डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर 25% टैरिफ: क्या है इसके मायने? जानें पूरी रिपोर्ट
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
यह समाचार शीर्षक “US Tariffs On India: डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का किया एलान, एक अगस्त से होगा प्रभावी” एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक और आर्थिक घटना को दर्शाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की घोषणा ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में एक नया अध्याय खोला है। यह निर्णय, जो 1 अगस्त से प्रभावी होने वाला था, वैश्विक व्यापार परिदृश्य और विशेष रूप से भारत के निर्यात-उन्मुख उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। UPSC के उम्मीदवारों के लिए, यह विषय अंतरराष्ट्रीय व्यापार, आर्थिक नीतियां, भू-राजनीतिक संबंध और भारत की अर्थव्यवस्था पर इन नीतियों के प्रभाव को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह ब्लॉग पोस्ट आपको इस महत्वपूर्ण घटना की गहराई में ले जाएगा, जिसमें इसके पीछे के कारणों, संभावित प्रभावों, भारत और अमेरिका दोनों के लिए निहितार्थों और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसके महत्व पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
पृष्ठभूमि: अमेरिका-भारत व्यापार संबंध की जड़ें
डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से ही ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति का जोर रहा है। इसके तहत, ट्रंप प्रशासन ने दुनिया भर के देशों के साथ व्यापार घाटे को कम करने और अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आक्रामक व्यापारिक नीतियां अपनाईं। भारत, जो अमेरिका के लिए एक बड़ा व्यापारिक भागीदार है, इस नीति से अछूता नहीं रहा।
ऐतिहासिक रूप से, अमेरिका और भारत के बीच व्यापार संबंध बहुआयामी रहे हैं। भारत अमेरिका से मुख्य रूप से मशीनरी, खनिज ईंधन, प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आयात करता है। वहीं, भारत से अमेरिका को मुख्य रूप से फार्मास्यूटिकल्स, कीमती पत्थर, वस्त्र, और ऑटोमोबाइल पार्ट्स जैसे उत्पाद निर्यात होते हैं। हाल के वर्षों में, द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि देखी गई थी, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने भारत के साथ व्यापार घाटे (जहां अमेरिका भारत को जितना निर्यात करता है, उससे अधिक आयात करता है) पर चिंता व्यक्त की।
उदाहरण के तौर पर, 2018 में, अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा लगभग 20 अरब डॉलर था। ट्रंप प्रशासन का तर्क था कि यह घाटा अमेरिकी व्यवसायों और श्रमिकों के लिए अनुचित है।
25% टैरिफ का एलान: क्या था कारण?
यह समझना महत्वपूर्ण है कि 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कोई एकाएक लिया गया निर्णय नहीं था। इसके पीछे ट्रंप प्रशासन द्वारा कई वर्षों से व्यक्त की जा रही चिंताएं और उठाए जा रहे कदम थे। मुख्य कारण निम्नलिखित थे:
- व्यापार घाटा (Trade Deficit): जैसा कि ऊपर बताया गया है, अमेरिका का भारत के साथ बड़ा व्यापार घाटा ट्रंप प्रशासन की मुख्य चिंता का विषय था। प्रशासन का मानना था कि भारत की व्यापारिक नीतियां, जैसे उच्च आयात शुल्क, अमेरिकी वस्तुओं के लिए बाजार तक पहुंच को सीमित करती हैं।
- ‘जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज’ (GSP) का निलंबन: 2019 में, ट्रंप प्रशासन ने भारत को GSP के तहत मिलने वाली विशेष तरजीही व्यापार व्यवस्था को समाप्त कर दिया था। GSP के तहत, विकासशील देशों को अमेरिका को कुछ उत्पादों का शुल्क-मुक्त निर्यात करने की अनुमति थी। भारत के GSP को समाप्त करने का कारण अमेरिका द्वारा भारत में अमेरिकी कंपनियों के लिए बाजार तक पहुंच के बारे में चिंताओं को दूर न करना बताया गया था। इसमें विशेष रूप से ई-कॉमर्स, डेयरी उत्पादों और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) तक पहुंच जैसे मुद्दे शामिल थे।
- “बेवसाइट” (Reciprocity) की मांग: ट्रंप प्रशासन ने बार-बार “बेवसाइट” की मांग की, जिसका अर्थ था कि यदि अमेरिका किसी देश से आयात पर कम शुल्क लगाता है, तो वह देश भी अमेरिका से आयात पर उतने ही कम शुल्क लगाए। अमेरिका का आरोप था कि भारत, विशेष रूप से कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में, अमेरिकी उत्पादों पर अत्यधिक शुल्क लगाता है, जिससे अमेरिकी निर्यातकों को नुकसान होता है।
- कुछ विशिष्ट उत्पादों पर अमेरिका का रुख: अमेरिका कुछ विशिष्ट उत्पादों, जैसे कि स्टील और एल्यूमीनियम पर भारत द्वारा लगाए गए उच्च शुल्कों का विरोध कर रहा था। इन शुल्कों को जवाबी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा था।
“हमारा मानना है कि यह कदम अमेरिकी श्रमिकों और व्यवसायों के लिए उचित प्रतिस्पर्धा को बहाल करने के लिए आवश्यक है।” – एक अमेरिकी अधिकारी (काल्पनिक उद्धरण, ऐसी घोषणाओं के सामान्य तर्क को दर्शाता है)
25% टैरिफ का प्रभाव: कौन प्रभावित होगा?
25% टैरिफ का एलान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण झटका था, खासकर उन क्षेत्रों के लिए जो अमेरिकी बाजार पर बहुत अधिक निर्भर थे। इसके संभावित प्रभावों को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
भारत के निर्यात पर प्रभाव:
- निर्यात मूल्य में वृद्धि: 25% अतिरिक्त शुल्क लगने से, भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले उत्पादों की लागत बढ़ जाएगी। इससे अमेरिकी खरीदारों के लिए ये उत्पाद कम आकर्षक हो जाएंगे।
- प्रतिस्पर्धात्मकता में कमी: भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में अन्य देशों (जैसे चीन, वियतनाम, बांग्लादेश) के उत्पादों की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी बना देगा, जो शायद समान शुल्कों के अधीन न हों या कम टैरिफ का भुगतान करें।
- निर्यात मात्रा में गिरावट: बढ़ती लागत के कारण, अमेरिकी खरीदार या तो कम मात्रा में भारतीय उत्पादों का आदेश दे सकते हैं या वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश कर सकते हैं।
- विशिष्ट क्षेत्र जो बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं:
- ऑटोमोबाइल पार्ट्स: भारत ऑटोमोबाइल पार्ट्स का एक महत्वपूर्ण निर्यातक है।
- वस्त्र और परिधान: यह भारत के सबसे बड़े निर्यात क्षेत्रों में से एक है।
- कृषि उत्पाद: हालांकि सीधे तौर पर टैरिफ का उल्लेख विशिष्ट कृषि उत्पादों के लिए नहीं किया गया था, लेकिन व्यापक नीतिगत बदलावों से यह क्षेत्र भी प्रभावित हो सकता था।
- फार्मास्यूटिकल्स: भारत फार्मा उत्पादों का एक बड़ा निर्यातक है, हालांकि इसमें भी कुछ विशिष्टताओं के आधार पर प्रभाव भिन्न हो सकता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव:
- रोजगार: निर्यात-उन्मुख उद्योगों में उत्पादन में कमी से रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- राजस्व: निर्यात में गिरावट से विदेशी मुद्रा की आय में कमी आ सकती है, जो भारत की भुगतान संतुलन (Balance of Payments) को प्रभावित कर सकता है।
- विनिर्माण क्षेत्र: यह भारत के ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि यह निर्यात की संभावनाओं को कम करता है।
अमेरिका पर संभावित प्रभाव:
- उपभोक्ता मूल्य में वृद्धि: चूंकि भारत कई उत्पादों का स्रोत था, अमेरिकी उपभोक्ताओं को उन उत्पादों के लिए अधिक भुगतान करना पड़ सकता है, या उन्हें कम गुणवत्ता वाले विकल्पों का सहारा लेना पड़ सकता है।
- अमेरिकी व्यवसायों पर लागत: वे अमेरिकी कंपनियां जो अपने उत्पादन के लिए भारतीय कच्चे माल या घटकों पर निर्भर थीं, उनकी लागत बढ़ सकती है।
- जवाबी कार्रवाई का जोखिम: भारत भी बदले में अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाने का निर्णय ले सकता था, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध छिड़ सकता था।
भारत की प्रतिक्रिया और कूटनीतिक प्रयास
ऐसी घोषणाओं के जवाब में, भारत सरकार आम तौर पर कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से प्रतिक्रिया देती है। इसके कुछ प्रमुख पहलू हो सकते हैं:
- बातचीत और परामर्श: भारत अमेरिका के साथ सीधी बातचीत करने की कोशिश करता है ताकि चिंताओं को दूर किया जा सके और किसी समझौते पर पहुंचा जा सके।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) का सहारा: यदि टैरिफ को विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन माना जाता है, तो भारत डब्ल्यूटीओ में शिकायत दर्ज करने पर विचार कर सकता है।
- जवाबी उपाय: यदि बातचीत विफल रहती है, तो भारत भी अमेरिका से आयात होने वाले कुछ उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाने का निर्णय ले सकता है। यह आमतौर पर अंतिम उपाय के रूप में देखा जाता है।
- आंतरिक सुधार: भारत अपनी व्यापारिक नीतियों में सुधार करके अमेरिकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास भी कर सकता है।
केस स्टडी: 2019 में, जब अमेरिका ने भारत को GSP से बाहर किया, तो भारत ने बदले में 28 अमेरिकी उत्पादों पर उच्च आयात शुल्क लगाने की घोषणा की, जिसमें अखरोट, दालें और कुछ ऑटोमोबाइल पार्ट्स शामिल थे। इस तरह की कार्रवाइयां व्यापारिक संबंधों में तनाव को बढ़ाती हैं।
UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्व
यह विषय UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है:
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार: टैरिफ, गैर-टैरिफ बाधाएं (NTBs), व्यापार समझौते, मुक्त व्यापार क्षेत्र (FTAs)।
- आर्थिक शब्दावली: व्यापार घाटा, GSP, आयात शुल्क, निर्यात, भुगतान संतुलन, WTO।
- वर्तमान घटनाएं: भारत और प्रमुख देशों के बीच व्यापारिक संबंध।
- भू-राजनीति: अमेरिका की व्यापारिक नीतियां और उनका वैश्विक प्रभाव।
मुख्य परीक्षा (Mains):
- GS-I: सामाजिक मुद्दे (Social Issues): निर्यात पर प्रभाव का रोजगार पर प्रभाव।
- GS-II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations): भारत-अमेरिका संबंध, भू-राजनीतिक तनाव, कूटनीतिक समाधान।
- GS-III: अर्थव्यवस्था (Economy):
- भारतीय अर्थव्यवस्था पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीतियों का प्रभाव।
- भारत के निर्यात क्षेत्र और उनकी चुनौतियां।
- भारत की विदेश व्यापार नीति।
- व्यापार संतुलन और भुगतान संतुलन पर प्रभाव।
- ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों पर प्रभाव।
- GS-III: सुरक्षा (Security): व्यापार युद्धों के कारण उत्पन्न आर्थिक असुरक्षा।
विश्लेषण का तरीका:
UPSC उम्मीदवार के रूप में, आपको केवल तथ्यों को याद नहीं करना है, बल्कि उनका विश्लेषण करना है। जैसे:
- ट्रंप प्रशासन की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के पीछे के आर्थिक और राजनीतिक तर्क क्या थे?
- भारत जैसे विकासशील देश के लिए संरक्षणवादी (protectionist) व्यापार नीतियों के क्या निहितार्थ होते हैं?
- क्या भारत को जवाबी टैरिफ लगाना चाहिए या बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए? इसके पक्ष और विपक्ष क्या हैं?
- इन टैरिफ का भारतीय विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों पर दीर्घकालिक प्रभाव क्या हो सकता है?
चुनौतियाँ और आगे की राह
अमेरिका द्वारा लगाए गए ऐसे टैरिफ भारत के लिए कई चुनौतियां पेश करते हैं:
- निर्यात बाजारों का विविधीकरण: भारत को अमेरिकी बाजार पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए अन्य देशों के साथ व्यापार संबंध मजबूत करने होंगे।
- मूल्य श्रृंखला का पुनर्गठन: भारतीय कंपनियों को अपनी लागत कम करने और गुणवत्ता में सुधार करने के तरीके खोजने होंगे।
- घरेलू मांग को बढ़ावा देना: निर्यात में संभावित गिरावट को पूरा करने के लिए घरेलू मांग को बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
- रणनीतिक कूटनीति: भारत को अमेरिका के साथ एक प्रभावी संवाद बनाए रखना होगा ताकि व्यापार तनाव को कम किया जा सके।
आगे की राह:
भारत के लिए आगे की राह संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की होगी। इसमें एक ओर तो अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना, दूसरी ओर प्रमुख व्यापारिक भागीदारों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना शामिल है। WTO जैसे बहुपक्षीय मंचों का उपयोग, द्विपक्षीय बातचीत और निर्यात बाजारों का विविधीकरण भारत को इन वैश्विक व्यापारिक चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकता है।
यह महत्वपूर्ण है कि उम्मीदवार इस तरह के घटनाक्रमों को केवल एक खबर के रूप में न देखें, बल्कि उन्हें एक बड़ी आर्थिक और भू-राजनीतिक तस्वीर के हिस्से के रूप में समझें। इससे उन्हें न केवल परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी, बल्कि एक सूचित नागरिक बनने में भी सहायता मिलेगी।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. प्रश्न: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर टैरिफ लगाने का मुख्य कारण क्या था?
(a) भारत द्वारा अमेरिकी सॉफ्टवेयर पर उच्च कर लगाना
(b) अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा
(c) भारत की विदेश नीति के प्रति असहमति
(d) भारत द्वारा अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: ट्रंप प्रशासन की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का एक प्रमुख हिस्सा व्यापार घाटे को कम करना था, और भारत के साथ बड़े व्यापार घाटे को उनकी नीतियों के एक प्रमुख कारण के रूप में उद्धृत किया गया था।
2. प्रश्न: ‘जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज’ (GSP) निम्नलिखित में से किसके द्वारा विकासशील देशों को प्रदान की जाने वाली एक व्यापार सुविधा है?
(a) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
(b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
(c) संयुक्त राष्ट्र (UN)
(d) संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
उत्तर: (d)
व्याख्या: GSP एक ऐसी व्यवस्था है जिसके तहत विकसित देश, जैसे कि अमेरिका, विकासशील देशों को चुनिंदा निर्यात वस्तुओं पर तरजीही शुल्क व्यवस्था प्रदान करते हैं।
3. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा क्षेत्र अमेरिकी टैरिफ से सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है, यदि भारत से इन वस्तुओं का निर्यात होता है?
(a) सॉफ्टवेयर सेवाएं
(b) फार्मास्यूटिकल्स
(c) ऑटोमोबाइल पार्ट्स
(d) सूचना प्रौद्योगिकी (IT) हार्डवेयर
उत्तर: (c)
व्याख्या: ऑटोमोबाइल पार्ट्स, वस्त्र और परिधान जैसे विनिर्माण क्षेत्र, जो प्रत्यक्ष माल का निर्यात करते हैं, टैरिफ से सीधे प्रभावित होते हैं। सॉफ्टवेयर सेवाएं अमूर्त (intangible) होती हैं और अक्सर टैरिफ के बजाय अन्य प्रकार की बाधाओं से प्रभावित होती हैं।
4. प्रश्न: ‘बेवसाइट’ (Reciprocity) का व्यापार के संदर्भ में क्या अर्थ है?
(a) दोनों देशों द्वारा समान मात्रा में वस्तुओं का आयात करना
(b) एक देश के समान व्यापार नीतियों का दूसरे देश द्वारा पालन करना
(c) एक देश द्वारा दूसरे देश से आयात पर लगाए गए शुल्कों के बराबर शुल्क लगाना
(d) मुक्त व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करना
उत्तर: (c)
व्याख्या: ‘बेवसाइट’ का अर्थ है कि यदि एक देश दूसरे देश के उत्पादों पर कम शुल्क लगाता है, तो दूसरा देश भी समान रूप से कम शुल्क लगाएगा, अन्यथा जवाबी कार्रवाई की जा सकती है।
5. प्रश्न: यदि भारत अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाता है, तो यह किस अंतरराष्ट्रीय संगठन के नियमों के तहत उचित ठहराया जा सकता है (यदि आवश्यक हो)?
(a) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)
(b) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
(c) अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO)
(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
उत्तर: (b)
व्याख्या: विश्व व्यापार संगठन (WTO) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के नियमों को नियंत्रित करता है, और जवाबी टैरिफ जैसे उपाय, यदि कुछ शर्तों के तहत, WTO के ढांचे के भीतर किए जा सकते हैं।
6. प्रश्न: ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का मुख्य उद्देश्य क्या था?
(a) वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देना
(b) अमेरिकी अर्थव्यवस्था और श्रमिकों के हितों को प्राथमिकता देना
(c) विकासशील देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करना
(d) पर्यावरण संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘अमेरिका फर्स्ट’ एक संरक्षणवादी नीति थी जिसका उद्देश्य अमेरिकी व्यवसायों, नौकरियों और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना था, अक्सर अन्य देशों के साथ व्यापारिक समझौतों को पुन: बातचीत करके या उन पर टैरिफ लगाकर।
7. प्रश्न: भारत के GSP दर्जा को अमेरिका द्वारा समाप्त करने का एक प्रमुख कारण क्या बताया गया था?
(a) भारत द्वारा अमेरिकी निवेश पर प्रतिबंध लगाना
(b) भारत द्वारा अमेरिकी प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग
(c) अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत के बाजार तक पहुंच के बारे में चिंताएं
(d) भारत का अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का कर्ज चुकाने में असमर्थ होना
उत्तर: (c)
व्याख्या: अमेरिका ने ई-कॉमर्स, डेयरी और ICT जैसे क्षेत्रों में बाजार पहुंच की चिंताओं को दूर न करने पर भारत से GSP का दर्जा छीन लिया था।
8. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय पहल वैश्विक व्यापार और निर्यात को बढ़ावा देने से संबंधित है?
(a) स्वच्छ भारत अभियान
(b) मेक इन इंडिया
(c) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA)
(d) प्रधानमंत्री जन धन योजना
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘मेक इन इंडिया’ का उद्देश्य भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देना है, जिससे निर्यात की क्षमता भी बढ़ती है।
9. प्रश्न: भारत की भुगतान संतुलन (Balance of Payments) पर अमेरिकी टैरिफ का संभावित प्रभाव क्या हो सकता है?
(a) निर्यात राजस्व में वृद्धि
(b) आयात लागत में कमी
(c) निर्यात राजस्व में कमी और व्यापार घाटे में वृद्धि
(d) विदेशी मुद्रा भंडार में अचानक वृद्धि
उत्तर: (c)
व्याख्या: टैरिफ के कारण निर्यात में कमी से निर्यात राजस्व घटता है, जिससे भुगतान संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और व्यापार घाटा बढ़ सकता है।
10. प्रश्न: विश्व व्यापार संगठन (WTO) का प्राथमिक कार्य क्या है?
(a) विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना
(b) अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता बनाए रखना
(c) वैश्विक स्तर पर व्यापार को सुचारू, पूर्वानुमानित और स्वतंत्र बनाना
(d) अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को लागू करना
उत्तर: (c)
व्याख्या: WTO का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना और व्यापार से संबंधित विवादों को हल करना है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. प्रश्न: अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ संरक्षणवादी (protectionist) व्यापार नीतियों का एक उदाहरण हैं। इन नीतियों के विकासशील देशों, विशेष रूप से भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ने वाले आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रभावों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
2. प्रश्न: अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में हाल के तनावों के संदर्भ में, भारत को अपने निर्यात को बढ़ावा देने और अपने उद्योगों की रक्षा के लिए कौन सी रणनीतिक उपाय अपनाने चाहिए? चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)
3. प्रश्न: ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति के तहत ट्रंप प्रशासन द्वारा अपनाई गई व्यापारिक नीतियों का विश्लेषण करें और बताएं कि ये नीतियां द्विपक्षीय व्यापार संबंधों (जैसे भारत के साथ) और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली (जैसे WTO) को कैसे प्रभावित करती हैं। (250 शब्द, 15 अंक)
4. प्रश्न: ‘जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज’ (GSP) से भारत के निलंबन और उसके बाद के संभावित टैरिफ के आलोक में, भारतीय अर्थव्यवस्था पर इन विकासों के व्यापक निहितार्थों का अन्वेषण करें, जिसमें रोजगार, विनिर्माण और समग्र निर्यात प्रदर्शन शामिल हैं। (250 शब्द, 15 अंक)