जेपी नड्डा का बड़ा बयान: ‘पाकिस्तान पर ऐसी कार्रवाई किसी सरकार ने नहीं की’ – जानिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का सच
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जगत प्रकाश नड्डा (जेपी नड्डा) ने एक सार्वजनिक मंच पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के गलियारों में हलचल मचा दी है। उनके अनुसार, “अभी तक किसी भी सरकार ने पाकिस्तान पर ऐसी कार्रवाई नहीं की” है, जिसका सीधा संबंध ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक किसी गुप्त या अर्ध-गुप्त सैन्य/खुफिया अभियान से बताया जा रहा है। यह बयान न केवल पाकिस्तान के प्रति भारत की आक्रामक विदेश नीति के संकेत देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वर्तमान सरकार इस मोर्चे पर पिछली सरकारों से अलग और अधिक निर्णायक कदम उठाने में सक्षम रही है। यह ब्लॉग पोस्ट इस बयान की गहराई, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की संभावित प्रकृति, राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में इसके निहितार्थों और UPSC सिविल सेवा परीक्षा के दृष्टिकोण से इसके महत्व का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
परिचय: राष्ट्रीय सुरक्षा, कूटनीति और सामरिक दांवपेंच
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हमेशा से जटिल और तनावपूर्ण रहे हैं। सीमा पार आतंकवाद, कश्मीर का मुद्दा, और ऐतिहासिक दुश्मनी ने दोनों देशों को एक-दूसरे के प्रति शंका और अविश्वास की स्थिति में रखा है। ऐसे में, जब देश का एक प्रमुख राजनीतिक नेता पाकिस्तान के खिलाफ “अभूतपूर्व” कार्रवाई का दावा करता है, तो यह स्वाभाविक है कि यह मामला राष्ट्रीय विमर्श का केंद्र बन जाता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे सांकेतिक नाम अक्सर गुप्त अभियानों को दिए जाते हैं, जिनका उद्देश्य दुश्मन को चौंकाना और कूटनीतिक या सामरिक लाभ प्राप्त करना होता है। जेपी नड्डा का बयान सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, खुफिया क्षमताओं और पाकिस्तान के खिलाफ भारत की दृढ़ता को रेखांकित करने का एक प्रयास भी हो सकता है।
जेपी नड्डा का दावा: ‘पाकिस्तान पर ऐसी कार्रवाई किसी सरकार ने नहीं की’
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
- पिछली सरकारों से तुलना: यह दावा सीधे तौर पर पिछली सरकारों द्वारा पाकिस्तान के प्रति अपनाई गई नीतियों और कार्रवाइयों पर सवाल उठाता है। इसका अर्थ यह लगाया जा सकता है कि या तो पिछली सरकारें पर्याप्त निर्णायक नहीं थीं, या उनके पास ऐसी कार्रवाई करने की क्षमता या इच्छाशक्ति का अभाव था।
- वर्तमान सरकार की क्षमता: यह वर्तमान सरकार की “सबक सिखाने” की नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह एक राजनीतिक संदेश है जो देश को सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करता है।
- ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का संदर्भ: यह संकेत देता है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ या तो एक बड़ी सफलता थी, या यह एक ऐसी रणनीति का हिस्सा था जो पाकिस्तान को सीधे तौर पर प्रभावित करने में सफल रही। ‘सिंदूर’ शब्द का प्रयोग प्रतीकात्मक हो सकता है, जो किसी गहरे या स्थायी प्रभाव को दर्शाता हो।
ऐसे बयान अक्सर राजनीतिक रूप से प्रेरित होते हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में, ये भारत की विदेश नीति के इरादों को भी स्पष्ट करते हैं। यह बयान पाकिस्तान को एक मौन चेतावनी हो सकती है कि सीमा पार आतंकवाद या अन्य उकसावे वाली कार्रवाइयों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्या हो सकता है? अनुमान और विश्लेषण
चूंकि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का आधिकारिक विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है, हम इसके संभावित स्वरूप का अनुमान कई आधारों पर लगा सकते हैं:
- खुफिया-आधारित कार्रवाई: यह एक ऐसी कार्रवाई हो सकती है जिसमें रॉ (RAW) या अन्य खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी लॉन्च पैड, उनके संचालकों या समर्थन नेटवर्क को निशाना बनाया हो।
- साइबर युद्ध: यह पाकिस्तान के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे, संचार नेटवर्क या दुष्प्रचार अभियानों को बाधित करने वाली एक साइबर कार्रवाई भी हो सकती है।
- आर्थिक या कूटनीतिक दबाव: यह पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने, उसके आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचाने या उसकी कूटनीतिक स्थिति को कमजोर करने के लिए की गई कोई समन्वित कार्रवाई हो सकती है।
- लक्षित हत्याएं (Targeted Killings): हाल के वर्षों में, भारत ने पाकिस्तान में छिपे हुए आतंकवादियों और उनके आकाओं के खिलाफ लक्षित हत्याओं की क्षमता का संकेत दिया है, जैसा कि कुछ सार्वजनिक बयानों और लीक हुई रिपोर्टों से पता चलता है।
- सैन्य प्रतिक्रिया का एक नया रूप: यह पारंपरिक युद्ध से हटकर, एक ऐसी चुनिंदा और सधी हुई सैन्य प्रतिक्रिया हो सकती है जो बड़े पैमाने पर संघर्ष को भड़के बिना लक्षित लाभ पहुंचाए।
“सिंदूर” का प्रतीकात्मक अर्थ:
“सिंदूर” शब्द भारतीय संस्कृति में सुहाग, शुभता और कभी-कभी युद्ध में जीत का प्रतीक माना जाता है। इस संदर्भ में, इसका प्रयोग पाकिस्तान पर भारत की निर्णायक जीत, भारतीय सुरक्षा तंत्र की मजबूती, या किसी ऐसे प्रभाव का संकेत दे सकता है जो पाकिस्तान की मानसिकता या रणनीति पर गहरा असर डालता हो। यह एक ऐसा अभियान हो सकता है जिसने “सीमाओं को फिर से परिभाषित” किया हो या पाकिस्तान को उसकी दुर्भावनापूर्ण हरकतों के लिए एक गंभीर कीमत चुकाने पर मजबूर किया हो, जिसे सरकार “अभूतपूर्व” कह रही है।
“राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर, ऐसी कार्रवाइयाँ न केवल सामरिक लाभ के लिए होती हैं, बल्कि वे दुश्मन को स्पष्ट संदेश भी देती हैं कि भारत अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।”
भारत-पाकिस्तान संबंध: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध स्वतंत्रता के समय से ही तनावपूर्ण रहे हैं। यह तनाव कई युद्धों, सीमा संघर्षों, आतंकवादी हमलों और कूटनीतिक गतिरोधों का कारण बना है।
- 1947-48, 1965, 1971 के युद्ध: ये प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष थे जिन्होंने दोनों देशों के संबंधों को स्थायी रूप से प्रभावित किया।
- कारगिल युद्ध (1999): यह पाकिस्तान की प्रत्यक्ष घुसपैठ के जवाब में भारत की रक्षात्मक और आक्रामक कार्रवाई का एक उदाहरण था।
- नियंत्रण रेखा (LoC) पर संघर्ष: छोटे-मोटे सीमा पार गोलीबारी और घुसपैठ के प्रयास दशकों से जारी हैं।
- सर्जिकल स्ट्राइक (2016): उरी हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादी ठिकानों पर की गई लक्षित कार्रवाई, जिसने भारत की “लक्ष्मण रेखा” को आगे बढ़ाया।
- बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019): पुलवामा हमले के जवाब में पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण ठिकानों पर भारतीय वायु सेना द्वारा की गई हवाई स्ट्राइक।
जेपी नड्डा का बयान इन पिछली कार्रवाइयों से एक कदम आगे का संकेत दे सकता है, यह दावा करते हुए कि अब तक की गई कोई भी कार्रवाई इतनी व्यापक या प्रभावी नहीं रही है। यह संभवतः खुफिया जानकारी, साइबर क्षमताओं, या पाकिस्तान के भीतर उन तत्वों को लक्षित करने में प्रगति का संकेत है जो भारत के लिए खतरा पैदा करते हैं।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
यह घटनाक्रम UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है:
1. प्रारंभिक परीक्षा (Prelims)
- राष्ट्रीय सुरक्षा: रक्षा नीतियों, सैन्य अभियानों, खुफिया एजेंसियों की भूमिका।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध: भारत-पाकिस्तान संबंध, सीमा प्रबंधन, कूटनीति, क्षेत्रीय सुरक्षा।
- सरकार और राजनीति: राष्ट्रीय सुरक्षा पर सरकार का दृष्टिकोण, प्रमुख राजनीतिक नेताओं के बयान।
- संकेतिक नाम: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे शब्दों का अर्थ और संभावित अनुप्रयोग।
2. मुख्य परीक्षा (Mains)
GS-I: सामाजिक मुद्दे (Social Issues) –
हालांकि सीधे तौर पर नहीं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति, जो सामाजिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं, से संबंधित।
GS-II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations) –
भारत-पाकिस्तान संबंध, सीमा पार आतंकवाद, भारत की विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति।
GS-III: सुरक्षा (Security) –
भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियाँ, आतंकवाद से निपटना, रक्षा आधुनिकीकरण, खुफिया एजेंसियों की भूमिका, रक्षा नीतियों का प्रभाव, साइबर सुरक्षा, राज्य की भूमिका।
GS-IV: नैतिकता (Ethics) –
एक नेता के सार्वजनिक बयानों के निहितार्थ, राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता, राजनीतिक लाभ के लिए सुरक्षा का उपयोग, पारदर्शिता और जवाबदेही।
सरकार की “सबक सिखाने” की नीति और इसके पहलू
पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय सरकार ने आतंकवाद और उकसावे का जवाब देने के लिए एक अधिक मुखर रुख अपनाया है। यह “सबक सिखाने” की नीति कई तरीकों से प्रकट हुई है:
- सामरिक स्वायत्तता: भारत अब केवल प्रतिक्रिया देने के बजाय, अपनी शर्तों पर और अपने समय पर प्रतिक्रिया देने का अधिकार रखता है।
- अनुपातिकता का खंडन: पिछली धारणा यह थी कि भारत को उकसावे के प्रति केवल अनुपातिक रूप से प्रतिक्रिया देनी चाहिए। अब, यह विचार सामने आ रहा है कि प्रतिक्रिया को दुश्मन को “भारी कीमत” चुकाने के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है, जो जरूरी नहीं कि “अनुपातिक” हो।
- “नो फर्स्ट यूज़” सिद्धांत पर बहस: हालाँकि यह परमाणु नीति से संबंधित है, लेकिन यह व्यापक रक्षात्मक और आक्रामक रुख का हिस्सा है।
- खुफिया और विशेष अभियानों पर जोर: सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक इस नीति के उदाहरण थे। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसे और आगे ले जा सकता है।
सकारात्मक पहलू:
- निवारण (Deterrence): ऐसी कार्रवाइयाँ दुश्मन को भविष्य में इसी तरह की हरकतों से रोक सकती हैं।
- राष्ट्रीय मनोबल: यह देश के नागरिकों के बीच सुरक्षा और आत्मविश्वास की भावना को बढ़ाता है।
- कूटनीतिक लाभ: यह भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है।
चुनौतियां और जोखिम:
- संघर्ष का बढ़ना (Escalation): ऐसी कार्रवाइयाँ अनजाने में एक बड़े संघर्ष को जन्म दे सकती हैं।
- गलतफहमी: दुश्मन गलत तरीके से प्रतिक्रिया का मतलब निकाल सकता है।
- पारदर्शिता की कमी: गुप्त अभियानों की प्रकृति के कारण, जनता के लिए यह समझना मुश्किल हो सकता है कि वास्तव में क्या हो रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया: कुछ देश ऐसी कार्रवाइयों को अस्थिर करने वाला मान सकते हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के घोषित न होने के कारण
यदि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ वास्तव में हुआ है और यह महत्वपूर्ण था, तो इसके सार्वजनिक रूप से घोषित न होने के कई कारण हो सकते हैं:
- परिचालन सुरक्षा (Operational Security): भविष्य के अभियानों की सफलता के लिए गुप्त अभियानों का विवरण गुप्त रखना महत्वपूर्ण है।
- अप्रत्याशितता का तत्व: दुश्मन को पता नहीं चलना चाहिए कि भारत की क्या क्षमताएं हैं या वह क्या करने में सक्षम है।
- कूटनीतिक संवेदनशीलता: कुछ कार्रवाइयाँ कूटनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील हो सकती हैं और उनका सार्वजनिक खुलासा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को जटिल बना सकता है।
- राजनीतिक एजेंडा: कभी-कभी, राजनीतिक दल ऐसी “सफलता” का उपयोग अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए करते हैं, खासकर चुनावों के समय। जेपी नड्डा का बयान संभवतः इसी श्रेणी में आता है।
भविष्य की राह
जेपी नड्डा जैसे नेताओं के बयान भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति उसकी बदली हुई सोच को दर्शाते हैं। भविष्य में, हम उम्मीद कर सकते हैं कि भारत:
- अपनी खुफिया क्षमताओं को और मजबूत करेगा।
- साइबर युद्ध और सूचना युद्ध जैसे गैर-पारंपरिक युद्धक्षेत्रों पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगा।
- पाकिस्तान जैसे शत्रुतापूर्ण तत्वों के खिलाफ लक्षित और प्रभावी प्रतिक्रियाएं जारी रखेगा।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को अपनी विदेश नीति का एक केंद्रीय स्तंभ बनाए रखेगा।
यह महत्वपूर्ण है कि इस तरह के बयानों का विश्लेषण राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक संदर्भ में किया जाए, न कि केवल राजनीतिक बयानबाजी के रूप में। UPSC उम्मीदवारों को ऐसे घटनाक्रमों को राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा, कूटनीति और भारत की विदेश नीति के अभिन्न अंग के रूप में देखना चाहिए।
निष्कर्ष
जेपी नड्डा का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर दिया गया बयान, कि “अभी तक किसी भी सरकार ने पाकिस्तान पर ऐसी कार्रवाई नहीं की”, राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और भारत-पाकिस्तान संबंधों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी है। यह वर्तमान सरकार के दृढ़ संकल्प और पाकिस्तान के प्रति मुखर रुख को दर्शाता है। जबकि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के विवरण अज्ञात हैं, इसका प्रतीकात्मक महत्व और इसके द्वारा सुझाए गए “अभूतपूर्व” कदम भारत की रक्षा क्षमताओं में प्रगति और उसकी सामरिक सोच में बदलाव का संकेत देते हैं। UPSC की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, यह विषय राष्ट्रीय सुरक्षा के बहुआयामी पहलुओं, भारत की विदेश नीति के विकास और कूटनीति एवं सैन्य शक्ति के बीच जटिल संतुलन को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न: हाल ही में चर्चा में रहे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का संबंध किस देश के साथ भारत के संभावित सामरिक या खुफिया अभियान से हो सकता है?
(a) चीन
(b) पाकिस्तान
(c) म्यांमार
(d) बांग्लादेश
उत्तर: (b) पाकिस्तान
व्याख्या: जेपी नड्डा के बयान और राष्ट्रीय विमर्श के अनुसार, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का संदर्भ पाकिस्तान के संबंध में लिया गया है। - प्रश्न: जेपी नड्डा, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बयान दिया, वर्तमान में किस राजनीतिक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं?
(a) कांग्रेस
(b) आम आदमी पार्टी
(c) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
(d) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP)
उत्तर: (c) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
व्याख्या: जगत प्रकाश नड्डा (जेपी नड्डा) भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। - प्रश्न: जेपी नड्डा के बयान के अनुसार, पिछली सरकारों की तुलना में वर्तमान सरकार ने पाकिस्तान पर ____ कार्रवाई की है।
(a) कम
(b) उतनी ही
(c) अधिक / अभूतपूर्व
(d) अप्रत्यक्ष
उत्तर: (c) अधिक / अभूतपूर्व
व्याख्या: नड्डा के बयान का मुख्य बिंदु यह है कि “अभी तक किसी भी सरकार ने पाकिस्तान पर ऐसी कार्रवाई नहीं की”, जो पिछली सरकारों की तुलना में अधिक या अभूतपूर्व कार्रवाई का संकेत देता है। - प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंध से संबंधित है?
(a) भारत की आर्थिक विकास दर
(b) अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण
(c) भारत-पाकिस्तान सीमा पर घुसपैठ
(d) राष्ट्रीय शिक्षा नीति
उत्तर: (c) भारत-पाकिस्तान सीमा पर घुसपैठ
व्याख्या: भारत-पाकिस्तान सीमा पर घुसपैठ सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के दायरे में आती है। - प्रश्न: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संभावित स्वरूप के बारे में क्या अनुमान लगाया जा सकता है?
(a) केवल पारंपरिक सैन्य अभ्यास
(b) केवल कूटनीतिक बातचीत
(c) गुप्त खुफिया कार्रवाई, साइबर युद्ध, या लक्षित हमले
(d) सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम
उत्तर: (c) गुप्त खुफिया कार्रवाई, साइबर युद्ध, या लक्षित हमले
व्याख्या: “ऑपरेशन” जैसे सांकेतिक नाम अक्सर गुप्त और गैर-पारंपरिक अभियानों के लिए उपयोग किए जाते हैं। - प्रश्न: भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ हाल के वर्षों में की गई प्रमुख कार्रवाइयों में निम्नलिखित में से कौन सी शामिल हैं?
1. सर्जिकल स्ट्राइक (2016)
2. बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019)
3. कारगिल युद्ध (1999)
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: ये सभी कार्रवाइयाँ भारत-पाकिस्तान संबंधों के इतिहास में महत्वपूर्ण रही हैं और जेपी नड्डा के बयान के संदर्भ में प्रासंगिक हैं। - प्रश्न: राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में “निवारण (Deterrence)” का क्या अर्थ है?
(a) दुश्मन पर पहला हमला करना
(b) अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करके दुश्मन को हमला करने से रोकना
(c) शांति समझौता करना
(d) अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग करना
उत्तर: (b) अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करके दुश्मन को हमला करने से रोकना
व्याख्या: निवारण का अर्थ है दुश्मन को किसी कृत्य से रोकना, अक्सर अपनी क्षमता और इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करके। - प्रश्न: गुप्त अभियानों (covert operations) का एक मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
(a) सार्वजनिक समर्थन प्राप्त करना
(b) दुश्मन को अपनी क्षमताओं के बारे में अनभिज्ञ रखना
(c) अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को सूचित करना
(d) राजनीतिक विरोधियों को लक्षित करना
उत्तर: (b) दुश्मन को अपनी क्षमताओं के बारे में अनभिज्ञ रखना
व्याख्या: गुप्त अभियानों की सफलता उनकी गोपनीयता पर निर्भर करती है ताकि दुश्मन को अनिश्चितता में रखा जा सके। - प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे गुप्त अभियानों के लिए एक संभावित जोखिम है?
(a) अत्यधिक सार्वजनिक समर्थन
(b) संघर्ष का अनपेक्षित बढ़ना (escalation)
(c) दुश्मन की ओर से त्वरित कूटनीतिक प्रतिक्रिया
(d) अंतर्राष्ट्रीय प्रशंसा
उत्तर: (b) संघर्ष का अनपेक्षित बढ़ना (escalation)
व्याख्या: गुप्त, आक्रामक या “अभूतपूर्व” कार्रवाई के गलत तरीके से समझे जाने पर संघर्ष बढ़ने का जोखिम होता है। - प्रश्न: ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के विषय के तहत UPSC मुख्य परीक्षा के किस सामान्य अध्ययन (GS) पत्र में इसका अध्ययन किया जाता है?
(a) GS-I: इतिहास और भूगोल
(b) GS-II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध और शासन
(c) GS-III: अर्थव्यवस्था और पर्यावरण
(d) GS-IV: नैतिकता और सत्यनिष्ठा
उत्तर: (b) GS-II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध और शासन, और विशेष रूप से GS-III: सुरक्षा
व्याख्या: राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से निपटना GS-III का प्रमुख हिस्सा है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय संबंध GS-II का हिस्सा है।मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: जेपी नड्डा के बयान का विश्लेषण करते हुए, समझाएं कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में “सबक सिखाने” की नीति कैसे विकसित हुई है और इसके क्या निहितार्थ हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे उदाहरणों का संदर्भ लें। (250 शब्द)
मार्गदर्शन: उत्तर में भारत की प्रतिक्रियावादी नीतियों से मुखर नीतियों की ओर बदलाव, सामरिक स्वायत्तता, निवारण, और दुश्मन को कीमत चुकाने पर मजबूर करने की अवधारणाओं पर चर्चा करें। - प्रश्न: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे गुप्त अभियानों की प्रकृति, उद्देश्यों और निहितार्थों पर चर्चा करें। ऐसे अभियानों को सार्वजनिक न करने के क्या कारण हो सकते हैं और इसके क्या संभावित जोखिम जुड़े हुए हैं? (200 शब्द)
मार्गदर्शन: उत्तर में गुप्त अभियानों की परिभाषा, उनके लक्ष्य (जैसे आतंकवाद को निशाना बनाना, क्षमता प्रदर्शन), गोपनीयता के महत्व, और अनपेक्षित संघर्ष या गलतफहमी जैसे जोखिमों पर प्रकाश डालें। - प्रश्न: भारत-पाकिस्तान संबंधों के ऐतिहासिक संदर्भ में, हाल के वर्षों में भारत की पाकिस्तान के प्रति आक्रामक कूटनीति और सामरिक कार्रवाइयों के बढ़ते उदाहरणों का विश्लेषण करें। जेपी नड्डा के हालिया बयान को इस प्रवृत्ति के संदर्भ में देखें। (250 शब्द)
मार्गदर्शन: उत्तर में 1947 से लेकर वर्तमान तक के प्रमुख मोड़ों, कारगिल, सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट, और फिर नड्डा के बयान को शामिल करें। भारत के बदलते रुख और इसके कारणों पर ध्यान केंद्रित करें। - प्रश्न: राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने में खुफिया एजेंसियों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है? ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी कथित कार्रवाइयों के संदर्भ में, खुफिया-आधारित प्रतिक्रियाओं की प्रभावशीलता और चुनौतियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (200 शब्द)
मार्गदर्शन: उत्तर में खुफिया जानकारी जुटाने, विश्लेषण, पूर्व-चेतावनी, और लक्षित अभियानों की योजना बनाने में एजेंसियों के महत्व पर चर्चा करें। इसके साथ ही, डेटा की सटीकता, मानव इनपुट, और गुप्त अभियानों के कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं का भी उल्लेख करें।
- प्रश्न: जेपी नड्डा के बयान का विश्लेषण करते हुए, समझाएं कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में “सबक सिखाने” की नीति कैसे विकसित हुई है और इसके क्या निहितार्थ हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे उदाहरणों का संदर्भ लें। (250 शब्द)