तेजस्वी यादव का ‘वोटर लिस्ट’ पर वार: बिहार चुनाव की नई धुरी?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** बिहार के राजनीतिक गलियारे में इन दिनों एक नया बवंडर उठा है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने हाल ही में मतदाता सूची में अपना नाम न होने का आरोप लगाकर भारतीय चुनाव आयोग (ECI) पर तीखे सवाल उठाए हैं। उनका यह बयान, खासकर बिहार में आगामी चुनावों को देखते हुए, राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हो गया है और इसने निर्वाचन प्रक्रिया की निष्पक्षता और सुचारू संचालन पर एक गंभीर बहस छेड़ दी है। यह मुद्दा न केवल बिहार के चुनावी परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है, बल्कि पूरे देश में मतदाता सूची की सटीकता और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी प्रकाश डालता है।
मामले की जड़ क्या है? (What is the Root of the Matter?):** तेजस्वी यादव का मुख्य आरोप यह है कि उनका नाम बिहार की वर्तमान मतदाता सूची में मौजूद नहीं है। यह एक ऐसा आरोप है जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता, खासकर तब जब यह एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती द्वारा लगाया गया हो। यदि यह सच है, तो यह दर्शाता है कि मतदाता सूची को अद्यतन करने की प्रक्रिया में गंभीर खामियां हो सकती हैं। यादव का यह बयान सीधे तौर पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 से जुड़ा है, जो भारत के नागरिकों को, जो 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं, मतदाता के रूप में पंजीकृत होने और मतदान करने का अधिकार देता है। यह अधिकार मतदाता सूची में नाम होने पर ही संभव है।
तेजस्वी यादव का पक्ष (Tejashwi Yadav’s Stance):**
- व्यक्तिगत अनुभव: तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि जब उन्होंने मतदाता सूची की जांच की, तो पाया कि उनका नाम उसमें नहीं था। यह उनके चुनावी अधिकारों पर सीधा हमला है।
- चुनावी प्रक्रिया पर सवाल: उन्होंने इस मुद्दे को उठाते हुए चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। उनका मानना है कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पात्र नागरिकों के नाम मतदाता सूची में हों और किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि को इस तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।
- राजनीतिक साजिश का शक: यादव ने यह भी संकेत दिया है कि यह किसी बड़ी राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य उनके या उनके समर्थकों के मताधिकार को छीनना हो। यह उनके समर्थकों में असंतोष और आयोग के प्रति अविश्वास पैदा कर सकता है।
- आयोग से स्पष्टीकरण की मांग: उन्होंने चुनाव आयोग से इस मामले पर तत्काल स्पष्टीकरण और समाधान की मांग की है।
चुनाव आयोग की भूमिका और प्रतिक्रिया (Role and Response of the Election Commission):
भारतीय चुनाव आयोग (ECI) भारत के संविधान द्वारा स्थापित एक स्वायत्त निकाय है, जिसकी मुख्य जिम्मेदारी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है। मतदाता सूची की तैयारी और अद्यतन इसकी प्राथमिक भूमिकाओं में से एक है।
- संविधानिक दायित्व: संविधान का अनुच्छेद 324, चुनाव आयोग को संसद और राज्यों के विधानमंडलों के लिए चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण की शक्ति प्रदान करता है। इसमें मतदाता सूचियों की तैयारी भी शामिल है।
- आयोग का तर्क (संभावित): आमतौर पर, ऐसे मामलों में, चुनाव आयोग यह तर्क देता है कि मतदाता सूची को समय-समय पर विशेष अभियान चलाकर अद्यतन किया जाता है। यदि कोई नागरिक अपना नाम सूची में नहीं पाता है, तो उसे निर्धारित प्रक्रिया के तहत नाम जुड़वाने का विकल्प दिया जाता है। यह भी संभव है कि नाम किसी त्रुटि के कारण हट गया हो या निवास स्थान बदलने पर सूची अपडेट न हुई हो।
- प्रक्रियात्मक पहलू: चुनाव आयोग शायद यह बताएगा कि मतदाता के रूप में पंजीकरण एक सतत प्रक्रिया है और यदि कोई पात्र नागरिक अपना नाम नहीं पाता है, तो वह फॉर्म 6 भरकर अपना नाम जुड़वा सकता है।
- स्पष्टीकरण की आवश्यकता: तेजस्वी यादव जैसे प्रमुख नेता के आरोप के बाद, चुनाव आयोग के लिए यह आवश्यक है कि वह पारदर्शी तरीके से इस मामले की जांच करे और जनता को वस्तुस्थिति से अवगत कराए।
मतदाता सूची: एक आधारभूत स्तंभ (Voter List: A Foundational Pillar):
मतदाता सूची किसी भी लोकतांत्रिक चुनाव की रीढ़ होती है। इसकी सटीकता, पूर्णता और अद्यतनता पर ही एक निष्पक्ष चुनाव का भविष्य निर्भर करता है।
- लोकतंत्र का आधार: हर पात्र नागरिक का नाम मतदाता सूची में होना, और केवल पात्र नागरिकों का ही होना, यह सुनिश्चित करता है कि ‘हर व्यक्ति, हर वोट’ का सिद्धांत लागू हो।
- बार-बार अद्यतन: मतदाता सूची को नियमित रूप से अद्यतन किया जाता है ताकि नए मतदाताओं को जोड़ा जा सके, मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाए जा सकें, और पते में बदलाव को शामिल किया जा सके। यह प्रक्रिया विशेष अभियान (जैसे ‘विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण’) के माध्यम से की जाती है।
- तकनीकी चुनौतियाँ: बड़ी आबादी वाले देशों में, मतदाता सूची को अद्यतन रखना एक जटिल कार्य है। इसमें डेटा प्रविष्टि की त्रुटियां, भौगोलिक परिवर्तन, और जनसांख्यिकीय बदलाव जैसी तकनीकी और लॉजिस्टिक चुनौतियाँ शामिल हो सकती हैं।
- ECI की प्रौद्योगिकी: चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की सटीकता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है, जैसे कि राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (NVSP) और आधार-वोटर आईडी लिंकिंग (हालांकि यह अभी स्वैच्छिक है)।
“मतदाता सूची लोकतंत्र की वह नींव है जिस पर चुनाव का पूरा ढांचा खड़ा होता है। यदि यह नींव ही हिल जाए, तो पूरा भवन खतरे में पड़ सकता है।”
इस मुद्दे के निहितार्थ (Implications of this Issue):
तेजस्वी यादव का यह आरोप कई गंभीर निहितार्थ रखता है:
- जनता का विश्वास: इस तरह के आरोप चुनाव आयोग की निष्पक्षता और दक्षता पर जनता के विश्वास को कम कर सकते हैं। यदि एक प्रमुख नेता के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम नागरिक क्या उम्मीद करे?
- चुनावी भागीदारी: यह आम मतदाताओं को भी हतोत्साहित कर सकता है, जो सोच सकते हैं कि जब उनके नेताओं के साथ ऐसा हो रहा है, तो उनके वोट का क्या महत्व है।
- राजनीतिक रणनीति: विरोधी दल इस मुद्दे का इस्तेमाल सरकार या चुनाव आयोग के खिलाफ राजनीतिक लाभ उठाने के लिए कर सकते हैं।
- कानूनी और प्रशासनिक चुनौतियाँ: यदि इस तरह की गड़बड़ियां बड़े पैमाने पर पाई जाती हैं, तो यह चुनाव परिणामों को भी प्रभावित कर सकती हैं और कानूनी तथा प्रशासनिक चुनौतियाँ खड़ी कर सकती हैं।
बिहार के संदर्भ में (In the Context of Bihar):
बिहार भारत का एक ऐसा राज्य है जहां राजनीतिक दांवपेच हमेशा ऊंचे रहे हैं। ऐसी स्थिति में, तेजस्वी यादव का आरोप बिहार के चुनावी माहौल को और अधिक गरमा सकता है।
- जातिगत राजनीति: बिहार की राजनीति में जाति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और मतदाता सूची में किसी विशेष समुदाय के नाम को हटाना या जोड़ना राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
- युवा मतदाताओं की भागीदारी: तेजस्वी यादव युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं, और यदि मतदाता सूची में गड़बड़ी युवा मतदाताओं को प्रभावित करती है, तो यह उनके राजनीतिक भविष्य के लिए भी एक चुनौती बन सकती है।
- चुनावों का महत्व: बिहार में अक्सर राजनीतिक अस्थिरता देखी गई है, और हर चुनाव का अपना महत्व होता है। मतदाता सूची जैसे मुद्दे इन चुनावों को और अधिक संवेदनशील बना देते हैं।
आगे की राह: क्या किया जाना चाहिए? (The Way Forward: What Should Be Done?):**
इस जटिल स्थिति से निपटने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए जाने चाहिए:
- चुनाव आयोग द्वारा तत्काल जांच: चुनाव आयोग को इस आरोप की गंभीरता को समझते हुए तुरंत एक निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करनी चाहिए। यदि गलती हुई है, तो उसे स्वीकार करना और सुधारात्मक कार्रवाई करना महत्वपूर्ण है।
- डेटाबेस का ऑडिट: मतदाता सूची के डेटाबेस का एक स्वतंत्र ऑडिट कराया जा सकता है ताकि सटीकता सुनिश्चित की जा सके।
- जन जागरूकता अभियान: चुनाव आयोग को मतदाताओं के बीच यह जागरूकता बढ़ानी चाहिए कि वे नियमित रूप से अपना नाम मतदाता सूची में कैसे जांचें और यदि नाम न हो तो क्या प्रक्रिया अपनाएं।
- तकनीकी सुधार: डेटाबेस प्रबंधन और अद्यतन प्रक्रियाओं में अधिक उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए ताकि मानवीय त्रुटियों की संभावना कम हो सके।
- राजनीतिक दलों की भूमिका: राजनीतिक दलों को भी मतदाता सूची को अद्यतन रखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए और अपने सदस्यों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
- आधार-वोटर आईडी लिंकिंग का सुचारू कार्यान्वयन: यदि यह स्वैच्छिक आधार पर भी किया जाए, तो यह मतदाताओं के लिए अपनी पहचान को सत्यापित करने और सूची में सटीकता सुनिश्चित करने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है।
- प्रक्रियात्मक सरलीकरण: नाम जुड़वाने, हटाने या संशोधित करने की प्रक्रियाओं को और अधिक सुलभ और सरल बनाया जाना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion):**
तेजस्वी यादव द्वारा उठाया गया मतदाता सूची का मुद्दा, हालांकि एक व्यक्तिगत आरोप से शुरू हुआ, लेकिन इसने भारतीय चुनावी प्रणाली के एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू को उजागर किया है। मतदाता सूची की शुचिता और सटीकता किसी भी लोकतंत्र की वैधता के लिए सर्वोपरि है। चुनाव आयोग को इस मामले में त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए, न केवल तेजस्वी यादव के लिए बल्कि पूरे देश के करोड़ों मतदाताओं के विश्वास को बनाए रखने के लिए। यह घटना चुनाव आयोग के लिए एक चेतावनी संकेत है कि उसे अपनी प्रक्रियाओं की लगातार समीक्षा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक भारतीय नागरिक, जो वोट देने का पात्र है, को यह अधिकार निर्बाध रूप से मिले। बिहार के चुनावी रण में यह मुद्दा निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण धुरी बनेगा, जो मतदाताओं और राजनीतिक दलों दोनों के लिए चिंता का विषय है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
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प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद भारतीय संविधान में मतदान के अधिकार से संबंधित है?
(a) अनुच्छेद 14
(b) अनुच्छेद 21
(c) अनुच्छेद 326
(d) अनुच्छेद 324
उत्तर: (c) अनुच्छेद 326
व्याख्या: अनुच्छेद 326 वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनावों का प्रावधान करता है, जिसका अर्थ है कि 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी नागरिक, जो किसी विशेष क्षेत्र का निवासी है और अन्यथा अयोग्य नहीं है, मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकता है। अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग की शक्तियों और कार्यों से संबंधित है। -
प्रश्न: भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह एक संवैधानिक निकाय है।
- इसका मुख्य कार्य राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद और राज्यों के विधानमंडलों के चुनावों का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण करना है।
- यह मतदाता सूचियों की तैयारी और अद्यतन के लिए भी जिम्मेदार है।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: चुनाव आयोग भारत के संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक निकाय है (अनुच्छेद 324)। इसके प्रमुख कार्यों में उपरोक्त सभी शामिल हैं, जिसमें मतदाता सूचियों की तैयारी और अद्यतन भी शामिल है। -
प्रश्न: मतदाता सूची को अद्यतन करने की प्रक्रिया का क्या उद्देश्य है?
- नए मतदाताओं को जोड़ना।
- मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना।
- पते में बदलाव को शामिल करना।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: मतदाता सूची को अद्यतन रखने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यह यथासंभव सटीक और अद्यतित रहे, जिसमें नए मतदाताओं को जोड़ना, पुराने मतदाताओं को हटाना और पते में बदलाव को शामिल करना शामिल है। -
प्रश्न: राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (NVSP) का प्राथमिक कार्य क्या है?
(a) केवल चुनाव परिणामों को प्रदर्शित करना।
(b) मतदाता पंजीकरण, मतदाता सूची में सुधार और संबंधित सेवाओं के लिए एक मंच प्रदान करना।
(c) चुनाव आयोग के कर्मचारियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
(d) राजनीतिक दलों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
उत्तर: (b) मतदाता पंजीकरण, मतदाता सूची में सुधार और संबंधित सेवाओं के लिए एक मंच प्रदान करना।
व्याख्या: NVSP को नागरिकों के लिए एक ‘वन-स्टॉप शॉप’ के रूप में डिजाइन किया गया है ताकि वे अपना मतदाता पंजीकरण कर सकें, मतदाता सूची में अपने नाम की जांच कर सकें, फॉर्म भर सकें और चुनाव संबंधी अन्य सेवाएं प्राप्त कर सकें। -
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी स्थिति मतदाता के रूप में पंजीकरण के लिए एक सामान्य पात्रता मानदंड नहीं है?
(a) भारत का नागरिक होना।
(b) 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेना।
(c) मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित किया जाना।
(d) किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाना और दो वर्ष से अधिक की सजा सुनाया जाना।
उत्तर: (c) मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित किया जाना।
व्याख्या: मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित होना (यदि सक्षम न्यायालय द्वारा घोषित हो) या किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाना और सजा सुनाया जाना, पंजीकरण के लिए अयोग्यता पैदा कर सकता है। हालांकि, केवल ‘मानसिक रूप से अस्वस्थ’ होना, जब तक कि इसे सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसे घोषित न किया गया हो, सीधे तौर पर अयोग्यता का कारण नहीं बनता। भारतीय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950, धारा 16 के तहत कुछ विशेष परिस्थितियों में ऐसे व्यक्ति अयोग्य हो सकते हैं। -
प्रश्न: यदि कोई नागरिक मतदाता सूची में अपना नाम नहीं पाता है, तो उसे क्या कदम उठाना चाहिए?
(a) मतदान प्रक्रिया में भाग लेने से इंकार कर देना चाहिए।
(b) चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करानी चाहिए और फॉर्म 6 भर कर नाम जुड़वाने का प्रयास करना चाहिए।
(c) अपने आसपास के अन्य मतदाताओं से शिकायत करनी चाहिए।
(d) संबंधित राजनीतिक दल से संपर्क करना चाहिए।
उत्तर: (b) चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करानी चाहिए और फॉर्म 6 भर कर नाम जुड़वाने का प्रयास करना चाहिए।
व्याख्या: यदि किसी पात्र नागरिक का नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो उसे निर्दिष्ट फॉर्म (जैसे फॉर्म 6) भरकर मतदाता के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन करना चाहिए। चुनाव आयोग या स्थानीय चुनाव अधिकारी इस आवेदन पर कार्रवाई करते हैं। -
प्रश्न: ‘विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण’ (Special Summary Revision) जैसे अभियान का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
(a) केवल नई मतदाता सूचियां तैयार करना।
(b) मतदाता सूची में सुधार (जैसे नाम हटाना, जोड़ना, विवरण सही करना) के लिए विशेष प्रयास करना।
(c) चुनाव अधिकारियों को प्रशिक्षित करना।
(d) राजनीतिक दलों के लिए एक मंच बनाना।
उत्तर: (b) मतदाता सूची में सुधार (जैसे नाम हटाना, जोड़ना, विवरण सही करना) के लिए विशेष प्रयास करना।
व्याख्या: ये अभियान मतदाता सूची को व्यापक रूप से अद्यतन करने के लिए आयोजित किए जाते हैं, जिसमें विशेष अवधि के दौरान नए पंजीकरण, विलोपन और सुधार की प्रक्रिया पर जोर दिया जाता है। -
प्रश्न: आधार-वोटर आईडी लिंकिंग का प्राथमिक लाभ क्या है?
(a) यह मतदाता की पहचान को सत्यापित करने में मदद करता है।
(b) यह केवल एक सरकारी पहल है जिसका कोई विशेष लाभ नहीं है।
(c) यह मतदाताओं को ऑनलाइन वोट डालने की सुविधा देता है।
(d) यह चुनाव आयोग की शक्ति को बढ़ाता है।
उत्तर: (a) यह मतदाता की पहचान को सत्यापित करने में मदद करता है।
व्याख्या: आधार-वोटर आईडी लिंकिंग का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची में डुप्लिकेट प्रविष्टियों को खत्म करना और यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक मतदाता की पहचान सत्यापित हो, जिससे मतदाता सूची की सटीकता बढ़े। -
प्रश्न: यदि कोई नागरिक मतदाता के रूप में पंजीकृत है, लेकिन उसका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाता है, तो यह किस कानून के तहत हो सकता है?
(a) भारतीय दंड संहिता, 1860
(b) भारतीय संविधान का अनुच्छेद 326
(c) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950
(d) सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
उत्तर: (c) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950
व्याख्या: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950, मतदाता सूचियों की तैयारी, संशोधन और अद्यतन से संबंधित विस्तृत प्रावधान करता है। इसी अधिनियम के तहत किसी मतदाता का नाम सूची से हटाया जा सकता है यदि वह अब पात्र नहीं है या यदि उसकी मृत्यु हो गई है या वह स्थानांतरित हो गया है। -
प्रश्न: तेजस्वी यादव का यह आरोप किस राजनीतिक दल से संबंधित है?
(a) भारतीय जनता पार्टी (BJP)
(b) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)
(c) राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
(d) जनता दल (यूनाइटेड) (JDU)
उत्तर: (c) राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
व्याख्या: तेजस्वी यादव राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख नेता हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: भारतीय चुनावी प्रणाली में मतदाता सूची की सटीकता और पूर्णता सुनिश्चित करने में चुनाव आयोग के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करें। तेजस्वी यादव के हालिया आरोप के प्रकाश में, उन सुधारात्मक उपायों का सुझाव दें जो इन चुनौतियों का सामना करने और जनता के विश्वास को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न: ‘हर व्यक्ति, हर वोट’ के सिद्धांत को बनाए रखने में मतदाता सूची की केंद्रीय भूमिका का विश्लेषण करें। तेजस्वी यादव के मामले में, यह सिद्धांत कैसे खतरे में पड़ सकता था, और यह भारतीय लोकतंत्र के लिए क्या मायने रखता है? (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न: मतदाता सूची को अद्यतन रखने की प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर चर्चा करें। मतदाता पंजीकरण और सूची के प्रबंधन को और अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने के लिए किस प्रकार की तकनीकी नवाचारों को अपनाया जा सकता है? (लगभग 200 शब्द)
- प्रश्न: तेजस्वी यादव के आरोप के संदर्भ में, चुनाव आयोग की स्वायत्तता और जवाबदेही के बीच संतुलन पर प्रकाश डालें। एक स्वायत्त निकाय के रूप में, आयोग को सार्वजनिक जांच और आलोचनाओं का जवाब कैसे देना चाहिए? (लगभग 150 शब्द)