दिल्ली-एनसीआर में मौसम का मिजाज: उमस भरी धूप से राहत या नई मुसीबत?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** दिल्ली-एनसीआर का मौसम इन दिनों लोगों को गर्मी और उमस से बेहाल कर रहा है। दिनभर की चिलचिलाती धूप के बाद रात में अचानक हुई बारिश ने कुछ राहत दी, लेकिन कई जगहों पर सड़कें जलमग्न होने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। यह मौसमी परिवर्तन न केवल आम आदमी के जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह UPSC की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए भी समसामयिक घटनाओं, जलवायु परिवर्तन, शहरी नियोजन और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सोचने का एक अवसर प्रस्तुत करता है।
यह ब्लॉग पोस्ट दिल्ली-एनसीआर के वर्तमान मौसमी मिजाज का विस्तृत विश्लेषण करेगा, इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों को समझाएगा, और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालेगा। हम इस मौसमी बदलाव के प्रभावों, चुनौतियों और भविष्य की राहों पर भी चर्चा करेंगे।
दिनभर की उमस भरी धूप: कारण और प्रभाव
दिल्ली-एनसीआर में दिनभर की तेज धूप और उच्च आर्द्रता (humidity) का मिश्रण एक चिपचिपी और असहज स्थिति पैदा करता है। इसके पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं:
- उच्च तापमान: गर्मियों के महीनों में, विशेष रूप से मानसून के आगमन से पहले, तापमान अक्सर 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है।
- नमी का स्तर: जब हवा में जलवाष्प की मात्रा अधिक होती है, तो पसीना आसानी से वाष्पित नहीं हो पाता, जिससे हमें अधिक गर्मी और चिपचिपाहट महसूस होती है।
- शहरी ताप द्वीप (Urban Heat Island) प्रभाव: कंक्रीट के जंगल, कम हरियाली और वाहनों से निकलने वाली गर्मी शहरों को आसपास के ग्रामीण इलाकों की तुलना में अधिक गर्म बना देती है। दिल्ली-एनसीआर जैसे घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में यह प्रभाव विशेष रूप से प्रबल होता है।
- वायुमंडलीय स्थितियाँ: कभी-कभी, जब पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) या अन्य मौसमी प्रणालियाँ सक्रिय नहीं होतीं, तो उच्च दबाव वाली हवाएँ गर्मी को फँसा लेती हैं, जिससे दिन का तापमान बढ़ जाता है।
प्रभाव:
- स्वास्थ्य पर असर: लू (Heatstroke), निर्जलीकरण (Dehydration), त्वचा संबंधी समस्याएं और श्वसन संबंधी दिक्कतें बढ़ जाती हैं।
- ऊर्जा की खपत: एयर कंडीशनर (AC) और कूलर का अत्यधिक उपयोग बिजली की मांग को बढ़ा देता है, जिससे ऊर्जा ग्रिड पर दबाव पड़ता है।
- जीवन की गुणवत्ता: लोगों के दैनिक गतिविधियों पर असर पड़ता है, और वे घर के अंदर रहने को प्राथमिकता देते हैं।
“शहरी ताप द्वीप प्रभाव हमारे शहरों को ओवन में बदल रहा है, जहां गर्मी केवल दिन में ही नहीं, रात में भी बनी रहती है।” – जलवायु विशेषज्ञ
रात को बारिश: राहत या आफत?
दिनभर की उमस के बाद रात में होने वाली बारिश, विशेष रूप से मानसून की शुरुआत में, आमतौर पर एक सुखद राहत लेकर आती है। यह तापमान को कम करती है और वायुमंडल को ठंडा करती है। हालांकि, जब यही बारिश अप्रत्याशित या अत्यधिक होती है, तो यह नई समस्याएं पैदा कर सकती है, जैसा कि हालिया घटनाओं में देखा गया है:
बारिश के कारण:
- मानसून का आगमन: भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून का आगमन अक्सर उत्तर भारत में भारी बारिश लाता है।
- स्थानीय संवहनी वर्षा (Local Convective Rainfall): उच्च तापमान और आर्द्रता के कारण स्थानीय रूप से तेजी से विकसित होने वाले बादल अचानक भारी वर्षा कर सकते हैं।
- पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव: कभी-कभी, पश्चिमी विक्षोभ, जो आमतौर पर सर्दियों में आते हैं, मानसून के मौसम में भी नमी ला सकते हैं, जिससे अप्रत्याशित बारिश हो सकती है।
बारिश के सकारात्मक प्रभाव:
- तापमान में गिरावट: बारिश के बाद हवा ठंडी हो जाती है, जिससे उमस और गर्मी से तत्काल राहत मिलती है।
- वायु गुणवत्ता में सुधार: बारिश धूल और प्रदूषण के कणों को नीचे बैठा देती है, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होता है।
- जल संचयन: यह जलाशयों, नदियों और भूजल स्तर को फिर से भरने में मदद करता है।
बारिश के नकारात्मक प्रभाव (शहरी बाढ़):
- खराब जल निकासी व्यवस्था: दिल्ली-एनसीआर जैसे घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में, अनियोजित विकास और पुरानी या अपर्याप्त जल निकासी प्रणालियाँ बारिश के पानी को प्रभावी ढंग से निकालने में विफल रहती हैं।
- सीवेज सिस्टम पर दबाव: भारी बारिश के दौरान, सीवेज सिस्टम भी ओवरफ्लो हो सकता है, जिससे सड़कें और निचले इलाके जलमग्न हो जाते हैं।
- अवैध निर्माण और अतिक्रमण: जल निकायों और जल निकासी चैनलों पर अतिक्रमण भी बाढ़ की समस्या को बढ़ाता है।
- अपशिष्ट प्रबंधन: सड़कों पर जमा कूड़ा-कचरा और प्लास्टिक नालियों और सीवरों को अवरुद्ध कर देते हैं।
परिणाम:
- यातायात जाम: जलमग्न सड़कें यातायात को बुरी तरह प्रभावित करती हैं, जिससे घंटों लंबा जाम लग जाता है।
- आर्थिक नुकसान: वाहनों को नुकसान, दुकानों और घरों में पानी घुसने से आर्थिक क्षति होती है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम: जमा हुआ गंदा पानी बीमारियों, जैसे डेंगू, मलेरिया और डायरिया, के फैलने का खतरा बढ़ा देता है।
- जीवन की गुणवत्ता में गिरावट: लोगों को अपने दैनिक जीवन को सामान्य रूप से चलाने में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
यह मौसमी घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों और विषयों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है:
1. प्रारंभिक परीक्षा (Prelims)
- भूगोल: मानसून की उत्पत्ति, भारत में वर्षा का वितरण, पश्चिमी विक्षोभ, शहरी ताप द्वीप प्रभाव।
- पर्यावरण और पारिस्थितिकी: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, शहरीकरण और पर्यावरण, जल प्रदूषण, शहरी बाढ़ के पारिस्थितिकीय परिणाम।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी: मौसम पूर्वानुमान, वर्षा जल संचयन तकनीकें, स्मार्ट ड्रेनेज सिस्टम।
- समसामयिक मामले: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में हालिया मौसम की घटनाएँ, शहरी नियोजन से संबंधित सरकारी नीतियाँ।
2. मुख्य परीक्षा (Mains)
यह विषय सामान्य अध्ययन (GS) पेपर I (भूगोल, समाज), GS पेपर II (शासन), GS पेपर III (पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन) और निबंध के लिए महत्वपूर्ण है।
- GS Paper I (भूगोल): भारत की भौतिक भूगोल, जलवायु, मानसून की प्रकृति। शहरीकरण के सामाजिक और भौगोलिक प्रभाव।
- GS Paper II (शासन): शहरी नियोजन और विकास, आपदा प्रबंधन नीतियाँ, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में शासन की चुनौतियाँ, सार्वजनिक सेवाओं की डिलीवरी।
- GS Paper III (पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन):
- पर्यावरण: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, शहरी प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी: मौसम पूर्वानुमान की सटीकता, वर्षा जल संचयन में प्रौद्योगिकी की भूमिका, स्मार्ट सिटी पहलें।
- आपदा प्रबंधन: शहरी बाढ़ एक आपदा के रूप में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की भूमिका, राष्ट्रीय/राज्य/स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन की तैयारी और प्रतिक्रिया।
- निबंध: ‘जलवायु परिवर्तन और शहरी जीवन’, ‘सतत शहरी विकास की चुनौतियाँ’, ‘आपदाएँ: मानव निर्मित या प्राकृतिक?’ जैसे विषयों पर निबंध लिखने के लिए यह घटना एक उत्कृष्ट केस स्टडी प्रदान करती है।
गहन विश्लेषण: कारण, प्रभाव और समाधान
1. जलवायु परिवर्तन का व्यापक संदर्भ
यह घटना केवल स्थानीय मौसम का परिणाम नहीं है, बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के व्यापक पैटर्न का भी हिस्सा है। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की चरम घटनाएँ (Extreme Weather Events) अधिक बार और अधिक तीव्र हो रही हैं। इसमें शामिल हैं:
- बढ़ता तापमान: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है।
- वर्षा पैटर्न में बदलाव: कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा और कुछ में सूखे की स्थिति बढ़ रही है।
- आर्द्रता में वृद्धि: गर्म हवा अधिक जलवाष्प धारण कर सकती है, जिससे उमस बढ़ जाती है।
जलवायु परिवर्तन इन मौसमी घटनाओं को कैसे बढ़ा रहा है, इसका विश्लेषण UPSC के लिए महत्वपूर्ण है।
2. शहरी नियोजन और अवसंरचना की विफलता
दिल्ली-एनसीआर में बाढ़ की स्थिति अक्सर शहर के अनियोजित विकास का परिणाम होती है:
- जल निकायों का अतिक्रमण: ऐतिहासिक रूप से, दिल्ली में कई झीलें, तालाब और नदियाँ थीं जो वर्षा जल को अवशोषित करती थीं। शहरीकरण के कारण इनमें से अधिकांश पर निर्माण हो गया है।
- वनस्पति आवरण में कमी: पेड़ों और हरियाली की कमी से मिट्टी की जल सोखने की क्षमता कम हो जाती है।
- अक्षम जल निकासी: पुरानी और संकरी नालियाँ, सीवेज लाइनों का मिश्रण और निर्माण मलबे से अवरुद्ध चैनल बारिश के पानी को बाहर निकालने में असमर्थ होते हैं।
3. आपदा प्रबंधन की भूमिका
आपदाओं से निपटने के लिए एक मजबूत और प्रभावी आपदा प्रबंधन प्रणाली आवश्यक है। इसमें शामिल हैं:
- पूर्व चेतावनी प्रणाली: सटीक और समय पर मौसम पूर्वानुमान महत्वपूर्ण है।
- तैयारी: आपातकालीन सेवाओं को तैयार रखना, राहत सामग्री का भंडारण, और नागरिकों को जागरूक करना।
- प्रतिक्रिया: बचाव अभियान, चिकित्सा सहायता, और राहत वितरण।
- पुनर्प्राप्ति: क्षति का आकलन, पुनर्निर्माण, और दीर्घकालिक जोखिम न्यूनीकरण उपाय।
दिल्ली-एनसीआर में, अक्सर प्रतिक्रिया पर अधिक ध्यान दिया जाता है, जबकि तैयारी और रोकथाम में कमी दिखाई देती है।
भविष्य की राह: समाधान और नीतियाँ
इस समस्या के समाधान के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:
1. शहरी नियोजन में सुधार
- पारगम्य फुटपाथ (Permeable Pavements): ऐसे फुटपाथों का उपयोग करना जो पानी को जमीन में रिसने दें, न कि सतह पर बहाएं।
- हरित अवसंरचना (Green Infrastructure): शहरी क्षेत्रों में पार्क, पेड़ और हरी छतें (green roofs) बढ़ाना। ये न केवल तापमान कम करते हैं बल्कि वर्षा जल को अवशोषित करने में भी मदद करते हैं।
- जल निकाय पुनर्जीवन: पुराने तालाबों, झीलों और नदियों को पुनर्जीवित करना और उनके आसपास के क्षेत्रों को सुरक्षित रखना।
- बाढ़-प्रूफ अवसंरचना: महत्वपूर्ण सड़कों और अवसंरचनाओं को इस तरह से डिजाइन करना कि वे सामान्य बाढ़ की स्थिति का सामना कर सकें।
2. जल निकासी प्रणाली का उन्नयन
- नालियों का चौड़ीकरण और गहरा करना: मौजूदा जल निकासी चैनलों को बढ़ाना।
- सीवेज और ड्रेनेज का पृथक्करण: यह सुनिश्चित करना कि सीवेज और वर्षा जल की नालियाँ अलग-अलग हों।
- नियमित रखरखाव: नालियों और सीवरों की नियमित सफाई और कचरा हटाना।
- स्मार्ट ड्रेनेज सिस्टम: सेंसर-आधारित सिस्टम का उपयोग करके जल स्तर की निगरानी करना और आवश्यकतानुसार संचालन को स्वचालित करना।
3. वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting)
- घरों और इमारतों में: वर्षा जल को छतों से पाइपों के माध्यम से नीचे उतारकर भूमिगत टैंकों में संग्रहित करना।
- सार्वजनिक स्थानों पर: पार्कों, खेल के मैदानों और खाली सरकारी भूमि पर रिचार्ज पिट (recharge pits) बनाना।
- अनिवार्य बनाना: नए निर्माणों के लिए वर्षा जल संचयन को अनिवार्य बनाना।
4. सार्वजनिक जागरूकता और भागीदारी
- जागरूकता अभियान: नागरिकों को अपशिष्ट प्रबंधन, जल संरक्षण और बाढ़ के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में शिक्षित करना।
- सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों को स्वच्छता अभियानों और शहरी नियोजन प्रक्रियाओं में शामिल करना।
5. प्रौद्योगिकी का उपयोग
- उन्नत मौसम पूर्वानुमान: AI और मशीन लर्निंग का उपयोग करके अधिक सटीक और स्थानीयकृत मौसम पूर्वानुमान।
- जल स्तर की निगरानी: IoT सेंसर का उपयोग करके नदियों, नालियों और जलाशयों में जल स्तर की वास्तविक समय की निगरानी।
- स्मार्ट शहर पहलें: इन समस्याओं के समाधान के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों को एकीकृत करना।
निष्कर्ष
दिल्ली-एनसीआर में दिनभर की उमस भरी धूप के बाद रात में अचानक बारिश और उसके बाद जलभराव की स्थिति, शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और अविकसित अवसंरचना के परस्पर क्रिया का एक ज्वलंत उदाहरण है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह न केवल एक समसामयिक घटना है, बल्कि यह शासन, पर्यावरण, शहरी नियोजन और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों के अंतर्संबंधों को समझने का एक अवसर भी है। प्रभावी समाधानों के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण, मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और नागरिक भागीदारी आवश्यक है। शहर को अधिक लचीला (resilient) और रहने योग्य बनाने के लिए दीर्घकालिक नीतियों और अल्पकालिक उपायों दोनों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. कथन 1: शहरी ताप द्वीप (Urban Heat Island) प्रभाव शहरी क्षेत्रों को आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में ठंडा बनाता है।
कथन 2: उच्च आर्द्रता (Humidity) के कारण शरीर से पसीना आसानी से वाष्पित नहीं हो पाता, जिससे चिपचिपाहट महसूस होती है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल कथन 1
(b) केवल कथन 2
(c) दोनों कथन 1 और 2
(d) न तो कथन 1 और न ही कथन 2
उत्तर: (d)
व्याख्या: कथन 1 गलत है। शहरी ताप द्वीप प्रभाव शहरी क्षेत्रों को आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में गर्म बनाता है। कथन 2 सही है।
2. भारत में ग्रीष्मकालीन मानसून से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. मानसून मुख्य रूप से भू-पवन (land-sea breeze) प्रणाली से संचालित होता है।
2. तिब्बत के पठार का गर्म होना मानसून की तीव्रता में योगदान देता है।
3. अरब सागर की ओर से आने वाली शाखा बंगाल की खाड़ी की शाखा की तुलना में अधिक वर्षा करती है।
सही कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल कथन 1 और 2
(b) केवल कथन 2
(c) केवल कथन 1 और 3
(d) केवल कथन 3
उत्तर: (b)
व्याख्या: मानसून मुख्य रूप से आईटीसीजेड (ITCZ) और तिब्बत के पठार के गर्म होने जैसे बड़े पैमाने की वायुमंडलीय घटनाओं से संचालित होता है, न कि केवल भू-पवन से। अरब सागर शाखा की तुलना में बंगाल की खाड़ी शाखा अधिक वर्षा करती है।
3. दिल्ली-एनसीआर में हाल की बारिश के बाद सड़कों पर जलभराव के लिए निम्नलिखित में से कौन सा कारक जिम्मेदार हो सकता है?
1. अपर्याप्त जल निकासी अवसंरचना
2. जल निकायों पर अतिक्रमण
3. सीवेज सिस्टम का अवरुद्ध होना
4. अचानक भारी वर्षा का होना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल कथन 1, 2 और 4
(b) केवल कथन 2, 3 और 4
(c) केवल कथन 1, 3 और 4
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
व्याख्या: सभी सूचीबद्ध कारक शहरी क्षेत्रों में बाढ़ और जलभराव के सामान्य कारण हैं।
4. “पश्चिमी विक्षोभ” (Western Disturbance) का संबंध निम्नलिखित में से किससे है?
(a) ग्रीष्मकालीन मानसून को लाने वाली हवाएँ
(b) सर्दियों के दौरान भारत में आने वाली अतिरिक्त वर्षा लाने वाली अतिरिक्त-उष्णकटिबंधीय तूफान प्रणाली
(c) उत्तर-पूर्व से चलने वाली ठंडी हवाएँ
(d) दक्षिण-पश्चिम से आने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात
उत्तर: (b)
व्याख्या: पश्चिमी विक्षोभ सर्दियों के महीनों में भूमध्य सागर से उत्पन्न होने वाले तूफान हैं जो भारत में वर्षा और कभी-कभी बर्फबारी लाते हैं।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. हरित अवसंरचना (Green Infrastructure) शहरी ताप द्वीप प्रभाव को कम करने में मदद करती है।
2. पारगम्य फुटपाथ (Permeable Pavements) वर्षा जल को जमीन में रिसने की अनुमति देते हैं।
3. शहरी क्षेत्रों में वनस्पति आवरण में वृद्धि जल संचयन की दर को बढ़ाती है।
सही कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल कथन 1 और 2
(b) केवल कथन 2 और 3
(c) केवल कथन 1 और 3
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
व्याख्या: तीनों कथन सही हैं और शहरी नियोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
6. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) निम्नलिखित में से किसके अंतर्गत आता है?
(a) गृह मंत्रालय
(b) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(c) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय
(d) प्रधानमंत्री कार्यालय
उत्तर: (a)
व्याख्या: NDMA गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
7. “नदी कोस्टल ज़ोन” (Riverine Coastal Zone) की परिभाषा के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) यह केवल समुद्र तट से 500 मीटर का क्षेत्र है।
(b) यह नदी के मुहाने पर समुद्र के साथ मिलने वाले क्षेत्र को संदर्भित करता है, जहाँ ज्वारीय प्रभाव (tidal influence) महसूस किया जाता है।
(c) यह केवल प्रमुख नदियों के किनारों के 200 मीटर का क्षेत्र है।
(d) इसमें तटीय आर्द्रभूमि (coastal wetlands) शामिल नहीं होती हैं।
उत्तर: (b)
व्याख्या: नदी तटीय क्षेत्र वह क्षेत्र है जहाँ नदी समुद्र से मिलती है और ज्वार का प्रभाव देखा जाता है।
8. भारत में वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह भूजल स्तर को बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका है।
2. यह शहरी क्षेत्रों में पानी की कमी को दूर करने में मदद करता है।
3. यह बाढ़ को नियंत्रित करने में भी सहायक हो सकता है।
सही कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल कथन 1 और 2
(b) केवल कथन 2 और 3
(c) केवल कथन 1 और 3
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
व्याख्या: वर्षा जल संचयन के तीनों कथन सही हैं।
9. निम्नलिखित में से कौन सी गैस “ग्रीनहाउस गैस” नहीं है?
(a) कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
(b) मीथेन (CH4)
(c) नाइट्रोजन (N2)
(d) नाइट्रस ऑक्साइड (N2O)
उत्तर: (c)
व्याख्या: नाइट्रोजन (N2) वायुमंडल की प्रमुख गैस है लेकिन यह एक ग्रीनहाउस गैस नहीं है। CO2, CH4, N2O, जलवाष्प आदि ग्रीनहाउस गैसें हैं।
10. ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) केवल नए शहरों का निर्माण करना
(b) मौजूदा शहरों को नागरिकों के लिए बेहतर जीवन शैली और टिकाऊ पर्यावरण प्रदान करने के लिए विकसित करना
(c) केवल प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना
(d) केवल औद्योगिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य नागरिकों के लिए बेहतर जीवन शैली, टिकाऊ पर्यावरण और बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ मौजूदा शहरों का एकीकृत विकास करना है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. दिल्ली-एनसीआर जैसे घनी आबादी वाले महानगरीय क्षेत्रों में भारी वर्षा के बाद जलभराव और बाढ़ की समस्या के पीछे के प्रमुख कारणों का विश्लेषण करें। इस समस्या के प्रबंधन के लिए शहरी नियोजन और आपदा प्रबंधन की रणनीतियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
2. जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, भारत के शहरी क्षेत्रों में बढ़ते तापमान और अप्रत्याशित वर्षा पैटर्न के प्रभावों पर चर्चा करें। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए हरित अवसंरचना (Green Infrastructure) और वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) जैसी टिकाऊ समाधानों की भूमिका का वर्णन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
3. आपदा प्रबंधन के पूर्व-आपदा, दौरान-आपदा और पश्च-आपदा चरणों में प्रौद्योगिकी की भूमिका का वर्णन करें। दिल्ली-एनसीआर में हालिया बाढ़ जैसी घटनाओं से सीखने के लिए भारत को अपनी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और प्रतिक्रिया तंत्र को कैसे मजबूत करना चाहिए? (150 शब्द, 10 अंक)
4. “शहरी ताप द्वीप प्रभाव” (Urban Heat Island Effect) से आप क्या समझते हैं? दिल्ली-एनसीआर में इसके कारणों और मानव स्वास्थ्य तथा ऊर्जा खपत पर पड़ने वाले प्रभावों का विस्तार से वर्णन करें। इस प्रभाव को कम करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं? (150 शब्द, 10 अंक)