Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

ट्रम्प का भारत पर 25% टैरिफ: रूस से ऊर्जा और हथियारों की खरीद पर अतिरिक्त जुर्माना – UPSC के लिए विस्तृत विश्लेषण

ट्रम्प का भारत पर 25% टैरिफ: रूस से ऊर्जा और हथियारों की खरीद पर अतिरिक्त जुर्माना – UPSC के लिए विस्तृत विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 25% टैरिफ (शुल्क) लगाने की घोषणा की है, जो विशेष रूप से रूस से ऊर्जा और हथियारों की खरीद पर अतिरिक्त जुर्माना भी लगाएगा। यह कदम भारत की आर्थिक और रणनीतिक नीतियों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है, और UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण समसामयिक विषय है। इस लेख में, हम इस घोषणा के विभिन्न पहलुओं, इसके पीछे के कारणों, भारत पर संभावित प्रभावों, और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसकी प्रासंगिकता का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।

यह निर्णय न केवल द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों को प्रभावित करता है, बल्कि भू-राजनीतिक समीकरणों को भी नया मोड़ दे सकता है। भारत, एक उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति और वैश्विक सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में, ऐसे निर्णयों से अप्रभावित नहीं रह सकता। इसलिए, यह समझना आवश्यक है कि यह टैरिफ क्यों लगाया जा रहा है, इसका उद्देश्य क्या है, और भारत इसे कैसे संतुलित कर सकता है।

समझने की पहली सीढ़ी: टैरिफ क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

सबसे पहले, हमें यह समझना होगा कि ‘टैरिफ’ (Tariff) या ‘सीमा शुल्क’ (Custom Duty) क्या होता है। सरल शब्दों में, टैरिफ एक प्रकार का कर है जो किसी देश द्वारा आयातित वस्तुओं पर लगाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना, सरकारी राजस्व बढ़ाना, या कभी-कभी राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करना होता है।

जब एक देश दूसरे देश पर टैरिफ लगाता है, तो आयातित वस्तुओं की कीमत बढ़ जाती है। इससे उस वस्तु का आयात कम हो जाता है, और घरेलू उपभोक्ता उन वस्तुओं को खरीदना पसंद करते हैं जिनका उत्पादन देश के भीतर होता है। यह एक प्रकार से ‘संरक्षणवाद’ (Protectionism) की नीति का हिस्सा है।

“व्यापार युद्ध (Trade War) तब होता है जब राष्ट्र अपने माल की सुरक्षा के लिए आयात पर कर लगाते हैं, जिससे दूसरे राष्ट्र भी जवाबी कार्रवाई करते हैं।”

ट्रम्प प्रशासन की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति और टैरिफ का संदर्भ

यह घोषणा अप्रत्याशित नहीं है, क्योंकि यह राष्ट्रपति ट्रम्प की ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) नीति का एक हिस्सा है। इस नीति के तहत, ट्रम्प प्रशासन ने अमेरिका के व्यापार घाटे (Trade Deficit) को कम करने, अमेरिकी नौकरियों को बचाने और अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई देशों पर टैरिफ लगाए हैं। चीन, यूरोपीय संघ और अन्य प्रमुख व्यापारिक साझेदारों को पहले भी टैरिफ के निशाने पर लिया जा चुका है।

इस विशेष टैरिफ के पीछे क्या कारण हो सकते हैं?

1. रूस से भारत का सैन्य और ऊर्जा आयात:
* रक्षा संबंध: भारत, रूस से महत्वपूर्ण मात्रा में रक्षा उपकरण और हथियार खरीदता है, जिसमें एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली भी शामिल है। अमेरिका, रूस की उन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाता है जो महत्वपूर्ण रक्षा या खुफिया गतिविधियां करती हैं (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act – CAATSA)। भारत द्वारा रूसी हथियारों की खरीद अमेरिका के लिए चिंता का विषय रही है, क्योंकि यह उसके अपने रक्षा संबंधों और प्रतिबंधों को जटिल बनाता है।
* ऊर्जा सुरक्षा: भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भरता बढ़ा रहा है, विशेष रूप से तेल और गैस के क्षेत्र में। वैश्विक ऊर्जा बाजार में रूस एक प्रमुख खिलाड़ी है। अमेरिका, ईरान पर प्रतिबंधों के कारण (जो भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण ऊर्जा आपूर्तिकर्ता था) भारत की ऊर्जा खरीद को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है, और अब रूस से भारत की बढ़ती निर्भरता पर भी आपत्ति जता रहा है।

2. व्यापार असंतुलन: अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा रहा है। ट्रम्प प्रशासन की यह धारणा रही है कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाता है, जिससे अमेरिकी निर्यातकों को नुकसान होता है। यह 25% टैरिफ उस असंतुलन को दूर करने का एक प्रयास हो सकता है।

3. भू-राजनीतिक दबाव:
* रूस पर दबाव: भारत पर टैरिफ लगाकर, अमेरिका रूस पर भी परोक्ष रूप से दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। भारत को यह चुनने के लिए मजबूर किया जा सकता है कि वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देता है या रूस के साथ।
* ‘CAATSA’ का प्रभाव: अमेरिका चाहता है कि भारत CAATSA के तहत रूसी रक्षा खरीद से पीछे हटे। यह टैरिफ उस दबाव को बढ़ाने का एक तरीका हो सकता है।

25% टैरिफ का मतलब क्या है?

यह टैरिफ सीधे तौर पर भारत के उन सामानों पर लगेगा जो अमेरिका को निर्यात किए जाते हैं। इसके अलावा, रूस से ऊर्जा और हथियार खरीदने पर अतिरिक्त जुर्माना (penalty) का मतलब है कि भारत को दोनों मोर्चों पर नुकसान का सामना करना पड़ सकता है:

* प्रत्यक्ष टैरिफ: भारतीय निर्यात जो अमेरिका को जाते हैं, वे 25% अधिक महंगे हो जाएंगे। इससे भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाएगी और अमेरिका को निर्यात में गिरावट आ सकती है।
* रूस से खरीद पर दंड: यह शायद CAATSA जैसे मौजूदा अमेरिकी कानूनों के तहत लगाए जाने वाले प्रतिबंधों का एक विस्तार या नया रूप हो सकता है। इसका अर्थ होगा कि रूस से हथियार या ऊर्जा खरीदने पर भारत पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष वित्तीय दंड लगाया जाएगा, जो उस लेनदेन की लागत को और बढ़ा देगा।

भारत पर संभावित प्रभाव (Impact on India)

इस घोषणा के भारत पर कई तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करेंगे:

1. आर्थिक प्रभाव (Economic Impact):

* निर्यात में कमी: भारत के लिए अमेरिका एक बड़ा निर्यात बाजार है। 25% अतिरिक्त लागत के कारण, भारतीय वस्तुओं का अमेरिकी बाजारों में मुकाबला करना कठिन हो जाएगा। इससे भारत के निर्यात में गिरावट आ सकती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां भारत की मजबूत पकड़ है, जैसे कि कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़ा उत्पाद, और फार्मास्यूटिकल्स।
* व्यापार घाटा: यदि निर्यात घटता है और आयात (जो अब रूस से महंगा हो सकता है) बढ़ता है, तो भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है।
* निवेश पर प्रभाव: ऐसे अनिश्चित व्यापारिक माहौल से विदेशी निवेशक सतर्क हो सकते हैं, जिससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
* विनिमय दर (Exchange Rate): निर्यात में कमी और संभावित पूंजी बहिर्वाह (capital outflow) भारतीय रुपये पर दबाव डाल सकते हैं, जिससे इसकी विनिमय दर कमजोर हो सकती है।
* घरेलू उत्पादन और रोजगार: अमेरिकी बाजार में निर्यात कम होने से घरेलू उद्योगों पर दबाव पड़ेगा, जिससे उत्पादन कम हो सकता है और रोजगार के अवसरों में कमी आ सकती है।

2. रणनीतिक और भू-राजनीतिक प्रभाव (Strategic and Geopolitical Impact):

* रक्षा खरीद: भारत की रक्षा तैयारी के लिए रूस एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है। रूस से हथियार खरीदने पर लगने वाले अतिरिक्त जुर्माने या प्रतिबंधों के कारण भारत को अपनी रक्षा खरीद योजनाओं पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। इससे भारत को नए या वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश करनी पड़ सकती है, जिसमें समय और धन दोनों लगेंगे।
* ऊर्जा सुरक्षा: रूस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण ऊर्जा साझेदार के रूप में उभर रहा है। यदि रूस से तेल और गैस की खरीद पर प्रतिबंध लगते हैं, तो भारत की ऊर्जा सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है, जिससे ऊर्जा की कीमतें बढ़ सकती हैं और आपूर्ति में व्यवधान आ सकता है।
* अमेरिका-रूस-भारत त्रिकोणीय संबंध: यह स्थिति भारत को एक जटिल भू-राजनीतिक स्थिति में डालती है। भारत को अमेरिका और रूस के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को संतुलित करना होगा। यह निर्णय अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव में भारत को एक ‘साइड-लाइन’ पर ला सकता है।
* “रणनीतिक स्वायत्तता” (Strategic Autonomy): भारत की विदेश नीति का एक मुख्य सिद्धांत ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ है, जिसका अर्थ है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। यह टैरिफ, विशेषकर रूस से खरीद पर, भारत की इस स्वायत्तता को चुनौती दे सकता है।

3. घरेलू नीति पर प्रभाव (Impact on Domestic Policy):

* ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा: अमेरिकी टैरिफ के कारण, भारत को उन वस्तुओं के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए और अधिक प्रयास करने पड़ सकते हैं जिनका निर्यात अमेरिका को होता है। यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल के लिए एक अप्रत्यक्ष प्रोत्साहन के रूप में काम कर सकता है।
* आर्थिक सुधार: इस तरह के बाहरी दबाव भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने और संरचनात्मक सुधारों को तेज करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

भारत की प्रतिक्रिया और संभावित रणनीतियाँ (India’s Response and Potential Strategies)

भारत को इस स्थिति से निपटने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनानी होगी:

1. कूटनीतिक समाधान (Diplomatic Solutions):

* अमेरिका से बातचीत: भारत को अमेरिका के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत करनी चाहिए ताकि टैरिफ को कम करने या हटाने का प्रयास किया जा सके। इसमें व्यापार असंतुलन, बाजार पहुंच और बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे मुद्दों पर चर्चा शामिल हो सकती है।
* ‘CAATSA’ से छूट: भारत को अमेरिका से CAATSA से विशेष छूट (waiver) प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए, जैसा कि उसने पहले भी किया है। इसके लिए भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को समझाना होगा।
* रूस के साथ समन्वय: भारत को रूस के साथ भी अपने संबंधों और भविष्य की रक्षा व ऊर्जा खरीद योजनाओं पर चर्चा करनी चाहिए।

2. आर्थिक रणनीतियाँ (Economic Strategies):

* नए बाजारों की तलाश: भारत को अपने निर्यात बाजारों में विविधता लानी चाहिए और अमेरिका के अलावा अन्य देशों, विशेषकर एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के बाजारों में अपनी पैठ मजबूत करनी चाहिए।
* घरेलू उत्पादन बढ़ाना: उन क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए जो अमेरिकी टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।
* आयात प्रतिस्थापन (Import Substitution): उन वस्तुओं के आयात को कम करने के लिए प्रयास करने चाहिए जो उच्च टैरिफ के अधीन हैं।
* व्यापार समझौतों को मजबूत करना: भारत को अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (Free Trade Agreements – FTAs) को मजबूत करना चाहिए या नए समझौते करने चाहिए।

3. रक्षा और ऊर्जा रणनीति (Defence and Energy Strategy):

* विविधीकरण: भारत को अपने रक्षा और ऊर्जा स्रोतों में विविधता लानी चाहिए। इसका मतलब है कि रूस पर निर्भरता कम करते हुए फ्रांस, इजरायल, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों से रक्षा उपकरण खरीदने पर विचार करना। इसी तरह, ऊर्जा के लिए मध्य पूर्व, अमेरिका और अन्य क्षेत्रों से आयात बढ़ाना।
* घरेलू रक्षा उत्पादन: ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर जोर देना, ताकि विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम हो।
* नवीकरणीय ऊर्जा: ऊर्जा सुरक्षा के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे सौर, पवन) में निवेश बढ़ाना।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

यह विषय UPSC सिविल सेवा परीक्षा के लगभग हर चरण में महत्वपूर्ण है:

* प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
* अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations): अमेरिका-भारत संबंध, अमेरिका-रूस संबंध, भारत की विदेश नीति।
* अर्थव्यवस्था (Economy):** टैरिफ, व्यापार घाटा, निर्यात-आयात, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), मुद्रा विनिमय दर, संरक्षणवाद, मुक्त व्यापार समझौते।
* भू-राजनीति (Geopolitics):** रूस पर अमेरिकी प्रतिबंध, CAATSA।
* समसामयिक मामले (Current Affairs):** हालिया व्यापारिक निर्णय और उनके प्रभाव।

* मुख्य परीक्षा (Mains):**
* पेपर II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध: भारत के हितों पर वैश्विक नीतियों का प्रभाव, प्रमुख शक्तियों के साथ भारत के संबंध, भारत की सामरिक स्वायत्तता।
* पेपर III: अर्थव्यवस्था: भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक आर्थिक रुझानों का प्रभाव, व्यापार नीतियों का विश्लेषण, आर्थिक विकास के लिए नीतियाँ, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की चुनौतियाँ।
* पेपर IV: नैतिकता: निर्णय लेने में नैतिक दुविधाएँ, राष्ट्रीय हित बनाम अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।

उदाहरण के लिए, मुख्य परीक्षा के प्रश्न इस प्रकार हो सकते हैं:

1. “हालिया अमेरिकी टैरिफ घोषणा भारत की ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को किस प्रकार प्रभावित करती है? इसके आर्थिक और भू-राजनीतिक निहितार्थों का विश्लेषण करें।”
2. “रूस से रक्षा और ऊर्जा खरीद पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बढ़ते जोखिम को देखते हुए, भारत को अपनी रक्षा और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किन रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए?”
3. “वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद के बढ़ते रुझान के आलोक में, भारतीय निर्यातकों को अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने और नए बाजारों का पता लगाने के लिए किन उपायों को अपनाना चाहिए?”

निष्कर्ष: संतुलन साधने की कला

ट्रम्प प्रशासन का भारत पर 25% टैरिफ लगाने का निर्णय और रूस से खरीद पर अतिरिक्त जुर्माना, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। यह न केवल आर्थिक क्षेत्र में, बल्कि रणनीतिक और भू-राजनीतिक मोर्चों पर भी प्रभाव डालेगा। भारत को अपनी कूटनीति, आर्थिक नीतियों और रक्षा व ऊर्जा रणनीतियों को सावधानीपूर्वक संतुलित करना होगा।

इस तरह के कदम अंतरराष्ट्रीय संबंधों की जटिलता को दर्शाते हैं, जहां आर्थिक हित, राष्ट्रीय सुरक्षा और भू-राजनीतिक गठजोड़ एक साथ मिलकर देशों की नीतियों को आकार देते हैं। UPSC उम्मीदवारों के लिए, ऐसे मुद्दों का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है कि कैसे एक देश अपनी विदेश नीति को बनाए रखते हुए अपने आर्थिक विकास को सुनिश्चित कर सकता है और बदलते वैश्विक परिदृश्य में अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर सकता है। यह स्थिति भारत के लिए अपनी रणनीतिक स्वायत्तता का उपयोग करने और दुनिया के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का एक अवसर भी प्रदान करती है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. प्रश्न: ‘टैरिफ’ (Tariff) शब्द का सबसे उपयुक्त अर्थ निम्नलिखित में से कौन सा है?
(a) किसी देश द्वारा आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला प्रत्यक्ष कर।
(b) किसी देश द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर।
(c) सेवाओं के आयात पर लगाया जाने वाला कर।
(d) किसी विशेष उद्योग को दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी।
उत्तर: (a)
व्याख्या: टैरिफ (सीमा शुल्क) वह कर है जो सरकार द्वारा आयातित वस्तुओं पर लगाया जाता है ताकि घरेलू उद्योगों को बचाया जा सके, राजस्व बढ़ाया जा सके या अन्य आर्थिक लक्ष्य प्राप्त किए जा सकें।

2. प्रश्न: “अमेरिका फर्स्ट” (America First) नीति का प्राथमिक उद्देश्य क्या था?
(a) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना।
(b) अमेरिकी हितों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों में प्राथमिकता देना।
(c) वैश्विक सहयोग को मजबूत करना।
(d) विकासशील देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: “अमेरिका फर्स्ट” नीति का मुख्य जोर अमेरिकी अर्थव्यवस्था, नौकरियों और उद्योगों की सुरक्षा और उन्हें प्राथमिकता देना था, अक्सर अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों में बदलाव करके।

3. प्रश्न: CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) का संबंध किस देश से जुड़े खतरों का मुकाबला करने से है?
(a) चीन
(b) रूस
(c) ईरान
(d) उत्तर कोरिया
उत्तर: (b)
व्याख्या: CAATSA एक अमेरिकी कानून है जो उन देशों पर प्रतिबंध लगाता है जो रूस, ईरान या उत्तर कोरिया के साथ महत्वपूर्ण रक्षा या खुफिया लेनदेन में शामिल होते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य रूस के आक्रामक व्यवहार को रोकना है।

4. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन से कारक भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं?
1. तेल और गैस का आयात
2. घरेलू नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन
3. परमाणु ऊर्जा
4. कोयला आधारित बिजली उत्पादन
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (d)
व्याख्या: भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आयात (विशेषकर तेल और गैस), नवीकरणीय ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा और कोयला आधारित बिजली उत्पादन पर निर्भर है। इनमें से किसी भी स्रोत में व्यवधान ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।

5. प्रश्न: ‘व्यापार घाटा’ (Trade Deficit) तब होता है जब:
(a) किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक होता है।
(b) किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है।
(c) किसी देश का व्यापार अधिशेष होता है।
(d) किसी देश की मुद्रा मजबूत होती है।
उत्तर: (b)
व्याख्या: व्यापार घाटा तब होता है जब किसी देश द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य उस देश द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य से अधिक होता है।

6. प्रश्न: भारत का सबसे बड़ा रक्षा उपकरण आपूर्तिकर्ता कौन सा देश रहा है?
(a) फ्रांस
(b) संयुक्त राज्य अमेरिका
(c) रूस
(d) इज़राइल
उत्तर: (c)
व्याख्या: ऐतिहासिक रूप से, रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा उपकरण आपूर्तिकर्ता रहा है, हालांकि हाल के वर्षों में अन्य देशों से खरीद भी बढ़ी है।

7. प्रश्न: ‘संरक्षणवाद’ (Protectionism) की नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) अंतरराष्ट्रीय मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना।
(b) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना।
(c) आयात को प्रोत्साहित करना।
(d) विदेशी निवेश को आकर्षित करना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: संरक्षणवाद एक आर्थिक नीति है जो देश के भीतर उद्योगों की रक्षा के लिए आयात पर बाधाएं (जैसे टैरिफ या कोटा) लगाती है।

8. प्रश्न: भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) का अर्थ क्या है?
(a) किसी भी अंतरराष्ट्रीय संगठन का सदस्य न होना।
(b) किसी भी विदेशी शक्ति के साथ गठबंधन न करना।
(c) अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार स्वतंत्र रूप से निर्णय लेना, चाहे वे किसी अन्य शक्ति के साथ संरेखित हों या नहीं।
(d) केवल आर्थिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना।
उत्तर: (c)
व्याख्या: रणनीतिक स्वायत्तता का अर्थ है कि भारत अपने स्वयं के राष्ट्रीय हितों और प्राथमिकताओं के आधार पर अपने विदेशी और सुरक्षा नीति संबंधी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है, बिना किसी बाहरी दबाव के।

9. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा क्षेत्र अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित होने पर भारत के निर्यात पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है?
1. कपड़ा
2. रत्न और आभूषण
3. फार्मास्यूटिकल्स
4. ऑटोमोबाइल
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (b)
व्याख्या: कपड़ा, रत्न और आभूषण, और फार्मास्यूटिकल्स भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्र हैं जिनका अमेरिका एक बड़ा बाजार है। ऑटोमोबाइल क्षेत्र भी प्रभावित हो सकता है।

10. प्रश्न: ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) पहल का प्राथमिक लक्ष्य क्या है?
(a) भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना।
(b) भारतीय अर्थव्यवस्था को सेवा-उन्मुख बनाना।
(c) भारत में विदेशी कंपनियों के प्रवेश को सीमित करना।
(d) भारतीय पर्यटकों को आकर्षित करना।
उत्तर: (a)
व्याख्या: ‘मेक इन इंडिया’ पहल का उद्देश्य भारत को विनिर्माण और उत्पादन के लिए एक प्रमुख वैश्विक गंतव्य बनाना है, रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. प्रश्न: हाल के अमेरिकी टैरिफ घोषणा और रूस से रक्षा व ऊर्जा खरीद पर संभावित अतिरिक्त जुर्माने के आलोक में, भारत की ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? इस संदर्भ में भारत के लिए आर्थिक और भू-राजनीतिक चुनौतियों और अवसरों का विस्तार से विश्लेषण करें। (लगभग 250 शब्द)

2. प्रश्न: वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद (Protectionism) के बढ़ते रुझान का विश्लेषण करें और बताएं कि यह भारत जैसे उभरते बाजार की अर्थव्यवस्थाओं को कैसे प्रभावित करता है। भारत को अपनी निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (Global Value Chains) में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए किन नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है? (लगभग 250 शब्द)

3. प्रश्न: रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों और भारत की रूस के साथ ऐतिहासिक रक्षा एवं ऊर्जा साझेदारी को देखते हुए, भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। चर्चा करें कि भारत इस जटिल भू-राजनीतिक स्थिति में अपने हितों की रक्षा के लिए कौन सी रणनीतियाँ अपना सकता है। (लगभग 150 शब्द)

4. प्रश्न: ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Atmanirbhar Bharat) अभियान के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डालिए। वर्तमान वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनावों को देखते हुए, यह पहल भारत की रक्षा तैयारियों और रणनीतिक स्वायत्तता को कैसे मजबूत कर सकती है? (लगभग 150 शब्द)

Leave a Comment