ज्ञान की परख: आज का समाजशास्त्र मॉक टेस्ट!
तैयारी के इस सफर में, वैचारिक स्पष्टता ही आपकी सबसे बड़ी शक्ति है! आइए, आज के समाजशास्त्र के इस विशेष प्रश्नोत्तरी के साथ अपनी समझ को परखें और अपनी विश्लेषणात्मक क्षमताओं को निखारें। हर प्रश्न एक अवसर है, हर उत्तर एक सीख!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजिक तथ्य” (Social Fact) की अवधारणा को समाजशास्त्र के अध्ययन का मुख्य विषय किसने माना?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्पटे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम को समाजशास्त्र में “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा को स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य सामाजिक जीवन के वे तरीके हैं जो व्यक्ति पर बाहरी दबाव डालते हैं और जो समाज के सदस्य होने के नाते व्यक्ति पर बाध्यकारी होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया है। उनका मानना था कि समाजशास्त्र को एक विज्ञान के रूप में विकसित होने के लिए इन बाहरी और बाध्यकारी सामाजिक तथ्यों का वस्तुनिष्ठ (objective) अध्ययन करना चाहिए।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने “वेर्स्टेहेन” (Verstehen) यानी व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर जोर दिया। ऑगस्ट कॉम्पटे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, लेकिन उन्होंने “सामाजिक स्थैतिकी” और “सामाजिक गतिकी” जैसे सिद्धांतों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 2: मैक्स वेबर के अनुसार, सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रकारों में से कौन सा एक नहीं है?
- तर्कसंगत-कानूनी सत्ता (Rational-Legal Authority)
- परंपरागत सत्ता (Traditional Authority)
- ईश्वरीय या दैवीय सत्ता (Divine Authority)
- करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार बताए हैं: तर्कसंगत-कानूनी, परंपरागत और करिश्माई। ‘ईश्वरीय या दैवीय सत्ता’ उनके वर्गीकरण में शामिल नहीं है, हालांकि परंपरागत सत्ता में कुछ हद तक धार्मिक या दैवीय तत्वों का प्रभाव हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने इन सत्ता के प्रकारों का विश्लेषण आधुनिक समाजों के उदय और उनकी शासन प्रणालियों को समझने के लिए किया। तर्कसंगत-कानूनी सत्ता नियमों और विधियों पर आधारित होती है, परंपरागत सत्ता रीति-रिवाजों और इतिहास पर, और करिश्माई सत्ता किसी व्यक्ति के असाधारण गुणों पर।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) वेबर द्वारा बताए गए सत्ता के तीन प्रमुख आदर्श प्रकार हैं।
प्रश्न 3: दुर्खीम के अनुसार, समाज में सामाजिक एकता (Social Solidarity) का कौन सा रूप आधुनिक, औद्योगिक समाजों में अधिक पाया जाता है?
- यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity)
- जैविक एकता (Organic Solidarity)
- समाज-विज्ञानी एकता (Sociological Solidarity)
- ऊर्ध्वाधर एकता (Vertical Solidarity)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने “The Division of Labour in Society” में यांत्रिक एकता और जैविक एकता के बीच अंतर किया। आधुनिक, औद्योगिक समाजों में श्रम के विभाजन के कारण विशेषज्ञता बढ़ती है, जिससे लोग एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। इस प्रकार की निर्भरता ‘जैविक एकता’ को जन्म देती है, जो एक जीव के विभिन्न अंगों के सामंजस्य की तरह होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यांत्रिक एकता कम श्रम विभाजन वाले, सरल समाजों में पाई जाती है, जहाँ लोग समान अनुभवों, विश्वासों और मूल्यों को साझा करते हैं। जैविक एकता जटिल समाजों की विशेषता है।
- गलत विकल्प: यांत्रिक एकता आदिम समाजों से संबंधित है। ‘समाज-विज्ञानी एकता’ या ‘ऊर्ध्वाधर एकता’ दुर्खीम की शब्दावली का हिस्सा नहीं हैं।
प्रश्न 4: नव-मार्क्सवादी विचारक लुई अल्थुसर (Louis Althusser) ने राज्य की संस्थाओं को किन दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया?
- सार्वजनिक और निजी संस्थाएँ
- उत्पादन की शक्तियों और उत्पादन के संबंधों को नियंत्रित करने वाली संस्थाएँ
- राज्य की दमनकारी सत्ताएँ (RSAs) और राज्य की वैचारिक सत्ताएँ (ISAs)
- आर्थिक और सांस्कृतिक संस्थाएँ
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लुई अल्थुसर ने राज्य के कार्यों को समझने के लिए ‘राज्य की दमनकारी सत्ताएँ’ (Repressive State Apparatuses – RSAs) और ‘राज्य की वैचारिक सत्ताएँ’ (Ideological State Apparatuses – ISAs) की अवधारणा प्रस्तुत की।
- संदर्भ और विस्तार: RSAs (जैसे पुलिस, सेना, जेल) बल प्रयोग द्वारा समाज को नियंत्रित करते हैं, जबकि ISAs (जैसे शिक्षा, परिवार, धर्म, मीडिया) विचारों और मूल्यों को प्रसारित करके समाज को नियंत्रित करते हैं। अल्थुसर के अनुसार, ISAs पूंजीवादी समाजों में वर्चस्व बनाए रखने में अधिक प्रभावी होते हैं।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प अल्थुसर की विशिष्ट शब्दावली का सटीक प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
प्रश्न 5: चार्ल्स कूली (Charles Cooley) की “प्राइमरी ग्रुप” (Primary Group) की अवधारणा का सबसे उपयुक्त उदाहरण निम्नलिखित में से कौन सा है?
- एक विश्वविद्यालय का छात्र संघ
- एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल
- परिवार और निकटतम मित्र मंडली
- एक कंपनी का कर्मचारी संघ
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: चार्ल्स कूली ने “Human Nature and the Social Order” में प्राइमरी ग्रुप की अवधारणा दी। परिवार और निकटतम मित्र मंडली, जिनमें घनिष्ठ, आमने-सामने का, और दीर्घकालिक संबंध होते हैं, प्राइमरी ग्रुप के आदर्श उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: प्राइमरी ग्रुप व्यक्ति के समाजीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उसके व्यक्तित्व के विकास को आकार देते हैं। इन समूहों में हम की भावना (we-feeling) प्रबल होती है।
- गलत विकल्प: छात्र संघ, राजनीतिक दल और कर्मचारी संघ आमतौर पर सेकेंडरी ग्रुप (Secondary Group) के उदाहरण हैं, जिनमें संबंध अधिक अवैयक्तिक, साधन-साध्य और अल्पकालिक होते हैं।
प्रश्न 6: भारत में जाति व्यवस्था के अध्ययन के संदर्भ में, “सanskritization” (संस्कृति-करण) की अवधारणा किसने दी?
- डॉ. बी.आर. अम्बेडकर
- एम.एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- जी.एस. घुरिये
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने “Religion and Society Among the Coorgs of South India” पुस्तक में ‘संस्कृति-करण’ (Sanskritization) की अवधारणा प्रस्तुत की।
- संदर्भ और विस्तार: संस्किृति-करण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न जातियाँ या आदिवासी समूह उच्च जातियों (विशेष रूप से द्विजातियों) की प्रथाओं, अनुष्ठानों, परंपराओं और जीवन शैली को अपनाते हैं ताकि सामाजिक पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठा सकें। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है।
- गलत विकल्प: डॉ. अम्बेडकर ने जाति व्यवस्था के उन्मूलन पर जोर दिया। इरावती कर्वे और जी.एस. घुरिये ने भी भारतीय समाज और जाति पर महत्वपूर्ण कार्य किया, लेकिन संस्किृति-करण की अवधारणा श्रीनिवास से जुड़ी है।
प्रश्न 7: भारतीय समाज में, “विवाह” (Marriage) किस प्रकार की संस्था का उदाहरण है?
- प्राथमिक संस्था (Primary Institution)
- द्वितीयक संस्था (Secondary Institution)
- कानूनी संस्था (Legal Institution)
- आर्थिक संस्था (Economic Institution)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विवाह को सामान्यतः समाज की एक प्राथमिक संस्था माना जाता है, क्योंकि यह परिवार के गठन, वंशानुक्रम, समाजीकरण और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए मौलिक है।
- संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक संस्थाएँ वे हैं जो समाज के अस्तित्व और निरंतरता के लिए आवश्यक मानी जाती हैं, जैसे परिवार, विवाह, धर्म, शिक्षा। द्वितीयक संस्थाएँ इन प्राथमिक संस्थाओं के कार्यों को पूरा करने या उनकी सहायक के रूप में विकसित होती हैं।
- गलत विकल्प: जबकि विवाह के कानूनी और आर्थिक पहलू होते हैं, उसकी मूल प्रकृति एक सामाजिक और प्राथमिक संस्था की है।
प्रश्न 8: नगरीय समाजशास्त्र (Urban Sociology) के संदर्भ में, लुई वर्थ (Louis Wirth) द्वारा प्रतिपादित “शहरी जीवन” (Urbanism) की प्रमुख विशेषताओं में से कौन सी एक शामिल है?
- घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध
- अपेक्षाकृत छोटे आकार की जनसंख्या
- जनसंख्या की विषमजातीयता (Heterogeneity)
- सांप्रदायिक भावना (Gemeinschaft)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लुई वर्थ ने अपने प्रसिद्ध निबंध “Urbanism as a Way of Life” में शहरी जीवन को उसकी जनसंख्या के बड़े आकार, उच्च घनत्व और विषमजातीयता (heterogeneity) से जोड़ा। जनसंख्या की विषमजातीयता का अर्थ है कि शहर में विभिन्न पृष्ठभूमि, संस्कृतियों, व्यवसायों और जीवन शैलियों के लोग एक साथ रहते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वर्थ के अनुसार, ये विशेषताएँ व्यक्तिगत संबंधों को अधिक अवैयक्तिक (impersonal) बनाती हैं, सामाजिक नियंत्रण कमजोर होता है, और लोग अधिक व्यक्तिगत, स्वतंत्र और कभी-कभी एकाकी अनुभव करते हैं।
- गलत विकल्प: घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध, छोटे आकार की जनसंख्या और सांप्रदायिक भावना (Gemeinschaft) ग्रामीण या पारंपरिक समाजों की विशेषताएँ हैं, न कि शहरी जीवन की।
प्रश्न 9: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, “कार्य-कारण संबंध” (Causality) को स्थापित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण विधि कौन सी है?
- सर्वेक्षण (Survey)
- केस स्टडी (Case Study)
- प्रयोग (Experiment)
- नृवंशविज्ञान (Ethnography)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रयोग (Experiment) विधि में शोधकर्ता एक या अधिक स्वतंत्र चरों (independent variables) में हेरफेर करके उनके आश्रित चर (dependent variable) पर पड़ने वाले प्रभाव का अवलोकन करता है। यह विधि कार्य-कारण संबंध को स्थापित करने के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है, क्योंकि यह अन्य संभावित कारकों को नियंत्रित करने का प्रयास करती है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि समाजशास्त्र में प्रयोगों को लागू करना अक्सर मुश्किल होता है (नैतिक और व्यावहारिक कारणों से), यह सैद्धांतिक रूप से कार्य-कारण को समझने का सबसे सीधा तरीका है।
- गलत विकल्प: सर्वेक्षण, केस स्टडी और नृवंशविज्ञान सहसंबंध (correlation) स्थापित करने या गहराई से समझने के लिए उपयोगी हैं, लेकिन सीधे तौर पर कार्य-कारण स्थापित करने के लिए उतने प्रभावी नहीं हैं।
प्रश्न 10: दुर्खीम के “अनॉमिया” (Anomie) की अवधारणा निम्नलिखित में से किस स्थिति का वर्णन करती है?
- सामाजिक मानदंडों का अभाव और नैतिक शून्यता
- अति-संरचनात्मक नियंत्रण और प्रतिबंध
- सामाजिक समूहों के बीच गहरा संघर्ष
- व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक कुंठा
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अनॉमिया (Anomie), जिसे दुर्खीम ने विकसित किया, वह स्थिति है जहाँ समाज में सामान्य या स्वीकृत सामाजिक मानदंडों का अभाव होता है। यह तब उत्पन्न होती है जब समाज के नियम स्पष्ट नहीं होते या जब सामाजिक परिवर्तन इतनी तेजी से होता है कि लोग नए नियमों या अपेक्षाओं के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते, जिससे नैतिक शून्यता या दिशाहीनता महसूस होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अनॉमिया को आत्महत्या की दर (Suicide) और सामाजिक विघटन (Social Disintegration) के एक कारण के रूप में समझाया।
- गलत विकल्प: (b) अति-संरचनात्मक नियंत्रण सामाजिक पदानुक्रम या तानाशाही से जुड़ा हो सकता है। (c) सामाजिक समूहों के बीच संघर्ष मार्क्सवादी सिद्धांत से अधिक संबंधित है। (d) मनोवैज्ञानिक कुंठा अनॉमिया का परिणाम हो सकती है, लेकिन यह स्वयं अनॉमिया की परिभाषा नहीं है।
प्रश्न 11: जॉन रोल्स (John Rawls) ने अपनी पुस्तक “A Theory of Justice” में न्याय के किस सिद्धांत का प्रस्ताव दिया?
- उपयोगितावादी सिद्धांत (Utilitarian Theory)
- वितरणात्मक न्याय का सिद्धांत (Principle of Distributive Justice)
- कार्य-कारण न्याय का सिद्धांत (Principle of Retributive Justice)
- प्रक्रियात्मक न्याय का सिद्धांत (Principle of Procedural Justice)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉन रोल्स ने “A Theory of Justice” में “वितरणात्मक न्याय” (Distributive Justice) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जिसका उद्देश्य समाज में संसाधनों और अवसरों के निष्पक्ष वितरण की रूपरेखा तैयार करना था।
- संदर्भ और विस्तार: रोल्स ने “अज्ञानता का पर्दा” (Veil of Ignorance) और “न्याय के दो सिद्धांत” (Two Principles of Justice) जैसी अवधारणाएँ पेश कीं। उनके सिद्धांत के अनुसार, स्वतंत्रता की समानता और असमानताएँ इस प्रकार व्यवस्थित होनी चाहिए कि वे सबसे कम सुविधा प्राप्त लोगों के लिए अधिकतम लाभ (Difference Principle) प्रदान करें और सभी के लिए अवसर की निष्पक्ष समानता हो।
- गलत विकल्प: उपयोगितावाद (Utilitarianism) सुख को अधिकतम करने पर केंद्रित है। कार्य-कारण न्याय दंड से संबंधित है। प्रक्रियात्मक न्याय निष्पक्ष प्रक्रियाओं पर जोर देता है, जबकि रोल्स का जोर परिणामों के निष्पक्ष वितरण पर था।
प्रश्न 12: भारतीय समाज में, “पितृसत्ता” (Patriarchy) का सबसे प्रत्यक्ष प्रभाव निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में देखा जा सकता है?
- आर्थिक विकास की दर
- लिंगानुपात (Sex Ratio)
- साक्षरता दर में वृद्धि
- शहरीकरण की प्रक्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पितृसत्ता, जो पुरुषों के प्रभुत्व और महिलाओं के अधीनता की सामाजिक व्यवस्था है, अक्सर लिंग-चयनात्मक गर्भपात (sex-selective abortion) और कन्या भ्रूण हत्या (female infanticide) जैसी प्रथाओं को जन्म देती है, जिससे देश के लिंगानुपात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- संदर्भ और विस्तार: पितृसत्तात्मक समाजों में, पुत्रों को बेटियों की तुलना में अधिक महत्व दिया जाता है, जो सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारकों से प्रेरित होता है।
- गलत विकल्प: जबकि पितृसत्ता का आर्थिक विकास, साक्षरता और शहरीकरण पर भी प्रभाव पड़ सकता है, लिंगानुपात पर इसका प्रभाव अधिक प्रत्यक्ष और मापने योग्य होता है।
प्रश्न 13: समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में, “संस्कृति” (Culture) का अर्थ क्या है?
- केवल कला, संगीत और साहित्य
- लोगों द्वारा सीखे गए और साझा किए गए व्यवहार, मान्यताएँ, मूल्य और प्रतीक
- प्राकृतिक पर्यावरण का मानव द्वारा निर्माण
- उच्च वर्ग के लोगों की जीवन शैली
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: समाजशास्त्र में, संस्कृति एक व्यापक अवधारणा है जिसमें किसी समाज के सदस्यों द्वारा सीखे गए और साझा किए गए सभी व्यवहार, ज्ञान, विश्वास, मूल्य, मानदंड, कलाकृतियाँ और प्रतीक शामिल होते हैं। यह वह “जीवन का तरीका” है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें भौतिक संस्कृति (जैसे औजार, भवन) और अभौतिक संस्कृति (जैसे भाषा, रीति-रिवाज, विश्वास) दोनों शामिल हैं।
- गलत विकल्प: (a) कला, संगीत और साहित्य संस्कृति का केवल एक छोटा हिस्सा हैं। (c) यह प्राकृतिक पर्यावरण का मानव द्वारा निर्माण है, न कि संस्कृति। (d) यह केवल उच्च वर्ग की जीवन शैली तक सीमित नहीं है।
प्रश्न 14: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) के अनुसार, समाज में “असंतुलन” (Dysfunction) से क्या तात्पर्य है?
- सामाजिक व्यवस्था के अनुकूल परिणाम
- समाज के लिए हानिकारक या विघटनकारी परिणाम
- सामाजिक संरचनाओं का औपचारिक रूप से परिभाषित कार्य
- सांस्कृतिक प्रतीकों का अर्थ बदलने की प्रक्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्यवाद (Functionalism) के अपने विश्लेषण में, “प्रकार्य” (Function) और “असंतुलन” (Dysfunction) के बीच अंतर किया। असंतुलन से तात्पर्य उन परिणामों से है जो किसी सामाजिक संरचना या प्रथा के लिए हानिकारक या विघटनकारी होते हैं, या जो सामाजिक व्यवस्था के अनुकूलन को कम करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, जबकि अपराध का एक कार्य (Function) हो सकता है, इसके अत्यधिक बढ़ने से समाज में विघटन (Dysfunction) उत्पन्न हो सकता है।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक व्यवस्था के अनुकूल परिणाम ‘प्रकार्य’ (Function) कहलाते हैं। (c) यह ‘प्रकार्य’ की परिभाषा है। (d) यह सांस्कृतिक परिवर्तन से संबंधित है, न कि सीधे असंतुलन से।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) विचारधारा से सबसे अधिक जुड़ा हुआ है?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead)
- टॉल्कॉट पार्सन्स (Talcott Parsons)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का एक प्रमुख विचारक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति स्वयं को समाज के अन्य सदस्यों के साथ प्रतीकों (जैसे भाषा) के माध्यम से अंतःक्रिया करके, दूसरों के दृष्टिकोण को अपनाकर (taking the role of the other) और “स्व” (Self) का विकास करके बनाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मीड की अवधारणाएँ जैसे “स्व” (Self), “मैं” (I) और “मुझे” (Me), और “अन्य” (Other) इस विचारधारा की नींव हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम और पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) से जुड़े हैं, जबकि मार्क्स संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) से।
प्रश्न 16: भारतीय समाज में, “उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण” (LPG Reforms) का सामाजिक संरचना पर क्या प्रभाव पड़ा है?
- जाति व्यवस्था का मजबूत होना
- पारंपरिक संयुक्त परिवार का विघटन और एकल परिवार का उदय
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि
- धार्मिक सद्भाव में वृद्धि
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: LPG सुधारों के कारण आर्थिक उदारीकरण, रोजगार के अवसरों में बदलाव और शहरीकरण को बढ़ावा मिला। इसने पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं, विशेष रूप से संयुक्त परिवार प्रणाली पर गहरा प्रभाव डाला, जिससे एकल परिवारों की संख्या में वृद्धि हुई।
- संदर्भ और विस्तार: इन सुधारों ने उपभोग के तरीकों, जीवन शैली और व्यक्तिगत आकांक्षाओं को भी बदला, जिससे पारंपरिक संस्थाएँ प्रभावित हुईं।
- गलत विकल्प: LPG सुधारों ने अक्सर जाति व्यवस्था पर मिश्रित प्रभाव डाला है, कुछ संदर्भों में इसे कमजोर किया है और दूसरों में इसे पुनर्जीवित किया है। ग्रामीण रोजगार में वृद्धि के बजाय शहरी क्षेत्रों में रोजगार की ओर झुकाव बढ़ा है। धार्मिक सद्भाव में भी इन सुधारों का सीधा और सकारात्मक प्रभाव नहीं देखा गया है।
प्रश्न 17: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के अध्ययन में, “वर्ग” (Class) की अवधारणा का मुख्य रूप से किसने विश्लेषण किया?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- अगस्त कॉम्प्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स को वर्ग विश्लेषण का प्रमुख प्रणेता माना जाता है। उनके अनुसार, वर्ग का निर्धारण उत्पादन के साधनों के स्वामित्व से होता है, और समाज मुख्य रूप से बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक) वर्गों में विभाजित है, जिनके बीच निरंतर संघर्ष होता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने अपने “Das Kapital” और “The Communist Manifesto” जैसे कार्यों में वर्ग संघर्ष को इतिहास की प्रेरक शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर ध्यान केंद्रित किया। वेबर ने वर्ग, स्थिति (Status) और शक्ति (Party) के तीन आयामों से स्तरीकरण का विश्लेषण किया, जो मार्क्स से भिन्न था। कॉम्प्टे ने सामाजिक विकास के चरणों पर जोर दिया।
प्रश्न 18: फेमिनिस्ट (Feminist) सिद्धांत के अनुसार, “लैंगिक रूढ़िवादिता” (Gender Stereotyping) का मुख्य कार्य क्या है?
- पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता को बढ़ावा देना
- महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक भूमिकाओं को सीमित करना
- सांस्कृतिक विविधता को प्रोत्साहित करना
- वैज्ञानिक अनुसंधान में निष्पक्षता बनाए रखना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: फेमिनिस्ट सिद्धांतकारों के अनुसार, लैंगिक रूढ़िवादिता (जैसे कि महिलाएं केवल घर के काम के लिए हैं या पुरुष हमेशा मजबूत और आक्रामक होते हैं) समाज द्वारा महिलाओं को विभिन्न भूमिकाओं, अवसरों और शक्ति से वंचित रखने का एक तरीका है, जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक प्रगति बाधित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह लैंगिक असमानता को बनाए रखने और मजबूत करने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: यह समानता या विविधता को बढ़ावा नहीं देता, बल्कि असमानता को बनाए रखता है।
प्रश्न 19: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, “गुणात्मक विधि” (Qualitative Method) का प्राथमिक उद्देश्य क्या होता है?
- जनसंख्या के बड़े नमूनों से सांख्यिकीय डेटा एकत्र करना
- सामाजिक घटनाओं की गहराई, अर्थ और संदर्भ को समझना
- कारण और प्रभाव के बीच संबंध स्थापित करना
- किसी विशेष घटना की आवृत्ति को मापना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गुणात्मक विधियाँ (जैसे साक्षात्कार, फोकस समूह, अवलोकन) सामाजिक दुनिया की जटिलताओं, व्यक्तियों के अनुभवों, भावनाओं और दृष्टिकोणों की गहराई से जांच करती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य सामाजिक घटनाओं के “क्यों” और “कैसे” को समझना है, न कि केवल “कितना” या “कितनी बार”।
- संदर्भ और विस्तार: ये विधियाँ गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं और जटिल सामाजिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करती हैं।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) मात्रात्मक विधियों (Quantitative Methods) के उद्देश्यों का अधिक सटीक वर्णन करते हैं।
प्रश्न 20: भारतीय ग्रामीण समाज में, “जजमानी प्रथा” (Jajmani System) क्या दर्शाती है?
- भूमि का सामूहिक स्वामित्व
- जाति-आधारित पारंपरिक सेवा विनिमय प्रणाली
- ग्राम पंचायत द्वारा संसाधन वितरण
- भूमि सुधारों का सफल कार्यान्वयन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जजमानी प्रथा भारतीय ग्रामीण समाज में एक पारंपरिक प्रणाली थी जहाँ विभिन्न जातियों के कारीगर और सेवा प्रदाता (जैसे नाई, धोबी, कुम्हार) एक दूसरे को वंशानुगत आधार पर सेवाएँ प्रदान करते थे और बदले में उन्हें निश्चित मात्रा में अनाज या अन्य भुगतान प्राप्त होता था। यह व्यवस्था जाति पदानुक्रम और अंतर्निर्भरता पर आधारित थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह श्रम और सेवाओं के आदान-प्रदान का एक सामाजिक-आर्थिक ढाँचा था।
- गलत विकल्प: यह भूमि के स्वामित्व, ग्राम पंचायत या भूमि सुधारों से सीधे संबंधित नहीं है, बल्कि सेवा विनिमय की व्यवस्था से संबंधित है।
प्रश्न 21: पीटर एल. बर्जर (Peter L. Berger) और थॉमस लकमैन (Thomas Luckmann) ने अपनी पुस्तक “The Social Construction of Reality” में क्या तर्क दिया?
- समाज एक वस्तुनिष्ठ वास्तविकता है जो मानव चेतना से स्वतंत्र है।
- वास्तविकता को व्यक्तियों के बीच सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से निर्मित किया जाता है।
- मानवीय व्यवहार मुख्य रूप से जैविक प्रवृत्तियों द्वारा निर्धारित होता है।
- भौतिकवाद सामाजिक परिवर्तन का एकमात्र कारण है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: बर्जर और लकमैन ने तर्क दिया कि हमारी “वास्तविकता” (Reality) व्यक्तिगत चेतना का उत्पाद नहीं है, बल्कि इसे व्यक्तियों के बीच सामूहिक, सामाजिक रूप से निर्मित प्रक्रियाओं के माध्यम से लगातार बनाया और बनाए रखा जाता है। ज्ञान और वास्तविकता सामाजिक रूप से निर्मित (socially constructed) होती है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने संस्थाकरण (institutionalization) और समाज के वस्तुनिष्ठकरण (objectivation) की प्रक्रियाओं पर प्रकाश डाला, जहाँ व्यक्तिपरक अर्थ वस्तुनिष्ठ, बाहरी वास्तविकताओं में बदल जाते हैं।
- गलत विकल्प: (a) समाज को वस्तुनिष्ठ मानने के विपरीत, वे इसके सामाजिक निर्माण पर जोर देते हैं। (c) यह जैविक नियतत्ववाद (biological determinism) की ओर इशारा करता है। (d) यह मार्क्सवादी भौतिकवाद से मेल खाता है, जो उनके सिद्धांत का केंद्रीय बिंदु नहीं है।
प्रश्न 22: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा निम्नलिखित में से किस पर जोर देती है?
- किसी व्यक्ति के वित्तीय संसाधन
- किसी व्यक्ति की शिक्षा और कौशल
- सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग के माध्यम से प्राप्त लाभ
- किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत शक्ति और प्रभाव
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक पूंजी उन संसाधनों को संदर्भित करती है जो किसी व्यक्ति या समूह को उसके सामाजिक नेटवर्क, संबंधों, भरोसे और आपसी सहयोग के माध्यम से प्राप्त होते हैं। इसमें सामाजिक संबंध, सामूहिक सौहार्द और सामान्यीकृत विश्वास शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा जेम्स कॉलमैन (James Coleman) और रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) जैसे समाजशास्त्रियों से जुड़ी है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) व्यक्तिगत मानव पूंजी (Human Capital) या प्रत्यक्ष शक्ति से संबंधित हैं, न कि सामाजिक नेटवर्क से उत्पन्न लाभ से।
प्रश्न 23: भारतीय आदिवासी समुदायों के संदर्भ में, “अलगाव” (Isolation) की समस्या का एक मुख्य कारण क्या है?
- आधुनिक शिक्षा का प्रसार
- सरकारी विकास योजनाओं का कुशल कार्यान्वयन
- मुख्यधारा के समाज द्वारा अलगाव और भेदभाव
- जनजातीय समुदायों के बीच घनिष्ठ अंतर्विवाह
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय आदिवासी समुदायों को अक्सर मुख्यधारा के समाज से उपेक्षा, भेदभाव और अलगाव का सामना करना पड़ता है। भूमि का अधिग्रहण, वनों पर अधिकार का हनन और सांस्कृतिक भिन्नताएँ भी इस अलगाव को बढ़ाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ऐतिहासिक रूप से, इन समुदायों को बाहरी दुनिया से दूर रखने की नीतियाँ भी रही हैं, लेकिन वर्तमान संदर्भ में, सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक भेदभाव अलगाव का प्रमुख कारण है।
- गलत विकल्प: आधुनिक शिक्षा और विकास योजनाएँ (यदि सही ढंग से लागू हों) अलगाव को कम कर सकती हैं। अंतर्विवाह समुदाय के भीतर हो सकता है, लेकिन यह मुख्यधारा से अलगाव का कारण नहीं बनता।
प्रश्न 24: “सामाजीकरण” (Socialization) की प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय और स्वतंत्र हो।
- नए सदस्यों को समाज के मानदंडों, मूल्यों और व्यवहारों को सिखाना ताकि वे समाज का हिस्सा बन सकें।
- सामाजिक परिवर्तन को धीमा करना और पारंपरिक व्यवस्था बनाए रखना।
- समाज के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए व्यक्तियों को तैयार करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजीकरण वह आजीवन प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति समाज के सदस्य के रूप में कार्य करना सीखते हैं। इसमें समाज के नियमों, विश्वासों, मूल्यों, भाषाओं और व्यवहार शैलियों को आत्मसात करना शामिल है, ताकि वे समाज में सफलतापूर्वक एकीकृत हो सकें और सामाजिक व्यवस्था बनी रहे।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्राथमिक (परिवार) और द्वितीयक (स्कूल, मीडिया, मित्र) एजेंटों के माध्यम से होता है।
- गलत विकल्प: सामाजीकरण स्वतंत्रता को सीमित नहीं करता (हालांकि यह कभी-कभी बहस का विषय रहा है), यह सामाजिक परिवर्तन को धीमा करने के बजाय उसे सक्षम भी बना सकता है, और यह विद्रोह की बजाय एकीकरण सिखाता है।
प्रश्न 25: “समूह” (Group) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के लिए निम्नलिखित में से कौन सी शर्त आवश्यक है?
- सदस्यों का एक ही भौगोलिक क्षेत्र में निवास करना
- सदस्यों के बीच पारस्परिक जागरूकता और अंतःक्रिया
- सभी सदस्यों का एक ही व्यवसाय या पेशा अपनाना
- समूह के सभी सदस्यों का समान सामाजिक-आर्थिक स्तर होना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एक समाजशास्त्रीय समूह की परिभाषा के अनुसार, उसके सदस्यों में कम से कम पारस्परिक जागरूकता (mutual awareness) होनी चाहिए और वे एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया (interaction) करते हों। यह दो या दो से अधिक व्यक्तियों का एक संग्रह है जो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे पर प्रभाव डालते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जबकि भौगोलिक निकटता, समान व्यवसाय या समान सामाजिक-आर्थिक स्तर समूह की कुछ विशेषताओं के साथ सहसंबद्ध हो सकते हैं, वे समूह की परिभाषा के लिए आवश्यक शर्तें नहीं हैं। उदाहरण के लिए, इंटरनेट पर बने ऑनलाइन समुदाय भी समूह हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) समूह के गठन के लिए आवश्यक नहीं हैं।
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