तैयारी बूस्टर: समाजशास्त्रीय सवालों का महासंग्राम
नमस्कार, आगामी परीक्षाओं के होनहार विद्यार्थियों! अपनी समाजशास्त्रीय समझ को तीक्ष्ण बनाने और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए। आज का यह दैनिक अभ्यास सत्र आपकी तैयारी को एक नई धार देगा। आइए, इन 25 प्रश्नों के साथ अपने ज्ञान की गहराई को मापें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा का प्रतिपादन किस समाजशास्त्री ने किया?
- एमिल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्टे
- विलियम एफ. ओगबर्न
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: विलियम एफ. ओगबर्न ने “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा पेश की। उनका मानना था कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज) की तुलना में बहुत तेजी से बदलती है, जिससे एक प्रकार का सांस्कृतिक असंतुलन या विलंब उत्पन्न होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने अपनी पुस्तक “सोशल चेंज” (1922) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया। यह दर्शाता है कि कैसे तकनीकी नवाचार अक्सर सामाजिक मानदंडों और मूल्यों को अपनाने में पिछड़ जाते हैं, जिससे सामाजिक तनाव पैदा हो सकता है।
- गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने “एनोमी” (Anomie) और “सामूहिक चेतना” (Collective Consciousness) जैसी अवधारणाएं दीं। ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने “वैज्ञानिक विधि” (Positivism) पर जोर दिया। कार्ल मार्क्स ने “वर्ग संघर्ष” (Class Struggle) और “अलगाव” (Alienation) के सिद्धांत दिए।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा मैक्स वेबर के नौकरशाही (Bureaucracy) के आदर्श-प्रकार (Ideal-type) का हिस्सा नहीं है?
- लिखित नियमों और विनियमों पर आधारित
- स्पष्ट पदानुक्रमित संरचना
- व्यक्तिगत संबंध और पक्षपात
- विशेषज्ञता और श्रम विभाजन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: व्यक्तिगत संबंध और पक्षपात मैक्स वेबर द्वारा वर्णित नौकरशाही के आदर्श-प्रकार का हिस्सा नहीं हैं। वेबर का आदर्श-प्रकार निष्पक्षता, तर्कसंगतता और अवैयक्तिकता पर आधारित है, जहाँ निर्णय नियमों के आधार पर लिए जाते हैं, न कि व्यक्तिगत संबंधों के कारण।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही को तर्कसंगत-वैधानिक अधिकार (Rational-Legal Authority) के सबसे कुशल रूप के रूप में देखा, जो तर्कसंगतता, दक्षता और पूर्वानुमेयता सुनिश्चित करता है। उन्होंने इसे “लोहे का पिंजरा” (Iron Cage) बनने की क्षमता के रूप में भी चेतावनी दी।
- गलत विकल्प: लिखित नियम, पदानुक्रमित संरचना और विशेषज्ञता वेबर के नौकरशाही के आदर्श-प्रकार के प्रमुख तत्व हैं, जो इसे आधुनिक समाजों में एक प्रभावी संगठन बनाते हैं।
प्रश्न 3: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) के अध्ययन में, “विशेषाधिकार” (Privilege) का क्या अर्थ है?
- एक व्यक्ति की किसी विशेष समूह का सदस्य होने के कारण सामाजिक लाभों तक पहुँच।
- किसी विशेष जाति से उत्पन्न होने के कारण प्राप्त होने वाली स्वाभाविक श्रेष्ठता।
- सभी व्यक्तियों के लिए समान अवसर और पहुँच।
- गरीबी या वंचना की स्थिति।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: “विशेषाधिकार” का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह का किसी विशेष सामाजिक स्थिति, जाति, वर्ग या लिंग से संबंधित होने के कारण अनौपचारिक या औपचारिक लाभों, अवसरों और सुविधाओं तक स्वचालित पहुँच होना। यह अक्सर उन लाभों को संदर्भित करता है जो अन्य समूहों के पास नहीं हो सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण के सिद्धांतों, जैसे कि संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) में, विशेषाधिकारों का अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि ये शक्ति असंतुलन और असमानताओं को बनाए रखते हैं। यह अक्सर अदृश्य होता है जब तक कि इसकी तुलना उन लोगों से न की जाए जिनके पास यह नहीं है।
- गलत विकल्प: (b) श्रेष्ठता एक सामाजिक निर्माण है, विशेषाधिकार नहीं। (c) समान अवसर स्तरीकरण के विपरीत है। (d) गरीबी या वंचना विशेषाधिकारों की कमी को दर्शाती है।
प्रश्न 4: जी. एच. मीड (G. H. Mead) के अनुसार, “स्व” (Self) का विकास किस प्रक्रिया से गुजरता है?
- केवल आनुवंशिकता के माध्यम से।
- खेल (Play) और सामान्यीकृत अन्य (Generalized Other) की अवस्थाओं से।
- समाज से पूरी तरह से अलगाव द्वारा।
- आर्थिक विशेषाधिकारों के माध्यम से।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जी. एच. मीड, एक प्रतीकात्मक अंतःक्रियावादी (Symbolic Interactionist), के अनुसार, “स्व” (Self) का विकास सामाजिक अंतःक्रिया का परिणाम है, विशेष रूप से दो महत्वपूर्ण अवस्थाओं के माध्यम से: खेल (Play) अवस्था, जहाँ बच्चा दूसरों की भूमिकाएँ लेना सीखता है, और सामान्यीकृत अन्य (Generalized Other) अवस्था, जहाँ बच्चा समाज के दृष्टिकोण या अपेक्षाओं को आत्मसात करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड की पुस्तक “माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी” (Mind, Self and Society) में, उन्होंने तर्क दिया कि “स्व” एक जन्मजात विशेषता नहीं है, बल्कि समाज के भीतर अंतःक्रिया के माध्यम से निर्मित होता है। “मैं” (I) तात्कालिक प्रतिक्रिया है, और “मी” (Me) सामाजिक अपेक्षाओं से बनता है।
- गलत विकल्प: (a) केवल आनुवंशिकता सामाजिक विकास को स्पष्ट नहीं करती। (c) समाज से अलगाव “स्व” के विकास को रोकता है। (d) आर्थिक विशेषाधिकार “स्व” के विकास का प्रत्यक्ष कारण नहीं हैं।
प्रश्न 5: भारतीय समाज में “जाति व्यवस्था” (Caste System) की एक प्रमुख विशेषता क्या है?
- खुलापन और सामाजिक गतिशीलता
- अंतर्विवाह (Endogamy) और वंशानुक्रम
- व्यवसाय का पूर्ण चुनाव
- अंतर-जातीय भोजन (Inter-dining) की स्वतंत्रता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय जाति व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं में से एक अंतर्विवाह (एक ही जाति के भीतर विवाह) और कठोर वंशानुक्रम (जन्म से तय होने वाली जाति) है। यह जाति की पहचान को बनाए रखता है और विभिन्न जातियों के बीच अलगाव पैदा करता है।
- संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास, इरावती कर्वे और अन्य समाजशास्त्रियों ने भारतीय जाति व्यवस्था के अध्ययन में इन विशेषताओं पर प्रकाश डाला है। अंतर्विवाह समूह की पहचान को मजबूत करता है, जबकि वंशानुक्रम सामाजिक स्थिति को पीढ़ी दर पीढ़ी स्थिर रखता है।
- गलत विकल्प: जाति व्यवस्था अपनी कठोरता के लिए जानी जाती है, न कि खुलेपन या सामाजिक गतिशीलता के लिए। व्यवसाय का चुनाव और अंतर-जातीय भोजन अक्सर प्रतिबंधित होते थे।
प्रश्न 6: “एनोमी” (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के क्षरण या अनुपस्थिति को दर्शाती है, का संबंध किस समाजशास्त्री से है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- टेल्कॉट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: “एनोमी” (Anomie) की अवधारणा एमिल दुर्खीम द्वारा विकसित की गई थी। इसका अर्थ एक ऐसी स्थिति है जहाँ सामाजिक नियम या तो कमजोर हो जाते हैं या पूरी तरह से अनुपस्थित हो जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी” (The Division of Labor in Society) और “सुसाइड” (Suicide) में एनोमी की अवधारणा का उपयोग सामाजिक विघटन और व्यक्तिगत संकटों को समझाने के लिए किया। तीव्र सामाजिक परिवर्तन या संकट के समय यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा पर जोर दिया। मैक्स वेबर ने “तर्कसंगतता” (Rationality) और “नोकरशाही” (Bureaucracy) पर काम किया। टेल्कॉट पार्सन्स ने “सामाजिक व्यवस्था” (Social System) और “कार्यात्मकता” (Functionalism) पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 7: सामाजिक अनुसंधान में “पोषक अवलोकन” (Participant Observation) विधि का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- अध्ययन किए जा रहे समूह के जीवन में भाग लेकर उनकी संस्कृति और व्यवहार को गहराई से समझना।
- केवल बाहरी दृष्टिकोण से आँकड़े एकत्र करना।
- बड़े पैमाने पर प्रश्नावली वितरित करना।
- पूर्व-निर्धारित परिकल्पनाओं का परीक्षण करना।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: पोषक अवलोकन विधि में शोधकर्ता अध्ययन किए जा रहे समूह के दैनिक जीवन में सक्रिय रूप से भाग लेता है, उनकी गतिविधियों, बातचीत और दृष्टिकोणों को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करता है। इसका मुख्य उद्देश्य उस समूह के सामाजिक जीवन, संस्कृति और व्यवहार की गहन, अंतर्दृष्टिपूर्ण समझ प्राप्त करना है।
- संदर्भ और विस्तार: यह गुणात्मक अनुसंधान (Qualitative Research) की एक प्रमुख विधि है, जिसका उपयोग नृवंशविज्ञान (Ethnography) और मानवशास्त्र (Anthropology) में अक्सर किया जाता है। यह शोधकर्ताओं को ऐसे पहलुओं को समझने में मदद करती है जो केवल बाहरी अवलोकन से प्राप्त नहीं हो सकते।
- गलत विकल्प: (b) बाहरी अवलोकन इसके विपरीत है। (c) प्रश्नावली मात्रात्मक विधि है। (d) जबकि कुछ परिकल्पनाएँ विकसित हो सकती हैं, यह विधि मुख्य रूप से अन्वेषण (Exploration) और गहन समझ पर केंद्रित है।
प्रश्न 8: “आधुनिकीकरण” (Modernization) सिद्धांत के अनुसार, पारंपरिक समाजों की प्रमुख विशेषताएँ क्या मानी जाती हैं?
- उच्च स्तर की औद्योगीकरण और शहरीकरण
- तर्कसंगतता, व्यक्तिवाद और तकनीकी विकास
- धार्मिकता, ग्राम-केंद्रितता और वंशानुगत सामाजिक संरचना
- उच्च साक्षरता दर और सूचना तक व्यापक पहुँच
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आधुनिकीकरण सिद्धांत (Modernization Theory) पारंपरिक समाजों को ऐसे समाज के रूप में देखता है जो धार्मिक विश्वासों, ग्राम-आधारित जीवन शैली, विस्तृत पारिवारिक संरचनाओं और वंशानुगत या जन्म-आधारित सामाजिक पदानुक्रमों पर अधिक निर्भर करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत बताता है कि कैसे समाज पारंपरिक अवस्थाओं से औद्योगिक, शहरी और व्यक्तिवादी अवस्थाओं की ओर बढ़ते हैं। पारंपरिक समाज अक्सर सामुदायिक संबंधों, परंपराओं और धार्मिक अनुष्ठानों को महत्व देते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) आधुनिक या विकसित समाजों की विशेषताएँ हैं, न कि पारंपरिक समाजों की, जैसा कि आधुनिकीकरण सिद्धांत में परिभाषित किया गया है।
प्रश्न 9: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय ग्रामीण समाज के अध्ययन में “सभ्यजनीकरण” (Sanskritization) की प्रक्रिया का वर्णन किया है। इसका क्या अर्थ है?
- उच्च जाति के रीति-रिवाजों और प्रथाओं को निम्न जाति द्वारा अपनाना।
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण।
- शहरी जीवन शैली का अनुकरण।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाना।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सभ्यजनीकरण (Sanskritization) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न या मध्य-स्तरीय जातियाँ (tribes) उच्च (आमतौर पर द्विज) जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, देवों और विचारधाराओं को अपनाती हैं ताकि वे जाति पदानुक्रम में अपनी सामाजिक स्थिति को बढ़ा सकें।
- संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में यह अवधारणा पेश की। यह सामाजिक और सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, लेकिन यह संरचनात्मक गतिशीलता (Structural Mobility) के बजाय एक पद के भीतर होने वाली गतिशीलता को अधिक दर्शाता है।
- गलत विकल्प: (b) और (c) क्रमशः पश्चिमीकरण (Westernization) और शहरीकरण (Urbanization) की प्रक्रियाएँ हैं। (d) तकनीकी विकास आधुनिकीकरण का हिस्सा है।
प्रश्न 10: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का मुख्य केंद्र बिंदु क्या है?
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाएँ और संस्थाएँ।
- व्यक्तियों के बीच दैनिक अंतःक्रियाओं में प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से अर्थों का निर्माण।
- आर्थिक उत्पादन और वर्ग संघर्ष।
- सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने वाली संस्थाओं के कार्य।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद समाजशास्त्र का एक सूक्ष्म-स्तरीय (Micro-level) परिप्रेक्ष्य है जो इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि कैसे व्यक्ति अपनी अंतःक्रियाओं में प्रतीकों (जैसे भाषा, संकेत, हावभाव) का उपयोग करके अर्थों का निर्माण और व्याख्या करते हैं। यह बताता है कि कैसे समाज प्रतीकों के साझा अर्थों पर आधारित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन इस दृष्टिकोण के प्रमुख विचारक हैं। यह मानता है कि वास्तविकता व्यक्तियों द्वारा सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से निर्मित होती है।
- गलत विकल्प: (a) और (d) मैक्रो-स्तरीय (Macro-level) दृष्टिकोणों (जैसे संरचनात्मक कार्यात्मकता) से संबंधित हैं। (c) कार्ल मार्क्स के संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) से संबंधित है।
प्रश्न 11: “सामाजिक संरचना” (Social Structure) का तात्पर्य मुख्य रूप से किससे है?
- व्यक्तियों के बीच अस्थायी संबंध।
- समाज के भीतर स्थिर, स्थायी पैटर्न जो लोगों के व्यवहार और अंतःक्रियाओं को आकार देते हैं (जैसे वर्ग, संस्थाएँ, रिश्ते)।
- सामाजिक परिवर्तन की गति।
- व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक अवस्थाएँ।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक संरचना समाज के भीतर अंतर्निहित, स्थायी पैटर्न को संदर्भित करती है जो लोगों के सामाजिक जीवन को व्यवस्थित और निर्देशित करते हैं। इसमें सामाजिक संस्थाएं (जैसे परिवार, शिक्षा), सामाजिक वर्ग, स्थिति (Status) और भूमिकाएं (Roles) शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संरचनात्मक कार्यात्मकता (Structural Functionalism) और संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) जैसे मैक्रो-स्तरीय दृष्टिकोण सामाजिक संरचना के महत्व पर जोर देते हैं। यह समाज को व्यक्तियों के योग से अधिक कुछ मानती है।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक संरचना अस्थायी नहीं, बल्कि स्थायी होती है। (c) सामाजिक परिवर्तन संरचना का परिणाम हो सकता है, लेकिन संरचना स्वयं परिवर्तन की गति नहीं है। (d) व्यक्तिगत मनोविज्ञान संरचना का हिस्सा नहीं है, बल्कि संरचना से प्रभावित होता है।
प्रश्न 12: “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के संदर्भ में, किस समाजशास्त्री की देन है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्टे
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा का गहन विश्लेषण किया, खासकर पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिकों के संदर्भ में। उनका मानना था कि पूंजीवाद श्रमिकों को उनके श्रम, उत्पाद, स्वयं से और अन्य मनुष्यों से अलग करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने अपनी रचना “इकॉनॉमिक एंड फिलोसॉफिकल मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844” (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में अलगाव के चार मुख्य रूपों का वर्णन किया: उत्पादन के उत्पाद से अलगाव, श्रम की क्रिया से अलगाव, प्रजाति-सार (species-being) से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने एनोमी, वेबर ने तर्कसंगतता और कॉम्टे ने वैज्ञानिक विधि पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 13: “प्रकार्यवाद” (Functionalism) समाजशास्त्र में किस दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है?
- समाज को विभिन्न परस्पर संबंधित भागों से बना एक जटिल तंत्र के रूप में देखता है, जहाँ प्रत्येक भाग समाज के संतुलन और स्थिरता में योगदान देता है।
- समाज में शक्ति, संघर्ष और असमानता पर जोर देता है।
- सामाजिक व्यवहार को प्रतीकों और अर्थों की व्याख्या पर केंद्रित करता है।
- व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक और प्रेरणाओं का अध्ययन करता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रकार्यवाद (Functionalism), जिसे संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) भी कहा जाता है, समाज को एक जैविक जीव की तरह देखता है। इसके अनुसार, समाज के विभिन्न सामाजिक संस्थान (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) विशिष्ट कार्य (Functions) करते हैं जो समग्र समाज की स्थिरता, व्यवस्था और उत्तरजीविता बनाए रखने में योगदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम, हर्बर्ट स्पेंसर और टेल्कॉट पार्सन्स इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक हैं। यह समाज में व्यवस्था और सामंजस्य (Cohesion) पर जोर देता है।
- गलत विकल्प: (b) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) का मुख्य केंद्र है। (c) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) का मुख्य केंद्र है। (d) मनोविज्ञान या सामाजिक मनोविज्ञान का क्षेत्र है।
प्रश्न 14: भारत में “tribal Communities” (जनजातीय समुदाय) की पहचान के लिए सामान्यतः निम्नलिखित में से कौन सा मापदंड प्रयोग किया जाता है?
- उच्च आर्थिक आय।
- संविधान में सूचीबद्ध होना और उनकी विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव और पिछड़ेपन की सामान्य भावना।
- शहरी क्षेत्रों में प्रमुखता से निवास।
- उच्च स्तर की साक्षरता।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय संदर्भ में, अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) की पहचान के लिए सरकार द्वारा कुछ विशिष्ट मापदंड निर्धारित किए गए हैं, जिनमें आदिम लक्षण (Primitive traits), विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव, बड़े पैमाने पर संपर्क की कमी और पिछड़ापन (Backwardness) शामिल हैं। संविधान में उनकी सूचीकरण एक महत्वपूर्ण औपचारिक मापदंड है।
- संदर्भ और विस्तार: विभिन्न समाजशास्त्रियों और मानवशास्त्रियों ने जनजातीय समुदायों के अध्ययन में इन लक्षणों पर चर्चा की है। इन समुदायों को अक्सर मुख्यधारा के समाज से अलग-थलग और अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने वाले के रूप में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) जनजातीय समुदायों की पहचान के लिए मापदंड नहीं हैं, बल्कि अक्सर उनकी स्थिति के विपरीत होते हैं।
प्रश्न 15: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) का अर्थ क्या है?
- समाज की आर्थिक वृद्धि की दर।
- लोगों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर ऊपर या नीचे की ओर संचलन।
- सामाजिक संस्थानों में होने वाले परिवर्तन।
- व्यक्तिगत आकांक्षाओं का विकास।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य किसी व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन से है। यह ऊर्ध्वाधर (Vertical) हो सकती है (ऊपर या नीचे की ओर, जैसे गरीबी से अमीरी या इसके विपरीत) या क्षैतिज (Horizontal) (एक स्थिति से दूसरी समान स्थिति में, जैसे एक शिक्षक का दूसरे स्कूल में शिक्षक बनना)।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के अध्ययन में यह एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह बताता है कि समाज में अवसर कितने खुले या बंद हैं।
- गलत विकल्प: (a) आर्थिक वृद्धि का संबंध है, लेकिन यह सीधे सामाजिक गतिशीलता नहीं है। (c) सामाजिक संस्थानों में परिवर्तन संरचनात्मक परिवर्तन है। (d) व्यक्तिगत आकांक्षाएँ गतिशीलता को प्रेरित कर सकती हैं, लेकिन स्वयं गतिशीलता नहीं हैं।
प्रश्न 16: “ज्ञान का समाजशास्त्र” (Sociology of Knowledge) का मुख्य सरोकार क्या है?
- लोगों के व्यवहार की मनोवैज्ञानिक प्रेरणाओं को समझना।
- समाज में ज्ञान का निर्माण, प्रसार और प्रभाव का अध्ययन करना।
- प्राकृतिक विज्ञानों की विधियों का समाजशास्त्र में अनुप्रयोग।
- सांस्कृतिक प्रतीकों की व्याख्या।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ज्ञान का समाजशास्त्र (Sociology of Knowledge) इस बात का अध्ययन करता है कि सामाजिक स्थितियाँ, संरचनाएँ और संस्थाएँ हमारे ज्ञान को कैसे प्रभावित करती हैं, और इसके विपरीत, ज्ञान सामाजिक संरचनाओं को कैसे प्रभावित करता है। यह इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि ज्ञान कैसे निर्मित होता है, कौन से विचार ‘सत्य’ माने जाते हैं, और यह ज्ञान सामाजिक शक्ति से कैसे जुड़ा है।
- संदर्भ और विस्तार: कार्ल मैनहेम (Karl Mannheim) इस क्षेत्र के प्रमुख विचारक हैं, जिन्होंने “Ideology and Utopia” में इस पर विस्तार से लिखा। यह मानता है कि ज्ञान सामाजिक रूप से निर्मित (Socially Constructed) होता है।
- गलत विकल्प: (a) मनोविज्ञान से संबंधित है। (c) प्रत्यक्षवाद (Positivism) का दृष्टिकोण है। (d) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद या व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) से अधिक संबंधित है।
प्रश्न 17: “शहरीकरण” (Urbanization) की प्रक्रिया के संदर्भ में, “समाज-से-समुदाय” (Society-to-Community) संक्रमण का क्या अर्थ है?
- ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर लोगों का पलायन।
- शहरों में घनिष्ठ, अंतरंग और स्थायी संबंधों का विकास।
- शहरों में व्यक्तियों का सामाजिक अलगाव और अनाम (Anonymous) हो जाना, व्यक्तिगत संबंधों के स्थान पर औपचारिक और अवैयक्तिक संबंध।
- शहरी जीवन शैली का ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: फर्डीनेंड टोनीज़ (Ferdinand Tönnies) ने “गेमिन्शाफ्ट” (Gemeinschaft – समुदाय) और “गेसेलशाफ्ट” (Gesellschaft – समाज) के बीच अंतर किया। शहरीकरण की प्रक्रिया में, शहरों में अक्सर गेसेलशाफ्ट की विशेषताएँ देखी जाती हैं: व्यक्तिगत, अनाम, और अवैयक्तिक संबंध, जहाँ लोग अपने हितों से प्रेरित होते हैं। यह “समाज-से-समुदाय” संक्रमण के बजाय “समुदाय-से-समाज” संक्रमण को दर्शाता है, जहाँ घनिष्ठ समुदाय के बंधन कमजोर पड़ जाते हैं। प्रश्न के वाक्य-विन्यास में एक संभावित भ्रम है, लेकिन सामान्यतः यह शहरीकरण के कारण होने वाले अलगाव और अवैयक्तिकता का वर्णन करता है। अगर प्रश्न का भाव ‘शहरीकरण से समुदायिक भावना का क्षरण’ है, तो (c) सही है। (कृपया ध्यान दें, अक्सर शहरीकरण को ‘समुदाय-से-समाज’ या Gemeinschaft से Gesellschaft के संक्रमण के रूप में देखा जाता है। यदि प्रश्न का तात्पर्य है कि ‘समाज’ (Gesellschaft) में ‘समुदाय’ (Gemeinschaft) की भावना खत्म हो जाती है, तो (c) सही है)।
- संदर्भ और विस्तार: टोनीज़ के अनुसार, पारंपरिक समुदाय (Gemeinschaft) घनिष्ठ, पारिवारिक और सामुदायिक संबंधों पर आधारित थे, जबकि आधुनिक समाज (Gesellschaft) व्यक्तिगत हितों, अनुबंधों और अवैयक्तिक संबंधों पर आधारित होता है। शहरीकरण इस बदलाव का एक प्रमुख चालक है।
- गलत विकल्प: (a) यह शहरीकरण का कारण है, परिणाम नहीं। (b) यह गेमिन्शाफ्ट (समुदाय) की विशेषता है, न कि शहरीकरण का सामान्य परिणाम। (d) यह शहरीकरण के विपरीत है।
प्रश्न 18: “संरचनात्मक-कार्यात्मक विश्लेषण” (Structural-Functional Analysis) में, “प्रकट कार्य” (Manifest Function) का क्या अर्थ है?
- किसी सामाजिक घटना के अवांछित या अनपेक्षित परिणाम।
- किसी सामाजिक पैटर्न या संस्था के उद्देश्यपूर्ण, मान्यता प्राप्त और इच्छित परिणाम।
- समाज में विघटनकारी या नकारात्मक परिणाम।
- समाज के सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाएँ।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट के. मर्टन (Robert K. Merton) ने प्रकट कार्य (Manifest Function) और अप्रकट कार्य (Latent Function) के बीच अंतर किया। प्रकट कार्य किसी सामाजिक संस्था या गतिविधि के स्पष्ट, इच्छित और पहचाने जाने योग्य परिणाम होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, किसी विश्वविद्यालय का प्रकट कार्य छात्रों को शिक्षा प्रदान करना और उन्हें समाज में योगदान के लिए तैयार करना है। अप्रकट कार्य वे अनपेक्षित परिणाम होते हैं, जैसे कि साथियों का एक सामाजिक नेटवर्क बनाना या विशेष शौक विकसित करना।
- गलत विकल्प: (a) अप्रकट कार्य (Latent Function) का वर्णन करता है। (c) समाजशास्त्रीय विघटन (Dysfunction) का वर्णन करता है। (d) यह सूक्ष्म-स्तरीय दृष्टिकोण है।
प्रश्न 19: भारत में “कृषि संकट” (Agrarian Crisis) के प्रमुख सामाजिक कारणों में से कौन सा एक है?
- किसानों का अत्यधिक धनी होना।
- कृषि भूमि का बढ़ता भू-अभिग्रहण (Land Acquisition) और विखंडन।
- कृषि में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी।
- सरकारी नीतियां जो किसानों के पक्ष में हों।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारत में कृषि संकट के कई सामाजिक कारणों में से एक महत्वपूर्ण कारण कृषि भूमि का बढ़ता भू-अभिग्रहण (जैसे औद्योगिकीकरण, शहरीकरण के लिए) और भूमि का विखंडन (विरासत के कारण छोटे-छोटे टुकड़ों में बँटना) है। इससे छोटे किसानों की आर्थिक व्यवहार्यता कम हो जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: भू-अभिग्रहण अक्सर विस्थापन और आजीविका के नुकसान का कारण बनता है। भूमि का विखंडन बड़े पैमाने की खेती को मुश्किल बनाता है, जिससे उत्पादकता और लाभप्रदता कम हो जाती है। यह सामाजिक असमानताओं को भी बढ़ाता है।
- गलत विकल्प: (a) किसानों का धनी होना संकट का कारण नहीं है। (c) महिलाओं की भागीदारी अक्सर आजीविका बनाए रखने में मदद करती है। (d) सरकारी नीतियां अक्सर संकट का हिस्सा होती हैं, लेकिन यह विकल्प बताता है कि नीतियां किसानों के पक्ष में हैं, जो गलत हो सकता है।
प्रश्न 20: “सामाजिक न्याय” (Social Justice) की अवधारणा मुख्य रूप से किस पर जोर देती है?
- व्यक्तिगत उपलब्धि और मेरिट।
- समाज के सभी सदस्यों के लिए समान अवसर, निष्पक्ष वितरण और अधिकारों की सुरक्षा।
- राज्य द्वारा पूर्ण नियंत्रण और हस्तक्षेप।
- पारंपरिक सामाजिक पदानुक्रमों का संरक्षण।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक न्याय का अर्थ है समाज के सभी सदस्यों के लिए निष्पक्षता, समानता और न्याय सुनिश्चित करना। इसमें संसाधनों, अवसरों और विशेषाधिकारों का समान वितरण, तथा सभी को उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों की गारंटी देना शामिल है, विशेषकर उन वंचित या हाशिए पर पड़े समूहों के लिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा अक्सर सामाजिक समावेशन (Social Inclusion), समानता (Equality) और मानवाधिकारों (Human Rights) से जुड़ी होती है। यह असमानताओं को दूर करने और वंचितों को सशक्त बनाने पर केंद्रित है।
- गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत मेरिट महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन यह सामाजिक न्याय का एकमात्र आधार नहीं है। (c) राज्य का हस्तक्षेप आवश्यक हो सकता है, लेकिन पूर्ण नियंत्रण अक्सर न्याय के विपरीत होता है। (d) पारंपरिक पदानुक्रम अक्सर अन्याय और असमानता को बनाए रखते हैं।
प्रश्न 21: “लिंग” (Gender) के समाजशास्त्रीय अध्ययन में, “लिंग” (Gender) को क्या माना जाता है?
- एक विशुद्ध रूप से जैविक निर्धारण (Biological Determinant)।
- एक सामाजिक और सांस्कृतिक निर्माण (Social and Cultural Construct) जो समाज द्वारा पुरुषों और महिलाओं से जुड़ी अपेक्षाओं, भूमिकाओं और व्यवहारों को परिभाषित करता है।
- केवल व्यक्तिगत पहचान।
- जनसंख्या आँकड़ों का एक तत्व।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: समाजशास्त्र में, “लिंग” (Gender) को “सेक्स” (Sex) से अलग माना जाता है। “सेक्स” जैविक अंतरों (जैसे शारीरिक संरचना) को संदर्भित करता है, जबकि “लिंग” (Gender) वह सामाजिक और सांस्कृतिक निर्माण है जो समाज पुरुषों और महिलाओं से क्या उम्मीद करता है, इसे परिभाषित करता है। यह सीखा हुआ व्यवहार और पहचान है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा लैंगिक असमानता (Gender Inequality), लैंगिक भूमिकाओं (Gender Roles) और पितृसत्ता (Patriarchy) जैसे मुद्दों को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: (a) सेक्स (Sex) जैविक है, जेंडर (Gender) नहीं। (c) यह व्यक्तिगत पहचान से परे एक व्यापक सामाजिक घटना है। (d) यह जनसंख्या आँकड़ों का एक महत्वपूर्ण आयाम है, लेकिन यह इसकी संपूर्ण परिभाषा नहीं है।
प्रश्न 22: “अति-नगरीकरण” (Over-urbanization) की समस्या का क्या तात्पर्य है?
- सभी शहरों में उच्च घनत्व।
- शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का तीव्र और अनियंत्रित प्रवाह, जो उपलब्ध संसाधनों और बुनियादी ढांचे पर अत्यधिक दबाव डालता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या का बढ़ना।
- शहरी क्षेत्रों का विस्तार।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: अति-नगरीकरण तब होता है जब किसी शहर या क्षेत्र की जनसंख्या उसकी आर्थिक क्षमता, आवास, स्वच्छता, परिवहन और अन्य आवश्यक सेवाओं को प्रदान करने की क्षमता से कहीं अधिक तेजी से बढ़ती है। यह अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर पलायन के कारण होता है।
- संदर्भ और विस्तार: इससे मलिन बस्तियों का विकास, बेरोजगारी, प्रदूषण, अपराध में वृद्धि और सार्वजनिक सेवाओं पर अत्यधिक बोझ जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह अविकसित या विकासशील देशों के शहरों में एक आम समस्या है।
- गलत विकल्प: (a) उच्च घनत्व अति-नगरीकरण का एक परिणाम हो सकता है, लेकिन यह स्वयं अति-नगरीकरण नहीं है। (c) यह ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित है। (d) शहरी विस्तार (Urban sprawl) एक अलग अवधारणा है।
प्रश्न 23: “वर्ग चेतना” (Class Consciousness) की अवधारणा, जो सामाजिक वर्ग के सदस्यों में अपने वर्ग की स्थिति और साझा हितों के प्रति जागरूकता को दर्शाती है, किससे जुड़ी है?
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: वर्ग चेतना (Class Consciousness) की अवधारणा कार्ल मार्क्स के सामाजिक और आर्थिक विश्लेषण का एक केंद्रीय तत्व है। उनका मानना था कि पूंजीवादी व्यवस्था में, सर्वहारा वर्ग (Proletariat) को अंततः अपनी शोषणकारी स्थिति के प्रति जागरूक होना चाहिए और अपने वर्ग के रूप में संगठित होकर क्रांति करनी चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने “वर्ग-इन-इटसेल्फ” (Class-in-itself – केवल आर्थिक स्थिति के आधार पर एक वर्ग) और “वर्ग-फॉर-इटसेल्फ” (Class-for-itself – अपने हितों के प्रति जागरूक वर्ग) के बीच अंतर किया। वर्ग चेतना “वर्ग-फॉर-इटसेल्फ” का निर्माण करती है।
- गलत विकल्प: मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं। दुर्खीम ने एनोमी पर काम किया। वेबर ने सामाजिक स्तरीकरण में वर्ग, दर्जा (Status) और शक्ति (Party) पर जोर दिया, जो मार्क्स के दृष्टिकोण से थोड़ा भिन्न था।
प्रश्न 24: “सांस्कृतिक सापेक्षवाद” (Cultural Relativism) का क्या अर्थ है?
- यह मानना कि एक संस्कृति के मूल्य और मानदंड दूसरे से बेहतर हैं।
- किसी संस्कृति को उसके अपने संदर्भ और मानकों के भीतर समझना और उसका मूल्यांकन करना, न कि अपनी संस्कृति के मानकों से।
- सभी संस्कृतियों का एक ही तरह से विकास होता है।
- सांस्कृतिक मूल्यों का कोई महत्व नहीं होता।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सांस्कृतिक सापेक्षवाद वह सिद्धांत है जो कहता है कि किसी व्यक्ति के विश्वासों, मूल्यों और प्रथाओं को उस व्यक्ति की अपनी संस्कृति के संदर्भ में समझा और उसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए। यह आत्म-केन्द्रीवाद (Ethnocentrism) के विपरीत है, जहाँ व्यक्ति अपनी संस्कृति को श्रेष्ठ मानता है।
- संदर्भ और विस्तार: मानवशास्त्री और समाजशास्त्री इसका उपयोग विभिन्न संस्कृतियों को अधिक निष्पक्ष रूप से समझने के लिए करते हैं, यह स्वीकार करते हुए कि विभिन्न संस्कृतियों के अपने तर्क और औचित्य होते हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह आत्म-केन्द्रीवाद (Ethnocentrism) है। (c) यह एक सार्वभौमिक सिद्धांत (Unilinear Evolutionism) का विचार है। (d) यह सांस्कृतिक सापेक्षवाद का विरोधी है।
प्रश्न 25: “शिक्षा का समाजशास्त्र” (Sociology of Education) मुख्य रूप से क्या अध्ययन करता है?
- शिक्षा के व्यक्तिगत सीखने के तरीके।
- शिक्षा प्रणाली और समाज के बीच संबंध, तथा शिक्षा समाज को कैसे प्रभावित करती है और कैसे समाज शिक्षा को आकार देता है।
- शैक्षिक मनोविज्ञान के सिद्धांत।
- शिक्षा प्रशासकों के प्रबंधन कौशल।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: शिक्षा का समाजशास्त्र एक उप-क्षेत्र है जो समाज में शिक्षा की भूमिका, शिक्षा प्रणाली की संरचना और कार्यप्रणाली, तथा सामाजिक असमानताओं (जैसे वर्ग, जाति, लिंग) के शिक्षा पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करता है। यह इस बात की भी जांच करता है कि शिक्षा सामाजिकरण (Socialization), सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) और सामाजिक परिवर्तन (Social Change) में कैसे योगदान करती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण एमिल दुर्खीम, मैक्स वेबर और कार्ल मार्क्स जैसे प्रमुख समाजशास्त्रियों के विचारों पर आधारित है, जिन्होंने शिक्षा की भूमिका का विश्लेषण किया।
- गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत सीखने के तरीके शैक्षिक मनोविज्ञान का क्षेत्र हैं। (c) शैक्षिक मनोविज्ञान का क्षेत्र है। (d) यह शिक्षा प्रशासन (Educational Administration) का क्षेत्र है।
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