ज्ञान की कसौटी: 25 समाजशास्त्रीय प्रश्नों का महासंग्राम
अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई को परखने के लिए तैयार हो जाइए! आज का दैनिक अभ्यास सत्र आपकी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आइए, इन 25 चुनौतीपूर्ण प्रश्नों के साथ अपनी तैयारी को और भी मजबूत करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की अवधारणा को किस समाजशास्त्री ने मुख्य रूप से शक्ति, प्रतिष्ठा और धन के आधार पर समझाया है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने सामाजिक स्तरीकरण को केवल आर्थिक आधार (जैसे मार्क्स का वर्ग संघर्ष) तक सीमित न रखते हुए, शक्ति (Power) और प्रतिष्ठा (Status) को भी महत्वपूर्ण आयामों के रूप में जोड़ा। उन्होंने तीनों (धन, शक्ति, प्रतिष्ठा) के संयोजन से सामाजिक स्तरीकरण की जटिलता को समझाया।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, वर्ग (Class) मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति से जुड़ा है, जबकि प्रतिष्ठा (Status Group) सामाजिक सम्मान, जीवन शैली और शिक्षा से जुड़ी होती है, और शक्ति (Party) राजनीतिक प्रभाव से। इन तीनों के आधार पर विभिन्न सामाजिक समूह बनते हैं जो स्तरीकरण को दर्शाते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने मुख्य रूप से उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व के आधार पर बुर्जुआ और सर्वहारा वर्ग के बीच संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और श्रम विभाजन पर जोर दिया, जबकि ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है जिन्होंने प्रत्यक्षवाद (Positivism) का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?
- जब समाज में अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण हो
- जब सामाजिक नियमों और मानदंडों में शिथिलता आ जाए
- जब व्यक्तिगत स्वतंत्रता बहुत अधिक हो
- जब आर्थिक असमानता बहुत कम हो
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: दुर्खीम ने ‘एनोमी’ को एक ऐसी सामाजिक स्थिति के रूप में परिभाषित किया है जहाँ समाज के स्थापित नियमों, मानदंडों और मूल्यों का कोई स्पष्ट मार्गदर्शन नहीं होता, या वे शिथिल पड़ जाते हैं। इससे व्यक्ति में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया है। यह अक्सर तेजी से सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक संकट या व्यक्तिगत जीवन में बड़े बदलावों के दौरान देखी जाती है।
- गलत विकल्प: अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण ‘तानाशाही’ या ‘कुलवाद’ (Totalitarianism) का संकेत हो सकता है, लेकिन एनोमी नहीं। अत्यधिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता (बिना नियमों के) एनोमी को बढ़ा सकती है, लेकिन स्वयं एनोमी नहीं है। आर्थिक असमानता का स्तर एनोमी से सीधे जुड़ा हो भी सकता है और नहीं भी; मुख्य कारक सामाजिक नियमों का टूटना है।
प्रश्न 3: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य प्रतिपादक कौन है?
- टैल्कॉट पार्सन्स
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- रॉबर्ट मर्टन
- इर्विंग गॉफमैन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख प्रणेता माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति अपनी पहचान और समाज का निर्माण भाषा, प्रतीकों और सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मीड का मानना था कि ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणाएं स्वयं (Self) के विकास को दर्शाती हैं, जो सामाजिक अंतःक्रियाओं से उत्पन्न होती है। उन्होंने ‘टेकन वन्स सेल्फ’ (Taking the role of the other) के महत्व को भी रेखांकित किया।
- गलत विकल्प: टैल्कॉट पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) से जुड़े हैं। रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्यवाद में संशोधन करते हुए ‘अभिमत सिद्धांत’ (Middle-range theory) और ‘विसंगति’ (Manifest and Latent functions) जैसी अवधारणाएं दीं। इर्विंग गॉफमैन ने ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) के माध्यम से सामाजिक अंतःक्रियाओं का अध्ययन किया, जो प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से प्रभावित है, लेकिन मीड इसके मूल विचारक हैं।
प्रश्न 4: भारतीय समाज में, ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की मुख्य विशेषता क्या है?
- यह एक खुला स्तरीकरण है
- इसमें पेशा वंशानुगत नहीं होता
- इसमें अंतर्विवाह (Endogamy) और व्यावसायिक प्रतिबंध प्रमुख हैं
- इसमें सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) बहुत आसान है
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: भारतीय जाति व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं में अंतर्विवाह (अपने समूह के भीतर विवाह करना) और अक्सर खान-पान तथा पेशा संबंधी प्रतिबंध शामिल हैं, जो व्यवस्था को कठोर बनाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था जन्म पर आधारित होती है, और एक व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है, आमतौर पर उसी जाति में रहता है। यह एक बंद स्तरीकरण प्रणाली है जहाँ सामाजिक गतिशीलता अत्यंत सीमित होती है।
- गलत विकल्प: जाति व्यवस्था एक ‘बंद स्तरीकरण’ है, खुला नहीं। पेशा अक्सर वंशानुगत होता है। सामाजिक गतिशीलता अत्यंत कठिन होती है, आसान नहीं।
प्रश्न 5: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया मुख्य रूप से किन पहलुओं से संबंधित है?
- पारंपरिक मूल्यों और संस्थाओं का संरक्षण
- ग्रामीण जीवन शैली को अपनाना
- औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण
- सांस्कृतिक अलगाव और पारंपरिक कलाओं का उत्थान
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जो औद्योगिकीकरण (Industrialization), शहरीकरण (Urbanization), राष्ट्र-राज्य के विकास (Development of nation-state), धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization) और तर्कसंगतता (Rationality) में वृद्धि से जुड़ी है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें समाज पारंपरिक, कृषि-आधारित और रूढ़िवादी संरचनाओं से निकलकर औद्योगिक, शहरी और अधिक तर्कसंगत तथा धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था की ओर बढ़ता है।
- गलत विकल्प: पारंपरिक मूल्यों का संरक्षण आधुनिकीकरण के विपरीत है। ग्रामीण जीवन शैली को अपनाना आधुनिकीकरण (जो अक्सर शहरीकरण से जुड़ा है) के बजाय ‘देहातीकरण’ (Ruralization) हो सकता है। सांस्कृतिक अलगाव और पारंपरिक कलाओं का उत्थान आधुनिकतावाद (Modernism) या वैश्वीकरण (Globalization) के संदर्भ में देखा जा सकता है, लेकिन यह आधुनिकीकरण की मूल परिभाषा नहीं है।
प्रश्न 6: एमिल दुर्खीम ने समाजशास्त्र को एक ‘विज्ञान’ के रूप में स्थापित करने के लिए किस पद्धति पर बल दिया?
- आत्मनिष्ठ (Subjective) व्याख्या
- तर्कसंगत (Rational) निर्माण
- वस्तुनिष्ठ (Objective) अवलोकन और तथ्यों का अध्ययन
- अस्तित्ववादी (Existential) विश्लेषण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: दुर्खीम ने समाजशास्त्र को प्राकृतिक विज्ञानों के समान वस्तुनिष्ठ बनाने का प्रयास किया। उन्होंने ‘सामाजिक तथ्यों’ (Social Facts) के अध्ययन पर बल दिया, जिन्हें बाहरी, बाध्यकारी और वस्तुनिष्ठ माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में, दुर्खीम ने तर्क दिया कि सामाजिक तथ्यों का अध्ययन उसी तरह किया जाना चाहिए जैसे वैज्ञानिक भौतिक तथ्यों का करते हैं – बाहरी, वस्तुनिष्ठ और साक्ष्य-आधारित।
- गलत विकल्प: आत्मनिष्ठ व्याख्या प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद जैसी पद्धतियों में महत्वपूर्ण है, न कि दुर्खीम के प्रत्यक्षवाद में। तर्कसंगत निर्माण और अस्तित्ववादी विश्लेषण अन्य दार्शनिक या समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण हैं।
प्रश्न 7: ‘औपचारिक संगठन’ (Formal Organization) की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है?
- अनौपचारिक संबंध और समूह
- लिखित नियम, पदानुक्रम और स्पष्ट उद्देश्य
- भावनाओं और व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित संरचना
- लचीलापन और परिवर्तन के प्रति सहजता
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: औपचारिक संगठनों की पहचान उनके परिभाषित संरचना, स्पष्ट लक्ष्यों, लिखित नियमों, प्रक्रियाओं, पद सोपान (Hierarchy) और भूमिकाओं के स्पष्ट विभाजन से होती है।
- संदर्भ और विस्तार: मैक्स वेबर ने ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) के आदर्श मॉडल का वर्णन किया, जो औपचारिक संगठन की एक प्रमुख मिसाल है। ऐसे संगठन कुशलता, पूर्वानुमान और नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं।
- गलत विकल्प: अनौपचारिक संबंध अनौपचारिक संगठनों (Informal Organizations) या औपचारिक संगठनों के भीतर मौजूद हो सकते हैं, लेकिन वे औपचारिक संरचना की मुख्य विशेषता नहीं हैं। भावनाओं और व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित संरचना अनौपचारिक समूहों की पहचान है। लचीलापन हमेशा औपचारिक संगठनों की विशेषता नहीं होता; वे अक्सर कठोर नियमों का पालन करते हैं।
प्रश्न 8: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने दी?
- एच. स्पेंसर
- विलियम एफ. ओग्बर्न
- ए. एल. क्रोबर
- रॉबर्ट पार्क
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: विलियम एफ. ओग्बर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनका तर्क था कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मूल्य, कानून, नैतिकता) की तुलना में तेजी से बदलती है, जिससे समाज में एक प्रकार का ‘विलंब’ या असंतुलन पैदा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने कहा कि जब नई तकनीकें आती हैं (जैसे इंटरनेट), तो हमारे सामाजिक नियम, नैतिकता और व्यवहार को उनके अनुकूल ढलने में समय लगता है, जिससे विभिन्न सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- गलत विकल्प: एच. स्पेंसर विकासवादी समाजशास्त्र से संबंधित हैं। ए. एल. क्रोबर ने संस्कृति का अध्ययन किया, खासकर पश्चिमी समाजों में। रॉबर्ट पार्क शिकागो स्कूल के प्रमुख सदस्य थे, जिन्होंने शहरी समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
प्रश्न 9: भारतीय समाज में ‘प्रोटो-ऑस्ट्रेलॉइड’ (Proto-Australoid) प्रजाति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- यह उत्तरी भारत में पाई जाती है।
- इसके लक्षण छोटे कद, काली त्वचा, चौड़ी नाक और लम्बा सिर हैं।
- यह इंडो-आर्यन प्रजाति का एक उप-समूह है।
- यह नवीनतम प्रजाति मिश्रण का परिणाम है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: भारत में पाए जाने वाले विभिन्न प्रजातीय समूहों में, प्रोटो-ऑस्ट्रेलॉइड को अक्सर छोटे कद, काली से गहरी भूरी त्वचा, चौड़ी नाक, पतले होंठ और लम्बे या मध्यम लम्बे सिर वाले लोगों के रूप में वर्णित किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रजाति को भारत की सबसे प्राचीन प्रजातियों में से एक माना जाता है और यह आज भी भारत के कुछ आदिवासी समुदायों (जैसे गोंड, भील) और दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
- गलत विकल्प: यह मुख्य रूप से दक्षिणी और मध्य भारत के साथ-साथ पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में पाई जाती है, न कि केवल उत्तरी भारत में। यह इंडो-आर्यन या नवीनतम मिश्रण का परिणाम नहीं है, बल्कि सबसे प्राचीन में से एक है।
प्रश्न 10: ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) के अनुसार, समाज एक _______ की तरह है, जहाँ प्रत्येक भाग (संस्था) का एक विशिष्ट कार्य होता है।
- संघर्ष का क्षेत्र
- जैविक जीव
- सूक्ष्म जगत
- कंप्यूटर नेटवर्क
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को एक जैविक जीव (Biological Organism) के रूप में देखता है। जिस तरह एक जीव में विभिन्न अंग (हृदय, फेफड़े, मस्तिष्क) होते हैं और प्रत्येक का अपना कार्य होता है जो पूरे जीव के अस्तित्व के लिए आवश्यक है, उसी तरह समाज में परिवार, शिक्षा, धर्म, राजनीति जैसी संस्थाएं होती हैं जिनका समाज को सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
- संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम, हर्बर्ट स्पेंसर और टैल्कॉट पार्सन्स जैसे समाजशास्त्री इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक थे। वे समाज में स्थिरता (Stability) और व्यवस्था (Order) बनाए रखने पर जोर देते थे।
- गलत विकल्प: संघर्ष का क्षेत्र संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) का परिप्रेक्ष्य है। सूक्ष्म जगत और कंप्यूटर नेटवर्क आधुनिक उपमाएं हैं जो इस विशेष सिद्धांत के जैविक जीव वाले रूपक से मेल नहीं खातीं।
प्रश्न 11: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, जो श्रमिकों को उनके श्रम, उत्पादन, स्वयं और दूसरों से दूर करती है, किस समाजशास्त्री के विचारों का केंद्रीय तत्व है?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिकों द्वारा अनुभव किए जाने वाले ‘अलगाव’ की अवधारणा को विस्तार से समझाया। उनके अनुसार, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, उत्पादन की प्रक्रिया, अपनी मानवीय सार (Human essence) और अन्य मनुष्यों से कट जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियां 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) जैसी रचनाओं में अलगाव के चार मुख्य रूपों (उत्पाद से अलगाव, उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं से अलगाव, और दूसरों से अलगाव) का वर्णन किया।
- गलत विकल्प: वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ और ‘नौकरशाही’ पर ध्यान केंद्रित किया, दुर्खीम ने ‘एनोमी’ और ‘सामाजिक एकजुटता’ पर, और सिमेल ने ‘आधुनिकता’ और ‘शहर’ के प्रभाव पर।
प्रश्न 12: भारतीय समाज में ‘संसक्तिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का अर्थ क्या है?
- पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- उच्च जाति की प्रथाओं, रीति-रिवाजों और विश्वासों को निम्न जाति द्वारा अपनाना
- शहरी जीवन शैली को अपनाना
- तकनीकी विकास को स्वीकार करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ी गई ‘संसक्तिकरण’ की अवधारणा का अर्थ है कि निम्न जाति या जनजाति के समूह उच्च, अक्सर द्विजा (Twice-born) जातियों की रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, जीवन शैली और विचारधाराओं का अनुकरण करते हैं ताकि सामाजिक पदानुक्रम (Social Hierarchy) में अपनी स्थिति को ऊपर उठा सकें।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक ऐसी प्रक्रिया है जहाँ वे अपनी पहचान को सांस्कृतिक रूप से उच्च जातियों के अनुरूप ढालने का प्रयास करते हैं। यह एक प्रकार की ‘सांस्कृतिक गतिशीलता’ (Cultural Mobility) है।
- गलत विकल्प: पश्चिमी संस्कृति को अपनाना ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) कहलाता है। शहरी जीवन शैली को अपनाना ‘शहरीकरण’ (Urbanization) का हिस्सा हो सकता है। तकनीकी विकास ‘आधुनिकीकरण’ से संबंधित है।
प्रश्न 13: ‘सूक्ष्म समाजशास्त्र’ (Microsociology) का अध्ययन मुख्य रूप से किस पर केंद्रित होता है?
- बड़े पैमाने की सामाजिक संरचनाएं और संस्थाएं
- व्यक्तियों के बीच दैनिक अंतःक्रियाएं और संबंध
- वैश्विक आर्थिक पैटर्न
- राष्ट्र-राज्यों के बीच संबंध
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सूक्ष्म समाजशास्त्र व्यक्तियों और छोटे समूहों के बीच होने वाली रोजमर्रा की बातचीत, संचार और संबंधों का अध्ययन करता है। यह इस बात पर केंद्रित होता है कि लोग अपने सामाजिक जीवन को कैसे बनाते और समझते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, नृवंशविज्ञान (Ethnomethodology) और इर्विंग गॉफमैन का काम सूक्ष्म समाजशास्त्र के अच्छे उदाहरण हैं। यह बड़े सामाजिक पैटर्न के बजाय व्यक्तिगत अनुभवों और अर्थों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- गलत विकल्प: बड़े पैमाने की संरचनाएं, वैश्विक पैटर्न और राष्ट्र-राज्यों के संबंध ‘स्थूल समाजशास्त्र’ (Macrosociology) के अध्ययन क्षेत्र में आते हैं।
प्रश्न 14: ‘पदानुक्रम’ (Hierarchy) और ‘तर्कसंगतता’ (Rationality) को आधुनिक समाज की प्रमुख विशेषताएँ मानने वाले समाजशास्त्री कौन हैं?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- इर्विंग गॉफमैन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने आधुनिक समाज के उदय को ‘तर्कसंगतता’ के बढ़ते प्रभाव और ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) जैसे ‘औपचारिक संगठनों’ के विकास से जोड़ा। उन्होंने पदानुक्रम (Hierarchy) को ऐसे संगठनों की एक महत्वपूर्ण विशेषता माना।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में देखा जहाँ निर्णय और क्रियाएं परंपरा या भावना के बजाय कुशलता, गणना और नियमों पर आधारित होती हैं। आधुनिक राज्य, अर्थव्यवस्था और प्रशासन इसी तर्कसंगतता पर आधारित हैं।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और पूंजीवाद पर, दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और एनोमी पर, और गॉफमैन ने नाटकशास्त्र पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 15: किसी भी समाज में ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) का प्राथमिक कार्य क्या है?
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता को अधिकतम करना
- समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले मानक, नियम और पैटर्न स्थापित करना
- सामाजिक संघर्ष को बढ़ावा देना
- अस्थिरता और परिवर्तन पैदा करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक संस्थाएं (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार) समाज की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित और मान्य सामाजिक पैटर्न, नियम और प्रक्रियाओं का एक समूह हैं। ये समाज में व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने में मदद करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, परिवार प्रजनन और समाजीकरण की आवश्यकता को पूरा करता है, जबकि शिक्षा ज्ञान और कौशल प्रदान करती है। ये संस्थाएं लोगों के व्यवहार को निर्देशित करती हैं और उन्हें एक निश्चित तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं।
- गलत विकल्प: संस्थाएं व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित भी कर सकती हैं, जबकि समाज की व्यवस्था बनाए रखती हैं। सामाजिक संस्थाओं का प्राथमिक कार्य संघर्ष को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि उसे प्रबंधित करना या कम करना है। वे आम तौर पर स्थिरता बनाए रखने का प्रयास करती हैं, न कि अस्थिरता पैदा करने का।
प्रश्न 16: ‘सामुदायिक संबंध’ (Gemeinschaft) और ‘सहयोगी संबंध’ (Gesellschaft) की अवधारणाएँ किसने प्रस्तुत कीं?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- फर्डिनेंड टोनीज
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: फर्डिनेंड टोनीज ने अपनी पुस्तक ‘सामुदायिक और सहयोगी संबंध’ (Gemeinschaft und Gesellschaft) में इन दो प्रकार के सामाजिक संबंधों का वर्णन किया। ‘सामुदायिक संबंध’ (Gemeinschaft) ऐसे संबंध हैं जो घनिष्ठता, स्नेह, साझा मूल्यों और पारंपरिक बंधन पर आधारित होते हैं (जैसे परिवार, छोटे समुदाय)। ‘सहयोगी संबंध’ (Gesellschaft) ऐसे संबंध हैं जो व्यक्तिगत स्वार्थ, लाभ और अमूर्त नियमों पर आधारित होते हैं (जैसे आधुनिक शहरों में अजनबी, व्यावसायिक संबंध)।
- संदर्भ और विस्तार: टोनीज का तर्क था कि आधुनिक समाज ‘सामुदायिक संबंध’ से ‘सहयोगी संबंध’ की ओर बढ़ रहा है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने यांत्रिक और साव्यवी एकजुटता (Mechanical and Organic Solidarity) पर, वेबर ने तर्कसंगतता और नौकरशाही पर, और सिमेल ने आधुनिकता और शहरी जीवन पर काम किया।
प्रश्न 17: भारत में ‘जनजाति’ (Tribe) शब्द का प्रयोग किन लोगों के समूह के लिए किया जाता है?
- सभी ग्रामीण निवासी
- ऐसे समूह जिनकी अपनी विशिष्ट संस्कृति, भाषा, भौगोलिक अलगाव और सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था हो, और जो मुख्यधारा के समाज से अलग-थलग रहे हों
- सभी शहरी प्रवासी
- केवल ऐसे समूह जो अनुसूचित जाति (Scheduled Castes) के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘जनजाति’ शब्द का प्रयोग उन मानव समूहों के लिए किया जाता है जिनकी एक विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान, भाषा, सामाजिक संरचना और अक्सर भौगोलिक अलगाव होता है। वे पारंपरिक रूप से मुख्यधारा के समाज से अलग या हाशिए पर रहे हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में विभिन्न जनजातीय समुदाय हैं, जैसे भील, गोंड, संथाल, मुंडा आदि। उनकी अपनी अनूठी प्रथाएं, मान्यताएं और जीवन शैली होती है। ‘अनुसूचित जनजाति’ (Scheduled Tribes) शब्द संवैधानिक रूप से उन समूहों के लिए प्रयोग होता है जिन्हें भारतीय संविधान में विशेष सुरक्षा और लाभ प्रदान किए गए हैं।
- गलत विकल्प: सभी ग्रामीण निवासी, शहरी प्रवासी या केवल अनुसूचित जाति के लोग जनजातियों की परिभाषा में नहीं आते।
प्रश्न 18: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) से क्या तात्पर्य है?
- किसी व्यक्ति के पास मौजूद मौद्रिक धन
- किसी व्यक्ति के नेटवर्क, संबंध और सामाजिक जुड़ाव जो संसाधनों तक पहुँचने में मदद करते हैं
- संपत्ति और उत्पादन के साधन
- व्यक्तिगत ज्ञान और कौशल
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक पूंजी उन संसाधनों को संदर्भित करती है जो किसी व्यक्ति या समूह को उसके सामाजिक नेटवर्क, विश्वास, संबंधों और पारस्परिक सहयोग से प्राप्त होते हैं। यह हमें जानकारी, सहायता और अवसरों तक पहुँचने में मदद करती है।
- संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) और रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक पूंजी की अवधारणा पर महत्वपूर्ण काम किया है। यह सिर्फ व्यक्तिगत संपत्ति नहीं, बल्कि सामाजिक संबंधों का एक उपयोगी जाल है।
- गलत विकल्प: मौद्रिक धन ‘आर्थिक पूंजी’ है। संपत्ति और उत्पादन के साधन भी आर्थिक पूंजी से संबंधित हैं। व्यक्तिगत ज्ञान और कौशल ‘मानव पूंजी’ (Human Capital) है।
प्रश्न 19: ‘नृवंशविज्ञान’ (Ethnography) किस प्रकार की अनुसंधान पद्धति है?
- एक सांख्यिकीय विश्लेषण
- एक विस्तृत, गहन, दीर्घकालिक क्षेत्रीय अध्ययन जिसमें अवलोकन और साक्षात्कार शामिल हैं
- सर्वेक्षण विधि
- प्रायोगिक विधि
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: नृवंशविज्ञान एक गुणात्मक (Qualitative) अनुसंधान पद्धति है जिसमें शोधकर्ता किसी विशेष संस्कृति या सामाजिक समूह का गहन अध्ययन करने के लिए लंबे समय तक उनके बीच रहता है, अवलोकन करता है और साक्षात्कार लेता है। इसका उद्देश्य उस समूह की संस्कृति, व्यवहार और जीवन शैली को गहराई से समझना है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विधि विशेष रूप से मानव विज्ञान (Anthropology) में प्रचलित है, लेकिन समाजशास्त्र में भी इसका व्यापक उपयोग होता है (जैसे शिकागो स्कूल के अध्ययनों में)।
- गलत विकल्प: सांख्यिकीय विश्लेषण, सर्वेक्षण और प्रायोगिक विधियाँ अन्य प्रकार की अनुसंधान पद्धतियाँ हैं जो नृवंशविज्ञान से भिन्न हैं।
प्रश्न 20: ‘सार्वभौमिकता’ (Universality) और ‘विशेषज्ञता’ (Particularism) का विचार समाजशास्त्र में किस अवधारणा से जुड़ा है?
- सामाजिक गतिशीलता
- सामाजिक नियंत्रण
- भूमिका अपेक्षाएँ (Role Expectations)
- सामाजिक स्तरीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक भूमिकाएँ (Social Roles) अक्सर भूमिका अपेक्षाओं से बंधी होती हैं। ‘सार्वभौमिकता’ का अर्थ है कि एक भूमिका में व्यक्ति से सभी के साथ एक समान व्यवहार की अपेक्षा की जाती है (जैसे एक न्यायाधीश का अपने सभी मामलों में निष्पक्ष होना)। ‘विशेषज्ञता’ का अर्थ है कि एक भूमिका में व्यक्ति से विशिष्टता या अपनेपन के आधार पर विशेष व्यवहार की अपेक्षा की जाती है (जैसे माता-पिता का अपने बच्चे के प्रति विशेष स्नेह)।
- संदर्भ और विस्तार: यह अंतर सामाजिक व्यवस्था और व्यक्ति की विभिन्न भूमिकाओं को समझने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक से अपेक्षा की जाती है कि वह सभी छात्रों के साथ निष्पक्ष (सार्वभौमिक) रहे, लेकिन साथ ही वह अपने प्रिय छात्र पर थोड़ा अधिक ध्यान (विशेष) दे सकता है।
- गलत विकल्प: ये अवधारणाएं सामाजिक गतिशीलता, नियंत्रण या स्तरीकरण की तुलना में भूमिकाओं और अपेक्षाओं के विश्लेषण से अधिक निकटता से जुड़ी हैं।
प्रश्न 21: ‘विसंगति’ (Manifest Function) और ‘अव्यक्त कार्य’ (Latent Function) की अवधारणाएँ समाजशास्त्री रॉबर्ट मर्टन द्वारा प्रस्तुत की गईं। ‘विसंगति’ का अर्थ है:
- किसी सामाजिक संस्था या क्रिया के अनपेक्षित और अवांछित परिणाम।
- किसी सामाजिक संस्था या क्रिया के स्पष्ट, प्रत्यक्ष और इच्छित परिणाम।
- सामाजिक संरचनाओं का विघटन।
- सामाजिक नियमों का अभाव।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने ‘विसंगति’ को किसी सामाजिक घटना या संस्था के स्पष्ट, प्रत्यक्ष और इच्छित परिणामों के रूप में परिभाषित किया। ‘अव्यक्त कार्य’ (Latent Function) वे अनपेक्षित या अव्यक्त परिणाम होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, शिक्षा प्रणाली की एक विसंगति (Manifest Function) युवाओं को शिक्षित करना और उन्हें नौकरी के लिए तैयार करना है। वहीं, इसकी एक अव्यक्त कार्य (Latent Function) यह हो सकता है कि यह युवाओं को साथियों से मिलने और नए सामाजिक संबंध बनाने का अवसर प्रदान करती है।
- गलत विकल्प: (a) अव्यक्त कार्य (Latent Function) का वर्णन करता है। (c) और (d) सामाजिक विघटन या एनोमी से संबंधित अवधारणाएं हैं।
प्रश्न 22: ‘नृजातीयता’ (Ethnicity) का अर्थ क्या है?
- किसी व्यक्ति का राष्ट्रीय मूल
- किसी व्यक्ति की सांस्कृतिक पहचान, जो साझा वंश, भाषा, धर्म या रीति-रिवाजों पर आधारित होती है
- किसी व्यक्ति की त्वचा का रंग
- किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: नृजातीयता किसी व्यक्ति की उस सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती है जो उसे एक विशिष्ट समूह के सदस्य के रूप में जोड़ती है। यह अक्सर साझा वंश, मूल, भाषा, धर्म, रीति-रिवाजों, इतिहास और कभी-कभी भौगोलिक क्षेत्र पर आधारित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह ‘जाति’ (Race) से भिन्न है, जो मुख्य रूप से शारीरिक विशेषताओं पर आधारित होती है। एक ही जाति के लोग विभिन्न नृजातीय समूहों से संबंधित हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: राष्ट्रीय मूल (Nationality) एक राजनीतिक अवधारणा है। त्वचा का रंग ‘जाति’ (Race) से संबंधित है। आर्थिक स्थिति (Economic Status) एक अलग सामाजिक स्तरीकरण का आधार है।
प्रश्न 23: ‘संसाधन विहीनता’ (Relative Deprivation) की भावना कब उत्पन्न होती है?
- जब किसी व्यक्ति के पास बहुत अधिक धन हो।
- जब किसी व्यक्ति को यह महसूस होता है कि उसके पास दूसरों की तुलना में कम संसाधन या अवसर हैं, भले ही उसके पास न्यूनतम आवश्यकताएं पूरी हों।
- जब समाज में धन का समान वितरण हो।
- जब किसी व्यक्ति के पास पर्याप्त भोजन और आश्रय हो।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सापेक्षिक वंचना (Relative Deprivation) की भावना तब उत्पन्न होती है जब कोई व्यक्ति या समूह अपनी स्थिति की तुलना दूसरों (जिनकी स्थिति बेहतर मानी जाती है) से करता है और खुद को वंचित महसूस करता है, भले ही उसकी अपनी स्थिति पूर्ण रूप से खराब न हो।
- संदर्भ और विस्तार: यह भावना अक्सर सामाजिक आंदोलनों (Social Movements) और विरोध प्रदर्शनों को जन्म देती है, क्योंकि लोग अपनी वर्तमान स्थिति से असंतुष्ट होकर बेहतर की मांग करते हैं।
- गलत विकल्प: बहुत अधिक धन या पर्याप्त भोजन/आश्रय पूर्ण वंचना (Absolute Deprivation) से राहत दे सकते हैं, लेकिन सापेक्षिक वंचना की भावना तुलना पर आधारित है। धन का समान वितरण भी सापेक्षिक वंचना की संभावना को कम करता है।
प्रश्न 24: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में क्या शामिल है?
- केवल कला, संगीत और साहित्य
- किसी समूह के लोगों द्वारा साझा किए गए जीवन जीने का तरीका, जिसमें मूल्य, विश्वास, मानदंड, प्रतीक, भाषा और भौतिक वस्तुएं शामिल हैं
- केवल भौतिक वस्तुएं जैसे कारें और घर
- केवल सीखा हुआ व्यवहार, जो जन्मजात नहीं है
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: समाजशास्त्र में संस्कृति को एक व्यापक अवधारणा के रूप में परिभाषित किया गया है। यह किसी विशेष समाज या समूह के सदस्यों द्वारा साझा किए जाने वाले ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज, भाषा और अन्य क्षमताओं और आदतों का वह जटिल ताना-बाना है जो समाजीकरण (Socialization) के माध्यम से सीखा जाता है। इसमें भौतिक (Physical) और अभौतिक (Non-physical/Abstract) दोनों तत्व शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह वह ‘लेंस’ है जिसके माध्यम से लोग दुनिया को समझते हैं और व्यवहार करते हैं।
- गलत विकल्प: संस्कृति में केवल कला, संगीत, साहित्य या केवल भौतिक वस्तुएं शामिल नहीं हैं। जबकि यह सीखा हुआ व्यवहार है, इसकी परिभाषा इन तक सीमित नहीं है।
प्रश्न 25: ‘शहरीकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सा एक सामाजिक परिणाम है?
- पारिवारिक बंधनों का मजबूत होना
- ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि
- औपचारिक संबंधों और अनौपचारिक संबंधों में वृद्धि
- अजनबीयत (Anomie) और सामाजिक अलगाव में वृद्धि
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: शहरीकरण, जो शहरों की ओर जनसंख्या के प्रवास और शहरों के बढ़ने की प्रक्रिया है, अक्सर सामाजिक परिणामों की एक श्रृंखला को जन्म देता है। इनमें से एक महत्वपूर्ण परिणाम अजनबीयत (Anomie) और सामाजिक अलगाव (Social Alienation) में वृद्धि हो सकती है। शहरों में अधिक गुमनामी, कम घनिष्ठता और औपचारिक संबंधों की प्रधानता इसे बढ़ा सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: लुई वर्थ (Louis Wirth) जैसे समाजशास्त्रियों ने शहरी जीवन की विशेषताओं का वर्णन किया है, जिसमें व्यक्तिगत संबंधों की कमी, सामाजिक संपर्क की सतहीता और भीड़भाड़ वाले माहौल में व्यक्तिगत पहचान खोने का अनुभव शामिल है।
- गलत विकल्प: शहरीकरण अक्सर पारंपरिक पारिवारिक बंधनों को कमजोर करता है, न कि मजबूत। यह ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर जनसंख्या का स्थानांतरण है, न कि ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्धि। जबकि अनौपचारिक संबंधों की वृद्धि हो सकती है, अधिक महत्वपूर्ण परिणाम के रूप में औपचारिक संबंधों और अजनबीयत में वृद्धि देखी जाती है।
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