ज्ञान का महासंग्राम: आज ही परखें इतिहास का अपना ज्ञान!
नमस्कार, इतिहास के जिज्ञासुओं! एक बार फिर समय के सागर में डुबकी लगाने और अपने ज्ञान के शस्त्रों को पैना करने का समय आ गया है। आज का यह प्रश्न-महोत्सव आपको प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक की यात्रा पर ले जाएगा। आइए, देखें कि आप अतीत की गलियों में कितने निपुण हैं!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस हड़प्पा स्थल से एक गोदी (डॉकयार्ड) के साक्ष्य मिले हैं?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- कालीबंगा
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: लोथल, जो वर्तमान गुजरात में स्थित है, एक प्रमुख हड़प्पा बंदरगाह शहर था। यहाँ से एक अच्छी तरह से संरक्षित ईंटों का निर्मित गोदी (डॉकयार्ड) मिला है, जो समुद्री व्यापार और जलमार्गों के महत्व को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: लोथल का गोदी बंदरगाह अनुमानतः 2400 ईसा पूर्व का है और यह उस समय की उन्नत इंजीनियरिंग और शहरी नियोजन का प्रमाण है। यह अन्य मिस्र और मेसोपोटामिया सभ्यताओं के साथ व्यापार के महत्व को भी उजागर करता है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो महत्वपूर्ण शहर थे जिनमें किलेबंदी और जल निकासी प्रणालियाँ थीं, लेकिन गोदी के सीधे प्रमाण लोथल से मिले हैं। कालीबंगा से जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं।
प्रश्न 2: ऋग्वेद में ‘अस्या वामस्य’ (Asya Vamasya) नामक सूक्त निम्नलिखित में से किस मंडल में पाया जाता है?
- पहला मंडल
- दूसरा मंडल
- सातवाँ मंडल
- पहला मंडल
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ऋग्वेद का पहला मंडल, विशेष रूप से इसका 164वाँ सूक्त (जिसे ‘अस्या वामस्य’ सूक्त भी कहा जाता है), अपने दार्शनिक और गूढ़ विचारों के लिए जाना जाता है, जिसमें सूर्य की प्रकृति और यज्ञ के प्रतीकात्मक अर्थ पर चर्चा की गई है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सूक्त अक्सर रहस्यमय और दार्शनिक व्याख्याओं का विषय रहा है, जो उस समय के चिंतन की गहराई को दर्शाता है। ऋग्वेद के मंडल 2 से 7 को ‘वंशमंडल’ या ‘गोत्रमंडल’ भी कहा जाता है क्योंकि ये सबसे पुराने माने जाते हैं और व्यक्तिगत ऋषियों से जुड़े हैं।
- गलत विकल्प: दूसरे मंडल में विश्वामित्र द्वारा रचित सूक्त हैं, सातवें मंडल में वशिष्ठ द्वारा रचित सूक्त हैं। पहले मंडल में कई महत्वपूर्ण सूक्त शामिल हैं।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा जैन धर्म का त्रिरत्न (तीन रत्न) नहीं है?
- सम्यक दर्शन
- सम्यक ज्ञान
- सम्यक आचरण
- सम्यक निर्वाण
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जैन धर्म के अनुसार मुक्ति (निर्वाण) प्राप्त करने के लिए तीन मुख्य सिद्धांत हैं, जिन्हें त्रिरत्न या तीन रत्न कहा जाता है: सम्यक दर्शन (सही विश्वास), सम्यक ज्ञान (सही ज्ञान), और सम्यक आचरण (सही आचरण)।
- संदर्भ और विस्तार: यह त्रिरत्न जैन धर्म के आध्यात्मिक मार्ग का आधार हैं। सम्यक दर्शन का अर्थ है तीर्थंकरों और उनके उपदेशों में अटूट विश्वास। सम्यक ज्ञान का अर्थ है आत्मा, पदार्थ, कर्म और ब्रह्मांड के वास्तविक स्वरूप का यथार्थ ज्ञान। सम्यक आचरण का अर्थ है पाँच महाव्रतों (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह) का पालन।
- गलत विकल्प: सम्यक निर्वाण (सही मुक्ति) स्वयं त्रिरत्न का परिणाम है, न कि त्रिरत्न का एक हिस्सा।
प्रश्न 4: मौर्य काल में ‘सीताध्यक्ष’ का क्या कार्य था?
- वन विभाग का प्रमुख
- कृषि विभाग का प्रमुख
- जल विभाग का प्रमुख
- न्याय विभाग का प्रमुख
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मौर्य काल में ‘सीताध्यक्ष’ कृषि विभाग का प्रमुख होता था। ‘सीता’ शब्द यहाँ सरकारी भूमि से प्राप्त आय को दर्शाता था, और सीताध्यक्ष का कार्य भूमि की देखरेख और उससे उत्पन्न राजस्व का प्रबंधन करना था।
- संदर्भ और विस्तार: कौटिल्य के अर्थशास्त्र में विभिन्न अध्यक्षों का उल्लेख है जो राज्य के विभिन्न विभागों को संभालते थे। सीताध्यक्ष के अधीन कृषि उत्पादन, भूमि की चकबंदी, सिंचाई सुविधाओं का प्रबंधन और कृषकों से संबंधित अन्य मामले आते थे।
- गलत विकल्प: वन विभाग, जल विभाग या न्याय विभाग के प्रमुखों के लिए अलग-अलग पदनाम थे (जैसे वन विभाग के लिए ‘वनपाल’, जल विभाग के लिए ‘जलपाल’, और न्याय विभाग के लिए ‘न्यायधिश’ या ‘धर्मस्थ’ आदि)।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से किस गुप्त शासक ने ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की थी?
- चंद्रगुप्त प्रथम
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- कुमारगुप्त
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: चंद्रगुप्त द्वितीय ने ‘विक्रमादित्य’ (पराक्रमी सूर्य) की उपाधि धारण की थी। यह उपाधि शकों पर अपनी विजय के उपलक्ष्य में ली गई थी और उनके शासनकाल को गुप्त साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में नवरत्न (नौ महान विद्वान) सुशोभित थे, जिनमें कालिदास जैसे महाकवि भी शामिल थे। उन्होंने अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों के लिए यह उपाधि अर्जित की।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम को ‘महाराजाधिराज’ कहा जाता था। समुद्रगुप्त को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है और उन्होंने ‘परक्रमांक’ जैसी उपाधियाँ धारण कीं। कुमारगुप्त ने ‘महेंद्रादित्य’ की उपाधि धारण की।
प्रश्न 6: चोल साम्राज्य में ‘उर’ का क्या अर्थ था?
- एक प्रकार का कर
- एक सैन्य टुकड़ी
- एक ग्राम सभा
- एक मंदिर अधिकारी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: चोल प्रशासन में, ‘उर’ एक गाँव के सामान्य लोगों की सभा को संदर्भित करता था। यह ग्राम स्तर पर स्थानीय स्वशासन की एक इकाई थी।
- संदर्भ और विस्तार: चोलों का स्थानीय स्वशासन बहुत विकसित था, जिसमें ‘सभा’ (ब्राह्मणों की सभा) और ‘नगरम’ (व्यापारियों की सभा) जैसी अन्य संस्थाएं भी थीं। ‘उर’ विशेष रूप से गैर-ब्राह्मण कृषक समुदायों के गांवों के लिए प्रयोग किया जाता था।
- गलत विकल्प: ‘वरियम’ जैसी संस्थाएँ गाँव की समितियों के नाम थे, लेकिन ‘उर’ स्वयं सभा का नाम था। ‘कर’ और ‘सैन्य टुकड़ी’ से इसका कोई लेना-देना नहीं था।
प्रश्न 7: प्रसिद्ध ‘कल्याण मंडप’ का निर्माण निम्नलिखित में से किस मंदिर में किया गया था?
- मीनाक्षी मंदिर, मदुरै
- कंदरिया महादेव मंदिर, खजुराहो
- विट्ठल मंदिर, हम्पी
- राजराजेश्वर मंदिर, तंजावुर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: विजयनगर साम्राज्य के हम्पी में स्थित विट्ठल मंदिर अपने उत्कृष्ट ‘कल्याण मंडप’ के लिए प्रसिद्ध है। यह मंडप संगमरमर के खंभों से निर्मित है और इसमें जटिल नक्काशी की गई है।
- संदर्भ और विस्तार: कल्याण मंडप का उपयोग मंदिर के वार्षिक उत्सवों के दौरान देवताओं की मूर्तियों के विवाह या शुभ अनुष्ठानों के लिए किया जाता था। विट्ठल मंदिर, जो भगवान विष्णु के अवतार विट्ठल को समर्पित है, विजयनगर काल की वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है।
- गलत विकल्प: मीनाक्षी मंदिर में भी सुंदर मंडप हैं, लेकिन ‘कल्याण मंडप’ का विशिष्ट उदाहरण विट्ठल मंदिर से जुड़ा है। खजुराहो और तंजावुर के मंदिर अपनी शैलियों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस संदर्भ में विट्ठल मंदिर प्रमुख है।
प्रश्न 8: मुगल सम्राट अकबर ने ‘दीन-ए-इलाही’ की घोषणा किस वर्ष की थी?
- 1575 ईस्वी
- 1581 ईस्वी
- 1588 ईस्वी
- 1601 ईस्वी
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: अकबर ने 1581 ईस्वी में ‘दीन-ए-इलाही’ (ईश्वर का धर्म) की घोषणा की थी। यह एक संश्लेषित धर्म था जिसे अकबर ने अपने साम्राज्य की धार्मिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देने के प्रयास में शुरू किया था।
- संदर्भ और विस्तार: दीन-ए-इलाही में विभिन्न धर्मों के सिद्धांतों का मिश्रण था, जिसमें एकेश्वरवाद, सहिष्णुता और सम्राट के प्रति निष्ठा पर जोर दिया गया था। यह व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया और इसे अकबर की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा माना जाता है। केवल बीरबल जैसे कुछ लोगों ने इसे अपनाया।
- गलत विकल्प: 1575 में इबादतखाना की स्थापना हुई थी। 1588 और 1601 में दीन-ए-इलाही का प्रसार या अन्य महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं, लेकिन इसकी घोषणा 1581 में हुई थी।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से किस मराठा शासक ने ‘अष्टप्रधान’ नामक मंत्रिपरिषद का गठन किया था?
- शिवाजी
- बाजीराव प्रथम
- माधवराव
- सम्राट शाहू
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने राज्य के सुचारू प्रशासन के लिए ‘अष्टप्रधान’ नामक आठ मंत्रियों की एक मंत्रिपरिषद का गठन किया था।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान में पेशवा (प्रधान मंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (गृह मंत्री), सुमंत (विदेश मंत्री), पंडितराव (धर्माध्यक्ष), सेनापति (सैन्य प्रमुख), न्यायाधीश (मुख्य न्यायाधीश) और मंत्री (गृह एवं पत्राचार) जैसे पद शामिल थे। यह मंत्रिपरिषद शिवाजी को कुशल शासन में मदद करती थी।
- गलत विकल्प: बाजीराव प्रथम, माधवराव और सम्राट शाहू ने मराठा साम्राज्य का विस्तार किया और अपने शासनकाल में प्रशासन को बनाए रखा, लेकिन अष्टप्रधान की मूल संरचना शिवाजी द्वारा स्थापित की गई थी।
प्रश्न 10: 1857 के विद्रोह के दौरान, कानपुर से विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था?
- रानी लक्ष्मीबाई
- तात्या टोपे
- नाना साहेब
- बेगम हजरत महल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: 1857 के विद्रोह के दौरान, कानपुर से भारतीय विद्रोहियों का नेतृत्व पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: नाना साहेब ने अंग्रेजों से अपनी पेंशन रोकने और अपने राज्य को हड़पने के विरोध में विद्रोह का झंडा उठाया था। उनके साथ तात्या टोपे जैसे महान योद्धा भी थे, जिन्होंने कानपुर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी से, बेगम हजरत महल ने अवध (लखनऊ) से और तात्या टोपे ने नाना साहेब की सहायता करते हुए विभिन्न स्थानों पर नेतृत्व किया, लेकिन कानपुर का मुख्य नेतृत्व नाना साहेब के हाथ में था।
प्रश्न 11: ‘ऑपरेशन पोलो’ का संबंध किस रियासत के भारतीय संघ में विलय से था?
- जूनागढ़
- हैदराबाद
- कश्मीर
- त्रावणकोर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘ऑपरेशन पोलो’ सितंबर 1948 में भारतीय सेना द्वारा हैदराबाद रियासत के भारतीय संघ में विलय के लिए चलाया गया एक सैन्य अभियान था।
- संदर्भ और विस्तार: हैदराबाद के निज़ाम, उस्मान अली खान, शुरू में भारत में शामिल नहीं होना चाहते थे और उन्होंने एक स्वतंत्र राज्य के रूप में बने रहने का प्रयास किया। हालाँकि, बढ़ते आंतरिक दबाव और भारत सरकार की चिंताओं के कारण, सैन्य हस्तक्षेप आवश्यक हो गया। इस सैन्य कार्रवाई के बाद हैदराबाद का भारत में विलय हो गया।
- गलत विकल्प: जूनागढ़ का विलय जनमत संग्रह द्वारा हुआ था। कश्मीर का विलय विशेष परिस्थितियों में हुआ था, और त्रावणकोर ने स्वेच्छा से विलय किया था।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से किस कांग्रेस अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पारित किया गया था?
- 1929 का लाहौर अधिवेशन
- 1931 कराची अधिवेशन
- 1938 हरिपुरा अधिवेशन
- 1942 बंबई अधिवेशन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1929 के लाहौर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) का ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी 1930 को ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा, और कांग्रेस औपनिवेशिक भारत के लिए डोमिनियन स्टेटस के बजाय पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करेगी। इसने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की दिशा बदल दी।
- गलत विकल्प: कराची अधिवेशन (1931) में मौलिक अधिकारों और आर्थिक नीति पर प्रस्ताव पारित हुए। हरिपुरा अधिवेशन (1938) में सुभाष चंद्र बोस अध्यक्ष थे। 1942 का बंबई अधिवेशन ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ से संबंधित था।
प्रश्न 13: ‘द इंडियन स्ट्रगल’ नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- सुभाष चंद्र बोस
- सरदार वल्लभभाई पटेल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘द इंडियन स्ट्रगल’ (The Indian Struggle) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता सुभाष चंद्र बोस द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है।
- संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में, बोस ने 1920 से 1942 तक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास का अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, जिसमें कांग्रेस के भीतर उनके अपने राजनीतिक जीवन और संघर्षों पर विशेष जोर दिया गया है। यह पुस्तक उनके विचारों और स्वतंत्रता संग्राम की गहन जानकारी प्रदान करती है।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी ने ‘हिन्द स्वराज’ और ‘मेरी सत्य की प्रयोग’ लिखीं। जवाहरलाल नेहरू ने ‘भारत की खोज’ (Discovery of India) लिखी। सरदार पटेल ने ऐसी कोई प्रसिद्ध पुस्तक नहीं लिखी।
प्रश्न 14: वास्को-डा-गामा भारत कब आया था?
- 1492
- 1498
- 1502
- 1505
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: पुर्तगाली यात्री वास्को-डा-गामा 1498 में भारत के मालाबार तट पर कालीकट (वर्तमान कोझिकोड) पहुंचा था।
- संदर्भ और विस्तार: वास्को-डा-गामा की यह यात्रा यूरोपीय लोगों के लिए भारत के लिए एक नए समुद्री मार्ग की खोज थी, जिसने भविष्य में यूरोपीय व्यापार और उपनिवेशवाद के लिए मार्ग प्रशस्त किया। वह एक अरब मार्गदर्शक, अब्दुल मजीद की मदद से कालीकट पहुंचा, जहाँ उसका स्वागत जमोरिन (स्थानीय शासक) ने किया।
- गलत विकल्प: 1492 वह वर्ष है जब क्रिस्टोफर कोलंबस अमेरिका पहुंचा था। 1502 में वास्को-डा-गामा अपनी दूसरी यात्रा पर आया, और 1505 में फ्रांसिस्को डी अलमीडा भारत में पहला पुर्तगाली गवर्नर बनकर आया।
प्रश्न 15: ‘ट्रीटी ऑफ सेपल्स’ (Treaty of Sèvres) प्रथम विश्व युद्ध के बाद किस देश पर लागू की गई थी?
- जर्मनी
- ऑस्ट्रिया
- तुर्की (ऑटोमन साम्राज्य)
- हंगरी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘ट्रीटी ऑफ सेपल्स’ (Treaty of Sèvres) को 1920 में मित्र राष्ट्रों द्वारा प्रथम विश्व युद्ध में पराजित ऑटोमन साम्राज्य (तुर्की) पर थोपा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस संधि ने ऑटोमन साम्राज्य को विभाजित कर दिया, उसके अधिकांश क्षेत्र छीन लिए और तुर्की की संप्रभुता को गंभीर रूप से सीमित कर दिया। इसने तुर्की में राष्ट्रीय आंदोलन को जन्म दिया, जिसका नेतृत्व मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने किया, और अंततः 1923 में ‘ट्रीटी ऑफ लॉज़ेन’ (Treaty of Lausanne) द्वारा इसे प्रतिस्थापित किया गया, जिसने आधुनिक तुर्की गणराज्य की स्थापना की।
- गलत विकल्प: जर्मनी पर वर्साय की संधि (Treaty of Versailles), ऑस्ट्रिया पर सेंट-जर्मेन की संधि (Treaty of Saint-Germain), और हंगरी पर ट्रियानॉन की संधि (Treaty of Trianon) लागू की गई थी।
प्रश्न 16: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का तत्कालीन कारण क्या था?
- सात वर्षीय युद्ध में हार
- सरकारी वित्तीय संकट और करों में वृद्धि
- अमेरिकन स्वतंत्रता संग्राम में सहायता
- बुद्धिजीवियों का बढ़ता प्रभाव
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: फ्रांसीसी क्रांति का सबसे तात्कालिक कारण फ्रांस का गहरा वित्तीय संकट था, जो कई युद्धों (जैसे सात वर्षीय युद्ध और अमेरिकन स्वतंत्रता संग्राम में फ्रांस की भागीदारी) और शाही विलासिता के कारण उत्पन्न हुआ था। इस संकट से निपटने के लिए सरकार ने करों में वृद्धि का प्रस्ताव रखा, जिसने जनता में आक्रोश पैदा किया।
- संदर्भ और विस्तार: फ्रांस की राजशाही दिवालिया होने की कगार पर थी, और लुई सोलहवें को शाही व्यय को पूरा करने के लिए नए कर लगाने के लिए एस्टेट्स-जनरल (Estates-General) की बैठक बुलानी पड़ी। इस बैठक ने ही क्रांति की चिंगारी को भड़काया।
- गलत विकल्प: सात वर्षीय युद्ध में हार और अमेरिकन स्वतंत्रता संग्राम में सहायता वित्तीय संकट के कारण थे, न कि तत्कालीन कारण। बुद्धिजीवियों का प्रभाव एक दीर्घकालिक कारण था।
प्रश्न 17: ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) पुस्तक के लेखक कौन हैं, जिसने साम्यवाद के सिद्धांतों को गहराई से प्रभावित किया?
- फ्रेडरिक एंगेल्स
- कार्ल मार्क्स
- व्लादिमीर लेनिन
- रॉबर्ट ओवेन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) कार्ल मार्क्स द्वारा लिखित एक मौलिक कृति है, जो पूंजीवाद के विश्लेषण और साम्यवादी सिद्धांतों के विकास के लिए एक आधारशिला मानी जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में, मार्क्स ने पूंजीवादी व्यवस्था की आलोचना की, जिसमें उन्होंने श्रम के शोषण, मूल्य के श्रम सिद्धांत और वर्ग संघर्ष जैसी अवधारणाओं पर प्रकाश डाला। यह पुस्तक न केवल आर्थिक सिद्धांतों को प्रस्तुत करती है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिए एक खाका भी पेश करती है।
- गलत विकल्प: फ्रेडरिक एंगेल्स ने मार्क्स के साथ मिलकर ‘कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो’ लिखा और ‘दास कैपिटल’ के प्रकाशन में सहायता की। लेनिन ने मार्क्सवादी सिद्धांत को रूसी क्रांति के संदर्भ में लागू किया। रॉबर्ट ओवेन एक प्रारंभिक समाजवादी विचारक थे।
प्रश्न 18: मंगोल शासक चंगेज खान ने भारत पर कब आक्रमण किया था?
- 1221 ईस्वी
- 1236 ईस्वी
- 1241 ईस्वी
- 1290 ईस्वी
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: चंगेज खान ने 1221 ईस्वी में वर्तमान भारत की सीमा पर, विशेष रूप से झेलम नदी के पास, इल्तुतमिश के शासनकाल के दौरान आक्रमण किया था।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि चंगेज खान ने सीधे तौर पर दिल्ली सल्तनत पर आक्रमण नहीं किया था, लेकिन उसने ख्वारिज़्मी साम्राज्य के शाह जलालुद्दीन मिंगबर्नी का पीछा करते हुए सिंधु नदी तक अपनी सेनाएँ भेजी थीं। इल्तुतमिश ने मंगोलों के दबाव से बचने के लिए जलालुद्दीन को शरण नहीं दी, जिससे दिल्ली सुरक्षित रही।
- गलत विकल्प: 1236, 1241 और 1290 में मंगोलों ने भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों पर आक्रमण किए, लेकिन चंगेज खान का प्रत्यक्ष आक्रमण 1221 में झेलम क्षेत्र तक सीमित था।
प्रश्न 19: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
- कृष्णदेव राय
- हरिहर और बुक्का
- देवराय प्रथम
- बुक्का प्रथम
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हरिहर प्रथम और उनके भाई बुक्का प्रथम ने की थी।
- संदर्भ और विस्तार: तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थापित इस साम्राज्य ने दक्षिण भारत में अपनी शक्ति स्थापित की और कला, साहित्य, वास्तुकला और व्यापार के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध हुआ। हरिहर और बुक्का ने मुहम्मद बिन तुगलक के अधीन काम किया था, लेकिन बाद में उन्होंने विजयनगर की स्थापना की।
- गलत विकल्प: कृष्णदेव राय विजयनगर के महानतम शासकों में से एक थे, लेकिन उन्होंने साम्राज्य की स्थापना नहीं की थी। देवराय प्रथम और बुक्का प्रथम भी महत्वपूर्ण शासक थे।
प्रश्न 20: ‘सूफीवाद’ (Sufism) का संबंध किस धर्म से है?
- ईसाई धर्म
- यहूदी धर्म
- इस्लाम
- बौद्ध धर्म
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सूफीवाद इस्लाम का एक रहस्यवादी और आध्यात्मिक आयाम है, जो ईश्वर के प्रति प्रेम, भक्ति और आंतरिक शुद्धता पर जोर देता है।
- संदर्भ और विस्तार: सूफी फकीर या संत ईश्वर के साथ व्यक्तिगत मिलन की तलाश करते हैं और अक्सर वैराग्य, ध्यान, संगीत और कविता के माध्यम से आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं। भारत में चिश्ती, सुहरावर्दी, कादिरी और नक्शबंदी जैसे कई प्रमुख सूफी सिलसिले (परंपराएं) विकसित हुईं, जिन्होंने भारतीय संस्कृति और भक्ति आंदोलन को भी प्रभावित किया।
- गलत विकल्प: सूफीवाद के मूल सिद्धांत और प्रथाएं इस्लाम से ही उत्पन्न हुई हैं, यद्यपि यह अन्य रहस्यवादी परंपराओं से प्रभावित भी हुई हैं।
प्रश्न 21: प्रथम गोलमेज सम्मेलन (First Round Table Conference) में किसने भाग नहीं लिया था?
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- ब्रिटिश सरकार
- राजपूत शासक
- मुस्लिम लीग
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1930-31 में आयोजित प्रथम गोलमेज सम्मेलन का बहिष्कार किया था, क्योंकि सविनय अवज्ञा आंदोलन अभी भी जारी था और कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: प्रथम गोलमेज सम्मेलन लंदन में आयोजित किया गया था, जहाँ ब्रिटिश सरकार, ब्रिटिश भारत के विभिन्न राजनीतिक समूहों (जैसे मुस्लिम लीग, रजवाड़े, लिबरल फेडरेशन) के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी, लेकिन कांग्रेस की अनुपस्थिति के कारण यह अप्रभावी रहा। बाद में, गांधी-इरविन समझौते के बाद कांग्रेस ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।
- गलत विकल्प: ब्रिटिश सरकार सम्मेलन की मेजबानी कर रही थी। राजपूत शासक (रियासतों के प्रतिनिधि) और मुस्लिम लीग ने इसमें भाग लिया था।
प्रश्न 22: ‘तत्वाबोधनी सभा’ (Tattwabodhini Sabha) की स्थापना किसने की थी?
- राजा राममोहन राय
- स्वामी विवेकानंद
- महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर
- स्वामी दयानंद सरस्वती
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: तत्वाबोधनी सभा की स्थापना 1839 में महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर (रवींद्रनाथ टैगोर के पिता) ने की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस सभा का उद्देश्य वेदांत के सिद्धांतों के आधार पर एक शुद्ध और तर्कसंगत धर्म की स्थापना करना था। यह ब्रह्म समाज (जिसे राजा राममोहन राय ने स्थापित किया था) के विचारों को फैलाने और उन पर व्यवस्थित रूप से विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच बनी। 1859 में, तत्वाबोधनी सभा को ब्रह्म समाज में मिला दिया गया।
- गलत विकल्प: राजा राममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना की थी। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की थी।
प्रश्न 23: प्राचीन भारत में ‘कुषाण’ शासकों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- उन्होंने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया।
- उन्होंने पहली बार बड़े पैमाने पर सोने के सिक्के जारी किए।
- यह पहला भारतीय राजवंश था जिसने चांदी के सिक्के जारी किए।
- उन्होंने केवल उत्तर भारत में शासन किया।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कुषाण शासकों, विशेष रूप से कनिष्क, ने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया। कनिष्क ने चौथी बौद्ध संगीति का आयोजन किया, जो कश्मीर में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: कुषाणों ने गांधार कला शैली को भी बढ़ावा दिया, जो ग्रीक-रोमन कला से प्रभावित थी और इसमें बौद्ध विषयों को दर्शाया गया था। कुषाणों ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए शुद्ध सोने के सिक्के जारी किए, जो भारतीय कला और मुद्राशास्त्र में एक महत्वपूर्ण कदम था। हालाँकि, उन्होंने उत्तर-पश्चिम भारत, अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक अपना साम्राज्य फैलाया था।
- गलत विकल्प: इंडो-ग्रीक शासकों ने पहली बार शुद्ध सोने के सिक्के जारी किए थे। चांदी के सिक्कों का चलन पहले से ही था। उन्होंने केवल उत्तर भारत में नहीं, बल्कि मध्य एशिया तक शासन किया।
प्रश्न 24: ‘सबैडे’ (Sabha) और ‘ऊर’ (Ur) नामक ग्राम सभाएँ किस साम्राज्य में प्रचलित थीं?
- मौर्य
- गुप्त
- चोल
- पल्लव
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘सबैडे’ (Sabha) और ‘ऊर’ (Ur) नामक ग्राम सभाएँ चोल साम्राज्य के स्थानीय स्वशासन की महत्वपूर्ण संस्थाएँ थीं।
- संदर्भ और विस्तार: ‘सबैडे’ मुख्य रूप से ब्राह्मणों की बस्तियों (ब्रह्मदेय) में प्रचलित थी और इसका सदस्य बनने के लिए कुछ निश्चित योग्यताएँ होती थीं। ‘ऊर’ सामान्य ग्रामवासियों की सभा थी। इन सभाओं का कार्य स्थानीय स्तर पर न्याय, भूमि का प्रबंधन, करों का संग्रहण और सार्वजनिक निर्माण जैसे कार्य देखना था।
- गलत विकल्प: मौर्य काल में स्थानीय स्वशासन की व्यवस्था थी, लेकिन ‘सबैडे’ और ‘ऊर’ का विशिष्ट प्रयोग चोलों के साथ जुड़ा है। गुप्त और पल्लव काल में भी स्थानीय प्रशासन था, लेकिन चोलों की ग्राम सभाएँ सबसे अधिक विकसित और सुसंगठित थीं।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सा समाज सुधारक ‘विधवा पुनर्विवाह अधिनियम’ (Hindu Widows’ Remarriage Act) पारित करवाने में अग्रणी था?
- राजा राममोहन राय
- ईश्वर चंद्र विद्यासागर
- ज्योतिबा फुले
- केशव चंद्र सेन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा देने और इसके लिए एक कानून पारित करवाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप, 1856 में ‘हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम’ पारित हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: विद्यासागर ने संस्कृत ग्रंथों का गहन अध्ययन करके यह सिद्ध किया कि प्राचीन ग्रंथों में विधवा पुनर्विवाह की अनुमति है। उन्होंने अपना जीवन विधवाओं की दयनीय स्थिति को सुधारने और उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए समर्पित कर दिया। उनके अपने बेटे का पुनर्विवाह एक विधवा से कराकर उन्होंने एक मिसाल कायम की।
- गलत विकल्प: राजा राममोहन राय ने सती प्रथा के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ज्योतिबा फुले ने दलितों और महिलाओं की शिक्षा व उत्थान के लिए काम किया। केशव चंद्र सेन ने भी बाल विवाह का विरोध किया और अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दिया, लेकिन विधवा पुनर्विवाह अधिनियम के प्रमुख प्रणेता विद्यासागर थे।