दबाव समूह

 दबाव समूह

2023 NEW SOCIOLOGY – नया समाजशास्त्र
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लोकतांत्रिक राज्यों की कार्य प्रणाली और राजनीतिक व्यवहार के निर्धारण में दबाव समूह अथवा  हित  समूह  की  भूमिका  अत्यंत  महत्वपूर्ण  है।  ये  दोनों  अवधारणाएं  एक  नहीं  हैं  हित  समूह जहाँ अपने सदस्यों के आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक हितों की रक्षा करते है,ं  वहीं पर  दबाव  समूह  दूसरे  समूहों  और  अधिकरणों  के  निर्णयों  को  अपने  राजनीतिकआर्थिक  और सामाजिक दबाव के कारण प्रभावित करने की चेष्टा करते हैं।

दबाव समूह का ध्यान मुख्य रूप से प्रतिकार और प्रतिरोध की दिशा में निर्देशित होता है। दबाव  समूह  समान  आर्थिक  हित  वाले  व्यक्तियों  का  समूह  हैजो  सरकार  के  विभिन्न अंगों-व्यवस्थापिकाप्रशासन  और  न्यायपालिका  के  निर्णयों  तथा  क्रियाओं  को  प्रभावित  करने  की चेष्टा करता है।  भारत में इस  दृष्टि से  अनेक दबाव समूह कार्यरत है।ं

 

इनमें मुख्य उद्योगपतियों, व्यापारियोंश्रमिकोंकिसानोंयुवकों  और  महिलाओं  के  विभिन्न  संगठन  हैं  जो  सरकार  की  कार्य प्रणाली को प्रभावित करने की चेष्टा करते हैं। पिछले कुछ वर्षों से पर्यावरण तथा पारिस्थितिकी से

सम्बन्धित अनेक दबाव समूह कार्यरत हैं जो पर्यावरण की स्वǔछता पर जोर दे रहे हैं और सरकारी नीतियों को इस दिशा में प्रभावित करने की चेष्टा कर रहे हैं।

आर्थिक हितों और लक्ष्यों की भिन्नता के उपरांत भी विभिन्न दबाव समूहों की कार्य प्रणाली में  काफी  समानता  दिखायी  पड़ती  हैै।  प्रायः  सभी  दबाव  समूह  सम्बन्धित  मंत्रालयोंसंसद  सदस्यों आदि  से  भेंटवार्ताविचार  विमर्शपत्र  लेखनस्मरण  पत्रसमाचार  पत्रों  के  संपादक  के  नाम  पत्र आदि के माध्यम से अपने दृष्टि कोण को सरकार, संसद, विधान सभा तथा जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हैं।  चुनावों में दबाव समूहों की  भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है जो दल, पदाधिकारीसांसद उनके दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं, ये दबाव समूह भी उनके विजय की भरपूर चेष्टा करते हैं।

भारतीय परिस्थितियों में दबाव समूह केवल आर्थिक हितों के रक्षक के रूप में ही कार्य नहीं करते  हैं।  इन  समूहों  के  अभ्युदय  में  भाषासंस्कृतिक्षेत्रीयताजातिधर्म  आदि  की  भूमि  का  भी काफी महत्वपूर्ण है।

 

 

 

 

दबाव समूहों का महत्व

 

दबाव समूहों को वर्तमान राजनीतिक प्रक्रियाओं में लाॅबीज़ के प्रचलित नाम से जाना जाता है। इनकी मुख्यतः दो आधारों पर आलोचना की जाती है प्रथम, इससे सदैव ऐसा आभास होता है कि यह समूह निर्णयकारी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए दबाव अथवा अन्य ऐसे तरीके अपनाता है जो कि अनिवार्य रूप में उचित नहीं हैं तथा द्वितीय, इसका प्रयोग अधिकतर हेयता सूचक शब्द के रूप में किया गया है क्योंकि इससे यह भी  आभास होता है कि यह समूह सदैव लुकी-छिपी साजिशों द्वारा सरकार की प्रक्रियाओं को प्रभावित करने का प्रयास करता है। जो कि उचित नहीं है।

 

दबाव समूह सरकारी संस्थाओं की प्रधानता वाले पर्यावरण में क्रियाशील होते हैं, अतः इनके द्वारा अपनाये जाने वाले दाँव-पेंच एंव युक्तियाँ काफी सीमा तक इसी पर्यावरण द्वारा प्रभावित होती हैं।  प्रथमकुछ  समूहों  के  उद्देश्य  प्रभावक  समूहों  के  अनुकूल  हो  सकते  हैंपरन्तु  कुछ  इनके प्रतिकूल भी होते हैं। द्वितीय, निर्णय कर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्थाएं दबाव-समूहों की सक्रियता एवं उद्देश्यों के प्रति सहानुभूतिपरक हो सकती हैं। अथवा इनके प्रति विरोधी अभिवृत्तियों

के कारण इनके विकास को प्रभावित कर सकती है।ं तृतीय, राजनीतिक दल भी दबाव समूहों का

महत्वपूर्ण  पर्यावरण  है।  दुर्बल  राजनीतिक  दल  एवं  दलीय  अनुशासन  का  अभाव  दबाव  समूहों  को

विकसित करने का अवसर प्रदान करते है।ं  जबकि सक्षम एवं मजबूत राजनीतिक दल इनके विकास

में बाधक हैं तथा इन्हें अपने नियंत्रण एवं निर्देशन में लाने का प्रयास करते हैं। दलीय व्यवस्था के

 

स्वरूप एवं दलों की संरचना का भी दबाव समूहों की युक्तियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। चतुर्थ, दबाव  समूहों  का  प्रचालन  व्यक्तियों  तथा  उनकी  राजनीतिक  संस्कृति  द्वारा  भी  प्रभावित  होता  है। उदाहरणार्थ, भारत में राजनीतिक संस्कृति प्रभावक समूहों को प्रादेशिकता के प्रति घृणित बना देती है।

 

फ्रांस के लोग दबाव समूहों द्वारा शांन्तिमय सौदेबाजी की अपेक्षा प्रत्यक्ष सक्रियता एवं ंिहसंशत्मक उपद्रवों में अधिक विश्वास रखते हैं जबकि अमरीका में दबाव समूहों की सक्रियता के प्रति सहिष्णुता की भावनाएं रखते हैं पर्यावरण की वस्तुओं के सन्दर्भ में दबाव समूहों के सामने दो सम्भावनाएं होती हैं:

 

ऽ   पर्यावरण के अनुकूल अपने उद्देश्यों को परिवर्तित कर लेना।

 

ऽ   पर्यावरण को अपने उद्देश्यों के अनुकूल परवर्तित करने का प्रयास करना।

 

 

अन्य  शब्दों  में  दबाव  समूहों  की  युक्तियाँ  समायोजन  अथवा  संघर्ष  की  हो  सकती  हैं  तथा सक्रियता की शैली भी इन्हीं युक्तियों पर निर्भर करती है।

दबाव समूहों का प्राथमिक लक्ष्य अपने हितों के अनुकूल सरकारी निर्णयों को प्रभावित करना होता है। अतः केवल निर्णायकों तक अपनी माँगें पहुँचाना ही पर्याप्त नहीं है अपितु उन्हें प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना अधिक महत्वपूर्ण है। इसके लिए कई बार दबाव समूह जन-अभियोग द्वारा अनुकूल जनमत का निर्माण करने का भी प्रयास करते हैं। जन-अभियान की युक्ति केवल उन्हीं दबाव समूहों द्वारा अपनायी जाती है जिनकी आर्थिक स्थिति काफी अǔछी होती है। क्योंकि जन अभियान के लिए काफी  धन  की  आवश्यकता  पड़ती  है।  इसके  लिए  दबाव  समूह  समाचार  पत्र  में  विज्ञापन  देते  है,ं इश्तिहार एवं पैम्फलेट जारी करने, विचार-गोष्ठियों एवं परिसंवादों का आयोजन करने अथवा फिल्मों

आदि के प्रदर्शनों का आयोजन करने जैसे विविध साधनों का प्रयोग करते है।ं  कई बार दबाव समूह

भौतिक  प्रदर्शन  एवं  हिंसा  की  विधियों  को  भी  अपनाते  हैं।  ये  विधियां  मुख्यतः  अप्रतिमानित  दबाव समूहों द्वारा अपनायी जाती है, परन्तु कुछ परिस्थितियों में सभी प्रकार के समूह इन्हें अपनाते हैं।

 

 

देश के ऐतिहासिक विकास एंव राजनीतिक संस्कृति का भी दबाव समूहों

 

केदांव-पेंचों एवं

युक्तियों पर  महत्वपूर्ण  प्रभाव  पड़ता  है।  कई  बार  इनके  परिणामस्वरूप दबाव-समूह  भौति  प्रदर्शनों

एवं हिंसक उपद्रवों को अपना साधन बना लेते है।ं  पीरू इस प्रकार के देशों का प्रमुख उदाहरण है।

टेªड यूनियनों को इनकी हिसंक संस्कृति के कारण ही शक की निगाहों से देखा जाता है। फ्रांस में भी कृषकों ने कई बार अपनी मागों के समर्थन में हिंसक युक्तियों को अपनाया है। उत्तर आयरलैंड में  धार्मिक  विभाजनों  के  कारण  दबाव  समूहों  के  लिए  किसी  एक  धार्मिक  समूह  से  कटकर  कार्य

 

करना कठिन हो जाता है अतः किसी देश की राजनीतिक संस्कृति दबाव समूहों के दाँव-पेंचोें एवं

युक्तियों के स्वरूप, वेग एवं दिशा को प्रभावित करती है।

कई बार दबाव समूहों एवं निर्णायकों के बीच व्यक्तिगत सम्पर्क भी दबाव समूहों के हितों के अनुकूल नीति का निर्माण करवाने अथवा इसमें परिवर्तन करवाने में सहायक है। इसके लिए दबाव समूह परिवार, स्कूल, स्थानीय एवं सामाजिक सम्बन्धों  का सहारा लेते है।ं

दबाव समूहों द्वारा अपने हितों की प्राप्ति की लिए अपनाई जाने वाली एक अन्य युक्ति शक्ति धारकों में घुसपैठ करना है ताकि केवल बाहर से ही नहीं अपितु अन्दर से भी निर्णयन प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सके। इस युक्ति में प्रमुख लक्ष्य विधान मण्डल अथवा सरकार में अपने सदस्यों को पहुँचाना होता है। विधान मण्डलों में घुसपैठ राजनीतिक दलों के माध्यम से ही सम्भव है। कई बार दबाव समूह चुनाव के समय अपने प्रत्याशी खड़े करते हैं जो कि जीत जाने पर अपने प्रभावक समूह के हितों का ध्यान रखते हैं। सरकार  में घुसपैठ विधान मण्डलांे  में  घुसपैठ से कहीं अधिक प्रभावी है। इसके लिए दबाव समूह अपने सदस्यों को कुछ सरकारी पद प्राप्त करने में सहायता देते हैं। अमरीका में कुछ महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर व्यापारियों के व्यवस्थापकों की नियुक्ति सामान्य सी बात है।

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