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ट्रम्प के परमाणु ‘बयान’: रूस की चिंता, NPT का हवाला और विश्व का भविष्य

ट्रम्प के परमाणु ‘बयान’: रूस की चिंता, NPT का हवाला और विश्व का भविष्य

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल के दिनों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के परमाणु हथियारों के उपयोग को लेकर दिए गए बयानों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता की लहर दौड़ा दी है। विशेष रूप से, रूस ने इन बयानों पर ‘सावधान’ रहने की आवश्यकता जताई है और इसे परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के सिद्धांतों के विरुद्ध बताया है। यह घटनाक्रम वैश्विक सुरक्षा, परमाणु अप्रसार के भविष्य और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है।

यह ब्लॉग पोस्ट, UPSC उम्मीदवारों को इस जटिल मुद्दे की गहराई से समझने में मदद करेगा। हम ट्रम्प की ‘परमाणु बयानबाजी’ का विश्लेषण करेंगे, रूस की प्रतिक्रिया के पीछे के कारणों को समझेंगे, NPT के महत्व को जानेंगे, और इस पूरी स्थिति के भू-राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी निहितार्थों पर चर्चा करेंगे।

डोनाल्ड ट्रम्प की ‘परमाणु बयानबाजी’: एक विश्लेषण

डोनाल्ड ट्रम्प का राजनीतिक करियर, विशेष रूप से उनकी विदेश नीति को लेकर, हमेशा से ही अप्रत्याशित रहा है। उनकी ‘परमाणु बयानबाजी’ भी इसी अप्रत्याशितता का एक हिस्सा है। उनके बयानों का अर्थ अक्सर अस्पष्ट और व्याख्या के लिए खुला होता है, लेकिन उनमें अक्सर परमाणु हथियारों के संभावित उपयोग या परमाणु हथियारों के प्रसार के प्रति एक ढीला रवैया झलकता है।

ट्रम्प के बयानों की प्रकृति:

  • अस्पष्टता और उकसावा: ट्रम्प अक्सर ऐसे बयान देते हैं जो सीधे तौर पर परमाणु युद्ध की धमकी नहीं देते, लेकिन उनमें ऐसी भाषा का प्रयोग होता है जो गलतफहमी पैदा कर सकती है या विरोधी को उकसा सकती है।
  • पारंपरिक नियमों से विचलन: स्थापित कूटनीतिक प्रोटोकॉल और परमाणु हथियार राष्ट्रों के बीच ‘मौन’ सिद्धांतों से हटकर, वे अक्सर परमाणु हथियारों को एक ‘नॉर्मल’ टूल की तरह पेश करते हैं।
  • NPT पर अस्पष्ट रुख: हालांकि उन्होंने कभी सीधे तौर पर NPT से अमेरिका के हटने की बात नहीं की है, लेकिन उनके कुछ बयान अप्रत्यक्ष रूप से इस संधि के मूल सिद्धांतों को कमजोर करते हुए प्रतीत होते हैं।

उदाहरण के लिए, कुछ समय पहले उन्होंने उत्तर कोरिया के साथ परमाणु वार्ता के दौरान, अपनी ‘अंतिम उपाय’ (last resort) की शक्ति का उल्लेख किया था, जिसने परमाणु हमले की संभावनाओं को बढ़ा दिया था। ऐसे बयान, विशेषकर उन राष्ट्रों के लिए जिनके पास परमाणु हथियार हैं या जो परमाणु अप्रसार के समर्थक हैं, गहरी चिंता का विषय बन जाते हैं।

रूस की ‘सावधानी’ और NPT का संदर्भ

रूस की प्रतिक्रिया, जो कह रही है कि वह ट्रम्प की ‘परमाणु बयानबाजी’ पर ‘सावधान’ है और NPT का हवाला दे रही है, को समझना महत्वपूर्ण है। रूस, दुनिया के प्रमुख परमाणु शक्ति संपन्न देशों में से एक है और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के मुख्य हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक है।

रूस की चिंता के कारण:

  • वैश्विक स्थिरता: रूस, वैश्विक स्थिरता को बनाए रखने में अपनी भूमिका को महत्वपूर्ण मानता है। ट्रम्प जैसे नेताओं द्वारा परमाणु हथियारों के बारे में की गई ढीली बयानबाजी, वैश्विक अनिश्चितता को बढ़ाती है, जिसका सीधा असर रूस की सुरक्षा पर भी पड़ता है।
  • परमाणु हथियारों का अप्रसार: NPT का उद्देश्य परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना और निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देना है। यदि अमेरिका जैसा एक प्रमुख परमाणु शक्ति संपन्न देश के नेता इस संधि के सिद्धांतों के प्रति गंभीर नहीं दिखते, तो यह अन्य देशों को भी परमाणु हथियार विकसित करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
  • गलतफहमी का खतरा: ऐसे बयानों से गलतफहमी की गुंजाइश बढ़ जाती है, जिससे अनजाने में तनाव बढ़ सकता है और यहाँ तक कि संघर्ष की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

NPT (परमाणु अप्रसार संधि) क्या है?

परमाणु अप्रसार संधि (Treaty on the Non-Proliferation of Nuclear Weapons – NPT) 1970 में लागू हुई एक ऐतिहासिक संधि है जिसका मुख्य उद्देश्य परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना और निरस्त्रीकरण की दिशा में प्रयास करना है। इसे तीन मुख्य स्तंभों पर विभाजित किया गया है:

  1. अप्रसार (Non-proliferation): परमाणु हथियारों वाले देशों को छोड़कर अन्य देशों को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकना।
  2. निरस्त्रीकरण (Disarmament): परमाणु हथियार वाले देशों को भविष्य में परमाणु हथियारों को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध करना।
  3. परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग (Peaceful use of nuclear energy): परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के अधिकार को मान्यता देना और इस दिशा में सहयोग को बढ़ावा देना।

रूस का NPT का हवाला देना: जब रूस ट्रम्प की बयानबाजी पर NPT का हवाला देता है, तो वह अप्रत्यक्ष रूप से यह कह रहा है कि ऐसी बयानबाजी NPT के मूल सिद्धांतों, विशेषकर परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार के प्रति प्रतिबद्धता को कमजोर करती है। रूस यह भी संकेत दे रहा है कि यह वैश्विक परमाणु व्यवस्था के लिए एक खतरा है।

“NPT परमाणु अप्रसार की नींव है। इसके सिद्धांतों के प्रति कोई भी विचलन विश्व को अधिक अस्थिर और खतरनाक बना सकता है।” – एक अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक विश्लेषक।

भू-राजनीतिक और सुरक्षा निहितार्थ

यह घटनाक्रम मात्र बयानबाजी का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि इसके गहरे भू-राजनीतिक और सुरक्षा निहितार्थ हैं।

1. वैश्विक परमाणु व्यवस्था पर प्रभाव:

  • एनपीटी की प्रासंगिकता पर सवाल: यदि प्रमुख देश (जैसे अमेरिका, रूस, चीन) अपने नेताओं के बयानों से NPT के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को कमज़ोर करते हैं, तो यह संधि की प्रासंगिकता और प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है।
  • अन्य देशों पर प्रभाव: ऐसे बयानों से उत्तर कोरिया, ईरान जैसे देश, जो पहले से ही परमाणु हथियार विकसित करने की राह पर हैं या ऐसा करने की इच्छा रखते हैं, और अधिक प्रोत्साहित हो सकते हैं। वे तर्क दे सकते हैं कि जब प्रमुख शक्तियाँ ही अपने नियमों का पालन नहीं करतीं, तो उन्हें पालन करने की क्या आवश्यकता है।

2. निरस्त्रीकरण की प्रक्रिया पर प्रभाव:

  • धीमी या बाधित प्रक्रिया: NPT का एक महत्वपूर्ण स्तंभ परमाणु निरस्त्रीकरण है। यदि परमाणु शक्तियों के नेताओं के बयानों में परमाणु युद्ध को एक विकल्प के रूप में देखा जाता है, तो यह निरस्त्रीकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को विपरीत रूप से प्रभावित कर सकता है।
  • नई हथियार दौड़ की संभावना: तनाव बढ़ने पर, देश अपनी सुरक्षा के लिए अधिक से अधिक परमाणु हथियार बनाने या अपने शस्त्रागार को आधुनिक बनाने की ओर प्रवृत्त हो सकते हैं, जिससे एक नई हथियार दौड़ शुरू हो सकती है।

3. अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तनाव:

  • अविश्वास में वृद्धि: ऐसे बयानों से देशों के बीच अविश्वास बढ़ता है। अमेरिका और रूस जैसे परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच भी तनाव बढ़ सकता है, जिसका असर उनके द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक कूटनीति पर पड़ता है।
  • क्षेत्रीय अस्थिरता: परमाणु बयानबाजी विशेष रूप से उन क्षेत्रों में अस्थिरता पैदा कर सकती है जहाँ पहले से ही संघर्ष चल रहा है या जहाँ परमाणु हथियारों के प्रसार का खतरा है, जैसे कि मध्य पूर्व।

ट्रम्प के बयानों के पक्ष और विपक्ष (संभावित तर्क)

हालाँकि ट्रम्प के बयानों को अक्सर विवादास्पद माना जाता है, उनके समर्थक या विश्लेषक उनके बयानों के पीछे कुछ तर्क भी प्रस्तुत कर सकते हैं।

पक्ष (Arguments in favor of Trump’s rhetoric – from a certain perspective):

  • ‘अंतिम उपाय’ की चेतावनी: कुछ लोग इसे केवल कूटनीतिक दबाव बढ़ाने या ‘ वार्ता की मेज पर लाने’ की एक रणनीति मान सकते हैं। यह ‘अंतिम उपाय’ (last resort) के रूप में परमाणु हथियार की संभावना को जीवित रखकर विरोधियों को बातचीत के लिए मजबूर करने का एक तरीका हो सकता है।
  • ‘शांति के लिए शक्ति’ की अवधारणा: यह तर्क दिया जा सकता है कि परमाणु हथियारों का अस्तित्व ही बड़े युद्धों को रोकता है (जैसा कि शीत युद्ध के दौरान देखा गया)। ऐसी बयानबाजी उस ‘रुक-रुकाव’ (deterrence) को मजबूत करने का प्रयास हो सकती है।
  • अमेरिका की संप्रभुता: वे यह भी तर्क दे सकते हैं कि अमेरिका को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में अपनी रणनीति तय करने का पूरा अधिकार है, और किसी भी पूर्व राष्ट्रपति को अमेरिका की रक्षा क्षमताओं पर टिप्पणी करने से रोका नहीं जाना चाहिए।

विपक्ष (Arguments against Trump’s rhetoric):

  • बढ़ी हुई गलतफहमी: सबसे बड़ा तर्क यह है कि ऐसे बयान जानबूझकर या अनजाने में गलतफहमी पैदा कर सकते हैं, जिससे तनाव बढ़ता है और वास्तविक संघर्ष का खतरा बढ़ जाता है।
  • NPT के कमजोर होने का खतरा: जैसा कि पहले चर्चा की गई, यह अप्रसार की नींव को कमजोर करता है।
  • अस्थिरता को बढ़ावा: यह वैश्विक अस्थिरता को बढ़ाता है और अन्य देशों को परमाणु हथियार बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
  • मानवीय तबाही का जोखिम: परमाणु युद्ध का परिणाम अभूतपूर्व मानवीय तबाही होगी, और ऐसे बयानों से उस जोखिम को बढ़ाना गैर-जिम्मेदाराना है।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह

यह स्थिति कई गंभीर चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है:

चुनौतियाँ:

  • परमाणु शक्तियों के बीच संवाद: अमेरिका और रूस जैसे देशों के बीच स्पष्ट और निरंतर संवाद का अभाव, गलतफहमी को बढ़ा सकता है।
  • अप्रसार व्यवस्था का क्षरण: NPT जैसी महत्वपूर्ण संधियों का कमजोर होना, वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।
  • राजनीतिक ध्रुवीकरण: घरेलू राजनीति में ऐसे मुद्दे अक्सर ध्रुवीकरण का कारण बनते हैं, जिससे संतुलित विदेश नीति बनाना मुश्किल हो जाता है।
  • प्रौद्योगिकी का विकास: नई परमाणु प्रौद्योगिकियों का विकास, जैसे हाइपरसोनिक मिसाइलें, पहले से ही परमाणु हथियारों के उपयोग की धारणा को बदल रहा है।

भविष्य की राह:

  • निरंतर संवाद: परमाणु शक्ति संपन्न देशों को एक-दूसरे के साथ, विशेष रूप से परमाणु मुद्दों पर, निरंतर और पारदर्शी संवाद बनाए रखना चाहिए।
  • NPT का सुदृढ़ीकरण: सभी देशों को NPT के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराना चाहिए और संधि को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
  • निरस्त्रीकरण पर जोर: परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए, न कि केवल बयानबाजी करनी चाहिए।
  • कूटनीतिक समाधान: किसी भी सैन्य संघर्ष के बजाय कूटनीतिक समाधान खोजने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
  • जन जागरूकता: परमाणु हथियारों के खतरों और NPT जैसे संधियों के महत्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष:

डोनाल्ड ट्रम्प के परमाणु ‘बयानों’ और रूस की प्रतिक्रिया पर NPT का हवाला देना, वैश्विक सुरक्षा और परमाणु अप्रसार के भविष्य के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यह हमें याद दिलाता है कि परमाणु हथियारों से जुड़े शब्दों और कार्यों में अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। NPT आज भी वैश्विक परमाणु व्यवस्था की रीढ़ है, और इसके सिद्धांतों का सम्मान करना सभी देशों की जिम्मेदारी है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस मुद्दे को समझना न केवल समसामयिक मामलों के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय संबंध, सुरक्षा, और कूटनीति जैसे विषयों की गहरी समझ भी प्रदान करता है। भविष्य में, ऐसी बयानबाजी को रोकना और निरस्त्रीकरण की दिशा में ठोस कदम उठाना ही विश्व को सुरक्षित बनाने का मार्ग है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

a) सभी देशों को परमाणु हथियार विकसित करने की अनुमति देना।
b) परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना, निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देना और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को सक्षम बनाना।
c) केवल परमाणु हथियारों के परीक्षण पर रोक लगाना।
d) परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित करना।
उत्तर: b)
व्याख्या: NPT के तीन मुख्य स्तंभ हैं: अप्रसार, निरस्त्रीकरण और शांतिपूर्ण उपयोग। यह संधि परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने और परमाणु हथियारों वाले देशों को निरस्त्रीकरण की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध करती है।

2. निम्नलिखित में से कौन सा देश NPT पर हस्ताक्षरकर्ता नहीं है?

a) संयुक्त राज्य अमेरिका
b) रूस
c) भारत
d) फ्रांस
उत्तर: c)
व्याख्या: भारत, पाकिस्तान और इज़राइल NPT पर हस्ताक्षरकर्ता नहीं हैं, क्योंकि उनका मानना ​​है कि यह संधि भेदभावपूर्ण है और उनकी सुरक्षा चिंताओं का समाधान नहीं करती है।

3. ‘परमाणु अप्रसार’ (Non-proliferation) के संदर्भ में, इसका क्या अर्थ है?

a) परमाणु हथियारों को पूरी तरह से समाप्त करना।
b) परमाणु हथियारों को एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र में जाने से रोकना।
c) परमाणु हथियारों का उपयोग केवल रक्षात्मक उद्देश्यों के लिए करना।
d) परमाणु हथियारों का शांतिपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना।
उत्तर: b)
व्याख्या: परमाणु अप्रसार का सीधा अर्थ है परमाणु हथियारों को उन देशों तक पहुँचने से रोकना जिनके पास वे वर्तमान में नहीं हैं।

4. ‘परमाणु निरस्त्रीकरण’ (Disarmament) का क्या अर्थ है?

a) परमाणु हथियारों के उपयोग को नियंत्रित करना।
b) परमाणु हथियारों के उत्पादन को रोकना।
c) परमाणु हथियारों को पूरी तरह से समाप्त करना।
d) परमाणु हथियारों के प्रसार पर प्रतिबंध लगाना।
उत्तर: c)
व्याख्या: परमाणु निरस्त्रीकरण का अर्थ है सभी परमाणु हथियारों का पूर्ण उन्मूलन।

5. रूस द्वारा डोनाल्ड ट्रम्प की ‘परमाणु बयानबाजी’ पर NPT का हवाला देने का संभावित अर्थ क्या हो सकता है?

a) रूस परमाणु हथियारों के प्रसार का समर्थन करता है।
b) रूस मानता है कि ऐसे बयान NPT के सिद्धांतों के विरुद्ध हैं और वैश्विक परमाणु व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करते हैं।
c) रूस अमेरिका के साथ परमाणु अप्रसार पर सहयोग करने के लिए सहमत है।
d) रूस परमाणु हथियारों के शांतिपूर्ण उपयोग पर जोर दे रहा है।
उत्तर: b)
व्याख्या: रूस NPT के मुख्य हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक है और अप्रसार व निरस्त्रीकरण को महत्व देता है। ट्रम्प के बयानों को NPT के मूल सिद्धांतों से विचलन के रूप में देखकर, रूस अपनी चिंता व्यक्त कर रहा है।

6. शीत युद्ध के दौरान ‘परमाणु रुक-रुकाव’ (Nuclear Deterrence) की अवधारणा का मुख्य उद्देश्य क्या था?

a) एक देश को दूसरे देश पर परमाणु हमला करने से रोकना।
b) परमाणु हथियारों का उपयोग करके युद्ध जीतना।
c) परमाणु हथियारों का शांतिपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना।
d) परमाणु हथियारों के प्रसार को प्रोत्साहित करना।
उत्तर: a)
व्याख्या: रुक-रुकाव की अवधारणा यह है कि परमाणु हथियारों की भयावहता के कारण, कोई भी देश दूसरे परमाणु शक्ति संपन्न देश पर पहला हमला करने का जोखिम नहीं उठाएगा, क्योंकि इससे प्रतिशोधात्मक हमला होगा और दोनों पक्षों का विनाश होगा।

7. निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘परमाणु हथियार राष्ट्र’ (Nuclear-weapon State) है, जो NPT की धारा IX(3) के अनुसार परिभाषित है?

a) उत्तर कोरिया
b) इज़राइल
c) ईरान
d) यूनाइटेड किंगडम
उत्तर: d)
व्याख्या: NPT के अनुसार, 1 जनवरी 1967 से पहले परमाणु हथियार का निर्माण और विस्फोट करने वाला देश ही ‘परमाणु हथियार राष्ट्र’ माना जाता है। इसमें अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूके और चीन शामिल हैं। उत्तर कोरिया, इज़राइल और भारत इस परिभाषा में नहीं आते।

8. ट्रम्प की ‘परमाणु बयानबाजी’ से किस प्रकार की वैश्विक प्रतिक्रिया की उम्मीद की जा सकती है?

a) परमाणु हथियारों के अप्रसार के प्रति अधिक प्रतिबद्धता।
b) परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में तेज गति।
c) वैश्विक अनिश्चितता में वृद्धि और कुछ देशों द्वारा परमाणु हथियार विकास की ओर झुकाव।
d) परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में अधिक सहयोग।
उत्तर: c)
व्याख्या: ऐसे बयानों से अनिश्चितता बढ़ती है और जो देश पहले से ही परमाणु हथियार बनाने के इच्छुक हैं, उन्हें प्रोत्साहन मिल सकता है।

9. NPT की समीक्षा सम्मेलन (Review Conference) का क्या महत्व है?

a) संधि को तोड़ने के लिए नए तरीकों पर चर्चा करना।
b) संधि के कार्यान्वयन की समीक्षा करना और भविष्य की कार्रवाई पर निर्णय लेना।
c) परमाणु हथियारों के परीक्षण की आवृत्ति तय करना।
d) नए परमाणु हथियार राष्ट्रों की पहचान करना।
उत्तर: b)
व्याख्या: समीक्षा सम्मेलन संधि के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा करने और उसके कार्यान्वयन को बेहतर बनाने के तरीकों पर विचार करने के लिए आयोजित किए जाते हैं।

10. यदि प्रमुख परमाणु शक्तियाँ NPT के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को कमजोर करती हैं, तो इसका अप्रसार व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?

a) यह संधि को अधिक मजबूत करेगा।
b) यह संधि को कमजोर कर सकता है और अन्य देशों को परमाणु हथियार विकसित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
c) इसका अप्रसार व्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
d) यह केवल शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगा।
उत्तर: b)
व्याख्या: प्रमुख शक्तियों का उदाहरण दूसरों के लिए एक मिसाल कायम करता है। यदि वे स्वयं नियमों का पालन नहीं करते, तो संधि का प्रभाव कम हो जाता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. डोनाल्ड ट्रम्प की ‘परमाणु बयानबाजी’ और रूस की ‘सावधानी’ को परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के सिद्धांतों के संदर्भ में विश्लेषित करें। इस स्थिति के वैश्विक सुरक्षा और अप्रसार व्यवस्था पर संभावित निहितार्थों पर चर्चा करें।

2. परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के तीन स्तंभों (अप्रसार, निरस्त्रीकरण, और परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग) की व्याख्या करें। वर्तमान वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में NPT की प्रासंगिकता और चुनौतियों का मूल्यांकन करें।

3. ‘परमाणु रुक-रुकाव’ (Nuclear Deterrence) की अवधारणा क्या है और इसने शीत युद्ध के दौरान अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा को कैसे प्रभावित किया? आधुनिक युग में, जहाँ बयानबाजी और सूचना युद्ध आम है, इस अवधारणा की प्रासंगिकता और जोखिम क्या हैं?

4. वैश्विक परमाणु व्यवस्था को स्थिर रखने और परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए भारत की क्या भूमिका हो सकती है? NPT पर हस्ताक्षर न करने के बावजूद, भारत परमाणु अप्रसार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता कैसे प्रदर्शित करता है? (यह प्रश्न सीधे तौर पर दिए गए समाचार से जुड़ा नहीं है, लेकिन UPSC के लिए प्रासंगिक है और इस संदर्भ में एक व्यापक समझ विकसित करता है।)

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