दिल्ली-एनसीआर की मानसून की मार: बाढ़, ट्रैफिक जाम और सेहत के खतरे – पूरी गाइड
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
दिल्ली-एनसीआर का मौसम इस समय अपने चरम पर है। कल से लगातार हो रही बारिश ने राजधानी और उसके आसपास के इलाकों को जलमग्न कर दिया है। कहीं रिमझिम फुहारें तो कहीं मूसलाधार बारिश की ये स्थिति न केवल लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित कर रही है, बल्कि कई गंभीर चुनौतियों को भी जन्म दे रही है। यह केवल एक मौसम की घटना नहीं, बल्कि एक व्यापक पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक मुद्दा है जिस पर UPSC उम्मीदवारों को गहरी समझ विकसित करने की आवश्यकता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम दिल्ली-एनसीआर में हो रही इस भारी बारिश के विभिन्न पहलुओं, इसके कारणों, प्रभावों और भविष्य की राह पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
बारिश का मिजाज: दिल्ली-एनसीआर का भीगा हाल
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर का मौसम अप्रत्याशित बना हुआ है। सुबह की शुरुआत आमतौर पर सुहावनी हो जाती है, लेकिन दोपहर या शाम तक आसमान घिर आता है और फिर बारिश की बौछारें शुरू हो जाती हैं। यह बारिश कुछ इलाकों में हल्की फुहारों के रूप में गिरती है, तो वहीं कुछ जगहों पर यह इतनी मूसलाधार हो जाती है कि सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं।
“यह मानसून का सामान्य पैटर्न है, लेकिन इस साल कुछ क्षेत्रों में अतिवृष्टि (excessive rainfall) देखी जा रही है, जो चिंता का विषय है।” – मौसम वैज्ञानिक
इस बदलती मौसम की मार को समझने के लिए, हमें इसके पीछे के कारणों को जानना होगा:
1. मानसून का प्रवेश और सक्रियता (Monsoon Entry and Activation):
भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून का आगमन एक जटिल प्रक्रिया है जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठने वाली हवाओं के पैटर्न पर निर्भर करती है। दिल्ली-एनसीआर जैसे उत्तर भारतीय क्षेत्रों में, मानसून का प्रभाव आमतौर पर जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में महसूस होने लगता है। इस वर्ष, मानसून की सक्रियता ने इन इलाकों को जल्दी और तीव्रता से प्रभावित किया है।
2. पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव (Influence of Western Disturbances):
हालांकि मानसून का मुख्य चालक मानसूनी हवाएं हैं, लेकिन कभी-कभी पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) भी उत्तर भारत के मौसम को प्रभावित करते हैं। ये भूमध्य सागर से उत्पन्न होने वाले तूफान हैं जो कभी-कभी हिमालय के ऊपर से गुजरते हुए उत्तर भारत में बारिश या बर्फबारी का कारण बनते हैं। यदि मानसून की अवधि में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो जाते हैं, तो यह अतिरिक्त नमी के साथ मिलकर भारी बारिश की घटनाओं को बढ़ा सकते हैं।
3. शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन (Urbanization and Climate Change):
शहरीकरण ने दिल्ली-एनसीआर जैसे क्षेत्रों में प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियों को बाधित किया है। कंक्रीट के जंगल, चौड़ी सड़कें और सीवरों का अपर्याप्त नेटवर्क बारिश के पानी को जमीन में समाने से रोकता है, जिससे सतह पर जल जमाव (waterlogging) की समस्या बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त, जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसमी घटनाओं (extreme weather events) की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है। इसका मतलब है कि हम अब पहले से अधिक बार और अधिक तीव्र बारिश या सूखे जैसी घटनाओं का अनुभव कर सकते हैं।
बारिश का दोहरा प्रभाव: अवसर और चुनौतियाँ
जहां बारिश कृषि और भूजल स्तर के लिए जीवनदायिनी है, वहीं अत्यधिक बारिश कई गंभीर चुनौतियां खड़ी कर देती है।
I. अवसर:
- कृषि का पुनर्जीवन: मानसून की बारिश खरीफ फसलों के लिए महत्वपूर्ण है। पर्याप्त बारिश कृषि उत्पादन को बढ़ा सकती है और किसानों की आय में सुधार कर सकती है।
- भूजल पुनर्भरण: बारिश का पानी जमीन में रिसकर भूजल स्तर को बढ़ाता है, जो पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- पर्यावरणीय शीतलता: तेज गर्मी के बाद बारिश वातावरण को ठंडा करती है और वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद करती है।
II. चुनौतियाँ:
बारिश के आगमन के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं:
A. जल जमाव और बाढ़ (Waterlogging and Flooding):
अचानक और मूसलाधार बारिश के कारण सड़कें, राजमार्ग, अंडरपास और निचले इलाके जलमग्न हो जाते हैं। इससे:
- यातायात व्यवधान: सड़कों पर पानी भरने से भयंकर ट्रैफिक जाम लग जाता है, जिससे लोगों का घंटों तक फंसा रहना पड़ता है। यह न केवल समय की बर्बादी है, बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
- सार्वजनिक परिवहन पर असर: बसों और मेट्रो सेवाओं में भी देरी या व्यवधान हो सकता है, जिससे दैनिक यात्रियों को परेशानी होती है।
- बुनियादी ढांचे को नुकसान: सड़कों, इमारतों और बिजली आपूर्ति जैसी बुनियादी सुविधाओं को भी बारिश से नुकसान पहुंच सकता है।
“कल रात की बारिश ने तो जैसे पूरी दिल्ली को ही डुबो दिया। ऑफिस से घर पहुंचने में 3 घंटे लगे, वो भी केवल 5 किलोमीटर के लिए।” – एक निवासी
B. स्वास्थ्य संबंधी खतरे (Health Hazards):
स्थिर पानी और नमी भरे वातावरण कई बीमारियों को पनपने का अवसर देते हैं:
- जल जनित रोग: दूषित पानी के संपर्क में आने से डायरिया, टाइफाइड और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- मच्छरों का प्रकोप: रुके हुए पानी में मच्छर पनपते हैं, जिससे मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
- श्वसन संबंधी समस्याएं: नमी और फंगस के कारण अस्थमा और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों वाले लोगों को अधिक परेशानी हो सकती है।
C. आर्थिक प्रभाव (Economic Impact):
- व्यवसाय में बाधा: जल जमाव और यातायात जाम के कारण व्यापारिक गतिविधियों में बाधा आती है।
- सामान की क्षति: निचले इलाकों में स्थित दुकानों और गोदामों में रखे सामान को नुकसान पहुंच सकता है।
- मरम्मत का खर्च: क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे और सड़कों की मरम्मत में सरकार को भारी व्यय करना पड़ता है।
D. बिजली आपूर्ति में व्यवधान (Disruption in Power Supply):
बारिश और जल जमाव के कारण शॉर्ट सर्किट और बिजली के खंभों को नुकसान होने की आशंका रहती है, जिससे कई इलाकों में बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है।
UPSC के नजरिए से: गहन विश्लेषण
यह स्थिति UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सोचने का अवसर प्रदान करती है।
1. शहरी नियोजन और अवसंरचना (Urban Planning and Infrastructure):
यह घटना दिल्ली-एनसीआर के शहरी नियोजन की कमजोरियों को उजागर करती है। प्रभावी शहरी नियोजन में जल निकासी प्रणालियों (drainage systems) का सुचारू संचालन, जल भराव को रोकने के लिए हरित क्षेत्रों का विकास (development of green spaces) और टिकाऊ शहरी डिजाइन (sustainable urban design) शामिल होना चाहिए।
केस स्टडी: मुंबई, जो पहले से ही मानसून की भारी बारिश और जल जमाव का सामना करता रहा है, ने अपनी जल निकासी प्रणालियों को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं, जैसे कि नालों की नियमित सफाई, जल-अवशोषित पेवमेंट का उपयोग और बाढ़-प्रतिरोधी अवसंरचना का निर्माण। दिल्ली-एनसीआर को भी इसी तरह के उपायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
2. आपदा प्रबंधन (Disaster Management):
यह स्थिति प्रभावी आपदा प्रबंधन की आवश्यकता पर बल देती है। इसमें शामिल हैं:
- तैयारी (Preparedness): पूर्व-चेतावनी प्रणाली (early warning systems), बचाव दलों का गठन, और आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- प्रतिक्रिया (Response): बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत और बचाव कार्य, सुरक्षित स्थानों पर लोगों को पहुंचाना, और चिकित्सा सहायता प्रदान करना।
- पुनर्प्राप्ति (Recovery): क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण और सामान्य जीवन को बहाल करना।
UPSC प्रासंगिकता: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की भूमिका, राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) और आपदा प्रबंधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग जैसे पहलू महत्वपूर्ण हैं।
3. पर्यावरणीय मुद्दे (Environmental Issues):
जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण के कारण मौसम के मिजाज में बदलाव एक गंभीर पर्यावरणीय चिंता है।
- शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव (Urban Heat Island Effect): कंक्रीट और डामर गर्मी को अवशोषित करते हैं, जिससे शहरी क्षेत्रों का तापमान आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक होता है। यह बारिश के पैटर्न को भी प्रभावित कर सकता है।
- वनस्पतियों का क्षरण (Loss of Vegetation): शहरीकरण के कारण पेड़-पौधों की कटाई से मिट्टी की जल-अवशोषण क्षमता कम हो जाती है।
4. शासन और नीति-निर्माण (Governance and Policy Making):
यह स्थिति सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी और पुरानी नीतियों की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठाती है।
- समन्वय की आवश्यकता: विभिन्न सरकारी विभाग (जैसे नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, आपदा प्रबंधन) और स्थानीय निकाय (जैसे दिल्ली जल बोर्ड) को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
- नीति समीक्षा: पुरानी जल निकासी नीतियों और सीवेज सिस्टम की नियमित समीक्षा और आधुनिकीकरण आवश्यक है।
- जन जागरूकता: नागरिकों को भी जल जमाव को रोकने और साफ-सफाई बनाए रखने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
भविष्य की राह: समाधान और सुझाव
इस समस्या से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:
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जल निकासी अवसंरचना में सुधार:
- नालों और सीवरों की नियमित और प्रभावी सफाई सुनिश्चित करना।
- उन अंडरपासों और निचले इलाकों की पहचान करना जहां अक्सर पानी भरता है और वहां जल निकासी पंपों की व्यवस्था करना।
- नई शहरी विकास परियोजनाओं में जल-अवशोषित पेवमेंट (pervious pavements) और जल संचयन संरचनाओं (water harvesting structures) को अनिवार्य करना।
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शहरी नियोजन में हरित अवसंरचना (Green Infrastructure):
- शहरी क्षेत्रों में अधिक से अधिक पेड़ लगाना और हरित पट्टी (green belts) विकसित करना।
- छतों पर बागवानी (rooftop gardening) और वर्टिकल गार्डन (vertical gardens) को बढ़ावा देना।
- प्राकृतिक जल निकायों (natural water bodies) जैसे झीलों और तालाबों का संरक्षण और पुनरुद्धार करना।
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आधुनिक तकनीक का उपयोग:
- बारिश की भविष्यवाणी और जल स्तर की निगरानी के लिए उन्नत मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों (advanced weather forecasting systems) का उपयोग करना।
- बाढ़ की स्थिति में यातायात प्रबंधन और राहत कार्यों के लिए वास्तविक समय डेटा (real-time data) का उपयोग करना।
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आपदा प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत करना:
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और स्थानीय आपदा प्रबंधन टीमों को बेहतर प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान करना।
- बाढ़ और जल जमाव के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया के लिए एक सुव्यवस्थित कमांड और नियंत्रण प्रणाली स्थापित करना।
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जन जागरूकता और भागीदारी:
- नागरिकों को जल स्रोतों को दूषित न करने और कूड़ा न फेंकने के लिए शिक्षित करना।
- जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन के महत्व के बारे में जागरूकता अभियान चलाना।
“हमें केवल समस्याओं की पहचान नहीं करनी चाहिए, बल्कि समाधानों को लागू करने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए।” – नीति निर्माता
निष्कर्ष
दिल्ली-एनसीआर में हो रही यह बारिश एक मौसमी घटना से कहीं अधिक है। यह शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और प्रभावी अवसंरचना योजना के महत्व को उजागर करने वाली एक चेतावनी है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैसे ये स्थानीय घटनाएं राष्ट्रीय नीतियों, आपदा प्रबंधन रणनीतियों और पर्यावरणीय स्थिरता से जुड़ी हुई हैं। एक सुनियोजित और समन्वित प्रयास से ही हम ऐसी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और अपने शहरों को अधिक लचीला (resilient) बना सकते हैं।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
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प्रश्न: दिल्ली-एनसीआर में हालिया भारी बारिश के लिए निम्नलिखित में से कौन से कारक जिम्मेदार हो सकते हैं?
- मानसून की तीव्र सक्रियता
- शहरीकरण के कारण जल निकासी प्रणालियों का बाधित होना
- पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव
- जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसमी घटनाओं में वृद्धि
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
- केवल A और B
- A, B और C
- B, C और D
- A, B, C और D
उत्तर: d) A, B, C और D
व्याख्या: ये सभी कारक मिलकर दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश और उसके परिणामस्वरूप होने वाली समस्याओं में योगदान करते हैं। -
प्रश्न: भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून के आगमन से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- मानसून का मुख्य चालक अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठने वाली हवाएं हैं।
- दिल्ली-एनसीआर में मानसून का प्रभाव आमतौर पर जुलाई के अंत में महसूस होने लगता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- केवल A
- केवल B
- A और B दोनों
- न तो A और न ही B
उत्तर: a) केवल A
व्याख्या: कथन A सही है। कथन B गलत है क्योंकि दिल्ली-एनसीआर में मानसून का प्रभाव आमतौर पर जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में महसूस होने लगता है, न कि जुलाई के अंत में। -
प्रश्न: ‘शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव’ (Urban Heat Island Effect) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह शहरी क्षेत्रों में कंक्रीट और डामर द्वारा गर्मी को अवशोषित करने के कारण होता है।
- यह शहरी क्षेत्रों के तापमान को आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में कम रखता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- केवल A
- केवल B
- A और B दोनों
- न तो A और न ही B
उत्तर: a) केवल A
व्याख्या: कथन A सही है। कथन B गलत है क्योंकि शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव शहरी क्षेत्रों के तापमान को आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक रखता है। -
प्रश्न: अत्यधिक बारिश के कारण होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरों में निम्नलिखित में से कौन शामिल है/हैं?
- जल जनित रोग
- मच्छरों से फैलने वाली बीमारियाँ
- श्वसन संबंधी समस्याएं
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
- केवल A
- A और B
- A, B और C
- केवल B
उत्तर: c) A, B और C
व्याख्या: तीनों ही अत्यधिक बारिश के कारण उत्पन्न होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरे हैं। -
प्रश्न: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के कार्यों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह भारत में आपदा प्रबंधन के लिए एक शीर्ष वैधानिक निकाय है।
- इसका मुख्य कार्य आपदाओं की रोकथाम और शमन के लिए एक राष्ट्रीय नीति, योजना और दिशा-निर्देश विकसित करना है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- केवल A
- केवल B
- A और B दोनों
- न तो A और न ही B
उत्तर: c) A और B दोनों
व्याख्या: NDMA भारत में आपदा प्रबंधन के लिए एक शीर्ष निकाय है और इसके मुख्य कार्यों में नीति और योजना विकास शामिल है। -
प्रश्न: दिल्ली-एनसीआर में जल जमाव (waterlogging) की समस्या के समाधान हेतु निम्नलिखित में से कौन सी ‘हरित अवसंरचना’ (Green Infrastructure) पहल सहायक हो सकती है?
- शहरी क्षेत्रों में अधिक से अधिक पेड़ लगाना।
- जल-अवशोषित पेवमेंट का उपयोग।
- प्राकृतिक जल निकायों का संरक्षण।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
- केवल A
- A और B
- A, B और C
- केवल C
उत्तर: c) A, B और C
व्याख्या: ये सभी हरित अवसंरचना पहल जल जमाव को कम करने में सहायक होती हैं। -
प्रश्न: ‘पश्चिमी विक्षोभ’ (Western Disturbances) का संबंध निम्नलिखित में से किससे है?
- भूमध्य सागर से उत्पन्न होने वाले तूफान जो उत्तर भारत में वर्षा का कारण बन सकते हैं।
- अरब सागर से उठने वाली मानसूनी हवाएं।
- हिंद महासागर से उत्पन्न होने वाले चक्रवात।
- दक्षिण-पश्चिम से आने वाली शुष्क हवाएं।
उत्तर: a) भूमध्य सागर से उत्पन्न होने वाले तूफान जो उत्तर भारत में वर्षा का कारण बन सकते हैं।
व्याख्या: पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर से उत्पन्न होते हैं और सर्दियों में उत्तर भारत में वर्षा या बर्फबारी लाते हैं, लेकिन कभी-कभी मानसून की अवधि में भी नमी जोड़कर बारिश बढ़ा सकते हैं। -
प्रश्न: दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश के कारण उत्पन्न होने वाले ‘आर्थिक प्रभाव’ में क्या शामिल हो सकता है?
- व्यवसाय में बाधा
- सामान की क्षति
- मरम्मत का बढ़ता खर्च
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
- केवल A
- A और B
- A, B और C
- केवल C
उत्तर: c) A, B और C
व्याख्या: बारिश के कारण होने वाली समस्याएं व्यवसाय, संपत्ति और सार्वजनिक अवसंरचना पर नकारात्मक आर्थिक प्रभाव डालती हैं। -
प्रश्न: मानसून की सक्रियता से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- मानसून की सक्रियता का अर्थ है मानसून ट्रफ का हिमालय की तलहटी से उत्तर की ओर खिसक जाना।
- मानसून की सक्रियता के दौरान, देश के अधिकांश हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश होती है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- केवल A
- केवल B
- A और B दोनों
- न तो A और न ही B
उत्तर: c) A और B दोनों
व्याख्या: जब मानसून सक्रिय होता है, तो यह उत्तरी मैदानी इलाकों में अच्छी बारिश लाता है, और मानसून ट्रफ भी उत्तर की ओर चला जाता है। -
प्रश्न: ‘जल जनित रोग’ (Waterborne Diseases) का उदाहरण निम्नलिखित में से कौन सा है?
- मलेरिया
- डेंगू
- टाइफाइड
- चिकनगुनिया
उत्तर: c) टाइफाइड
व्याख्या: टाइफाइड एक जल जनित रोग है जो दूषित पानी या भोजन से फैलता है। मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: दिल्ली-एनसीआर में हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण जल जमाव और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है। इस घटना के विभिन्न कारणों, प्रभावों (जैसे शहरी नियोजन, अवसंरचना और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर) और इस समस्या के दीर्घकालिक समाधान हेतु सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द)
- प्रश्न: जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के आलोक में, शहरी अवसंरचना को अधिक लचीला (resilient) बनाने की आवश्यकता है। दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश की घटनाओं के उदाहरण का उपयोग करते हुए, ‘हरित अवसंरचना’ (Green Infrastructure) और ‘ग्रे अवसंरचना’ (Grey Infrastructure) के बीच संतुलन स्थापित करने की रणनीतियों पर चर्चा करें। (200 शब्द)
- प्रश्न: अत्यधिक वर्षा की घटनाओं से उत्पन्न स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए एक प्रभावी ‘आपदा प्रबंधन’ (Disaster Management) योजना में किन मुख्य घटकों को शामिल किया जाना चाहिए? दिल्ली-एनसीआर में वर्तमान स्थिति के प्रकाश में व्याख्या करें। (150 शब्द)
- प्रश्न: मानसून की सक्रियता और पश्चिमी विक्षोभ जैसी मौसमी घटनाएं भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम को कैसे प्रभावित करती हैं? दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश के संदर्भ में इनके संयुक्त प्रभाव का विश्लेषण करें। (150 शब्द)