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ट्रम्प की चेतावनी: टैरिफ हटाने से 1929 जैसी महामंदी का खतरा? अमेरिका की अर्थव्यवस्था का विश्लेषण

ट्रम्प की चेतावनी: टैरिफ हटाने से 1929 जैसी महामंदी का खतरा? अमेरिका की अर्थव्यवस्था का विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसमें उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि वर्तमान अमेरिकी सरकार द्वारा लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) को हटाया गया, तो अमेरिका 1929 की महामंदी (Great Depression) जैसी आर्थिक तबाही का सामना कर सकता है। यह बयान अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, संरक्षणवाद (Protectionism) और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के बारे में एक महत्वपूर्ण बहस को फिर से शुरू करता है। UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से, यह मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों, व्यापार नीतियों और मैक्रोइकॉनॉमिक्स (Macroeconomics) के सिद्धांतों को समझने के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।

यह लेख डोनाल्ड ट्रम्प की इस चेतावनी के पीछे के तर्कों, टैरिफ के इतिहास, 1929 की महामंदी के कारणों, टैरिफ हटाने के संभावित प्रभावों और UPSC सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रासंगिक विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करेगा।

ट्रम्प का तर्क: टैरिफ और महामंदी का संबंध

डोनाल्ड ट्रम्प का मूल तर्क यह है कि टैरिफ अमेरिकी उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए आवश्यक हैं। उनका मानना है कि टैरिफ घरेलू उत्पादकों को एक समान अवसर प्रदान करते हैं, जिससे अमेरिकी नौकरियां सुरक्षित रहती हैं और देश के भीतर विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलता है।

ट्रम्प के अनुसार, टैरिफ हटाने से निम्नलिखित नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं:

  • घरेलू उद्योगों पर दबाव: सस्ते आयातित सामानों की बाढ़ आ जाएगी, जिससे अमेरिकी कंपनियां प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगी और उन्हें उत्पादन कम करना पड़ सकता है या बंद भी करना पड़ सकता है।
  • नौकरियों का नुकसान: घरेलू उद्योगों के बंद होने या उत्पादन कम होने से बड़े पैमाने पर नौकरियां जा सकती हैं।
  • व्यापार घाटे में वृद्धि: आयात बढ़ने और निर्यात पर संभावित जवाबी कार्रवाई (Retaliation) के कारण अमेरिका का व्यापार घाटा (Trade Deficit) और बढ़ सकता है।
  • आर्थिक मंदी: उपरोक्त सभी कारक मिलकर अर्थव्यवस्था को कमजोर कर सकते हैं, जिससे मांग कम हो सकती है, निवेश घट सकता है और अंततः एक गंभीर आर्थिक मंदी आ सकती है, जिसकी तुलना उन्होंने 1929 की महामंदी से की है।

ट्रम्प ने अपने कार्यकाल के दौरान भी “अमेरिका फर्स्ट” (America First) नीति के तहत कई देशों पर टैरिफ लगाए थे, खासकर चीन पर। उनका मानना था कि यह अमेरिका के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए आवश्यक था।

1929 की महामंदी: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

1929 की महामंदी, जिसे ग्रेट डिप्रेशन के नाम से जाना जाता है, 20वीं सदी की सबसे गंभीर और व्यापक आर्थिक मंदी थी। यह अमेरिका में शुरू हुई और तेजी से पूरी दुनिया में फैल गई। इसके कारणों में कई जटिल कारक शामिल थे:

  • शेयर बाजार का पतन (Stock Market Crash of 1929): न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में 1929 के अक्टूबर में हुए भारी गिरावट ने लोगों के विश्वास को हिला दिया और आर्थिक गतिविधियों को रोक दिया।
  • बैंकिंग प्रणाली की विफलता: बैंकों के दिवालिया होने और ऋणों की कमी ने आर्थिक गतिविधियों को और बाधित किया।
  • कृषि संकट: किसानों पर अत्यधिक कर्ज और गिरती कीमतों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया।
  • असमान धन वितरण: धन का कुछ ही लोगों के हाथों में केंद्रित होना, जिससे आम लोगों की क्रय शक्ति (Purchasing Power) सीमित थी।
  • संरक्षणवादी व्यापार नीतियां: विशेष रूप से अमेरिका द्वारा 1930 में पारित स्मूट-हॉली टैरिफ एक्ट (Smoot-Hawley Tariff Act) ने आयात शुल्क को रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा दिया। इसका उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों की रक्षा करना था, लेकिन इसने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बुरी तरह से प्रभावित किया और वैश्विक मंदी को गहरा करने में योगदान दिया। कई देशों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका पर टैरिफ लगाए, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार लगभग ठप्प हो गया।

“स्मूट-हॉली टैरिफ एक्ट को अक्सर महामंदी के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है, क्योंकि इसने वैश्विक व्यापार को अवरुद्ध कर दिया और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को कमजोर किया।”

टैरिफ हटाना: संभावित आर्थिक प्रभाव

अब सवाल उठता है कि यदि वर्तमान टैरिफ हटा दिए जाएं तो क्या वास्तव में 1929 जैसी महामंदी आ सकती है? इसका उत्तर सीधा ‘हां’ या ‘नहीं’ में नहीं दिया जा सकता। टैरिफ हटाने के प्रभावों का विश्लेषण कई कोणों से किया जाना चाहिए:

सकारात्मक प्रभाव (Potential Positive Impacts):

  1. कम उपभोक्ता कीमतें: आयात शुल्क हटने से आयातित वस्तुओं की कीमतें कम हो सकती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा और क्रय शक्ति बढ़ेगी।
  2. बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा: घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा, जिससे उन्हें अधिक कुशल और नवोन्मेषी (Innovative) बनने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
  3. व्यापार घाटे में कमी (कुछ परिदृश्यों में): यदि अन्य देश भी अपने टैरिफ कम करते हैं, तो अमेरिकी निर्यात बढ़ सकता है, जिससे व्यापार घाटा कम हो सकता है।
  4. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि: व्यापार बाधाओं को दूर करने से देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक संबंध बेहतर हो सकते हैं।
  5. आपूर्ति श्रृंखलाओं (Supply Chains) का अनुकूलन: कंपनियां लागत कम करने के लिए सर्वोत्तम आपूर्तिकर्ताओं को चुन सकेंगी, भले ही वे किसी भी देश में हों।

नकारात्मक प्रभाव (Potential Negative Impacts):

  1. घरेलू उद्योगों को झटका: जैसा कि ट्रम्प ने दावा किया, जिन उद्योगों को टैरिफ से सुरक्षा मिल रही थी, वे अचानक प्रतिस्पर्धा के दबाव में आ सकते हैं। इससे कुछ उद्योगों में उत्पादन कम हो सकता है और नौकरियां जा सकती हैं।
  2. कुछ देशों पर निर्भरता: यदि अमेरिका कुछ वस्तुओं के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर हो जाता है और ये आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित होती हैं, तो यह एक महत्वपूर्ण जोखिम पैदा कर सकता है।
  3. मुद्रा अवमूल्यन (Currency Devaluation): टैरिफ हटाने से अमेरिकी डॉलर का मूल्य बढ़ सकता है, जिससे अमेरिकी निर्यात महंगे हो सकते हैं और आयात सस्ते।
  4. रणनीतिक उद्योगों का कमजोर होना: राष्ट्रीय सुरक्षा या महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लिए आवश्यक उद्योगों में विदेशी प्रतिस्पर्धा का सामना करने पर वे कमजोर हो सकते हैं।

ट्रम्प की चेतावनी की व्यवहार्यता का विश्लेषण

ट्रम्प की 1929 जैसी महामंदी की चेतावनी को वर्तमान आर्थिक संदर्भ में रखना महत्वपूर्ण है। 2023-24 की वैश्विक अर्थव्यवस्था 1929 की तुलना में बहुत भिन्न है:

  • वैश्वीकरण (Globalization): आज की अर्थव्यवस्था अत्यधिक वैश्वीकृत है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण इंजन है। 1929 के बाद से, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों और संस्थानों (जैसे WTO) ने वैश्विक व्यापार को सुविधाजनक बनाने में मदद की है।
  • आर्थिक उपकरण: आज सरकारों और केंद्रीय बैंकों के पास मंदी से निपटने के लिए अधिक प्रभावी आर्थिक उपकरण हैं, जैसे कि मौद्रिक नीति (Monetary Policy) और राजकोषीय नीति (Fiscal Policy)।
  • स्मूट-हॉली एक्ट का अंतर: वर्तमान टैरिफ, हालांकि कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उच्च हो सकते हैं, स्मूट-हॉली टैरिफ एक्ट की तरह व्यापक या विनाशकारी नहीं हैं।
  • जटिल आपूर्ति श्रृंखलाएं: आधुनिक आपूर्ति श्रृंखलाएं अत्यंत जटिल हैं। एक देश में टैरिफ हटाने या लगाने का प्रभाव विश्व स्तर पर महसूस किया जाता है।

विशेषज्ञों का मत: अधिकांश अर्थशास्त्री मानते हैं कि केवल टैरिफ हटाने से 1929 जैसी महामंदी नहीं आएगी। हालांकि, टैरिफ हटाने के अल्पकालिक और कुछ क्षेत्रों में नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, विशेष रूप से उन उद्योगों में जो हाल ही में लगाए गए टैरिफ से लाभान्वित हुए हैं। यह अर्थव्यवस्था को धीमा कर सकता है और कुछ अनिश्चितता पैदा कर सकता है।

“यह कहना कि टैरिफ हटाने से सीधे 1929 जैसी महामंदी आ जाएगी, एक अतिशयोक्ति हो सकती है, लेकिन यह निश्चित रूप से कुछ आर्थिक झटकों का कारण बन सकता है।”

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

यह विषय UPSC सिविल सेवा परीक्षा के कई चरणों के लिए प्रासंगिक है:

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):

  • अर्थशास्त्र: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, टैरिफ, कोटा, व्यापार संतुलन, व्यापार घाटा, संरक्षणवाद, मुक्त व्यापार (Free Trade)।
  • इतिहास: 1929 की महामंदी, स्मूट-हॉली टैरिफ एक्ट।
  • समसामयिकी: वर्तमान वैश्विक व्यापार युद्ध (Trade Wars), अमेरिका-चीन व्यापार संबंध।

मुख्य परीक्षा (Mains):

  • GS-I (इतिहास): विश्व इतिहास में आर्थिक मंदी और उनके कारण।
  • GS-II (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौते, वैश्विक आर्थिक शासन, संरक्षणवाद का उदय, देशों के बीच आर्थिक संबंध।
  • GS-III (अर्थव्यवस्था): भारतीय अर्थव्यवस्था और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, विकास और अवसंरचना, राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली।
  • GS-IV (नीतिशास्त्र): राष्ट्रवाद, संरक्षणवाद और वैश्विक सहयोग के नैतिक आयाम।

निष्कर्ष: संतुलन की तलाश

डोनाल्ड ट्रम्प की चेतावनी, भले ही अतिरंजित हो, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीतियों के जटिल जाल और संरक्षणवाद के संभावित खतरों को उजागर करती है। 1929 की महामंदी एक गंभीर अनुस्मारक है कि कैसे संरक्षणवादी नीतियां वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर सकती हैं।

वर्तमान वैश्विक अर्थव्यवस्था, अपनी जटिलता और परस्पर निर्भरता के साथ, टैरिफ हटाने या लगाने के निर्णयों के प्रति अधिक संवेदनशील है। सरकारों को घरेलू उद्योगों की रक्षा और वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के बीच एक नाजुक संतुलन बनाना होता है।

UPSC उम्मीदवारों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि आर्थिक नीतियां केवल घरेलू कारकों पर आधारित नहीं होतीं, बल्कि उनका अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव भी होता है। टैरिफ, संरक्षणवाद और मुक्त व्यापार के लाभ और हानि का निष्पक्ष मूल्यांकन करना, और ऐतिहासिक संदर्भों को वर्तमान घटनाओं से जोड़ना, एक संपूर्ण विश्लेषण के लिए आवश्यक है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. स्मूट-हॉली टैरिफ एक्ट (Smoot-Hawley Tariff Act) किस वर्ष पारित किया गया था?
a) 1925
b) 1929
c) 1930
d) 1933
उत्तर: c) 1930
व्याख्या: स्मूट-हॉली टैरिफ एक्ट 1930 में अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पारित किया गया था, जिसने आयात शुल्क को काफी हद तक बढ़ा दिया था।

2. निम्नलिखित में से कौन 1929 की महामंदी के संभावित कारणों में से एक माना जाता है?
a) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि
b) उदार व्यापार नीतियां
c) संरक्षणवादी व्यापार नीतियां
d) केंद्रीय बैंकों द्वारा उदार मौद्रिक नीति
उत्तर: c) संरक्षणवादी व्यापार नीतियां
व्याख्या: स्मूट-हॉली टैरिफ एक्ट जैसी संरक्षणवादी नीतियों ने वैश्विक व्यापार को कम किया और मंदी को गहरा किया।

3. “संरक्षणवाद” (Protectionism) का तात्पर्य क्या है?
a) घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आयात पर कम शुल्क लगाना
b) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए आयात पर उच्च शुल्क लगाना
c) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को पूरी तरह से समाप्त करना
d) देशों के बीच मुक्त व्यापार को प्रोत्साहित करना
उत्तर: b) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए आयात पर उच्च शुल्क लगाना
व्याख्या: संरक्षणवाद का अर्थ है घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए व्यापार बाधाओं का उपयोग करना।

4. निम्नलिखित में से कौन सा एक “गैर-टैरिफ व्यापार बाधा” (Non-Tariff Barrier to Trade) का उदाहरण है?
a) आयात पर 10% शुल्क
b) माल के आयात पर कोटा (Quotas)
c) मुफ्त व्यापार समझौते
d) निर्यात सब्सिडी
उत्तर: b) माल के आयात पर कोटा (Quotas)
व्याख्या: कोटा माल की मात्रा पर सीमा लगाते हैं, जबकि टैरिफ उन पर लगाए गए कर होते हैं।

5. “व्यापार घाटा” (Trade Deficit) कब होता है?
a) जब निर्यात आयात से अधिक हो
b) जब आयात निर्यात से अधिक हो
c) जब निर्यात और आयात बराबर हों
d) जब कोई देश व्यापार न करे
उत्तर: b) जब आयात निर्यात से अधिक हो
व्याख्या: व्यापार घाटा तब होता है जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है।

6. विश्व व्यापार संगठन (WTO) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
a) सदस्य देशों के बीच संरक्षणवाद को बढ़ावा देना
b) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुचारू, अनुमानित और मुक्त बनाना
c) प्रत्येक देश के लिए अलग-अलग व्यापार नियम बनाना
d) राष्ट्रीय उद्योगों को पूरी तरह से सब्सिडी देना
उत्तर: b) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुचारू, अनुमानित और मुक्त बनाना
व्याख्या: WTO का लक्ष्य वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देना और व्यापार विवादों को सुलझाना है।

7. “मुद्रा अवमूल्यन” (Currency Devaluation) का सीधा प्रभाव क्या होता है?
a) निर्यात सस्ते और आयात महंगे हो जाते हैं।
b) निर्यात महंगे और आयात सस्ते हो जाते हैं।
c) देश की आर्थिक वृद्धि तेज होती है।
d) विदेशी निवेश में वृद्धि होती है।
उत्तर: a) निर्यात सस्ते और आयात महंगे हो जाते हैं।
व्याख्या: जब किसी देश की मुद्रा का अवमूल्यन होता है, तो उसके निर्यात विदेशी खरीदारों के लिए सस्ते हो जाते हैं, और आयात स्थानीय खरीदारों के लिए महंगे हो जाते हैं।

8. निम्नलिखित में से कौन सा कथन “अमेरिकन फर्स्ट” (America First) नीति के संदर्भ में सही है?
a) यह वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने वाली नीति थी।
b) इसका मुख्य उद्देश्य अमेरिकी आर्थिक और औद्योगिक हितों को प्राथमिकता देना था।
c) इसने सभी प्रकार के टैरिफ को समाप्त करने का आह्वान किया।
d) इसका लक्ष्य अन्य देशों के साथ व्यापार घाटे को कम करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करना था।
उत्तर: b) इसका मुख्य उद्देश्य अमेरिकी आर्थिक और औद्योगिक हितों को प्राथमिकता देना था।
व्याख्या: “अमेरिकन फर्स्ट” एक राष्ट्रवादी नीति है जो घरेलू हितों को अंतर्राष्ट्रीय हितों पर प्राथमिकता देती है।

9. “आपूर्ति श्रृंखला” (Supply Chain) का सबसे अच्छा वर्णन क्या है?
a) केवल उत्पादों का निर्माण
b) कच्चे माल की खरीद से लेकर अंतिम उत्पाद की उपभोक्ता तक डिलीवरी तक की पूरी प्रक्रिया
c) केवल माल का परिवहन
d) केवल विपणन और बिक्री
उत्तर: b) कच्चे माल की खरीद से लेकर अंतिम उत्पाद की उपभोक्ता तक डिलीवरी तक की पूरी प्रक्रिया
व्याख्या: आपूर्ति श्रृंखला एक व्यापक शब्द है जिसमें उत्पादन, सोर्सिंग, लॉजिस्टिक्स और वितरण शामिल हैं।

10. यदि कोई देश अपने आयात पर टैरिफ बढ़ाता है, तो इसका क्या संभावित परिणाम हो सकता है?
a) घरेलू उत्पादकों को लाभ हो सकता है।
b) उपभोक्ताओं के लिए कीमतें कम हो सकती हैं।
c) निर्यात में वृद्धि हो सकती है।
d) व्यापार घाटा कम हो सकता है।
उत्तर: a) घरेलू उत्पादकों को लाभ हो सकता है।
व्याख्या: टैरिफ आयातित माल को महंगा बनाकर घरेलू उद्योगों को प्रतिस्पर्धा में लाभ पहुंचाते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. “संरक्षणवाद, विशेष रूप से टैरिफ के उपयोग के माध्यम से, घरेलू उद्योगों की रक्षा कर सकता है, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था को बाधित करने का जोखिम भी रखता है।” विश्लेषण करें कि 1929 की महामंदी के संदर्भ में यह कथन कितना सत्य था और वर्तमान वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके क्या निहितार्थ हैं।
(शब्द सीमा: 250)

2. डोनाल्ड ट्रम्प की “अमेरिकन फर्स्ट” नीति के तहत लगाए गए टैरिफ और उनके संभावित आर्थिक प्रभावों की चर्चा करें। क्या टैरिफ हटाने से वही आर्थिक परिणाम हो सकते हैं जैसा कि चेतावनी दी जा रही है? अपने उत्तर का समर्थन तर्क और उदाहरणों से करें।
(शब्द सीमा: 250)

3. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की वर्तमान जटिलता और परस्पर निर्भरता को देखते हुए, किसी एक प्रमुख अर्थव्यवस्था द्वारा लगाए गए टैरिफ के वैश्विक व्यापार, आर्थिक विकास और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर बहुआयामी प्रभावों का विश्लेषण करें।
(शब्द सीमा: 150)

4. “मुक्त व्यापार समझौतों (Free Trade Agreements) और संरक्षणवादी नीतियों के बीच संतुलन बनाना आधुनिक राष्ट्रों के लिए एक सतत चुनौती है।” इस कथन के आलोक में, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संरक्षणवाद की भूमिका और इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखें।
(शब्द सीमा: 150)

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