैं: अयोध्या में भक्तों की अपार भीड़, गोवा में नरकासुर वध की परंपरा, और देश भर के बाज़ारों में छाई रौनक।
अयोध्या: आस्था का सैलाब और रामलला का जयघोष
इस दीपावली की सबसे खास बात अयोध्या में राम मंदिर में उमड़ी भक्तों की अपार भीड़ है। हाल ही में भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद, यह पहली दीपावली है जब लाखों श्रद्धालु प्रभु राम के दर्शन के लिए अयोध्या पहुंच रहे हैं। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सदियों की प्रतीक्षा, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है।
राम मंदिर का ऐतिहासिक महत्व:
- धार्मिक आस्था: भगवान राम का जन्मस्थान मानी जाने वाली अयोध्या, हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। राम मंदिर का निर्माण, लाखों हिंदुओं की गहरी धार्मिक आस्था और आकांक्षाओं की पूर्ति है।
- सांस्कृतिक पुनर्जागरण: यह मंदिर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो सदियों से चली आ रही परंपराओं को पुनः स्थापित करता है।
- राष्ट्रीय गौरव: मंदिर का निर्माण और उसके बाद का उत्सव, राष्ट्रवाद और अपनी जड़ों से जुड़ाव की भावना को मजबूत करता है।
भीड़ का विश्लेषण:
अयोध्या में उमड़ी भीड़ निम्नलिखित कारकों का परिणाम है:
- प्राण प्रतिष्ठा का प्रभाव: मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गहरा प्रभाव पड़ा है, जिसने लोगों को व्यक्तिगत रूप से इसका अनुभव करने के लिए प्रेरित किया है।
- दीपावली का विशेष महत्व: राम मंदिर के गर्भ में दीपावली मनाना, भक्तों के लिए एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव है।
- पर्यटन और अर्थव्यवस्था: अयोध्या अब एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया है, जो न केवल धार्मिक बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दे रहा है।
उपमा: अयोध्या में उमड़ी भीड़ को एक ऐसे विशाल महासागर की तरह देखा जा सकता है, जहाँ आस्था की लहरें अनगिनत भक्तों को अपने आगोश में ले रही हैं, और हर लहर के साथ ‘जय श्री राम’ का उद्घोष गूँज रहा है।
गोवा: नरकासुर वध की अनूठी परंपरा
दीपावली का उत्सव भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विविध रूपों में मनाया जाता है, और गोवा की नरकासुर वध की परंपरा इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यहाँ, दीपावली की पूर्व संध्या पर, नरकासुर नामक राक्षस के विशाल पुतले जलाए जाते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
नरकासुर वध का महत्व:
- पौराणिक कथा: भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक क्रूर असुर का वध करके देवताओं और मनुष्यों को उसके अत्याचारों से मुक्त दिलाया था। इस विजय के उपलक्ष्य में नरकासुर का पुतला जलाया जाता है।
- सांस्कृतिक पहचान: गोवा में यह परंपरा स्थानीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग बन गई है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती है।
- सामुदायिक भागीदारी: इन पुतलों का निर्माण और दहन, स्थानीय समुदायों को एक साथ लाता है, जहाँ वे सामूहिक रूप से उत्सव में भाग लेते हैं।
परंपरा का विस्तार:
गोवा में, नरकासुर के पुतले अक्सर बड़े और कलात्मक होते हैं, जिन्हें कई दिनों की मेहनत से तैयार किया जाता है। स्थानीय युवक इन पुतलों को सड़कों पर ले जाते हैं और फिर उन्हें आग के हवाले कर देते हैं। यह दृश्य न केवल रोमांचक होता है, बल्कि एक गहरे सांस्कृतिक संदेश को भी संप्रेषित करता है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह परंपरा?
- यह दिखाता है कि कैसे भारत की सांस्कृतिक विविधता त्योहारों के माध्यम से अभिव्यक्त होती है।
- यह स्थानीय कला, शिल्पकला और सामुदायिक भावना को बढ़ावा देती है।
- यह बुराई के विनाश और एक नई, सकारात्मक शुरुआत का प्रतीक है, जो दीपावली के मुख्य संदेश से मेल खाता है।
केस स्टडी (संक्षिप्त): प्रतिवर्ष, पंजिम और मडगांव जैसे शहरों में, स्थानीय क्लब और समुदाय मिलकर विशाल नरकासुर पुतले बनाते हैं। इन पुतलों को अक्सर राजनेताओं, फिल्म सितारों या स्थानीय हस्तियों की प्रतिकृतियों के साथ भी जोड़ा जाता है, जो समकालीन समाज पर व्यंग्य का एक रूप भी ले लेता है।
बाज़ारों में रौनक: आर्थिक स्पंदन और उपभोक्ता उत्साह
दीपावली केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक पर्व ही नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण अवधि है। ‘बाज़ारों में रौनक’ जैसे शीर्षक, केवल उत्सव की भावना को ही नहीं दर्शाते, बल्कि यह भी बताते हैं कि इस दौरान आर्थिक गतिविधियाँ अपने चरम पर होती हैं।
दीपावली और अर्थव्यवस्था:
- उपभोक्ता व्यय में वृद्धि: लोग नए कपड़े, गहने, घर की सजावट का सामान, उपहार और मिठाइयाँ खरीदते हैं, जिससे मांग में भारी वृद्धि होती है।
- रोजगार सृजन: त्योहारों के मौसम में, विशेषकर खुदरा, ई-कॉमर्स, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में अस्थायी रोज़गार सृजित होते हैं।
- लघु और मध्यम उद्यमों (SMEs) के लिए अवसर: कारीगर, छोटे दुकानदार और स्थानीय निर्माता इस समय का भरपूर लाभ उठाते हैं।
- सरकारी राजस्व: जीएसटी और अन्य करों के माध्यम से सरकारी राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
क्या है ‘रौनक’ का अर्थ?
‘रौनक’ का अर्थ है:
- जगह-जगह सजे बाज़ार: रंग-बिरंगी लाइट्स, झालरें और सजावट से बाज़ार जीवंत हो उठते हैं।
- भीड़भाड़: खरीददारी के लिए उमड़ती भीड़, जिससे सड़कों और बाजारों में चहल-पहल बढ़ जाती है।
- खुशहाली का माहौल: लोगों के चेहरों पर खुशी और उत्साह, जो खरीदारी के अनुभव को और भी खास बना देता है।
- विशेष छूटें और ऑफर: कंपनियाँ और विक्रेता ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए विशेष छूट और ‘ऑफर’ पेश करते हैं।
डेटा पॉइंट (उदाहरणात्मक): एक अनुमान के अनुसार, दीपावली के सीज़न में उपभोक्ता खर्च में पिछले वर्षों की तुलना में 10-15% की वृद्धि देखी जाती है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक का काम करता है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर भी इस दौरान बिक्री कई गुना बढ़ जाती है।
उपमा: बाज़ारों की रौनक किसी बहती हुई नदी की तरह है, जहाँ पैसों की धाराएँ अविरल बहती हैं, व्यापारियों के किनारों को समृद्ध करती हैं और अर्थव्यवस्था में एक नई ऊर्जा का संचार करती हैं।
दीपावली: सामाजिक सरोकार और चुनौतियाँ
जहाँ दीपावली आस्था, परंपरा और आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है, वहीं इसके कुछ सामाजिक सरोकार और चुनौतियाँ भी हैं जिन पर विचार करना महत्वपूर्ण है:
सामाजिक सरोकार:
- पारिवारिक मिलन: यह त्योहार परिवारों को एक साथ लाता है, जो दूर रहने वाले सदस्यों के लिए घर लौटने का अवसर प्रदान करता है।
- सामुदायिक जुड़ाव: पारंपरिक अनुष्ठान और उत्सव, समुदायों को मजबूत करते हैं।
- दान और परोपकार: कई लोग इस अवसर पर गरीबों और ज़रूरतमंदों को दान देते हैं, जो सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है।
चुनौतियाँ:
- पर्यावरणीय प्रभाव: पटाखों से होने वाला प्रदूषण (वायु और ध्वनि), और प्लास्टिक व अन्य अनुपयोगी सामग्री का कचरा पर्यावरण के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।
- सुरक्षा: भीड़भाड़ वाले बाज़ारों और आतिशबाजी से आग लगने का खतरा बढ़ जाता है।
- अंधविश्वास और अवास्तविक अपेक्षाएँ: कुछ क्षेत्रों में, त्योहारों से जुड़े अंधविश्वास और बाज़ारों में अत्यधिक व्यय की अवास्तविक अपेक्षाएँ भी दबाव पैदा कर सकती हैं।
- डिजिटल विभाजन: ई-कॉमर्स में वृद्धि के बावजूद, सभी के पास समान डिजिटल पहुँच नहीं है, जिससे कुछ लोग लाभ से वंचित रह सकते हैं।
भविष्य की राह: समावेशी और टिकाऊ दीपावली
दीपावली के उत्सव को और अधिक सार्थक और प्रभावशाली बनाने के लिए, हमें भविष्य की राह पर विचार करना चाहिए:
- हरित दीपावली: पर्यावरण-अनुकूल आतिशबाजी का उपयोग, कम प्रदूषण वाले दीयों का प्रयोग, और कचरा प्रबंधन को प्राथमिकता देना।
- जागरूकता अभियान: पटाखों के पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना।
- स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा: ‘वोकल फॉर लोकल’ की तर्ज पर, स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यवसायों द्वारा बनाए गए उत्पादों को खरीदना।
- समावेशी उत्सव: यह सुनिश्चित करना कि समाज के सभी वर्ग, विशेषकर आर्थिक रूप से पिछड़े लोग, इस उत्सव की खुशियों में शामिल हो सकें।
- सुरक्षा उपाय: त्योहारों के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना।
निष्कर्ष:
आज, अयोध्या में रामलला के जयघोष से लेकर गोवा में नरकासुर के दहन तक, और देश भर के चमचमाते बाज़ारों तक, दीपावली का उत्सव भारतीय भावना का एक जीवंत प्रतिबिंब है। यह त्योहार हमें अंधकार से प्रकाश की ओर, निराशा से आशा की ओर, और अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाता है। यह हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, गहरी आस्थाओं और जीवंत अर्थव्यवस्था का संगम है। हमें इस उत्सव की खुशियों को मनाते हुए, इसके सामाजिक और पर्यावरणीय सरोकारों को भी ध्यान में रखना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस ‘दीपों के उत्सव’ की आभा का अनुभव कर सकें।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
I. नरकासुर वध की परंपरा मुख्य रूप से उत्तर भारत में प्रचलित है।
II. नरकासुर वध का उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
III. गोवा में, नरकासुर वध दीपावली की पूर्व संध्या पर मनाया जाता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (b) केवल II और III
व्याख्या: कथन I गलत है क्योंकि नरकासुर वध की परंपरा मुख्य रूप से दक्षिण भारत (जैसे गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश) में प्रचलित है, उत्तर भारत में नहीं। कथन II और III सही हैं।
2. राम मंदिर, अयोध्या के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
I. यह भारत के सबसे पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।
II. इसकी प्राण प्रतिष्ठा हाल ही में संपन्न हुई है।
III. यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहाँ भगवान राम का जन्म माना जाता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल I और II
(c) केवल I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (d) I, II और III
व्याख्या: तीनों कथन राम मंदिर, अयोध्या के संदर्भ में सही हैं।
3. दीपावली के दौरान ‘बाज़ारों में रौनक’ निम्नलिखित में से किस आर्थिक गतिविधि का सूचक है?
(a) मुद्रास्फीति में वृद्धि
(b) उपभोक्ता व्यय में वृद्धि
(c) औद्योगिक उत्पादन में कमी
(d) निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि
उत्तर: (b) उपभोक्ता व्यय में वृद्धि
व्याख्या: दीपावली पर लोग खरीदारी करते हैं, जिससे उपभोक्ता व्यय बढ़ता है, जो बाज़ारों की रौनक का मुख्य कारण है।
4. निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘नरकासुर वध’ परंपरा के बारे में सही है?
(a) यह मुख्य रूप से उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों में मनाया जाता है।
(b) यह कृष्ण द्वारा नरकासुर नामक राक्षस के वध के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
(c) यह धनतेरस के दिन मनाया जाता है।
(d) इसका संबंध बुद्ध पूर्णिमा से है।
उत्तर: (b) यह कृष्ण द्वारा नरकासुर नामक राक्षस के वध के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
व्याख्या: यह परंपरा भगवान कृष्ण की नरकासुर पर विजय का प्रतीक है और दीपावली से संबंधित है, लेकिन धनतेरस या बुद्ध पूर्णिमा से नहीं।
5. दीपावली से जुड़े निम्नलिखित पहलुओं पर विचार करें:
I. सामाजिक पुनर्मिलन
II. सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन
III. आर्थिक उत्प्रेरक
IV. पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण
इनमें से कौन से पहलू दीपावली के सकारात्मक योगदान को दर्शाते हैं?
(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I, II और III
(d) I, II, III और IV
उत्तर: (c) केवल I, II और III
व्याख्या: दीपावली सामाजिक पुनर्मिलन, सांस्कृतिक विविधता और आर्थिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है। पर्यावरण प्रदूषण इसका एक नकारात्मक प्रभाव है, न कि सकारात्मक योगदान।
6. ‘दीयों का उत्सव’ के रूप में विख्यात दीपावली, किस प्रकार के ज्ञान के अंधकार पर विजय का प्रतीक है?
(a) वैज्ञानिक ज्ञान
(b) आध्यात्मिक और नैतिक ज्ञान
(c) तकनीकी ज्ञान
(d) ऐतिहासिक ज्ञान
उत्तर: (b) आध्यात्मिक और नैतिक ज्ञान
व्याख्या: दीपावली का मूल संदेश अज्ञानता, बुराई और नकारात्मकता के अंधकार पर आध्यात्मिक, नैतिक और सत्य के प्रकाश की विजय है।
7. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
I. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारत की सांस्कृतिक विरासत को पुनः स्थापित करता है।
II. राम मंदिर, अयोध्या, एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) I और II दोनों
(d) न तो I और न ही II
उत्तर: (c) I और II दोनों
व्याख्या: दोनों कथन राम मंदिर के महत्व और उसके आर्थिक प्रभाव को सही ढंग से दर्शाते हैं।
8. निम्नलिखित में से कौन सी वस्तुएँ दीपावली के दौरान पारंपरिक रूप से ‘धनतेरस’ पर खरीदी जाती हैं?
(a) रंगीन आतिशबाजी
(b) सोने और चांदी के सिक्के/आभूषण
(c) नए कपड़े
(d) मिठाइयाँ
उत्तर: (b) सोने और चांदी के सिक्के/आभूषण
व्याख्या: धनतेरस को सोना, चांदी, बर्तन और नई वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है।
9. ‘हरित दीपावली’ के संदर्भ में निम्नलिखित में से क्या शामिल नहीं है?
(a) पर्यावरण-अनुकूल आतिशबाजी का उपयोग
(b) कचरा प्रबंधन में सुधार
(c) अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का प्रयोग
(d) कम ऊर्जा खपत वाले दीयों का प्रयोग
उत्तर: (c) अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का प्रयोग
व्याख्या: हरित दीपावली का उद्देश्य प्रदूषण को कम करना है, इसलिए अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का प्रयोग इसमें शामिल नहीं है।
10. दीपावली के उत्सव से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
I. यह राष्ट्रव्यापी उपभोक्ता खर्च में वृद्धि का एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक है।
II. यह लघु और मध्यम उद्यमों (SMEs) के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
III. यह भारत में अस्थायी रोज़गार सृजन में योगदान देता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल I और II
(c) केवल I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (d) I, II और III
व्याख्या: ये तीनों कथन दीपावली के आर्थिक महत्व को सही ढंग से दर्शाते हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. दीपावली, भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आस्था, परंपरा और आर्थिक गतिविधियों के संगम के रूप में मनाई जाती है। अयोध्या में राम मंदिर के दर्शनों हेतु भक्तों की भीड़, गोवा में नरकासुर वध की अनूठी परंपरा, और देश भर के बाज़ारों में छाई रौनक के विशिष्ट उदाहरणों का उल्लेख करते हुए, इस बहुआयामी त्योहार के महत्व का विश्लेषण करें। (250 शब्द, 15 अंक)
2. दीपावली, एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आर्थिक उत्सव होने के साथ-साथ, कुछ गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों भी प्रस्तुत करती है। इन चुनौतियों की पहचान करें और ‘हरित एवं समावेशी दीपावली’ की अवधारणा को साकार करने के लिए भविष्य की राह सुझाएँ। (250 शब्द, 15 अंक)
3. भारत में त्योहार, अक्सर स्थानीय संस्कृति, पौराणिक कथाओं और सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता का दर्पण होते हैं। ‘नरकासुर वध’ की परंपरा और ‘बाज़ारों में रौनक’ जैसे दीपावली से जुड़े विशिष्ट घटनाक्रमों का विश्लेषण करते हुए, भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था पर त्योहारों के प्रभाव को स्पष्ट करें। (150 शब्द, 10 अंक)
4. राम मंदिर, अयोध्या के संदर्भ में, हाल के वर्षों में धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और राष्ट्रीय गौरव के बीच जटिल अंतर्संबंधों को देखा गया है। दीपावली के अवसर पर वहाँ उमड़ी भक्तों की भीड़ के परिप्रेक्ष्य में, इस घटना के विभिन्न आयामों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
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