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दिल्ली-एनसीआर में मूसलाधार बारिश: मौसम का बदला मिजाज और इसके मायने

दिल्ली-एनसीआर में मूसलाधार बारिश: मौसम का बदला मिजाज और इसके मायने

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में पिछले कुछ समय से लगातार रुक-रुक कर हो रही बारिश ने लोगों के जनजीवन को प्रभावित किया है। कहीं फुहारों के रूप में तो कहीं मूसलाधार रूप में बरसते पानी ने मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल दिया है। यह मौसमी घटना न केवल स्थानीय निवासियों के लिए तात्कालिक चिंता का विषय है, बल्कि यह UPSC उम्मीदवारों के लिए भी कई महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का अवसर प्रदान करती है। यह लेख इस मौसमी बदलाव के पीछे के वैज्ञानिक कारणों, इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों, शहरी नियोजन पर इसके निहितार्थों और UPSC परीक्षा के विभिन्न चरणों में पूछे जाने वाले संभावित प्रश्नों पर गहनता से प्रकाश डालेगा।

बारिश का विज्ञान: क्यों बरस रहा है दिल्ली-एनसीआर में इतना पानी?

बारिश कोई आकस्मिक घटना नहीं है; यह एक जटिल वायुमंडलीय प्रक्रिया का परिणाम है। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में हो रही इस बारिश को समझने के लिए हमें मानसून की गतिशीलता, स्थानीय मौसम प्रणालियों और बड़े पैमाने पर जलवायु पैटर्न को समझना होगा।

मानसून की भूमिका: भारतीय उपमहाद्वीप का जीवनरक्षक

भारत में अधिकांश वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) के दौरान होती है। यह मानसूनी हवाएं अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर आती हैं और भारतीय उपमहाद्वीप पर जीवन का संचार करती हैं। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र, जो हिमालय की तलहटी के करीब स्थित है, मानसून की विभिन्न अभिव्यक्तियों का अनुभव करता है।

  • निम्न दबाव का क्षेत्र: जब बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनता है, तो यह मानसूनी हवाओं को उत्तर भारत की ओर धकेलता है।
  • पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances): कभी-कभी, भूमध्य सागर से उत्पन्न होने वाले पश्चिमी विक्षोभ भी उत्तर भारत में मौसम को प्रभावित करते हैं। जब ये पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में पहुंचते हैं, तो वे अक्सर मानसून के साथ मिल जाते हैं, जिससे बारिश की तीव्रता बढ़ जाती है, खासकर उत्तर-पश्चिम भारत में।
  • स्थानीय जलवायु कारक: शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव (Urban Heat Island Effect) और हवाओं की दिशा भी स्थानीय स्तर पर बारिश के पैटर्न को प्रभावित कर सकती है।

“फुहार” बनाम “मूसलाधार”: बारिश के प्रकार और उनके कारण

बारिश की तीव्रता में अंतर विभिन्न वायुमंडलीय परिस्थितियों के कारण होता है:

फुहार (Drizzle): यह हल्की और धीमी गति से गिरने वाली बारिश होती है, जो आमतौर पर कम बादल ऊंचाई पर होने पर होती है। इसमें हवा में नमी की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है।

मूसलाधार बारिश (Cloudburst/Heavy Rainfall): यह अचानक और अत्यधिक तीव्र वर्षा होती है, जिसमें बहुत कम समय में बड़ी मात्रा में पानी गिरता है। यह अक्सर तब होता है जब हवाएं बहुत अधिक नमी को एक विशिष्ट क्षेत्र में केंद्रित कर देती हैं, और एक शक्तिशाली संवहन (convection) प्रक्रिया के कारण पानी बूंदों के रूप में तेजी से नीचे गिरता है। हिमालयी क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं अधिक आम हैं, लेकिन इनसे उत्पन्न बाढ़ का असर मैदानी इलाकों तक भी पहुंचता है।

दिल्ली-एनसीआर में बारिश के प्रभाव: एक बहुआयामी विश्लेषण

लगातार हो रही बारिश का दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र पर गहरा और बहुआयामी प्रभाव पड़ता है, जिसे विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने की आवश्यकता है:

1. सामाजिक प्रभाव:

  • जनजीवन पर असर: भारी बारिश से सड़कों पर जलभराव हो जाता है, जिससे यातायात प्रभावित होता है। लोगों को अपने दैनिक कार्यों को करने में कठिनाई होती है।
  • स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं: जलभराव से मच्छर पनपते हैं, जिससे डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। दूषित पानी से डायरिया और अन्य जल जनित बीमारियां फैल सकती हैं।
  • बेघर और गरीब वर्गों पर प्रभाव: झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग अक्सर बाढ़ और जल-जमाव से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, जिससे उनके लिए आश्रय की समस्या पैदा हो जाती है।

2. आर्थिक प्रभाव:

  • कृषि पर असर: हालांकि बारिश खरीफ की फसलों के लिए फायदेमंद होती है, लेकिन अत्यधिक या असामयिक बारिश फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है। सब्जियों और अन्य जल्दी खराब होने वाली उपज की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
  • बुनियादी ढांचे को नुकसान: जलभराव से सड़कें, पुल और अन्य शहरी बुनियादी ढांचे क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जिससे मरम्मत का खर्च बढ़ जाता है।
  • बिजनेस और व्यापार: जलभराव और यातायात जाम के कारण व्यावसायिक गतिविधियां बाधित हो सकती हैं, जिससे आर्थिक नुकसान होता है।
  • पर्यटन: खराब मौसम पर्यटकों को हतोत्साहित कर सकता है, जिससे पर्यटन उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

3. पर्यावरणीय प्रभाव:

  • भूजल पुनर्भरण: लंबी अवधि में, बारिश भूजल स्तर को बढ़ाने में मदद करती है, जो दिल्ली जैसे पानी की कमी वाले शहर के लिए महत्वपूर्ण है।
  • वायु गुणवत्ता में सुधार: बारिश हवा से धूल और प्रदूषकों को धो देती है, जिससे वायु गुणवत्ता में अस्थायी सुधार होता है।
  • शहरी बाढ़ (Urban Flooding): शहरों में कंक्रीट के अधिक उपयोग के कारण बारिश का पानी जमीन में रिस नहीं पाता, जिससे जलभराव और शहरी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।

UPSC के दृष्टिकोण से: महत्वपूर्ण विषय और विश्लेषण

दिल्ली-एनसीआर में हो रही यह बारिश UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए कई महत्वपूर्ण विषयों को जोड़ती है:

1. भूगोल:

  • मानसून: भारतीय मानसून की उत्पत्ति, तंत्र और विभिन्न क्षेत्रों पर इसके प्रभाव।
  • जलवायु: भारत की जलवायु और इसके विभिन्न कारक।
  • भौतिक भूगोल: नदियाँ, जल निकासी पैटर्न, और जलभराव के भौगोलिक कारण।

2. पर्यावरण और पारिस्थितिकी:

  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसमी घटनाओं (जैसे भारी वर्षा) की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता।
  • शहरी पर्यावरण: शहरीकरण का वर्षा पर प्रभाव, जलभराव की समस्या, और शहरी बाढ़।
  • जैव विविधता: बाढ़ का स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव।

3. शासन और प्रबंधन:

  • आपदा प्रबंधन: बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्वास। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की भूमिका।
  • शहरी नियोजन: टिकाऊ शहरी नियोजन, जल निकासी प्रणालियों में सुधार, और हरित बुनियादी ढांचे का विकास।
  • जल प्रबंधन: शहरी क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting), जल स्रोतों का संरक्षण, और बाढ़ नियंत्रण उपाय।

4. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (यदि वैश्विक जलवायु पैटर्न शामिल हो):

  • जलवायु कूटनीति: अंतर्राष्ट्रीय समझौते और जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयास।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह

दिल्ली-एनसीआर जैसे घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र के लिए, इस तरह की बारिश कई गंभीर चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है:

  • अप्रचलित जल निकासी प्रणाली: कई शहरी क्षेत्रों में जल निकासी प्रणालियाँ पुरानी हैं और भारी वर्षा के दबाव को संभालने में सक्षम नहीं हैं।
  • अतिक्रमण और अनियोजित विकास: प्राकृतिक जल निकासी मार्गों पर अतिक्रमण और अनियोजित शहरी विकास समस्या को और बढ़ाते हैं।
  • शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव: कंक्रीट और डामर की सतहें गर्मी को अवशोषित करती हैं, जो स्थानीय वर्षा पैटर्न को प्रभावित कर सकती हैं और भारी वर्षा की संभावना बढ़ा सकती हैं।
  • जन जागरूकता का अभाव: नागरिकों के बीच जलभराव को कम करने और जल संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता की कमी।

समाधान और आगे की राह:

  1. जल निकासी प्रणालियों का आधुनिकीकरण: वर्षा जल को कुशलतापूर्वक निकालने के लिए मौजूदा जल निकासी नेटवर्क को अपग्रेड करना और उसका विस्तार करना।
  2. हरित अवसंरचना (Green Infrastructure): पार्कों, झीलों, और वर्षा जल संचयन प्रणालियों जैसे प्राकृतिक या अर्ध-प्राकृतिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना जो पानी को अवशोषित और फ़िल्टर कर सकें।
  3. नीति और नियम: प्रभावी शहरी नियोजन नीतियां बनाना और लागू करना जो जलभराव को रोकने वाले निर्माण को प्रोत्साहित करें।
  4. आपदा तैयारी: प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को मजबूत करना, बचाव दलों को प्रशिक्षित करना और आश्रय स्थलों की पहचान करना।
  5. सार्वजनिक भागीदारी: नागरिकों को जल संरक्षण और अपने आसपास के वातावरण को साफ रखने के प्रयासों में शामिल करना।
  6. अनुसंधान और विकास: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने और अनुकूलन रणनीतियों को विकसित करने के लिए लगातार अनुसंधान।

दिल्ली-एनसीआर में हो रही यह बारिश केवल मौसम का एक चक्र नहीं है, बल्कि यह शहरीकरण, पर्यावरण प्रबंधन और आपदा तैयारियों की हमारी क्षमता का एक परीक्षण भी है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह न केवल तथ्यात्मक जानकारी का एक स्रोत है, बल्कि यह शासन, योजना और स्थिरता के बारे में गंभीर प्रश्न उठाने का एक अवसर भी है। बदलते मौसम पैटर्न के इस युग में, इन मुद्दों की गहरी समझ भविष्य के प्रशासकों के लिए अनिवार्य है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा कारक दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में भारी वर्षा की संभावना को बढ़ा सकता है?

    (a) हिमालयी क्षेत्र में पश्चमी विक्षोभ का प्रभाव
    (b) बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र
    (c) शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव (Urban Heat Island Effect)
    (d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d) उपरोक्त सभी

    व्याख्या: पश्चिमी विक्षोभ, निम्न दबाव का क्षेत्र और शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव, ये सभी दिल्ली-एनसीआर में भारी वर्षा की संभावना को बढ़ा सकते हैं।
  2. प्रश्न 2: भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा का मुख्य स्रोत क्या है?

    (a) पश्चिमी विक्षोभ
    (b) दक्षिण-पश्चिम मानसून
    (c) भूमध्यसागरीय हवाएं
    (d) स्थलीय संवहन (Local Convection)

    उत्तर: (b) दक्षिण-पश्चिम मानसून

    व्याख्या: भारत में अधिकांश वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून द्वारा लाई जाती है।
  3. प्रश्न 3: ‘शहरी बाढ़’ (Urban Flooding) की स्थिति मुख्य रूप से निम्नलिखित में से किस कारण उत्पन्न होती है?

    (a) नदियों का उफान
    (b) वर्षा जल का जमीन में अपर्याप्त रिसाव
    (c) भूस्खलन
    (d) ग्लेशियरों का पिघलना

    उत्तर: (b) वर्षा जल का जमीन में अपर्याप्त रिसाव

    व्याख्या: शहरी क्षेत्रों में कंक्रीटीकरण के कारण वर्षा जल जमीन में रिस नहीं पाता, जिससे जलभराव और शहरी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
  4. प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी बीमारी बारिश के मौसम में जलभराव वाले क्षेत्रों से फैलने की अधिक संभावना रखती है?

    (a) तपेदिक (Tuberculosis)
    (b) डेंगू
    (c) खसरा (Measles)
    (d) टाइफाइड

    उत्तर: (b) डेंगू

    व्याख्या: डेंगू मच्छरों द्वारा फैलता है, और जलभराव वाले क्षेत्र मच्छरों के प्रजनन के लिए उपयुक्त होते हैं।
  5. प्रश्न 5: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) किस मंत्रालय के अधीन कार्य करता है?

    (a) गृह मंत्रालय
    (b) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
    (c) जल शक्ति मंत्रालय
    (d) रक्षा मंत्रालय

    उत्तर: (a) गृह मंत्रालय

    व्याख्या: NDMA भारत सरकार के गृह मंत्रालय के तहत एक शीर्ष निकाय है।
  6. प्रश्न 6: ‘हरित अवसंरचना’ (Green Infrastructure) का एक उदाहरण निम्नलिखित में से कौन सा है?

    (a) ऊंची इमारतें
    (b) एक्सप्रेस-वे
    (c) वर्षा जल संचयन प्रणाली
    (d) शॉपिंग मॉल

    उत्तर: (c) वर्षा जल संचयन प्रणाली

    व्याख्या: हरित अवसंरचना में ऐसे तत्व शामिल होते हैं जो पर्यावरण के अनुकूल हों और पानी को अवशोषित या प्रबंधित करने में मदद करें, जैसे वर्षा जल संचयन।
  7. प्रश्न 7: ‘शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव’ (Urban Heat Island Effect) से क्या तात्पर्य है?

    (a) शहरी क्षेत्रों में भारी बारिश का होना
    (b) शहरी क्षेत्रों का आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म होना
    (c) शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का कम होना
    (d) शहरी क्षेत्रों में बर्फबारी का होना

    उत्तर: (b) शहरी क्षेत्रों का आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म होना

    व्याख्या: शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव तब होता है जब शहरी क्षेत्र अपने आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म होते हैं, जो मुख्य रूप से निर्मित वातावरण और मानव गतिविधियों के कारण होता है।
  8. प्रश्न 8: भारतीय मानसून का प्रमुख चालक कौन सी वायुमंडलीय घटना है?

    (a) जेट स्ट्रीम
    (b) तिब्बती पठार का ताप
    (c) उत्तरी अटलांटिक दोलन (North Atlantic Oscillation)
    (d) एल नीनो (El Niño)

    उत्तर: (b) तिब्बती पठार का ताप

    व्याख्या: तिब्बती पठार का मौसमी ताप भारतीय मानसून की उत्पत्ति और मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  9. प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा कथन वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) के संदर्भ में सही है?

    (a) यह केवल पीने योग्य पानी का स्रोत है।
    (b) यह शहरी बाढ़ को कम करने में मदद कर सकता है।
    (c) इसके लिए केवल बड़े बांधों की आवश्यकता होती है।

    (d) यह भूजल स्तर को नहीं बढ़ाता है।

    उत्तर: (b) यह शहरी बाढ़ को कम करने में मदद कर सकता है।

    व्याख्या: वर्षा जल संचयन वर्षा जल को इकट्ठा और संग्रहीत करके शहरी बाढ़ को कम करने और भूजल स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।
  10. प्रश्न 10: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) किस मंत्रालय के तहत कार्य करता है?

    (a) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय
    (b) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
    (c) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
    (d) गृह मंत्रालय

    उत्तर: (b) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय

    व्याख्या: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का एक संबद्ध कार्यालय है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: दिल्ली-एनसीआर जैसे घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र में भारी वर्षा से उत्पन्न होने वाली विभिन्न चुनौतियों का आलोचनात्मक परीक्षण करें। इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रभावी शहरी नियोजन और आपदा प्रबंधन रणनीतियों पर प्रकाश डालें। (लगभग 250 शब्द)
  2. प्रश्न 2: भारत में, विशेष रूप से उत्तर भारत में, वर्षा के पैटर्न को प्रभावित करने वाले विभिन्न मौसम विज्ञान (meteorological) और जलवायु (climatological) कारकों की व्याख्या करें। जलवायु परिवर्तन इन पैटर्नों को कैसे बदल रहा है? (लगभग 150 शब्द)
  3. प्रश्न 3: “बारिश शहरी जीवन के लिए वरदान और अभिशाप दोनों हो सकती है।” इस कथन के आलोक में, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में भारी बारिश के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभावों का विश्लेषण करें। (लगभग 250 शब्द)
  4. प्रश्न 4: शहरी बाढ़ (Urban Flooding) एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। इसके कारणों का विश्लेषण करें और प्रभावी शमन (mitigation) और अनुकूलन (adaptation) रणनीतियों का सुझाव दें, जिसमें ‘हरित अवसंरचना’ की भूमिका पर विशेष जोर दिया गया हो। (लगभग 250 शब्द)

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