ज्ञान की कसौटी: आज का इतिहास का युद्ध!
इतिहास के गलियारों में एक नई यात्रा पर निकल पड़िए! क्या आप अतीत की गहराइयों में छिपे रहस्यों को सुलझाने और अपने ज्ञान को परखने के लिए तैयार हैं? आज हम आपके लिए लाए हैं 25 ऐसे चुनिंदा प्रश्न जो आपकी ऐतिहासिक समझ को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। आइए, अपनी तैयारी को धार दें और देखें कि आप कितना जानते हैं!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: हड़प्पा सभ्यता के किस स्थल को ‘सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा पुरातात्विक स्थल’ माना जाता है?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- धोलावीरा
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मोहनजोदड़ो, जो वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है, को सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा पुरातात्विक स्थल माना जाता है। इसकी विशाल संरचनाएं, जैसे कि ग्रेट बाथ और अन्नागार, इसकी भव्यता को दर्शाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो का अर्थ है ‘मृतकों का टीला’। इसकी खोज 1922 में राखालदास बनर्जी द्वारा की गई थी। यह शहर सुनियोजित था, जिसमें पक्की ईंटों के मकान, जल निकासी व्यवस्था और सार्वजनिक स्नानघर जैसी उन्नत सुविधाएँ थीं।
- गलत विकल्प: हड़प्पा (1921 में दयाराम साहनी द्वारा खोजा गया) भी एक महत्वपूर्ण स्थल था, लेकिन मोहनजोदड़ो को अक्सर बड़ा माना जाता है। लोथल (गुजरात) एक गोदी (डॉकयार्ड) के लिए प्रसिद्ध है, और धोलावीरा (गुजरात) अपनी अनूठी जल प्रबंधन प्रणाली के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी उपाधि ‘समुद्रगुप्त’ ने धारण नहीं की थी?
- विक्रमांक
- पराक्रमांक
- सर्वराजोच्छेत्ता
- धरणिधर
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘धरणिधर’ (पृथ्वी को धारण करने वाला) उपाधि समुद्रगुप्त से सम्बंधित नहीं है। समुद्रगुप्त को ‘विक्रमांक’ (पराक्रम का प्रतीक), ‘पराक्रमांक’ (अत्यधिक पराक्रमी) और ‘सर्वराजोच्छेत्ता’ (सभी राजाओं को उखाड़ फेंकने वाला) जैसी उपाधियों से जाना जाता था, जैसा कि उसके प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख में उल्लेखित है।
- संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त (लगभग 335-380 ईस्वी) गुप्त राजवंश का एक महान शासक था, जिसे ‘भारत का नेपोलियन’ भी कहा जाता है। उसके विजय अभियानों ने गुप्त साम्राज्य का विस्तार किया।
- गलत विकल्प: ‘विक्रमांक’ और ‘पराक्रमांक’ उसकी वीरता और विजयों को दर्शाते हैं। ‘सर्वराजोच्छेत्ता’ उसकी उन नीतियों को इंगित करता है जिनके तहत उसने कई क्षेत्रीय शासकों को पराजित किया और प्रत्यक्ष शासन स्थापित किया।
प्रश्न 3: ‘गन्धर्व विवाह’ प्राचीन भारत में किस प्रकार का विवाह माना जाता था?
- आठ प्रकार के वैदिक विवाहों में से एक, जिसमें पुरोहित की उपस्थिति आवश्यक नहीं थी।
- ब्रह्म विवाह का एक रूप, जिसमें वर को शुल्क देना पड़ता था।
- बाल विवाह, जहाँ युवती के विवाह की सहमति उसके अभिभावक लेते थे।
- असमान सामाजिक स्थिति वाले वर-वधू का विवाह।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: गन्धर्व विवाह प्राचीन भारत में आठ प्रकार के वैदिक विवाहों में से एक था, जिसमें पुरोहित की उपस्थिति और रीति-रिवाजों की आवश्यकता नहीं होती थी। यह मुख्य रूप से प्रेम या आपसी सहमति पर आधारित था।
- संदर्भ और विस्तार: मनुस्मृति और अन्य धर्मशास्त्रों में आठ प्रकार के विवाहों का उल्लेख है, जिनमें से गन्धर्व विवाह एक था। इस प्रकार के विवाह में वर और वधू अपनी इच्छा से, बिना किसी औपचारिक अनुष्ठान के एक-दूसरे को चुनते थे। यह अक्सर प्रेम विवाह का एक रूप माना जाता है।
- गलत विकल्प: ब्रह्म विवाह सबसे उत्कृष्ट विवाह माना जाता था। बाल विवाह बहुत बाद की सामाजिक कुप्रथा है, और समान सामाजिक स्थिति का विवाह (अनुलोम/प्रतिलोम विवाह से भिन्न) अन्य श्रेणियों में आता है।
प्रश्न 4: ‘अमुक्तमाल्यद’ नामक ग्रंथ के लेखक कौन हैं?
- कृष्णदेव राय
- बुक्क प्रथम
- हरिहर प्रथम
- तुलसीदास
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘अमुक्तमाल्यद’ (यह भी ‘विष्णुचित्त’ के नाम से जाना जाता है) विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध शासकों में से एक, कृष्णदेव राय द्वारा लिखा गया था। यह तमिल में लिखा गया एक महाकाव्य है जो भगवान विष्णु के एक भक्त, विष्णुचित्त (पेरियल्वार) और उनकी दत्तक पुत्री गोदा (अंडाल) के जीवन पर आधारित है।
- संदर्भ और विस्तार: कृष्णदेव राय (शासनकाल 1509-1529 ईस्वी) तुलुव वंश के थे और उन्हें तेलुगु साहित्य का ‘पुनरुज्जीवनकर्ता’ भी माना जाता है। उन्होंने तेलुगु में ‘जाम्बवती कल्याणम’ नामक नाटक भी लिखा था।
- गलत विकल्प: बुक्क प्रथम और हरिहर प्रथम विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक थे, लेकिन वे साहित्य के लिए उतने प्रसिद्ध नहीं हैं जितने कृष्णदेव राय। तुलसीदास एक महान हिंदी कवि थे, जो रामचरितमानस के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से किस शासक को ‘लाख बख्श’ (लाखों का दाता) के नाम से जाना जाता था?
- इल्तुतमिश
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210 ईस्वी), दिल्ली सल्तनत की स्थापना करने वाले गुलाम वंश का संस्थापक, को उसकी उदारता के कारण ‘लाख बख्श’ (लाखों का दान देने वाला) कहा जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: ऐबक अपनी दानशीलता और प्रजा के प्रति प्रेम के लिए विख्यात था। वह एक महान निर्माता भी था, जिसने दिल्ली में कुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया और अजमेर में ढाई दिन का झोंपड़ा बनवाया।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश (1211-1236 ईस्वी) को ‘सल्तनत काल का वास्तविक संस्थापक’ कहा जाता है। बलबन (1266-1287 ईस्वी) ने ‘राजत्व के दैवीय सिद्धांत’ को लागू किया। अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316 ईस्वी) अपने बाजार नियंत्रण और सैन्य सुधारों के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 6: ‘शिवाजी के अष्टप्रधान’ में ‘सुमंत’ (दबीर) का क्या कार्य था?
- राज्य के वित्तीय मामलों का प्रबंधन
- न्याय और व्यवस्था बनाए रखना
- विदेशी मामलों और पत्र व्यवहार का कार्य
- सैन्य अभियानों का नेतृत्व करना
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: शिवाजी के ‘अष्टप्रधान’ (आठ मंत्रियों की परिषद) में ‘सुमंत’ (जिसे ‘दबीर’ भी कहा जाता था) का मुख्य कार्य राज्य के विदेशी मामलों, कूटनीति और बाह्य राज्यों से पत्र व्यवहार का प्रबंधन करना था।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान शिवाजी की प्रशासनिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। इसमें पेशवा (वित्त), अमात्य (राजस्व), सचिव (सरकारी पत्र व्यवहार), सुमंत (विदेश), मंत्री (रोजमर्रा की डायरी), पंडित राव (धार्मिक मामले), सेनापति (सेना) और न्यायाधीश (न्याय) शामिल थे।
- गलत विकल्प: वित्तीय मामलों का प्रबंधन ‘अमात्य’ का कार्य था। न्याय और व्यवस्था ‘न्यायाधीश’ देखते थे, और सैन्य अभियानों का नेतृत्व ‘सेनापति’ करते थे।
प्रश्न 7: ‘बुद्ध चरित’ के लेखक कौन थे, जिन्होंने इसे संस्कृत में लिखा था?
- नागार्जुन
- आर्यभट्ट
- अश्वघोष
- पाणिनी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘बुद्ध चरित’ के लेखक महान बौद्ध दार्शनिक और कवि अश्वघोष थे। उन्होंने यह महाकाव्य संस्कृत में लिखा था।
- संदर्भ और विस्तार: अश्वघोष, कुषाण शासक कनिष्क के समकालीन थे। ‘बुद्ध चरित’ को बौद्ध धर्म का ‘एपिक’ (महाकाव्य) कहा जाता है, जिसमें महात्मा बुद्ध के जीवन का काव्यात्मक वर्णन है। यह बुद्ध की जीवनी पर आधारित पहला महाकाव्य माना जाता है।
- गलत विकल्प: नागार्जुन एक महान दार्शनिक थे जिन्होंने ‘माध्यमिक सूत्र’ लिखा। आर्यभट्ट एक प्रसिद्ध गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे। पाणिनी ने ‘अष्टाध्यायी’ नामक व्याकरण ग्रंथ लिखा।
प्रश्न 8: ‘सबैयत-ई-मरातिब’ (Sabaiyat-i-Maratib) किस सल्तनत काल की एक प्रशासनिक व्यवस्था से संबंधित था?
- खिलजी वंश
- सैय्यद वंश
- तुगलक वंश
- लोदी वंश
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘सबैयत-ई-मरातिब’ (या ‘सवायत-ए-मरातिब’) फिरोज शाह तुगलक के समय की एक प्रशासनिक और राजस्व व्यवस्था थी, जो ‘सवाय’ (एक प्रकार का अतिरिक्त कर या अधिभार) से संबंधित थी।
- संदर्भ और विस्तार: फिरोज शाह तुगलक (1351-1388 ईस्वी) ने अपने शासनकाल में कई आर्थिक और प्रशासनिक सुधार किए। ‘सबैयत-ए-मरातिब’ एक प्रकार का भू-राजस्व था जो अतिरिक्त आय के स्रोतों से लिया जाता था, जैसे कि नहर कर, फल कर आदि।
- गलत विकल्प: यह व्यवस्था विशेष रूप से तुगलक काल से जुड़ी है। अन्य वंशों की अपनी-अपनी प्रशासनिक और राजस्व प्रणालियाँ थीं।
प्रश्न 9: ‘डच ईस्ट इंडिया कंपनी’ की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
- 1600
- 1602
- 1605
- 1612
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: डच ईस्ट इंडिया कंपनी (Verenigde Oostindische Compagnie – VOC) की स्थापना वर्ष 1602 में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह कंपनी दुनिया की पहली बहुराष्ट्रीय कंपनी मानी जाती है और इसे एशिया में व्यापार करने का एकाधिकार प्राप्त था। इसने भारत में भी अपनी व्यापारिक कोठियाँ स्थापित कीं, जैसे पुलीकट (1610) और सूरत (1616)।
- गलत विकल्प: 1600 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई थी। 1605 में डचों ने भारत में अपना पहला कारखाना स्थापित किया था। 1612 में अंग्रेजों ने सूरत में अपना पहला कारखाना स्थापित किया।
प्रश्न 10: ‘गदर क्रांति’ का संबंध किस वर्ष से है?
- 1905
- 1910
- 1913
- 1914-1918
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: गदर क्रांति का मुख्य समयकाल 1913-1917 तक माना जाता है, जिसमें 1913 में ‘गदर पार्टी’ की स्थापना और उसके बाद की गतिविधियों को शामिल किया जाता है। हालांकि, इसके प्रमुख वर्ष के रूप में 1913 को लिया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: गदर पार्टी की स्थापना 1913 में सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका में हुई थी। इसका उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था। लाला हरदयाल, सोहन सिंह भकना, और करतार सिंह सराभा इसके प्रमुख नेता थे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, गदर पार्टी ने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़े विद्रोह की योजना बनाई।
- गलत विकल्प: 1905 बंगाल विभाजन से संबंधित है। 1910 का दशक भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण रहा, लेकिन गदर पार्टी की स्थापना 1913 में हुई। 1914-1918 प्रथम विश्व युद्ध का समय है, जब गदर आंदोलन सक्रिय था।
प्रश्न 11: ‘वेल्लोर विद्रोह’ (Vellore Mutiny) कब हुआ था?
- 1799
- 1806
- 1857
- 1885
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: वेल्लोर विद्रोह 10 जुलाई, 1806 को हुआ था। यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भारतीय सैनिकों का एक महत्वपूर्ण विद्रोह था।
- संदर्भ और विस्तार: इस विद्रोह का मुख्य कारण कंपनी के नए नियमों के प्रति असंतोष था, जिसमें नए पगड़ी (हेयर स्टाइल) और धार्मिक चिह्नों पर प्रतिबंध शामिल थे, जिसे भारतीय सैनिकों ने अपनी धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध माना। हालांकि, कुछ इतिहासकार सैन्य सुधारों और सामाजिक-धार्मिक कारणों को भी इसका श्रेय देते हैं। इस विद्रोह को 1857 के विद्रोह का एक अग्रदूत माना जाता है।
- गलत विकल्प: 1799 टीपू सुल्तान की मृत्यु का वर्ष है। 1857 का महान विद्रोह बहुत बाद में हुआ। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई थी।
प्रश्न 12: ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण’ (Archaeological Survey of India – ASI) के पहले महानिदेशक कौन थे?
- अलेक्जेंडर कनिंघम
- जॉन मार्शल
- आर.डी. बनर्जी
- बी.बी. लाल
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सर अलेक्जेंडर कनिंघम को ‘भारतीय पुरातत्व का जनक’ माना जाता है और वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पहले महानिदेशक थे, जिनकी नियुक्ति 1871 में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: कनिंघम ने भारत में कई महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों, जैसे सारनाथ, सांची और कौशाम्बी का सर्वेक्षण किया। उन्होंने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की प्रारंभिक खोजों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: जॉन मार्शल ASI के बाद के महानिदेशक थे जिन्होंने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई का निर्देशन किया। आर.डी. बनर्जी और बी.बी. लाल भी प्रमुख पुरातत्वविद् थे।
प्रश्न 13: ‘The Indian War of Independence, 1857’ नामक पुस्तक किसने लिखी थी?
- वीर सावरकर
- एस.एन. सेन
- आर.सी. मजूमदार
- जवाहरलाल नेहरू
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘The Indian War of Independence, 1857’ नामक पुस्तक विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) ने लिखी थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक 1857 के विद्रोह को भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम बताती है। सावरकर ने इस पुस्तक को 1909 में लिखा था, जब वे लंदन में थे। इस पुस्तक ने भारतीय राष्ट्रवाद को जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: एस.एन. सेन ने ‘Eighteen Fifty-Seven’ नामक पुस्तक लिखी, जो भारत सरकार द्वारा प्रकाशित हुई थी। आर.सी. मजूमदार ने भी 1857 पर एक विस्तृत अध्ययन किया, लेकिन उनकी मुख्य कृति ‘The Sepoy Mutiny and the Rebellion of 1857’ है। जवाहरलाल नेहरू ने ‘Discovery of India’ लिखी।
प्रश्न 14: ‘बाबरनामा’ (जो मूल रूप से तुर्की में लिखा गया था) का फारसी में अनुवाद किसने किया था?
- अबुल फजल
- अब्दुल रहीम खान-ए-खाना
- फैजी
- हुमायूं
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘बाबरनामा’ (जिसे ‘तुज़ुक-ए-बाबरी’ भी कहते हैं) का फारसी में अनुवाद महान मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में अब्दुल रहीम खान-ए-खाना ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: बाबरनामा, मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर की आत्मकथा है, जो उनकी तुर्की (चगताई) भाषा में लिखी गई थी। इसका फारसी अनुवाद 1589-1590 के आसपास पूरा हुआ था, जिससे यह मुगल दरबार के लिए और अधिक सुलभ हो गई।
- गलत विकल्प: अबुल फजल अकबरनामा और आईन-ए-अकबरी के लेखक थे। फैजी भी अकबर के दरबार के एक प्रसिद्ध कवि थे। हुमायूं बाबर के पुत्र थे।
प्रश्न 15: ‘नील दर्पण’ (Neel Darpan) नाटक किसने लिखा था, जो नील विद्रोह से संबंधित था?
- बंकिम चंद्र चटर्जी
- दीनबंधु मित्र
- सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
- रवींद्रनाथ टैगोर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘नील दर्पण’ नाटक दीनबंधु मित्र ने लिखा था। यह 1859-60 के नील विद्रोह के दमनकारी ब्रिटिश नील बागान मालिकों और भारतीय किसानों की दुर्दशा का यथार्थवादी चित्रण करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह नाटक 1860 में प्रकाशित हुआ था और इसने ब्रिटिश सरकार पर भारतीयों की पीड़ा को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसका अंग्रेजी में अनुवाद मधुसूदन दत्त ने किया था, जिसके कारण यह भारत और इंग्लैंड में चर्चा का विषय बना।
- गलत विकल्प: बंकिम चंद्र चटर्जी ने ‘आनंद मठ’ लिखा था। सुरेंद्रनाथ बनर्जी एक प्रमुख राष्ट्रवादी नेता थे। रवींद्रनाथ टैगोर एक महान कवि थे।
प्रश्न 16: ‘ऑपरेशन पोलो’ का संबंध किस रियासत के भारत में विलय से है?
- जम्मू और कश्मीर
- जूनागढ़
- हैदराबाद
- त्रावणकोर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘ऑपरेशन पोलो’ भारत सरकार द्वारा सितंबर 1948 में हैदराबाद की रियासत को भारतीय संघ में बलपूर्वक शामिल करने के लिए चलाया गया सैन्य अभियान था।
- संदर्भ और विस्तार: जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तो 562 से अधिक रियासतें थीं जिन्हें भारत या पाकिस्तान में शामिल होने या स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया गया था। हैदराबाद के निजाम, उस्मान अली खान, ने स्वतंत्र रहने का फैसला किया था, लेकिन भारत सरकार ने इसे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण माना। भारतीय सेना के हस्तक्षेप के बाद, हैदराबाद का भारतीय संघ में विलय हो गया।
- गलत विकल्प: जम्मू और कश्मीर का विलय राजा हरि सिंह के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद हुआ। जूनागढ़ का मामला जनमत संग्रह द्वारा सुलझाया गया। त्रावणकोर ने भी विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए।
प्रश्न 17: ‘ग्रेगरियन कैलेंडर’ की शुरुआत किस पोप द्वारा की गई थी?
- पोप अर्बन द्वितीय
- पोप जूलियस प्रथम
- पोप ग्रेगरी XIII
- पोप लियो X
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत पोप ग्रेगरी XIII द्वारा 24 फरवरी 1582 को जारी किए गए एक पोप संबंधी आदेश (Papal Bull) ‘इंटर ग्रेविस्सिमस’ (Inter Gravissimas) द्वारा की गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह कैलेंडर जूलियन कैलेंडर का एक संशोधन था, जिसे जूलियस सीज़र द्वारा लागू किया गया था। जूलियन कैलेंडर में वर्ष की लंबाई थोड़ी अधिक होने के कारण, सदियों से ईस्टर की तारीख (जो वसंत विषुव पर निर्भर करती है) गलत होने लगी थी। ग्रेगोरियन कैलेंडर ने इस त्रुटि को ठीक करने के लिए 1582 में 10 दिनों को छोड़ दिया और यह सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाए कि हर 400 वर्षों में 3 लीप वर्ष हों (जैसे कि 1700, 1800, 1900 लीप वर्ष नहीं थे, लेकिन 2000 लीप वर्ष था)।
- गलत विकल्प: अन्य पोप अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़े हैं, लेकिन कैलेंडर सुधार का श्रेय पोप ग्रेगरी XIII को जाता है।
प्रश्न 18: ‘फ्रांसीसी क्रांति’ के दौरान ‘आतंक का राज’ (Reign of Terror) का नेतृत्व मुख्य रूप से किसने किया था?
- मैक्सिमिलियन रोबेस्पियर
- जॉर्जेस डेंटन
- जीन-पॉल मराट
- नेपोलियन बोनापार्ट
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: फ्रांसीसी क्रांति के दौरान ‘आतंक का राज’ (1793-1794) का नेतृत्व मुख्य रूप से मैक्सिमिलियन रोबेस्पियर के अधीन ‘सार्वजनिक सुरक्षा की समिति’ (Committee of Public Safety) द्वारा किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अवधि में क्रांति के दुश्मनों को दबाने के लिए बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां और मृत्युदंड दिए गए। रोबेस्पियर, जो जैकोबिन क्लब के एक प्रमुख नेता थे, इस क्रूरता के सबसे प्रमुख व्यक्ति थे। अंततः, रोबेस्पियर को भी 1794 में गिलोटिन पर चढ़ा दिया गया।
- गलत विकल्प: डेंटन और मराट भी क्रांति के प्रमुख व्यक्ति थे, लेकिन रोबेस्पियर आतंक के चरम पर थे। नेपोलियन बोनापार्ट क्रांति के बाद उभरे और उन्होंने सत्ता संभाली।
प्रश्न 19: ‘अकबर का भूमि सुधार’ व्यवस्था में ‘जब्त’ (Zabt) प्रणाली क्या थी?
- फसल के हिस्से के रूप में भू-राजस्व का निर्धारण।
- भूमि का सर्वेक्षण और राजस्व का निश्चित दर पर निर्धारण।
- भू-राजस्व का भुगतान नकद में करना।
- किसानों को भूमि का मालिकाना हक देना।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: अकबर के शासनकाल की ‘जब्त’ प्रणाली, विशेषकर गंगा के मैदानी इलाकों में, भूमि के सर्वेक्षण और उसके उत्पादन के आधार पर राजस्व का एक निश्चित, लिखित निर्धारण (standardized assessment) थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली के तहत, भूमि को उसकी उत्पादकता के अनुसार चार श्रेणियों में बांटा गया था (पोलज, परौती, चाचर, बंजर)। भू-राजस्व की दर निश्चित की गई थी, जो आमतौर पर औसत उपज का एक तिहाई होती थी। राजस्व का भुगतान नकद में किया जाता था। टोडरमल ने इस प्रणाली को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: फसल के हिस्से का निर्धारण ‘बटाई’ या ‘गल्लाबख्शी’ में होता था। नकद भुगतान तो किया जाता था, लेकिन यह केवल एक तरीका था, प्रणाली का सार नहीं। किसानों को भूमि का मालिकाना हक राज्य के पास ही रहता था, हालांकि उन्हें उत्पादन का अधिकार था।
प्रश्न 20: ‘चम्पानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क’ को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल कब घोषित किया गया?
- 2004
- 2006
- 2008
- 2014
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: गुजरात में स्थित चम्पानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में 2006 में सूचीबद्ध किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह पार्क गुजरात सल्तनत की अनूठी वास्तुकला, इस्लामिक और हिंदू शैलियों का मिश्रण दर्शाता है। इसमें चम्पानेर का शाही शहर, पावागढ़ का पहाड़ी किला और कई मंदिर, मस्जिद, बावड़ियाँ (सीढ़ीदार कुएं) शामिल हैं। यह 16वीं शताब्दी के गुजरात सल्तनत की राजधानी के अवशेषों को संरक्षित करता है।
- गलत विकल्प: अन्य वर्ष भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन यूनेस्को द्वारा इस साइट को मान्यता 2006 में मिली।
प्रश्न 21: ‘संथाल विद्रोह’ (Santhal Hul) का नेतृत्व किसने किया था?
- बिरसा मुंडा
- तिलक मांझी
- सिद्धू और कान्हू
- रघुनाथ महतो
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: संथाल विद्रोह (1855-1856) का नेतृत्व सिद्धू और कान्हू नामक दो संथाल भाइयों ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह ब्रिटिश शासन, जमींदारों और साहूकारों के खिलाफ सबसे बड़े आदिवासी विद्रोहों में से एक था। संथाल समुदाय को उनके क्षेत्रों से बेदखल किया जा रहा था और उन पर अत्यधिक कर लगाए जा रहे थे। सिद्धू और कान्हू ने संथालों को संगठित किया और विद्रोह का बिगुल फूंका।
- गलत विकल्प: बिरसा मुंडा ‘उलगुलान’ (1899-1900) विद्रोह के नेता थे। तिलक मांझी कोल विद्रोह (1770-1785) से जुड़े थे। रघुनाथ महतो चुआर विद्रोह (1769-1805) का हिस्सा थे।
प्रश्न 22: ‘लॉर्ड डलहौजी’ की ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के तहत सबसे पहले किस रियासत को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया गया?
- झाँसी
- सतारा
- नागपुर
- उदयपुर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: लॉर्ड डलहौजी (1848-1856) की ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के तहत सबसे पहले 1848 में सतारा (महाराष्ट्र) की रियासत को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, यदि किसी भारतीय शासक की मृत्यु बिना किसी प्राकृतिक उत्तराधिकारी के हो जाती थी, तो उसकी रियासत को कंपनी शासन के अधीन माना जाता था और उसे ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया जाता था। इसके बाद झाँसी (1853), नागपुर (1854) जैसी रियासतों को भी इसी सिद्धांत के तहत मिलाया गया।
- गलत विकल्प: झाँसी और नागपुर को भी व्यपगत के सिद्धांत के तहत मिलाया गया था, लेकिन सतारा सबसे पहले था। उदयपुर इसका अपवाद था।
प्रश्न 23: ‘पवित्र रोमन साम्राज्य’ (Holy Roman Empire) का अंत किस वर्ष हुआ?
- 1806
- 1815
- 1848
- 1918
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: पवित्र रोमन साम्राज्य का अंत 1806 में तब हुआ जब ऑस्ट्रिया के सम्राट फ्रांसिस द्वितीय ने नेपोलियन बोनापार्ट के दबाव में अपना शाही खिताब त्याग दिया।
- संदर्भ और विस्तार: यह साम्राज्य लगभग एक हजार वर्षों (962 ईस्वी से) तक अस्तित्व में था और इसे मध्यकालीन यूरोप का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संस्थान माना जाता था। 1806 में, नेपोलियन के प्रभुत्व वाले राइन परिसंघ (Confederation of the Rhine) के गठन के बाद, यह साम्राज्य प्रभावी रूप से समाप्त हो गया।
- गलत विकल्प: 1815 वियना कांग्रेस का वर्ष है। 1848 यूरोप में क्रांतियों का वर्ष था। 1918 प्रथम विश्व युद्ध का अंत और जर्मन साम्राज्य का पतन का वर्ष है।
प्रश्न 24: ‘सोमनाथ मंदिर’ पर महमूद गजनवी के आक्रमण के समय गुजरात का शासक कौन था?
- चालुक्य भीम प्रथम
- चाहमान पृथ्वीराज प्रथम
- परमार भोज
- सोलंकी सिद्धराज जयसिंह
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: 1025-26 ईस्वी में महमूद गजनवी द्वारा सोमनाथ मंदिर पर किए गए आक्रमण के समय गुजरात पर चालुक्य (सोलंकी) वंश के शासक भीम प्रथम का शासन था।
- संदर्भ और विस्तार: भीम प्रथम ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया था, क्योंकि यह मंदिर पहले नष्ट हो चुका था। महमूद गजनवी के आक्रमण के बाद, मंदिर को भारी नुकसान हुआ और इसकी अपार संपत्ति लूट ली गई।
- गलत विकल्प: पृथ्वीराज प्रथम, परमार भोज और सिद्धराज जयसिंह महत्वपूर्ण शासक थे, लेकिन वे आक्रमण के समय गुजरात पर शासन नहीं कर रहे थे। सिद्धराज जयसिंह भीम प्रथम के बाद गद्दी पर बैठे थे।
प्रश्न 25: ‘गांधी-इरविन समझौता’ (Gandhi-Irwin Pact) कब हुआ था?
- 1929
- 1930
- 1931
- 1932
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च, 1931 को हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: यह समझौता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता महात्मा गांधी और भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच हुआ था। इसने सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) को निलंबित करने के बदले में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को गोलमेज सम्मेलन (Round Table Conference) में भाग लेने और कुछ राजनीतिक कैदियों को रिहा करने जैसे रियायतें दीं।
- गलत विकल्प: 1929 में लाहौर अधिवेशन हुआ जहाँ पूर्ण स्वराज की मांग की गई। 1930 सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ वर्ष था। 1932 में पूना पैक्ट (गांधी-अम्बेडकर समझौता) हुआ।