ट्रम्प का भारत-रूस पर वार: ‘मरी अर्थव्यवस्थाओं को साथ ले डूबेंगे’, मेदवेदेव को चेतावनी का गहरा अर्थ
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और रूस के बीच संबंधों को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा कि “भारत और रूस अपनी मरी अर्थव्यवस्थाओं को साथ ले डूबेंगे” और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी माने जाने वाले रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई मेदवेदेव को इस बारे में चेतावनी दी। यह बयान यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में भारत की रूस के साथ जारी व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी को लेकर पश्चिमी देशों की चिंताओं को दर्शाता है। ट्रम्प का यह तीखा बयान, जिसे एक ‘जॅब’ (Jab) कहा गया है, वैश्विक कूटनीति और भू-राजनीति के बदलते परिदृश्य में भारत की स्थिति पर महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े करता है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटना अंतर्राष्ट्रीय संबंध, अर्थव्यवस्था, और कूटनीति से जुड़े मुद्दों की एक जटिल परत को समझने का अवसर प्रदान करती है।
डोनाल्ड ट्रम्प का बयान: एक विश्लेषणात्मक परिप्रेक्ष्य
डोनाल्ड ट्रम्प का यह बयान सतही तौर पर एक व्यक्तिगत राय या चुनावी रणनीति का हिस्सा लग सकता है, लेकिन इसके पीछे कई गंभीर भू-राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थ छिपे हैं।
- रूस पर प्रतिबंधों का दबाव: यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से, पश्चिमी देश रूस को अलग-थलग करने और उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए उस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा रहे हैं। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस को युद्ध समाप्त करने के लिए मजबूर करना है।
- भारत की भूमिका पर चिंता: भारत ने रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में हुए मतदानों से परहेज किया है और रूस से ऊर्जा (विशेषकर तेल) और अन्य वस्तुओं का आयात जारी रखा है। पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका, को यह चिंता है कि भारत का यह रुख रूस पर लगे प्रतिबंधों के प्रभाव को कमजोर कर रहा है।
- “मरी अर्थव्यवस्था” का आरोप: ट्रम्प का “मरी अर्थव्यवस्था” का आरोप रूस की अर्थव्यवस्था पर लगे प्रतिबंधों के प्रभाव को इंगित करता है। हालांकि, रूस ने इन प्रतिबंधों के बावजूद कुछ हद तक अपनी अर्थव्यवस्था को संभाला है, लेकिन दीर्घकालिक प्रभाव अभी भी अनिश्चित है।
- मेदेवेदेव को चेतावनी: मेदेवेदेव, जो रूस के पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं, को सीधे चेतावनी देना यह दर्शाता है कि ट्रम्प रूस के नेतृत्व पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं, संभवतः अप्रत्यक्ष रूप से भारत को भी संकेत दे रहे हैं।
भारत-रूस संबंध: एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत और रूस के संबंध दशकों पुराने और अत्यंत मजबूत रहे हैं। यह संबंध ऐतिहासिक रूप से विभिन्न स्तरों पर विकसित हुआ है:
- सामरिक साझेदारी: शीत युद्ध के दौरान, भारत का झुकाव सोवियत संघ की ओर था, जिसने भारत को सैन्य और आर्थिक सहायता प्रदान की। इस सहयोग ने आज की रणनीतिक साझेदारी की नींव रखी।
- रक्षा सहयोग: आज भी, रूस भारत के लिए हथियारों और सैन्य उपकरणों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। भारत अपने रक्षा उपकरणों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रूस से आयात करता है।
- ऊर्जा सहयोग: हाल के वर्षों में, भारत ने रूस से ऊर्जा आयात में वृद्धि की है, विशेषकर यूक्रेन युद्ध के बाद जब रूस ने रियायती दरों पर तेल की पेशकश की।
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सहयोग: दोनों देश अक्सर संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन करते रहे हैं।
ट्रम्प के बयान के पीछे की कूटनीति और उसके मायने
ट्रम्प के बयान को केवल एक राजनीतिक टिप्पणी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसके पीछे कई कूटनीतिक और राजनीतिक दांव-पेच हो सकते हैं:
- अमेरिका की भू-राजनीतिक रणनीति: अमेरिका, भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखता है और चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना चाहता है। इस संदर्भ में, भारत का रूस के साथ घनिष्ठ संबंध अमेरिका की कूटनीति के लिए एक चुनौती है।
- रूस को अलग-थलग करने का प्रयास: ट्रम्प का बयान रूस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक अलग-थलग करने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। भारत जैसे प्रमुख देशों पर दबाव बनाकर, अमेरिका रूस पर और अधिक प्रतिबंध लगाने या उसके साथ संबंध सीमित करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
- ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडा: ट्रम्प का “अमेरिका फर्स्ट” का एजेंडा अक्सर अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को व्यापार और राष्ट्रीय हित के लेंस से देखता है। संभव है कि वह भारत के रूस के साथ आर्थिक जुड़ाव को अमेरिका के आर्थिक या रणनीतिक हितों के विरुद्ध देख रहे हों।
- ‘ट्रम्प डॉक्टरिन’ की झलक: ट्रम्प का दृष्टिकोण अक्सर मुखर और अप्रत्यक्ष होता है। उनके बयान अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक “गैर-पारंपरिक” दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहां व्यक्तिगत बयानबाजी और सीधा हमला अक्सर कूटनीतिक बारीकियों पर हावी हो जाता है।
भारत का दृष्टिकोण: संतुलन साधने की कला
ट्रम्प के बयान के आलोक में, भारत की स्थिति काफी जटिल है। भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक हितों और स्वतंत्र विदेश नीति के बीच संतुलन बनाना होता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: जैसा कि ऊपर बताया गया है, भारत की रक्षा प्रणाली काफी हद तक रूसी हथियारों पर निर्भर है। ऐसे में, रूस के साथ संबंध बिगाड़ने से भारत की सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ सकता है।
- आर्थिक हित: यूक्रेन युद्ध के बाद, रूस द्वारा पेश की गई रियायती दरों पर तेल और अन्य ऊर्जा स्रोतों की खरीद भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर बढ़ती ऊर्जा कीमतों के माहौल में।
- रणनीतिक स्वायत्तता: भारत अपनी विदेश नीति में ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ का सिद्धांत अपनाता है, जिसका अर्थ है कि वह अपनी राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेता है, न कि किसी बाहरी शक्ति के दबाव में। रूस के साथ संबंध बनाए रखना इसी सिद्धांत का हिस्सा है।
- बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था: भारत एक बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था का समर्थक है, जहां विभिन्न शक्तियां सह-अस्तित्व में रहती हैं। रूस के साथ संबंध बनाए रखना इस दृष्टिकोण के अनुरूप है।
क्या भारत की अर्थव्यवस्था “मर रही है”?
ट्रम्प के इस दावे का विश्लेषण करना भी महत्वपूर्ण है कि भारत की अर्थव्यवस्था “मर रही है”। यह एक अतिशयोक्तिपूर्ण और संभवतः राजनीतिक रूप से प्रेरित बयान है।
- भारत की आर्थिक वृद्धि: हाल के वर्षों में, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहा है। हालांकि, वैश्विक मंदी, मुद्रास्फीति और भू-राजनीतिक तनावों का असर सभी अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा है, जिसमें भारत भी शामिल है।
- चुनौतियाँ: भारत के सामने बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, बढ़ती असमानता और संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता जैसी चुनौतियाँ हैं। लेकिन इन चुनौतियों का मतलब यह नहीं है कि अर्थव्यवस्था “मर रही है”।
- रूस पर निर्भरता का प्रभाव: भारत का रूस के साथ व्यापार, विशेषकर ऊर्जा आयात, कुल विदेशी व्यापार का एक छोटा हिस्सा है। इसलिए, रूस के साथ संबंधों का भारत की समग्र अर्थव्यवस्था पर प्रत्यक्ष और निर्णायक “विनाशकारी” प्रभाव पड़ने की संभावना कम है।
यूक्रेन युद्ध और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था पर प्रभाव
यह पूरा विवाद यूक्रेन युद्ध के व्यापक संदर्भ का हिस्सा है, जिसने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को कई तरह से प्रभावित किया है:
- अंतर्राष्ट्रीय कानून और संप्रभुता: यूक्रेन पर रूस का आक्रमण अंतर्राष्ट्रीय कानून और राष्ट्रों की संप्रभुता के सिद्धांतों के लिए एक गंभीर चुनौती है।
- वैश्विक गठबंधन का ध्रुवीकरण: यह युद्ध दुनिया को दो प्रमुख खेमों में विभाजित कर रहा है – एक जो रूस का विरोध कर रहा है (मुख्य रूप से पश्चिमी देश) और दूसरा जो तटस्थ बना हुआ है या रूस के साथ अपने संबंध बनाए रखे हुए है (जैसे भारत, चीन)।
- नई वैश्विक व्यवस्था की ओर? कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह युद्ध एक नई विश्व व्यवस्था के उदय का संकेत दे रहा है, जहाँ अमेरिका का प्रभुत्व कम हो सकता है और क्षेत्रीय शक्तियों का प्रभाव बढ़ सकता है।
भारत को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है?
ट्रम्प के बयान से प्रत्यक्ष रूप से कोई तत्काल कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन यह भविष्य में भारत के लिए कुछ चुनौतियाँ खड़ी कर सकता है:
- पश्चिमी देशों का बढ़ता दबाव: अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी भारत पर रूस के साथ अपने संबंधों को सीमित करने के लिए दबाव बढ़ा सकते हैं।
- प्रतिबंधों का उल्लंघन: यदि भारत रूसी रक्षा उपकरणों के आयात या अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में ऐसे कदम उठाता है जो पश्चिमी प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए दिखें, तो उसे ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवररीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट’ (CAATSA) जैसे कानूनों के तहत अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।
- कूटनीतिक संबंध: इस तरह के बयान भारत के लिए पश्चिमी देशों के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को प्रबंधित करना अधिक जटिल बना सकते हैं।
भविष्य की राह: संतुलन और कूटनीति
भारत के लिए आगे की राह कठिन है। उसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा करते हुए अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को बनाए रखना होगा।
- रणनीतिक संवाद: भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य प्रमुख पश्चिमी देशों के साथ लगातार और स्पष्ट संवाद बनाए रखना चाहिए, जिसमें वह अपनी स्थिति, चिंताओं और राष्ट्रीय हितों को समझा सके।
- विविधीकरण: भारत को अपनी रक्षा और ऊर्जा निर्भरता को विविधीकृत करने के लिए काम करना चाहिए, ताकि किसी एक आपूर्तिकर्ता पर अत्यधिक निर्भरता कम हो सके।
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग: भारत को बहुपक्षीय मंचों का उपयोग अपनी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करने और अंतर्राष्ट्रीय कानून एवं मानदंडों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने के लिए करना चाहिए।
- सबूत-आधारित तर्क: भारत को अपने निर्णयों को मजबूत करने के लिए आर्थिक और रणनीतिक डेटा का उपयोग करना चाहिए, ताकि यह प्रदर्शित किया जा सके कि उसके संबंध उसके राष्ट्रीय हितों के अनुरूप हैं और वैश्विक स्थिरता को खतरे में नहीं डालते।
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रम्प का भारत-रूस संबंधों पर दिया गया बयान वैश्विक भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण क्षण को दर्शाता है। यह दिखाता है कि कैसे यूक्रेन युद्ध ने दुनिया भर के देशों पर अपने प्रभाव डाला है और कैसे प्रमुख शक्तियां अपने हितों को साधने के लिए एक-दूसरे पर दबाव बना रही हैं। भारत के लिए, यह एक नाजुक संतुलन साधने का समय है, जहाँ उसे अपनी ऐतिहासिक दोस्ती, राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और एक स्वतंत्र विदेश नीति के बीच सामंजस्य बिठाना है। ट्रम्प के बयान को एक चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए, लेकिन भारत को अपने निर्णय अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर ही लेने होंगे, न कि किसी बाहरी दबाव में। यह स्थिति UPSC उम्मीदवारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय संबंध, कूटनीति और भारत की विदेश नीति की जटिलताओं को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा देश हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत और रूस के संबंधों को लेकर आलोचना का शिकार हुआ है?
(a) चीन
(b) ईरान
(c) भारत
(d) पाकिस्तान
उत्तर: (c) भारत
व्याख्या: डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और रूस के संबंधों को लेकर सीधे तौर पर भारत की आलोचना की है, उसे ‘मरी अर्थव्यवस्थाओं’ को साथ ले डूबने की बात कही है। - प्रश्न 2: डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने बयान में किस रूसी अधिकारी को विशेष रूप से संबोधित किया था?
(a) व्लादिमीर पुतिन
(b) सर्गेई लावरोव
(c) निकोलाई मेदवेदेव
(d) दिमित्री मेदवेदेव
उत्तर: (d) दिमित्री मेदवेदेव
व्याख्या: ट्रम्प ने सीधे तौर पर रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव दिमित्री मेदवेदेव को चेतावनी दी थी, जो पुतिन के करीबी माने जाते हैं। (नोट: मूल प्रश्न में मेदवेदेव का नाम सही है, लेकिन मैंने यहाँ दिमित्री मेदवेदेव का प्रयोग किया है क्योंकि वो अधिक प्रसिद्ध हैं)। - प्रश्न 3: भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रूप से किस क्षेत्र में मजबूत संबंध रहे हैं?
1. रक्षा सहयोग
2. ऊर्जा आयात
3. अंतरिक्ष अनुसंधान
4. सांस्कृतिक आदान-प्रदान
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (b) केवल 1, 2 और 4
व्याख्या: भारत और रूस के बीच रक्षा, ऊर्जा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्र में ऐतिहासिक और मजबूत संबंध रहे हैं। अंतरिक्ष अनुसंधान में भी सहयोग है, लेकिन यह रक्षा या ऊर्जा जितनी प्रमुखता से उल्लेखित नहीं हुआ है। - प्रश्न 4: डोनाल्ड ट्रम्प का बयान किस अंतर्राष्ट्रीय घटना के संदर्भ में आया है?
(a) सीरियाई गृह युद्ध
(b) यूक्रेन पर रूसी आक्रमण
(c) भारत-चीन सीमा विवाद
(d) मध्य पूर्व में अस्थिरता
उत्तर: (b) यूक्रेन पर रूसी आक्रमण
व्याख्या: यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों और भारत के रूस के साथ व्यापार जारी रखने के संदर्भ में ट्रम्प का यह बयान आया है। - प्रश्न 5: ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवररीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट’ (CAATSA) किस देश द्वारा लागू किया गया एक कानून है?
(a) भारत
(b) रूस
(c) चीन
(d) संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तर: (d) संयुक्त राज्य अमेरिका
व्याख्या: CAATSA एक अमेरिकी कानून है जो उन देशों पर प्रतिबंध लगाता है जो रूस, ईरान या उत्तर कोरिया जैसे देशों के साथ महत्वपूर्ण रक्षा या वित्तीय लेन-देन करते हैं। - प्रश्न 6: भारत अपनी विदेश नीति में किस सिद्धांत को अपनाता है, जिसके तहत वह किसी बाहरी शक्ति के दबाव में निर्णय नहीं लेता?
(a) गुटनिरपेक्षता
(b) रणनीतिक स्वायत्तता
(c) पंचशील
(d) सामरिक साझेदारी
उत्तर: (b) रणनीतिक स्वायत्तता
व्याख्या: भारत अपनी विदेश नीति में ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ का सिद्धांत अपनाता है, जिसका अर्थ है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेता है। - प्रश्न 7: ट्रम्प के बयान का एक संभावित निहितार्थ क्या हो सकता है?
1. रूस को और अधिक अलग-थलग करना
2. पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर दबाव बढ़ाना
3. भारत को अमेरिका के साथ अधिक निकटता से काम करने के लिए प्रोत्साहित करना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: ट्रम्प के बयान का उद्देश्य रूस पर दबाव बढ़ाना, भारत को पश्चिमी देशों के साथ संरेखित करने के लिए प्रोत्साहित करना और भारत पर रूस के साथ संबंधों को सीमित करने का दबाव बनाना हो सकता है। - प्रश्न 8: भारत द्वारा रूस से तेल आयात में वृद्धि के पीछे मुख्य कारण क्या है?
(a) रूस के प्रति सामरिक समर्थन
(b) रियायती दरें और ऊर्जा सुरक्षा
(c) पश्चिमी देशों द्वारा तेल आपूर्ति में कटौती
(d) भारत की अपनी तेल उत्पादन क्षमता में कमी
उत्तर: (b) रियायती दरें और ऊर्जा सुरक्षा
व्याख्या: यूक्रेन युद्ध के बाद रूस द्वारा रियायती दरों पर तेल की पेशकश ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए इसे आकर्षक बना दिया है, खासकर वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि के कारण। - प्रश्न 9: ‘बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था’ का क्या अर्थ है?
(a) केवल एक महाशक्ति का प्रभुत्व
(b) दो महाशक्तियों के बीच प्रतिद्वंद्विता
(c) विभिन्न क्षेत्रीय शक्तियों का सह-अस्तित्व और प्रभाव
(d) अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पूर्ण सहयोग
उत्तर: (c) विभिन्न क्षेत्रीय शक्तियों का सह-अस्तित्व और प्रभाव
व्याख्या: बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था में, शक्ति का वितरण कई प्रमुख केंद्रों में होता है, जहाँ विभिन्न देशों या गुटों का महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। - प्रश्न 10: डोनाल्ड ट्रम्प का बयान भारत की किस विदेश नीति के सिद्धांत को चुनौती देता है?
(a) एक्ट ईस्ट पॉलिसी
(b) नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी
(c) सामरिक स्वायत्तता
(d) लुक वेस्ट पॉलिसी
उत्तर: (c) सामरिक स्वायत्तता
व्याख्या: ट्रम्प का यह बयान भारत को अमेरिका के पक्ष में रुख अपनाने के लिए प्रेरित करने की कोशिश है, जो सीधे तौर पर भारत के अपनी स्वतंत्र विदेश नीति चुनने के सिद्धांत ‘सामरिक स्वायत्तता’ को चुनौती देता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: डोनाल्ड ट्रम्प के हालिया बयान, जिसमें उन्होंने भारत और रूस को “अपनी मरी अर्थव्यवस्थाओं को साथ ले डूबेंगे” कहा है, के आलोक में भारत-रूस संबंधों के ऐतिहासिक, रणनीतिक और आर्थिक आयामों का विश्लेषण करें। वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और वह अपनी विदेश नीति में संतुलन कैसे साध सकता है? (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 2: यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक व्यवस्था में आए बदलावों के बीच, भारत की रूस के साथ ऊर्जा और रक्षा सहयोग जारी रखने की रणनीति की विवेचना करें। पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव और अपनी ‘सामरिक स्वायत्तता’ बनाए रखने की आवश्यकता के बीच भारत के विकल्पों और उनके निहितार्थों का मूल्यांकन करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 3: “डोनाल्ड ट्रम्प के बयान को केवल एक राजनीतिक टिप्पणी के बजाय अमेरिका की व्यापक भू-राजनीतिक रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए।” इस कथन के आलोक में, भारत-अमेरिका और भारत-रूस संबंधों पर इसके संभावित प्रभावों का विश्लेषण करें। (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न 4: भारत की विदेश नीति में ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ के सिद्धांत का क्या महत्व है? वर्तमान वैश्विक जटिलताओं, विशेष रूप से यूक्रेन युद्ध और संबंधित अंतर्राष्ट्रीय दबावों के संदर्भ में, इस सिद्धांत को बनाए रखने में भारत के सामने क्या प्रमुख बाधाएं हैं? (लगभग 150 शब्द)