ट्रम्प का पाकिस्तान तेल का वादा: भारत के तेल भंडार से तुलना और भू-राजनीतिक मायने
चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान को उसके विशाल तेल भंडारों का दोहन करने में मदद करने की इच्छा व्यक्त की है। यह बयान पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और वैश्विक ऊर्जा बाजारों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। वहीं, दूसरी ओर भारत, दुनिया के सबसे बड़े तेल उपभोक्ताओं में से एक है और अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। यह लेख इस घटनाक्रम का गहराई से विश्लेषण करेगा, पाकिस्तान के कथित तेल भंडार की वास्तविकता, भारत की ऊर्जा स्थिति और इस पूरे मामले के भू-राजनीतिक निहितार्थों पर प्रकाश डालेगा, खासकर UPSC उम्मीदवारों के लिए जो अंतर्राष्ट्रीय संबंध, अर्थव्यवस्था और भूगोल जैसे विषयों का अध्ययन कर रहे हैं।
पाकिस्तान का कथित ‘विशाल तेल भंडार’: क्या है सच्चाई?
डोनाल्ड ट्रम्प का बयान पाकिस्तान में संभावित तेल और गैस की खोजों के इर्द-गिर्द घूमता है। पाकिस्तान के कुछ हिस्सों, विशेषकर बलूचिस्तान और सिंध प्रांतों में, तेल और गैस के भंडार की मौजूदगी के संकेत मिले हैं। लेकिन, ‘विशाल’ शब्द का प्रयोग कितना सही है, यह एक जटिल प्रश्न है।
- भंडार की वास्तविक स्थिति: पाकिस्तान में तेल और गैस की खोज दशकों से चल रही है। कई अन्वेषणों से कुछ व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य भंडार मिले भी हैं, लेकिन वे अभी तक इतने बड़े नहीं माने जाते कि देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरी तरह से पूरा कर सकें या वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन सकें।
- तकनीकी और वित्तीय चुनौतियाँ: तेल और गैस का निष्कर्षण एक अत्यधिक तकनीकी और पूंजी-गहन प्रक्रिया है। पाकिस्तान जैसे विकासशील देश के लिए, इन भंडारों का प्रभावी ढंग से दोहन करने के लिए आवश्यक उन्नत तकनीक और भारी निवेश को जुटाना एक बड़ी चुनौती है।
- भू-राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी मुद्दे: बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों में अस्थिरता और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ अंतर्राष्ट्रीय तेल कंपनियों को निवेश करने से रोक सकती हैं।
- भूवैज्ञानिक जटिलताएँ: कई बार, भूवैज्ञानिक संरचनाएँ तेल और गैस के निष्कर्षण को मुश्किल बना देती हैं। पाकिस्तान के कुछ संभावित भंडार गहरे भूमिगत या दुर्गम क्षेत्रों में हो सकते हैं।
ट्रम्प की यह टिप्पणी, भले ही पाकिस्तान के लिए आशावादी लगे, लेकिन इसके पीछे उनकी अपनी राजनीतिक और आर्थिक एजेंडा भी हो सकता है। इस तरह के बयान अक्सर भू-राजनीतिक दांव-पेच का हिस्सा होते हैं, जहाँ नेता अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने या अपने हित साधने के लिए विकासशील देशों से बड़े वादे करते हैं।
भारत की ऊर्जा स्थिति: आयात पर निर्भरता और सामरिक पहल
इसके विपरीत, भारत दुनिया के सबसे बड़े तेल उपभोक्ताओं में से एक है। अपनी बढ़ती अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास के कारण, भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा आयात के माध्यम से पूरा करता है।
- आयात निर्भरता: भारत अपनी तेल की मांग का लगभग 80% आयात करता है। यह निर्भरता भारत को वैश्विक तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक तनावों के प्रति संवेदनशील बनाती है।
- घरेलू उत्पादन: भारत का घरेलू तेल उत्पादन अपेक्षाकृत कम है। असम, गुजरात और अपतटीय क्षेत्रों जैसे कुछ क्षेत्रों में तेल के भंडार हैं, लेकिन ये मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
- ऊर्जा सुरक्षा की रणनीति: भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई रणनीतिक कदम उठाए हैं:
- विविधीकरण: भारत विभिन्न देशों से तेल का आयात करके अपनी स्रोत विविधीकरण पर जोर देता है।
- रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (SPR): भारत ने राष्ट्रीय तेल कंपनियों को अपने SPR में कच्चे तेल का भंडार करने के लिए प्रोत्साहित किया है, ताकि किसी भी आपूर्ति व्यवधान की स्थिति में इसका उपयोग किया जा सके।
- नवीकरणीय ऊर्जा: भारत सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में भारी निवेश कर रहा है ताकि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो सके।
- ईंधन दक्षता: वाहनों और उद्योगों में ईंधन दक्षता में सुधार के उपाय भी किए जा रहे हैं।
- घरेलू अन्वेषण और उत्पादन: सरकार घरेलू अन्वेषण और उत्पादन (E&P) गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बना रही है।
- पेट्रोलियम कूटनीति: भारत सक्रिय रूप से पेट्रोलियम कूटनीति में संलग्न है, कच्चे तेल की आपूर्ति सुरक्षित करने के लिए मध्य पूर्व, अफ्रीका और अमेरिका जैसे क्षेत्रों के साथ मजबूत संबंध बना रहा है।
ट्रम्प के वादे की तुलना भारत की स्थिति से: एक विश्लेषण
जब हम ट्रम्प के पाकिस्तान के तेल भंडार का दोहन करने के वादे की तुलना भारत की वर्तमान ऊर्जा स्थिति से करते हैं, तो कई महत्वपूर्ण अंतर और समानताएँ उभर कर आती हैं:
अंतर (Differences):
- भंडार का पैमाना: जबकि पाकिस्तान के पास कुछ तेल भंडार हैं, भारत के स्वयं के घरेलू भंडार, भले ही वे आयात पर निर्भरता पूरी न कर सकें, लेकिन उनका प्रबंधन और विकास एक स्थापित प्रक्रिया है। पाकिस्तान के ‘विशाल’ भंडार का दावा अभी भी काफी हद तक अटकलों पर आधारित है।
- तकनीकी क्षमता: भारत के पास तेल और गैस के अन्वेषण, निष्कर्षण और शोधन में एक मजबूत तकनीकी क्षमता और अनुभव है। पाकिस्तान को इस क्षेत्र में काफी सहायता की आवश्यकता होगी।
- निवेश का माहौल: हालाँकि भारत में भी चुनौतियाँ हैं, लेकिन यह पाकिस्तान की तुलना में अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के लिए अधिक स्थिर और आकर्षक बाजार प्रदान करता है।
- ऊर्जा सुरक्षा का दृष्टिकोण: भारत एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपना रहा है, जिसमें आयात विविधीकरण, नवीकरणीय ऊर्जा और घरेलू उत्पादन शामिल हैं। पाकिस्तान का ध्यान अभी भी जीवाश्म ईंधन के नए भंडारों को खोजने पर केंद्रित है, जो भविष्य के ऊर्जा परिदृश्य के लिए एक स्थायी समाधान नहीं हो सकता है।
समानताएँ (Similarities):
- आयात पर निर्भरता (कुछ हद तक): हालाँकि भारत की आयात निर्भरता बहुत अधिक है, पाकिस्तान भी अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर करता है, विशेष रूप से रिफाइन किए गए उत्पादों के लिए।
- ऊर्जा की मांग में वृद्धि: दोनों देशों की ऊर्जा मांग उनकी बढ़ती आबादी और अर्थव्यवस्थाओं के कारण बढ़ रही है।
- ऊर्जा सुरक्षा का महत्व: दोनों देशों के लिए ऊर्जा सुरक्षा एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है।
भू-राजनीतिक निहितार्थ (Geopolitical Implications):
ट्रम्प के इस बयान के कई भू-राजनीतिक निहितार्थ हो सकते हैं:
- पाकिस्तान-अमेरिका संबंध: यह बयान पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंधों को मजबूत करने का एक प्रयास हो सकता है, खासकर उस समय जब अमेरिका चीन और अफगानिस्तान में अपनी भूमिका को पुनः परिभाषित कर रहा है।
- क्षेत्रीय शक्ति संतुलन: यदि पाकिस्तान वास्तव में अपने तेल भंडार का प्रभावी ढंग से दोहन करने में सक्षम हो जाता है, तो यह क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है। यह इसे आर्थिक रूप से अधिक स्वतंत्र बना सकता है और चीन जैसे देशों पर इसकी निर्भरता को कम कर सकता है।
- भारत पर प्रभाव: भारत के लिए, यह एक चिंता का विषय हो सकता है यदि इससे पाकिस्तान की आर्थिक और सामरिक स्थिति मजबूत होती है, खासकर सीमा पार आतंकवाद जैसे मुद्दों के संदर्भ में।
- ऊर्जा बाजार: यदि पाकिस्तान बड़े पैमाने पर तेल उत्पादक बन जाता है, तो यह वैश्विक तेल की कीमतों और आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित कर सकता है।
- ट्रम्प की वैश्विक कूटनीति: यह ट्रम्प की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के अनुरूप हो सकता है, जहाँ वह अमेरिकी कंपनियों के लिए नए बाजार और अवसर तलाशते हैं, साथ ही अपने भू-राजनीतिक प्रभाव को भी बढ़ाते हैं।
भारत के लिए आगे का रास्ता (The Way Forward for India):
भारत को इस स्थिति पर सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए।
- निरंतर विविधीकरण: भारत को अपनी ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण जारी रखना चाहिए और केवल कुछ देशों पर निर्भरता कम करनी चाहिए।
- नवीकरणीय ऊर्जा में नेतृत्व: सौर, पवन और हरित हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में भारत के नेतृत्व को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। यह न केवल ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करेगा बल्कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी मदद करेगा।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: ऊर्जा सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, विशेष रूप से विश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ, महत्वपूर्ण है।
- घरेलू क्षमता का विकास: भारत को अपनी घरेलू अन्वेषण और उत्पादन क्षमताओं में सुधार के लिए और अधिक निवेश और तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- भू-राजनीतिक निगरानी: भारत को दक्षिण एशिया और उसके बाहर के भू-राजनीतिक घटनाक्रमों की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
एक उपमा: इसे ऐसे समझें जैसे एक घर के मुखिया ने अपने परिवार की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने खेत को बेहतर बनाने, स्थानीय बाजार से खरीदने और अपने पड़ोसियों के साथ व्यापार करने की योजना बनाई है। वहीं, ट्रम्प का बयान पड़ोस के एक ऐसे व्यक्ति से आता है जिसके पास कथित तौर पर एक विशाल बगीचा है, लेकिन उसे उसे विकसित करने के लिए विशेषज्ञता और उपकरणों की आवश्यकता है। भारत का दृष्टिकोण अधिक दीर्घकालिक और विविध है, जबकि पाकिस्तान का दृष्टिकोण, ट्रम्प के वादे के साथ, एक संभावित ‘लॉटरी’ पर अधिक निर्भर लगता है, जिसके सफल होने की अनिश्चितता अधिक है।
निष्कर्ष (Conclusion):
डोनाल्ड ट्रम्प का पाकिस्तान को उसके तेल भंडार का दोहन करने में मदद करने का वादा एक जटिल भू-राजनीतिक और आर्थिक मुद्दा है। जहाँ पाकिस्तान के लिए यह आशा की किरण हो सकती है, वहीं इसके यथार्थवादी होने और इसके दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है। भारत, अपनी स्थापित ऊर्जा सुरक्षा रणनीतियों और नवीकरणीय ऊर्जा में बढ़ते निवेश के साथ, इस घटनाक्रम पर पैनी नजर रखेगा। ऊर्जा की दुनिया गतिशील है, और भविष्य वही देश सुरक्षित रख पाएगा जो नवाचार, विविधीकरण और रणनीतिक साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करेगा। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैसे एक देश के आंतरिक आर्थिक मुद्दे वैश्विक कूटनीति और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा देश, वर्तमान में, भारत के प्राथमिक कच्चे तेल आपूर्तिकर्ताओं में से एक नहीं है?
(a) इराक
(b) सऊदी अरब
(c) ईरान
(d) संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तर: (c) ईरान
व्याख्या: संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण, भारत वर्तमान में ईरान से बड़े पैमाने पर तेल आयात नहीं करता है। इराक, सऊदी अरब और संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ताओं में से हैं। - प्रश्न 2: भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति के संदर्भ में, ‘रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (SPR)’ का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) राष्ट्रीय तेल कंपनियों के लिए लाभ मार्जिन बढ़ाना।
(b) तेल की कीमतों में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव को अवशोषित करना।
(c) आपूर्ति व्यवधान की स्थिति में राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना।
(d) नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के संक्रमण को बढ़ावा देना।
उत्तर: (c) आपूर्ति व्यवधान की स्थिति में राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना।
व्याख्या: SPR का मुख्य उद्देश्य किसी भी बाहरी या आंतरिक कारक के कारण कच्चे तेल की आपूर्ति में होने वाले व्यवधान के समय देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित होती है। - प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा कथन पाकिस्तान में तेल और गैस की खोज के संबंध में सबसे सटीक है?
(a) पाकिस्तान के पास विशाल, व्यावसायिक रूप से दोहन योग्य तेल भंडार हैं जो उसे एक प्रमुख वैश्विक निर्यातक बना सकते हैं।
(b) पाकिस्तान के तेल और गैस के भंडार अभी भी काफी हद तक अज्ञात हैं और अन्वेषण जारी है, जिसमें बड़ी तकनीकी और वित्तीय बाधाएं हैं।
(c) पाकिस्तान ने हाल ही में अपने स्वयं के तेल भंडार का सफलतापूर्वक दोहन शुरू कर दिया है, जिससे उसकी आयात पर निर्भरता काफी कम हो गई है।
(d) पाकिस्तान की तेल की खोजें मुख्य रूप से उसके उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों तक सीमित हैं।
उत्तर: (b) पाकिस्तान के तेल और गैस के भंडार अभी भी काफी हद तक अज्ञात हैं और अन्वेषण जारी है, जिसमें बड़ी तकनीकी और वित्तीय बाधाएं हैं।
व्याख्या: जबकि पाकिस्तान में तेल की संभावनाएँ हैं, ‘विशाल’ भंडार का दावा अभी भी अटकलों पर है और निष्कर्षण में महत्वपूर्ण तकनीकी और वित्तीय चुनौतियाँ हैं। - प्रश्न 4: भारत की नवीकरणीय ऊर्जा की महत्वाकांक्षाओं के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा ऊर्जा स्रोत भारत के लक्ष्यों में सबसे प्रमुख है?
(a) भूतापीय ऊर्जा
(b) सौर ऊर्जा
(c) ज्वारीय ऊर्जा
(d) परमाणु ऊर्जा
उत्तर: (b) सौर ऊर्जा
व्याख्या: भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है और अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इस पर भारी ध्यान केंद्रित कर रहा है। - प्रश्न 5: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का पाकिस्तान के तेल भंडार के बारे में बयान किस व्यापक भू-राजनीतिक संदर्भ का हिस्सा हो सकता है?
(a) अफ्रीका में अमेरिकी प्रभाव का विस्तार।
(b) अफगानिस्तान से अमेरिकी वापसी के बाद क्षेत्र में अमेरिकी जुड़ाव को पुनः परिभाषित करना।
(c) दक्षिण अमेरिका में तेल कंपनियों के लिए नए बाजारों का सृजन।
(d) कनाडा के साथ ऊर्जा सहयोग को मजबूत करना।
उत्तर: (b) अफगानिस्तान से अमेरिकी वापसी के बाद क्षेत्र में अमेरिकी जुड़ाव को पुनः परिभाषित करना।
व्याख्या: ऐसे बयान अक्सर बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्यों में अमेरिका की क्षेत्रीय भूमिका और कूटनीति को दर्शाते हैं। - प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा देश भारत का एक प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता है और हाल के वर्षों में भारत के तेल आयात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है?
(a) वेनेजुएला
(b) ब्राजील
(c) नाइजीरिया
(d) संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
उत्तर: (d) संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
व्याख्या: UAE, भारत के पारंपरिक और विश्वसनीय तेल आपूर्तिकर्ताओं में से एक रहा है। - प्रश्न 7: पाकिस्तान के ऊर्जा क्षेत्र के लिए निम्नलिखित में से कौन सी एक संभावित चुनौती है?
(a) उच्च घरेलू तेल उत्पादन।
(b) विदेशी निवेश को आकर्षित करने में आसानी।
(c) बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों में अस्थिरता और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ।
(d) उन्नत निष्कर्षण तकनीकों की प्रचुरता।
उत्तर: (c) बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों में अस्थिरता और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ।
व्याख्या: सुरक्षा संबंधी मुद्दे और क्षेत्रीय अस्थिरता अक्सर विदेशी निवेश और बड़े पैमाने पर परियोजनाओं के कार्यान्वयन में बाधा डालते हैं। - प्रश्न 8: भारत की ‘पेट्रोलियम कूटनीति’ का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) घरेलू तेल की कीमतों को नियंत्रित करना।
(b) अंतर्राष्ट्रीय तेल कंपनियों के लिए नियामक ढाँचा तैयार करना।
(c) कच्चे तेल की आपूर्ति की सुरक्षा और विविधीकरण सुनिश्चित करना।
(d) तेल शोधन क्षमता को अधिकतम करना।
उत्तर: (c) कच्चे तेल की आपूर्ति की सुरक्षा और विविधीकरण सुनिश्चित करना।
व्याख्या: पेट्रोलियम कूटनीति का अर्थ है रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से देश के लिए विश्वसनीय और किफायती तेल आपूर्ति सुनिश्चित करना। - प्रश्न 9: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का लगभग 80% आयात करता है।
2. पाकिस्तान का घरेलू तेल उत्पादन उसकी आयात निर्भरता को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए पर्याप्त है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (a) केवल 1
व्याख्या: पहला कथन सही है। दूसरा कथन गलत है क्योंकि पाकिस्तान का घरेलू उत्पादन अभी भी उसकी जरूरतों के लिए अपर्याप्त है। - प्रश्न 10: “ड्रॉप-इन फ्यूल” (Drop-in Fuel) की अवधारणा, जो अक्सर नवीकरणीय ऊर्जा के संदर्भ में चर्चा में रहती है, निम्नलिखित में से किस पर जोर देती है?
(a) पारंपरिक जीवाश्म ईंधन के साथ सीधे प्रतिस्थापित किए जा सकने वाले ईंधन।
(b) केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए विशेष ईंधन।
(c) केवल विमानन उद्योग के लिए विकसित ईंधन।
(d) हाइड्रोजन आधारित ईंधन।
उत्तर: (a) पारंपरिक जीवाश्म ईंधन के साथ सीधे प्रतिस्थापित किए जा सकने वाले ईंधन।
व्याख्या: ड्रॉप-इन ईंधन वे होते हैं जिन्हें मौजूदा बुनियादी ढांचे (जैसे वितरण नेटवर्क, इंजन) में बिना किसी बड़े बदलाव के उपयोग किया जा सकता है, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में संक्रमण आसान हो जाता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: भारत की ऊर्जा सुरक्षा नीति के प्रमुख स्तंभों का विश्लेषण करें, जिसमें आयात निर्भरता को कम करने और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों पर विशेष ध्यान दिया गया हो। पाकिस्तान के संभावित तेल भंडार की खोज के संदर्भ में, भारत की रणनीतियों की तुलनात्मक समीक्षा करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 2: “ऊर्जा सुरक्षा किसी भी देश के आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण आधारशिला है।” इस कथन के आलोक में, भारत की वर्तमान ऊर्जा परिदृश्य की चुनौतियों और अवसरों की विवेचना करें। पाकिस्तान के साथ इसकी तुलना करते हुए, ऊर्जा कूटनीति के महत्व पर प्रकाश डालें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 3: डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा पाकिस्तान के तेल भंडार का दोहन करने में मदद करने के बयान के भू-राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। भारत जैसे पड़ोसी देश के लिए इसके क्या संभावित परिणाम हो सकते हैं? (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न 4: कच्चे तेल के अन्वेषण और निष्कर्षण से जुड़ी भूवैज्ञानिक, तकनीकी और वित्तीय बाधाओं पर चर्चा करें। पाकिस्तान के संदर्भ में इन बाधाओं का विश्लेषण करते हुए, बताएं कि ये भारत की अपनी घरेलू ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने की रणनीतियों से कैसे भिन्न हैं। (लगभग 150 शब्द)