ज्ञान की कसौटी: इतिहास की 25 चुनौतियाँ
क्या आप इतिहास के रहस्यों को सुलझाने के लिए तैयार हैं? अपनी यात्रा शुरू करें समय के गलियारों से, जहाँ हर प्रश्न अतीत की एक अनूठी कहानी कहता है। आज, हम आपके ज्ञान की गहराई को परखेंगे और आपको एक रोमांचक ऐतिहासिक अनुभव प्रदान करेंगे। तो, अपने पेन उठाएं और ज्ञान की इस अनोखी कसौटी के लिए तैयार हो जाएं!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता का कौन सा स्थल ‘सिंधु का बाग’ (Garden of Sindh) या ‘मरुस्थल का मैनचेस्टर’ (Manchester of the Desert) कहलाता था?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- रोपड़
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ ‘मृतकों का टीला’ है, सिंधु घाटी सभ्यता का एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल था। इसके विशाल और सुनियोजित शहरी ढाँचे, विशेष रूप से महान स्नानागार, इसे ‘सिंधु का बाग’ या ‘मरुस्थल का मैनचेस्टर’ जैसी उपाधियाँ दिलाता है।
- संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंधु नदी के किनारे स्थित था। यह स्थल अपनी उन्नत जल निकासी व्यवस्था, बड़ी इमारतों (जैसे कि अन्नगार और स्नानागार) और पकी हुई ईंटों के उपयोग के लिए जाना जाता है। इसका विकास लगभग 2500 ईसा पूर्व के आसपास हुआ।
- असत्य विकल्प: हड़प्पा पहला सिंधु स्थल था जिसे खोजा गया था, लेकिन मोहनजोदड़ो अपने आकार और योजना के लिए अधिक प्रसिद्ध है। लोथल एक बंदरगाह शहर था, और रोपड़ पंजाब में एक महत्वपूर्ण स्थल था।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘ऋग्वैदिक काल’ के बारे में सत्य नहीं है?
- इस काल में सभा और समिति जैसी संस्थाएँ थीं।
- समाज वर्ण व्यवस्था पर आधारित था।
- इस काल में बहुदेववाद का प्रचलन था।
- इस काल में निष्क का प्रयोग आभूषण के रूप में होता था।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ऋग्वैदिक काल (लगभग 1500-1000 ईसा पूर्व) में बहुदेववाद के बजाय एकश्वरवाद की ओर झुकाव अधिक था, जहाँ इंद्र, अग्नि, सोम जैसे देवताओं की पूजा प्रमुख थी। हालाँकि, प्रकृति की शक्तियों की पूजा को बहुदेववाद कहा जा सकता है, पर ऋग्वेद में एक देवता को सर्वश्रेष्ठ मानने की प्रवृत्ति भी मिलती है। लेकिन, अगर ‘बहुदेववाद’ से पूर्ण विकसित बहुदेववाद समझा जाए, तो यह कथन सत्य नहीं है। जबकि अन्य कथन ऋग्वैदिक काल के सामाजिक और राजनीतिक जीवन से मेल खाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सभा और समिति राजा को सलाह देने वाली महत्वपूर्ण संस्थाएं थीं। समाज मुख्य रूप से तीन वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) में विभाजित था, शूद्रों का उल्लेख कम मिलता है। निष्क (सोने का एक आभूषण) का उपयोग विनिमय के माध्यम और आभूषण दोनों के रूप में होता था।
- असत्य विकल्प: हालांकि ऋग्वैदिक काल में कई देवताओं की पूजा होती थी, यह उत्तर-वैदिक काल की तरह पूर्ण विकसित बहुदेववाद नहीं था। मुख्य देवता इंद्र, अग्नि, वायु, सूर्य आदि थे, जो प्रकृति की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते थे।
प्रश्न 3: मौर्य काल के किस अभिलेख में अशोक का नाम स्पष्ट रूप से उल्लिखित है?
- कालसी का शिलालेख
- जौगड़ का शिलालेख
- मास्की का लघु शिलालेख
- धौली का शिलालेख
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मास्की का लघु शिलालेख (कर्नाटक में स्थित) अशोक के उन कुछ अभिलेखों में से एक है जहाँ उसका नाम ‘अशोक’ के रूप में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है। अन्य अभिलेखों में उसे ‘देवानांप्रिय प्रियदर्शी’ (देवताओं का प्रिय, जो प्रियदर्शन हो) जैसी उपाधियों से जाना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह खोज महत्वपूर्ण थी क्योंकि इसने सम्राट अशोक की पहचान को उनके द्वारा जारी किए गए उन सभी शिलालेखों से जोड़ा, जिनमें केवल उपाधियों का उल्लेख था। मास्की के साथ-साथ, गुर्जरा (मध्य प्रदेश) में भी उसका नाम स्पष्ट रूप से मिलता है।
- असत्य विकल्प: कालसी, जौगड़ और धौली जैसे शिलालेख अशोक के प्रमुख शिलालेखों में से हैं, लेकिन इनमें सम्राट का नाम ‘देवानांप्रिय प्रियदर्शी’ के रूप में ही अंकित है, न कि ‘अशोक’।
प्रश्न 4: संगम काल में ‘मणिमेखलै’ महाकाव्य का लेखक कौन था?
- इलंगो अडिगल
- तिरुवल्लुवर
- सित्तलैसत्तनार
- कप्पियट्टु कप्पियनार
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘मणिमेखलै’ (Manimekhala) तमिल साहित्य के पांच महान महाकाव्यों में से एक है, और इसके लेखक सित्तलैसत्तनार (Sittalai Sattanar) थे। यह महाकाव्य बौद्ध धर्म के दर्शन से प्रभावित है।
- संदर्भ और विस्तार: यह महाकाव्य ‘सिल्पादिकारम’ (Silappadikaram) की नायिका मणिमेखलै की कहानी है, जो एक नर्तकी थी और बौद्ध भिक्षुणी बन जाती है। महाकाव्य में उस समय के सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक जीवन का चित्रण है।
- असत्य विकल्प: इलंगो अडिगल ‘सिल्पादिकारम’ के लेखक थे, तिरुवल्लुवर ने ‘तिरुक्कुरल’ की रचना की थी, और कप्पियट्टु कप्पियनार भी एक प्रसिद्ध संगम कवि थे।
प्रश्न 5: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-आमीर कोही’ नामक एक नया कृषि विभाग स्थापित किया था?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- मुहम्मद बिन तुगलक
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मुहम्मद बिन तुगलक (शासनकाल 1325-1351 ई.) ने कृषि के विकास और किसानों की स्थिति सुधारने के उद्देश्य से ‘दीवान-ए-आमीर कोही’ (Diwan-i-Amir Kohi) नामक एक नया विभाग स्थापित किया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस विभाग का मुख्य कार्य बंजर भूमि को खेती योग्य बनाना, किसानों को बीज, औजार और ऋण (तकावी ऋण) प्रदान करना तथा कृषि उत्पादन को प्रोत्साहित करना था। इसका उद्देश्य राजस्व बढ़ाना और खाद्य आपूर्ति को सुरक्षित करना भी था।
- असत्य विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (चालीस तुर्की सरदारों का समूह) की स्थापना की थी, बलबन ने राजत्व के दैवीय सिद्धांत और ‘सिजदा’ व ‘पाइबोस’ की प्रथाएं शुरू कीं, और अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण प्रणाली लागू की थी।
प्रश्न 6: किस मुगल बादशाह के शासनकाल में ‘महजबीं बानो’ (नूरजहाँ) का प्रभाव सर्वाधिक था?
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: नूरजहाँ, जिनका मूल नाम महजबीं बानो था, सम्राट जहाँगीर की प्रिय पत्नी थीं। जहाँगीर के शासनकाल के उत्तरार्ध (लगभग 1611-1627 ई.) में उनका प्रभाव इतना अधिक था कि कई सिक्कों पर उनके नाम का उल्लेख भी जहाँगीर के साथ मिलता था।
- संदर्भ और विस्तार: नूरजहाँ ने मुगल दरबार में एक शक्तिशाली गुट बनाया था और उसने प्रशासन के कई महत्वपूर्ण निर्णयों में हस्तक्षेप किया। उसने अपने पिता, भाई (आसफ खां) और अन्य रिश्तेदारों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त करवाया, जिससे मुगल दरबार में उसकी शक्ति और प्रभुत्व स्थापित हुआ।
- असत्य विकल्प: अकबर के समय में नूरजहाँ अविवाहित थीं। शाहजहाँ के समय में नूरजहाँ की मृत्यु हो चुकी थी, और औरंगजेब के समय में तो मुगल शक्ति का स्वरूप ही बदल चुका था।
प्रश्न 7: विजयनगर साम्राज्य के प्रसिद्ध ‘कृष्णदेवराय’ किस राजवंश से संबंधित थे?
- संगम राजवंश
- सलुव राजवंश
- तुलुव राजवंश
- अराविडु राजवंश
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सम्राट कृष्णदेवराय, विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक थे, और वे तुलुव राजवंश (Tuluva Dynasty) से संबंधित थे। उनका शासनकाल 1509 से 1529 ई. तक रहा।
- संदर्भ और विस्तार: कृष्णदेवराय एक कुशल प्रशासक, विद्वान और कला व साहित्य के संरक्षक थे। उन्होंने कई युद्ध जीते, साम्राज्य का विस्तार किया और तेलुगु साहित्य में ‘अष्टदिग्गज’ नामक आठ महान कवियों के समूह को संरक्षण दिया। उन्होंने ‘आमुक्तमाल्यदा’ नामक एक प्रसिद्ध तेलुगु कृति की भी रचना की।
- असत्य विकल्प: हरिहर और बुक्खा ने संगम राजवंश की स्थापना की थी। सलुव नरसिंह देव राय ने सलुव राजवंश की स्थापना की थी, और अराविडु राजवंश अंतिम राजवंश था जिसने विजयनगर पर शासन किया।
प्रश्न 8: 1857 के विद्रोह के दौरान, कानपुर से इस विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था?
- रानी लक्ष्मीबाई
- तात्या टोपे
- नाना साहेब
- कुँवर सिंह
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: 1857 के विद्रोह के दौरान, कानपुर से विद्रोह का नेतृत्व नाना साहेब ने किया था। वे पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे और ब्रिटिशों द्वारा उनकी पेंशन बंद किए जाने से असंतुष्ट थे।
- संदर्भ और विस्तार: नाना साहेब ने कानपुर में अपनी सेना का गठन किया और अंग्रेजों को शहर छोड़ने पर मजबूर कर दिया। हालांकि, बाद में सर कॉलिन कैम्पबेल के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने कानपुर पर पुनः अधिकार कर लिया। अजीमुल्ला खां उनके प्रमुख सलाहकार थे।
- असत्य विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी से, तात्या टोपे ने कानपुर और अन्य क्षेत्रों से (नाना साहेब के साथ मिलकर) और कुँवर सिंह ने बिहार (जगदीशपुर) से विद्रोह का नेतृत्व किया था।
प्रश्न 9: ‘वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट’ (Vernacular Press Act) को किस वायसराय के कार्यकाल में निरस्त किया गया था?
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड डफरिन
- लॉर्ड रिपन
- लॉर्ड कर्जन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: लॉर्ड रिपन (शासनकाल 1880-1884 ई.) ने 1882 में ‘वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट’ (Vernacular Press Act, 1878) को निरस्त कर दिया था, जिसे लॉर्ड लिटन ने लागू किया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम का उद्देश्य भारतीय भाषाओं के समाचार पत्रों पर अंकुश लगाना था, जो ब्रिटिश नीतियों की आलोचना करते थे। लॉर्ड रिपन, जो अपनी उदारवादी नीतियों के लिए जाने जाते थे, ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए इस ‘गला घोंटने वाले’ अधिनियम को समाप्त कर दिया।
- असत्य विकल्प: लॉर्ड लिटन ने इस अधिनियम को लागू किया था। लॉर्ड डफरिन के समय में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई थी, और लॉर्ड कर्जन भारत के विभाजन (बंगाल) के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 10: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पारित किया गया था?
- लाहौर अधिवेशन, 1929
- कलकत्ता अधिवेशन, 1928
- कराची अधिवेशन, 1931
- फैजपुर अधिवेशन, 1936
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने लाहौर अधिवेशन, जो दिसंबर 1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ था, में ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी, 1930 को ‘पूर्ण स्वराज दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इसने कांग्रेस के लक्ष्य को डोमिनियन स्टेटस से बदलकर पूर्ण स्वतंत्रता घोषित कर दिया।
- असत्य विकल्प: कलकत्ता अधिवेशन (1928) में मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट की समीक्षा हुई थी। कराची अधिवेशन (1931) में मौलिक अधिकारों और आर्थिक नीति संबंधी प्रस्तावों को मंजूरी मिली थी, और फैजपुर अधिवेशन (1936) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला ग्रामीण अधिवेशन था।
प्रश्न 11: ‘गांधी-इरविन समझौता’ कब हुआ था?
- 1929
- 1930
- 1931
- 1932
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च, 1931 को हुआ था। यह समझौता महात्मा गांधी और भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच सविनय अवज्ञा आंदोलन को समाप्त करने के लिए हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इस समझौते के तहत, कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित करने पर सहमति व्यक्त की, और ब्रिटिश सरकार ने उन कैदियों को रिहा करने का वादा किया जो अहिंसक थे। इसके अतिरिक्त, तटीय क्षेत्रों में नमक बनाने के अधिकार को भी बहाल किया गया। इस समझौते के कारण ही गांधीजी दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने लंदन गए थे।
- असत्य विकल्प: 1929 में लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग हुई। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ। 1932 में पूना पैक्ट हुआ था।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी सभ्यता ‘नदी घाटी सभ्यता’ नहीं है?
- मेसोपोटामिया सभ्यता
- नील नदी सभ्यता (मिस्र)
- सिंधु घाटी सभ्यता
- एजियन सभ्यता
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एजियन सभ्यता, जिसमें क्रीट (मिनोअन) और मुख्य भूमि यूनान (माइसीनियन) की सभ्यताएं शामिल हैं, मुख्य रूप से एजियन सागर के आसपास विकसित हुई थी। यह किसी एक विशाल नदी घाटी पर केंद्रित न होकर द्वीपों और तटवर्ती क्षेत्रों से जुड़ी थी।
- संदर्भ और विस्तार: मेसोपोटामिया सभ्यता दजला (Tigris) और फरात (Euphrates) नदियों के बीच विकसित हुई। मिस्र की सभ्यता नील नदी के किनारे फली-फूली। सिंधु घाटी सभ्यता सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे विकसित हुई। ये सभी प्रमुख ‘नदी घाटी सभ्यताएं’ कहलाती हैं।
- असत्य विकल्प: एजियन सभ्यता के विपरीत, अन्य सभी विकल्प स्पष्ट रूप से महान नदियों के किनारे विकसित हुए थे, जो उनकी कृषि, परिवहन और संस्कृति के लिए जीवन रेखा थीं।
प्रश्न 13: प्राचीन रोम का ‘पॉन्टीफस मैक्सिमस’ (Pontifex Maximus) कौन होता था?
- सेना का सर्वोच्च सेनापति
- सर्वोच्च पुजारी
- जनरल असेंबली का अध्यक्ष
- कानून का विशेषज्ञ
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्राचीन रोम में ‘पॉन्टीफस मैक्सिमस’ राज्य का सर्वोच्च पुजारी होता था। यह पद धार्मिक मामलों का प्रमुख होता था और रोम के प्राचीन धर्म के संचालन की देखरेख करता था।
- संदर्भ और विस्तार: पॉन्टीफस मैक्सिमस कैलेंडर को बनाए रखने, धार्मिक अनुष्ठानों को निर्देशित करने और सार्वजनिक समारोहों की देखरेख के लिए जिम्मेदार था। जूलियस सीजर ने भी यह पद धारण किया था। बाद के काल में, यह पद रोमन सम्राटों के हाथों में चला गया और अंततः पोप का पद इसी से विकसित हुआ।
- असत्य विकल्प: यह पद सैन्य या राजनीतिक नेताओं का नहीं, बल्कि पूरी तरह से धार्मिक प्रकृति का था।
प्रश्न 14: ‘होली रोमन एम्पायर’ (Holy Roman Empire) की स्थापना का श्रेय किस फ्रैंकिश शासक को दिया जाता है?
- क्लोविस प्रथम
- चार्ल्स मार्टेल
- पेपिन द शॉर्ट
- शार्लेमेन
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘होली रोमन एम्पायर’ की स्थापना का श्रेय अक्सर शारलेमेन (Charlemagne), जो एक फ्रैंकिश राजा थे, को दिया जाता है। उन्हें 25 दिसंबर, 800 ई. को पोप लियो III द्वारा रोम में पवित्र रोमन सम्राट का ताज पहनाया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: शारलेमेन ने पश्चिमी यूरोप के एक बड़े हिस्से को एकीकृत किया और उनकी महान ईसाई साम्राज्य की स्थापना ने मध्ययुगीन यूरोप की राजनीतिक और सांस्कृतिक दिशा को आकार दिया। यह साम्राज्य सदियों तक अस्तित्व में रहा, हालांकि इसका स्वरूप बदलता रहा।
- असत्य विकल्प: क्लोविस प्रथम ने फ्रैंकों को एकीकृत किया था। चार्ल्स मार्टेल ने 732 ई. में टूर्स की लड़ाई में अरबों को हराया था। पेपिन द शॉर्ट शारलेमेन के पिता थे और पोप के समर्थन से राजा बने थे।
प्रश्न 15: ‘प्लासी का युद्ध’ (Battle of Plassey) कब हुआ था?
- 1757
- 1764
- 1857
- 1858
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्लासी का युद्ध 23 जून, 1757 को हुआ था। यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में) और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की सेनाओं के बीच लड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में सिराजुद्दौला के सेनापति मीर जाफर के विश्वासघात के कारण ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की निर्णायक जीत हुई। इस जीत ने भारत में ब्रिटिश शासन की नींव रखी और कंपनी को बंगाल पर प्रभुत्व स्थापित करने में मदद की।
- असत्य विकल्प: 1764 में बक्सर का युद्ध हुआ था, जो प्लासी के युद्ध से भी अधिक निर्णायक था। 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुआ था, और 1858 में भारत सरकार अधिनियम पारित हुआ था।
प्रश्न 16: ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ (Servants of India Society) की स्थापना किसने की थी?
- गोपाल कृष्ण गोखले
- बाल गंगाधर तिलक
- लाला लाजपत राय
- महात्मा गांधी
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना गोपाल कृष्ण गोखले ने 1905 में पुणे में की थी। इस संस्था का उद्देश्य भारतीयों के बीच राष्ट्रीय भावना को जागृत करना और सामाजिक सेवा तथा शिक्षा को बढ़ावा देना था।
- संदर्भ और विस्तार: गोखले, जो गांधीजी के राजनीतिक गुरु थे, का मानना था कि भारत की स्वतंत्रता के लिए भारतीयों को स्वयं को संगठित करना होगा और सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में कार्य करना होगा। इस संस्था के सदस्यों ने विभिन्न सामाजिक सुधारों और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई।
- असत्य विकल्प: बाल गंगाधर तिलक ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ के नारे के लिए जाने जाते हैं। लाला लाजपत राय ‘साइमन गो बैक’ नारे से जुड़े थे। महात्मा गांधी ‘सर्वोदय’ और ‘सत्याग्रह’ के प्रणेता थे।
प्रश्न 17: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
- साम्राज्य का अधिकतम विस्तार
- शांति, समृद्धि और कला, साहित्य, विज्ञान का चहुंमुखी विकास
- विदेशी आक्रमणों से पूर्ण सुरक्षा
- सभी महत्वपूर्ण नदियां गुप्तकाल में ही खोजी गईं
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: गुप्त काल (लगभग 320-550 ई.) को ‘भारत का स्वर्ण युग’ कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में कला, साहित्य, विज्ञान, दर्शन और वास्तुकला के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई। शासन की शांति और समृद्धि ने इस विकास को संभव बनाया।
- संदर्भ और विस्तार: इस काल में कालिदास जैसे महान कवियों, आर्यभट्ट जैसे गणितज्ञों और खगोलशास्त्रियों, और वराहमिहिर जैसे ज्योतिषियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। अजंता की गुफाओं की उत्कृष्ट चित्रकलाएं भी इसी काल की देन हैं। अर्थव्यवस्था सुदृढ़ थी और प्रशासन सुव्यवस्थित था।
- असत्य विकल्प: हालांकि साम्राज्य का विस्तार हुआ, यह एकमात्र कारण नहीं था। विदेशी आक्रमण (जैसे हूणों के आक्रमण) हुए थे, जो बाद में साम्राज्य के पतन का कारण बने। नदियाँ प्राचीन काल से ही ज्ञात थीं।
प्रश्न 18: ‘फराजी विद्रोह’ (Faraizi Rebellion) का संबंध मुख्य रूप से किस क्षेत्र से था?
- बंगाल
- दक्कन
- पंजाब
- राजपूतना
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: फराजी विद्रोह 19वीं शताब्दी के मध्य में बंगाल के पूर्वी क्षेत्रों (वर्तमान बांग्लादेश) में हुआ था। यह एक धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में शुरू हुआ, जो बाद में ब्रिटिश विरोधी किसान आंदोलन में बदल गया।
- संदर्भ और विस्तार: फराजी आंदोलन के संस्थापक हाजी शरियतुल्लाह थे, और उनके पुत्र मुहम्मद मुहसिन (दादू मियाँ) के नेतृत्व में यह आंदोलन अधिक उग्र हो गया। उन्होंने किसानों पर लगे भारी करों और ज़मींदारों के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई।
- असत्य विकल्प: फराजी विद्रोह का संबंध सीधे तौर पर दक्कन, पंजाब या राजपूतना से नहीं था, हालांकि उस दौरान अन्य क्षेत्रों में भी किसानों और आदिवासियों के विद्रोह हुए थे।
प्रश्न 19: ‘सिजदा’ और ‘पैबोस’ की प्रथाएं किस मध्यकालीन शासक ने शुरू की थीं?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- मुहम्मद बिन तुगलक
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: दिल्ली सल्तनत के शासक गयासुद्दीन बलबन (शासनकाल 1266-1287 ई.) ने अपनी शक्ति और साम्राज्य को सुदृढ़ करने के लिए ‘सिजदा’ (शासक के सामने घुटनों के बल झुककर अभिवादन करना) और ‘पैबोस’ (शासक के पैरों को चूमना) जैसी ईरानी प्रथाओं को लागू किया था।
- संदर्भ और विस्तार: बलबन का मानना था कि एक शक्तिशाली सम्राट को ईश्वर की छाया (नियाबत-ए-खुदाई) के रूप में देखा जाना चाहिए और उसके प्रति पूर्ण निष्ठा प्रदर्शित की जानी चाहिए। इन प्रथाओं का उद्देश्य शाही सत्ता को अलौकिक बनाना और दरबार में अनुशासन स्थापित करना था। उसने ‘नौरोज’ (ईरानी नव वर्ष) का उत्सव भी शुरू किया।
- असत्य विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ का गठन किया था। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण और स्थायी सेना पर ध्यान दिया। मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 20: ‘आर्य समाज’ की स्थापना कब और कहाँ हुई थी?
- 1875, मुंबई
- 1875, लाहौर
- 1885, पुणे
- 1893, कलकत्ता
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘आर्य समाज’ की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 में मुंबई में की थी। यह एक महत्वपूर्ण हिंदू सुधार आंदोलन था जिसने वेदों को सर्वोच्च ज्ञान माना।
- संदर्भ और विस्तार: आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य पाखंड, मूर्ति पूजा, बाल विवाह और जाति प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर कर वैदिक धर्म को पुनः स्थापित करना था। ‘वेदों की ओर लौटो’ (Back to the Vedas) इसका प्रमुख नारा था। इसने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई गुरुकुल और स्कूल भी खोले।
- असत्य विकल्प: लाहौर आर्य समाज का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना, लेकिन स्थापना मुंबई में हुई थी। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई थी। 1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो धर्म संसद में भाग लिया था।
प्रश्न 21: ‘फ्रांसीसी क्रांति’ (French Revolution) का प्रमुख नारा क्या था?
- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
- जनता का राज
- साम्राज्यवाद का अंत
- राष्ट्रीय एकता
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) का सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख नारा ‘लिबर्टे, एगैलिते, फ्रेटरनाइटे’ (Liberté, égalité, fraternité) था, जिसका अनुवाद ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ (Liberty, Equality, Fraternity) होता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस नारे ने क्रांति के मूल सिद्धांतों को व्यक्त किया, जिसने फ्रांस को राजशाही से गणतंत्र में बदला और पूरे यूरोप में राजनीतिक विचारों को प्रभावित किया। इन आदर्शों ने आधुनिक लोकतंत्र और मानवाधिकारों की अवधारणाओं को भी आकार दिया।
- असत्य विकल्प: अन्य विकल्प विभिन्न क्रांतियों या राजनीतिक आंदोलनों से जुड़े हो सकते हैं, लेकिन फ्रांसीसी क्रांति का विशिष्ट और सर्वव्यापी नारा ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ ही था।
प्रश्न 22: किस वायसराय के कार्यकाल में भारत में पहली रेलवे लाइन बिछाई गई थी?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड कर्जन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: लॉर्ड डलहौजी (शासनकाल 1848-1856 ई.) को ‘भारतीय रेलवे का जनक’ माना जाता है। उनके कार्यकाल में 16 अप्रैल, 1853 को मुंबई से ठाणे के बीच भारत की पहली रेलवे लाइन बिछाई गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: डलहौजी ने प्रशासनिक और अवसंरचनात्मक सुधारों की एक श्रृंखला शुरू की, जिसमें रेलवे का विकास एक प्रमुख हिस्सा था। उनका मानना था कि रेलवे संचार, वाणिज्य और सैन्य नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण होगी। यह रेलवे लाइन लगभग 34 किलोमीटर लंबी थी।
- असत्य विकल्प: लॉर्ड कैनिंग भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल और पहले वायसराय थे (1856-1862)। लॉर्ड लिटन ने वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू किया था। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया था।
प्रश्न 23: ‘खुदा की शान’ (God’s Own Country) के नाम से प्रसिद्ध भारत का कौन सा राज्य प्राचीन काल में ‘चेर’ राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था?
- तमिलनाडु
- केरल
- कर्नाटक
- आंध्र प्रदेश
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: केरल, जिसे आज ‘ईश्वर का अपना देश’ (God’s Own Country) कहा जाता है, प्राचीन काल में चेर साम्राज्य का एक प्रमुख हिस्सा था। संगम साहित्य में चेर राजाओं का उल्लेख मिलता है, जिन्होंने इस क्षेत्र पर शासन किया था।
- संदर्भ और विस्तार: चेर साम्राज्य दक्षिण भारत में एक प्रमुख शक्ति थी, जो पश्चिमी तट पर स्थित था और रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार करता था। उनके साम्राज्य में वर्तमान केरल और तमिलनाडु के कुछ हिस्से शामिल थे। चेरों की राजधानी वंजी (वर्तमान केरल में) थी।
- असत्य विकल्प: तमिलनाडु का संबंध चोल और पांड्य राजवंशों से अधिक रहा है। कर्नाटक (तब विजयनगर, चालुक्य आदि) और आंध्र प्रदेश (तब सातवाहन, इक्ष्वाकु आदि) अन्य प्रमुख दक्षिण भारतीय राजवंशों के प्रभाव क्षेत्र में थे।
प्रश्न 24: ‘संविधान सभा’ की पहली बैठक कब हुई थी?
- 15 अगस्त, 1947
- 26 जनवरी, 1950
- 9 दिसंबर, 1946
- 26 नवंबर, 1949
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारत की संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को दिल्ली में आयोजित की गई थी। इस बैठक में डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष चुना गया था।
- संदर्भ और विस्तार: संविधान सभा का गठन भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए किया गया था। इस ऐतिहासिक बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों और प्रांतों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह भारत की स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- असत्य विकल्प: 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ। 26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। 26 नवंबर, 1949 को संविधान को अंगीकृत और अधिनियमित किया गया था।
प्रश्न 25: ‘प्रथम विश्व युद्ध’ (World War I) की अवधि क्या थी?
- 1914-1918
- 1939-1945
- 1941-1945
- 1918-1922
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध, जिसे ‘महायुद्ध’ (The Great War) के नाम से भी जाना जाता है, 1914 में शुरू हुआ और 1918 में समाप्त हुआ। यह मुख्य रूप से यूरोपीय शक्तियों के बीच लड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध 28 जुलाई, 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी द्वारा सर्बिया पर युद्ध की घोषणा के साथ शुरू हुआ और 11 नवंबर, 1918 को जर्मनी के आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हुआ। इस युद्ध में करोड़ों लोग मारे गए और इसने विश्व के राजनीतिक मानचित्र को बदल दिया।
- असत्य विकल्प: 1939-1945 द्वितीय विश्व युद्ध की अवधि थी। 1941-1945 द्वितीय विश्व युद्ध का एक हिस्सा था जिसमें अमेरिका शामिल हुआ। 1918-1922 युद्ध के बाद की अवधि थी।
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