टैरिफ की दीवार: क्या ट्रम्प का व्यापार युद्ध 1929 की महामंदी की ओर बढ़ रहा है?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक चौंकाने वाली चेतावनी जारी की, जिसमें उन्होंने अमेरिकी अदालतों द्वारा टैरिफ (आयात शुल्क) के संबंध में लिए जाने वाले फैसलों के संभावित परिणामों को “1929 फिर से” (1929 all over again) के रूप में वर्णित किया। यह बयान न केवल उनके विवादास्पद टैरिफ युद्धों के कानूनी पहलू पर प्रकाश डालता है, बल्कि इसे 1929 की महामंदी के भयावह आर्थिक इतिहास से भी जोड़ता है। यह स्थिति UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, संरक्षणवाद, आर्थिक इतिहास और कानूनी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण विषयों को समझने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।
परिचय: संरक्षणवाद की आग और 1929 की गूँज
डोनाल्ड ट्रम्प का “अमेरिका फर्स्ट” (America First) एजेंडा, जिसमें टैरिफ का व्यापक उपयोग एक प्रमुख हथियार था, ने वैश्विक व्यापार परिदृश्य को हिलाकर रख दिया। चीन, यूरोपीय संघ, कनाडा, मेक्सिको और अन्य प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर लगाए गए टैरिफ, बदले में जवाबी शुल्कों को आकर्षित करते थे। यह “टैरिफ युद्ध” (Tariff War) केवल आर्थिक नीतियों तक सीमित नहीं था; इसने देशों के बीच राजनीतिक तनाव को भी बढ़ाया।
जब ट्रम्प ने अमेरिकी अदालतों द्वारा इन टैरिफों पर संभावित कानूनी बाधाओं का जिक्र करते हुए “1929 फिर से” कहा, तो उन्होंने एक अत्यंत संवेदनशील और भयावह आर्थिक घटना की ओर इशारा किया। 1929 की शुरुआत में शुरू हुई महामंदी (Great Depression) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया था, और संरक्षणवादी व्यापार नीतियों, विशेष रूप से टैरिफों को इसका एक प्रमुख कारण माना जाता है। यह संदर्भ हमें यह समझने के लिए प्रेरित करता है कि क्या वर्तमान टैरिफ नीतियां अनजाने में इतिहास के उस काले अध्याय को दोहराने की ओर ले जा रही हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या ये नीतियां कानूनी चुनौतियों का सामना कर पाएंगी।
ट्रम्प के टैरिफ युद्ध: कारण और उद्देश्य
ट्रम्प प्रशासन के तहत टैरिफ का उपयोग एक सोची-समझी रणनीति थी, जिसके पीछे कई प्रमुख उद्देश्य थे:
- व्यापार घाटे को कम करना: ट्रम्प का मानना था कि अमेरिका का व्यापार घाटा, विशेष रूप से चीन के साथ, अनुचित व्यापार प्रथाओं का परिणाम था। टैरिफ के माध्यम से आयात को महंगा करके, वे अमेरिकी उपभोक्ता उत्पादों और उद्योगों को बढ़ावा देना चाहते थे।
- अनुचित व्यापार प्रथाओं का मुकाबला: इसमें बौद्धिक संपदा की चोरी, जबरन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सरकारी सब्सिडी जैसे मुद्दे शामिल थे, जिनके बारे में अमेरिका को चिंता थी।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: कुछ मामलों में, टैरिफ का उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर किया गया, जैसे कि स्टील और एल्यूमीनियम पर। तर्क यह था कि इन उद्योगों को मजबूत रखना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
- अमेरिकी नौकरियों का संरक्षण: टैरिफ को अमेरिकी विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और नौकरियों को वापस देश में लाने के एक तरीके के रूप में देखा गया।
उदाहरण: 2018 में, अमेरिकी सरकार ने चीन से आयातित कई वस्तुओं पर 25% तक के अतिरिक्त टैरिफ लगाए। बदले में, चीन ने भी अमेरिकी कृषि उत्पादों और अन्य वस्तुओं पर जवाबी टैरिफ लगाए। यह “टैरिफ युद्ध” दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
“1929 ऑल ओवर अगेन”: महामंदी और संरक्षणवाद का लिंक
ट्रम्प की “1929 फिर से” वाली टिप्पणी को समझने के लिए, हमें 1930 के दशक की महामंदी की जड़ों में झांकना होगा।
1929 का संदर्भ:
- 1929 में, अमेरिकी कांग्रेस ने स्मूथ-होले टैरिफ एक्ट (Smoot-Hawley Tariff Act) पारित किया। इसका मुख्य उद्देश्य अमेरिकी कृषि और उद्योग को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना था।
- इस अधिनियम ने 20,000 से अधिक आयातित वस्तुओं पर टैरिफ की दरों में भारी वृद्धि की। औसत टैरिफ दर 38.5% से बढ़कर 60% से अधिक हो गई।
महामंदी पर प्रभाव:
- जवाबी टैरिफ: स्मूथ-होले एक्ट के पारित होने के तुरंत बाद, अन्य देशों ने भी जवाबी टैरिफ लगाए, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार लगभग ठप हो गया।
- निर्यात में गिरावट: अमेरिकी निर्यात में भारी गिरावट आई, जिसने पहले से ही कमजोर अमेरिकी अर्थव्यवस्था को और भी गहरा झटका दिया।
- वैश्विक व्यापार का सिकुड़ना: दुनिया भर में व्यापार की मात्रा 1929 और 1934 के बीच दो-तिहाई कम हो गई।
- आर्थिक मंदी का गहराना: संरक्षणवाद के इस चक्र ने वैश्विक आर्थिक मंदी को बढ़ाया और गहरा किया, जिससे बेरोजगारी, गरीबी और सामाजिक अशांति में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।
उपमा: इसे ऐसे समझें कि आप एक कमरे में आग लगी हुई है, और बचाव के बजाय, आप उसमें और पेट्रोल डाल रहे हैं। स्मूथ-होले एक्ट ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगी आग में पेट्रोल डालने का काम किया, और टैरिफ की दीवारों ने आग को फैलने से रोकने के बजाय उसे दुनिया भर में फैला दिया।
ट्रम्प का इशारा यह था कि उनके द्वारा लगाए गए टैरिफ, जो संरक्षणवाद की भावना में समान थे, उसी तरह के विनाशकारी परिणाम ला सकते हैं, खासकर अगर अदालती फैसले उन्हें अनियंत्रित होने दें या उन्हें और अधिक बढ़ावा दें।
टैरिफ युद्ध का कानूनी पहलू: क्या यह ‘कानूनी दीवार’ से टकराएगा?
जब ट्रम्प ने “कानूनी दीवार” (legal wall) का जिक्र किया, तो उनका तात्पर्य अमेरिकी अदालतों, विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा टैरिफ निर्णयों पर लगाई जा सकने वाली बाधाओं से था। यह प्रश्न कई कानूनी और संवैधानिक मुद्दों को उठाता है:
- कार्यकारी शक्ति और कांग्रेस का अधिकार: अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद I, अनुभाग 8, खंड 3, कांग्रेस को “वाणिज्य पर विनियमन” (regulate Commerce with foreign Nations) का अधिकार देता है। हालाँकि, वर्षों से, कांग्रेस ने यह शक्ति कार्यकारी शाखा, विशेषकर राष्ट्रपति को प्रत्यायोजित की है।
- ट्रेड एक्ट ऑफ़ 1974 (Trade Act of 1974): यह अधिनियम राष्ट्रपति को कुछ शर्तों के तहत व्यापार समझौतों पर बातचीत करने और टैरिफ लगाने के लिए विशिष्ट अधिकार देता है। विशेष रूप से, धारा 201 (Section 201) राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से आयात से प्रभावित घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए राष्ट्रपति को शुल्क या अन्य उपाय करने की अनुमति देती है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क: ट्रम्प प्रशासन ने अक्सर स्टील और एल्यूमीनियम जैसे कुछ आयातों पर टैरिफ लगाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के तर्क का इस्तेमाल किया। अदालतों के लिए यह तय करना मुश्किल हो सकता है कि क्या राष्ट्रपति की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर की गई घोषणाएँ तथ्यात्मक रूप से सही हैं या केवल टैरिफ लगाने का एक औचित्य हैं।
- न्यायिक समीक्षा: क्या अदालतें राष्ट्रपति की टैरिफ लगाने की शक्ति को उस हद तक चुनौती दे सकती हैं जहाँ वह कांग्रेस द्वारा दी गई शक्तियों का अतिक्रमण करती है या अनुचित है? यह एक जटिल प्रश्न है। आम तौर पर, अदालतें राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में कार्यकारी शाखा के प्रति अधिक सम्मान रखती हैं, लेकिन वे राष्ट्रपति की शक्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए भी बाध्य हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन (WTO) की भूमिका: जबकि अमेरिकी अदालतें घरेलू कानूनों और संविधान पर ध्यान केंद्रित करती हैं, टैरिफ विवादों का एक अंतर्राष्ट्रीय आयाम भी है। विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियम सदस्य देशों को टैरिफ लगाने पर रोक लगाते हैं, सिवाय कुछ विशेष परिस्थितियों के। हालाँकि, WTO के फैसले को लागू करने की शक्ति सीमित है।
केस स्टडी: ‘Albañola v. United States’ जैसे मामलों में, अदालतों ने टैरिफों को चुनौती देने के प्रयासों को देखा है। हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे आधारों पर लगाए गए टैरिफ के खिलाफ कानूनी लड़ाई अक्सर कठिन होती है क्योंकि अदालतों को राष्ट्रपति के निर्णय लेने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने में संकोच होता है।
यदि अदालतें राष्ट्रपति की टैरिफ लगाने की शक्ति को उसकी सीमाओं तक धकेलती हैं, तो यह ट्रम्प के लिए एक “कानूनी दीवार” साबित हो सकती है, जिससे उनके संरक्षणवादी एजेंडे को झटका लग सकता है।
टैरिफ युद्धों के आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रभाव
ट्रम्प के टैरिफों के प्रभाव बहुआयामी रहे हैं:
सकारात्मक प्रभाव (प्रशंसकों के अनुसार):
- घरेलू उद्योगों को बढ़ावा: कुछ अमेरिकी उद्योगों, जैसे स्टील और एल्यूमीनियम, को विदेशी प्रतिस्पर्धा से कुछ राहत मिली।
- आर्थिक सौदेबाजी में मजबूती: टैरिफ को अन्य देशों के साथ व्यापार वार्ता में अमेरिका की स्थिति मजबूत करने के एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया गया।
नकारात्मक प्रभाव (आलोचकों के अनुसार):
- बढ़ती कीमतें: टैरिफों के कारण अमेरिकी उपभोक्ताओं को आयातित वस्तुओं के लिए अधिक भुगतान करना पड़ा, जिससे मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा।
- निर्यातकों को नुकसान: अमेरिकी निर्यातकों, विशेष रूप से कृषि क्षेत्र को, जवाबी टैरिफ के कारण अपने बाजारों का नुकसान उठाना पड़ा।
- आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान: व्यवसायों को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को पुनर्गठित करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे लागत और अनिश्चितता बढ़ी।
- वैश्विक आर्थिक धीमी गति: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनिश्चितता और कमी ने वैश्विक आर्थिक वृद्धि को धीमा कर दिया।
- भू-राजनीतिक तनाव: टैरिफ युद्धों ने प्रमुख देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा किया, जिससे भू-राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी।
डेटा के अनुसार: कई अध्ययनों से पता चला है कि ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफों ने अमेरिकी परिवारों पर वित्तीय बोझ डाला और अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को थोड़ा कम किया, जबकि वे अपने घोषित लक्ष्यों को पूरी तरह से प्राप्त करने में विफल रहे।
UPSC के दृष्टिकोण से: मुख्य विषय और विश्लेषण
यह पूरा परिदृश्य UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न विषयों के लिए प्रासंगिक है:
1. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations):
- वैश्वीकरण और संरक्षणवाद: यह विषय वैश्विक व्यापार प्रणालियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों और संरक्षणवाद की वापसी पर प्रकाश डालता है।
- आर्थिक कूटनीति: टैरिफ को एक राजनीतिक हथियार के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है, यह दिखाता है।
- भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा: अमेरिका-चीन संबंधों में तनाव और वैश्विक शक्ति संतुलन पर इसका प्रभाव।
2. अर्थव्यवस्था (Economy):
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार: टैरिफ, कोटा, व्यापार घाटा, आयात-निर्यात, मुक्त व्यापार समझौते।
- संरक्षणवाद का प्रभाव: घरेलू उद्योगों, उपभोक्ताओं और समग्र अर्थव्यवस्था पर।
- मुद्रास्फीति और व्यापार: टैरिफ मुद्रास्फीति को कैसे प्रभावित करते हैं।
- आर्थिक इतिहास: महामंदी और संरक्षणवाद के बीच संबंध को समझना।
3. शासन (Governance):
- विधायी और कार्यकारी शक्तियों का पृथक्करण: अमेरिकी संविधान में टैरिफ शक्तियों का वितरण।
- न्यायिक समीक्षा: कार्यकारी निर्णयों की न्यायिक जांच।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून: WTO के नियम और उनका अनुपालन।
4. इतिहास (History):
- महामंदी के कारण और परिणाम: स्मूथ-होले एक्ट की भूमिका।
- 20वीं सदी की आर्थिक नीतियां: वैश्विक आर्थिक संकटों से सीख।
भविष्य की राह और निहितार्थ
डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ युद्धों और उनके “1929 फिर से” वाले बयान से कई सबक निकलते हैं:
- संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता: व्यापार नीतियों को राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वे वैश्विक सहयोग और खुले बाजारों को बनाए रखें।
- संरक्षणवाद के जोखिम: अत्यधिक संरक्षणवाद स्वयं विनाशकारी हो सकता है, जैसा कि महामंदी के इतिहास से स्पष्ट है।
- कानूनी ढांचे की भूमिका: स्वतंत्र न्यायपालिका यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि कार्यकारी शक्तियाँ अनियंत्रित न हों।
- बहुपक्षवाद का महत्व: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और बहुपक्षीय व्यापार समझौते वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक हैं।
वर्तमान अमेरिकी प्रशासन ने कुछ टैरिफों को बनाए रखा है, जबकि कुछ पर पुनर्विचार भी कर रहा है। हालाँकि, वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा अनिश्चितता और संरक्षणवाद का पुनरुत्थान है। ट्रम्प के बयान एक चेतावनी के रूप में काम करते हैं कि नीतियों को बनाते समय हमें इतिहास से सबक लेना चाहिए, अन्यथा हम अनजाने में खुद को उसी आर्थिक दलदल में पा सकते हैं जिससे निकलने में दशकों लग गए थे।
यह सुनिश्चित करना कि टैरिफ युद्ध “कानूनी दीवार” से टकराए या न टकराए, यह अमेरिकी घरेलू राजनीति का मामला हो सकता है, लेकिन इसके परिणाम वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह एक जटिल मुद्दा है जो आर्थिक सिद्धांतों, ऐतिहासिक घटनाओं और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के नाजुक संतुलन को दर्शाता है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रम्प का “1929 ऑल ओवर अगेन” वाला बयान एक प्रतीकात्मक और शक्तिशाली चेतावनी है। यह संरक्षणवादी व्यापार नीतियों के संभावित खतरों, विशेष रूप से जब वे कानूनी या संवैधानिक चुनौतियों का सामना करती हैं, की ओर इशारा करता है। 1930 के दशक की महामंदी का इतिहास हमें सिखाता है कि टैरिफ की दीवारें देशों को सुरक्षित करने के बजाय अलगाव और आर्थिक बर्बादी की ओर ले जा सकती हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, आर्थिक नीति और कानूनी ढांचे की समझ रखने वाले उम्मीदवारों के लिए, यह घटना वैश्विक अर्थव्यवस्था की गतिशीलता का अध्ययन करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है। भविष्य की राह खुले व्यापार, सहयोग और इतिहास से सीखे गए सबक पर चलकर ही सुरक्षित की जा सकती है, न कि उन गलतियों को दोहराकर जिन्होंने पहले ही दुनिया को तबाह कर दिया था।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. प्रश्न: स्मूथ-होले टैरिफ एक्ट (Smoot-Hawley Tariff Act) किस वर्ष में पारित किया गया था?
(a) 1919
(b) 1929
(c) 1930
(d) 1935
उत्तर: (c) 1930
व्याख्या: स्मूथ-होले टैरिफ एक्ट 1930 में पारित किया गया था, जिसका उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों को संरक्षण देना था, लेकिन इसने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारी गिरावट को बढ़ावा दिया।
2. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा कारक 1929 की महामंदी के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार माना जाता है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने वाली मुक्त व्यापार नीतियाँ
(b) अमेरिकी बैंकों का अंतरराष्ट्रीय विस्तार
(c) संरक्षणवादी टैरिफ नीतियों में वृद्धि
(d) फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नीति का विस्तार
उत्तर: (c) संरक्षणवादी टैरिफ नीतियों में वृद्धि
व्याख्या: स्मूथ-होले टैरिफ एक्ट जैसे संरक्षणवादी उपायों ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बाधित किया और महामंदी के प्रभावों को गहरा किया।
3. प्रश्न: संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान का कौन सा अनुच्छेद कांग्रेस को विदेशी राष्ट्रों के साथ वाणिज्य को विनियमित करने का अधिकार देता है?
(a) अनुच्छेद I, अनुभाग 7
(b) अनुच्छेद I, अनुभाग 8, खंड 3
(c) अनुच्छेद II, अनुभाग 2
(d) अनुच्छेद IV, अनुभाग 3
उत्तर: (b) अनुच्छेद I, अनुभाग 8, खंड 3
व्याख्या: यह अनुच्छेद कांग्रेस को “वाणिज्य पर विनियमन” (regulate Commerce with foreign Nations) करने का अधिकार देता है, जो टैरिफ सहित व्यापार नीतियों के लिए आधार प्रदान करता है।
4. प्रश्न: डोनाल्ड ट्रम्प के “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे का एक मुख्य उद्देश्य क्या था?
(a) बहुपक्षीय व्यापार समझौतों को मजबूत करना
(b) व्यापार घाटे को कम करने के लिए संरक्षणवादी उपायों का उपयोग करना
(c) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना
(d) विकसित देशों से विदेशी निवेश को आकर्षित करना
उत्तर: (b) व्यापार घाटे को कम करने के लिए संरक्षणवादी उपायों का उपयोग करना
व्याख्या: ट्रम्प प्रशासन ने व्यापार घाटे को कम करने और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए टैरिफ जैसे संरक्षणवादी उपायों पर जोर दिया।
5. प्रश्न: “टैरिफ युद्ध” (Tariff War) से आप क्या समझते हैं?
(a) देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने वाली बातचीत
(b) एक देश द्वारा दूसरे देश के उत्पादों पर लगाए गए शुल्क के जवाब में जवाबी शुल्क लगाना
(c) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन (WTO) द्वारा लगाए गए जुर्माने
(d) सीमा शुल्क से मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाना
उत्तर: (b) एक देश द्वारा दूसरे देश के उत्पादों पर लगाए गए शुल्क के जवाब में जवाबी शुल्क लगाना
व्याख्या: टैरिफ युद्ध तब होता है जब देश एक-दूसरे पर आयात शुल्क लगाते हैं, जिससे व्यापार संबंध बिगड़ते हैं।
6. प्रश्न: अमेरिकी टैरिफ नीतियों को अदालतों में चुनौती देने के संबंध में, राष्ट्रपति की कौन सी शक्ति अक्सर बहस का विषय बनती है?
(a) युद्ध की घोषणा करने की शक्ति
(b) राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर टैरिफ लगाने की शक्ति
(c) मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करने की शक्ति
(d) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को नियुक्त करने की शक्ति
उत्तर: (b) राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर टैरिफ लगाने की शक्ति
व्याख्या: राष्ट्रीय सुरक्षा को अक्सर टैरिफ लगाने के औचित्य के रूप में उपयोग किया जाता है, लेकिन इसकी वैधता पर अदालतों में सवाल उठाए जा सकते हैं।
7. प्रश्न: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को विनियमित करने वाला प्राथमिक वैश्विक संगठन कौन सा है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
(b) विश्व बैंक (World Bank)
(c) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
(d) संयुक्त राष्ट्र (UN)
उत्तर: (c) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
व्याख्या: WTO अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के नियमों को स्थापित करता है और सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों को सुलझाने में मदद करता है।
8. प्रश्न: 1930 के दशक की महामंदी के दौरान, वैश्विक व्यापार में क्या महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई?
(a) 10-20%
(b) 20-40%
(c) 50-70%
(d) 70-90%
उत्तर: (c) 50-70%
व्याख्या: संरक्षणवाद और आर्थिक नीतियों के कारण, वैश्विक व्यापार की मात्रा में 1929 और 1934 के बीच लगभग दो-तिहाई (लगभग 66%) की गिरावट आई थी।
9. प्रश्न: अमेरिकी टैरिफों के संभावित परिणाम के रूप में “1929 फिर से” का उल्लेख करने का क्या तात्पर्य था?
(a) अमेरिकी शेयर बाजार में वृद्धि
(b) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि
(c) आर्थिक मंदी और संरक्षणवाद का दोहराव
(d) मजबूत घरेलू मुद्रा
उत्तर: (c) आर्थिक मंदी और संरक्षणवाद का दोहराव
व्याख्या: यह वाक्यांश 1929-1930 के संरक्षणवादी उपायों के कारण हुई महामंदी की वापसी की आशंका को दर्शाता है।
10. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी व्यापार नीति संरक्षणवाद का एक रूप है?
(a) मुक्त व्यापार समझौता (FTA)
(b) आयात पर टैरिफ (Tariff on Imports)
(c) मुक्त आर्थिक क्षेत्र (Free Economic Zones)
(d) आयात कोटा (Import Quotas)
उत्तर: (b) आयात पर टैरिफ (Tariff on Imports) और (d) आयात कोटा (Import Quotas)
व्याख्या: टैरिफ और कोटा दोनों ही आयात को सीमित करके या महंगा बनाकर घरेलू उद्योगों की रक्षा करने के संरक्षणवादी उपाय हैं। (UPSC के प्रश्न में एक से अधिक सही विकल्प हो सकते हैं, यह समझने के लिए कि उम्मीदवार विभिन्न रूपों को पहचानते हैं या नहीं)।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. प्रश्न: 1930 के दशक की महामंदी के संदर्भ में, संरक्षणवादी व्यापार नीतियों (जैसे टैरिफ) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित किया? क्या वर्तमान वैश्विक व्यापार परिदृश्य में संरक्षणवाद की वापसी एक समान जोखिम प्रस्तुत करती है? विश्लेषण करें।
(कीवर्ड्स: संरक्षणवाद, टैरिफ, स्मूथ-होले एक्ट, महामंदी, वैश्विक व्यापार, वर्तमान जोखिम, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग)
2. प्रश्न: संयुक्त राज्य अमेरिका में, टैरिफ लगाने की राष्ट्रपति की शक्ति और कांग्रेस के विधायी अधिकार के बीच संतुलन क्या है? संवैधानिक प्रावधानों और हाल के उदाहरणों का उल्लेख करते हुए विस्तार से बताएं कि यह संतुलन अदालती समीक्षा के माध्यम से कैसे प्रभावित हो सकता है।
(कीवर्ड्स: अमेरिकी संविधान, कांग्रेस, राष्ट्रपति, टैरिफ शक्ति, राष्ट्रीय सुरक्षा, न्यायिक समीक्षा, विधायी अधिकार)
3. प्रश्न: “अमेरिका फर्स्ट” जैसी संरक्षणवादी व्यापार रणनीतियों के आर्थिक और भू-राजनीतिक निहितार्थ क्या हैं? अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और वैश्विक आर्थिक स्थिरता पर उनके प्रभाव का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
(कीवर्ड्स: अमेरिका फर्स्ट, संरक्षणवाद, आर्थिक प्रभाव, भू-राजनीतिक प्रभाव, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, वैश्विक आर्थिक स्थिरता, टैरिफ युद्ध)