दिल्ली का प्रचंड ताप: उमस से राहत कब? जानिए मौसम में बड़े बदलाव का सटीक दिन और कारण
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इस समय भीषण गर्मी और असहनीय उमस की चपेट में है। पारा लगातार 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर रहा है, और इसके साथ ही आर्द्रता (humidity) का स्तर भी असामान्य रूप से ऊंचा बना हुआ है। यह स्थिति न केवल आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर रही है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं भी बढ़ा रही है। हालांकि, मौसम विभाग ने राहत की उम्मीद जगाई है। नवीनतम अपडेट के अनुसार, सप्ताहांत यानी आने वाले दिनों में बूंदाबांदी की संभावना है, और एक निश्चित दिन से मौसम में महत्वपूर्ण बदलाव आने की उम्मीद है। यह खबर न केवल दिल्लीवासियों के लिए बल्कि उन सभी के लिए महत्वपूर्ण है जो जलवायु परिवर्तन, मौसम पैटर्न और शहरी जीवन पर इसके प्रभावों को समझने में रुचि रखते हैं, विशेष रूप से UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए।
1. दिल्ली में गर्मी और उमस का वर्तमान परिदृश्य: एक गहन विश्लेषण
दिल्ली की गर्मी अपने आप में एक चुनौती होती है, लेकिन इस बार उमस ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है। जब उच्च तापमान के साथ उच्च आर्द्रता का मेल होता है, तो व्यक्ति को अत्यधिक असहजता महसूस होती है। इसका कारण यह है कि हमारी पसीने से निकलने वाली नमी हवा में वाष्पित नहीं हो पाती, जिससे शरीर की प्राकृतिक शीतलन प्रणाली (natural cooling system) बाधित होती है।
वर्तमान स्थिति की मुख्य विशेषताएं:
- उच्च तापमान: लगातार कई दिनों से अधिकतम तापमान 40-45 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है। कुछ इलाकों में यह 47 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर गया है।
- असामान्य आर्द्रता: सामान्य से अधिक आर्द्रता का स्तर, जो अक्सर शाम और रात में भी बना रहता है, वातावरण को और अधिक दमघोंटू बना रहा है। शाम के समय आर्द्रता 70-80% तक पहुँच जाती है।
- ‘हीट वेव’ का प्रभाव: IMD (India Meteorological Department) द्वारा घोषित ‘हीट वेव’ (लू) की स्थिति लगातार जारी है। यह केवल तापमान का बढ़ना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी स्थिति है जहां चरम तापमान मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है।
- रात का तापमान: न्यूनतम तापमान में भी अपेक्षित गिरावट नहीं हो रही है, जिसके कारण ‘नाइट टाइम हीट स्ट्रेस’ (रात में भी गर्मी का तनाव) बना हुआ है।
गर्मी और उमस का मानव शरीर पर प्रभाव:
यह संयोजन बेहद खतरनाक हो सकता है। हमारा शरीर पसीने के माध्यम से खुद को ठंडा रखता है। लेकिन जब हवा में पहले से ही बहुत अधिक नमी होती है, तो पसीना आसानी से वाष्पित नहीं हो पाता। इससे शरीर की गर्मी बाहर नहीं निकल पाती, जिससे हीट स्ट्रोक (लू लगने), डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण), हीट एग्जॉशन (गर्मी से थकावट) और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। बुजुर्ग, बच्चे और पहले से बीमार लोग इसके प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं।
“गर्मी केवल तापमान का बढ़ना नहीं है, यह आर्द्रता के साथ मिलकर जीवन को दूभर कर सकती है। दिल्ली में वर्तमान स्थिति यही दर्शाती है।”
2. दिल्ली में इतनी गर्मी और उमस के पीछे के कारण: एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण
यह अचानक या अप्रत्याशित नहीं है। इसके पीछे कई जटिल मौसमी और पर्यावरणीय कारक जिम्मेदार हैं:
- पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) का अभाव: आमतौर पर, उत्तरी भारत में मौसम को नियंत्रित करने वाले पश्चिमी विक्षोभ, जो भूमध्य सागर से उत्पन्न होकर भारत की ओर आते हैं, अप्रैल-मई में बारिश लेकर आते हैं और तापमान को कुछ हद तक नियंत्रित करते हैं। इस वर्ष, पश्चिमी विक्षोभ कमजोर रहे हैं या सही समय पर नहीं आए हैं, जिससे मैदानी इलाकों में गर्मी का प्रकोप बढ़ा है।
- स्थानीय कारक (Local Factors):
- शहरी ऊष्म द्वीप प्रभाव (Urban Heat Island Effect): दिल्ली एकMega City है, जहां कंक्रीट की इमारतें, सड़कें और कम हरियाली है। ये सतहें सूर्य की गर्मी को अधिक अवशोषित और उत्सर्जित करती हैं, जिससे शहरी क्षेत्र आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म हो जाते हैं।
- वनस्पति का अभाव: पेड़ों और पार्कों की कमी के कारण वाष्पोत्सर्जन (transpiration) कम होता है, जो वैसे भी वातावरण को ठंडा रखने में मदद करता है।
- धूल और प्रदूषण: वायु प्रदूषण के कण भी सूर्य की किरणों को रोककर या अवशोषित करके तापमान को प्रभावित कर सकते हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones) और निम्न दबाव क्षेत्र: कभी-कभी, बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में बनने वाले निम्न दबाव क्षेत्र या उष्णकटिबंधीय चक्रवात, भले ही सीधे दिल्ली को प्रभावित न करें, लेकिन वे भारत के आंतरिक भागों में नमी ले आते हैं। यह नमी हवा के साथ उत्तर की ओर बढ़कर दिल्ली जैसे शहरों में उच्च आर्द्रता का कारण बन सकती है, खासकर जब तापमान पहले से ही अधिक हो। वर्तमान स्थिति में, बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव प्रणाली के बनने के संकेत मिले हैं, जिसने नमी को उत्तर भारत की ओर धकेल दिया है।
- जेट स्ट्रीम (Jet Stream) का व्यवहार: जेट स्ट्रीम की स्थिति भी मौसमी पैटर्न को प्रभावित करती है। इसके असामान्य व्यवहार से तापमान और वर्षा के पैटर्न में बदलाव आ सकता है।
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change): लंबी अवधि के रुझानों को देखें, तो ग्लोबल वार्मिंग के कारण चरम मौसम की घटनाएं (जैसे हीटवेव) अधिक लगातार और तीव्र होती जा रही हैं। दुनिया भर में औसत तापमान में वृद्धि दिल्ली जैसी जगहों पर भी इसका प्रभाव दिखा रही है।
3. सप्ताहांत में राहत की उम्मीद: बूंदाबांदी और मौसम में बदलाव
खुशखबरी यह है कि मौसम विभाग ने कुछ राहत की उम्मीद जताई है। नवीनतम अनुमानों के अनुसार:
- बूंदाबांदी की संभावना: सप्ताहांत (आमतौर पर शनिवार या रविवार) के आसपास दिल्ली और आसपास के NCR क्षेत्रों में हल्की बूंदाबांदी या गरज के साथ बौछारें (thunder showers) पड़ने की संभावना है।
- मौसम में बदलाव का दिन: यह बदलाव मुख्य रूप से शनिवार (या शुक्रवार देर शाम) से शुरू हो सकता है।
- तापमान में गिरावट: बूंदाबांदी से तापमान में कुछ डिग्री सेल्सियस की गिरावट आ सकती है, जिससे लोगों को कुछ राहत मिलेगी। हालाँकि, यह राहत अस्थायी हो सकती है।
- आर्द्रता का स्तर: बारिश से अस्थायी रूप से आर्द्रता का स्तर भी प्रभावित हो सकता है, लेकिन यदि हवा की दिशा बदलती है, तो आर्द्रता कम भी हो सकती है।
यह राहत क्यों महत्वपूर्ण है?
- स्वास्थ्य संबंधी लाभ: तापमान में गिरावट से हीट स्ट्रोक और हीट एग्जॉशन जैसी घटनाओं में कमी आएगी।
- जनजीवन की सामान्यता: लोग दिनचर्या के काम अधिक आसानी से कर पाएंगे।
- पर्यावरणीय प्रभाव: कुछ हद तक धूल और प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिल सकती है।
4. UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: जलवायु, मौसम और शहरीकरण
UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए, दिल्ली में मौजूदा मौसम की स्थिति और उसमें होने वाले संभावित बदलाव कई महत्वपूर्ण विषयों से जुड़े हैं:
- भूगोल (Geography):
- भारत का जलवायु, मौसमी पैटर्न (जैसे मानसून, पश्चिमी विक्षोभ), जेट स्ट्रीम।
- शहरी ऊष्म द्वीप प्रभाव, इसके कारण और परिणाम।
- चरम मौसम की घटनाएं और उनके भौगोलिक वितरण।
- पर्यावरण (Environment):
- जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान और चरम मौसम की घटनाएं।
- शहरीकरण और पर्यावरण क्षरण के बीच संबंध।
- वायु प्रदूषण और उसका मौसम पर प्रभाव।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science & Technology):
- मौसम पूर्वानुमान की तकनीकें।
- IMD (India Meteorological Department) जैसी संस्थाओं की भूमिका।
- जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तकनीकी समाधान।
- शासन (Governance):
- आपदा प्रबंधन (Disaster Management) – हीटवेव एक प्राकृतिक आपदा है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) – हीटवेव से बचाव के उपाय, सरकारी पहल।
- शहरी नियोजन (Urban Planning) – हरित भवन, पार्कों का विकास, जल प्रबंधन।
- नीति निर्माण – जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने वाली राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीतियां (जैसे पेरिस समझौता)।
- समसामयिक मामले (Current Affairs):
- हाल की चरम मौसम की घटनाएं।
- मौसम विभाग की भविष्यवाणियां और उनका महत्व।
- दिल्ली जैसे शहरों में जीवन की गुणवत्ता पर मौसम का प्रभाव।
“हीटवेव” को आपदा के रूप में देखना:
भारत सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) के तहत हीटवेव को एक ‘गंभीर श्रेणी’ की आपदा के रूप में वर्गीकृत किया है। इसका अर्थ है कि इसके प्रबंधन और शमन के लिए विशेष तैयारी और संसाधन आवंटित किए जा सकते हैं। UPSC के पाठ्यक्रम में आपदा प्रबंधन एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और हीटवेव प्रबंधन इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
“दिल्ली में गर्मी का प्रकोप केवल एक मौसम संबंधी घटना नहीं है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के अंतर्संबंध को उजागर करता है – ये सभी UPSC के लिए प्रमुख विषय हैं।”
5. भविष्य की राह: हीटवेव से निपटने के लिए दीर्घकालिक समाधान
अस्थायी राहत के बावजूद, दिल्ली जैसे शहरों को ऐसी भीषण गर्मी और उमस का सामना बार-बार करना पड़ सकता है। इसलिए, दीर्घकालिक समाधानों पर ध्यान देना आवश्यक है:
- शहरी नियोजन में सुधार:
- हरित अवसंरचना (Green Infrastructure): अधिक पेड़ लगाना, पार्कों का विकास, और शहरी वनों का निर्माण। ये वाष्पोत्सर्जन द्वारा तापमान को कम करते हैं और छाया प्रदान करते हैं।
- ठंडी छतों (Cool Roofs) का उपयोग: इमारतों की छतों को ऐसे पदार्थों से बनाना जो सूर्य की किरणों को प्रतिबिंबित करें, जिससे अंदर की गर्मी कम हो।
- जल निकायों का संरक्षण और पुनरुद्धार: दिल्ली में झीलों, तालाबों और नहरों का पुनरुद्धार वाष्पीकरण के माध्यम से शीतलन प्रभाव पैदा कर सकता है।
- ‘कोल्ड कॉरिडोर्स’ का निर्माण: शहरों में हवा के प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए इमारतों के बीच खुली जगह बनाना।
- जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन (Mitigation and Adaptation):
- नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है।
- ऊर्जा दक्षता: इमारतों और उपकरणों में ऊर्जा दक्षता में सुधार।
- जलवायु-स्मार्ट कृषि (Climate-Smart Agriculture): हालांकि यह सीधे दिल्ली की शहरी गर्मी से संबंधित नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु अनुकूलन रणनीतियाँ महत्वपूर्ण हैं।
- जन जागरूकता और शिक्षा:
- हीटवेव के दौरान सुरक्षित रहने के उपायों के बारे में नागरिकों को शिक्षित करना।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना।
- नीतिगत हस्तक्षेप:
- शहरी विकास नीतियों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को एकीकृत करना।
- हीटवेव एक्शन प्लान (Heatwave Action Plans) को प्रभावी ढंग से लागू करना।
6. उपसंहार (Conclusion)
दिल्ली की मौजूदा गर्मी और उमस की स्थिति एक गंभीर चेतावनी है। जबकि सप्ताहांत की बूंदाबांदी से तत्काल राहत की उम्मीद है, यह समस्या की जड़ को नहीं सुलझाती। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैसे शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और मौसमी पैटर्न हमारे जीवन को सीधे प्रभावित करते हैं। भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें न केवल वैज्ञानिक समझ की आवश्यकता है, बल्कि प्रभावी शासन और दूरदर्शी नीतियों की भी आवश्यकता है जो हमारे शहरों को जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक लचीला बना सकें।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी स्थिति दिल्ली में वर्तमान अत्यधिक उमस और गर्मी के लिए उत्तरदायी हो सकती है?
(a) पश्चिमी विक्षोभ का मजबूत होना
(b) बंगाल की खाड़ी से नमी का उत्तर की ओर स्थानांतरण
(c) वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में कमी
(d) उत्तरी ध्रुव पर बर्फ का तेजी से पिघलना
उत्तर: (b)
व्याख्या: पश्चिमी विक्षोभ आमतौर पर ठंडी हवा लाते हैं। CO2 में कमी तापमान को कम करेगी। उत्तरी ध्रुव पर बर्फ का पिघलना एक दीर्घकालिक जलवायु परिवर्तन का संकेत है, लेकिन तत्काल उमस का यह प्रत्यक्ष कारण नहीं है। बंगाल की खाड़ी या अन्य जलीय स्रोतों से आने वाली नमी, जब उच्च तापमान के साथ मिलती है, तो उमस का कारण बनती है। - प्रश्न: ‘शहरी ऊष्म द्वीप प्रभाव’ (Urban Heat Island Effect) का क्या अर्थ है?
(a) शहरी क्षेत्रों में वनस्पति का घनत्व अधिक होना
(b) शहरी क्षेत्रों का आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म होना
(c) शहरी क्षेत्रों में आर्द्रता का स्तर बहुत कम होना
(d) शहरी क्षेत्रों में वायुमंडलीय दबाव का कम होना
उत्तर: (b)
व्याख्या: शहरी ऊष्म द्वीप प्रभाव वह घटना है जहां शहरी क्षेत्र, अपनी निर्मित संरचनाओं (कंक्रीट, डामर) और कम हरियाली के कारण, आसपास के ग्रामीण इलाकों की तुलना में काफी गर्म हो जाते हैं। - प्रश्न: भारत में ‘हीटवेव’ (लू) को निम्नलिखित में से किसके तहत एक आपदा माना गया है?
(a) राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC)
(b) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF)
(c) राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM)
(d) राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM)
उत्तर: (b)
व्याख्या: भारत सरकार ने हीटवेव को एक ‘गंभीर श्रेणी’ की आपदा के रूप में वर्गीकृत किया है, जिससे इसके प्रबंधन के लिए NDRF से धन का उपयोग किया जा सके। - प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था भारत में मौसम पूर्वानुमान और चेतावनी जारी करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है?
(a) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
(b) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
(c) भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI)
(d) भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
उत्तर: (d)
व्याख्या: IMD भारत में मौसम संबंधी सभी गतिविधियों, पूर्वानुमानों और चेतावनियों के लिए नोडल एजेंसी है। - प्रश्न: मानव शरीर पर अत्यधिक गर्मी और उच्च आर्द्रता के संयोजन का क्या प्रभाव होता है?
(a) पसीना अधिक आसानी से वाष्पित होता है, जिससे ठंडक मिलती है।
(b) शरीर की गर्मी बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है, जिससे हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
(c) रक्तचाप कम हो जाता है।
(d) श्वसन तंत्र बेहतर काम करता है।
उत्तर: (b)
व्याख्या: उच्च आर्द्रता के कारण पसीना वाष्पित नहीं हो पाता, जिससे शरीर का प्राकृतिक शीतलन तंत्र बाधित होता है और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। - प्रश्न: दिल्ली में ग्रीष्मकालीन वर्षा लाने में निम्नलिखित में से किसका योगदान हो सकता है, हालांकि कभी-कभी यह उमस भी बढ़ाती है?
(a) उत्तर-पूर्वी मानसून
(b) पश्चिमी विक्षोभ
(c) बंगाल की खाड़ी में बनने वाले निम्न दबाव क्षेत्र से नमी
(d) भूमध्यसागरीय तूफान
उत्तर: (c)
व्याख्या: जबकि पश्चिमी विक्षोभ ठंडक ला सकते हैं, बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी, विशेष रूप से मानसूनी हवाओं के साथ मिलकर, दिल्ली में बारिश ला सकती है, लेकिन अगर तापमान पहले से अधिक है तो यह उमस भी बढ़ा सकती है। - प्रश्न: ‘हीटवेव एक्शन प्लान’ (Heatwave Action Plan) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) शहरी ऊष्म द्वीप प्रभाव को स्थायी रूप से समाप्त करना
(b) हीटवेव के दौरान स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को कम करना और जीवन की रक्षा करना
(c) सभी प्रमुख शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार करना
(d) भूजल स्तर को बढ़ाना
उत्तर: (b)
व्याख्या: हीटवेव एक्शन प्लान मुख्य रूप से हीटवेव के दौरान मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा और मृत्यु दर को कम करने पर केंद्रित होता है। - प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. गर्मी और उमस का संयोजन शरीर की शीतलन क्षमता को बढ़ाता है।
2. शहरी ऊष्म द्वीप प्रभाव शहरों को आसपास के ग्रामीण इलाकों की तुलना में ठंडा रखता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (d)
व्याख्या: कथन 1 गलत है; गर्मी और उमस का संयोजन शरीर की शीतलन क्षमता को कम करता है। कथन 2 भी गलत है; शहरी ऊष्म द्वीप प्रभाव शहरों को अधिक गर्म बनाता है। - प्रश्न: जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, भारत को निम्नलिखित में से किस प्रकार की चरम मौसम की घटनाओं का सामना करने की अधिक संभावना है?
(a) अधिक लगातार और तीव्र हीटवेव
(b) असामान्य रूप से कम मानसून की घटनाएं
(c) तटीय क्षेत्रों में अधिक तीव्र चक्रवात
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
व्याख्या: जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक स्तर पर चरम मौसम की घटनाएं अधिक लगातार और तीव्र हो रही हैं, जिसमें हीटवेव, वर्षा में अनियमितता (अत्यधिक या बहुत कम), और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की तीव्रता में वृद्धि शामिल है। - प्रश्न: ‘ठंडी छतों’ (Cool Roofs) का मुख्य लाभ क्या है?
(a) वे इमारतों के अंदर तापमान को बढ़ाते हैं।
(b) वे सूर्य की रोशनी को प्रतिबिंबित करके इमारतों को ठंडा रखते हैं, जिससे ऊर्जा की खपत कम होती है।
(c) वे हवा की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।
(d) वे इमारत को अधिक मजबूत बनाते हैं।
उत्तर: (b)
व्याख्या: ठंडी छतों का डिज़ाइन सूर्य की किरणों को प्रतिबिंबित करने के लिए होता है, जिससे इमारतों के अंदर तापमान कम रहता है और एयर कंडीशनिंग की आवश्यकता कम हो जाती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: दिल्ली में वर्तमान भीषण गर्मी और उमस की स्थिति के कारणों का विश्लेषण करें। चर्चा करें कि यह स्थिति शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और स्थानीय मौसम पैटर्न से कैसे जुड़ी हुई है। (250 शब्द)
- प्रश्न: हीटवेव को एक ‘गंभीर श्रेणी’ की आपदा के रूप में वर्गीकृत किया गया है। भारत में हीटवेव से निपटने के लिए एक प्रभावी राष्ट्रीय हीटवेव एक्शन प्लान के प्रमुख घटकों और चुनौतियों पर प्रकाश डालें। (250 शब्द)
- प्रश्न: शहरी ऊष्म द्वीप प्रभाव (Urban Heat Island Effect) एक बढ़ती हुई चिंता है। दिल्ली जैसे महानगरों के संदर्भ में, इस प्रभाव को कम करने के लिए टिकाऊ शहरी नियोजन और प्रबंधन रणनीतियों का प्रस्ताव दें। (150 शब्द)
- प्रश्न: जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में चरम मौसम की घटनाएं बढ़ रही हैं। इस प्रवृत्ति का विश्लेषण करें और बताएं कि सरकार और नागरिक जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन (adaptation) के लिए क्या कदम उठा सकते हैं। (150 शब्द)