ज्ञान का महासंग्राम: इतिहास की दैनिक चुनौती
तैयारी के इस रोमांचक सफ़र में आपका स्वागत है, जहाँ हम रोज़ाना अतीत के गलियारों में एक नई यात्रा पर निकलते हैं! क्या आप अपने ऐतिहासिक ज्ञान की गहराई और विस्तार को परखने के लिए तैयार हैं? आज हम लाए हैं 25 ऐसे प्रश्न जो आपकी समझ की परीक्षा लेंगे और आपको परीक्षा के माहौल के करीब ले जाएंगे। तो, कलम उठाइए और समय के धागे को सुलझाने के लिए तैयार हो जाइए!
इतिहास अभ्यास प्रश्नोत्तरी
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता के निम्नलिखित में से किस स्थल से ‘घोड़े के अवशेष’ मिले हैं?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- सुरकोटड़ा
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सुरकोटड़ा (गुजरात) सिंधु घाटी सभ्यता का एक पुरातात्विक स्थल है जहाँ से घोड़े के अस्थि अवशेष (दाँत और कशेरुकाएँ) मिले हैं। यह खोज इस बात का प्रमाण देती है कि सिंधु सभ्यता के लोग घोड़े से परिचित थे, हालांकि इसके व्यापक उपयोग के प्रमाण कम हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सुरकोटड़ा से तांबे की कुल्हाड़ी और मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं। अन्य स्थलों जैसे लोथल से हाथीदांत की मुहरें, मोहनजोदड़ो से विशाल स्नानागार और कांसे की नर्तकी की मूर्ति, और हड़प्पा से अन्नागार तथा ताबूत-समाधियां मिली हैं। घोड़े के संबंध में सबसे पुख्ता प्रमाण सुरकोटड़ा से ही प्राप्त हुए हैं।
- गलत विकल्प: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और लोथल प्रमुख स्थल हैं जहाँ से घोड़े के प्रत्यक्ष अवशेष (विशेषकर कंकाल) के बजाय अन्य महत्वपूर्ण पुरातात्विक साक्ष्य मिले हैं।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस वेद में ‘गायत्री मंत्र’ का उल्लेख है?
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्ववेद
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: गायत्री मंत्र, जो सूर्य देवता सावित्री को समर्पित है, ऋग्वेद के तीसरे मंडल में उल्लिखित है। यह सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण वैदिक मंत्रों में से एक है।
- संदर्भ और विस्तार: ऋग्वेद, चारों वेदों में सबसे प्राचीन है और इसमें 10 मंडल, 1028 सूक्त और 10,552 ऋचाएँ हैं। इसमें देवताओं की स्तुति में मंत्र दिए गए हैं। यजुर्वेद कर्मकांडों से संबंधित है, सामवेद संगीत से, और अथर्ववेद जादू-टोना, चिकित्सा आदि से संबंधित है।
- गलत विकल्प: यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में गायत्री मंत्र का उल्लेख नहीं है। वे अपने विशिष्ट विषयों के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 3: ‘अर्थशास्त्र’ का लेखक कौन था?
- चाणक्य
- मेगास्थनीज
- कल्हण
- बाणभट्ट
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘अर्थशास्त्र’ के लेखक कौटिल्य हैं, जिन्हें चाणक्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। यह मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधान मंत्री थे।
- संदर्भ और विस्तार: अर्थशास्त्र राज्यकला, आर्थिक नीति और सैन्य रणनीति पर एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है। यह शासन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है, जैसे कि राजा के कर्तव्य, न्यायपालिका, विदेश नीति, जासूसी प्रणाली आदि। यह चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल के आसपास लिखा गया था।
- गलत विकल्प: मेगास्थनीज ने ‘इंडिका’ लिखी थी, जो मौर्य काल के बारे में जानकारी देती है। कल्हण ने ‘राजतरंगिणी’ (कश्मीर का इतिहास) लिखी थी, और बाणभट्ट ने ‘हर्षचरित’ (सम्राट हर्षवर्धन का जीवन चरित) और ‘कादंबरी’ लिखी थी।
प्रश्न 4: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
- कला, साहित्य और विज्ञान में अभूतपूर्व विकास
- साम्राज्य का अत्यधिक विस्तार
- सफलतापूर्वक विदेशी आक्रमणों को रोकना
- नागरिकों का अत्यंत खुशहाल जीवन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: गुप्त काल (लगभग 320-550 ईस्वी) को ‘भारत का स्वर्ण युग’ कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में कला, साहित्य, विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान और वास्तुकला के क्षेत्र में असाधारण प्रगति हुई।
- संदर्भ और विस्तार: कालिदास जैसे महान कवियों ने इसी काल में रचनाएँ कीं। आर्यभट्ट ने शून्य की अवधारणा और दशमलव प्रणाली का विकास किया, और वराहमिहिर ने खगोल विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अजंता की गुफाओं में गुप्तकालीन चित्रकला के उत्कृष्ट नमूने मिलते हैं। इस काल में चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के शासनकाल को विशेष रूप से स्वर्ण युग माना जाता है।
- गलत विकल्प: हालांकि साम्राज्य का विस्तार हुआ और विदेशी आक्रमणों (जैसे हूणों) को कुछ हद तक रोका गया, लेकिन ‘स्वर्ण युग’ का मुख्य कारण सांस्कृतिक और बौद्धिक उपलब्धियाँ थीं, न कि केवल राजनीतिक या सैन्य सफलताएँ। नागरिकों का जीवन खुशहाल रहा, लेकिन यह स्वर्ण युग का मुख्य निर्धारक नहीं था।
प्रश्न 5: मोहम्मद गोरी के आक्रमण के समय दिल्ली का शासक कौन था?
- पृथ्वीराज चौहान
- जयचंद
- अनंगपाल तोमर
- कुतुबुद्दीन ऐबक
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: 1191 ईस्वी में तराइन के प्रथम युद्ध और 1192 ईस्वी में तराइन के द्वितीय युद्ध के समय दिल्ली और अजमेर के शासक चौहान वंश के पृथ्वीराज चौहान तृतीय थे।
- संदर्भ और विस्तार: तराइन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को पराजित किया था, लेकिन तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान पराजित हुए और संभवतः युद्धबंदी के रूप में मार दिए गए। इस जीत ने उत्तर भारत में मुस्लिम शासन की नींव रखी। जयचंद कन्नौज का शासक था और उसने मोहम्मद गोरी को पृथ्वीराज चौहान के विरुद्ध सहायता की थी। अनंगपाल तोमर दिल्ली के संस्थापक माने जाते हैं। कुतुबुद्दीन ऐबक ने गोरी की मृत्यु के बाद भारत में सल्तनत की स्थापना की।
- गलत विकल्प: जयचंद ने पृथ्वीराज के विरुद्ध मोहम्मद गोरी की सहायता की थी, लेकिन वह दिल्ली का शासक नहीं था। अनंगपाल तोमर का समय बहुत पहले का था। कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली सल्तनत का संस्थापक बना, लेकिन गोरी के आक्रमण के समय वह उसका एक सेनापति था, शासक नहीं।
प्रश्न 6: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किस नदी के किनारे हुई थी?
- तुंगभद्रा
- कृष्णा
- गोदावरी
- कावेरी
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हरिहर प्रथम और बुकका प्रथम द्वारा की गई थी, और इसकी राजधानी हंपी (आधुनिक कर्नाटक) तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित थी।
- संदर्भ और विस्तार: विजयनगर साम्राज्य दक्षिण भारत का एक शक्तिशाली हिंदू साम्राज्य था जिसने दिल्ली सल्तनत के विस्तार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हंपी, अपनी भव्य वास्तुकला और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। साम्राज्य का पतन 1565 ईस्वी में तालीकोट के युद्ध के बाद हुआ।
- गलत विकल्प: कृष्णा, गोदावरी और कावेरी दक्षिण भारत की महत्वपूर्ण नदियाँ हैं, लेकिन विजयनगर साम्राज्य का मुख्य केंद्र तुंगभद्रा नदी के किनारे ही बसा था।
प्रश्न 7: ‘इक्तादारी’ प्रणाली की शुरुआत भारत में किस सुल्तान ने की थी?
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: इक्तादारी प्रणाली की शुरुआत दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इल्तुतमिश ने की थी। यह एक ऐसी प्रणाली थी जिसमें राज्य को इलकों (प्रांतों) में विभाजित कर दिया जाता था, और प्रत्येक इक्ता एक सैन्य या नागरिक अधिकारी (इक्तादार) को सौंपा जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: इक्तादार को अपने क्षेत्र से राजस्व एकत्र करने और सेना के रखरखाव का अधिकार होता था। इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य प्रशासनिक सुविधा, राजस्व संग्रह और सैन्य शक्ति को मजबूत करना था। इल्तुतमिश ने तुर्क-ए-चहलगानी (चालीसा) नामक 40 तुर्क सरदारों का एक समूह भी बनाया था।
- गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक ने सल्तनत की नींव रखी लेकिन इक्तादारी को व्यवस्थित रूप से स्थापित नहीं किया। बलबन ने चालीसा को समाप्त कर अपनी शक्ति मजबूत की। अलाउद्दीन खिलजी ने इस प्रणाली में कुछ सुधार किए और राजस्व पर अधिक नियंत्रण स्थापित किया, लेकिन इसकी शुरुआत इल्तुतमिश ने ही की थी।
प्रश्न 8: ‘पानीपत का प्रथम युद्ध’ (1526) किनके बीच लड़ा गया था?
- बाबर और इब्राहिम लोदी
- अकबर और हेमू
- बाबर और राणा सांगा
- शेरशाह सूरी और हुमायूँ
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 को मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक बाबर और दिल्ली सल्तनत के अंतिम सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच लड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में बाबर की निर्णायक जीत हुई, जिसने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। बाबर ने इस युद्ध में ‘तुग़लमा’ युद्ध रणनीति और तोपखाने का प्रभावी ढंग से उपयोग किया। इब्राहिम लोदी युद्ध में मारा गया।
- गलत विकल्प: अकबर और हेमू के बीच पानीपत का द्वितीय युद्ध (1556) हुआ था। बाबर और राणा सांगा के बीच खानवा का युद्ध (1527) हुआ था। शेरशाह सूरी और हुमायूँ के बीच चौसा (1539) और बिलग्राम (1540) के युद्ध हुए थे।
प्रश्न 9: ‘दीन-ए-इलाही’ नामक धर्म की स्थापना किस मुगल सम्राट ने की थी?
- हुमायूँ
- अकबर
- जहांगीर
- शाहजहाँ
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘दीन-ए-इलाही’ (ईश्वरीय धर्म) की स्थापना मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में की थी। यह सभी प्रमुख धर्मों के सार को मिलाकर बनाया गया एक संश्लेषण था।
- संदर्भ और विस्तार: अकबर ने धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई थी और सभी धर्मों के विद्वानों के साथ वाद-विवाद किया करते थे। दीन-ए-इलाही का उद्देश्य सभी धर्मों के अनुयायियों को एक साथ लाना और एकता स्थापित करना था। यह एक राजनीतिक चाल भी मानी जाती है, जिसका उद्देश्य प्रजा पर अपनी सत्ता को धार्मिक आधार देना था। बहुत कम लोगों ने इसे अपनाया, जिनमें बीरबल प्रमुख थे।
- गलत विकल्प: हुमायूँ, जहांगीर और शाहजहाँ ने इस प्रकार के किसी सार्वभौमिक धर्म की स्थापना नहीं की थी।
प्रश्न 10: ‘सिजदा’ और ‘पैबोस’ प्रथाओं को किस शासक ने शुरू किया था?
- अलाउद्दीन खिलजी
- गयासुद्दीन तुगलक
- फिरोजशाह तुगलक
- बलबन
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: दिल्ली सल्तनत के शासक बलबन (1266-1286 ईस्वी) ने अपनी राजशाही को दैवीय सिद्ध करने के लिए ‘सिजदा’ (शासक के सामने घुटनों के बल झुकना) और ‘पैबोस’ (शासक के पैरों को चूमना) की प्रथाओं को शुरू किया था।
- संदर्भ और विस्तार: ये प्रथाएँ फारसी प्रभाव से प्रेरित थीं और शासक की निरंकुश सत्ता को स्थापित करने के उद्देश्य से की गई थीं। बलबन ने ‘न्याय’ और ‘लोह एवं रक्त’ की नीति का भी पालन किया, जिसका उद्देश्य राज्य में व्यवस्था बनाए रखना और विद्रोहों को कुचलना था।
- गलत विकल्प: अलाउद्दीन खिलजी ने भी कुछ राजसी प्रथाएँ अपनाईं, लेकिन सिजदा और पैबोस बलबन से जुड़ी हैं। गयासुद्दीन तुगलक और फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में ये प्रथाएँ जारी रहीं, लेकिन इनकी शुरुआत बलबन ने की थी।
प्रश्न 11: 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर-जनरल कौन था?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड रिपन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: 1857 के विद्रोह के समय, लॉर्ड कैनिंग भारत के गवर्नर-जनरल थे। उन्होंने ही विद्रोह का दमन किया था।
- संदर्भ और विस्तार: 1857 के विद्रोह के बाद, भारत सरकार अधिनियम, 1858 पारित किया गया, जिसके तहत ईस्ट इंडिया कंपनी को समाप्त कर दिया गया और भारत का शासन सीधे ब्रिटिश ताज के अधीन आ गया। गवर्नर-जनरल का पद समाप्त कर ‘वायसराय’ का पद बनाया गया, और लॉर्ड कैनिंग भारत के प्रथम वायसराय बने।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी 1857 के विद्रोह से ठीक पहले तक गवर्नर-जनरल थे और उनकी ‘व्यपगत सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) जैसी नीतियों को विद्रोह के कारणों में गिना जाता है। लॉर्ड लिटन और लॉर्ड रिपन बाद के वायसराय थे।
प्रश्न 12: ‘संथाल विद्रोह’ का नेतृत्व किसने किया था?
- बिरसा मुंडा
- सिद्धू और कान्हू
- रम्पा
- ताना भगत
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: संथाल विद्रोह (1855-56) का नेतृत्व सिद्धू और कान्हू नामक दो भाइयों ने किया था। यह ब्रिटिश सरकार और जमींदारों के अत्याचारों के खिलाफ एक प्रमुख आदिवासी विद्रोह था।
- संदर्भ और विस्तार: संथालों ने भागलपुर और राजमहल की पहाड़ियों के आसपास अपने शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई थी। यह विद्रोह ब्रिटिश सरकार द्वारा संथाल परगना जिले के निर्माण का कारण बना।
- गलत विकल्प: बिरसा मुंडा ने ‘उलगुलान’ (मुंडा विद्रोह) का नेतृत्व किया था। ‘रम्पा’ विद्रोह आंध्र प्रदेश में हुआ था, और ‘ताना भगत’ आंदोलन भी एक आदिवासी आंदोलन था।
प्रश्न 13: ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ के संस्थापक कौन थे?
- ए. ओ. ह्यूम
- सुरेंद्रनाथ बनर्जी
- दादाभाई नौरोजी
- फिरोजशाह मेहता
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के संस्थापक स्कॉटिश अधिकारी एलन ऑक्टेवियन ह्यूम (A. O. Hume) थे, जिन्होंने 1885 में इसकी स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- संदर्भ और विस्तार: कांग्रेस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीयों को एक राजनीतिक मंच प्रदान करना और सरकार व जनता के बीच संवाद स्थापित करना था। पहले अधिवेशन की अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी ने की थी, और यह मुंबई में हुआ था। ए. ओ. ह्यूम को ‘कांग्रेस का पिता’ भी कहा जाता है।
- गलत विकल्प: सुरेंद्रनाथ बनर्जी, दादाभाई नौरोजी और फिरोजशाह मेहता कांग्रेस के प्रमुख नेता और संस्थापक सदस्यों में से थे, लेकिन प्रत्यक्ष संस्थापक ए. ओ. ह्यूम को माना जाता है।
प्रश्न 14: ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में की गई थी?
- 1929 लाहौर अधिवेशन
- 1931 कराची अधिवेशन
- 1937 फैजपुर अधिवेशन
- 1942 बंबई अधिवेशन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) की मांग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1929 के लाहौर अधिवेशन में की गई थी, जिसकी अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि कांग्रेस का लक्ष्य पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना है। इसी अधिवेशन में 26 जनवरी, 1930 को ‘प्रथम स्वतंत्रता दिवस’ मनाने का निर्णय लिया गया।
- गलत विकल्प: कराची अधिवेशन (1931) में मौलिक अधिकारों और आर्थिक नीति संबंधी प्रस्ताव पारित हुए थे। फैजपुर अधिवेशन (1937) गांव में हुआ पहला अधिवेशन था। बंबई अधिवेशन (1942) ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ से संबंधित था।
प्रश्न 15: ‘गांधी-इरविन समझौता’ कब हुआ था?
- 1929
- 1930
- 1931
- 1932
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च, 1931 को हुआ था। यह महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता था।
- संदर्भ और विस्तार: इस समझौते के तहत, गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित करने पर सहमति व्यक्त की, और सरकार ने आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किए गए कई राजनीतिक बंदियों को रिहा करने और जब्त की गई संपत्तियों को वापस करने का वादा किया। इस समझौते के कारण गांधीजी ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।
- गलत विकल्प: 1929 में लाहौर अधिवेशन हुआ था। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था। 1932 में पूना पैक्ट हुआ था।
प्रश्न 16: ‘फारवर्ड ब्लॉक’ नामक राजनीतिक दल की स्थापना किसने की थी?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- सुभाष चंद्र बोस
- सरदार पटेल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ की स्थापना 1939 में सुभाष चंद्र बोस ने की थी। यह कांग्रेस के भीतर उनके कट्टरपंथी विचारों और बढ़ते राजनीतिक मतभेदों का परिणाम था।
- संदर्भ और विस्तार: सुभाष चंद्र बोस फॉरवर्ड ब्लॉक के माध्यम से अपनी राजनीतिक गतिविधियों को आगे बढ़ाना चाहते थे, विशेष रूप से अंग्रेजों के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन खड़ा करने के लिए। यह दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग हो गया था।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल कांग्रेस के प्रमुख नेता थे, जिन्होंने कांग्रेस के भीतर ही काम किया और इस प्रकार के स्वतंत्र दल की स्थापना नहीं की।
प्रश्न 17: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का नारा क्या था?
- स्वराज
- करो या मरो
- पूर्ण स्वराज
- आज़ाद हिंद
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (1942) का प्रमुख नारा ‘करो या मरो’ (Do or Die) था, जो महात्मा गांधी द्वारा दिया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह नारा स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम और सबसे तीव्र चरणों में से एक था। गांधीजी ने इस नारे के माध्यम से भारतीयों को ब्रिटिश शासन से मुक्ति पाने के लिए निर्णायक संघर्ष करने का आह्वान किया। इस आंदोलन की शुरुआत 8 अगस्त, 1942 को मुंबई में हुई थी।
- गलत विकल्प: ‘स्वराज’ (स्वशासन) कांग्रेस के शुरुआती लक्ष्यों में से था। ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग 1929 में की गई थी। ‘आज़ाद हिंद’ का नारा सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिंद फौज से जुड़ा है।
प्रश्न 18: ‘The Spirit of Laws’ (कानून की आत्मा) नामक पुस्तक किसने लिखी थी?
- रूसो
- मोंटेस्क्यू
- जॉन लॉक
- एडम स्मिथ
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘The Spirit of Laws’ (De l’esprit des lois) पुस्तक फ्रांसीसी दार्शनिक श.एल.एस. डी. मोंटेस्क्यू (Charles-Louis de Secondat, Baron de La Brède et de Montesquieu) द्वारा लिखी गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में मोंटेस्क्यू ने शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के सिद्धांत का प्रस्ताव रखा, जो आधुनिक लोकतांत्रिक सरकारों के लिए एक आधारशिला बन गया। उन्होंने तर्क दिया कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को स्वतंत्र होना चाहिए ताकि किसी एक शाखा की शक्ति अत्यधिक न बढ़ सके।
- गलत विकल्प: रूसो ने ‘The Social Contract’ लिखा था, जॉन लॉक ने ‘Two Treatises of Government’ लिखा था, और एडम स्मिथ ने ‘The Wealth of Nations’ लिखी थी। ये सभी महत्वपूर्ण विचारक थे, लेकिन ‘The Spirit of Laws’ मोंटेस्क्यू की कृति है।
प्रश्न 19: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का तात्कालिक कारण क्या था?
- आर्थिक संकट और राजकीय ऋण
- वाल्टेयर और रूसो जैसे दार्शनिकों का प्रभाव
- अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का प्रभाव
- तीसरे एस्टेट का बढ़ता असंतोष
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का सबसे तात्कालिक और प्रमुख कारण गंभीर आर्थिक संकट, अत्यधिक राजकीय ऋण (विशेषकर अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में फ्रांस द्वारा हस्तक्षेप के कारण), और करों के बोझ से दबे आम लोगों का असंतोष था।
- संदर्भ और विस्तार: लुई सोलहवें के शासनकाल में फ्रांस दिवालिया होने के कगार पर था। करों का पूरा बोझ तीसरे एस्टेट (आम जनता) पर था, जबकि पादरी (प्रथम एस्टेट) और कुलीन वर्ग (द्वितीय एस्टेट) करों से मुक्त थे। इस वित्तीय संकट ने ही राजा को एस्टेट्स-जनरल की बैठक बुलाने के लिए मजबूर किया, जो क्रांति की शुरुआत का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
- गलत विकल्प: दार्शनिकों का प्रभाव और तीसरे एस्टेट का असंतोष क्रांति के महत्वपूर्ण पूर्ववर्ती कारण थे, लेकिन 1789 में क्रांति भड़कने का तात्कालिक ट्रिगर आर्थिक दिवालियापन और वित्तीय अव्यवस्था थी। अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का प्रभाव भी एक प्रेरणा थी, न कि तात्कालिक कारण।
प्रश्न 20: ‘पूंजीवाद’ (Capitalism) की शुरुआत किस प्रमुख घटना से मानी जाती है?
- पुनर्जागरण
- प्रबोधन काल
- औद्योगिक क्रांति
- फ्रांसीसी क्रांति
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: आधुनिक पूंजीवाद की शुरुआत 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुई ‘औद्योगिक क्रांति’ से मानी जाती है, जिसने उत्पादन के तरीकों, श्रम और बाजार में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए।
- संदर्भ और विस्तार: औद्योगिक क्रांति ने बड़े पैमाने पर उत्पादन, कारखानों की स्थापना, मजदूरी श्रम का उदय, और मुक्त बाजार की अवधारणाओं को बढ़ावा दिया। इसने पारंपरिक सामंती व्यवस्था को कमजोर किया और पूंजीपतियों (जो उत्पादन के साधनों के मालिक थे) और श्रमिकों के बीच एक नया वर्ग संबंध स्थापित किया।
- गलत विकल्प: पुनर्जागरण (Renaissance) और प्रबोधन काल (Enlightenment) ने विचारों में परिवर्तन लाए, लेकिन उन्होंने सीधे तौर पर आर्थिक व्यवस्था को नहीं बदला। फ्रांसीसी क्रांति ने राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन लाए, लेकिन पूंजीवाद का प्रत्यक्ष जन्म औद्योगिक क्रांति से हुआ।
प्रश्न 21: ‘प्रबोधन काल’ (Enlightenment) का सबसे प्रमुख विचार क्या था?
- चर्च की सर्वोच्चता
- तर्क और विज्ञान का महत्व
- राजशाही का दैवीय अधिकार
- परंपराओं का आँख बंद करके पालन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रबोधन काल (लगभग 17वीं-18वीं शताब्दी) का सबसे प्रमुख विचार ‘तर्क’ (Reason) और ‘विज्ञान’ (Science) को ज्ञान और प्रगति का आधार मानना था।
- संदर्भ और विस्तार: इस काल के विचारकों ने पारंपरिक मान्यताओं, अंधविश्वासों और चर्च के अधिकार पर प्रश्न उठाए। उन्होंने मानव बुद्धि, व्यक्तिवाद, प्राकृतिक अधिकारों और वैज्ञानिक पद्धति पर जोर दिया। जॉन लॉक, इम्मैनुअल कांट, वोल्टेयर, रूसो जैसे विचारकों ने इस काल को प्रभावित किया।
- गलत विकल्प: प्रबोधन काल ने चर्च की सर्वोच्चता और राजशाही के दैवीय अधिकार को चुनौती दी। इसने परंपराओं के बजाय तर्क और अनुभव पर आधारित सोच को बढ़ावा दिया।
प्रश्न 22: ‘रूस की क्रांति’ (1917) के समय वहाँ किस राजवंश का शासन था?
- रोमनोव
- ट्यूडर
- स्टुअर्ट
- बर्बन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: 1917 की रूसी क्रांति के समय रूस में रोमनोव राजवंश (House of Romanov) का शासन था, जिसका नेतृत्व ज़ार निकोलस द्वितीय कर रहा था।
- संदर्भ और विस्तार: रोमनोव राजवंश 1613 से 1917 तक रूस पर शासन किया। प्रथम विश्व युद्ध में रूस की खराब प्रदर्शन, आर्थिक कठिनाइयाँ, भुखमरी और ज़ार की निरंकुशता ने क्रांति को जन्म दिया। इस क्रांति के परिणामस्वरूप ज़ार का शासन समाप्त हो गया और बोल्शेविक पार्टी सत्ता में आई, जिसने सोवियत संघ की नींव रखी।
- गलत विकल्प: ट्यूडर और स्टुअर्ट राजवंश इंग्लैंड के थे, और बर्बन राजवंश फ्रांस के (और बाद में स्पेन के) थे।
प्रश्न 23: ‘प्रथम विश्व युद्ध’ (1914-1918) का तात्कालिक कारण क्या था?
- ऑस्ट्रिया-हंगरी के आर्कड्यूक फर्डिनेंड की हत्या
- जर्मनी का आक्रामक विस्तारवाद
- बाल्कान क्षेत्र में राष्ट्रवाद का उदय
- साम्राज्यवाद
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण 28 जून, 1914 को साराजेवो में ऑस्ट्रिया-हंगरी के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या थी, जिसे एक सर्ब राष्ट्रवादी गैवरिलो प्रिंसिप ने अंजाम दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस घटना ने यूरोपीय शक्तियों के बीच बने जटिल गठबंधन तंत्र (Alliance System) को सक्रिय कर दिया। ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया को अल्टीमेटम दिया, जिसे सर्बिया ने पूरी तरह नहीं माना। इसके बाद ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर युद्ध की घोषणा की, और फिर एक के बाद एक देश युद्ध में शामिल होते चले गए।
- गलत विकल्प: जर्मनी का विस्तारवाद, बाल्कान में राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद युद्ध के गहरे और दीर्घकालिक कारण थे, लेकिन फर्डिनेंड की हत्या वह चिंगारी थी जिसने पूरे यूरोप को युद्ध की आग में झोंक दिया।
प्रश्न 24: ‘शीत युद्ध’ (Cold War) किन दो महाशक्तियों के बीच लड़ा गया था?
- संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी
- संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ
- ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस
- चीन और जापान
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: शीत युद्ध (लगभग 1947-1991) मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और सोवियत संघ (USSR) के बीच वैचारिक, राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य तनाव का दौर था।
- संदर्भ और विस्तार: यह सीधे सैन्य संघर्ष नहीं था, बल्कि एक-दूसरे को प्रत्यक्ष युद्ध से बचाते हुए परोक्ष रूप से (जैसे जासूसी, प्रचार, हथियारों की दौड़, अंतरिक्ष दौड़, और प्रॉक्सी युद्धों के माध्यम से) अपना प्रभाव फैलाने का संघर्ष था। यह पूंजीवाद (USA के नेतृत्व में) और साम्यवाद (USSR के नेतृत्व में) के बीच विचारधारा का युद्ध था।
- गलत विकल्प: जर्मनी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विभाजित हो गया था और सीधा विरोधी नहीं था। ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस मित्र राष्ट्र थे, जबकि चीन और जापान भी शीत युद्ध के दौरान अपनी भूमिका निभा रहे थे, लेकिन मुख्य प्रतिद्वंद्वी अमेरिका और सोवियत संघ थे।
प्रश्न 25: ‘संयुक्त राष्ट्र’ (United Nations – UN) की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
- 1919
- 1939
- 1945
- 1950
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: संयुक्त राष्ट्र (UN) की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को हुई थी, जो द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के उद्देश्य से की गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर 26 जून, 1945 को सैन फ्रांसिस्को में 50 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य युद्धों को रोकना, मानव अधिकारों की रक्षा करना, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।
- गलत विकल्प: 1919 में ‘लीग ऑफ नेशंस’ की स्थापना हुई थी, जो असफल रहा। 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ। 1950 में कोरिया युद्ध शुरू हुआ, जो शीत युद्ध का एक महत्वपूर्ण प्रॉक्सी युद्ध था।
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