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ट्रम्प का ‘2x टैरिफ’ खेल: भारत एक मोहरा? चीन को चेतावनी और माध्यमिक प्रतिबंधों की आहट

ट्रम्प का ‘2x टैरिफ’ खेल: भारत एक मोहरा? चीन को चेतावनी और माध्यमिक प्रतिबंधों की आहट

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और भू-राजनीति के गलियारों में अचानक एक तीखी बहस छिड़ गई है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एक हालिया बयान ने दुनिया का ध्यान खींचा है, जिसमें उन्होंने भारत पर लगाए गए दोगुने टैरिफ (2x tariffs) को सीधे तौर पर चीन के लिए एक ‘चेतावनी’ बताया है। ट्रम्प ने यहाँ तक कहा कि यह कदम, जिसे कुछ लोग “माध्यमिक प्रतिबंधों” (Secondary Sanctions) की ओर पहला कदम मान रहे हैं, केवल 8 घंटे के भीतर ही अपनी गंभीरता दिखा गया। यह बयान न केवल भारत-अमेरिका बल्कि अमेरिका-चीन संबंधों के जटिल ताने-बाने को और भी पेचीदा बनाता है, और यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, विदेश नीति और समसामयिक घटनाओं के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह सिर्फ एक बयानबाजी का मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे वैश्विक व्यापार युद्धों, भू-राजनीतिक दबावों और राष्ट्रों की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं का एक गहरा जाल बुना हुआ है। ट्रम्प का यह अप्रत्याशित कदम, जिसने रातोंरात अंतरराष्ट्रीय व्यापार के समीकरणों को हिला दिया, कई सवाल खड़े करता है: क्या भारत इस खेल में एक मोहरे की भूमिका निभा रहा है? क्या अमेरिका अपने व्यापारिक विरोधियों पर दबाव बनाने के लिए ऐसे कदम उठा रहा है? और सबसे अहम, इस ‘चेतावनी’ का वास्तव में चीन पर क्या असर होगा, और भारत को इसकी कीमत कैसे चुकानी पड़ेगी?

ट्रम्प के बयान को समझना: ‘8 घंटे’ का क्या मतलब है?

डोनाल्ड ट्रम्प ने जिस तरह से इस मुद्दे को उठाया है, वह उनके विशिष्ट राजनीतिक अंदाज को दर्शाता है – सीधा, आक्रामक और अक्सर अप्रत्याशित। जब वे कहते हैं कि “केवल 8 घंटे” बीते हैं, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि भारत पर टैरिफ लगाने का निर्णय कितनी जल्दी लिया गया या इसका कितना त्वरित प्रभाव हुआ। यह एक तरह से अमेरिकी शक्ति और निर्णायकता का प्रदर्शन है।

मुख्य बिंदु:

  • तत्काल प्रभाव का संकेत: ट्रम्प का यह बयान यह दर्शाता है कि अमेरिकी नीति निर्माताओं ने कितनी तेज़ी से किसी मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है, या फिर उनके द्वारा उठाए गए कदम का प्रभाव कितनी जल्दी देखा जा सकता है।
  • भू-राजनीतिक दांव-पेंच: यह बयान उस बड़ी तस्वीर का हिस्सा है जहाँ अमेरिका, विशेष रूप से ट्रम्प प्रशासन के तहत, चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए विभिन्न देशों पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहा है।
  • “माध्यमिक प्रतिबंध” का संदर्भ: यह एक महत्वपूर्ण शब्द है। माध्यमिक प्रतिबंध वे प्रतिबंध होते हैं जो किसी देश पर सीधे तौर पर नहीं, बल्कि उन देशों या कंपनियों पर लगाए जाते हैं जो अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में आने वाले देश या संस्थाओं के साथ व्यापार करते हैं। ट्रम्प का इशारा था कि भारत पर टैरिफ लगाकर, अमेरिका उन देशों को भी अप्रत्यक्ष रूप से संकेत दे रहा है जो चीन के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखते हैं।

भारत पर 2x टैरिफ: एक ‘चेतावनी’ या रणनीतिक चाल?

जब ट्रम्प भारत पर दोगुने टैरिफ की बात करते हैं, तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह किस संदर्भ में कहा गया था। अक्सर, यह उन व्यापारिक असंतुलनों या नीतियों को लेकर होता है जिन्हें अमेरिका अपने हितों के खिलाफ मानता है।

“यह सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए एक संदेश है। अगर आप हमारे साथ उचित व्यवहार नहीं करते, तो हम कार्रवाई करेंगे। और यह कार्रवाई चीन जैसी बड़ी शक्तियों को भी संकेत देती है कि हम चुप बैठने वाले नहीं हैं।” – (अनुमानित कथन, ट्रम्प के बयान के भाव को दर्शाता हुआ)

भारत पर टैरिफ का प्रभाव:

  • आर्थिक बोझ: भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले सामान पर दोगुना टैरिफ लगने का सीधा मतलब है कि भारतीय निर्यातकों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना अधिक महंगा और कठिन हो जाएगा। इससे व्यापार घाटा बढ़ सकता है या फिर भारतीय कंपनियों को अपने उत्पाद की कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं, जिससे मांग कम हो सकती है।
  • विनिर्माण और रोजगार: यदि भारतीय उत्पादों की अमेरिकी बाजार में मांग घटती है, तो इसका असर भारत के विनिर्माण क्षेत्र और संबंधित रोजगारों पर पड़ सकता है।
  • निवेश पर प्रभाव: इस तरह के अप्रत्याशित व्यापारिक निर्णय विदेशी निवेशकों के विश्वास को डगमगा सकते हैं, जो भारत में निवेश करने से पहले अनिश्चितता का आकलन करेंगे।

चीन के लिए ‘चेतावनी’ कैसे?

  • अप्रत्यक्ष दबाव: ट्रम्प का तर्क यह है कि यदि अमेरिका अपने व्यापारिक सहयोगियों (जैसे भारत) के साथ ऐसे कदम उठा सकता है, तो वह चीन जैसे विरोधी देशों के साथ और भी कठोर कार्रवाई कर सकता है। यह चीन के लिए एक संकेत है कि वह अपने व्यापारिक आचरण को सुधारे, या फिर बदले की कार्रवाई के लिए तैयार रहे।
  • आपूर्ति श्रृंखलाओं पर नियंत्रण: अमेरिका विश्व की आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है, विशेष रूप से उन देशों को लक्षित करके जो चीन के साथ घनिष्ठ व्यापारिक संबंध रखते हैं। भारत पर टैरिफ लगाकर, अमेरिका यह संदेश दे सकता है कि वह किसी भी देश को चीन के साथ मिलकर अमेरिकी हितों के खिलाफ काम करने की अनुमति नहीं देगा।

माध्यमिक प्रतिबंध (Secondary Sanctions): एक नया खतरा?

माध्यमिक प्रतिबंध एक शक्तिशाली लेकिन विवादास्पद उपकरण हैं। ये ऐसे प्रतिबंध होते हैं जो किसी तीसरे देश या संस्था पर लगाए जाते हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने किसी प्रतिबंधित देश (इस मामले में, अप्रत्यक्ष रूप से चीन) के साथ व्यापार किया है।

माध्यमिक प्रतिबंधों की कार्यप्रणाली:

  1. अमेरिका का कानूनी ढांचा: अमेरिकी सरकार अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए माध्यमिक प्रतिबंध लगा सकती है। यह अक्सर उन देशों पर लगाया जाता है जो अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेश नीति के लिए खतरा माने जाते हैं।
  2. तीसरे पक्ष पर कार्रवाई: उदाहरण के लिए, यदि अमेरिका ईरान पर प्रतिबंध लगाता है, और भारत ईरान से तेल खरीदता है, तो अमेरिका भारत पर भी प्रतिबंध लगाने की धमकी दे सकता है या वास्तव में प्रतिबंध लगा सकता है।
  3. चीन के संदर्भ में: ट्रम्प का बयान यह संकेत दे सकता है कि यदि चीन अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध में या अन्य भू-राजनीतिक मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाता है, तो अमेरिका उन देशों पर भी दबाव बनाएगा जो चीन के साथ व्यापार कर रहे हैं। यह एक तरह से “आप या तो हमारे साथ हैं, या उनके साथ” वाली स्थिति बनाने का प्रयास है।

क्या भारत एक मोहरा है?

यह एक गंभीर सवाल है। यदि भारत पर लगाए गए टैरिफ का प्राथमिक उद्देश्य चीन को धमकाना है, तो भारत अनजाने में या जानबूझकर अमेरिका और चीन के बीच चल रहे बड़े शक्ति संघर्ष में एक मोहरे की भूमिका निभा सकता है।

  • सामरिक दुविधा: भारत को अमेरिका के साथ अपने रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को संतुलित करना होगा, जबकि चीन के साथ अपनी लंबी सीमा और व्यापारिक निर्भरता को भी ध्यान में रखना होगा। इस तरह के कदम भारत को एक असहज स्थिति में डाल देते हैं।
  • आत्मनिर्भरता का प्रश्न: ऐसे समय में, भारत के लिए अपनी आर्थिक आत्मनिर्भरता और उन नीतियों को मजबूत करना महत्वपूर्ण हो जाता है जो उसे बाहरी दबावों से बचा सकें।

वैश्विक व्यापार युद्ध और भारत का स्थान

ट्रम्प के इस बयान को वैश्विक व्यापार युद्धों के बड़े परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए, जो विशेष रूप से अमेरिका और चीन के बीच चल रहे हैं।

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध:

  • मूल कारण: अमेरिका लंबे समय से चीन के व्यापारिक व्यवहार, बौद्धिक संपदा की चोरी, और विशाल व्यापार घाटे से नाखुश रहा है। इसके जवाब में, अमेरिका ने चीन के उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए हैं।
  • चीन की प्रतिक्रिया: चीन ने भी जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाए हैं।
  • “टैरिफ वार” का विस्तार: ट्रम्प का यह कहना कि भारत पर टैरिफ चीन के लिए चेतावनी है, इस व्यापार युद्ध को नई दिशा देने का प्रयास है। अमेरिका यह दिखाना चाहता है कि वह अपने व्यापारिक सहयोगियों को भी प्रभावित कर सकता है यदि वे चीन के खिलाफ अमेरिकी रुख का समर्थन नहीं करते हैं या चीन के साथ अपने संबंधों को कम नहीं करते हैं।

भारत की स्थिति:

  • गुटनिरपेक्षता की नीति: भारत पारंपरिक रूप से गुटनिरपेक्षता और अपनी विदेश नीति में स्वायत्तता बनाए रखने का प्रयास करता रहा है। हालांकि, वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में, यह तेजी से कठिन होता जा रहा है।
  • रणनीतिक साझेदारी: भारत अमेरिका के साथ QUAD (चतुर्भुज सुरक्षा संवाद) जैसे मंचों पर सहयोग कर रहा है, जिसका एक प्रमुख उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना है। इस संदर्भ में, भारत की अपनी सीमाएँ हैं जहाँ वह अमेरिका के इशारों पर काम नहीं कर सकता।
  • आर्थिक निर्भरता: भारत अभी भी कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अमेरिकी प्रौद्योगिकी और निवेश पर निर्भर है। इसलिए, अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव भारत के लिए हानिकारक हो सकता है।

पक्ष और विपक्ष: क्या यह कदम न्यायोचित है?

ट्रम्प के कदम के पक्ष में तर्क (संभावित):

  • निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा: ट्रम्प का तर्क हो सकता है कि वे देशों को निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को अपनाने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा: कुछ टैरिफ राष्ट्रीय सुरक्षा के तर्क पर भी लगाए जा सकते हैं, जैसे कि विशिष्ट प्रौद्योगिकियों या उत्पादों के आयात को नियंत्रित करना।
  • चीन पर दबाव: अमेरिका को लगता है कि चीन के आक्रामक विस्तारवाद और व्यापारिक प्रथाओं का मुकाबला करने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।

ट्रम्प के कदम के विपक्ष में तर्क:

  • संरक्षणवाद: आलोचक इसे संरक्षणवादी नीति मानते हैं जो वैश्विक मुक्त व्यापार के सिद्धांतों के खिलाफ है।
  • बदले की कार्रवाई: इस तरह की कार्रवाइयाँ अक्सर प्रतिशोधात्मक व्यापार युद्धों को जन्म देती हैं, जिससे सभी देशों को नुकसान होता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन: विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर, एकतरफा टैरिफ लगाना नियमों का उल्लंघन माना जा सकता है।
  • सहयोगियों को अस्थिर करना: सहयोगियों पर टैरिफ लगाना, जैसा कि भारत के मामले में, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में अस्थिरता पैदा कर सकता है।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह

भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए इस स्थिति में कई चुनौतियाँ हैं:

  • अनिश्चितता: अमेरिकी व्यापार नीतियों में निरंतर बदलाव और अप्रत्याशितता अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए एक बड़ी चुनौती है।
  • प्रतिशोध का जोखिम: यदि टैरिफ युद्ध बढ़ता है, तो यह वैश्विक मंदी को भी जन्म दे सकता है।
  • कूटनीतिक संतुलन: भारत को अमेरिका और चीन दोनों के साथ अपने संबंधों को सावधानीपूर्वक प्रबंधित करना होगा।

भारत के लिए भविष्य की राह:

  • विविधीकरण: भारत को अपनी निर्यात बाजारों और आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लानी चाहिए ताकि वह किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भर न रहे।
  • घरेलू उत्पादन को बढ़ावा: ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलें महत्वपूर्ण हैं ताकि भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अधिक मजबूत स्थिति बना सके।
  • कूटनीतिक पहल: भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय रहना चाहिए और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए।
  • स्पष्ट संवाद: भारत को अमेरिका और चीन दोनों के साथ अपने व्यापारिक और रणनीतिक हितों के बारे में स्पष्ट संवाद बनाए रखना चाहिए।

निष्कर्ष:

डोनाल्ड ट्रम्प का यह बयान कि भारत पर दोगुने टैरिफ चीन के लिए एक ‘चेतावनी’ हैं, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, कूटनीति और भू-राजनीति का एक जटिल मिश्रण प्रस्तुत करता है। यह दर्शाता है कि कैसे बड़े राष्ट्र छोटे या मध्यम आकार के देशों को अपनी रणनीतियों में शामिल कर सकते हैं। भारत के लिए, यह एक नाजुक संतुलन बनाने का समय है – अपने आर्थिक हितों की रक्षा करना, अपने प्रमुख व्यापारिक भागीदारों के साथ संबंधों को बनाए रखना, और वैश्विक मंच पर अपनी स्वायत्तता बनाए रखना। यह केवल 8 घंटे की बात नहीं है; यह एक लंबी लड़ाई का संकेत हो सकता है जो भारत की आर्थिक और रणनीतिक स्थिति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए, यह विषय अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR), अर्थव्यवस्था (Economy), और समसामयिक मामले (Current Affairs) जैसे जीएस पेपरों के लिए एक महत्वपूर्ण केस स्टडी प्रस्तुत करता है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. प्रश्न: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ‘माध्यमिक प्रतिबंध’ (Secondary Sanctions) से आप क्या समझते हैं?
(a) वे प्रतिबंध जो किसी देश पर सीधे उसके कार्यों के लिए लगाए जाते हैं।
(b) वे प्रतिबंध जो किसी देश के सहयोगियों पर लगाए जाते हैं, यदि वे प्रतिबंधों के दायरे में आने वाले देश के साथ व्यापार करते हैं।
(c) वे प्रतिबंध जो केवल उन वस्तुओं पर लगाए जाते हैं जिनका उपयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए हो सकता है।
(d) वे प्रतिबंध जो किसी देश के आर्थिक विकास को धीमा करने के लिए लगाए जाते हैं।
उत्तर: (b)
व्याख्या: माध्यमिक प्रतिबंध वे हैं जो किसी तीसरे पक्ष पर लगाए जाते हैं, केवल इसलिए क्योंकि उन्होंने अमेरिकी प्रतिबंधों के अधीन किसी देश या इकाई के साथ व्यापार किया है।

2. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ट्रम्प द्वारा भारत पर दोगुने टैरिफ को चीन के लिए ‘चेतावनी’ बताने के संदर्भ में अधिक सटीक है?
(a) यह केवल भारत के लिए एक व्यापारिक मुद्दा था।
(b) इसका उद्देश्य चीन को यह संकेत देना था कि अमेरिका अपने व्यापारिक विरोधियों के प्रति सख्त रुख अपना सकता है।
(c) यह भारत को अमेरिकी नीतियों का पालन करने के लिए मजबूर करने का एक सीधा प्रयास था।
(d) इसका मुख्य उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना था।
उत्तर: (b)
व्याख्या: ट्रम्प के बयान का विश्लेषण यह दर्शाता है कि भारत पर टैरिफ लगाने का उद्देश्य चीन पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाना था, ताकि वह अमेरिका की व्यापारिक और भू-राजनीतिक मांगों को माने।

3. प्रश्न: “2x टैरिफ” का अर्थ क्या है?
(a) निर्यात पर लगने वाले टैरिफ को दोगुना करना।
(b) आयात पर लगने वाले टैरिफ को दोगुना करना।
(c) व्यापार घाटे को दोगुना करना।
(d) टैरिफ की दर को 2% बढ़ाना।
उत्तर: (a)
व्याख्या: संदर्भ से स्पष्ट है कि निर्यात पर लगने वाले मौजूदा टैरिफ को दोगुना करने की बात कही जा रही है, जिससे निर्यात महंगा हो जाएगा।

4. प्रश्न: QUAD (चतुर्भुज सुरक्षा संवाद) में कौन से देश सदस्य हैं?
(a) भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया
(b) भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया
(c) भारत, चीन, रूस, अमेरिका
(d) अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस
उत्तर: (b)
व्याख्या: QUAD में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, जिसका एक उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करना है।

5. प्रश्न: “वैश्विक व्यापार युद्ध” (Global Trade War) शब्द का प्रयोग आमतौर पर किन देशों के बीच व्यापारिक तनावों का वर्णन करने के लिए किया जाता है?
(a) अमेरिका और यूरोपीय संघ
(b) अमेरिका और चीन
(c) भारत और चीन
(d) जापान और दक्षिण कोरिया
उत्तर: (b)
व्याख्या: हाल के वर्षों में, अमेरिका और चीन के बीच बड़े पैमाने पर टैरिफ युद्ध को ‘वैश्विक व्यापार युद्ध’ के रूप में देखा जाता रहा है।

6. प्रश्न: डोनाल्ड ट्रम्प के अनुसार, भारत पर टैरिफ लगाने के बाद ‘8 घंटे’ का उल्लेख किस बात का संकेत दे सकता है?
(a) कार्रवाई की गति और प्रभाव की तीव्रता।
(b) अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया की धीमी गति।
(c) बाजार में अचानक आई मंदी।
(d) भारत की आर्थिक वृद्धि दर में कमी।
उत्तर: (a)
व्याख्या: ट्रम्प का यह बयान कार्रवाई कितनी तेज़ी से हुई या उसका कितना त्वरित प्रभाव पड़ा, इसे दर्शाने के लिए था।

7. प्रश्न: भारत के लिए, अमेरिका द्वारा लगाए गए दोगुने टैरिफ के संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं?
1. भारतीय निर्यातकों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना अधिक महंगा हो जाएगा।
2. भारत के विनिर्माण क्षेत्र और रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
3. विदेशी निवेशकों का विश्वास डगमगा सकता है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: दोगुने टैरिफ से निर्यात महंगा होगा, विनिर्माण और रोजगार प्रभावित हो सकते हैं, और निवेश अनिश्चित हो सकता है, ये सभी संभावित परिणाम हैं।

8. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी अंतर्राष्ट्रीय संस्था वैश्विक व्यापार के नियमों को विनियमित करती है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
(b) विश्व बैंक (World Bank)
(c) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
(d) संयुक्त राष्ट्र (UN)
उत्तर: (c)
व्याख्या: विश्व व्यापार संगठन (WTO) वैश्विक व्यापार के नियमों और समझौतों को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार है।

9. प्रश्न: भारत की “गुटनिरपेक्षता” (Non-Alignment) की नीति का क्या अर्थ है?
(a) किसी भी देश के साथ गठबंधन न करना।
(b) प्रमुख वैश्विक शक्तियों के सैन्य गठबंधनों से स्वतंत्र रहना और अपने हितों के अनुसार निर्णय लेना।
(c) केवल आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहना।
(d) सभी देशों के साथ समान संबंध बनाए रखना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: गुटनिरपेक्षता का मूल सिद्धांत प्रमुख शक्ति गुटों से दूरी बनाए रखना और स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करना है।

10. प्रश्न: ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) केवल आयात को बढ़ावा देना।
(b) भारत को आर्थिक रूप से अधिक आत्मनिर्भर और सक्षम बनाना।
(c) केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
(d) विदेशी निवेश को पूरी तरह से रोकना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: आत्मनिर्भर भारत का उद्देश्य भारत को घरेलू विनिर्माण, नवाचार और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करके आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. प्रश्न: डोनाल्ड ट्रम्प के उस बयान का विश्लेषण करें जिसमें भारत पर लगाए गए दोगुने टैरिफ को चीन के लिए ‘चेतावनी’ बताया गया है। इस संदर्भ में ‘माध्यमिक प्रतिबंध’ (Secondary Sanctions) की अवधारणा की व्याख्या करें और बताएं कि यह भारत के लिए क्या भू-राजनीतिक और आर्थिक दुविधाएँ पैदा कर सकता है। (250 शब्द, 15 अंक)
2. प्रश्न: हाल के वर्षों में अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित किया है? भारत जैसे देशों के लिए इस स्थिति में अपनी विदेश और आर्थिक नीति को कैसे संतुलित करना महत्वपूर्ण है? (250 शब्द, 15 अंक)
3. प्रश्न: संरक्षणवाद (Protectionism) और मुक्त व्यापार (Free Trade) के बीच वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में चल रहे द्वंद्व का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। डोनाल्ड ट्रम्प की व्यापारिक नीतियां इस द्वंद्व को कैसे दर्शाती हैं? (150 शब्द, 10 अंक)
4. प्रश्न: भारत की “गुटनिरपेक्षता” की नीति आज के बहुध्रुवीय विश्व में कितनी प्रासंगिक है? विशेष रूप से अमेरिका और चीन जैसे प्रमुख शक्ति गुटों के साथ भारत के संबंधों के आलोक में विश्लेषण करें। (150 शब्द, 10 अंक)

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